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48 घंटों में फैसला ले लेंगे..', जयराम रमेश ने बताया- किस तरह चुना जाएगा INDIA गठबंधन का PM ?

 कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि INDIA गठबंधन को लोकसभा चुनाव में 'निर्णायक जनादेश' मिलेगा और प्रधानमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार पर 48 घंटे से भी कम समय में फैसला कर देंगे। कहा कि यह बात सही है कि गठबंधन में जिस पार्टी को अधिकतम सीटें मिलेंगी, वह नेतृत्व के लिए 'स्वाभाविक दावेदार' होगी।

सात चरणों वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के अंतिम दिन एक इंटरव्यू में कांग्रेस महासचिव ने विश्वास जताया कि भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) को निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 272 के आंकड़े से "काफी अधिक" सीटें मिलेंगी। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि जब INDIA गठबंधन के घटक दलों को जनता का जनादेश मिल जाएगा, तब NDA के कुछ दल गठबंधन में शामिल हो सकते हैं और कांग्रेस आलाकमान को यह निर्णय लेना होगा कि उन्हें गठबंधन में शामिल किया जाए या नहीं।

यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव के बाद JDU प्रमुख नीतीश कुमार और TDP अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू जैसे NDA सहयोगियों के लिए दरवाजे खुले रहेंगे, इस पर कांग्रेस नेता ने कहा, "नीतीश कुमार पलटी मारने में माहिर हैं।" उन्होंने कहा, "नायडू 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में थे। मैं कहूंगा कि जब INDIA जनबंधन दलों को लोगों का जनादेश मिलेगा, तो कुछ NDA पार्टियां भी गठबंधन में शामिल हो सकती हैं।" उन्होंने कहा, "कांग्रेस आलाकमान, खड़गे जी, राहुल जी, सोनिया जी को यह निर्णय लेना होगा कि उन्हें INDIA ब्लॉक में शामिल किया जाए या नहीं।"

जयराम रमेश ने आगे कहा कि INDIA और NDA के बीच अंतर दो 'आई' का है - 'आई' का मतलब ' इंसानियत ' और 'आई' का मतलब ' ईमानदारी ' है। उन्होंने कहा कि जो पार्टियां ' ईमानदारी ' और ' इंसानियत ' रखती हैं, लेकिन NDA में हैं, वे 'INDIA पार्टियों' में शामिल होंगी। रमेश ने कहा कि जनता से जनादेश मिलने के बाद गठित INDIA ब्लॉक सरकार "अधिकारपूर्ण" होगी, लेकिन "अधिनायकवादी" नहीं होगी।उन्होंने कहा कि, "मुझे लगता है कि हम जीत में बड़े दिल वाले होंगे - कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं, कोई बदले की राजनीति नहीं।

रमेश ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल जा रहे हैं और दो दिनों तक ध्यान करेंगे। वही विवेकानंद स्मारक जहां से श्री राहुल गांधी ने 7 सितंबर, 2022 को भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी... मुझे यकीन है कि वह (मोदी) इस बात पर ध्यान लगा रहे होंगे कि सेवानिवृत्ति के बाद जीवन कैसा होने वाला है। छह चरणों के मतदान के बाद जमीनी राजनीतिक स्थिति के बारे में उनके आकलन के बारे में पूछे जाने पर जयराम रमेश ने कहा कि, "मैं संख्या में नहीं जाना चाहता लेकिन मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि हमें (INDIA ब्लॉक को) स्पष्ट और निर्णायक बहुमत मिलेगा। 273 स्पष्ट बहुमत है लेकिन यह निर्णायक नहीं है। जब मैं स्पष्ट और निर्णायक कहता हूं तो मेरा मतलब 272 से कहीं अधिक सीटों से है।" उन्होंने दावा किया कि 2004 के नतीजे, जब भाजपा के 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के बावजूद कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए चुनाव जीता था, 2024 में भी खुद को दोहराएंगे।

2019 में चुनाव हार गए थे सिंधिया, क्या इस बार खोई प्रतिष्ठा हासिल कर सकेंगे महाराज? भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला

मध्यप्रदेश के गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 में मिली हार के दाग को मिटाने की चुनौती है। उनके सामने कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े सिंधिया को भाजपा के केपी यादव ने हराया था। 

इस बार भाजपा ने यादव के स्थान पर सिंधिया को मौका दिया है, जो 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा में सांसद हैं। बसपा ने धनीराम चौधरी को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश जरूर की है लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में ही है। कुल 15 उम्मीदवार यहां से भाग्य आजमा रहे हैं। 

गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट सिंधिया राजपरिवार के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी रही है। इस सीट के अंतर्गत अशोकनगर जिले के साथ ही शिवपुरी और गुना के कुछ हिस्से आते हैं। आठ विधानसभा सीटों में से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। तीसरे चरण में सात मई को यहां वोटिंग हुई थी। इस बार यहां 72.43 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 2019 की बात करें तो इस सीट पर 70.32 प्रतिशत और 2014 में 60.77 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। पिछले चुनावों के मुकाबले बम्पर वोटिंग को सिंधिया के पक्ष में माना जा रहा है लेकिन नतीजा तो चार जून को ही सामने आएगा।  

गुना-शिवपुरी सीट को सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। 1957 में सिंधिया परिवार ने पहली बार इस सीट पर चुनाव जीता था। 2002 से 2019 तक ज्योतिरादित्य यहां से चुनाव जीते। हालांकि, 2019 में उन्हें किसी समय करीबी रहे केपी यादव के हाथों पराजय मिली। कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह को टिकट दिया है, जो अशोक नगर से जिला पंचायत सदस्य हैं। उनकी पत्नी जनपद सदस्य, भाई जिला पंचायत सदस्य और मां भी जनपद सदस्य हैं। राव यादवेंद्र सिंह के पिता देशराज सिंह भाजपा विधायक रहे हैं। यादवेंद्र को छोड़कर उनके परिवार के ज्यादातर लोग भाजपा में लौट चुके हैं।

RBI को मिली बड़ी कामयाबी, ब्रिटेन से वापस भारत लाया गया 100 टन सोना, 1991 में रखा था गिरवी

भारत द्वारा खरीदा गया सोना अब बैंक ऑफ इंग्‍लैंड की तिजोरियों में नहीं रहेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्रिटेन से 100 टन से ज्‍यादा सोना देश में वापस मंगाया है और इसे अपने भंडार में ट्रांसफर किया है। यह सोना 1991 के बाद से सबसे ज्यादा है, जब इतने बड़े पैमाने पर सोने का भंडार वापस लाया गया है। 

बता दें कि साल 1991 में भारत को देश में विदेशी मुद्रा सकंट के कारण इस सोने को गिरवी रखना पड़ा था, इस दौरान देश की बहुत आलोचना हुई थी। बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले महीने में फिर से इतनी ही मात्रा में येलो मेटल को देश में लाया जा सकता है। साल 1991 में गिरवी रखे इस सोने को पहली बार आरबीआई के स्‍टॉक में शामिल किया गया है। 

पिछले साल की तुलना में RBI के सोने के भंडार में 27.5 टन बढ़ा है। अब यह सोना RBI के पास रखा है। रिजर्व बैंक के पास फिलहाल 822 टन सोना है। इसमें से 100.3 टन सोना भारत में रखा है, जबकि 413.8 टन अभी विदेशों में रखा हुआ है। दुनियाभर के बैंकों के लिए ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड में पारंपरिक रूप से भंडारगृह का काम करता है। दुनियाभर के बैंक लंदन में अपना सोना रखते हैं। 

रिजर्व बैंक ने बीते कुछ सालों में विदेशों में सोने के बढ़ते भारतीय स्टॉक के चलते इसे अपने देश वापस लाने का निर्णय लिया है। RBI के आधे से अधिक गोल्‍ड भंडार विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास सुरक्षित रूप से रखे गए हैं। इसका लगभग एक तिहाई हिस्सा घरेलू स्तर पर रखा गया है। सामने आई जानकारी के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने लॉजिस्टिक कारणों के साथ-साथ भंडारण की विविधता को देखते हुए ब्रिटेन से सोना वापस भारत लाया है। 

इंग्‍लैंड से एक हजार क्विंटल सोना लाना आसान काम नहीं था। इसके लिए कई सारी औपचारिकताएं तो पूरा करनी ही पड़ी, साथ ही इसे सुरक्षित भारत लाने को कड़े सुरक्षा इंतजाम भी करने पड़े। RBI के लिए ब्रिटेन केन्द्रीय बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड आजादी के बाद से ही भंडारगृह रहा है। आजादी से पहले भी अंग्रेज यही सोने का स्टॉक करके रखते थे। 100 टन सोने को भारत लाने के लिए महीनों की प्लानिंग की गई और फिर पूरे प्लान को एग्जीक्यूट किया गया।

हिन्दू लड़की-मुस्लिम लड़के की शादी जायज या नहीं ? MP हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, पढ़िए पूरी खबर

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह मुस्लिम कानून के मुताबिक, वैध विवाह नहीं है। अदालत ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अंतर-धार्मिक विवाह के लिए पुलिस सुरक्षा की माँग को भी ठुकरा दिया। 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर मुख्य बेंच में न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने ये फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अनियमित (या फासिद) शादी माना जाएगा, भले ही उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की हो। उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि, “मुस्लिम कानून के मुताबिक, किसी मुस्लिम लड़के का किसी ऐसी लड़की से शादी वैध विवाह नहीं है, जो मूर्तिपूजक या अग्निपूजक हो। भले ही विवाह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत हो, मगर इस्लाम में वो विवाह जायज नहीं माना जाएगा, इसे अनियमित (फासीद) विवाह ही माना जाएगा।” बता दें कि, मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, निकाह तभी जायज माना जाता है, जब दोनों मुसलमान हों, किसी गैर-मुस्लिम लड़की, या लड़के से शादी करने को इस्लाम में मान्यता नहीं है। इसके लिए उस गैर-मुस्लिम शख्स को पहले इस्लाम कबूल करना होता है, उसके बाद ही उसकी शादी को मान्यता मिलती है। वहीं, इस्लाम में शादी को अन्य धर्मों की तरह जन्म-जन्म का साथ, या पवित्र बंधन नहीं बल्कि एक कॉन्ट्रैक्ट माना जाता है। 

रिपोर्ट के अनुसार, जबलपुर उच्च न्यायालय ने एक हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। उनके वकील ने अदालत को बताया कि वो दोनों अपना-अपना ही धर्म का पालन करेंगे, वे एक-दूसरे के धर्म नहीं अपनाना चाहते। शादी के बाद भी हिंदू महिला हिंदू धर्म को मानेगी और मुस्लिम पुरुष अपने इस्लाम के मुताबिक चलेगा। ऐसे में इस जोड़े को पुलिस सुरक्षा मिलनी चाहिए, ताकि वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह का पंजीकरण करा सकें।

वकील ने अदालत में ये भी कहा कि दो धर्मों के लोग पर्सनल लॉ के तहत शादी नहीं कर सकतें, लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत ये जायज होगा। इस पर अदालत ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट को धार्मिक कृयाकलापों के तहत चुनौती तो नहीं दी जा सकती, मगर मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत ऐसी शादी को मान्यता नहीं मिलेगी। ऐसे में ये शादी एक अनियमित (फसीद) शादी होगी। हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले (मोहम्मद सलीम और अन्य बनाम शम्सुद्दीन) का जिक्र किया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि, “जो शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मान्य नहीं, वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भी मान्य नहीं हो सकती। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा-4 के हिसाब से शादी तभी हो सकती है, जब दोनों में से कोई एक, दूसरे का धर्म स्वीकार कर ले।” हाई कोर्ट ने इस याचिका को ठुकरा दिया और कहा कि वो बगैर विवाह के साथ नहीं रहना (लिव-इन-रिलेशनशिप में) चाहते और न ही हिंदू लड़की इस्लाम अपना रही। उच्च न्यायालय में हिंदू महिला के परिजनों ने इस शादी का विरोध करते हुए कहा था कि यदि ये विवाह हुआ, तो समाज में उनका बहिष्कार कर दिया जाएगा। साथ ही परिवार ने कहा कि लड़की घर से जाते वक़्त आभूषण भी साथ लेकर गई थी।

क्या जेल में 7 किलो कम हो गया था केजरीवाल का वजन, जानें क्या कह रहे हैं तिहाड़ जेल के आंकड़े
#tihar_sources_replied_on_aap_claims_that_kejriwal_lose_weight_in_jail
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की जमानत अवधी समाप्त होने वाली है। 1 जून को अंतिम चरण के चुनाव की समाप्ति के बाद केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना है। वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी शुक्रवार को कहा कि वह रविवार को तिहाड़ जेल में पुलिस के सामने सरेंडर करेंगे। वहीं, सोमवार को आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि एक महीने में उनका वजन बिना किसी कारण के 7 किलो कम हो गया है और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।अब, तिहाड़ जेल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।तिहाड़ जेल के आंकड़ों की मानें तो जेल में रहने के दौरान उनका वजन लगभग अपरिवर्तित रहा। बठिंडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने सोमवार को कहा, मेरा वजन बहुत कम हो गया है। अगर किसी व्यक्ति का वजन बिना किसी कारण के एक महीने में 7 किलो कम हो जाता है, तो यह बहुत गंभीर समस्या है। इसलिए डॉक्टरों ने कई टेस्ट लिखे हैं। मैंने 7 दिन का समय मांगा है ताकि मैं एक हफ्ते में अपने सभी टेस्ट करवा सकूं। हो सकता है कि अंदर कोई गंभीर बीमारी चल रही हो। डॉक्टरों ने कहा कि अगर सभी टेस्ट हो जाएं, तो कम से कम हमें पता चल जाएगा कि अंदर कोई गंभीर बीमारी चल रही है या नहीं। आप नेताओं ने आगे दावा किया कि गिरफ्तारी के बाद ईडी की हिरासत में केजरीवाल का वजन 7 किलोग्राम कम हो गया है और उनका कीटोन स्तर बहुत अधिक है जो किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। अब तिहाड़ से अरविंद केजरीवाल के वजन के फैक्ट्स सामने आए है। केजरीवाल के स्वास्थ्य पर तिहाड़ जेल द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि ये सारे दावे झूठे हैं। 30 मई को जारी एक बयान में तिहाड़ जेल के वरिष्ठ चिकित्सा प्रभारी ने 1 अप्रैल से 9 मई तक 6 अलग-अलग दिनों में केजरीवाल के शरीर के वजन का ब्योरा दिया, जिससे पता चलता है कि उनका वजन 65 किलो से घटकर 64 किलो हो गया, जो बीच में 66 किलो हो गया था। यह पहली बार नहीं है जब आप ने गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल का वजन कम होने का दावा किया है। अप्रैल के पहले सप्ताह में आप ने दावा किया था कि उनका वजन 4.5 किलो कम हो गया है। लेकिन तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उनका मेडिकल डेटा जारी कर दिखाया था कि उनका वजन 65 किलो पर स्थिर था। बाद में उनका वजन 1 किलो बढ़कर 66 किलो हो गया। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल की जमानत को 7 दिन के लिए बढ़ाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। दिल्ली के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि उनकी अंतरिम जमानत को बढ़ाने वाली याचिका पर तत्काल रूप से सुनवाई की जाए। केजरीवाल ने कोर्ट से मेडिकल जांच के लिए अपनी अंतरिम जमानत 7 दिन और बढ़ाने की मांग की थी। अब केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा।
2 जून को सरेंडर करेंगे अरविंद केजरीवाल, 'गंभीर बीमारी के लक्षण होने का किया दावा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि वह रविवार को तिहाड़ जेल में पुलिस के सामने सरेंडर करेंगे। आम आदमी पार्टी के प्रमुख, जो फिलहाल अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, ने दावा किया कि उनके शरीर में हाल ही में गंभीर बीमारी के लक्षण दिखे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें किसी गंभीर बीमारी की संभावना से बचने के लिए कई मेडिकल टेस्ट करवाने होंगे। उन्होंने दिल्ली के लोगों से अपने बीमार माता-पिता का ख्याल रखने की भी अपील की।

"सुप्रीम कोर्ट ने मुझे चुनाव प्रचार के लिए 21 दिन का समय दिया था। परसों मैं तिहाड़ जेल वापस जाऊंगा। मुझे नहीं पता कि इस बार ये लोग मुझे कितने दिन जेल में रखेंगे। लेकिन मेरा हौसला बुलंद है। मुझे गर्व है कि मैं देश को तानाशाही से बचाने के लिए जेल जा रहा हूं। उन्होंने मुझे कई तरह से तोड़ने की कोशिश की, मुझे चुप कराने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। जब ​​मैं जेल में था, तो उन्होंने मुझे कई तरह से प्रताड़ित किया। उन्होंने मेरी दवाइयां बंद कर दीं... मुझे नहीं पता कि ये लोग क्या चाहते थे। उन्होंने ऐसा क्यों किया?" ANI के अनुसार अरविंद केजरीवाल ने कहा।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 21 मार्च को जेल जाने के बाद से उनका वजन करीब 10 प्रतिशत कम हो गया है। उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद से उनका वजन बिल्कुल नहीं बढ़ा है। उन्होंने आशंका जताई कि वजन कम होना किसी अंतर्निहित बीमारी का लक्षण हो सकता है। अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जब मैं जेल गया था, तब मेरा वजन 70 किलो था, आज 64 किलो है। जेल से रिहा होने के बाद भी मेरा वजन नहीं बढ़ रहा है। डॉक्टर कह रहे हैं कि यह शरीर में किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। कई टेस्ट करवाने होंगे।" 

आम आदमी पार्टी प्रमुख ने कहा कि वह दोपहर 3 बजे अपने घर से तिहाड़ जेल के लिए निकलेंगे। केजरीवाल ने कहा कि वह जेल के अंदर से ही राष्ट्रीय राजधानी के विकास के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, "हो सकता है कि इस बार वे मुझे और प्रताड़ित करें, लेकिन मैं झुकूंगा नहीं... मैं जहां भी रहूं, अंदर या बाहर। मैं दिल्ली के काम को रुकने नहीं दूंगा। आपकी मुफ्त बिजली, मोहल्ला क्लीनिक, अस्पताल, मुफ्त दवाइयां, इलाज, 24 घंटे बिजली और कई अन्य चीजें जारी रहेंगी और लौटने के बाद मैं हर मां-बहन को हर महीने 1000 रुपये देना भी शुरू करूंगा। आज मैं आपसे अपने परिवार के लिए कुछ मांगना चाहता हूं। मेरे माता-पिता बहुत बूढ़े हैं। मेरी मां बहुत बीमार हैं। मुझे जेल में उनके बारे में बहुत चिंता होती है। मेरे बाद मेरे माता-पिता का ख्याल रखना, उनके लिए प्रार्थना करना।" 

अरविंद केजरीवाल और कई अन्य आप नेताओं पर चुनिंदा व्यापारियों और राजनेताओं के हितों के पक्ष में शराब नीति तैयार करने के बदले में रिश्वत लेने का आरोप है। नौ समन के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रवर्तन निदेशालय की आपत्ति के बावजूद जेल से 21 दिन की राहत दी ताकि वे चल रहे लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर सकें। इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता है।

अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को आबकारी नीति मामले में नियमित जमानत के लिए दिल्ली की एक अदालत का रुख किया।

अमेरिकी चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, एडल्ट स्टार को गुप्त धन देने के मामले दोषी करार*
#donald_trump_convicted_in_hush_money_trial_case अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल डोनॉल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी अदालत ने उन्हें गुप्त धन मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने ट्रंप को सभी 34 मामलों में दोषी ठहराया है। सजा के लिए न्यायाधीश ने आगामी 11 जुलाई की तारीख तय की है। न्यूयॉर्क की एक जूरी ने गुरुवार को ट्रंप को गुप्त धन मामले के सभी आरोपों में दोषी ठहराया। ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति बनने का ख्वाब देख रहे हैं।ऐसे में कोर्ट का ये फैसला ट्रंप के लिए किसी बड़ा झटके से कम नहीं है। चुनाव से लगभग पांच महीने पहले जिस मामले में ट्रंप को दोषी ठहराया गया है उसमें उन पर एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को चुप कराने के लिए गुप्त तरीके से धन देने का आरोप है। इसके लिए उन्होंने अपने व्यावसायिक रेकॉर्ड में हेराफेरी की। 34 आरोपों में प्रत्येक में वह दोषी पाए गए।ट्रंप को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है, लेकिन उनकी सजा का ऐलान अभी नहीं हो पाया है। सजा की घोषणा 11 जुलाई को होनी है। कानून के हिसाब से उन्हें अधिकतम चार साल की सजा हो सकती है। सजा का ऐलान रिपब्लिकन पार्टी के अधिवेशन से ठीक पहले होगा।15 जुलाई को होने वाले अधिवेशन में ही ट्रंप की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा होनी है। उनकी सजा का असर 5 नवंबर को होने वाले चुनाव पर सीधा असर डालेगी। नवंबर में अमेरिका में चुनाव होने हैं और डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठने लगे है कि क्या ट्रंप दोषी करार होने के बाद भी चुनाव लड़ सकते हैं, उनको कितने साल की सजा हो सकती है और क्या अगर ट्रंप को जेल हुई तो इसका चुनाव प्रचार पर क्या असर पड़ेगा? बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को अपमानजनक और धांधलीपूर्ण बताया। उन पर साल 2016 में व्हाइट हाउस में आने से पहले पूर्व पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ अपने यौन संबंधों को छिपाने के लिए व्यापारिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप है। इस मामले में 34 आरोप, 11 चालान, 12 वाउचर और 11 चेक पेश किए गए।
अमेरिकी चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, एडल्ट स्टार को गुप्त धन देने के मामले दोषी करार

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल डोनॉल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी अदालत ने उन्हें गुप्त धन मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने ट्रंप को सभी 34 मामलों में दोषी ठहराया है। सजा के लिए न्यायाधीश ने आगामी 11 जुलाई की तारीख तय की है। न्यूयॉर्क की एक जूरी ने गुरुवार को ट्रंप को गुप्त धन मामले के सभी आरोपों में दोषी ठहराया। ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति बनने का ख्वाब देख रहे हैं।ऐसे में कोर्ट का ये फैसला ट्रंप के लिए किसी बड़ा झटके से कम नहीं है।

चुनाव से लगभग पांच महीने पहले जिस मामले में ट्रंप को दोषी ठहराया गया है उसमें उन पर एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को चुप कराने के लिए गुप्त तरीके से धन देने का आरोप है। इसके लिए उन्होंने अपने व्यावसायिक रेकॉर्ड में हेराफेरी की। 34 आरोपों में प्रत्येक में वह दोषी पाए गए।ट्रंप को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है, लेकिन उनकी सजा का ऐलान अभी नहीं हो पाया है। सजा की घोषणा 11 जुलाई को होनी है। कानून के हिसाब से उन्हें अधिकतम चार साल की सजा हो सकती है। 

सजा का ऐलान रिपब्लिकन पार्टी के अधिवेशन से ठीक पहले होगा।15 जुलाई को होने वाले अधिवेशन में ही ट्रंप की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा होनी है। उनकी सजा का असर 5 नवंबर को होने वाले चुनाव पर सीधा असर डालेगी।

नवंबर में अमेरिका में चुनाव होने हैं और डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठने लगे है कि क्या ट्रंप दोषी करार होने के बाद भी चुनाव लड़ सकते हैं, उनको कितने साल की सजा हो सकती है और क्या अगर ट्रंप को जेल हुई तो इसका चुनाव प्रचार पर क्या असर पड़ेगा?

बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को अपमानजनक और धांधलीपूर्ण बताया। उन पर साल 2016 में व्हाइट हाउस में आने से पहले पूर्व पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ अपने यौन संबंधों को छिपाने के लिए व्यापारिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप है। इस मामले में 34 आरोप, 11 चालान, 12 वाउचर और 11 चेक पेश किए गए।

2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने बहाया खूब पसीना, 75 दिनों में 206 रैलियां और रोड शो, 80 इंटरव्यू

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लोकसभा चुनाव का प्रचार थमने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कन्याकुमारी में ध्यान में लीन हैं। पीएम मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे के ध्यान में बैठे है। फनका ये ध्यान 75 दिनों की जी-तोड़ मेहनत के बाद शुरू हुआ है। दरअसल, 16 मार्च को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के बाद से कुल 206 जनसभाएं और रोड शो किए। पीएम मोदी ने रैलियां और रोड शो के अलावा रिकॉर्ड स्तर पर मीडिया कर्मियों को इंटरव्यू दिए हैं, जिनकी संख्या 80 है। अपने तीसरे टर्म के लिए पीएम मोदी ने खूब पसीना बहाया है। जिसके बाद अब ने 45 घंटे के लिए ध्यान की मुद्रा में हैं।

औसतन प्रतिदिन एक से अधिक साक्षात्कार दिए

पीएम मोदी ने गुरुवार को पंजाब के होशियारपुर में रैली के साथ अपने चुनाव प्रचार का समापन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 16 मार्च को कन्याकुमारी से ही अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। बीते 75 दिनों में प्रधानमंत्री ने 206 चुनावी कार्यक्रमों में शिरकत की। इनमें चुनावी रैलियां-रोड शो शामिल हैं। इनके अलावा पीएम मोदी ने विभिन्न मीडिया संस्थानों को 80 के करीब इंटरव्यू भी दिए हैं। मतदान शुरू होने के बाद से औसतन उन्होंने प्रतिदिन एक से अधिक साक्षात्कार दिए हैं।

2019 के मुकाबले ज्यादा रैलियां

2024 में उन्होंने ज्यादा चुनाव प्रचार किया और जनसभाओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2019 के चुनावों के दौरान लगभग 145 रैलियां और रोड में हिस्सा लिया था। इस बार चुनाव प्रचार का समय 75 दिनों का था, जबकि पांच साल पहले चुनाव में 68 दिन थे। निर्वाचन आयोग ने जब चुनावों की घोषणा की थी तो पीएम मोदी दक्षिण भारत के राजनीतिक दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने 15 मार्च से 17 मार्च के बीच तीन दिनों में दक्षिण भारत के सभी पांच राज्यों को कवर किया था। 

इन राज्यों पर रहा फोकस

पीएम मोदी ने जिन राज्यों में सबसे ज्यादा प्रचार किया, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा का नाम प्रमुख है। अपने विभिन्न इंटरव्यू में पीएम मोदी ने दावा किया कि भाजपा इन आम चुनाव में बंगाल में अच्छा प्रदर्शन करेगी और राज्य में अधिकतम सीटों पर जीत दर्ज करेगी। विपक्ष के संविधान में बदलाव के आरोपों पर पीएम मोदी ने कहा कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक कोई भी संविधान के मूल सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। पीएम मोदी ने संविधान में संशोधन को लेकर कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा किया।

तीसरे टर्म के पहले 125 दिन का रोडमैप तैयार

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए खूब मेहनत की है। इसके अलावा उन्होंने अपने थर्ड टर्म के पहले 125 दिनों का रोडमैप तैयार कर लिया है। उनका कहना है कि सरकार बनते ही, तीसरे टर्म में अगले 125 दिन में क्या होगा, सरकार क्या करेगी, सरकार कैसे करेगी, सरकार किसके लिए करेगी, सरकार कब तक करेगी, इसके रोडमैप पर काम कर लिया गया है। इसमें भी 25 दिन विशेष तौर पर युवाओं के लिए केंद्रित किए गए हैं, अगले 5 साल में कौन से बड़े निर्णय लेने हैं, इसकी भी रूपरेखा खींची जा चुकी है। अगले 25 साल के विजन पर भी उनकी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है।

4 जून को घोषित होंगे नतीजे

प्रधानमंत्री मोदी के इस धुआंधार चुनाव प्रचार का जनता पर कितना असर रहा, इसका पता तो 4 जून को ही लगेगा जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे। करीब 73 साल की उम्र में मोदी ने जितनी सभाएं की और जो दूरी तय की, इस मामले में उनके नजदीक भी कोई नेता नहीं टिकता। वह अपनी पार्टी के लिए मतदाताओं को आकर्षित वाला सबसे बड़ा आकर्षण रहे। इस दौरान दिए गए भाषणों के लिए आलोचकों ने उनकी आलोचना भी की तो भाजपा के उत्साही समर्थकों का जोश भी बढ़ा।

कन्याकुमारी में विवेकानंद की प्रतिमा के सामने पीएम मोदी का 45 घंटे का ध्यान, विरोध में विपक्ष पहुंचा चुनाव आयोग
#modi_45_hour_meditation_session_in_kanniyakumari_vivekananda_rock_memorial प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे का ध्यान शुरू हो गया है।75 दिनों की लंबी चुनावी प्रक्रिया के बाद कल शाम जब प्रचार का शोर थमा तो प्रधानमंत्री ध्यान लगाने के लिए कन्याकुमारी पहुंच गए। पीएम मोदी कल देर शाम से विवेकानंद रॉक मेमोरियल में मेडिटेशन कर रहे हैं। वे एक जून की शाम तक विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यानमग्न रहेंगे। आज उनके ध्यान का दूसरा दिन है। 30 मई को लोकसभा चुनाव का शोर थमते ही पीएम मोदी कन्याकुमारी पहुंचे। सबसे पहले वो भगवती अम्मन गए। दक्षिण भारतीय पारंपरिक वस्त्र में वो नंगे पांव हाथ जोड़ते हुए पीएम मोदी मंदिर के अंदर गए। इसके बाद मंदिर में मौजूद पुजारियों ने पीएम को विधिवत पूजा कराई। वो शाम की आरती में शामिल हुए। मंदिर की परिक्रमा की। पुजारियों ने उन्हें अंगवस्त्र दिया। पीएम मोदी को देवी मां की एक तस्वीर भी भेंट की गई। बता दें कि अम्मन मंदिर 108 शक्ति पीठों में एक है। ये मंदिर करीब 3000 साल पुराना है।अम्मन मंदिर में पूजा पाठ के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक बोट से विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम पहुंचे। ध्यान मंडपम में उन्होंने विवेकानंद और राम कृष्ण परमहंस के सामने हाथ जोड़े। फूल चढ़ाए। इसके बाद पीएम मोदी ध्यान साधना में बैठ गए। कई मायनों में खास है ये स्थल पीएम मोदी के ध्यान का एक वीडियो सामने आया है, वीडियो में पीएम मोदी भगवा कुर्ता और गमछे में दिख रहे हैं। वे स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष बैठकर ध्यान कर रहे हैं। उनके हाथों में माला है और ओम की आवाज गूंज रही है। इस ध्यान मंडपम की खास बात यह है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने देश भ्रमण के बाद तीन दिनों तक ध्यान किया था। समुद्र तट से करीब 500 मीटर दूर स्थित चट्टान पर विवेकानंद 24 दिसंबर 1892 को तैर कर पहुंचे थे। 25 से 27 दिसंबर तक उन्होंने इसी चट्टान पर ध्यान किया था। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की थी। ध्यान को लेकर विपक्ष के निशाने पर पीएम वहीं, पीएम मोदी के ध्यान को लेकर विपक्ष लगातार निशाना साध रहा है। कांग्रेस का कहना है कि ये चुनाव आचार संहिता का सीधा- साधा उल्लंघन है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि ये सुनिश्चित किया जाए कि मीडिया द्वारा मोदी के इस ध्यान लगाने के कार्यक्रम का प्रसारण न किया जाए। इतना ही नहीं टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि यदि पीएम मोदी का ध्यान कार्यक्रम प्रसारित हुआ तो पार्टी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।सीपीआईएम ने तो मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पत्र लिखते हुए PM के मेडिटेशन के दौरान इससे जुड़ी खबरों का प्रसारण पर लगाई जाए। विपक्ष के इस हंगामे के बीच आइए जानते हैं कि क्या पीएम मोदी का ध्यान लगाना सच में आचार संहिता का उल्लंघन है।