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शादी के बंधन में बंधीं भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू, वेंकट दत्ता साई के साथ लिए सात फेरे
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बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने शादी कर ली। उन्होंने हैदराबाद के उदमी वेंकट दत्ता साई के साथ उदयपुर में रविवार को सात फेरे लिए। सिंधु और वेंकट की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई। रविवार को उदयपुर में उन्होंने मंगेतर वेंकट दत्ता साई से शादी रचाई। इस जोड़े ने अपने परिवारों और करीबी लोगों की उपस्थिति में एक-दूसरे के साथ सात जन्म तक साथ रहने की कसमें खाईं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सिंधु की शादी में पहुंचे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर फोटो भी शेयर की है।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सिंधू की शादी की तस्वीर साझा करते हे लिखा- रविवार शाम उदयपुर में वेंकट दत्ता साई के साथ हमारे बैडमिंटन चैंपियन ओलंपियन पीवी सिंधू के विवाह समारोह में शामिल होकर खुशी हुई। मैंने इस जोड़े को उनके नए जीवन के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया।

*दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट हैं सिंधु*
पीवी सिंधु भारतीय स्पोर्ट्स इतिहास की सबसे बड़ी महिला एथलीट में गिनी जाती हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में बैडमिंटन में सिल्वर मेडल जीता था। वह ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद 2020 तोक्यो ओलिंपिक में सिंधु के खाते में ब्रॉन्ज मेडल आया। उन्होंने 2019 में बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया था।

*कौन हैं वेंकट दत्ता साई?*
वेंकट हैदराबाद के रहने वाले हैं। वह पोसाईडेक्स टेक्नोलॉजी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वेंकट ने फाउंडेशन ऑफ लिबरल एंड मैनेजमेंट एजुकेशन से लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज/लिबरल स्टडीज से डिप्लोमा किया है। उन्होंने 2018 में फ्लेम यूनिवर्सिटी बैचलर ऑफ बिजनेस एडिमिनिस्ट्रेशन से बीबीए अकाउंटिंग एंड फाइनेंस पूरा किया और फिर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बंगलूरू से डेटा साइंस एंड मशीन लर्निंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

वेंकट के लिंक्डिन प्रोफाइल के मुताबिक, वह JSW के साथ समर इंटर्न के साथ-साथ इन हाउस कंसल्टेंट के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने प्रोफाइल में यह भी बताया है कि वह आईपीएल टीम को भी मैनेज कर चुके हैं। उन्होंने 2019 से सोर एप्पल एसेट मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया है। वहीं, पोसाईडेक्स में कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया है।
बुरे फंसे भारत विरोधी जस्टिन ट्रूडो, अमेरिका के बाद अब चीन ने सिखाया सबक
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भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ने वाले जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जस्टिन ट्रूडो इस वक्त घरेलू मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर भी चारों ओर से चुनौतियों से घिर गए हैं। इस बार मामला चीन से जुड़ा हुआ है। अमेरिका के बाद अब चीन ने कनाडा के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। चीन उइगर मुस्लिम और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल कनाडा के 2 संस्थानों के करीब 20 लोगों पर बैन लगाने जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स बम के बाद अब चीन की ये घोषणा कनाडा के लिए बड़ी परेशानी पैदा करने वाली है।

चीन ने रविवार को कहा है कि वह उइगरों और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल दो कनाडाई संस्थानों सहित 20 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई करने जा रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि शनिवार को प्रभावी हुए इन उपायों में संपत्ति जब्त करना और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है और इनके निशाने पर कनाडा का उइगर अधिकार वकालत परियोजना और कनाडा-तिब्बत समिति शामिल है। चीन ने कहा कि वह इन दोनों संस्थानों की चल संपत्ति, अचल संपत्ति और चीन के क्षेत्र में अन्य प्रकार की संपत्ति को फ्रीज कर रहा है।

दरअसल, कनाडा के मानवाधिकार संगठनों ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था। मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि चीन में उइगर मुसलमानों का शोषण हो रहा है और सरकारी तंत्र उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहा है। इसके बाद चीन ने बड़ा एक्शन लिया है। कनाडा के 20 लोगों को चीन ने बैन कर दिया है। ये सभी लोग अलग-अलग मानवाधिकार संगठनों से जुड़े थे। इन सभी लोगों के चीन में प्रवेश के साथ ही हांगकांग और मकाऊ क्षेत्र में प्रवेश पर भी बैन लगा दिया गया है।

इस प्रतिबंध के तहत, उइगर संस्थान से जुड़े 15 और तिब्बत समिति के पांच सदस्यों की चीन में संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। इसके अलावा, इन व्यक्तियों के हांगकांग और मकाऊ सहित पूरे चीन में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कनाडा के मानवाधिकार समूहों ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है। लगभग एक करोड़ उइगर मुसलमानों को कथित रूप से नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाया जाता है। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये शिविर पुनर्वास और शिक्षा के लिए हैं। चीन ने 1950 में तिब्बत पर नियंत्रण किया था और इसे "शांतिपूर्ण मुक्ति" कहा था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और निर्वासित तिब्बती समुदायों ने इसे दमनकारी शासन करार दिया है और समय-समय पर इसकी निंदा की है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों आंतरिक और बाहरी संकटों का सामना कर रहे हैं। उनके कार्यकाल में कनाडा के अमेरिका, भारत और चीन जैसे प्रमुख देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं। ये तीनों देश वैश्विक स्तर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा, कनाडा में उनकी लोकप्रियता तेजी से घट रही है। उनके पूर्व सहयोगी और एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की है, जिससे ट्रूडो की सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
पहले देश छूटा अब पत्नी ने भी छोड़ा साथ, बशर अल असद से मांगा तलाक
#bashar_al_assad_wife_files_for_divorce_and_leaving_russia सीरिया में तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद का परिवार रूस में है। वह खुद भी रूस भाग चुके हैं। लेकिन इस बीच उनके लिए बुरी खबर आई है।सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की। खबरों के मुताबिक असमा ने रूस की कोर्ट में असद से तलाक और रूस छोड़ने की अर्जी दायर की है। बशर अल-असद की पत्नी रूस में नहीं रहना चाहती हैं और वापस लंदन जाना चाहती हैं।

खबरों के मुताबिक अस्मा ने रूसी कोर्ट से तलाक और मॉस्को छोड़ने की परमिशन मांगी है। अस्मा की अर्जी को रूसी अधिकारी देख रहे हैं। अस्मा के पास सीरिया और ब्रिटेन दोनों देशों की नागरिकता है। अस्मा लंदन में ही अपनी पढ़ाई के दौरान असद से मिली थी और सन 2000 में दोनों ने शादी कर ली थी। तुर्की और अरब मीडिया की कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अस्मा रूस की राजधानी में खुश नहीं और ब्रिटेन जाना चाहती हैं।

बशर अल-असद 24 साल तक राष्ट्रपति रहे, उन्होंने 2000 में पदभार संभाला और अपने पिता हाफिज अल-असद की जगह ली, जिन्होंने 1971 से 2000 तक शासन किया। मगर इस महीने की शुरुआत में, सीरिया में तख्तापलट के बाद असद ने रूस से शरण मांगी और पुतिन ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया था। हालांकि, ऐसी रिपोर्ट हैं कि असद को रूस में भारी प्रतिबंधों के तहत रखा गया है, जबकि रूसी अधिकारियों ने उनके शरण अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

सऊदी और तुर्की की रिपोर्टों के अनुसार, बशर अल-असद के भाई माहेर अल-असद को रूस में शरण नहीं दी गई है और वह व उनका परिवार घर में नजरबंद हैं। माहेर के शरण अनुरोध की अभी भी समीक्षा की जा रही है। असद के परिवार ने करीब पांच दशक तक सीरिया में शासन किया था। अधिकारियों ने कथित तौर पर असद को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने और मास्को छोड़ने की इजाजत नहीं दी है। रूसी अधिकारियों ने उनकी संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। उनकी संपत्ति में 270 किग्रा सोना, 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।
बांग्लादेश के लोगों को जबरन गायब करने में भारत शामिल”, यूनुस सरकार का गंभीर आरोप
#bangladesh_panel_alleges_india_involvement_in_enforced_disappearances
* भारत और बांग्लादेश के संबंध फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, तनाव को कम करने के बजाय बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार का एक और भारत विरोधी चेहरा सामने आया है।बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने देश से लोगों के गायब होने के पीछे भारत की भूमिका होने की शक जाहिर किया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 'जबरन गुमशुदगी' के मामलों में भारत की संलिप्तता थी। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने शनिवार को आयोग की रिपोर्ट का हवाले देते हुए कहा, “बांग्लादेश के जबरन गायब किए जाने के मामलों में भारत की संलिप्तता सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है।” जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 3,500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी के मामलों का अनुमान लगाया है। आयोग का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इस बात की चर्चा है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत की जेलों में बंद हो सकते हैं। आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। पांच सदस्यीय आयोग ने मुहम्मद यूनुस को 'अनफोल्डिंग द ट्रुथ' शीर्षक की ये रिपोर्ट सौंपी। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग का कहना है कि सरकारी एजेंसियों में यह धारणा बनी हुई है कि कुछ कैदी अब भी भारतीय जेलों में बंद हो सकते हैं। हम विदेश और गृह मंत्रालय को सलाह देते हैं कि वे भारत में कैद किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की पहचान के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। बांग्लादेश के बाहर इस मामले की जांच करना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आयोग ने बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के रक्षा सलाहकार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दीकी के साथ दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कई अन्य अधिकारियों की जबरन गुमशुदगी में संलिप्तता का जिक्र किया है। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि जबरन गुमशुदगी की 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 27 फीसदी पीड़ित कभी नहीं लौटे और जो लौटे उन्हें भी गलत तरीके से गिरफ्तार के रूप में दर्ज किया गया। आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट देने की योजना बना रहा है। आयोग ने कहा है कि सभी आरोपों की समीक्षा पूरी करने में एक साल लगेगा।
परभणी पहुंच रहे राहुल गांधी, हिंसा में मरने वालों के परिवार से करेंगे मुलाकात, बीजेपी बोली “ड्रामा
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”* इस बार का संसद का शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहा। सत्र के आखिरी दिनों में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी खूब सुर्खियों में रहे। अंबेकडर को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने संसद में खूब हंगामा किया। दोनों अंबेडकर को लेकर पूरे सत्र में एक-दूसरे को घेरते रहे। संसद परिसर में बीजेपी सांसदों के साथ कथित तौर पर धक्का-मुक्की करने को लेकर राहुल के खिलाफ बीजेपी ने एफआईआर भी कराया है। वहीं अब शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद परभणि नया अखाड़ा बनता दिख रहा है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज यानी सोमवार को परभणि पहुंच रहे हैं। राहुल यहां इस महीने की शुरुआत में वहां हुई हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिवारों से मिलेंगे। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार की ओर से शेयर किए गए कार्यक्रम के अनुसार, राहुल गांधी आंबेडकरवादी सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवारों से मिलेंगे, जिनकी कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मृत्यु हो गई थी और विजय वाकोडे की विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान मृत्यु हो गई थी। वहीं राहुल गांधी के इस दौरे को भाजपा ने ‘नाटक’ करार दिया है। प्रदेश बीजेपी प्रमुख और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने राहुल गांधी के दौरे को 'नौटंकी' करार दिया। राज्य भाजपा प्रमुख और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा ‘राहुल गांधी अपने पूरे जीवन में नाटक करते रहे हैं। उन्हें संविधान के लिए कोई सम्मान नहीं है। कांग्रेस का बालासाहेब के संविधान के खिलाफ कई बार जाने का रिकॉर्ड है। यह उनकी आंखों में धूल झोंकने की राजनीति है। जब भी बालासाहेब ने चुनाव के जरिए संसद के लिए लड़ने की कोशिश की, तो कांग्रेस ने ही सुनिश्चित किया कि वे ऐसा न कर सकें। उन्होंने कहा, 'ऐसी नौटंकी करने के बजाय इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि रचनात्मक तरीकों से समाज को कैसे लाभ पहुंचाया जा सकता है।' मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर के रेलवे स्टेशन के बाहर बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रतिकृति को 10 दिसंबर की शाम को क्षतिग्रस्त किये जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। सोपन दत्ताराव पवार नाम के व्यक्ति ने 10 दिंसबर को परभणी रेलवे स्टेशन के सामने अंबेडकर स्मारक में संविधान की रेप्लिका पर लगा कांच तोड़कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद लोगो ने पवार को पकड़कर उसके साथ मारपीट की थी। बाद में पुलिस ने युवक ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस के मुताबिक आरोपी मानसिक रोगी है। इस घटना के दूसरे दिन यानी 11 दिसंबर को परभणी बंद का आह्वान किया गया था। इस दौरान लोगों ने आरोपी को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की थी। इस बंदी के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी की थी। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठीचार्ज किया था। हिंसा मामले में उसी रात पुलिस ने 50 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल था। दो दिन पुलिस कस्टडी में रखने के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया था। इस दौरान पुलिस ने बताया कि सीने में दर्द की शिकायत पर सोमनाथ को अस्पताल भर्ती कराया गया था, जहां 15 दिसंबर को यहां उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने सोमनाथ के परिवार को 10 लाख रुपए मदद की घोषणा की थी। सोमनाथ की मौत को लेकर परभणी में विरोध प्रदर्शन हुआ था। दूसरे दिन इसमें शामिल आंदोलन के नेता विजय वाकोड़े की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
यूपी-पंजाब पुलिस से मुठभेड़ में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के तीन आतंकी ढेर,पुलिस चौकी पर किया था ग्रेनेड हमला*
#encounter_in_pilibhit_up_and_punjab_police_killed_three_khalistani_terrorists पंजाब के गुरुदासपुर जिले में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यूपी और पंजाब पुलिस ने मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। तीनों आतंकी खालिस्तानी कमांडो फोर्स के थे। मौके से दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद की गई हैं। तीनों ने गुरदासपुर चौकी पर ग्रेनेड फेंका था। तीनोम आतंकियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीलीभीत जिले में मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में घायल होने के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई इनके पास से 2 एके 47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। मुठभेड़ की घटना पूरनपुर थानाक्षेत्र में नहर के पास हुई। पूरनपुर क्षेत्र में पंजाब और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की है। पूरनपुर क्षेत्र में हरदोई ब्रांच नहर के करीब सोमवार सुबह करीब पांच बजे मुठभेड़ हुई। मारे गए आतंकवादियों के नाम प्रताप सिंह (23) पुत्र स्वरूप सिंह, शाहनूर खुर्द कलानूर जिला गुरदास पुर, वीरेंद्र सिंह (23) पुत्र रंजीत सिंह, ऐशबान थाना कलानूर, गुरविंदर सिंह (20) पुत्र गुरदेव सिंह बुढिया कलानूर गुरदासपुर पंजाब हैं। दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। बताया जा रहा है कि ये तीनों पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के मामले में वांछित थे। पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकियों में धमाके हुए थे। पहले बंद पड़ी पुलिस चौकी बख्शीवाल पर गुरुवार को हमला हुआ। उसके एक दिन बाद शुक्रवार रात्रि एक और बंद पुलिस चौकी पर धमाका हुआ। ये दोनों पुलिस चौकियां कर्मचारियों की कमी के कारण पिछले दिनों बंद कर दी गई थीं। धमाके से आसपास के घरों के लोग सहम गए थे। पुलिस ने बताया था कि वडाला बांगर की चौकी में रात को धमाके से लोग दहल गए थे। लोग डर के घरों से बाहर निकले तो पता चला कि पुलिस थाने से आवाज आई है। इसके बाद यहां रात भर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजते रहे।
ट्रंप की टीम में एक और भारतवंशी, श्रीराम कृष्णन को बनाया AI नीति सलाहकार, मस्‍क भी दे चुके हैं बड़ी जिम्‍मेदारी
#indian_american_sriram_krishnan_chosen_as_trump_senior_ai_policy_advisor

* अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टीम में भारतीयों पर भरोसा जतया है।एक और भारतीय-अमेरिकी को ट्रंप ने अहम जिम्‍मेदारी सौंपी है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी पूंजीपति श्रीराम कृष्णन को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर सीनियर पॉलिसी एडवाइजर बनाने का फैसला किया है। कृष्णन इससे पहले ‘माइक्रोसॉफ्ट', ‘ट्विटर', ‘याहू', ‘फेसबुक' और ‘स्नैप' में ‘प्रोडक्ट टीमों' का लीड कर चुके हैं और वह डेविड ओ. साक्स के साथ काम करेंगे। ट्रंप ने डेविड को ‘व्हाइट हाउस एआई एंड क्रिप्टो ज़ार' नियुक्‍त करने की घोषणा की है। ट्रंप ने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा, ''श्रीराम कृष्णन एआई पर 'व्हाइट हाउस ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी' में वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में काम करेंगे।'' कृष्णन इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, याहू, फेसबुक और स्नैप में प्रोडक्ट टीमों का नेतृत्व कर चुके हैं और वह डेविड ओ. साक्स के साथ काम करेंगे। ट्रंप ने डेविड को व्हाइट हाउस एआई एंड क्रिप्टो जार नामित किया है। ट्रंप ने कहा, ''डेविड के साथ श्रीराम एआई के क्षेत्र में अमेरिका का वर्चस्व सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही वह विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रपति की सलाहकार परिषद के साथ काम करते हुए एआई नीति को आकार देने तथा समन्वय करने में मदद करेंगे। नियुक्ति के एलान के बाद कृष्णन ने कहा कि मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। अपने देश की सेवा करने के लिए मैं कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। मैं डेविड सैक्स के साथ मिलकर काम करते हुए एआई में निरंतर अमेरिकी नेतृत्व सुनिश्चित करने में सक्षम होने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। बता दें कि भारत में निम्‍न मध्‍यम परिवार जन्‍मे श्रीराम चेन्नई में पले-बढ़े। श्रीराम के पिता इंश्योरेंस सेक्टर में काम करते थे और उनकी मां हाउसवाइफ थीं। श्रीराम के मुताबिक, दोनों रात-दिन मजदूरों की तरह काम में जुटे रहते थे। श्रीराम ने अन्ना यूनिवर्सिटी के SRM इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया है। 2007 में उन्‍होंने माइक्रोसॉफ्ट जॉइन किया। श्रीराम कृष्‍णन कई दिग्‍गजों जैसे सत्‍या नडेला, मार्क जुकरबर्ग के साथ काम कर चुके हैं। इससे पहले श्रीराम कृष्‍णन तब भी बहुत चर्चा में आए थे जब एलन मस्‍क ने उन्‍हें ट्टिवर खरीदने की जिम्‍मेदारी दी थी
अंतरिक्ष अन्वेषण में नई साझेदारी: इसरो को यूरोप में मिला एक मजबूत सहयोगी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने मानव अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक नया सहयोग स्थापित किया है। दोनों एजेंसियों ने अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, मिशन कार्यान्वयन और अंतरिक्ष में विभिन्न प्रकार के अनुसंधान प्रयोगों पर सहयोग करने के लिए शनिवार को एक व्यापक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और ईएसए के महानिदेशक जोसेफ एशबैकर द्वारा हस्ताक्षरित यह समझौता मानव अंतरिक्ष उड़ान पर केंद्रित कई संयुक्त गतिविधियों की नींव रखता है। विशेष रूप से, यह समझौता अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, अंतरिक्ष प्रयोगों के विकास और एकीकरण, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर ईएसए सुविधाओं का उपयोग, मानव और जैव चिकित्सा अनुसंधान, साथ ही संयुक्त शैक्षिक और आउटरीच कार्यक्रमों जैसे क्षेत्रों को कवर करेगा। नए समझौते के तहत पहली प्रमुख परियोजनाओं में से एक एक्सिओम-4 मिशन होगा, जिसे इसरो के गगनयात्री अंतरिक्ष यात्री और ईएसए अंतरिक्ष यात्री दोनों के साथ लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के हिस्से के रूप में, दोनों एजेंसियाँ ISS पर भारतीय प्रधान अन्वेषकों द्वारा प्रस्तावित प्रयोगों की एक श्रृंखला को लागू करने के लिए मिलकर काम करेंगी। इसके अतिरिक्त, ISRO और ESA, ESA के मानव शारीरिक अध्ययनों, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों और सार्वजनिक आउटरीच गतिविधियों में आगे के सहयोग की संभावनाएँ तलाशेंगे।

मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए ISRO का रोडमैप

हस्ताक्षर के बाद की टिप्पणियों में, सोमनाथ ने मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए ISRO के रोडमैप पर प्रकाश डाला, जिसमें अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए एजेंसी के दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया। उन्होंने भारत के आगामी स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की हाल ही में हुई स्वीकृति की ओर भी इशारा किया, जो विभिन्न मानव अंतरिक्ष उड़ान प्लेटफार्मों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।

एशबैकर ने दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच संबंधों को मजबूत करने में हुई प्रगति के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने ESA परिषद को संबोधित करने के लिए सोमनाथ को धन्यवाद दिया और अंतरिक्ष अन्वेषण में भविष्य के सहयोग के लिए एक ठोस रूपरेखा के रूप में समझौते की प्रशंसा की।

इसरो और ईएसए दोनों नेताओं ने एक्सिओम-4 मिशन पर अब तक की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों एजेंसियों के बीच साझेदारी से आने वाले वर्षों में वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उन्नति और वैश्विक सहयोग के लिए नए दरवाजे खुलने की उम्मीद है।

जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर भिड़े हरदीप पुरी और शशि थरूर, सोरोस को लेकर 2009 के पोस्ट पर छिड़ी “जंग”

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अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस एक बार फिर भारतीय राजनीति में एक अहम मुद्दा बनते दिख रहे हैं। जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस से उससे संबंधों पर भारतीय जनता पार्टी अक्सर घेरती है। इस बार कांग्रेस ने सोरोस के बहाने बीजेपी पर ही निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के बीच जॉर्ज सोरोस को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जुबान जंग छिड़ी हुई है।

सांसद शशि थरूर ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर आरोप लगाया कि उनकी जॉर्ज सोरोस से न्यूयॉर्क में मुलाकात हुई थी। थरूर का आरोप है कि हरदीप पुरी को सोरोस ने डिनर के लिए न्योता भी दिया था। अपने उपर लगे आरोपों पर अब मोदी सरकार के मंत्री ने जवाब दिया है। पुरी ने थरूर को जवाब देते हुए कहा कि थरूर ने ही सोरोस को डिनर पर बुलाया था। अब सोरोस के मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच एक्स वॉर शुरू हो गया है।

दरअसल, 8 दिसंबर को भाजपा ने गांधी परिवार पर अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से फंड लेने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा था कि भारत विरोधी सोरोस और कांग्रेस मिलकर भारत की इकोनॉमी तबाह करना चाहते हैं।

इसके बाद एक्स पर सांसद शशि थरूर का 2009 का पोस्ट वायरल हुआ। कर्नाटक के एक बीजेपी कार्यकर्ता ने थरूर की 2009 की एक पुरानी पोस्ट दिखाई। जिसमें उन्होंने लिखा था- पूराने मित्र सोरोस से मुलाकात हुई। वे एक निवेशक ही नहीं, बल्कि दुनिया की चिंता करने वाले नागरिक भी हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

बीजेपी के कार्यकर्ता ने उस पोस्ट पर रिपोस्ट करते हुए सवाल किया कि इस एक्स पोस्ट के बारे में आपका क्या ख्याल है थरूर?

थरूर ने अपनी इसी पोस्ट का जवाब देते हुए 15 दिसंबर को कहा- ये मुलाकात हरदीप पुरी (केंद्रीय मंत्री) के घर हुई थी। वे सिर्फ सोशल सेंस में मेरे दोस्त थे। मैंने उनसे एक रुपए भी नहीं लिया। इस पोस्ट के बाद मैं एक बार और उनसे मिला था। यह मुलाकात हरदीप पुरी के घर डिनर पार्टी में हुई थी। थरूर ने आगे कहा कि मेरे पुराने रिश्ते के कभी कोई राजनीतिक अर्थ नहीं थे। मुझे उम्मीद है कि यह उन लोगों के लिए इस मामले को और स्पष्ट करेगा जो मेरे 15 साल पुरानी पोस्ट को लेकर बेतुका आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुझे पता है कि ट्रोल फैक्ट्री कैसे काम करती है और मुझे विश्वास है कि ये लोग नहीं समझेंगे

पुरी का पलटवार

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भी थरूर को जवाब दिया है। हरदीप सिंह पुरी उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत थे, ने एक्स पर उस समय के विदेश राज्य मंत्री थरूर पर पलटवार करते हुए कहा कि थरूर ने ही डिनर के लिए आमंत्रित लोगों की लिस्ट बनाई थी, जिसमें सोरोस भी शामिल थे। पुरी ने शशि थरूर की बातों का जवाब देते हुए कहा कि मेरे मित्र डॉ.शशि थरूर,जो डीयू के सेंट स्टीफंस कॉलेज में छात्र थे। तब मैं शिक्षक संकाय का सदस्य था। मेरे संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त होने के कुछ ही समय बाद न्यूयॉर्क में विदेश राज्य मंत्री के रूप में पहुंचे थे। मैंने 11 अक्टूबर 2009 को एक ब्रीफिंग नाश्ते पर और फिर 12 अक्टूबर 2009 की शाम को रात के खाने पर उनकी और उनके साथी की मेजबानी की थी।

हरदीप सिंह पुरी ने लिखा,पीछे देखने पर यह साफ है कि नाम इसलिए शामिल किया गया क्योंकि संबंधित सज्जन राजीव गांधी फाउंडेशन के लाभार्थियों में से थे और राज्य मंत्री उनसे मिलने के इच्छुक थे। उन्होंने यह भी कहा कि थरूर ने पहले मई 2009 में सोरोस से मुलाकात की थी और बातचीत के बारे में ट्वीट किया था। पुरी ने थरूर पर कटाक्ष करते हुए कहा, छल करने की कलाओं में भाषा को अक्सर गौरवपूर्ण स्थान दिया जाता है। कांग्रेस पार्टी में मेरे कुछ मित्र अस्पष्टता में माहिर हैं, लेकिन वे अपने जोखिम पर ट्वीट करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, चूंकि मैं उस समय शहर में कुछ ही महीने का था लेकिन डॉ थरूर ने न्यूयॉर्क में काफी समय बिताया था, इसलिए मैंने डिनर के लिए आमंत्रित लोगों की लिस्ट नहीं बनाई थी। यह लिस्ट मुझे मंत्री थरूर ने दी थी।

जॉर्ज सोरोस पीएम मोदी को लोकतंत्र विरोधी बता चुके

बता दें कि जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति है। जॉर्ज पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप है। सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की। 2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी।

अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनके तेजी से बड़ा नेता बनने की अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है।

महिलाओं और बुजुर्गों के बाद केजरीवाल का बच्चों को तोहफा, दलित छात्रों के लिए स्कॉलरशिप का ऐलान

#arvindkejriwalannouncesambedkarscholarshipforchildren

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी जनता को अपने पाले में करने के लिए हर दांव आजमा रही है। पहले महिलाएं फिर बुजुर्ग और अब बच्चों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना पिटारा खोला है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दलित समाज के लिए बड़ी घोषणा की है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दलित छात्रों के लिए डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप योजना का एलान किया है।

अंबेडकर विवाद के जवाब में केजरीवाल का दांव

अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में दलित छात्रों के लिए डॉ आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान किया है। इस दौरान केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 3 दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर का मजाक उड़ाया। केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहेब जब जिंदा थे तब भी पूरे जीवन में उनका मजाक उड़ाया करते थे। संसद बाबा साहेब की वजह से है और उस संसद से मजाक उड़ाया जाएगा किसी सोचा नहीं होगा। उसकी हम निंदा करते हैं लेकिन उसके जवाब में मैं बाबा साहेब के सम्मान में एक बड़ी घोषणा कर रहा हूं। आज मैं चाहत हूं कि कोई भी दलित समाज का बच्चा पैसे की कमी की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित ना रह जाए।

विदेशी यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई का खर्ज उठाएगी आप सरकार

केजरीवाल ने कहा कि आज मैं डॉक्टर आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान करता हूं, जिसके तहत दलित समाज का कोई भी बच्चा दुनिया की किसी भी टॉप की यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहेगा तो वो बच्चा उस यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले। बस उसका सारा पढ़ाई लिखाई का खर्चा दिल्ली सरकार वहन करेगी।