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लखनऊ में तीन साल की दिव्यांग बच्ची के साथ दरिंदगी, हालत गंभीर

राजधानी के आलमबाग क्षेत्र में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां पर एक तीन वर्षीय दिव्यांग बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो गया है। मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने तत्काल पहुंचकर बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां पर उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कई टीमों को गठन किया है। घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी से आरोपी की फुटेज की तलाश करने में पुलिस जुट गई है।

मेट्रो पुल के नीचे अपने माता-पिता के साथ सो रही थी बच्ची

बता दें कि मेट्रो पुल के नीचे अपने माता-पिता के साथ सो रही तीन वर्षीय दिव्यांग बच्ची को एक अज्ञात व्यक्ति उठाकर ले गया और उसके साथ गलत काम कर फरार हो गया। परिजनों को बच्ची खून से लथपथ मिली।सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को इलाज के लिए हायर सेंटर भेजा गया। डीसीपी मध्य व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। पीड़ित परिवार उन्नाव का रहने वाला है। यहां पर रहकर कबाड़ बीनने का काम करता है।

घटना के अनावरण के लिए पांच टीमे गठित

डीसीपी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि मामल प्रकाश में आने के बाद थाना आलमबाग पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर लिया है। बच्ची काे इलाज के लिए लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया। जहां पर बच्ची की हालत गंभीर देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। पीड़ित परिवार के साथ पुलिस व मेडिकल की टीम है। इस घटना के अनावरण के लिए कुल पांच टीमे लगाई गई। शीघ्र ही इस पूरे घटना का पर्दाफाश किया जाएगा।

लगातार हो रही दुष्कर्म व छेड़ाछाड़ की घटनाएं

राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था के तमाम इंतजाम के बाद बेटियां सुरक्षित नहीं है। इनके साथ लगातार दुष्कर्म व छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही है। आलमबाग में आज जो दरिंदगी की घटना सामने आयी है वह बेहद ही चौंकाने वाली है साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान है।जिस मेट्रों के नीचे यह घटना हुई है वहां पर हर समय चहल पहल रहती है। साथ ही पुलिस की यहां पर गश्त भी रहती है। इसके बाद बेखौफ दरिंदा दिव्यांग बच्ची को मां-बाप के पास से उठाकर ले गए और दरिंगी करने के बाद भाग निकला।

पौधारोपण कर महिला आयोग की अध्यक्ष ने पर्यावरण संरक्षण की दिलाई शपथ

लखनऊ । विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान ने आयोग परिसर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर उन्होंने आयोग के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एक-एक वृक्ष लगाने और उसकी देखरेख करने की शपथ भी दिलाई।

हर व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए

अपने संबोधन में डॉ. बबीता सिंह ने वृक्षों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पेड़ न केवल पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू से हमारी आवश्यकता से जुड़े हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि हर व्यक्ति को कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

पौधारोपण के दौरान ये सदस्य भी रहीं मौजूद

इस कार्यक्रम में आयोग की सदस्य सचिव सुधा वर्मा, सदस्य रीतू शाही, डॉ. प्रियंका मौर्या, सहायक निबंधक ओ.आर. सिद्दीकी सहित आयोग के समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं प्रशिक्षु अधिवक्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना और हर स्तर पर संरक्षण के लिए सहभागिता सुनिश्चित करना रहा।

उप्र: पुलिस में 24,000 पदों पर जल्द होगी भर्ती, बोर्ड ने पूरी की तैयारी

15 जून तक जारी हो सकता है भर्ती का विज्ञापन, युवाओं को जल्द मिलेगा सुनहरा मौका

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPBPB) ने करीब 24,000 पदों पर भर्ती के लिए तैयारी पूरी कर ली है। अब केवल शासन की औपचारिक मंजूरी का इंतजार है, जिसके बाद भर्ती का विज्ञापन 15 जून 2025 तक जारी किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, यह भर्ती अभियान लंबे समय से लंबित खाली पदों को भरने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इसमें आरक्षी , पीएसी , ट्रैफिक पुलिस, और अन्य शाखाओं में रिक्त पद शामिल हैं। पुलिस भर्ती बोर्ड ने सभी आवश्यक दस्तावेज़ी और तकनीकी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। जैसे ही सरकार से अंतिम मंजूरी मिलेगी, भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन आधिकारिक पोर्टल और प्रमुख समाचार माध्यमों के माध्यम से जारी कर दिया जाएगा। इस भर्ती प्रक्रिया से उत्तर प्रदेश पुलिस को नई ऊर्जा मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

मुख्य बिंदु संक्षेप में:

- यूपी पुलिस में 24,000 पदों पर होगी सीधी भर्ती

- भर्ती विज्ञापन 15 जून तक जारी होने की संभावना

- पुलिस भर्ती बोर्ड ने पूरी की तैयारी

- शासन की मंजूरी मिलते ही जारी होगा विज्ञापन

- हजारों युवाओं को मिलेगा सरकारी नौकरी का अवसर

स्वस्थ बीज से होगी किसानों की समृद्धि-सूर्य प्रताप शाही

25 मई से 25 जून तक कृषि विभाग चला रहा बीज शोधन अभियान

लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार के एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी का लक्ष्य प्राप्त करने में यहां के कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है। प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि में फसलोत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है। फसलों को कीट, रोग, खरपतवारों तथा चूहों आदि के नुकसान से बचाने के लिए योगी सरकार द्वारा बीज शोधन अभियान व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है। 

यह जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में खरपतवारों के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों द्वारा होती है। महंगे रसायनों के प्रयोग से कृषि लागत में वृद्धि होती है और समय से रोग की रोकथाम न होने से उत्पादन एवं उत्पादित फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उत्पादन में बीज जनित रोगों से बचाव हेतु बीज शोधन तकनीक का अत्यधिक महत्व है। इसे बीज का टीका भी कहते है। जिससे फसलो में भविष्य में जीवाणु तथा कवकों आदि से होने वाले रोगों का बचाव किया जाता है। इसके निवारण हेतु प्रदेश के सभी जनपदों में 25 मई से 25 जून तक बीज शोधन अभियान आयोजित किया जा रहा है। 

इस अभियान के तहत बीज शोधन के महत्व की जानकारी देकर कृषकों को शत-प्रतिशत बीज शोधन हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि बीज शोधन की विधि एवं तकनीक तथा इससे होने वाले लाभ एव सावधानियाँँ सम्मलित है। बीज शोधन रसायन हेतु 2.5 ग्राम उपयुक्त रसायन, जैसे 2.5 ग्राम थीरम या 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी प्रति किलोग्राम बीज अथवा ट्राइकोडर्मा 5.0 ग्राम, प्रति किलोग्राम बीज की दर से एवं थोड़ी मात्रा में पानी (जिससे रसायन ठीक प्रकार से बीज पर चिपक जायें) को एक घड़े में डालें। घड़े के मुंह को किसी साफ़ कपडे़ अथवा पालीथिन से ढक या बांध लें, जिससे बीज एवं रसायन मिलते समय बाहर न गिरे। इसके बाद घड़े को सावधानी से पकड़ कर 5-7 मिनट तक धीरे-धीरे हिलाएं तथा बीज और रसायन को मिला लें। जब बीज पर रसायन का भली भांति चिपक जाएँ तो कपड़ा अथवा पालीथिन को हटाकर बीज को जूट/अथवा प्लास्टिक के बोरे पर निकाल लें। इसके बाद शोधित बीज को साफ फर्श पर रखकर 8-10 घंटे के लिए बोरे से ढक दें तथा इसके बाद इसे सूख जाने पर इस बीज का प्रयोग बुवाई हेतु करें। इससे बीज के आस-पास की भूमि में मौजूद रोग कारकों को नष्ट कर देता है, जिससे बीज जमने उपरांत पौधा स्वस्थ होता है। 

उन्होंने कहा कि बीज शोधन में रसायन की कम मात्रा के प्रयुक्त होने से पर्यावरण को कम नुकसान होता है। बीज का जमाव अच्छा व समान प्रकार से होता है और बीज अंकुरण की संख्या में इजाफा होता है। बीज जनित रोग के प्रकोप की आशंका कम हो जाती हैं जिससे फसल मजबूत व स्वस्थ होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है तथा कृषकों को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक लाभ होता है।

श्री शाही ने बताया कि बीज शोधन के अभियान में ग्राम स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों, बीजशोधन रसायन निर्माण कम्पनियों के प्रतिनिधि, एग्रीजक्शन तथा अन्य विशेषज्ञों का पूर्ण सहयोग लिया जा रहा है। कृषकों को सरकार की योजना विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों योजना कीट/रोग नियंत्रण योजना के द्वारा बीज शोधक रसायन पर 75 प्रतिशत अनुदान प्राविधानित है। उन्हांने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ 2025 में फसलों की बुआई बीज शोधन (बीज में टीका) करने के उपरान्त ही करें और अपने खेत से रोग मुक्त स्वस्थ एवं गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त करें।

भाषा विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ त्रिदिवसीय नैक निरीक्षण

◼ शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक दक्षता और नवाचारों को लेकर पीयर टीम ने की विस्तृत समीक्षा

लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) का त्रिदिवसीय निरीक्षण बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, रोवर्स-रेंजर्स, टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ, छात्रों और प्रशासनिक टीम के साथ हुई संवादात्मक बैठकों में शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, नवाचार और बुनियादी संरचना जैसे अहम पहलुओं पर समीक्षा की गई।

निरीक्षण के अंतिम दिन, नैक पीयर टीम ने प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, प्रशासनिक खंड और विभागों का गहन निरीक्षण किया और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों का अवलोकन किया। विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने भी इस निरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाई।

◼ कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने जताया आभार

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने पीयर टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, "यह निरीक्षण भाषा विश्वविद्यालय परिवार के लिए आत्मविश्लेषण और सुधार का अवसर है। हम नैक टीम के सुझावों का पालन करते हुए शैक्षणिक गुणवत्ता को नई ऊँचाई तक ले जाएंगे।"

◼ टीम में शामिल रहे विशेषज्ञ

नैक पीयर टीम में शामिल प्रमुख सदस्य थे –

प्रो. हेमंत कुमार (चेयरपर्सन), डॉ. रोशन लाल, डॉ. विकास डोगरा, डॉ. तनूजा राउत, डॉ. त्रिमूर्ति पी, डॉ. मूंगा कृष्ण प्रसाद, डॉ. सरबजीत सेन गुप्ता, और डॉ. सुजाता शानबाग। टीम ने हाईब्रिड मोड में निरीक्षण संपन्न किया।

◼ आगामी हफ्तों में घोषित होगी ग्रेडिंग

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. महेश कुमार ने बताया कि, “नैक टीम द्वारा किए गए मूल्यांकन और SSR दस्तावेजों व भौतिक निरीक्षण के आधार पर मिलने वाली ग्रेडिंग की घोषणा जल्द होगी। हमें उम्मीद है कि यह ग्रेड विश्वविद्यालय के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आएगी।”

यूपी ने केंद्रीय करों में मांगी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी: अरविंद पनगढ़िया

◼ वित्त आयोग ने की उत्तर प्रदेश की सराहना, कहा- उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छी तरह से संचालित राज्य

◼ मुख्यमंत्री योगी ने 16वें वित्त आयोग को सौंपा मांग पत्र, विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड की भी अपील

लखनऊ। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को राजधानी लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोग को एक औपचारिक मांग पत्र सौंपा है।

डॉ. पनगढ़िया ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ बैठक में राज्य के विकास और सुधारों का विस्तृत ब्यौरा आयोग को प्रस्तुत किया गया, जिसकी आयोग ने सराहना भी की। यूपी सरकार ने विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड दिए जाने की भी मांग रखी है।

वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक के दौरान प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास और सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा पेश किया, जिसकी आयोग ने सराहना की। उत्तर प्रदेश की प्रमुख मांगों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया 45 प्रतिशत, भौगोलिक क्षेत्रफल 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत, जनसंख्या 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 22.5 प्रतिशत, जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत, वन 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाने का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है। डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि यह प्रस्ताव 15वें वित्त आयोग के मानकों की तुलना में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं।

◼ यूपी का वित्तीय अनुशासन सराहनीय

वित्त आयोग अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश का कर संग्रह जीएसडीपी अनुपात के सापेक्ष संतुलित है और राजकोषीय घाटा नियंत्रित है। साथ ही, राज्य का ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों पर है, जो इसे वित्तीय अनुशासन वाला राज्य बनाता है।

◼ वर्तमान राजस्व विभाजन का विवरण

15वें वित्त आयोग के अनुसार, केंद्रीय करों का 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को और 59 प्रतिशत केंद्र को हस्तांतरित किया जाता है। यूपी की मांग है कि इसमें बदलाव कर राज्य की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत की जाए ताकि वह अपने विकास कार्यों और जनहित योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से चला सके।

प्लास्टिक नहीं प्रकृति चाहिए: विश्व पर्यावरण दिवस पर डॉ. सूर्य कान्त का जागरूकता संदेश

लखनऊ। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है – "Ending Plastic Pollution" यानी प्लास्टिक प्रदूषण का अंत। इस अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सूर्य कान्त ने लोगों को प्लास्टिक से होने वाले खतरे को लेकर सतर्क किया है। डॉ. सूर्य कान्त, जो कि ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड नेचर (OCEAN) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केजीएमयू के विभागाध्यक्ष हैं, बताते हैं कि प्लास्टिक जीवन का हिस्सा तो बन गया है, लेकिन यह पृथ्वी और स्वास्थ्य दोनों के लिए ज़हर बन चुका है।

◼ प्लास्टिक से पर्यावरण को क्या हानि होती है?

इंडियन जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित लेख “Save the Planet” के अनुसार, प्लास्टिक अपने हर चरण में ज़हरीली गैसें छोड़ता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और फसलों में विषैले तत्व आ जाते हैं। अनुमान है कि 2040 तक समुद्रों में 37 मिलियन टन प्लास्टिक मौजूद होगा।

◼ माइक्रोप्लास्टिक – अदृश्य ज़हर

एक अध्ययन के अनुसार, नमक और चीनी के हर नमूने में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं। एक किलो नमक में औसतन 90 माइक्रोप्लास्टिक कण और चीनी में 11.85 से 68.25 कण तक मिले हैं। ये कण .1 मिमी से .5 मिमी के होते हैं जो हवा, पानी और भोजन से शरीर में प्रवेश करते हैं।

◼ स्वास्थ्य पर भी घातक असर

डॉ. सूर्य कान्त के अनुसार, प्लास्टिक से हार्मोन असंतुलन, कैंसर, प्रजनन तंत्र की समस्याएं, बच्चों में फेफड़ों की कमजोरी जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। यहां तक कि समय से पहले जन्म और जन्मजात विकृतियाँ भी प्लास्टिक के संपर्क से जुड़ी हैं।

◼ समाधान – आदतें बदलें, धरती बचाएँ

"प्लास्टिक को ना कहें, कपड़े या कागज के बैग का उपयोग करें, सिंगल यूज़ प्लास्टिक से दूर रहें," डॉ. सूर्य कान्त का यह संदेश स्पष्ट है। उनका कहना है – “धरती हमारी माँ है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।”

◼ प्रधानमंत्री मोदी का ‘LiFE’ आंदोलन

पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में "LiFE – Lifestyle For Environment" अभियान शुरू किया था, जिसका मकसद है – ऐसा जीवन जीना जिससे धरती को नुकसान न पहुँचे। डॉ. सूर्य कान्त ने इसे "ग्रह समर्थक जीवनशैली" का नाम दिया।

◼ सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन

राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इसका सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब हर नागरिक जिम्मेदारी से जुड़ें।

देशी नस्ल की गायों के संरक्षण को मिलेगी प्राथमिकता: धर्मपाल सिंह

* कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण और गोशालाओं की व्यवस्था को लेकर मंत्री ने दिए सख्त निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि देशी नस्ल की गायों के संरक्षण, संवर्धन और उत्पादकता बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी। गिर, साहीवाल, थारपारकर, गंगातीरी और हरियाणवी जैसी देशी नस्लों के पालन हेतु किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। उन्होंने सेक्सड सार्टेड सीमन पर विशेष बल देते हुए कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए।

मंत्री ने विधान भवन स्थित कार्यालय में विभागीय बैठक में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हरा चारा 15 जुलाई तक गोचर भूमि पर बोया जाए और वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए पशुओं के टीकाकरण अभियान की सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएं। उन्होंने गोकाष्ठ मशीनों की उपलब्धता हर गोशाला में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए गोशालाओं में चारा, पानी, दवा, बिजली जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। यदि कोई गोवंश सड़कों या खेतों में घूमता दिखे तो उसे तत्काल गोआश्रय स्थल पहुंचाया जाए। इस अभियान में पंचायतीराज, ग्राम्य विकास, नगर विकास और गृह विभागों के समन्वय से कार्य किया जाए।

दुग्ध उत्पादन को लेकर मंत्री ने कहा कि नई दुग्ध समितियों का गठन, किसानों से संवाद, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लगातार बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने ‘पराग’ ब्रांड के उत्पादों की मार्केटिंग और उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।

बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष ने मंत्री को आश्वासन दिया कि गोआधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु गौ दुग्ध, गोबर और गोमूत्र के उपयोग के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक स्वावलंबन पर केंद्रित योजनाएं चलाई जाएंगी।

बैठक में विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय, राम सहाय यादव, पीसीडीएफ एमडी वैभव श्रीवास्तव, दुग्ध आयुक्त राकेश मिश्र, पशुपालन निदेशक योगेंद्र पवार, राजीव सक्सेना, एलडीबी सीईओ डॉ. पी.के. सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

जोशी (भड्डरी) और सावंत जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने पर 23 जून को सुनवाई

* यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग ने किया पक्ष-विपक्ष को समय पर साक्ष्य के साथ उपस्थित होने का अनुरोध

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जोशी (भड्डरी) और सावंत जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में सम्मिलित किए जाने के संबंध में 23 जून 2025 को प्रारंभिक सुनवाई निर्धारित की है। यह सुनवाई दोपहर 12 बजे, कक्ष संख्या-316, इंदिरा भवन, अशोक मार्ग, लखनऊ स्थित आयोग कार्यालय में आयोजित की जाएगी।

आयोग को इन दोनों जातियों के प्रतिनिधियों द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसमें अनुरोध किया गया कि इन जातियों को उत्तर प्रदेश की ओबीसी सूची में स्थान दिया जाए। आयोग ने यह सुनवाई उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1996 की धारा-9 (1) के अंतर्गत प्राप्त प्रत्यावेदनों पर विचार करते हुए तय की है।

आयोग के सचिव मनोज कुमार सागर ने जानकारी दी कि संबंधित पक्षों याचिकाकर्ता और विरोध करने वाले- सभी से अनुरोध किया गया है कि वे अपने साक्ष्य, दस्तावेज और शपथ-पत्रों सहित समय पर उपस्थित होकर आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखें।

सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था इन जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने का विरोध करना चाहती है, तो वे सूचना के प्रकाशन की तिथि से 15 दिनों के भीतर अपना लिखित विरोध दर्ज करा सकते हैं और 23 जून 2025 को व्यक्तिगत रूप से आयोग में उपस्थित होकर भी अपना पक्ष रख सकते हैं।

उप्र बना बौद्ध विरासत का अंतरराष्ट्रीय केंद्र: आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल की ‘बोधि यात्रा’ जारी

कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के प्रतिनिधि फैम ट्रिप के तहत यूपी के बौद्ध स्थलों का कर रहे हैं दौरा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की प्राचीन बौद्ध धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य पर्यटन विभाग ने कम्बोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम जैसे पांच आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल के लिए ‘बोधि यात्रा’ का आयोजन किया है। यह फैम ट्रिप (Familiarization Trip) मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) योजना के अंतर्गत विदेश मंत्रालय के सहयोग से 2 से 7 जून 2025 तक संचालित हो रही है।

इस 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि प्रतिनिधिमंडल को प्रदेश की समृद्ध बौद्ध विरासत और धार्मिक पर्यटन स्थलों से परिचित कराया जा रहा है।

लखनऊ में पारंपरिक स्वागत, स्थलों का दौरा

प्रतिनिधियों का पारंपरिक स्वागत राजधानी लखनऊ के एक प्रतिष्ठित होटल में किया गया। इस दौरान एक विशेष प्रस्तुति के माध्यम से बौद्ध सर्किट में आने वाले स्थलों और उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक महत्ता पर विस्तृत जानकारी साझा की गई। यात्रा के तीसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, भूलभुलैया सहित लखनऊ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया और स्थापत्य कला व सांस्कृतिक विविधता की सराहना की। इसके बाद दल श्रावस्ती के लिए रवाना हो गया।

* यूपी बनेगा वैश्विक बौद्ध पर्यटन का हब

यात्रा में प्रतिनिधि श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ और वाराणसी के साथ-साथ आगरा व लखनऊ के दर्शनीय स्थलों से भी रूबरू हो रहे हैं। इससे पहले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी भेंट की थी। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह यात्रा उत्तर प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन के प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी। इस पहल से प्रदेश की धार्मिक, सांस्कृतिक और विरासतीय पहचान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का सशक्त अवसर मिलेगा।