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एक करोड़ की कोकीन के साथ दो नाइजीरियन तस्कर गिरफ्तार, एक लाख रुपए नकद बरामद

जयपुर। पुलिस क्राइम ब्रांच टीम ने ड्रग माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. शनिवार को क्राइम ब्रांच टीम ने 1 करोड़ रुपए की कोकीन के साथ दो विदेशी तस्करों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के कब्जे से 58 ग्राम कोकीन और एक लाख रुपए नकद बरामद किया गया है. दोनों विदेशी तस्कर कोकीन लेकर दिल्ली से जयपुर आए थे. 

पूछताछ में सामने आया है कि दोनों आरोपी बिना विजा और पासपोर्ट के भारत में रुके हुए थे।

एडीजी क्राइम दिनेश एमएन के मुताबिक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव भटनागर के सुपरविजन में क्राइम ब्रांच टीम ने अवैध मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. सीआईडी क्राइम ब्रांच के हेड कांस्टेबल कमल सिंह की सूचना पर जवाहर नगर थाना इलाके की सिंधी कॉलोनी में कार्रवाई करते हुए दो नाइजीरियन तस्करों को पकड़ा है. उन्होंने बताया कि दोनों तस्कर थीडेमारविलस और जालकिमानुअल को गिरफ्तार किया गया है.

दोनों कोकीन की तस्करी कर रहे थे. उनके पास से 58 ग्राम कोकीन बरामद की गई है. साथ ही कोकीन तस्करी से प्राप्त किए गए 1 लाख रुपए नकद भी बरामद हुए हैं. अवैध मादक पदार्थ कोकीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग एक करोड़ आंकी गई है. उन्होंने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि दोनों आरोपी बिना वीजा और पासपोर्ट के इंडिया में रुके हुए थे. दिल्ली से जयपुर में कोकीन की सप्लाई देने के लिए आए थे. इस दौरान क्राइम ब्रांच टीम ने दोनों आरोपियों को दबोच लिया. कार्रवाई में क्राइम ब्रांच टीम के पुलिस निरीक्षक राम सिंह नाथावत, हेड कांस्टेबल शंकर दयाल शर्मा, कमल सिंह, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह आदि की भूमिका रही.

एमपी में सब कमाल बा', गाने के जरिए सीधी के सिंगर ने नेहा सिंह राठौर को सुनाई खरी-खोटी


 नई दिल्ली: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का मध्यप्रदेश स्थितन सीधी के गायक प्रकाश तिवारी मधुर ने विरोध किया है. दरअसल नेहा सिंह ने सीधी जिले में हुए पेशाब कांड पर एमपी की शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया था. 

वहीं पटवारी परीक्षा भर्ती में हुए घोटाले पर एक वीडियो सॉन्ग जारी कर सरकार पर निशाना साधा था. जिसके जवाब में सीधी के सिंगर प्रकाश तिवारी मधुर ने भी 'का बा' की तर्ज पर एक लोक गीत गाया है.जिसमें उन्होंने यह बताया है कि ''मध्यप्रदेश में आखिर क्या क्या है. मध्य प्रदेश का इतिहास क्या है, सीधी में क्या है और पूरे मध्यप्रदेश किन बातों के लिए जाना जाता है.'' अपने इस लोकगीत के माध्यम से प्रकाश तिवारी ने लोगों का दिल जीत लिया है. लोग उनके गीत की काफी सराहना भी कर रहे हैं. 

उन्होंने केवल लोकगीत ही नहीं गया है बल्कि लोकगीत के माध्यम से नेहा सिंह राठौर को खूब खरी-खोटी भी सुनाई है. साथ ही उनके 'का बा' का जवाब भी दिया है. गायक प्रकाश तिवारी मधुर ने यह भी कहा कि ''जो अपने देश और राज्य का नहीं हुआ वह दूसरे राज्य का क्या होगा. जिस थाली में खाते हैं उसी थाली को छेद करती हैं. उनकी ऐसी ही रीत है वह लोक गायिका नहीं हैं.''

एक्शन में केजरीवाल: बाढ़ पीड़ितों को न हो दिक्कत, सीएम ने इन छह मंत्रियों को सौंपी कमान; हालात का लिया जायजा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बाढ़ से प्रभावित छह जिलों में लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए छह कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। शनिवार शाम को मुख्यमंत्री ने यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली में पैदा हुए हालत की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई। बैठक में कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, आतिशी, राजकुमार आनंद, गोपाल राय और इमरान हुसैन को जिम्मेदारी सौंपी गई। ये मंत्री अपने जिले में लोगों बने राहत शिविरों में खाना, पानी, बिजली व दवाइयां समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम करेंगे। उक्त जिले के अफसर संबंधित मंत्री से आदेश लेंगे और उनको ही रिपोर्ट करेंगे।

सीएम ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों बैठक के बाद मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यमुना का जलस्तर बढ़ने से उत्पन्न स्थिति के बारे में अलग-अलग विभागों से जानकारी ली और उस पर विस्तार से चर्चा की। इसमें मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई कि वह उस जिले में आने वाले सभी राहत शिविर और पुनर्वास के कैंप लगाए गए हैं, वहां सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों। साथ ही सभी प्रशासनिक अफसरों को लिखित आदेश जारी किया जा रहा है।

 इन राहत शिविरों के मद्देनजर सभी संबंधित अफसर जिम्मेदार मंत्रियों को रिपोर्ट करेंगे। संबंधित मंत्री से ही आदेश लेंगे और उनके साथ सहयोग करेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को तत्काल अपने जिलों की कमान संभालने और काम पर लग जाने का निर्देश दिया है।

कम नहीं हुआ खतरा

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई जगह से खबर आ रही है कि कुछ लोग पानी में खेलने या तैरने जा रहे हैं। वीडियो, सेल्फ़ी के लिए जा रहे हैं। कृपया ऐसा न करें। यह जानलेवा हो सकता है। अभी बाढ़ का खतरा खत्म नहीं हुआ। पानी का बहाव बहुत तेज है। पानी कभी भी बढ़ सकता है।

इन्हें मिली जिम्मेदारी...

जिला -       मंत्री का नाम

साउथ-ईस्ट दिल्ली -     कैलाश गहलोत

ईस्ट दिल्ली -          सौरभ भारद्वाज

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली -      आतिशी

नॉर्थ दिल्ली -          राजकुमार आनंद

सेंट्रल दिल्ली -          इमरान हुसैन

शाहदरा -            गोपाल राय

दिल्ली:कनॉट प्लेस की डीसीएम इमारत की नौवीं मंजिल पर लगी भीषण आग,दमकल की 21 गाड़ियों ने पाया काबू

दिल्ली:राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाराखंबा रोड के डीसीएम इमारत की नौवीं मंजिल पर शनिवार शाम करीब सवा छह बजे भीषण आग लग गई। ऊंची-ऊंची लपटे उठने लगीं तो मौके पर अफरा-तफरी मच गई। खबर मिलते ही पुलिस के अलावा दमकल की 21 गाड़ियां वहां पहुंच गई। ऊंचाई अधिक होने की वजह से मौके पर स्काई लिफ्ट वाली दमकल की गाड़ियों को भी बुलाया गया।

गनीमत यह रही कि आग लगने के समय नौंवी मंजिल पर कोई मौजूद नहीं था। शोर-शराबा हुआ तो बाकी मंजिल पर मौजूद लोग भी सुरक्षित नीचे आ गए। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद करीब पौने तीन घंटे में आग पर काबू पाया। 

फिलहाल हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। शुरुआती जांच के बाद पुलिस आशंका जता रही है कि शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी। देर रात तक कूलिंग का काम जारी था।

 

इसके बाद क्राइम टीम और एफएसएल को जांच के लिए मौके पर बुलाया जाएगा। बाराखंभा रोड थाना पुलिस केस दर्ज कर हादसे की सही वजह पता करने में जुटी है। इमारत में काम करने वाले बाकी लोगों से पूछताछ की जा रही है। 

इमारत में आठवीं और नौवीं मंजिल पर पंजाब नेशनल बैंक का ऑफिस है। शाम के समय दफ्तर खाली था। हालांकि आग से दफ्तर लगभग पूरी तरह जलकर खाक हो गया।

शोध : फोन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों को बना रहा ऑटिज्म का शिकार, जानें क्या हैं इस बीमार के लक्षण


नयी दिल्ली : आज ऐसा दौर है जब बच्चों के हाथ में भी स्मार्टफोन है. वे घंटों इसका यूज करते है. अब बच्चों का खेलकूद की तरफ रुझान कम होता जा रहा है. टाइमपास के लिए वो फोन का इस्तेमाल करते हैं. घंटों तक उसमें गेम खेलने या अन्य किसी गतिविधि में लगे रहते हैं.

लेकिन अब इसका असर बच्चों की हेल्थ पर हो रहा है.स्मार्टफोन के इस्तेमाल की वजह से उनकी सेहत बिगड़ रही है. यहां तक की बच्चे ऑटिज्म जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो रहे हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक, फोन का ज्यादा यूज करने से बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ रहा है. इसको वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है. ये परेशानी पांच से आठ साल तक के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है. वर्चुअल ऑटिज्म के कारण बच्चों की मेंटल हेल्थ भी प्रभावित हो रही है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 24% फीसदी बच्चे रात को सोने से पहले स्मार्टफोन का यूज करते हैं. इस कारण करीब 40 फीसदी बच्चे किसी काम में फोकस करने की परेशानी से जूझ रहे हैं.

क्या होता है वर्चुअल ऑटिज्म

दिल्ली में न्यूरोसर्जन डॉ राजेश कुमार बताते हैं कि बच्चा अगर वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित है, तो वह बोलते समय हकलाने लगता है. इन बच्चों में आईक्यू लेवल भी कम होता है. वह किसी से बात करने में भी घबराते हैं. किसी काम का सही से रिसपॉन्स नहीं करते हैं और एक ही काम को बार-बार दोहराते है.फिलहाल ऑटिज्म के जो केस आ रहे हैं. उनमें 5 से 10 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो स्मार्टफोन का अधिक यूज करते हैं. ये एक संकेत है कि फोन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का कारण बन रहा है.

कुछ बच्चों को फोन देखकर ही भोजन करने की आदत होती है. ये भी काफी हानिकारक है. बच्चे फोन के देखने के चक्कर में सही से भोजन भी नहीं कर पाते हैं. फोन के ज्यादा यूज की वजह से उनको अपनी पढ़ाई करने में भी परेशानी आ रही है. यहां तक कि कुछ बच्चों में 2 से तीन साल की उम्र में भी फोन देखने का क्रेज देखा जा रहा है. ये उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. ऐसे में माता-पिता को अलर्ट रहने की जरूरत है.

माता पिता इन बातों का रखें ध्यान

बच्चों में फोन के यूज का समय कम करें

बच्चों को समय दें और खेलकूद के लिए उनको प्रोत्साहित करें

बच्चों को फोन के नुकसान के बारे में बताएं

बच्चों से रोजाना किसी विषय पर बात जरूर करें जिसका असर बच्चे के माता-पिता पर भी होता है

यूसीएसएफ के शोधकर्ताओं ने बच्चों पर एक रिसर्च की है. इसको फैमली प्रोसेस में प्रकाशित किया गया है. स्टडी के मुताबिक, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की लगभग 50 प्रतिशत माताओं में डिप्रेशन के लक्षणों का स्तर ऊंचा था, जबकि विक्षिप्त बच्चों वाली माताओं में इसकी दर बहुत कम थी (6 प्रतिशत से 13.6 प्रतिशत).इसके अलावा, जबकि पिछले शोध का सुझाव था कि अवसादग्रस्त माता-पिता होने से बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है, इस स्टडी में ऐसा नहीं पाया गया.

दिल्ली में स्थित एक वरिष्ठ सलाहकार और न्यूरो-मनोचिकित्सक डॉ संजय चुघ ने बताया कि यह केवल ऑटिज्म की बात नहीं है, “बल्कि यह किसी भी ऐसी बीमारी की हकीकत है जहां पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं होती. बच्चे की यह स्थिति माता-पिता पर बहुत तनाव डालती है. इसलिए जितना ज्यादा तनाव होगा, माता-पिता में अवसाद के लक्षण दिखने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी.”

पीएचडी और मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान विभाग में UCSF के सहायक प्रोफेसर और स्टडी के पहले लेखक डेनियल रूबिनोव ने कहा, “हमने पाया कि माताओं के उच्च स्तर के अवसाद ने समय के साथ बच्चों के व्यवहार में समस्याएं पैदा नहीं की, यहां तक कि ऑटिज्म वाले बच्चों के परिवारों में भी जो बहुत तनाव में थे.” “यह हैरान करने के साथ एक अच्छी खबर भी है.”

माता-पिता को हो जाता है क्रोनिक स्ट्रेस

मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान विभाग में UCSF की प्रोफेसर और स्टडी की वरिष्ठ लेखिका एलिसा एपेल ने कहा, “विशेष जरूरतों वाले बच्चे के माता-पिता होने के नाते उनका हर दिन स्वाभाविक रूप से मुश्किल होता है.” “यह क्रोनिक स्ट्रेस का एक क्लासिक उदाहरण है, यही वजह है कि हमने ऐसे बच्चों की देखभाल करने वाली माताओं पर फोकस किया है और उनके स्वास्थ्य पर तनाव के प्रभावों को स्टडी किया.”

एक बाल एवं किशोर मनोचिकित्सक और स्टेप्स सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ, गुरुग्राम के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रमीत रुस्तोगी ने को बताया कि जिन माताओं के बच्चे में ऑटिज्म डायग्नोज होता है, वे बहुत स्ट्रेस में होती हैं, “ऐसा क्यों हुआ इसके लिए अक्सर मां को दोषी ठहराया जाता है.”

उन्होंने कहा, “सबसे पहले, एक मां के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल होता है, क्योंकि उसने मां के रूप में अपनी नई जिंदगी को लेकर कई आशाएं, इच्छाएं और कल्पनाएं की होती हैं. कई मामलों में एक ऑटिस्टिक बच्चा माता-पिता से रिलेट नहीं कर पाता है या कहें अपने माता-पिता के साथ वह अच्छी तरह से भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाता है. जिसे स्वीकार करना माता-पिता के लिए मुश्किल होता है.

माताएं अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए क्या कर सकती हैं?

एक्सपर्ट ने कहा, “ऐसी दूसरी माताओं और परिवारों को ढूंढे जो इस स्थिति से गुजर रहे हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी उठाते हुए समय हो गया हो और एक ऐसी टीम से जुड़े हैं जो जरूरत पड़ने पर मदद कर सकती है.”

उन्होंने आगे कहा, “घर से ही पर्याप्त सहयोग मिलना चाहिए, ज्यादातर मनोवैज्ञानिक जो बच्चे का इलाज कर रहे हैं उन्हें पहले मां से पूछना चाहिए कि उनपर अतिरिक्त भार तो नहीं हैं उन्हें यह बताने से पहले कि बच्चों के लिए उन्हें और क्या करना चाहिए.”

उड़ान हौसलों की : IIT, IIM की डिग्री के बिना लड़की ने किया कमाल, एक कॉलेज से किया बीटेक और पाया 85 लाख का पैकेज


नयी दिल्ली : प्रायः ऐसा सुना और देखा गया है कि IIT, IIM से पढ़ने वालों को अक्‍सर लाखों के पैकेज के जॉब ऑफर मिलते हैं, लेकिन राशि बग्गा ने बिना आईआईटी, आईआईएम से पढ़े जानी-मानी कंपनी में 85 लाख के पैकेज पर जॉब हसिल की है. इस संस्थान का प्लेसमेंट रिकॉर्ड भी लगातार 5वें साल 100 फीसदी रहा है. राशि ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नया रायपुर, IIIT NR से बीटेक किया है.  

इस साल प्लेसमेंट में एवरेज CTC 16.5 लाख रहा 

देखा गया है कि बीटेक और एमबीए जैसे कोर्स के लिए अधिकतर छात्रों की पसंद आईआईटी, आईआईएम ही होते हैं. क्योंकि माना जाता है कि इन कॉलेजों से पास आउट होने पर मोटे-तगड़े पैकेज पर सैलरी मिलती है. लेकिन बिना आईआईटी, आईआईएम से पढ़े ही एक छात्रा ने 85 लाख का सैलरी पैकेज हासिल किया है. इस स्टूडेंट का नाम हैं राशि बग्गा, जिन्हें एक जानी-मानी कम्पनी ने 85 लाख के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है.

राशी ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नया रायपुर, IIIT NR से बीटेक किया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राशि, संस्थान के कैंपस प्लेसमेंट में मिल रहे ऑफर से संतुष्ट तो थीं, लेकिन उन्होंने और एक्सप्लोर करने का निर्णय लिया और अंत में उन्हें सफलता मिल ही गई.

100 फीसदी रहा प्लेसमेंट

रिपोर्ट में बताया गया है कि IIIT NR के ग्रेजुएशन बैच में लगातार 5वें साल 100 फीसदी प्लेसमेंट रिकॉर्ड किया गया. इस साल जिस कंपनी ने राशि का चयन किया है, उसी ने पिछले साल भी यहां की छात्रा को प्लेसमेंट में 57 लाख का पैकेज ऑफर किया था. जोकि उस बैच का सबसे अधिक पैकेज था. वहीं एक और बैचमेट को 56 लाख का सैलरी पैकेज ऑफ़र किया गया था. आईआईआईटी एनआर के अनुसार इस साल प्लेसमेंट में एवरेज CTC 16.5 लाख रहा.

अजब - गजब : भारत का रहस्‍यमयी गुरुद्वारा, जहां कुदरत की मदद से बनता है लंगर, वैज्ञानिक भी हैरान


कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) : भारत में रहस्‍यमयी जगहों की कोई कमी नहीं है। हर प्रदेश, हर पर्यटन स्‍थल और हर जगह का अपना एक इतिहास है। इस बार हम ऐसी ही एक रहस्‍यमयी जगह की बात करने जा रहे हैं, जहां गुरुद्वारे में होने वाले लंगर का भोजन कुदरत की मदद से बनता है।

इस जगह के बारे में सबसे बड़ा रहस्‍य ये है कि, यहां पर जो कुंड है उसका पानी पूरे साल खौलता रहता है। गर्मी हो, बरसात हो या कड़ाके की ठंड हो इस चमत्‍कारी कुंड पर किसी मौसम का कोई असर नहीं पड़ता है। इसका पानी अपने स्‍वरूप के अनुसार खौलता ही रहता है। इस चमत्‍कारी कुंड का इतिहास जानने के लिए दूर-दूर से वैज्ञानिक आते हैं और जब उन्‍हें इस खौलते पानी का स्रोत नहीं मिलता है तो उनका सिर भी चकरा जाता है। 

गुरुद्वारा मणिकरण साहब

हम बात कर रहे हैं, गुरुद्वारा मणिकरण साहब की जो कि हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू में स्थित है। ये गुरुद्वारा पार्वती घाटी के बीच मौजूद झरने की वजह से काफी ज्‍यादा फेमस है। यही वो स्‍थान है जहां झरने से आने वाला पानी पूरे साल खौलता रहता है। ये पानी इतना गर्म होता है कि, सेवादार इसका प्रयोग लंगर का भोजन बनाने में करते हैं। माना जाता है कि, कुदरत खुद लंगर बनाने में सहयोग करने आती है। बता दें कि, 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गुरुद्वारे को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। इस स्‍थान से कुल्लू शहर की दूरी 35 किमी है।

दो कथाएं हैं प्रचलित

गुरुद्वारे के मणिकर्ण नाम के पीछे दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा ये है कि, माता पार्वती और भगवान शिव ने इस स्‍थान पर 11 हजार साल तक तपस्‍या की थी। यहां पर निवास के दौरान माता पार्वती का कीमती रत्‍न यानी मणि गिर गया था। जिसे ढूंढ़ने के लिए भगवान शिव ने अपने गणों को आदेश दिया। काफी प्रयासों के बाद भी जब उन्‍हें मणि नहीं मिला तो वे क्रोधित हो गए और उनका तीसरा नेत्र खुल गया। इस पर वहां नैना देवी शक्ति प्रकट हुईं और उन्‍होंने बताया कि, मणि पाताल लोक में जा गिरा है वहां शेषनाग के पास है। उसके बाद भगवान शिव के गण उसे शेषनाग के पास से ले आए। इस पर शेषनाग क्रोधित हो गया और उसकी फुफकार से गर्म पानी की धारा प्रवाहित हुई।

सिखों की मान्‍यता

सिखों में मान्‍यता है कि, गुरु नानक देव जब अपने पांच शिष्यों के साथ इस स्‍थान पर आए तो लंगर के लिए उन्‍हें सामग्री चाहिए थी। उन्‍होंने अपने शिष्य मर्दाना को एक बड़ा पत्‍थर, दाल और आटा मांग कर लाने के लिए कहा। किंवदंती है कि, मर्दाना ने जब पत्‍थर को उठाया तो वहीं से गर्म पानी की एक धारा बहने लगी और आज भी निरंतर प्रवाहित हो रही है। 

मोक्षदायिनी स्‍थान

इस स्‍थान को मोक्षदायिनी स्‍थान माना जाता है। लोगों का कहना है कि, ये स्‍थान न केवल हिन्‍दू बल्कि सिख भाइयों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है। यहां मौजूद कुंड में यदि स्नान किया जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि, कुंड के गर्म पानी में लंगर के भोजन का चावल और दाल उबाला जाता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विधायकों को सीख "मैं "और "मेरा" से ऊपर उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग "हमारे" की रखें सोच


राजस्थान विधानसभा में आज का दिन एक ऐसे इतिहास का साक्षी बना जो आने वाले समय में हमेशा याद रखा जाएगा. आजादी के बाद राजस्थान विधानसभा के विधायकों को देश की राष्ट्रपति ने पहली बार संबोधित किया. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राजस्थान के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप महाराणा सांगा को तो याद किया ही इसके साथ ही उन्होंने राणा पूंजा और गोविंद गुरु को भी याद किया.अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रदेश के विधायकों को सीख भी दी. 

उन्होंने कहा कि 7 करोड़ जनता जिन 200 विधायकों पर भरोसा करती है, उन्हें अपनी जनता के विकास के लिए नियम बनाने और "मैं" की जगह "हमारा" की भावना रखनी चाहिए. यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि "उसने क्या किया" बल्कि यह सोचना चाहिए कि जनता ने हमें चुनाव जीता कर विधानसभा में भेजा है. तो मैंने और हम सब ने संगठित होकर जनता के लिए क्या किया ?

राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि राजस्थान की जनसंख्या 7 करोड़ से ज्यादा है और केवल 200 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि जनता कभी एक बार, कभी दो बार, तो कभी जिंदगी भर जनप्रतिनिधि बनाकर आपको इस विधान सभा में भेजती है. आप भी इस विधानसभा को गौरवान्वित करते हैं मतलब साफ है कि जनता आपसे कितना प्यार करती है. राष्ट्रपति ने कहा कि जनता जनप्रतिनिधियों से इतनी प्रभावित होती है कि कभी-कभी उनकी हर बात को फॉलो करती है. उनकी हेयर स्टाइल, चाल चलन, चेहरा, उनके ड्रेस तो कभी-कभी जनता को हमने देखा है कि जनप्रतिनिधियों के हाथ में बंधे हुए धागे को भी वह फॉलो करते हैं.

ऐसे में उम्मीद करते हैं कि संविधान के प्रस्तावना के अनुसार जो आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा लेने की आजादी का दायित्व जनसाधारण ने अपने जनप्रतिनिधि को दिया उसे आप पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि यह युग कंप्यूटर युग है, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से चलता है जबकि एक युग था जब जनप्रतिनिधि क्या बोलते हैं? वो पेपर भी कभी-कभी नहीं पहुंचता था लेकिन आज घर-घर तक विधानसभा में क्या चल रहा है, जनप्रतिनिधि जनता के लिए, मेरे परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए राज्य की महिलाओं, युवाओं के लिए क्या कर रहे हैं. वह देखते हैं ओर समझते हैं, इसीलिए मैं सभी जनप्रतिनिधियों को गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल चलन के साथ ही आचार विचार से हमें जनता के लिए सोचना चाहिए.

केवल मैं नहीं, मैं और मेरा को छोड़कर "हमारा" की सोच होनी चाहिए. मैं और मेरा सोचने से देश, समाज, राज्य की उन्नति नहीं हो सकती. इसलिए जनप्रतिनिधि को हमेशा जनता ओर राज्य के लिए सोचना चाहिए. मैं और मेरा से उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आपका दायित्व है कि जनता की जरूरतों के आधार पर नियम बनाएं, क्योंकि नियम बनाने का काम आपके हाथ में है. राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि मैं चाहूंगी कि आगे चलकर यह "एक्स वाई जेड" ने तो यह काम नहीं किया कहने की जगह खुद को पूछना चाहिए कि मैंने क्या किया ? और जो मुझे दायित्व जनता ने दिया उसका मैन किया क्या? हम सब ने मिलकर संगठित रूप में क्या किया?

उन्होंने कहा कि आज राजतंत्र नहीं है और लोकतंत्र में 7 करोड़ जनता के हिसाब से 200 विधायकों का प्रतिशत निकाला जाए तो पता नहीं क्या होगा. इससे यह साफ है कि जनता आप पर कितना भरोसा करती है. जिस पर आपको खरा उतरना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के समग्र विकास और राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करते हुए उम्मीद जताई कि राजस्थान की विधानसभा जन कल्याण और राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्य करेगी. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने भाषण का समापन संसद हिंद, जय भारत ओर जय राजस्थान के उद्घोष के साथ किया.

दिल्ली में यमुना का जल स्तर घट रहा है, लेकिन अभी भी खतरे के निशान से है ऊपर, पुनः बारिश होने पर फिर बिगड़ सकते हैं हालात


दिल्ली में यमुना नदी में शनिवार सुबह जल स्तर घटना शुरू हुआ, लेकिन यह प्रति घंटे कुछ सेंटीमीटर की गति से ही कम हो रहा है. बहरहाल, यमुना अब भी खतरे के निशान 205.33 से दो मीटर अधिक पर बह रही है. 

अगर राष्ट्रीय राजधानी तथा ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में और बारिश होने का पूर्वानुमान सच साबित होता है तो हालात बिगड़ सकते हैं. केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ निगरानी पोर्टल के अनुसार, यमुना का जल स्तर शनिवार सुबह सात बजे घटकर 207.62 मीटर पर आ गया. बृहस्पतिवार रात आठ बजे यह 208.66 मीटर पर था.

 बारिश होने की संभावना

पिछले दो दिन में हरियाणा के यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से जल प्रवाह में कमी आने के कारण यमुना में जल स्तर में और गिरावट आने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले दो दिन तक शहर में मध्यम बारिश होने तथा अगले पांच दिन उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ‘‘भारी से बहुत भारी बारिश’’ होने का अनुमान जताया है, जिससे नदी में जल स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ गया है.

पानी का कहर जारी

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दिल्ली में और बारिश होती है तो जलभराव हो सकता है तथा पानी की निकासी में सामान्य से अधिक वक्त लग सकता है. शुक्रवार को यमुना के उफान पर बहने तथा नालों के पानी के विपरीत दिशा से बहने के कारण उच्चतम न्यायालय, राजघाट तथा आईटीओ चौक जैसे प्रमुख स्थान जलमग्न हो गए थे. दिल्ली एक सप्ताह से जलभराव और बाढ़ का सामना कर रही है, जिससे जनजीवन पर काफी असर पड़ा है.

लगभग एक सप्ताह तक धीमी बारिश के बाद शुक्रवार को मुंबई और उसके उपनगरों में भारी बारिश हुई, जिसके कारण कुछ स्थानों पर जलजमाव हो गया. अधिकारियों के मुताबिक, उपनगरों की तुलना में शहर में बारिश की तीव्रता अधिक थी. एक अधिकारी ने बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश की संभावना जताते हुए शहर के लिए येलो अलर्ट जारी किया है.

समान नागरिक संहिता :विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर सुझावों के लिए और दो हफ्तों का दिया समय


नई दिल्ली: लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता (UCC) के मुद्दे पर सुझाव देने की समय-सीमा बढ़ाने का फैसला किया है। विधि आयोग ने इस आशय का बयान जारी करते हुए बताया कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर जनता की जबरदस्त प्रतिक्रिया और अपनी टिप्पणियाँ प्रस्तुत करने के लिए समय के विस्तार के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त कई अनुरोधों को देखते हुए, विधि आयोग ने संबंधित हितधारकों को अपने विचार और सुझाव पेश करने के लिए दो सप्ताह का विस्तार देने का निर्णय लिया है। 

बता दें कि इस संवेदनशील मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने की समय सीमा शुक्रवार (14 जुलाई) को खत्म होने वाली थी।

मिले लाखों सुझाव

बता दें कि लॉ कमीशन को इस मामले पर अब तक 50 लाख से भी ज्यादा ऑनलाइन सुझाव मिल चुके हैं। साथ ही इसको लेकर हार्ड कॉपी के जरिए भी सुझाव मिले हैं। माना जा रहा है कि समय सीमा खत्म होते होते इनकी संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है।

 कुछ संगठनों ने यूसीसी पर व्यक्तिगत सुनवाई की मांग करते हुए कानून पैनल से संपर्क किया है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में संगठनों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए आमंत्रित करने पर भी निर्णय लिया जाएगा।

लंबे समय से चल रहा मामला

इससे पहले 21वें लॉ कमीशन ने साल 2018 में इस मद्दे की जांच और दो मौकों पर सभी हितधारकों से विचार मांगे थे। इसके बाद अगस्त 2018 में पारिवारिक कानून में सुधार को लेकर एक परामर्श लेटर जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि यूसीसी का मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना है, जो धर्म पर आधारित नहीं है। हालांकि इस परामर्श लेटर को जारी किए हुए तीन साल से अधिक का समय बीत चुका है। इसलिए 22वें विधि आयोग ने इस पर नए सिरे से विचार-विमर्श किया। 14 जून को विधि आयोग ने सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर यूसीसी पर एक नई परामर्श प्रक्रिया शुरू की।