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सुप्रीम कोर्ट के किस जज के पास कितनी संपत्ति, सीजेआई के पास 10 साल पुरानी स्विफ्ट कार और 250 ग्राम सोना


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सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की जानकारी को ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जुडिशियरी में ट्रांसपेरेंसी के तहत ऐतिहासिक फैसला लिया है। जनता का विश्वास जुडिशियरी पर और बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की संपत्ति और देनदारियों की जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। भारत में ऐसा पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक की गई है।

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले के बाद फैसला

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 22 जजों की संपत्ति का ब्यौरा अपलोड किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 31 है। उनमें से 22 की डिटेल मौजूद है। इनमें सीजेआई संजीव खन्ना समेत अन्य जजों की घोषणाएं हैं। इनमें वे तीन जज भी शामिल हैं, जो निकट भविष्य में सीजेआई बनने की कतार में हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जजों की चल और अचल संपत्तियों का ब्योरा है। किस जज के पास कितना पैसा है, कितना सोना-चांदी और कार है, यह सब मौजूद है। दरअसल, सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई में बीते दिनों कोर्ट ने यह फैसला जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित कैश की बरामदगी की घटना के बाद लिया था।

चीफ जस्टिस के पास है कितनी संपत्ति?

सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास साउथ दिल्ली में तीन बेडरूम वाला डीडीए फ्लैट, दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में दो पार्किंग स्पेस के साथ चार बेडरूम वाला फ्लैट है, जिसका सुपर एरिया 2446 वर्ग फीट है। गुरुग्राम के सेक्टर 49 के सिसपाल विहार में चार बेडरूम वाले फ्लैट में 56 प्रतिशत हिस्सा, जिसका सुपर एरिया 2016 वर्ग फीट है। साथ ही हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में जमीन में अविभाजित हिस्से के साथ घर के आंशिक मालिक देव राज खन्ना (एचयूएफ) में हिस्सा है।

एफ.डी.आर. और बैंक खाते में लगभग 55 लाख 75 हजार, पी.पी.एफ लगभग एक करोड़ 6 लाख 86 हजार, जी.पी.एफ. में 1 करोड़ 77 लाख 89 हजार, एल.आई.सी. मनी बैक पॉलिसी वार्षिक प्रीमियम 29,625 रुपये, शेयर में14 हजार, सोना – 250 ग्राम, चांदी -2 किलोग्राम है। सोना और चांदी ज्यादातर विरासत और गिफ्ट में मिले हैं। साथ ही एक 2015 मॉडल की स्विफ्ट मारुति कार है। इनके एफडीआर और बैंक खाते 55 लाख 75 हजार रुपये है।

इनकी पत्नी के पास 700 ग्राम सोना, 5 किलोग्राम चांदी, कुछ हीरे की अंगूठियां, पेंडेंट और झुमके हैं। साथ ही कुछ मोती और माणिक की लड़ियां भी हैं। इनमें से ज्यादातर चीजें विरासत में मिली हैं या फिर किसी खास मौके पर गिफ्ट में दी गई हैं।

अगले सीजेआई के पास कितनी संपत्ति

इसके बाद जस्टिस बी आर गवई इस महीने की आखिर तक अगले सीजेआई बनेंगे। उनके पास महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर है, जो उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है। इसके अलावा उनके पास डिफेंस कॉलोनी में एक आवासीय अपार्टमेंट और अमरावती और नागपुर में कृषि भूमि है। जस्टिस गवई ने शेयरों और म्यूचुअल फंड में भी निवेश किया है। पीपीएफ में 6,59,692 रुपये और सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में 35,86,736 रुपये जमा हैं।

नियुक्ति प्रक्रिया भी की गई सार्वजनिक

संपत्ति के ब्योरे के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया भी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसमें हाई कोर्ट कॉलेजियम को सौंपी गई भूमिका, राज्य और केंद्र सरकार से प्राप्त भूमिका और इनपुट और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला जनता की जानकारी और जागरूकता के लिए लिया गया है।

भारत-पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात, टेंशन के बीच मॉक ड्रिल कल

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पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। इस बीच भारत सरकार ने राज्यों को युद्ध की स्थिति को लेकर मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है। इससे जंग की आशंका और बढ़ गई है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच उभर रहे नए खतरों के मद्देनजर सभी राज्यों से सात मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने को कहा है

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई यानी बुधवार को मॉक ड्रिल करने के लिए कहा है। मकसद यह है कि अगर युद्ध या ऐसे इमरजेंसी हालात बनें तो अपने देश के नागरिकों को बचाया जा सके। गृह मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने अपने निर्देशों में हमला होने की स्थिति में पांच पॉइंट पर जोर दिया है। इस मॉक ड्रिल में लोगों को जागरूक किया जाएगा कि हवाई हमला होने पर क्या करें।

क्यों हो रही यह मॉक ड्रिल?

सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मॉक ड्रिल के दौरान किए जाने वाले उपायों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का संचालन, नागरिकों को किसी भी हमले की सूरत में खुद को बचाने के लिए सुरक्षा पहलुओं पर प्रशिक्षण देना और बंकरों एवं खाइयों की साफ-सफाई शामिल है। अन्य उपायों में दुर्घटना की स्थिति में ब्लैकआउट के उपाय, महत्वपूर्ण संयंत्रों और प्रतिष्ठानों की रक्षा तथा निकासी योजनाओं को अपडेट करना और उनका पूर्वाभ्यास करना शामिल है। मॉक ड्रिल में वायुसेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो-संचार लिंक का संचालन, नियंत्रण कक्षों और छाया नियंत्रण कक्षों की कार्यक्षमता का परीक्षण भी शामिल है।

54 साल पहले हुआ था मॉक ड्रिल

इससे पहले भारत सरकार ने राज्यों से ठीक 54 साल पहले 1971 में मॉक ड्रिल करने के कहा था। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध आधिकारिक तौर पर तीन दिसंबर को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर को खत्म हुआ था। पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. लेकिन उस युद्ध से काफी पहले कई महीनों से तनाव बढ़ रहा था।

मॉक ड्रिल्स की शुरुआत युद्ध से कुछ दिन पहले हुई थी। तमाम मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह मॉक ड्रिल युद्ध से दो-चार दिन पहले शुरू हुई और युद्ध की समाप्ति तक चली थी। इस दौरान देश भर में सिविल डिफेंस की तैयारियां की गईं। इस ड्रिल का मकसद जनता को युद्ध की स्थिति लेकर जागरूक करना था।