क्या योगी आदित्यनाथ पर बनाया जा रहा इस्तीफे का दबाव? संजय राउत के बयान के क्या हैं मायने
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लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान यूपी में हुआ है। पिछली बार की तुलना में उसकी आधी सीटें घट गईं और 80 में से 33 पर सिमट गई है।इसकी तुलना में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन अखिलेश यादव के नेतृत्व में 37 सीटें जीतीं हैं।भाजपा को ये बात टीस रही है कि उत्तर प्रदेश में इतना बड़ा नुकसान कैसे हो गया। जिसके बाद से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अंगुली उठने लगी है।पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने और अब शिवसेना नेता संजय राउत ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के जरिए बीजेपी को घेरने की कोशिश की है।महाराष्ट्र में बीजेपी के खराब परफॉर्मेंस के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की तो संजय राउत ने इसे योगी से जोड़ दिया है।
दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर संजय राउत ने एक सवाल उछाल दिया है।संजय राउत का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस तो बहाना हैं, सीएम योगी असली निशाना हैं।संजय राउत ने कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा देने का प्रस्ताव योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाने का एक कदम है। अगर महाराष्ट्र में फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा हारी है, तो उत्तर प्रदेश में भी योगी के नेतृत्व में हार होगी। इसीलिए फडणवीस इस्तीफे की बात कर रहे हैं। उन्होंने मांग दोहराई कि प्रधानमंत्री मोदी को भाजपा के परिणामों की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।’
इससे पहले लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच में जब केजरीवाल बेल पर बाहर आए थे तो उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अगर फिर से बीजेपी की केंद्र में सरकार बनती है तो सबसे पहले वे यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ को बदलेंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘योगी जी दिल्ली आए थे और उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि उनके असली दुश्मन तो बीजेपी में ही है।’ उन्होंने कहा था कि बीजेपी सीएम योगी को लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद से हटा देगी। इस बयान को लेकर काफी हलचल भी रही और काफी चर्चा भी। अब संजय राउत ने अरविंद केजरीवाल के बयान को मजबूती दी है।
यह चर्चा बार बार इसलिए जोर पकड़ रही हैं क्योंकि बीजेपी में मोदी के बाद कौन, इसे लेकर कयासबाजी भी और जोर आजमाइश भी दोनों चल रही हैं। अमित शाह के समर्थक उन्हें सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखते हैं तो योगी के समर्थक योगी को प्रबल दावेदार मानते हैं। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यह जंग और तेज हुई है, खासकर मोदी और योगी समर्थक सोशल मीडिया पर भी यूपी में हार की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पार्टी के किसी पदाधिकारी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन राजनीति में बयान से ज्यादा माहौल कहानी कहता है।
अब चुनाव परिणाम आने के बाद सूबे से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हलचल पैदा कर दी है। इसी सिलसिले में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि सीएम योगी आज शाम छह बजे तक दिल्ली पहुंच रहे हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यूपी में भितरघात के कारण बीजेपी हारी है। इस संबंध में राज्य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और भाजपा आलाकमान इस पर एक्शन लेगा। सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं। सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे उसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जाएंगे। संभावित बदलाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है। अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है।
बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों के चुनाव में भाजपा को स्तब्ध कर दिया है। गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 80 में से 43 सीटें जीत ली हैं जबकि भाजपा को 33 सीटें ही मिल सकी हैं। भाजपा की सहयोगी रालोद ने दो व अपना दल ने एक सीट जीती है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को भी एक सीट मिली है। वर्ष 2014 की तरह बसपा का इस बार भी खाता नहीं खुला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से लगातार तीसरी बार जीत गए हैं, जबकि राहुल गांधी ने रायबरेली और अखिलेश यादव ने कन्नौज से जीत हासिल की है। केंद्र सरकार के सात मंत्री भी चुनाव हार गए हैं, जिनमें स्मृति इरानी भी शामिल हैं। भाजपा ने अपने 47 सांसदों को फिर से टिकट दिया था, इनमें से 26 चुनाव हार गए हैं। प्रदेश में मतगणना की शुरुआत होने के दो घंटे के भीतर ही यह साफ हो गया कि सपा-कांग्रेस गठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देने जा रहा है





एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक भी शुरू हो गई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी), शिवसेना-यूबीटी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य घटक दलों के नेता खरगे के आवास पर जुटे। बैठक में INDI गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक करीब 1 घंटे तक चली। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मैं सभी साथियों का स्वागत करता हूं। हम एक साथ लड़े, तालमेल से लड़े और पूरी ताकत से लड़े। आप सबको बधाई। 18वीं लोक सभा चुनाव का जनमत सीधे तौर से प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के खिलाफ है। चुनाव उनके नाम और चेहरे पर लड़ा गया था और जनता ने भाजपा को बहुमत ना देकर उनके नेतृत्व के प्रति साफ़ संदेश दिया है। उन्होंने आगे कहा कि व्यक्तिगत रूप से मोदीजी के लिये यह ना सिर्फ राजनैतिक शिकस्त है, बल्कि नैतिक हार भी है। परन्तु हम सब उनकी आदतों से वाक़िफ़ हैं। वो इस जनमत को नकारने की हर संभव कोशिश करेंगे। खरगे ने कहा कि हम यहां से यह भी संदेश देते हैं कि इंडिया गठबंधन उन सभी राजनीतिक दलों का स्वागत करता है जो भारत के संविधान के प्रस्तावना में अटूट विश्वास रखते है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्यों से प्रतिबद्ध है। चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नैतिक हार और राजनीतिक शिकस्त है। बैठक में खरगे के अलावा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
बॉलीवुड क्वीन और बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत ने मंडी लोकसभा सीट से जीत हासिल कर ली है।इसी के साथ कंगना का राजनीतिक सफर का भी आगाज हो गया है।मंडी लोकसभा सीट के लिए कंगना रनौत की सीधी टक्कर कांग्रेस टिकट से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह से थी। लेकिन मंडी की जनता ने कंगना रनौत पर भरोसा दिखाया।लोकसभा 2024 नतीजों की बात करें तो कंगना रनौत को 5 लाख 37 हजार 022 वोट मिले तो वहीं विक्रमादित्य सिंह को 4 लाख 62 हजार 267 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा। अब सावल उठ रहे हैं कि बॉलीबुड की “क्वीन” सियासत के “राजा” को शिकस्त देने में कैसे कामयाब हो गई?
Jun 06 2024, 12:25
दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने का दावा करते हुए
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