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श्री बदरीनाथ धाम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, फूलों से सजा बदरीनाथ मंदिर; उमड़ी भक्तों की भीड़, नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

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श्री बदरीनाथ धाम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व से पूर्व श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर बदरीनाथ मंदिर में भजन कीर्तन संध्या भी होगी। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि जन्माष्टमी हेतु मंदिर समिति ने व्यापक तैयारियां की है। श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है।

जन्माष्टमी को देखते हुए हजारों तीर्थयात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं। बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी,श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर अधिकारी, प्रभारी अधिकारी बदरीनाथ धाम राजेंद्र चौहान, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र प्रसाद भट्ट सहित अधिकारी- कर्मचारी, तीर्थपुरोहितगण व तीर्थयात्री मौजूद रहेंगे।

नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

जन्माष्टमी के पर्व पर पोखरी विकासखंड के नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला । जिसको लेकर क्षेत्र के नागरिकों ने मंदिर में तैयारियां पूर्ण कर ली है। बताया कि यह मेला कल,आज से आयोजित होगा। पुराण के अनुसार नागनाथ नागवंशीय राजाओ की राजधानी होने के कारण इस क्षेत्र का नाम नागनाथ पड़ा।कहा जाता है कि इस क्षेत्र में पुष्कर नाग ने तपस्या की थी। इसलिए इस क्षेत्र के पर्वत का नाम पुष्कर पर्वत पड़ा है। इसी पर्वत की गोद में नागनाथ स्वामी का मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि उन्नीसवीं सदी में मंदिर का निर्माण हुआ है।मंदिर में लक्ष्मी स्वरूप विष्णु की मूर्ति और नाग छड़ियां विराजमान है।

जन्माष्टमी पर विराजमान होती है मूर्ति

मंदिर के पुजारी जानकी प्रसाद सती बताते है, कि चोरी के भय से मूर्ति को वे घर में रखते है, और जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिर में विराजमान करते है। साथ ही नाग की मूल प्रतिमा (नाग छड़ी) को जन्माष्टमी की सुबह ढोल नगाड़ो के साथ संपूर्ण ग्रामवासी नंगे पांव मंदिर में विराजमान कर दिनभर भजन कीर्तन संध्या का आयोजन किया जाता है। व पर्व के समापन के बाद नागछड़ी को गांव में वापस ले जाकर पूजा अर्चना की जाती है।

नौ सितंबर को हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: टूट रहा पहाड़ का सब्र, चुनौतियां बरकरार, सामूहिक सहभागिता की है दरकार

इस वर्ष नौ सितंबर को हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमालय की सुरक्षा से जुड़े तमाम संकल्प आज भी अधूरे हैं। नौ सितंबर 2010 में जब प्रदेश में हिमालय दिवस मानने की शुरूआत हुई थी, सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई।

हिमालय दिवस पर साल-दर-साल लिए गए संकल्प आज भी अधूरे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक हिमालय के प्रति सामूहिक सहभागिता सामने नहीं आएगी, तब तक इन संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से उत्पन्न आपदाएं एक वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, जो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।

हिमालय एक प्रतिष्ठित प्राकृतिक खजाना होने के साथ कई देशों के लिए संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। प्रदेश में हिमालय दिवस की पहल करने वाले पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि हिमालय दिवस की अवधारणा का उद्देश्य इसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए जागरूकता और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा देना था, लेकिन अभी हम लक्ष्य से दूर हैं।

हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नही

देश को पानी हवा व मिट्टी की आपूर्ति करने में हिमालय की महत्वपूर्ण भूमिका है तो जैव विविधता का भी यह अमूल्य भंडार है। जोशी के अनुसार, हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं, बल्कि यह स्वयं में एक सभ्यता को समेटे हुए है। ऐसी एक नहीं, अनेक विशिष्टताओं के बावजूद हिमालय और यहां के निवासियों को वह अहमियत अभी तक नहीं मिल पाई, जिसकी अपेक्षा की जाती है।

हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जाएगा इस वर्ष हिमालय दिवस

इस बार हिमालय दिवस ””हिमालय और आपदा”” थीम पर मनाया जा रहा है। आपदाओं में दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिसमें से एक हिस्सा स्थानीय है, जिसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। दूसरा हिस्सा धरती पर बढ़ते तापमान का है, जिसका सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पहले उत्तराखंड में आई आपदाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बदलती जलवायु ने हिमालय के तामक्रम में बड़ी चोट की है।

इसलिए मनाया जाता है हिमालय दिवस

उत्तराखंड प्रदेश में नौ सितंबर 2010 को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत हेस्को के माध्यम से हुई थी। यह दिन हिमालय के महत्व को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग हिमालय को समझे और उसका आदर करते हुए उसके साथ जिएं, तभी वह सुरक्षित रह सकता है।

हिमालयी क्षेत्र के लिए बने व्यापक नीति

पर्यावरणविद का कहना कि हिमालयी क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है। इसके अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम और केंद्र शासित राज्य लद्दाख व जम्मू-कश्मीर हैं। हिमालय सबकी आवश्यकता है। यह ठीक रहेगा तो सभी के हित सुरक्षित रहेंगे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर हिमालय क्षेत्रों के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

मंत्रियों को मोदी मंत्रःसनातन पर सख्ती से दें जवाब, इंडिया बनाम भारत पर बोलने से बचें

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सनातन धर्म और इंडिया बनाम भारत को लेकर देश में चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों को कुछ मंत्र दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री परिषद की बैठक में बुधवार को भारत और इंडिया विवाद पर मंत्रियों को कुछ न बोलने की हिदायत दी है। सूत्रों ने ये जानकारी दी। साथ ही शर्तों के साथ प्रधानमंत्री ने सनातन धर्म विवाद पर बोलने की छूट दी है।

देशभर में सनातन विवाद पर चल रही बहस के बीच बुधवार को पीएम मोदी ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पीएम मोदी ने मंत्रियों को हिदायत दी है कि इस विवाद पर ज्यादा बोलने से बचें. हालांकि उन्होंने कहा कि सनातन पर सरकार के मंत्री बोंलेगे, इसका उचित और समुचित जवाब देना चाहिए, लेकिन भाषा संयमित हो। साथ ही पूरे तथ्यों के साथ जवाब दिए जाने चाहिए। यह भी बताया गया कि पीएम मोदी ने देश का नाम बदलने पर भी ज्यादा ना बोलने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केवल अधिकृत लोग ही इस विवाद पर बोलें।

तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि ने दो सितंबर को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस संक्रमण, डेंगू और मलेरिया से करते हुए इसे खत्म किए जाने की वकालत की थी। उदयनिधि ने कहा था, सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म का समूल नाश दरअसल मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा। उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस से इस बयान की निंदा करने की मांग की है। हालांकि, उदयनिधि ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया है।

पीएम मोदी ने मंत्रियों को दी 'जी-20 इंडिया' एप डाउनलोड करने की सलाह, 24 भाषाओं में करेगा काम

#pmmodiasksministerstodownloadg20indiaapp

9-10 सितंबर को भारत की अध्यक्षता में जी 20 शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है। केन्द्र से लेकर दिल्ली सरकार तक तैयारियों में जुटी है। इससे पहले भारत सरकार ने G20 इंडिया ऐप लॉन्च किया है। विदेश मंत्रालय ने 'जी20 इंडिया' नामक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। यह ऐप भारत की G20 अध्यक्षता तक काम करेगा। पीएम मोदी ने बुधवार को सभी मंत्रियों को जी20 इंडिया मोबाइल ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी। इस ऐप के जरिए मंत्रियों को विदेशी प्रतिनिधियों के साथ निर्बाध रूप से बातचीत करने में मदद मिलेगी।

पीएम मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली में महत्वपूर्ण जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिपरिषद की बैठक के इसी दौरान उन्होंने सभी मंत्रियों को एप डाउनलोड करने की सलाह दी। काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने G-20 पर प्रेजेंटेशन दी। इस दौरान पीएम मोदी ने सभी मंत्रियों से समय का विशेष ध्यान देने के लिए कहा है। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि जिन मंत्रियों की जी-20 समिट में ड्यूटी लगी है, वे वीवीआईपी कल्चर से दूर रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में मंत्रियों को राजधानी दिल्ली में रहने की सलाह दी।

इस ऐप से मिलेगी ये मदद

'जी20 इंडिया'ऐप के जरिए यूजर्स को जी-20 से संबंधित सभी जानकारियां हासिल होगी। इसमें जी20 इंडिया 2023 इवेंट के लिए एक कैलेंडर,मीडिया और जी20 के बारे में डिटेल में जानकारी होगी। बता दें कि यह ऐप भारत की जी 20 अध्यक्षता तक काम करेगा। इस ऐप पर आम लोगों को वर्चुअल जानकारी मिल जाएगी। ये उन लोगों के लिए फायदेमेंद है जो जी20 से जुड़ी हर पल की अपडेट देखना चाहते हैं। 

मोबाइल में नेविगेशन की सुविधा है, जो विदेशी प्रतिनिधियों को एक स्थान से दूसरे स्थान और भारत मंडपम तक जाने में मदद करेगी। वहीं, जी-20 इंडिया एप के जरिए भारतीय मंत्री विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भाषा के साथ-साथ संचार बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। जी-20 इंडिया मोबाइल एप में ऐसी सेवाएं उपलब्ध हैं, जिसे लोग 24 भाषाओं में एक्सेस कर सकते हैं

हजारों लोग कर चुके डाउनलोड

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार (5 सितंबर) तक वैश्विक स्तर पर 15000 से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड किए जा चुके है। जी 20 इंडिया मोबाइल ऐप प्रतिनिधियों को सभी जी 20 देशों की भाषाओं में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने में मदद करेगा।

भारत पूरी तरह से तैयार

भारत 9-10 सितंबर तक नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए विश्व नेता नई दिल्ली पहुंचेंगे। शिखर सम्मेलन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अत्याधुनिक भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता संभाली थी और देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं।

नए संसद भवन में होगा विशेष सत्र, गणेश चतुर्थी के दिन होगी शिफ्टिंग

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मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। अब खबरें आ रही हैं कि संसद का विशेष सत्र नए संसद भवन में होगा।समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सत्र 18 सितंबर को पुरानी बिल्डिंग में शुरू होगा, लेकिन 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन में शिफ्ट होगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नई संसद की आधारशिला रखी थी। वहीं, इसी साल 28 मई को नए संसद भवन का इनॉगरेशन किया था। नए संसद के इनॉगरेशन पर तमिलनाडु से आए संतों ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा था। इसके बाद पीएम ने सेंगोल को सदन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया था।नया संसद भवन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और पुराने संसद भवन की अपेक्षा काफी बड़ा भी है। त्रिभुज के आकार में बना यह संसद भवन चार मंजिल का है। इसके तहते 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में निर्माण किया गया है। 

क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग

मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई गई है।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है नया भवन

यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगा। नए संसद भवन से 888 सदस्य लोकसभा में बैठ सकेंगे। संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 543 जबकि राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा चैंबर में होगा।

4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं

64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और वीआईपीज के लिए अलग एंट्री है। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नए संसद भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसकी डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।

एक देश, एक चुनाव' के लिए गठित समिति की पहली बैठक आज, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर होगा मंथन

#firstmeetingofonenationoneelectionscommitteetoday 

एक देश-एक चुनाव के लिए केंद्र सरकार की तरफ से गठित की गई कमेटी की आज पहली बैठक होगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर उनकी अध्यक्षता में इस अहम मुद्दे पर मंथन होगा। केंद्र सरकार ने अध्ययन के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी। यह समिति इस विषय पर गहन विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि आने वाले समय में क्या सरकार देश में एक देश एक चुनाव करवा पाएगी या नहीं।

आठ सदस्यीय समिति में ये लोग शामिल

कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। समिति में गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आमंत्रण के बावजूद इस समिति में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में उच्च स्तरीय समिति की बैठकों में भाग लेंगे।

'एक देश, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशेगी समिति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी। समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी।

आजादी के बाद लागू था वन नेशन, वन इलेक्शन

वन नेशन, वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखा खत, संसद के विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर जताई आपत्ति, रखी ये मांगें

#sonia_gandhi_letter_to_pm_narendra_modi 

कांग्रेस संसदीय दल की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर पीएम को पत्र लिखा है। सोनिया ने अपनी चिट्ठी में विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर आपत्ति जताई है तो वहीं अपनी ओर से नौ मांग भी रखी हैं। सोनिया गांधी ने अडानी मामले पर जेपीसी की जांच समेत जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया है।

बता दें कि 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।हालांकि इस सत्र का एजेंडा क्या है, इसको लेकर सरकार की ओर से जानकारी नहीं दी गई। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि सरकार इस एजेंडा बताए। इसको लेकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है।उन्होंने इस खत में लिखा है कि पहली बार संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया।आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है। इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है।यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया।

न मुद्दों पर चर्चा की मांग

वहीं, सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में कुल 9 मुद्दे सामने रखे हैं। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी के मसले पर चर्चा की मांग की है। किसानों को लेकर सरकार ने जो वादे किए, एमएसपी की गारंटी दी उसपर अभी तक क्या हुआ है। सोनिया गांधी ने अडानी मामले में जेपीसी की जांच की मांग की है, इनके अलावा जातीय जनगणना को तुरंत कराए जाने की अपील की गई है।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र द्वारा संघीय ढांचे, राज्य सरकारों पर किए जा रहे हमले, हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। इनके अलावा देश में सांप्रदायिक तनाव, मणिपुर हिंसा और चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ के मुद्दे को सामने रखा है।

जयराम रमेश ने क्या कहा?

सोनिया गांधी के इस चिट्ठी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किसी को भी इस विशेष सत्र को लेकर जानकारी नहीं थी। पहली बार ऐसा हो रहा है, जब विशेष सत्र को लेकर हमारे पास एजेंडे की कोई जानकारी ही नहीं है। जयराम रमेश ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, कल कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संसदीय दल की बैठक हुई। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई। हमने तय किया है कि हम संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेंगे। यह हमारे लिए जनता के मुद्दों को सामने रखने का मौका है और हर पार्टी अलग-अलग मुद्दों को सामने रखने की पूरी कोशिश करेगी।

बता दें कि संसद के 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे विशेष सत्र को लेकर लोकसभा और राज्यसभा ने अधिसूचना जारी की थी। पांच दिन का यह सत्र 22 सितंबर तक चलेगा। लोकसभा एवं राज्यसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी है। लोकसभा सचिवालय ने बताया था कि 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा और सरकार के कामकाज को देखते हुए यह 22 सितंबर तक चलेगा। राज्यसभा सचिवालय ने अपने बुलेटिन में कहा, सदस्यों को सूचित किया जाता है कि राज्यसभा का 261वां सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा। सत्र 18,19, 20, 21 और 22 सितंबर तक चलेगा। इसमें कहा गया है कि सत्र आमतौर पर पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर एक बजे और फिर अपराह्न दो बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।

India
यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, चार्जशीट में कई बड़े खुलासे

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हरियाणा में जूनियर महिला कोच से छेड़छाड़ मामले में राज्य मंत्री संदीप सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। संदीप सिंह पर महिला कोच द्वारा लगाये गये छेड़खानी के मामले में दायर चार्जशीट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस के पास उनके खिलाफ अहम सबूत हैं।चार्जशीट में यह सामने आया है कि मंत्री के चुंगल से भागते समय महिला कोच के सिर में चोट लगी थी। चार्जशीट सामने आने पर मंत्री संदीप सिंह का जांच में सहयोग ना करने और कई बयान झूठे और परस्पर विरोधी बयान पाए जाने का हुआ खुलासा हुआ है।

पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह ने अपने बयान में कहा कि पीड़िता ने इंस्टाग्राम पर दो मार्च 2022 और स्नैपचैट पर एक जुलाई 2022 को मिलने के लिए समय मांगा था। वहीं स्टाफ के मुताबिक मंत्री ने पीड़िता को ऑफिस टाइम मे न बुलाकर निजी रूप से मिलने बुलाया था। चार्जशीट के मुताबिक मंत्री संदीप सिंह के बयान चार्जशीट में मौजूद तथ्यों से मेल नहीं खा रहे। 

वहीं, आरोपी मंत्री के मुताबिक, पीड़िता सीन ऑफ क्राइम (मंत्री की कोठी) पर सिर्फ 15 मिनट ही रुकी थी जबकि कैब सेवा देने वाली कंपनी उबर से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता मंत्री की कोठी में एक घंटे से ज्यादा समय तक मौजूद रही थी। वहीं, पुलिस के साथ क्राइम सीन का दौरा करने पर पीड़िता ने संदीप सिंह के ऑफिस, उसके साथ जुड़े कमरे, बेडरूम और इससे जुड़े रास्ते की भी पहचान की थी। पुलिस के मुताबिक इससे साफ है कि पीड़िता पहले भी वहां आई थी। 

मामले में आरोप तय करने को लेकर अगली सुनवाई चंडीगढ़ कोर्ट में 16 सितंबर को है।इसमें चार्जशीट के आधार पर संदीप सिंह के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे। कोर्ट की अगली सुनवाई में संदीप सिंह को पेश होना ही पड़ेगा

बता दें कि मंत्री के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने कोच से छेड़छाड़ के मामले में 31 दिसंबर 2022 को विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। आठ महीने बाद महिला जूनियर कोच से यौन-उत्पीड़न मामले में आरोपी हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ 25 अगस्त को चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी ने सीजेएम की कोर्ट में चालान पेश किया था। चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप सिंह को आईपीसी की धारा के तहत केस में आरोपी बनाया है

जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन और रूस के राष्ट्रपति के नहीं आने पर एस जयशंकर ने क्या कहा ?

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दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के नेता दिल्ली का रुख करने वाले हैं।इस साल होने वाली जी-20 समिट से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किनारा कर लिया है। जहां समिट में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे, तो वहीं चीन की तरफ से प्रधानमंत्री ली कियांग भारत आएंगे। इसे लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब जी-20 में कोई राष्ट्राध्यक्ष न पहुंचा हो। पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के राष्ट्रपति के भारत नहीं आने पर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि जी-20 में अलग-अलग समय पर कुछ ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने कुछ कारणवश न आने का फैसला किया है। लेकिन उस अवसर पर जो भी उस देश का प्रतिनिधि होता है, वह अपने देश और उसकी स्थिति को सामने रखता है। रूस के विदेश मंत्री ने कहा है कि वे चाहते हैं कि यूक्रेन संकट पर उनके विचार को जी 20 के भाषण में शामिल किया जाए। 

इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी सवाल किया गया। उनसे पूछा गया कि रूस के विदेश मंत्री चाहते हैं कि यूक्रेन संकट पर उनके विचार को जी20 के भाषण में शामिल किया जाए। ऐसे में क्या जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले शक्ति प्रदर्शन शुरू हो गया है? इस पर जयशंकर ने कहा, आप इसे ऐसे चित्रित कर सकती हैं लेकिन मेरे लिए कोई भी अपनी राष्ट्रीय स्थिति को सामने रखने की कोशिश करेगा। यदि आप चाहें तो अपनी बातचीत की स्थिति को अधिकतम करने की कोशिश करेंगे। मुझे लगता है कि आपको इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि बातचीत में वास्तव में क्या होता है और इसे पहले से ही इस आधार पर नहीं आंकना चाहिए कि एक अवसर पर क्या कहा जा सकता है और एक अवसर पर जो कहा गया था उसकी मीडिया व्याख्या क्या हो सकती