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जी20 समिट के मेहमानों के लिए शाही तैयारी, चांदी के बर्तनों में परोसा जाएगा खाना

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जी 20 को लेकर पूरी दुनिया की नजर इस वक्त भारत पर है। नई द‍िल्‍ली में हो रहे इस श‍िखर सम्‍मेलन में दुन‍िया की महाशक्‍ति कहे जाने वाले अमेर‍िका के अलावा रूस, जापान, फ्रांस, चीन, कनाडा, ब्र‍िटेन समेत समूह के अन्‍य देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष, प्रमुख और प्रत‍िन‍िध‍ि श‍िरकत कर रहे हैं।ऐसे में सुरक्षा व्‍यवस्‍था से लेकर तमाम सभी छोटे-बड़े पहलुओं पर खास फोकस क‍िया जा रहा है। मेहमानों के ठहरने के इंतजाम से लेकर तरह-तरह के व्यंजनों को परोसने तक हर चीज पर खास ध्यान दिया जा रहा है। भारतीय संस्कृति में अतिथि देवो भव: यानी महेमान देवता के समान माना गया है।ऐसे में भारत जी-20 समिट में शामिल होने वाले मेहमानों के आदर और सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है। तभी तो भगवान स्वरूप मेहमानों के लिए भारत की सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित कलाकृतियों वाले चांदी के विशेष बर्तनों पर भोजन परोसा जाने की व्यवस्था की गई है।

खाना परोसने के अंदाज में भी दिखेगी भारतीय संस्कृति

तमाम खास मेहमानों को चांदी के बर्तनों में खाना परोसा जाएगा। अपने खाना परोसने के अंदाज में भी भारत अपनी संस्कृति और विरासत की झलक दिखाना चाहता है। इसलिए मेहमानों को चांदी के बने बर्तनों में खाना परोसा जाएगा। सुबह ब्रेकफास्ट के लिए हाय टी से लेकर दोपहर के खाने के लिए अलग-अलग स्टाइल की डिशेज़ और रात के खाने के लिए खूबसूरत प्लेट, रोटी के लिए बास्केट और फ्रूट की खूबसूरत बास्केट तैयार की गई। इन बर्तनों को बनाने वाली कंपनी 11 होटल में खास बर्तन भेजे हैं, जहां-जहां भी विदेशी मेहमान रहेंगे।

फ्यूजन एलिगेंस" पर आधारित बर्तन

राजस्थान की राजधानी जयपुर में धातु की वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनी आइरिस ने चांदी के खास बर्तन तैयार करवाए हैं। कई कारीगरों ने रात दिन मेहनत करके भारत की "विविधता में एकता" की थीम "फ्यूजन एलिगेंस" पर आधारित विशेष बर्तन तैयार किये हैं। इसकी खास बात ये कि नमक वाले बर्तन यानी साल्ट ट्रे पर अशोक चक्र का चित्र बना हुआ है। डिनर सेट में चांदी के बर्तन के अलावा गोल्ड प्लेटेड कटोरी, नमक स्टैंड और चम्मच शामिल हैं। बता दें कटोरी, गिलास और प्लेट को रॉयल लुक दिया है. इसके साथ ही ट्रे और थालियों पर भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई देगी। इसके अलावा खाने वाली प्लेट पर हस्तशिल्प की खूबसूरत कला की झलक भी दिखेगी।

200 कारीगरों ने लगभग 15,000 चांदी के बर्तन बनाए

कंपनी के लक्ष पाबुवाल ने कहा कि अधिकांश टेबलवेयर में स्टील या पीतल का आधार या चांदी की खूबसूरत कोटिंग के साथ दोनों का मिश्रण होता है, जबकि प्लेट जैसे कुछ बर्तनों पर सोने की कलई चढ़ी होगी। इनमें स्वागत पेय परोसने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गिलास भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के अवसर के लिए 200 कारीगरों ने लगभग 15,000 चांदी के बर्तन बनाए हैं।आइरिस जयपुर ने कहा कि इन्हें तैयार करने में 50,000 घंटे लगे, जिस पर जयपुर, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों के शिल्पकारों ने काम किया है।

कल से तीन दिन के लिए थम जाएगी दिल्ली की रफ्तार, सोच-समझकर घर से निकले बाहर

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राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में 9 और 10 सितंबर को जी-20 सम्मेलन होने जा रहा है। जिसके लिए तमाम तरह की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर राजधानी नई दिल्ली सज धजकर तैयार है।यह सम्मेलन प्रगति मैदान यानी भारत मंडपम में होना है। इस समिट में जी20 देशों के प्रमुख शामिल होंगे।ऐसे में उनकी सिक्योरिटी और उनके मूवमेंट को लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। इस दौरान दिल्ली में वाहनों के आवागमन पर 3 दिन का प्रतिबंध लगाया जाएगा।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली में रहने वाले या दूसरे राज्यों से दिल्ली आने वाले लोगों के मन में कई सवाल हैं। मेट्रो, ट्रेन, फ्लाइट को लेकर क्या कोई नियम बदले हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रशासन की ओर से कैसी पाबंदियां लगाई गई हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से बताया गया है कि दिल्ली खुली है। जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं वह एनडीएमसी एरिया के एक हिस्से में है। ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी जारी करके लोगों को आगाह किया है। कई रूट में बदलाव है।

भारत इस बार जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 9 और 10 सितंबर को भारत मंडपम में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। अब इस दौरान दिल्ली एनसीआर में कौन से रूट्स बंद रहेंगे, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जाने की क्या गाइडलाइंस हैं। आइए जानते हैं ट्रैफिक से जुड़े तमाम सवालों के जवाब।

इन रास्तों पर जाने से बचें

नई दिल्ली जिले के पूरे इलाके को 8 सितंबर 5 बजे से 10 सितंबर को 11 बजकर 59 मिनट तक “नियंत्रित क्षेत्र- I” माना जाएगा। हालांकि, स्थानीय निवासियों, अधिकृत वाहनों और आपातकालीन वाहनों को यात्रा की अनुमति दी जाएगी।

रिंग रोड (महात्मा गांधी मार्ग) के अंदर के पूरे इलाके को 8 सितंबर 5 बजे से 10 सितंबर को 11 बजकर 59 मिनट तक रेगुलेटेड एरिया माना जाएगा। केवल स्थानीय निवासियों, अधिकृत वाहनों, आपातकालीन वाहनों और हवाई अड्डे, पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली रेलवे स्टेशनों की ओर जाने वाले यात्रियों के वाहनों को रिंग रोड से आगे नई दिल्ली जिले की ओर जाने की अनुमति होगी।

इसके अलावा, निम्नलिखित सड़कों और जंक्शनों को 10 सितंबर रात 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक नियंत्रित क्षेत्र- II माना जाएगा। इसमें डब्ल्यू-प्वाइंट, ए-प्वाइंट, डीडीयू मार्ग, विकास मार्ग (नोएडा लिंक रोड-पुस्ता रोड तक), बहादुर शाह जफर मार्ग, दिल्ली गेट, जवाहरलाल नेहरू मार्ग (राजघाट से गुरु नानक चौक तक), चमन लाल मार्ग (गुरु नानक चौक से तुर्कमान गेट तक), आसफ अली रोड (तुर्कमान गेट से बीएसजेड मार्ग तक), महाराजा रणजीत सिंह मार्ग (बाराखंभा-टॉल्स्टॉय क्रॉसिंग से चमन लाल मार्ग पर गुरु नानक चौक तक), महात्मा गांधी मार्ग (दिल्ली से) -मेरठ एक्सप्रेसवे टी-प्वाइंट से कश्मीरी गेट), आईपी फ्लाईओवर, शांति वन चौक, हनुमान सेतु, आईएसबीटी कश्मीरी गेट और सलीमगढ़ बाईपास शामिल हैं।

9 और 10 तारीख को नई दिल्ली एरिया में टैक्सी की नो एंट्री

दिल्ली में 8 से 10 सितंबर के बीच होने वाले जी-20 समिट को लेकर दिल्ली जाने वाली बसों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन कश्मीरी गेट और ज्ञानी बॉर्डर से जाने वाली बसों की संख्या कम ही रखी जाएगी। वहीं, ट्रैफिक पुलिस की तरफ से पहले ही रूट डायवर्ट किया गया है। 9 और 10 तारीख को नई दिल्ली एरिया में टैक्सी की एंट्री नहीं होगी। हालांकि होटल में ठहरने वाले या जिनके घर इस इलाके में है उनको टैक्सी लेकर जाने की इजाजत होगी।

जाने मेट्रो के लिए क्या होंगे नियम?

जी20 के सुरक्षा इंतजामों के चलते द‍िल्‍ली मेट्रो रेल न‍िगम ने सेवाओं के संचालन में कुछ बदलाव करने का न‍िर्णय ल‍िया है। मेट्रो सेवाओं पर इस दौरान क‍िसी प्रकार का प्रत‍िबंध नहीं लगाया गया है। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्‍टेशन को 3 द‍िन के ल‍िए बंद रखने का न‍िर्णय डीएमआरसी प्रशासन ने ल‍िया है।द‍िल्ली मेट्रो ट्रेन सेवाएं 3 दिनों (8 से 10 सितंबर तक) के लिए सभी लाइनों के टर्मिनल स्टेशनों से सुबह 4 बजे से शुरू होंगी। इस अवधि (8 से 10 सितंबर) के दौरान सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन को छोड़कर सभी मेट्रो स्टेशन आम जनता के लिए खुले रहेंगे, जहां सुरक्षा कारणों के चलते 9 और 10 सितंबर को यात्रियों को चढ़ने/उतरने की अनुमति नहीं होगी।

कई ट्रेनें रहेंगी बंद

G20 शिखर सम्मेलन के दौरान 9 और 10 सितंबर को उत्तर रेलवे ने 40 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। 12 ट्रेनें टर्मिनेट की गई हैं। 70 ट्रेनों को सेटेलाइट स्टेशन से जोड़ा गया है। रेल मुसाफिरों को सलाह है कि इन दिनों में अपनी यात्रा देखभाल कर करें। NTES मोबाइल ऐप और 139 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर अपनी ट्रेन का स्टेट्स चेक कर लें। 9 सितंबर को गाड़ी संख्या 04041, 04042, 04285, 04435, 04989, 04990 रद्द रहेगी। 10 सितंबर को गाड़ी संख्या 04283, 04285, 04286, 04435, 04499, 04500, 04989, 04990 रद्द रहेगी। इसके अतिरिक्त 11 सितंबर को 04283 व 04286 रद्द रहेगी। 8 और 9 सितंबर को गाड़ी संख्या 14727, 14728 श्रीगंगानगर, 9 और 10 सितंबर को मेरठ श्रीगंगानगर गाड़ी संख्या 14030, हरियाणा एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 14086 दिनांक 9,10,11 सितंबर को रद्द रहेगी। गाड़ी संख्या 14085 दिनांक 8, 9, 10 सितंबर को रद्द रहेगी। इसलिए 8 सितंबर से 11 सितंबर तक रद्द गाड़ियों की लिस्ट देखकर ही घर से निकलें।

द‍िल्‍ली बॉर्डर में प्रवेश करने वाले वाहनों के लिए निय़म

इसके अलावा द‍िल्‍ली बॉर्डर में प्रवेश करने वाले वाहनों को लेकर भी कुछ प्रत‍िबंध लगाए गए हैं। धौला कुआं से सराय काले खां और राजघाट तक र‍िंग रोड से वाहनों को नई द‍िल्‍ली में एंट्री नहीं दी जाएगी। वहीं, अन्‍य क्षेत्रों में वाहनों के पर‍िचालन पर क‍िसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। नई द‍िल्‍ली एर‍िया में रहने वाले लोग अपने न‍िजी वाहनों से आवाजाही कर सकते हैं। लेक‍िन इसके ल‍िए संबंध‍ित एर‍िया का आईडी प्रूफ द‍िखाना अन‍िवार्य रहेगा।

आसियान समिट में पीएम मोदी ने दुनिया को दिया “वन अर्थ, वन फैमिली” का मंत्र

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भारत में होने वाली जी-20 समिट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के दौरे पर हैं। गुरुवार को जकार्ता में आयोजित आसियान समिट को पीएम मोदी ने संबोधित किया।यहां पीएम मोदी ने कहा-आसियान में सभी देशों की आवाज सुनी जाती है और हम पूरी दुनिया में ग्लोबल साऊथ की आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।साथ ही उन्होंने कहा कि वन अर्थ, वन फैमिली हमारा मंत्र है। हमें हर क्षेत्र में मिलकर काम करने की जरूरत है।

पीएम मोदी ने विडोडो को दी आयोजन के लिए बधाई

इंडोनेशिया के जकार्ता में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी साझेदारी चौथे दशक में प्रवेश कर रही है। इस समिट के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति विडोडो का मैं अभिनंदन करता हूं। आसियान समिट की अध्यक्षता के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई। शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्रीय स्तंभ है। भारत की इंडो-पैसिफिक पहल में भी आसियान क्षेत्र का प्रमुख स्थान है। 

हर क्षेत्र में आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हो रही-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस साल की थीम आसियान मैटर्स: एपिसेंटर ऑउ ग्रोथ. उन्होंने कहा कि आसियान मायने रखता है, क्योंकि यहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है। वैश्विक विकास में आसियान क्षेत्र की अहम भूमिका है। वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में भी हर क्षेत्र में हमारे आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज हमारी बातचीत से भारत और आसियान क्षेत्र के भावी भविष्य को और सुदृढ़ बनाने के लिए नए संकल्प लिए जाएंगे।

'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' का दिया मंत्र

जी-20 का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने यहां ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' यही भावना भारत की जी-20 अध्यक्षता की थीम है। 21वीं सदी एशिया की सदी है।

इससे पहले जकार्ता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पारंपरिक इंडोनेशियाई नेताओं के साथ पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया गया।गुरुवार सुबह इंडोनेशिया के जकार्ता पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय प्रवासियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। पीएम ने भारतीय प्रवासियों से मुलाकात की, जिन्होंने फूल और झंडों के साथ पीएम मोदी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री को जकार्ता में प्रवासी भारतीयों के कई लोगों के साथ संक्षिप्त बातचीत करते हुए भी देखा गया।

देश में पहली बार नहीं उठी INDIA का नाम भारत रखने की मांग, 2012 में कांग्रेस भी ला चुकी है बिल, पढ़िए, पूरी रिपोर्ट

देश में इस समय देश का ही नाम बदलने की चर्चा सबसे तेज है. इस चर्चा को हवा दी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पत्र ने. दरअसल G-20 समिट के लिए 9 सितंबर को होने वाले रात्रि भोज के लिए जो निमंत्रण पत्र राष्ट्रपति भवन की ओर से देश के नेताओं को भेजे गए हैं, उनमें सामान्य रूप से उपयोग होने वाले 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' शब्द को बदला गया है. इस बार के निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का उपयोग किया गया है. अब पूरा विवाद इसी पर है. वही ऐसे में अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि संसद के विशेष सत्र में INDIA का नाम परिवर्तित कर भारत किया जा सकता है. विपक्षी सदस्यों ने इस पर नाराजगी जताई एवं कुछ नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल I.N.D.I.A. गठबंधन से चिंतित है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा, पूरा देश मांग कर रहा है कि हमें 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द का उपयोग करना चाहिए. 'इंडिया' शब्द अंग्रेजों द्वारा हमें दी गई एक गाली है. 'भारत' शब्द हमारी संस्कृति का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि हमारे संविधान में परिवर्तन हो तथा इसमें 'भारत' शब्द जोड़ा जाए. 

कैसे बदल सकते हैं देश का नाम?

यहां आपको यह भी जान लेना आवश्यक है कि देश का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है? इस चर्चा के बीच हमने लोकसभा के पूर्व महासचिव, संविधान के विशेषज्ञ एवं सीनियर एडवोकेट पीडीटी आचारी से पूछा कि आखिर इसकी प्रक्रिया क्या है? आचारी के अनुसार, सरकार यदि संविधान में संशोधन कर 'इंडिया दैट इज भारत शैल बी यूनियन ऑफ स्टेट्स' को बदल कर केवल भारत करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद 1 और 52 में प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया, वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया जैसे पदनाम उनके ऑफिस को इंगित करते हैं.

संविधान में हिंदी अनुवाद में नहीं है INDIA का जिक्र

हालांकि संविधान के आधिकारिक हिंदी अनुवाद में इन पदनाम का जिक्र भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश आदि के रूप में ही किया गया है. यानी संविधान को यदि हिंदी भाषा में पढ़ेंगे तो उसमें इंडिया का जिक्र नहीं है केवल भारत ही है. यदि सरकार इसमें केवल भारत को ही मान्यता देना चाहती है तो तय प्रक्रिया के अनुसार, संविधान में परिवर्तन कर ऐलान करना होगा INDIA को भारत के नाम से बुलाया जाएगा. 

50 फीसदी राज्यों की सहमति जरूरी

अनुच्छेद 3 एवं 239AA जैसे कई अनुच्छेद हैं, जिनमें परिवर्तन के लिए प्रदेशों की सम्मति आवश्यक नहीं है. किन्तु संविधान में उन अनुच्छेदों का स्पष्ट जिक्र है जिनमें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों से अलग-अलग दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरुरी है. बहुमत के लिए सदन की कुल संख्या का स्पष्ट बहुमत यानी आधे से अधिक और उपस्थित सदस्यों का दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरुरी है. तत्पश्चात, आधे से अधिक यानी कुल प्रदेशों में से 50 प्रतिशत से एक अधिक प्रदेशों की सहमति जरुरी होती है.

कैसे तय हुआ देश का आधिकारिक नाम?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार, 'इंडिया, जो कि भारत है, प्रदेशों का एक संघ होगा.' अनुच्छेद 1 को लेकर पहले संविधान सभा में चर्चा की गई है एवं 2012 और 2014 में निजी सदस्य बिल भी पेश किए गए हैं. संविधान सभा ने तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर व्यापक रूप से बहस की थी. बता दें कि संविधान सभा के सदस्य एच. वी. कामथ ने 18 सितंबर 1949 को बहस आरम्भ की तथा अनुच्छेद 1 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें भारत या वैकल्पिक रूप से हिंद को देश के प्राथमिक नाम के रूप में रखा गया तथा अंग्रेजी भाषा में इंडिया को नाम के रूप में प्रस्तावित किया गया.

वही संसदीय रिकॉर्ड से पता चलता है कि कामथ ने इस बात पर जोर दिया था कि भारतीय गणराज्य को उचित नाम देने के लिए कई सुझाव दिए गए थे तथा उन्होंने भारत, हिंदुस्तान, हिंद एवं भारतभूमि या भारतवर्ष के प्रमुख सुझावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि जो लोग भारत या भारतवर्ष या भारतभूमि का दावा करते हैं, वे इस तथ्य पर अपना रुख रखते हैं कि यह इस भूमि का सबसे प्राचीन नाम है. कामथ ने भारत नाम की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया, किन्तु अंबेडकर ने उन्हें बीच में रोकते हुए पूछा कि क्या इन सबका पता लगाना जरुरी है. इस पर कामथ ने जवाब दिया कि सदन के कामकाज को नियंत्रित करना अंबडेकर का काम नहीं है. वही चर्चा के चलते सेठ गोविंद दास ने अनुच्छेद 1 में शब्दों का विरोध किया तथा कहा कि 'इंडिया, यानी भारत' किसी देश के नाम के लिए सुंदर शब्द नहीं हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि 'भारत को विदेशों में भी इंडिया के नाम से जाना जाता है.' दास ने विस्तार से बताया कि इंडिया शब्द हमारी प्राचीन पुस्तकों में नहीं प्राप्त होता है. इसका प्रयोग तब आरम्भ हुआ जब यूनानी भारत आए. उन्होंने वेदों, उपनिषदों, ब्राह्मणों एवं महाभारत का हवाला देते हुए कहा था कि हमें उनमें भारत नाम का उल्लेख मिलता है. उन्होंने ह्वेन-त्सांग नाम के चीनी यात्री को भी उद्धृत किया तथा अपनी यात्रा पुस्तक में इस देश का संदर्भ भारत के रूप में दिया. उनका विचार था कि हमें अपने देश को ऐसा नाम देना चाहिए जो हमारे इतिहास एवं हमारी संस्कृति के अनुरूप हो. उन्होंने 'भारत माता की जय' का नारा बुलंद करके महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई की तरफ रुख किया.

वही भारत नाम के एक अन्य प्रस्तावक कल्लूर सुब्बा राव थे, जिन्होंने कहा कि वह दिल से भारत नाम का समर्थन करते हैं, जो कि प्राचीन है. उन्होंने कहा कि भारत नाम ऋग्वेद (ऋग् 3, 4, 23.4) में है. संसदीय रिकॉर्ड में उन्हें इस तरह उद्धृत किया गया है, 'इंडिया नाम सिंधु (सिंधु नदी) से आया है तथा अब हम पाकिस्तान को हिंदुस्तान कह सकते हैं क्योंकि सिंधु नदी वहीं है.' सिंध हिंद बन गया है. जैसा कि संस्कृत में स का उच्चारण ह के रूप में किया जाता है. यूनानियों ने हिंद को इंड के तौर पर उच्चारित किया. तत्पश्चात, यह अच्छा और उचित है कि हम भारत को भारत के तौर पर संदर्भित करें. बता दे कि बी.एम गुप्ते, राम सहाय, कमलापति त्रिपाठी एवं हरगोविंद पंत अन्य संविधान सभा सदस्य थे जिन्होंने भारत का नाम भारत रखे जाने का पुरजोर समर्थन किया. तो वहीं एक अन्य सदस्य कमलापति त्रिपाठी ने कहा, 'यदि हमारे सामने जो प्रस्ताव पेश किया गया है, उसमें वह शब्द आवश्यक होते तो 'भारत यानी इंडिया' शब्द का उपयोग करना अधिक उचित होता.' जब कामथ के संशोधन को मतदान के लिए रखा गया, तो सभी तर्क गिर गए. सभा हाथ उठाकर विभाजित हो गई. भारत के पक्ष में 38 वोट पड़े तथा 'भारत यानी इंडिया' के पक्ष में 51. प्रस्तावित संशोधन पराजित हो गया और 'इंडिया, दैट इज भारत' बरकरार रहा.

2012 में कांग्रेस ने पेश किया 'भारत' नाम रखने का विधेयक

9 अगस्त 2012 को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांताराम नाइक ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया. 

उन्होंने तीन परिवर्तनों का प्रस्ताव रखा: 

1) संविधान की प्रस्तावना में 'इंडिया' शब्द के स्थान पर 'भारत' शब्द रखा जाए. 

2) 'इंडिया, दैट इज भारत' वाक्यांश के स्थान पर एकल शब्द 'भारत' रखा जाए. 

3) संविधान में जहां भी 'इंडिया' शब्द आता है, वहां 'भारत' शब्द रख दिया जाए. 

इस विधेयक की वजहों के बारे में कहा गया कि INDIA एक क्षेत्रीय अवधारणा को दर्शाता है, जबकि 'भारत' केवल क्षेत्रों से कहीं अधिक का प्रतीक है. जब हम अपने देश की सराहना करते हैं तो हम 'भारत माता की जय' बोलते हैं, न कि 'INDIA की जय.' इसे बदलने के लिए कई आधार हैं. यह नाम देशभक्ति की भावना भी पैदा करता है तथा इस देश के लोगों में जोश भर देता है. इस सिलसिले में; "जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ बनाती हैं बसेरा वो भारत देश है मेरा", एक लोकप्रिय शब्द है गाना प्रासंगिक है.

2014 में, योगी आदित्यनाथ ने संविधान में 'इंडिया' शब्द को 'हिंदुस्तान' से बदलने के लिए लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया था. विधेयक में संविधान में जहां कहीं भी इंडिया शब्द आता है, उसकी जगह पर हिंदुस्तान शब्द का प्रस्ताव दिया गया. उनके विधेयक में अनुच्छेद 1 में संशोधन करने का प्रस्ताव था. इस विधेयक की वजहों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश का प्राचीन एवं पारंपरिक नाम भारत और हिंदुस्तान है. ये दोनों नाम ब्रिटिश-पूर्व काल में प्रचलित थे. ब्रिटिश शासन की स्थापना के पश्चात् अंग्रेजों ने 'इंडिया' नाम का प्रयोग किया जो उनके अपने देश में प्रचलित था. संविधान निर्माताओं ने देश के प्राचीन नाम 'भारत' को मान्यता दी तथा उसे संविधान में उचित स्थान दिया. उन्होंने कहा था अंग्रेजी नाम की लोकप्रियता की वजह से हमारे देश का पारंपरिक नाम 'हिन्दुस्तान' छूट गया है. यह विधेयक हमारे देश का नामकरण 'इंडिया, दैट इज भारत' से बदलकर 'भारत, दैट इज हिंदुस्तान' करके संविधान में संशोधन होना चाहिए. योगी द्वारा लाए गए विधेयक में कहा गया था कि इंडिया शब्द गुलामी के प्रतीक को दर्शाता है तथा इस तरह यह हमारे संविधान से निकाले जाने योग्य है.

पीएम मोदी को लिखे सोनिया गांधी के पत्र का प्रह्लाद जोशी ने दिया जवाब, कहा-आप संसद के कामकाज का राजनीतिकरण कर रहीं हैं

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कांग्रेस संसदीय दल की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर पीएम को पत्र लिखा है। सोनिया ने अपनी चिट्ठी में विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर आपत्ति जताई है तो वहीं अपनी ओर से नौ मांग भी रखी हैं।अब सोनिया गांधी की चिट्ठी का सरकार की ओर से जवाब दिया गया है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, आपका परंपराओं की तरफ ध्यान नहीं है

प्रह्लाद जोशी ने जवाब में आगे संसदीय परंपराओं का उल्लेख किया। उन्होंने लिखा- शायद आपका परंपराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। राष्ट्रपति द्वारा सत्र बुलाए जाने के बाद और सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती हैं। इस बैठक में संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।

अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास- प्रह्लाद जोशी

प्रह्लाद जोशी ने लिखा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप संसद के कामकाज का भी राजनीतिकरण और अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है। आप जानती है कि अनुच्छेद 85 के तहत संवैधानिक जनादेश का पालन करते हुए संसद सत्र नियमित तौर पर आयोजित किए जाते हैं। पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति ने 18 सितंबर से शुरू होनेवाले संसद सत्र को बुलाया है।

सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार- प्रह्लाद जोशी

जोशी ने कहा कि मैं यह भी बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है। वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है, वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी- प्रह्लाद जोशी

उन्होंने आगे कहा कि सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर जारी की जाएगी। मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आज तक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई।उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मैं आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने में आपके पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता हूं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय हित में सार्थक परिणाम सामने आ सके।

सोनिया में पीएम को पत्र में क्या लिखा

बता दें कि इससे पहले सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है।उन्होंने इस खत में लिखा है कि पहली बार संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया।आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है। इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है।यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया।वहीं, सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में कुल 9 मुद्दे सामने रखे हैं। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी के मसले पर चर्चा की मांग की है। किसानों को लेकर सरकार ने जो वादे किए, एमएसपी की गारंटी दी उसपर अभी तक क्या हुआ है। सोनिया गांधी ने अडानी मामले में जेपीसी की जांच की मांग की है, इनके अलावा जातीय जनगणना को तुरंत कराए जाने की अपील की गई है।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र द्वारा संघीय ढांचे, राज्य सरकारों पर किए जा रहे हमले, हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। इनके अलावा देश में सांप्रदायिक तनाव, मणिपुर हिंसा और चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ के मुद्दे को सामने रखा है।

*दिल्ली की सड़कों पर भी अपनी ही गाड़ी से चलेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति, किसे किले से कम नहीं बाइडन की कार ‘द बीस्ट’

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भारत के नई दिल्‍ली में जी-20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन होने वाला है। इसमें कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन भी शिरकत करने नई दिल्‍ली पहुंच रहे हैं।बाइडेन कल यानी 7 सितंबर को नई दिल्ली पहुंच जाएंगे। बाइडेन दुनिया की उन हस्तियों में शामिल हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा सुरक्षा मिलती है। अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ खुद उनकी टीम भी मौजूद रहती है और उनके हर दौरे से पहले तमाम चीजों को देखा जाता है। जानते हैं कि अमेरिका से भारत तक जो बाइडेन की सुरक्षा आखिर कैसी होगी।

दिल्ली में भी व्हाइट हाउस के ही गार्ड्स करेंगे निगेहबानी

अमेरिका के राष्ट्रपति करीब 3 दिन तक दिल्ली में होंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षा के लिए कई तरह के इंतजाम किए गए हैं।इस तीन दिन के दौरे के लिए पिछले कई हफ्तों से तैयारी हो रही है। जब जो बाइडेन नई दिल्ली में होंगे, तब उनकी पूरी सुरक्षा व्हाइट हाउस के ही गार्ड्स के हाथ में होगी।अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी गाड़ी से ही चलेंगे, इसके अलावा कंट्रोल रूम से हर एक गतिविधि पर नज़र रखी जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जहां भी जाते हैं वहां उनकी खुद की सुरक्षा होती है। ऐसा ही जी-20 के लिए भी किया जा रहा है। नई दिल्ली में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जहां से जो बाइडेन के पूरे रूट पर नज़र रखी जाएगी।

एयरफोर्स वन प्लेन उड़ता हुआ किला

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 7 सितंबर को भारत पहुंचेंगे। उनके आने से पहले हवाई सुरक्षा और साथ में ज़मीनी सुरक्षा की पूरी तैयारी हो गई है। प्रेसिडेंट जो बाइडेन एयरफ़ोर्स वन एयरक्राफ्ट से भारत आएंगे। यह एयरफ़ोर्स वन 4 हज़ार स्क्वायर फिट भारी-भरकम प्लेन है और तीन मंज़िला एयरक्राफ़्ट है। एयरफोर्स वन 747-200 बी सीरीज का एयरक्राफ्ट है जो उड़ता हुआ किला है जिसे भेदना बेहद मुश्किल है। इसमें हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। अगर कोई अटैक होता है तो ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स के द्वारा उसको विफल कर सकता है। एयरफोर्स वन के अंदर प्रेजिडेंट सुईट ,कांफ्रेंस रूम ,मेडिकल फैसिलिटी, 100 -150 लोगों की क्षमता है। इस प्लेन में राष्ट्रपति के साथ सीनियर एडवाइजर से लेकर सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की टीम साथ रहती है।

दिल्ली में अपनी गाड़ी से ही चलेंगे बाइडन

अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली में अपनी गाड़ी से ही चलेंगे, जिसे द बीस्ट कहा जाता है। राष्‍ट्रपति जो बाइडेन की ‘द बीस्ट’ में बख्तरबंद बाहरी हिस्सा, बख्तरबंद खिड़कियां, टॉप-स्पेक कम्‍युनिकेशंस सिस्‍टम और केवलर-रीइनफोर्स्‍ड टायर्स होते हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति की इस कार में आमतौर पर 9 खास सुरक्षा सुविधाएं होती हैं। किसी तरह की दुर्घटना की स्थिति में इसमें राष्‍ट्रपति के ब्‍लड ग्रुप वाले रक्‍त की आपूर्ति करने की व्‍यवस्‍था रहती है। साथ ही इसमें ऑक्‍सीजन आपूर्ति की सुविधा भी दी गई है। इसे ‘रोलिंग बंकर’ भी कहा जाता है। इस कार पर किसी धमाके का भी कोई असर नहीं होता है। कहा जाता है कि ये कार क्षुद्रग्रह के टकराव में भी सुरक्षित रह सकती है।

दिल्ली की सड़कों पर सबसे बड़ा गाड़ियों का काफिला बाइडन का ही होगा

माना ये जा रहा है कि दिल्ली की सड़कों पर सबसे बड़ा गाड़ियों का काफिला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ही होगा।जी 20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल प्रगति मैदान के भारत मंडपम तक जाने वाले हर देश के प्रमुख के काफिले में 14 से ज्यादा कारें नहीं होंगी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले को इस मामले में थोड़ी छूट मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले में चलने वाली कारों की संख्या 15 से 25 तक हो सकती है।

राष्ट्रपति से पहले पहुंचे यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट

अमेरिकी राष्ट्रपति के किसी देश की यात्रा से कई हफ्ते पहले यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। यहां वो सुरक्षा को लेकर हर पहलू की जांच करते हैं। इस टीम में प्रेसिडेंट स्टाफ और बाकी सुरक्षाबल मौजूद होते हैं। एयरपोर्ट से लेकर जिस होटल में राष्ट्रपति ठहरते हैं, उसमें ये एजेंट्स पहुंचते हैं। उस देश में होने वाली हर गतिविधियों पर उनकी नजरें होती हैं और वो किसी भी तरह की सुरक्षा चूक नहीं होने देते हैं।राष्ट्रपति के किसी देश में आने से पहले ये एजेंट्स उस देश की सुरक्षा एजेंसियों से सभी तरह की जानकारी लेते हैं। इस दौरान ऐसे लोगों और संगठनों की पहचान की जाती है, जिनसे राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है। इसके साथ ही उस पूरे रूट को बम स्क्वॉड चेक करता है, जिससे राष्ट्रपति गुजरते हैं।

घोड़ों को नहीं मिल रही घास और गधे खा रहे हैं च्वयनप्राश!', पढ़िए, राजस्थान के हनुमानगढ़ में बीजेपी की जनसभा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने और क्या

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केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की विरोधी भी प्रशंसा करते हैं। नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों को लेकर भी ख़बरों में रहते हैं। अफसरों को खरी-खरी सुनाने एवं नेताओं को भी सीख देने को लेकर वह ख़बरों में रहते हैं। अब उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि घोड़ों को नहीं मिल रही घास तथा गधे खा रहे हैं च्वयनप्राश!

राजस्थान के हनुमानगढ़ में बीजेपी की जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीजेपी की सरकार बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार को वापस लाना है। राजस्थान की तकदीर को बदलना है। अपने संबोधन के चलते नितिन गडकरी ने गधे एवं घोड़े का जिक्र किया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। नितिन गडकरी ने कहा, ‘एक शायर बहुत बड़ी शायरी बोलते थे। यह मैं किसी को कह नहीं रहा हूं। वह बोलते थे इधर गधे उधर गधे, सब तरफ गधे ही गधे। अच्छे घोड़े को नहीं है घास, गधे खा रहे च्यवनप्राश। समझने वाले को इशारा बहुत होता है।’ अब नितिन गडकरी का यह वीडियो वायरल हो रहा है तथा लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

वही एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा, ‘गडकरी जी आप डरो नहीं खुल कर भी बोल सकते हो..आपका संकेत समझ आ गया।’ विजय प्रताप सिंह ने लिखा, ‘ये किस गधे की बात हो रही है? 2024 दूर नहीं है, अब तो खुल कर बोलिये।’ सोहिल अहमद ने लिखा, ‘गडकरी साहब, आपसे आपके ही पार्टी के नेता नाराज हो जायेंगे।’ एक अन्य ने लिखा, ‘अब तो नितिन गडकरी जी मैदान में उतर गए हैं, अब अशोक गहलोत जी की खैर नहीं है।’ आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर इस वीडियो को साझा कर कह रहे हैं कि नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला बोल दिया है तो वहीं भाजपा के समर्थकों के अनुसार, यह बयान राजस्थान कांग्रेस के नेताओं के लिए था। हालांकि नितिन गडकरी ने किसी व्यक्ति, पार्टी का नाम ना लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी है।

श्री बदरीनाथ धाम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, फूलों से सजा बदरीनाथ मंदिर; उमड़ी भक्तों की भीड़, नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

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श्री बदरीनाथ धाम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व से पूर्व श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर बदरीनाथ मंदिर में भजन कीर्तन संध्या भी होगी। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि जन्माष्टमी हेतु मंदिर समिति ने व्यापक तैयारियां की है। श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है।

जन्माष्टमी को देखते हुए हजारों तीर्थयात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं। बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी,श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर अधिकारी, प्रभारी अधिकारी बदरीनाथ धाम राजेंद्र चौहान, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र प्रसाद भट्ट सहित अधिकारी- कर्मचारी, तीर्थपुरोहितगण व तीर्थयात्री मौजूद रहेंगे।

नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

जन्माष्टमी के पर्व पर पोखरी विकासखंड के नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला । जिसको लेकर क्षेत्र के नागरिकों ने मंदिर में तैयारियां पूर्ण कर ली है। बताया कि यह मेला कल,आज से आयोजित होगा। पुराण के अनुसार नागनाथ नागवंशीय राजाओ की राजधानी होने के कारण इस क्षेत्र का नाम नागनाथ पड़ा।कहा जाता है कि इस क्षेत्र में पुष्कर नाग ने तपस्या की थी। इसलिए इस क्षेत्र के पर्वत का नाम पुष्कर पर्वत पड़ा है। इसी पर्वत की गोद में नागनाथ स्वामी का मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि उन्नीसवीं सदी में मंदिर का निर्माण हुआ है।मंदिर में लक्ष्मी स्वरूप विष्णु की मूर्ति और नाग छड़ियां विराजमान है।

जन्माष्टमी पर विराजमान होती है मूर्ति

मंदिर के पुजारी जानकी प्रसाद सती बताते है, कि चोरी के भय से मूर्ति को वे घर में रखते है, और जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिर में विराजमान करते है। साथ ही नाग की मूल प्रतिमा (नाग छड़ी) को जन्माष्टमी की सुबह ढोल नगाड़ो के साथ संपूर्ण ग्रामवासी नंगे पांव मंदिर में विराजमान कर दिनभर भजन कीर्तन संध्या का आयोजन किया जाता है। व पर्व के समापन के बाद नागछड़ी को गांव में वापस ले जाकर पूजा अर्चना की जाती है।

नौ सितंबर को हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: टूट रहा पहाड़ का सब्र, चुनौतियां बरकरार, सामूहिक सहभागिता की है दरकार

इस वर्ष नौ सितंबर को हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमालय की सुरक्षा से जुड़े तमाम संकल्प आज भी अधूरे हैं। नौ सितंबर 2010 में जब प्रदेश में हिमालय दिवस मानने की शुरूआत हुई थी, सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई।

हिमालय दिवस पर साल-दर-साल लिए गए संकल्प आज भी अधूरे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक हिमालय के प्रति सामूहिक सहभागिता सामने नहीं आएगी, तब तक इन संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से उत्पन्न आपदाएं एक वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, जो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।

हिमालय एक प्रतिष्ठित प्राकृतिक खजाना होने के साथ कई देशों के लिए संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। प्रदेश में हिमालय दिवस की पहल करने वाले पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि हिमालय दिवस की अवधारणा का उद्देश्य इसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए जागरूकता और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा देना था, लेकिन अभी हम लक्ष्य से दूर हैं।

हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नही

देश को पानी हवा व मिट्टी की आपूर्ति करने में हिमालय की महत्वपूर्ण भूमिका है तो जैव विविधता का भी यह अमूल्य भंडार है। जोशी के अनुसार, हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं, बल्कि यह स्वयं में एक सभ्यता को समेटे हुए है। ऐसी एक नहीं, अनेक विशिष्टताओं के बावजूद हिमालय और यहां के निवासियों को वह अहमियत अभी तक नहीं मिल पाई, जिसकी अपेक्षा की जाती है।

हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जाएगा इस वर्ष हिमालय दिवस

इस बार हिमालय दिवस ””हिमालय और आपदा”” थीम पर मनाया जा रहा है। आपदाओं में दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिसमें से एक हिस्सा स्थानीय है, जिसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। दूसरा हिस्सा धरती पर बढ़ते तापमान का है, जिसका सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पहले उत्तराखंड में आई आपदाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बदलती जलवायु ने हिमालय के तामक्रम में बड़ी चोट की है।

इसलिए मनाया जाता है हिमालय दिवस

उत्तराखंड प्रदेश में नौ सितंबर 2010 को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत हेस्को के माध्यम से हुई थी। यह दिन हिमालय के महत्व को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग हिमालय को समझे और उसका आदर करते हुए उसके साथ जिएं, तभी वह सुरक्षित रह सकता है।

हिमालयी क्षेत्र के लिए बने व्यापक नीति

पर्यावरणविद का कहना कि हिमालयी क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है। इसके अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम और केंद्र शासित राज्य लद्दाख व जम्मू-कश्मीर हैं। हिमालय सबकी आवश्यकता है। यह ठीक रहेगा तो सभी के हित सुरक्षित रहेंगे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर हिमालय क्षेत्रों के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

मंत्रियों को मोदी मंत्रःसनातन पर सख्ती से दें जवाब, इंडिया बनाम भारत पर बोलने से बचें

#pm_instructions_to_ministers_on_sanatana_remark_row_india_bharat_debate 

सनातन धर्म और इंडिया बनाम भारत को लेकर देश में चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों को कुछ मंत्र दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री परिषद की बैठक में बुधवार को भारत और इंडिया विवाद पर मंत्रियों को कुछ न बोलने की हिदायत दी है। सूत्रों ने ये जानकारी दी। साथ ही शर्तों के साथ प्रधानमंत्री ने सनातन धर्म विवाद पर बोलने की छूट दी है।

देशभर में सनातन विवाद पर चल रही बहस के बीच बुधवार को पीएम मोदी ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पीएम मोदी ने मंत्रियों को हिदायत दी है कि इस विवाद पर ज्यादा बोलने से बचें. हालांकि उन्होंने कहा कि सनातन पर सरकार के मंत्री बोंलेगे, इसका उचित और समुचित जवाब देना चाहिए, लेकिन भाषा संयमित हो। साथ ही पूरे तथ्यों के साथ जवाब दिए जाने चाहिए। यह भी बताया गया कि पीएम मोदी ने देश का नाम बदलने पर भी ज्यादा ना बोलने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केवल अधिकृत लोग ही इस विवाद पर बोलें।

तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि ने दो सितंबर को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस संक्रमण, डेंगू और मलेरिया से करते हुए इसे खत्म किए जाने की वकालत की थी। उदयनिधि ने कहा था, सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म का समूल नाश दरअसल मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा। उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस से इस बयान की निंदा करने की मांग की है। हालांकि, उदयनिधि ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया है।