एक बार फिर सुर्खियों में बिकरू कांड
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* घायल पुलिसकर्मियों को मिला 6.5 लाख लौटाने का फरमान, वेतन कटौती की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता
लखनऊ/ कानपुर। कुख्यात बिकरू कांड एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह कोई एनकाउंटर या अपराध नहीं, बल्कि मुआवजे की वापसी को लेकर है। वर्ष 2020 में हुए इस हत्याकांड में घायल पुलिसकर्मियों को अब शासन की ओर से 6.5 लाख रुपये लौटाने का नोटिस थमा दिया गया है। नोटिस में साफ चेतावनी दी गई है कि यदि तय रकम समय से जमा नहीं की गई, तो हर महीने वेतन से 20 प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
घायल पुलिसकर्मी इस आदेश से स्तब्ध हैं। उनका कहना है कि यह पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। जिन हालातों में उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगाई, अब उसी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पीड़ित कर्मियों ने बताया कि उन्हें जो राशि इलाज के लिए दी गई थी, वह "जीवन रक्षा निधि" के अंतर्गत स्वीकृत हुई थी। अब पांच साल बाद उसी रकम की रिकवरी ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर दिया है।
इस मामले में कई पुलिसकर्मी पुलिस मुख्यालय पहुंचकर उच्चाधिकारियों से मिले और नोटिस को वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि यह कोई स्वैच्छिक सहायता नहीं थी, बल्कि आपातकालीन हालात में दिया गया जीवनरक्षक समर्थन था।
गौरतलब है कि बिकरू कांड 2 जुलाई 2020 को हुआ था, जब कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और कई घायल हुए थे। घटना के बाद पूरे देश में रोष फैल गया था और विकास दुबे की तलाश के लिए बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था।
अब पांच साल बाद घायल पुलिसकर्मियों से इलाज के लिए दी गई राशि की वसूली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पुलिसकर्मी पूछ रहे हैं–“क्या हमारी जान की कीमत भी कागजी गलती बन गई?”
बिकरू कांड एक बार फिर चर्चा में है – इस बार मुआवजे की वापसी और सिस्टम की संवेदनहीनता को लेकर।
Jun 14 2025, 15:43