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हिंडनबर्ग के खुलासे पर सेबी चीफ ने दी सफाई, रिसर्च फर्म ने दागे नए सवाल

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हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में एक रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कथित अदाणी घोटाले से जुड़े होने का आरोप लगाया था। इस पर दंपती और अदाणी समूह ने सफाई दी थी। हालांकि, एक बार फिर अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई नए सवाल खड़े किए हैं।हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट पर सेबी चीफ की प्रतिक्रिया के जवाब में नई पोस्ट करते हुए लिखा, 'बुच के जवाब से साफ है कि उन्होंने हमारी कई बातों को स्वीकार किया है।अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि उनके बयानों से बरमूडा/मॉरीशस में उनके निवेश की पुष्टि भी होती है।

हिंडनबर्ग का पलटवार

हिंडनबर्ग ने कहा, 'हमारी रिपोर्ट पर सेबी की प्रमुख माधबी बुच ने जो जवाब दिया है, उसमें काफी कुछ जरूरी बातों को स्वीकार किया गया है। साथ ही कई नए महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए हैं। उनके जवाब से अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा/मॉरीशस फंड में उनके निवेश की पुष्टि हो गई है। साथ ही विनोद अदाणी द्वारा कथित रूप से गबन किए गए धन की पुष्टि हो गई है।'

अमेरिकी कंपनी ने आगे कहा कि इसके अलावा, बुच के बयान से यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अदाणी के निदेशक थे। सेबी को अदाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अदाणी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है। 

सेबी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया

दरअसल, चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बयान जारी किया है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए सेबी पर लगे सभी आरोप झूठे बताए हैं। वहीं, निवेशकों के बीच भी रिपोर्ट को लेकर किसी तरह का तनाव न रहे इसके लिए उन्होंने निवेशकों को सलाह दी है कि वह बिलकुल भी न घबराएं। उन्हें हिंडनबर्ग रिपोर्ट के भ्रम में आने की जरूरत नहीं है। सेबी ने निवेशकों से अपील की है कि इस तरह की रिपोर्ट को पढ़कर कोई भी निर्णय लेने से पहले छानबीन करने की अपील की है। जिससे उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो।

निवेशकों को रिपोर्ट में दिए गए डिस्क्लेमर पढ़ने की जरूरी सलाह

सेबी ने सोमवार को मार्केट खुलने से पहले जारी अपने बयान में कहा कि चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच समय-समय पर सभी जरूरी जानकारियां देती रही हैं। उन्होंने चेयरपर्सन बनने से पहले ही संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था। ऐसे में निवेशकों को रिपोर्ट को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में आने की जरुरत नहीं है और निवेशकों को हिंडनबर्ग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में दिए गए डिस्क्लेमर को जरूर पढ़ना चाहिए। दरअसल, हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में एक डिस्क्लेमर भी दिया है, जिसका जिक्र सेबी ने निवेशकों से किया ।

इससे पहले 10 अगस्त को अमेरिका की कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। उसने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है।

अडानी मामले में हिंडनबर्ग का नया खुलासा, इस बार सेबी चेयरपर्सन को लपेटा, पढ़िए, क्या है इस बार की ताजा रिपोर्ट में

अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में नया दावा किया है। इस दावे के मुताबिक सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है- हमें अडानी समूह पर सबूत पेश किए लगभग 18 महीने हो गए हैं। हमारी रिपोर्ट में ऑफशोर में मुख्य रूप से मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों के एक बड़े नेक्सेस का खुलासा किया गया। इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पार्टी ट्रांजैक्शन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था। 

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ-साथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक 'कारण बताओ' नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत दिए गए वो अपर्याप्त थे।

हिंडनबर्ग ने कहा, "मौजूदा सेबी चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में सीक्रेट हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था।" रिपोर्ट में आगे कहा गया है- व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार ऐसा लगता है कि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था।

जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप पर खुलासा

हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे ‘कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ करार दिया था। यह रिपोर्ट समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री से पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर बुरी तरह ध्वस्त हो गए थे। इस वजह से गौतम अडानी की निजी दौलत और रैंकिंग में भी बड़ी गिरावट आई।हालांकि, सेबी ने हिंडनबर्ग के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। 

ऑफशोर फंड्स या कंपनियों का मकसद

ऑफशोर ऐसी कंपनियां होता हैं जो किसी तरह के टैक्स, फाइनेंस या लीगल फायदे के लिए टैक्स हैवन देशों में गुपचुप तरीके से अपना संचालन शुरू कर देती हैं। ये कंपनियां कॉर्पोरेट टैक्स, कैपिटल गेन जैसे कई तरह के टैक्स से बच जाती हैं।

मुश्किल में फंसे MS धोनी, इस शख्स ने दर्ज कराई शिकायत, BCCI ने मांगा जवाब, चौंका देगा पूरा विवाद?

भारतीय क्रिकेट टीम , के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। मामला धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ा हुआ है। बीसीसीआई (BCCI) की एथिक्स कमेटी में उत्तर प्रदेश के अमेठी के रहने वाले राजेश कुमार मौर्य ने धोनी के खिलाफ परिवाद पत्र दिया है। इसमें उन्होंने 15 करोड़ रुपयों के मामले को लेकर धोनी की शिकायत की है। इस मामले में BCCI ने धोनी से 30 अगस्त तक जवाब देने की बात कही है। यह शिकायत BCCI के नियम 39 के तहत दर्ज कराई गई है।

शिकायत उस 15 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले से संबंधित है, जिसे भारतीय क्रिकेटर एमएस धोनी ने रांची के सिविल कोर्ट में मिहिर दिवाकर नाम के व्यक्ति के खिलाफ दर्ज करवाया था। एथिक्स समिति ने धोनी से 30 अगस्त तक जवाब मांगा है। इसके अलावा राजेश कुमार मौर्य को भी 16 सितंबर तक जवाब देने के लिए कहा है।

बता दें कि रांची सिविल कोर्ट में मिहिर दिवाकर नाम के व्यक्ति के खिलाफ एमएस धोनी ने फ्रॉड का मुकदमा दायर किया हुआ है। इसमें मिहिर दिवाकर के अलावा सौम्या दास और आरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे, जो धोनी के साथ बिजनेस कर रहे थे। बताया गया था कि भारतीय क्रिकेटर के साथ 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी।

20 मार्च 2024 को हुई सुनवाई मे रांची सिविल कोर्ट ने इस मामले को सही पाया था, जिसके चलते मिहिर दिवाकर, सौम्या दास और आरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को समन भेजा था। विशेष रूप से मिहिर दिवाकर पर धोनी की तरफ से आरोप लगाए गए कि उन्होंने एग्रीमेंट का उल्लंघन किया था। एग्रीमेंट साल 2021 में ही समाप्त हो गया था, इसके बावजूद मिहिर दिवाकर की कंपनी (आरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड) ने उनके नाम का इस्तेमाल करना जारी रखा था।

PM मोदी किसानों को देने वाले है बड़ा तोहफा, शिवराज सिंह चौहान ने खुद बताया- कब, कैसे और किन्हें मिलेगा लाभ

 किसानों को PM मोदी बड़ा गिफ्ट देने जा रहे हैं। इसकी जानकारी खुद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को मजबूत करने का रोडमेप तैयार करने को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अगर उत्पादन बढ़ाना है और लागत घटाना है तो अच्छे बीज होना सबसे महत्वपूर्ण चीज है।आज जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जहां धरती की सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है, हमें ऐसे बीजों की जरूरत है, जो जलवायु के अनुकूल हो, बढ़ते तापमान में भी उचित पैदावार दे सकें। 

कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद निरंतर इस काम में लगी है और पिछले दिनों बीजों की 109 नई किस्में तैयार की गई हैं। कृषि मंत्री ने कि हमारी सरकार का लक्ष्य विज्ञान और अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना है। इस दौरान उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर भी अपनी बातें रखी।

कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम की पहली प्राथमिकता कृषि और किसान है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत करेंगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (11 अगस्त 2024) को आईसीएआर (ICAR) के खेतों में जाएंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी वहां से फसलों की 109 किस्मों को जारी करेंगे। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी किसानों से चर्चा भी करेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य विज्ञान और अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना है।

उन्होंने कहा कि इस दौरान 61 फसलों की 109 किस्मों को जारी किया जाएगा, जिसमें 34 खेत की फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि खेत की फसलों में बाजरी, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, रेशे वाली फसलें और अन्य संभावित फसलों सहित विभिन्न अनाजों के बीज पेश किए जाएंगे।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार (9 अगस्त 2024) को हुए कैबिनेट बैठक का जिक्र करते हुए कहा, “मेरे पास ग्रामीण विकास मंत्रालय भी है। हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और नए घर बनाएंगे। हर घर तिरंगा अभियान को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मेरी आप सभी से अपील आप भी अपने अपने घर में तिरंगा फहराएं।

इंदौर के स्कूल में बच्चियों के कपड़े उतरवाने के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन, सरकार से मांगा जवाब

इंदौर के मल्हारगंज थाना क्षेत्र के बाद गणपति चौराहा स्थित एक विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के माता-पिता ने मल्हारगंज थाने पर एक शिकायती आवेदन दिया था. जिसमें उनके द्वारा स्कूल की एक शिक्षिका पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा अनुचित तरीके से उनकी बच्चियों की चेकिंग स्कूल में की गई है. जिसमें एक बच्ची के पास से मोबाइल मिलने के बाद शिक्षिका के द्वारा यह चेकिंग की गई थी. जिसमें कई संगीन आरोप भी माता-पिता के द्वारा शिक्षिकाओं पर लगाए गए हैं.

वहीं इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि 2 अगस्त 2024 को स्कूल की शिक्षिका द्वारा मोबाइल फोन तलाशने के नाम पर छात्राओं के कपड़े उतारकर जांच की गई, जिसकी जानकारी छात्राओं ने अपनी परिजनों को दी और उसके बाद मल्हारगंज थाने को शिकायत की.

इसमें पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया गया कि घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं किया है. इस पूरे मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. परिजनों का आरोप था कि घटना के दूसरे दिन जब स्कूल में परिजनों ने हंगामा किया तो मल्हारगंज थाने की प्रधान आरक्षक प्रीति नाबालिग लड़कियों के बयान लेने पहुंची थी, लेकिन वो बयान लेने के लिए सादा ड्रेस के बजाय वर्दी पहनकर पहुंची थी, जो कि जुवेनाइल एक्ट का सीधे-सीधे उल्लंघन है. साथ ही प्रधान आरक्षक के साथ जो दो आईसी गए थे, उन्होंने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इस प्रोटोकॉल का ध्यान रखना था. 

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नोटिस जारी कर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने सात दिन के भीतर अब तक की कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया है. इस घटना ने एक बार फिर शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, अदालत ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है.

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा पर कार्यवाहक सरकार के सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

डेस्क: बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने संकटग्रस्त देश के अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों को 'जघन्य' बताते हुए साफ तौर से निंदा की. मुहम्मद यूनुस ने आगाह किया कि अल्पसंख्यकों पर हमले 'उनकी प्रगति को कमजोर' करने की कोशिश करने वाले हो सकते हैं.

यूनुस ने रंगपुर शहर में बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा, "क्या वे (अल्पसंख्यक) इस देश के लोग नहीं हैं? आप (छात्र) इस देश को बचाने में सक्षम हैं; क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते? आपको कहना होगा कि 'कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. वे मेरे भाई हैं; हम एक साथ लड़े, और हम एक साथ रहेंगे."

बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है. बांग्लादेश में हिंदुओं की कुल 1.3 करोड़ है, यानी बांग्लादेश की कुल आबादी का 8 प्रतिशत.

अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों ने राष्ट्रव्यापी बर्बरता और मंदिरों, उनके घरों और व्यवसायों पर हमलों के बीच सुरक्षा की मांग करते हुए ढाका और चटगांव में विरोध रैलियां आयोजित कीं.बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जाद परिषद नामक दो संगठनों ने शनिवार को दावा किया कि शेख हसीना के पतन के बाद से देश के 52 जिलों में अल्पसंख्यक लोगों पर 205 हमले हुए हैं. हालांकि हमलों की प्रकृति को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग पक्ष रखे जा रहे हैं.

भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों और वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है. वहीं बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर हमले के आरोपों के बाद देश की सरकार रविवार, 11 अगस्त से देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हॉटलाइन शुरू करना चाहती है.

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का अमेरिका पर बड़ा आरोप, बोलीं-मुझे सत्ता से हटाने की रची गई थी बड़ी साजिश

डेस्क: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बड़ा आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि मुझे सत्ता से हटाने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। उन्होंने अमेरिका पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने के कारण ही अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई थी। उनका कहना है कि इस द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिल सकती थी। हसीना ने अपने देश के लोगों को आगाह किया और कहा कि आप सब कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।

इकोनॉमिक्स टाइंम्स की खबर में कहा गया है कि शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजे गए संदेश में ये बातें कही है। इकनॉमिक टाइम्स को हसीना का ये संदेश हासिल हुआ है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। वे फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।

संदेश में हसीना ने कहा, 'मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझ लाशों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता। मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकाएं में न आएं।'

विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के आरोपों को खारिज कर दिया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के पीछे विदेशी हस्तक्षेप का दावा किया था, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के लिए अंदरूनी कारक ही जिम्मेदार हैं। हसीना सरकार की प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि "मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, जो छात्र किसी विशेष मुद्दे, नौकरी कोटा से नाखुश थे जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार के बारे में चिंतित थे। शेख हसीना की कुगेलमैन ने कहा, सरकार ने छात्रों पर बहुत सख्ती की और इसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह केवल आंतरिक कारकों से प्रेरित था।

बांग्लादेश में टूटा हिंदुओं के सब्र का बांध, शुरू हुआ हिंसा का विरोध, ढाका की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

डेस्क: बांग्लादेश में बदलते सियासी हालात के बीच हिंदुओं के खिलाफ व्यापक हिंसा देखने को मिली है। इस बीच बांग्लादेश की राजधानी ढाका और उत्तर-पूर्वी बंदरगाह शहर चटगांव में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के हजारों लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने देश भर में मंदिरों, उनके घरों और व्यवसायों पर हमलों के बीच सुरक्षा की मांग की है। प्रदर्शन में शामिल लोग अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीट, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू करने जैसी अन्य मांग कर रहे हैं। 

हिंदू प्रदर्शनकारियों की रैली के चलते शनिवार को मध्य ढाका के शाहबाग में तीन घंटे से अधिक समय तक यातायात अवरुद्ध रहा। छात्रों सहित हजारों मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने भी यहां उनके साथ मिलकर अल्पसंख्यकों के हित के लिए एकजुटता व्यक्त की। बांग्लादेशी हिंदुओं को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और सोमवार को भारत भाग जाने के बाद हिंसा और लूटपाट का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है। इतना ही नहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेता हिंसा में मारे गए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों को उजागर किया गया है। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार के अनुसार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करने वाले एक प्रमुख संगठन, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने मुख्य सलाहकार डॉ मुहम्मद यूनुस को एक खुला पत्र जारी किया है, जिसमें पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में उत्पीड़न की 205 घटनाओं का विवरण दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने आठ सूत्री मांग पत्र सामने रखा है। इसमें अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों पर मुकदमों में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, पीड़ितों को मुआवजा तथा अल्पसंख्यक संरक्षण कानून को तत्काल लागू करना

ढाका में हिंदुओं ने कहा, यह देश किसी के बाप का नहीं है, हमने खून दिया है, जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे, हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे

बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश से भागने के बाद से जमात इस्लामी और मुख्य विपक्षी पार्टी बीएपी के समर्थक और प्रदर्शनकारी छात्र विरोध प्रदर्शन की नई कहानी लिख रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों की आड़ में कुछ कट्टरपंथी लोग हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार को सैंकड़ों बांग्लादेशी हिंदुओं ने ढाका में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह देश सभी का है। इसके साथ ही समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने की मांग भी की है।

रैली निकाल कर प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं ने नारे लगाते हुए कहा कि यह देश किसी के बाप का नहीं है। हमने खून दिया है। जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे। हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश के सोशल वर्कर पर भी निशाना साधा है। जिन्होंने हिंसा से अब तक चुप्पी साधे रखी है। रैली में शामिल एक युवक कनु कुमार ने कहा हिंदू समुदाय अपने घरों और दुकानों की सुरक्षा चाहता है। इस दौरान उन्होंने एक मंत्रालय और अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग की मांग भी की। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए उन्होंने सख्त कानून बनाने और उसे लागू करने, संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत सीटें रिजर्व करने की मांग की।

शेख हसीना के हटने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़े

बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध ईसाई की ओइक्या परिषद् के अनुसार शेख हसीना के सत्ता के हटने के बाद से ही देश के 64 में से 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न की 205 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं। संगठन ने देश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को लिखे पत्र में कहा कि देशभर के अल्पसंख्यकों में गहरी आशंका, चिंता और अनिश्चितता है।

प्राइवेट पार्ट से खून, गले की हड्डियां टूटी, पूरे शरीर में जख्म; कोलकाता की डॉक्टर से दरिंदगी के बाद उबले लोग

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पीजी 2nd ईयर की एक छात्रा का शव मिलने से हड़कंप मच गया है. पुलिस ने साफ कर दिया कि यह आत्महत्या का मामला नहीं है. इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, हर कोई हैरान है. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उसकी दोनों आंखों और मुंह से खून बह रहा था, चेहरे और नाखून पर चोट के निशान थे. पीड़िता के प्राइवेट पार्ट से भी खून बह रहा था. उसके पेट, बाएं पैर, गर्दन, दाएं हाथ और होंठों पर भी चोट के निशान थे.

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराध तड़के तीन से छह बजे के बीच हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई.’’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पहले उसका गला घोंटा गया. उन्होंने कहा, ‘‘हम पोस्टमार्टम की पूरी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिससे हमें अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी.’’ 

कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में शुक्रवार को पीजीटी की ट्रेनी महिला डॉक्टर का अर्ध निर्वस्त्र शव पाया गया. ट्रेनी महिला डॉक्टर छाती रोग चिकित्सा विभाग की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और गुरुवार की रात ड्यूटी पर तैनात थी. ट्रेनी महिला डॉक्टर के शव पर चोट के निशान मिले हैं. उसकी प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के बाद हत्या किए जाने का संकेत मिला है. 

इधर, ट्रेनी महिला डॉक्टर के पिता ने आरोप लगाया था कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अंदर उसके साथ बलात्कार किया गया और इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई तथा अब सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव उसके साथियों ने इमरजेंसी भवन के सेमिनार हॉल से बरामद किया. हम चिकित्सकों, नर्सों और अन्य लोगों से बात कर रहे हैं जो कल रात उसके साथ ड्यूटी पर थे. मामले की जांच की जा रही है.

ममता बनर्जी ने परिजनों से की बात

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिला के माता-पिता को फोन किया और उन्हें दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘...मेरी बेटी की हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया है. उसके शरीर पर चोट का निशान इसका साक्ष्य है. वह अर्द्ध निर्वस्त्र अवस्था में मिली है. सच को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वे (अस्पताल अधिकारी) जांच में विलंब क्यों कर रहे हैं .

मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल की एक चिकित्सक ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘उन्होंने रात करीब दो बजे अपने जूनियर्स के साथ भोजन किया. इसके बाद वह सेमिनार रूम में चली गईं, चूंकि वहां कोई अलग से आराम करने के लिये कमरा नहीं है.’’ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘शव के गाल, नाक, होठ, भौंहों के बीच और गर्दन पर खरोंच के निशान हैं. इन निशानों से पता चलता है कि वहां संघर्ष हुआ था.’’ उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था और उसकी हत्या कैसे की गई. उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की देर रात उसके साथ ड्यूटी पर मौजूद पांच लोगों से पूछताछ की जा रही है.

स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम और कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने अस्पताल का दौरा किया और चिकित्सा प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. अस्पताल के अधिकारियों ने चिकित्सक की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.

डॉक्टरों ने की हड़ताल

आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पीजीटी चिकित्सकों ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए आपातकालीन वार्ड को छोड़कर सभी विभागों में काम करना बंद कर दिया है. कई छात्र संगठनों ने महिला चिकित्सक की मौत की त्वरित जांच की मांग को लेकर रैली निकाली. विधायक अग्निमित्र पॉल सहित कई विपक्षी भाजपा नेताओं ने भी अस्पताल का दौरा किया और मजिस्ट्रेट से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता डॉ. शांतनु सेन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ हम पूरी घटना की निष्पक्ष, पारदर्शी और विस्तृत जांच चाहते हैं.’’ ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रह चुके सेन ने कहा कि ममता बनर्जी प्रशासन हमेशा महिलाओं की सुरक्षा के पक्ष में रहा है. राज्यसभा के सदस्य रह चुके सेन ने कहा कि जांच शुरू हो चुकी है. ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. मानस गुमटा ने आरोप लगाया कि मामले को ‘दबाने’ की कोशिश की जा रही है. गुमटा ने कहा, ‘‘यह अप्रत्याशित है, और बंगाल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.’

ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कर रही कोशिश: अमित मालवीय

बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बड़ा आरोप लगाया है, उनकहा कहना है कि डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा ''कोलकाता के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. उनका नग्न शव ड्यूटी रूम में मिला. ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कोशिश कर रही है. मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. उन्होंने संदेशखाली और चोपड़ा की घटना को सामने लाते हुए कहा, संदेशखाली से लेकर चोपड़ा तक पश्चिम बंगाल में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है.