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माफिया अतीक अहमद के बेटे उमर अहमद को मिली जमानत, जेल से रिहाई नहीं

दिवंगत माफिया अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर अहमद जमानत मिल गई, हालांकि फिलहाल वह जेल से रिहा नहीं हो रहे हैं, क्योंकि उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं और उन मामलों में वह जेल में ही रहेंगे. गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उमर अहमद को लखनऊ की सीबीआई की प्रथम कोर्ट ने जमानत दे दी. उमर अहमद को दो मामलों में जमानत मिली है. ये मामले मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ देवरिया कांड से संबंधित हैं.

आरोप है कि उमर अहमद ने लखनऊ के व्यापारी मोहित जायसवाल से मारपीट की थी. यह मारपीट पैसों के लेन-देन को लेकर देवरिया में हुई थी. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था.

लखनऊ सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने ईडी के द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट मामले में उसे जमानत दे दी. मोहम्मद उमर फिलहाल लखनऊ जेल है और जमानत के बाद भी वह वहीं रहेगा, क्योंकि उसके खिलाफ और कई मामले दर्ज हैं.

फिलहाल लखनऊ जेल में ही रहेंगे उमर

लखनऊ के रियल एस्टेट कारोबारी मोहित के अपहरण और हमले के सिलसिले में सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने के बाद उमर फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है.

उमर अहमद उमेश पाल की हत्या का मामला भी दर्ज है. पुलिस ने इससे पहले कहा था कि उमर ने उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल होने की बात कबूल की थी. उमर ने पुलिस को बताया था कि उसके छोटे भाई असद ने अन्य हमलावरों के साथ बरेली जेल से लौटने के बाद उससे मुलाकात की थी

उमर के खिलाफ चल रहे हैं कई मामले

उसने अपने चाचा अशरफ से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने उमेश पाल की हत्या की योजना को अंतिम रूप दिया था. असद ने उमर को योजना और हमलावरों के बारे में बताया जो अपने पिता अतीक और चाचा अशरफ के निर्देश पर उमेश पाल की हत्या करने वाले थे.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहले जुटाए गए साक्ष्य, गिरफ्तार आरोपियों के बयान, उमर और अली से पूछताछ से पता चलता है कि वे उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल थे.

गौरतलब है कि पुलिस ने इस मामले में पहली चार्जशीट मई 2023 में आरोपी सदाकत खान के खिलाफ दाखिल की थी. इसके बाद अतीक के वकील खान सौलत हनीफ, अतीक के साले डॉ. एखलाक समेत आठ आरोपियों के खिलाफ दो पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थीं.

उत्तर प्रदेश के शामली में अनोखा मामला: कुत्ते लल्लू का अंतिम संस्कार और तेरहवीं का आयोजन, जानें क्यों हुआ ऐसा

उत्तर प्रदेश के शामली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. शामली जिले में एक कुत्ते की मौत के बाद गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार किया. वहीं अंतिम संस्कार के बाद तेरहवीं का भोज भी कराया गया. जिस कुत्ते का अंतिम संस्कार किया गया उसका नाम लल्लू बताया जा रहा है. लोगों का कहना है कि लल्लू पूरे मोहल्ले में सबका दुलारा था. वो किसी भी अंजान व्यक्ति को मोहल्ले में आने नहीं देता था. बुलाने पर वो सबके पास जाकर बैठ जाता था.

लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि लल्लू ने कभी किसी को नहीं काटा. वो 12 साल से लगातार यहीं लोगों के बीच रह रहा था. 12 साल में उसने एक भी बार किसी को नहीं काटा और न ही किसी को उसने कोई नुकसान पहुंचाया. लल्लू पूरे मोहल्ले का दुलारा था, यही वजह है कि लोगों ने लल्लू का विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया.

उदास होने पर लोग करते थे मदद

लोगों ने बताया कि लल्लू की मौत बीमारी के कारण हुई है. जब भी कभी वो उदास होता था तो लोग उसकी मदद करते थे. लल्लू अपने मोहल्ले के लिए वफादार था, किसी भी अनजान व्यक्ति को वो मोहल्ले में आने नहीं देता था. लोगों ने लल्लू की मौत के बाद उसका पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया. लल्लू की शव यात्रा निकाली गई, शव यात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए.

आत्मा की शांति के लिए की प्रार्थना

लल्लू 12 साल से एक ही मोहल्ले में रह रहा था. लोगों ने मोहल्ले में स्थित गुरुधाम आश्रम में लल्लू की तेरहवीं का आयोजन किया. वहीं तेरहवीं के दौरान हवन का आयोजन किया गया. लल्लू की फोटो पर लोगों ने फूल माला चढ़ाकर शोक संवेदना व्यक्ति की. वहीं गुरुधाम आश्रम में तेरहवीं के भोज का भी आयोजन किया गया. लोगों ने उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.

कल्पवास: गंगा किनारे एक महीने तक कुटिया में रहने की आध्यात्मिक प्रथा, जानें इसका महत्व और उद्देश्य

बिहार में एक स्थान ऐसा है जहां पवित्र गंगा नदी की धारा से घाट गुलजार रहता है. कार्तिक महीने में यहां का नजारा अद्भुत और आध्यात्मिक रहता है. साधु-संत और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां कुटिया बनाकर पूरे महीने भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं. यह पवित्र घाट चार जिलों का संगम कहलाता है. यहां भगवान शिव का चमत्कार है. प्रख्यात कवि विद्यापति को दर्शन देने के लिए गंगा की धारा यहां खुद चली आई थी.

यूं तो कार्तिक मास सनातन धर्म के हिसाब से सबसे पवित्र मास माना जाता है और कार्तिक मास में देश के विभिन्न हिस्सों में गंगा किनारे लोग एक माह तक कल्पवास में रहते हैं. लेकिन बेगूसराय जिले के सुदूर इलाके में अवस्थित चमथा गंगा घाट का अपना ही एक खास महत्व है. श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र भी बना रहता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत यहां पर गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहते हैं.

चमथा गंगा घाट पर जुट रहे साधु-संत

बेगूसराय जिला का चमथा गंगा घाट पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं साधु संत पहुंचे हैं. यहां सभी पूरे एक माह तक गंगा की पूजा अर्चना के साथ-साथ विभिन्न तरीकों से श्रद्धालु भक्ति भाव में लीन रहते हैं. इस दौरान कुटिया बनाकर श्रद्धालु भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. एक महीने तक यहां की छटा बिल्कुल ही निराली बनी रहती है. चमथा घाट पर आए श्रद्धालु ननकी बाबा कहते हैं कि वह पिछले 45 वर्षों से इस घाट पर कार्तिक मास में कल्पवास में आते हैं. उनसे पहले उनके गुरु भी यहीं पर कल्पवास करते थे.

चमथा गंगा घाट का इतिहास

ननकी बाबा ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ उगना के रूप में कविवर विद्यापति के यहां उनके चाकर बनकर रहते थे. कविवर विद्यापति ने एक बार उगना के समक्ष गंगा स्नान की इच्छा जाहिर की थी. वह चलकर यहां आए थे. जब वह गंगा नदी से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर थे तब उन्होंने उगाना से कहा था कि अब वह थक गए हैं. उन्होंने कहा था कि जब गंगा स्नान के लिए वह इतनी दूर चलकर आए हैं तो क्या गंगा थोड़ी दूर नहीं आ सकती? कहा जाता है उसी वक्त गंगा की मुख्य धारा से एक धारा चमथा की ओर प्रवाहित हुई और कविवर विद्यापति ने वहां स्नान किया था.

राजा जनक भी किया करते थे स्नान

गंगा की वह धारा आज भी वहां पर अवस्थित है. वही मान्यताओं के अनुसार विदेह राज राजा जनक भी यहां गंगा स्नान किया करते थे. हालांकि, लोगों की आस्था का केंद्र होने के बावजूद भी उपयुक्त सुख सुविधाओं का यहां घोर अभाव है. साधु संतों की माने तो प्रशासन के द्वारा इस गंगा घाट के महत्व की अनदेखी की जा रही है जिससे यह पूरी तरह प्रचलित नहीं हो सकी है. तेघरा के एसडीएम राकेश कुमार एवं डीएसपी डॉक्टर रविंद्र मोहन ने श्रद्धालुओं को आस्वस्त किया है कि यहां सुरक्षा एवं सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा . दीपावली के बाद यहां भारी भीड़ जुटने की संभावना है. इसके मद्देनजर प्रशासन के द्वारा भी पूरी तैयारी की जा रही है.

नालंदा जिले में स्मार्ट मीटर को लेकर ग्रामीणों ने किया विरोध, बिजली विभाग ने काटी 90 घरों की बिजली

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा में प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है. विभाग ने करीब 90 घरों की बिजली काट दी है. इन लोगों ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध किया था. बता दें कि बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है. इसे लेकर जहां एक तरफ सियासी घमासान मचा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग लोगों को इस बात की जानकारी देते दिख रहा है कि स्मार्ट मीटर को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं, जो गलत है. बिजली विभाग का कहना है कि इस मीटर से अधिक बिल नहीं आ रहा है.

नालंदा जिले के बिंद प्रखंड के जहाना पंचायत के रामपुरबिगहा गांव में उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध करने पर बिजली विभाग ने लगभग 90 घरों की बिजली ही काट दी है, जिससे पूरा गांव अंधकार में डूब गया है. ग्रामीणों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. महिलाएं सुबह होते ही बर्तन लेकर हैंडपंप पर पानी भरने के लिए निकल जाती हैं. हैंडपंप पर महिलाएं लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करती हैं. गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

वहीं अब जनवितरण दुकानों में केरोसिन के तेल भी नहीं मिलता है, जिससे लोग रोशनी की कोई व्यवस्था कर सकें. ग्रामीण जला हुआ डीजल डिब्बे में जलाकर रहने को मजबूर हैं. बिजली विभाग ने इन उपभोक्ताओं को साफ शब्दों में समझा दिया कि आपको हर हाल में स्मार्ट मीटर लगवाना ही होगा और अगर नहीं लगवाते हैं तो बिजली कनेक्शन भी काटा जाएगा.

स्मार्ट मीटर के सामूहिक विरोध पर गरमा गया मुद्दा

रामपुर बिगहा गांव की आबादी लगभग एक हजार है. जब यहां स्मार्ट मीटर लगाने बिजली विभाग के कर्मी पहुंचे तो सामूहिक रूप से इसका विरोध ग्रामीणों ने कर दिया. स्मार्ट मीटर लगाने को वो राजी नहीं हुए, जिसके बाद बिजली विभाग ने भी एक्शन लिया और लगभग 90 घरों के बिजली कनेक्शन को ही काट दिया. ग्रामीण पिंटू यादव, राहुल कुमार, प्रवीण चौहान, नरेश यादव, चंदन कुमार, गायत्री देवी, गुड़िया देवी, गौरी देवी, तारा देवी, पंचाल देवी, रूबी देवी ने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी मनमानी करते हैं, जो बर्दाश्त नहीं करेंगे.

हम लोग समय पर बिजली बिल दे रहे हैं. उसके बाद बिना कोई सूचना के कनेक्शन काट दिया गया, जो मनमानी है. अगर जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई तो हम लोग जिलाधिकारी को आवेदन देंगे. साथ ही बिजली कार्यालय के बाहर बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

क्या कहते हैं जेई?

विद्युत कनीय अभियंता कुमारी स्वेता सिन्हा ने बताया कि किसी भी ग्रामीण के द्वारा विद्युत कनेक्शन काटे जाने की सूचना नहीं दी गई है. सहायक अभियंता नितेश कुमार ने बताया कि हमारे संज्ञान में नहीं है. हालांकि मीडिया में बात आने के बाद बुधवार देर शाम बिजली बहाल की गई.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अजित पवार के 'घड़ी' सिंबल पर रोक नहीं,डिस्क्लेमर के साथ इस्तेमाल की अनुमति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. अजित पवार को घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया. एनसीपी (शरद पवार) ने दो अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव चिह्न घड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.

सर्वोच्च अदालत ने हालांकि कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन कर रहे हैं. अपने लिए शर्मनाक स्थिति पैदा न करें, यदि हम पाते हैं कि जानबूझकर हमारे आदेश का उल्लंघन करने का प्रयास किया गया है, तो हम स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना ​​शुरू कर सकते हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. उसमें घड़ी चिन्ह के साथ कोर्ट के आदेश के मुताबिक डिस्क्लेमर लगाने का अनुपालन करने की बात स्पष्ट करने के लिए कहा गया है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम अजित पवार जवाब का मौका देंगे. वह यह हलफनामा दें कि भविष्य में हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं होगा. यह भी लिखें कि अतीत में भी उन्होंने ऐसा नहीं किया है.

अजित पवार को हलफनामा देने का निर्देश

जस्टिस कांत ने कहा कि अजित पवार हलफनामा दें कि वह 19 मार्च और 4 अप्रैल को आए हमारे आदेश का पालन कर रहे हैं. इस मामले में अगल सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली ठहरा कर पार्टी का चिह्न (घड़ी) इस्तेमाल करने का अधिकार दिया था. कोर्ट में बहस के दौरान शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को हमारे लिए भी एक चिन्ह तुरही आवंटित करने का आदेश दिया था.

डिस्क्लेमर के साथ घड़ी चिह्न का करना होगा इस्तेमाल

अजित पवार से कहा गया था कि घड़ी चिह्न के साथ यह लिखें (डिस्क्लेमर) कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. सिंघवी ने दावा किया कि अजित गुट ने इस आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया. लोग घड़ी चिह्न को शरद पवार से पहचानते हैं, जिसका इस्तेमाल बिना डिस्क्लेमर के किया जा रहा है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजित पवार कोर्ट के आदेश के मुताबिक डिस्क्लेमर नहीं लगाया. हमने कोर्ट को तस्वीरें सौंपी हैं, अब इन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए.

इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने कहा कि इन्हें कुछ तो जिम्मेदारी दिखानी चाहिए. कोर्ट में गलत तस्वीरें पेश की जा रही हैं. एक-दो मामले में टेंट हाउस वाले की गलती हो सकती है. इस आधार पर हम पर आरोप नहीं लगा सकते. यह तस्वीरें सीधे कोर्ट में रखी गई हैं. हम अचानक इसका जवाब कैसे दे सकते हैं. हमें इस अर्जी की कॉपी पहले मिलनी चाहिए थी.

वकील बलबीर सिंह ने कहा कि शरद पवार गुट लोकसभा चुनाव के समय भी यही बातें कही थीं. कोर्ट ने घड़ी चिन्ह हमारे पास ही रहने दिया था। अब इन्हें नहीं सुना जाना चाहिए.

बारामूला में मलखाना कोर्ट परिसर में ग्रेनेड ब्लास्ट,एक पुलिसकर्मी घायल

जम्मू कश्मीर के बारामूला में ग्रेनेड ब्लास्ट हुआ है. धमाका मलखाना कोर्ट परिसर में हुआ है. घटना में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया है. पुलिस के मुताबिक, ग्रेनेड गलती से फटा. हालात काबू में है. लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है.

त्राल में आतंकियों ने मजदूर को मारी गोली

इस घटना से कुछ देर पहले त्राल में आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के एक मजदूर को गोली मार दी, जिसमें वह घायल हो गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि बिजनौर के रहने वाले शुभम कुमार को बटागुंड गांव में आतंकवादियों ने गोली मार दी. कुमार को गोली हाथ में लगी थी.

उन्होंने बताया कि कुमार को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. पिछले एक हफ्ते में कश्मीर में प्रवासी मजदूरों पर हमले का यह तीसरा मामला है.

रविवार को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर हुए आतंकी हमले में छह प्रवासी मजदूरों और एक स्थानीय चिकित्सक की मौत हो गई थी, जबकि 18 अक्टूबर को शोपियां जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

मृतक डॉक्टर के घर पहुंचे थे सीएम

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गांदरबल हमले में जान गंवाने वाले डॉ. शाहनवाज डार के घर पहुंचे और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार चिकित्सक के बेटे की सिविल सेवा की शिक्षा और प्रशिक्षण से संबंधित सभी खर्च वहन करेगी. उनका बेटा अधिकारी बनना चाहता है.

अब्दुल्ला ने डॉ. डार के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए बडगाम के नाईदगाम गांव का दौरा किया. उन्होंने कहा, डॉ. साहब के निधन से जो क्षति पहुंची है उसे पूरा नहीं किया जा सकता, लेकिन हम आपकी सहायता के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

वायनाड उपचुनाव: प्रियंका गांधी के रोड शो पर नव्या हरिदास ने साधा निशाना, लगाया ये आरोप

केरल की वायनाड सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे, जहां कांग्रेस से प्रियंका गांधी ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया, तो वहीं बीजेपी से उनको टक्कर देने के लिए नव्या हरिदास मैदान में उतरेंगी, जो गुरुवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगी. इसी बीच प्रियंका गांधी ने रोड शो किया, जिस पर नव्या हरिदास ने जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि रोड शो में झूठ बोलकर भीड़ इकट्ठा की गई.

प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने उतरी हैं, जहां उन्होंने अपना रोड शो किया. इस पर हरिदास ने कहा कि लोगों को शूटिंग के लिए और वायनाड के पर्यटन स्थलों की सैर कराने के बहाने वहां लाया गया था और इस तरह रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी थी. नव्या हरिदास गुरुवार को भाजपा उम्मीदवार की तौर वायनाड से ही अपना नामांकन दाखिल करेंगी. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी का आगमन और रोड शो एक मौसमी त्योहार की तरह था जो साल में सिर्फ एक बार आता है लेकिन लोग इसे देखेंगे.

बीजेपी के पास ऐसे क्राइटेरिया नहीं”

हरिदास ने निशाना साधते हुए आगे कहा कि कांग्रेस महासचिव सिर्फ अपने पॉलिटिकल बैकग्राउंड के आधार पर एक बड़ी उम्मीदवार बनीं . हालांकि, मेरे जैसी निगम पार्षद एक ऐसी व्यक्ति है, जिसके पास लोगों के साथ काम करने का सालों का अनुभव है और वह जमीनी स्तर पर काम करके आगे आई है. अगर परिवार ही किसी उम्मीदवार की महानता का क्राइटेरिया है, तो सिर्फ वह (प्रियंका) ही इसका दावा कर सकती हैं. बीजेपी के पास ऐसे क्राइटेरिया नहीं हैं और मैं ऐसे किसी महानता का दावा नहीं कर सकती.

दो बार पार्षद रह चुकी हैं नव्या हरिदास

नव्या हरिदास ने कहा कि जब वह अपना नामांकन दाखिल करेंगी तो पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन और पार्टी के बाकी वरिष्ठ नेता उनके साथ होंगे.उपचुनाव में उनका मुकाबला प्रियंका गांधी के अलावा LDF के सत्यन मोकेरी से है. नव्या हरिदास निगम में दो बार पार्षद रह चुकी हैं, साथ ही वह महिला मोर्चा की प्रदेश महासचिव भी हैं.

खेजड़ी के पेड़ की रक्षा में 363 बिश्नोई समुदाय के लोगों ने दी थी अपनी जान, जानें

आज के वक्त में हम में से ज्यादातर लोग अपने फायदे के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है, लेकिन आज से ठीक 294 साल पहले 363 लोगों ने एक पेड़ को बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी थी. 11 सितंबर 1730 ये वो तारीख है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होने के साथ साथ हर बिश्नोई समुदाय के शख्स और पर्यावरण की रक्षा करने वाले लोगों के जेहन की गहराई में भी समाई है.

11 सितंबर को राजस्थान के जोधपुर के खेझरली या खेजड़ली गांव में लॉरेंस बिश्नोई के पूर्वज यानी अमृता देवी और उनकी तीन बेटियों समेत 363 लोगों ने खेजड़ी के पेड़ के साथ कट कर अपनी जान गंवा दी. ऐसे में लॉरेंस बिश्नोई के पूर्वजों की वजह से ही भारत में हर साल भारत में 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

प्रकृति के लिए दे दी थी अपनी जान

बिश्नोई समुदाय के प्रकृति के प्रति अटूट प्रेम सार्वजनिक चर्चा में तब आया जब गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने दावा किया कि उसने अभिनेता सलमान खान से रिश्ते होने के कारण बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी. सलमान पर राजस्थान में 1998 में फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान दो काले हिरणों के शिकार का आरोप लगा था, जिसका बदला लॉरेंस बिश्नोई गिरोह अब तक ले रहा है. इस काले हिरण की हत्या के कारण सलमान खान बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि 300 साल पहले आखिर उस दिन क्या हुआ जब लॉरेंस बिश्नोई के पूर्वजों ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जान दे दी थी और क्यों लॉरेंस बिश्नोई के लिए आज भी उसकी विरासत जारी है?

क्या थी वजह ?

किंवदंती के अनुसार 1730 राजस्थान के जोधपुर में उन दिनों मारवाड़ राजा अभय सिंह का शासन हुआ करता था. अभय सिंह अपने लिए एक महल बानो की योजना बना रहा है. महल बनाने के लड़कियां चाहिए थीं. हालांकि राजस्थान के थार रेगिस्तान वाले एरिया में ज्यादातर भूमि बंजर है, जिस वजह से पेड़ कम हैं.

ऐसे में राजा ने रियासत के हाकिम गिरधारी दास भंडारी के नेतृत्व में अपने कर्मचारियों को खेजड़ी (प्रोसोपिस सिनेरिया) काट कर लाने के लिए कहा. खेजड़ली गांव में ढेरों खेजड़ी के पेड़ थे ये सदाबहार पेड़ होते हैं, जिन्हें रेगिस्तान की जीवन रेखा माना जाता है. खेजड़ली गांव बिश्नोई समुदाय का गांव था. खेजड़ी पेड़ की जड़ें पर्यावरण में नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है.

अमृता देवी बिश्नोई को जब यह बात पता चली तो वह अपनी तीन बेटियों के साथ पेड़ से लिपट गईं. बिश्नोई धर्म में हरे और उपजाऊ पेड़ों को काटना मना है. ऐसे में राजा के सैनिकों के खिलाफ अमृता देवी ने जमकर प्रदर्शन किया, क्योंकि सैनिकों की हरकत न केवल उनके गांव के पवित्र वृक्ष को नष्ट कर रही थी बल्कि उनके धर्म को भी ठेस पहुंचा रही थी. अमृता देवी के विरोध की बात जब खेजड़ली गांव वालों को पता चली तो वो भी वहां पहुंच गए.

साथ ही आस-पास के गांवों से भी बिश्नोई समाज के लोग झुंड बनाकर आए और एक-एक कर पेड़ों से लिपटने लगे. ऐसे में उस दिन बिश्नोई समाज के 83 गांव के 363 लोग पेड़ों को बचाने गए थे.

राजा का आदेश

हालांकि सैनिकों के पास राजा का आदेश था. ऐसे में वे बिश्नोई समुदाय के व्यवहार से प्रभावित नहीं हुए. उन्होंने ग्रामीणों के विरोध को नजरअंदाज करते हुए पेड़ों को काटने से पहले बिश्नोई ग्रामीणों का सिर भी काट दिया. कुल मिलाकर, बिश्नोई समुदाय के 363 सदस्य उस दिन खेजड़ली के जंगल में शहीद हो गए, जिसमें महिलाएं भी थीं, पुरुष भी थे, बच्चे भी थे.

ऐसे में राजा अभय सिंह को गांव में हुए इस नरसंहार की जानकारी मिली तो उन्हें बहुत दुख हुआ और वह पश्चाताप में डूब गए. राजा ने तुरंत गांव में जाकर सैनिकों को पेड़ काटने से रोका और वहां पेड़ों और जानवरों को नुकसान पहुंचाने पर रोक लगा दी. यह कानून आज भी इस क्षेत्र में लागू है.

इसके अलावा उन 363 बिश्नोई शहीदों की याद में, क्षेत्र में कई बबूल के पेड़ लगाए गए थे. कहा जाता है कि वे पेड़ अब भी वहीं हैं. उनका बलिदान भी गांव के एक स्मारक में संरक्षित है. साथ ही वहां उन 363 लोगों के नाम खुदे हुए हैं और स्मारक के शीर्ष पर अमृता देवी की एक मूर्ति है.

बिश्नोई पौधों और जानवरों की रक्षा क्यों करते हैं?

पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ के रेगिस्तानी क्षेत्र में 1485 ई. में इस बिश्नोई समुदाय (Bishnoi History) की स्थापना गुरु महाराज जांबाजी ने की थी. उस क्षेत्र में अक्सर सूखा पड़ता था. क्षेत्र के निवासी अपने जानवरों को खिलाने के लिए लगातार पेड़ों को काट रहे थे. ऐसे में जब जंबाजी ने देखा, सूखे का स्तर बढ़ रहा है और अधिक मौतें हो रही हैं तब उन्होंने अपने भक्तों को समझाया कि यदि हम जानवरों और पर्यावरण को को बचाना चाहते हैं और तो हमें पेड़ों को भी बचाना होगा.

जंबाजी ने इसके 29 उपदेश या नियम पेश किये, जिनमें से लगभग सभी प्रकृति संरक्षण से संबंधित हैं. ऐसे में आज भी बिश्नोई समुदाय के अधिकतर लोग अपने पूर्वजों के बताये रास्ते पर चलते हैं. सभी बिश्नोईयों को बचपन से ही प्रकृति से प्रेम करना सिखाया जाता है। जानवर उनके लिए बच्चों की तरह हैं. बिश्नोई हिंदू धर्म को मानते हैं, लेकिन अपने मृतकों का दाह संस्कार नहीं करते है क्योंकि आग जलाने के लिए पेड़ को काटना पड़ता है.

सलमान खान पर काले हिरण के शिकार का आरोप 1998 में लगा था, तब लॉरेंस बिश्नोई बच्चे थे. हालांकि बिश्नोई बचपन से ही जानवरों और पौधों का संरक्षण करना सीखते हैं. ऐसे में लॉरेंस के मन में उसी समय से सलमान खान के प्रति नकारात्मक रवैया विकसित हो गया. गैंगस्टर बनने के बाद सलमान उनकी जिंदगी का मुख्य टारगेट बन गए हैं.

पैसा नहीं चाहिए’

एक इंटरव्यू में लॉरेंस बिश्नोई ने कहा था, ”हमें पैसा नहीं चाहिए. हम बस यही चाहते हैं कि वह (सलमान खान) हमारे समुदाय के मंदिर में जाएं और हमसे माफी मांगें.’ उन्होंने काले हिरण का शिकार करके हमारे पूरे समुदाय का अपमान किया. हालांकि सलमान उस वक्त माफी मांगने में अनिच्छुक थे. इस मामले में सलमान को शुरुआत में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.

सलमान खान को धमकी भरा मैसेज भेजने वाला आरोपी झारखंड से गिरफ्तार

मुंबई पुलिस ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को धमकी भरा मैसेज भेजने वाले शख्स को गिरफ्तार किया है. मुंबई की वर्ली पुलिस ने उसे झारखंड के जमशेदपुर से गिरफ्तार किया है. पिछले हफ्ते मुंबई ट्रैफिक पुलिस को सलमान को लेकर एक धमकी भरा मैसेज मिला था और उसमें 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी. अब जमशेदपुर की स्थानीय पुलिस की मदद से मैसेज भेजने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ली पुलिस की एक टीम हिरासत में लिए गए शख्स से पूछताछ कर रही है. उसे आगे की कार्रवाई के लिए मुंबई लाया जाएगा. मुंबई ट्रैफिक पुलिस की व्हाट्सएप हेल्पलाइन पर धमकी भरा मैसेज मिलने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि धमकी भरा मैसेज झारखंड के एक नंबर से भेजा गया था. पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए कई टीमें झारखंड भेजीं.

जमशेदपुर में सब्जी बेचता है आरोपी

अभिनेता सलमान खान को धमकी भरा मैसेज भेजने वाले शख्स की तलाश में मुंबई पुलिस ने झारखंड में उस नंबर को ट्रैक किया. आरोपी जमशेदपुर का रहने वाला सब्जी विक्रेता है. पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान शेख हुसैन शेख मौसिन के रूप में हुई है. आरोपी की उम्र 24 साल है और वह जमशेदपुर में सब्जी बेचता है.

इससे एक दिन पहले अधिकारियों ने बताया था कि पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया हुआ है. लेकिन मुंबई ट्रैफिक पुलिस को उसी मोबाइल फोन नंबर से माफीनामा मिला. अभिनेता सलमान खान को इससे पहले लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जान से मारने की धमकी मिली थी. गिरोह के संदिग्ध सदस्यों ने इस साल अप्रैल में अभिनेता के बांद्रा स्थित घर के बाहर गोलीबारी की थी.

पुलिस ने हत्या की साजिश का किया था पर्दाफाश

कुछ महीने पहले नवी मुंबई पुलिस ने बिश्नोई गिरोह द्वारा सलमान खान की हत्या की साजिश का पर्दाफाश किया था. इस घटना के बाद अभिनेता की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. इस बीच सलमान के दोस्त और एनसीपी (अजीत) नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की भी मुंबई में सरेआम हत्या कर दी गई.

कुछ दिन पहले बाबा सिद्दीकी को तीन लोगों ने गोली मारी थी. जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का नाम भी सामने आ रहा है. पुलिस ने इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: एमएनएस ने तीसरी लिस्ट जारी की, 13 उम्मीदवारों के नाम घोषित

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी (एमएनएस) बुधवार को ने तीसरी लिस्ट की घोषणा कर दी है. इस लिस्ट में 13 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है.इस लिस्ट में नासिक के एक बीजेपी नेता का नाम देखकर कई लोग हैरान हैं. क्योंकि ये नेता नासिक में बीजेपी के बड़े नेता हैं. ये नेता नासिक पश्चिम सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसलिए इस नेता ने बीजेपी पार्टी से उम्मीदवारी की मांग की. लेकिन बीजेपी द्वारा घोषित उम्मीदवारों की पहली सूची में उनका नाम नहीं था.

दूसरी ओर, सीमा हिरे को नासिक पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया गया था, जिससे असंतुष्ट होकर दिनकर पाटिल ने विद्रोह कर दिया है. उन्होंने बीजेपी छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने मनसे में जाने का फैसला किया. एमएनएस ने उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी दे दी है.

भाजपा नेता दिनकर पाटिल को बनाया उम्मीदवार

मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने दिनकर पाटिल पर भरोसा जताते हुए उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की है. डिंकप पाटिल कुछ पूर्व नगरसेवकों के साथ मनसे में शामिल हो गए हैं. सभी की निगाहें उनके अगले राजनीतिक कदम पर होंगी. क्या वह इस चुनाव में सीमा हिरे को हराएंगे? अब ये देखना अहम होगा.

उन्होंने कहा कि भाजपा पार्टी ने मेरे साथ बार-बार गलत किया है. मेयर बनाने को कहा था. एक बार फिर विधानसभा में टिकट नहीं दिया गया. अब चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले दिनकर पाटिल ने टिप्पणी की थी कि वह कार्यकर्ताओं से बात करेंगे कि वह किस पार्टी से लड़ेंगे या निर्दलीय लड़ेंगे. इसके बाद दिनकर पाटिल ने संकल्प सभा की. लोकसभा चुनाव में मैंने वरिष्ठों का आग्रह माना था, लेकिन अब विधानसभा बंद में ऐसा नहीं होगा और वह एमएनएस में शामिल हो गए.

मनसे ने तीसरी सूची में 13 उम्मीदवारों की घोषणा की

दिनकर पाटिल बुधवार को एमएनएस पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने नासिक पश्चिम सीट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है. ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. मनसे ने पहले 45 उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की थी. इसके बाद मनसे की ओर से 13 उम्मीदवारों की तीसरी सूची की घोषणा की गई है. इस सूची में अमरावती से पप्पू उर्फ ​​मंगेश पाटिल को उम्मीदवार घोषित किया गया है. नरसिंह भिकाने को अहमदपुर-चाकुर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया गया है.