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भाषा विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ त्रिदिवसीय नैक निरीक्षण

◼ शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक दक्षता और नवाचारों को लेकर पीयर टीम ने की विस्तृत समीक्षा

लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) का त्रिदिवसीय निरीक्षण बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, रोवर्स-रेंजर्स, टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ, छात्रों और प्रशासनिक टीम के साथ हुई संवादात्मक बैठकों में शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, नवाचार और बुनियादी संरचना जैसे अहम पहलुओं पर समीक्षा की गई।

निरीक्षण के अंतिम दिन, नैक पीयर टीम ने प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, प्रशासनिक खंड और विभागों का गहन निरीक्षण किया और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों का अवलोकन किया। विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने भी इस निरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाई।

◼ कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने जताया आभार

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने पीयर टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, "यह निरीक्षण भाषा विश्वविद्यालय परिवार के लिए आत्मविश्लेषण और सुधार का अवसर है। हम नैक टीम के सुझावों का पालन करते हुए शैक्षणिक गुणवत्ता को नई ऊँचाई तक ले जाएंगे।"

◼ टीम में शामिल रहे विशेषज्ञ

नैक पीयर टीम में शामिल प्रमुख सदस्य थे –

प्रो. हेमंत कुमार (चेयरपर्सन), डॉ. रोशन लाल, डॉ. विकास डोगरा, डॉ. तनूजा राउत, डॉ. त्रिमूर्ति पी, डॉ. मूंगा कृष्ण प्रसाद, डॉ. सरबजीत सेन गुप्ता, और डॉ. सुजाता शानबाग। टीम ने हाईब्रिड मोड में निरीक्षण संपन्न किया।

◼ आगामी हफ्तों में घोषित होगी ग्रेडिंग

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. महेश कुमार ने बताया कि, “नैक टीम द्वारा किए गए मूल्यांकन और SSR दस्तावेजों व भौतिक निरीक्षण के आधार पर मिलने वाली ग्रेडिंग की घोषणा जल्द होगी। हमें उम्मीद है कि यह ग्रेड विश्वविद्यालय के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आएगी।”

यूपी ने केंद्रीय करों में मांगी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी: अरविंद पनगढ़िया

◼ वित्त आयोग ने की उत्तर प्रदेश की सराहना, कहा- उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छी तरह से संचालित राज्य

◼ मुख्यमंत्री योगी ने 16वें वित्त आयोग को सौंपा मांग पत्र, विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड की भी अपील

लखनऊ। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को राजधानी लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोग को एक औपचारिक मांग पत्र सौंपा है।

डॉ. पनगढ़िया ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ बैठक में राज्य के विकास और सुधारों का विस्तृत ब्यौरा आयोग को प्रस्तुत किया गया, जिसकी आयोग ने सराहना भी की। यूपी सरकार ने विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड दिए जाने की भी मांग रखी है।

वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक के दौरान प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास और सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा पेश किया, जिसकी आयोग ने सराहना की। उत्तर प्रदेश की प्रमुख मांगों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया 45 प्रतिशत, भौगोलिक क्षेत्रफल 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत, जनसंख्या 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 22.5 प्रतिशत, जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत, वन 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, कर संग्रहण प्रयास 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाने का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है। डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि यह प्रस्ताव 15वें वित्त आयोग के मानकों की तुलना में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं।

◼ यूपी का वित्तीय अनुशासन सराहनीय

वित्त आयोग अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश का कर संग्रह जीएसडीपी अनुपात के सापेक्ष संतुलित है और राजकोषीय घाटा नियंत्रित है। साथ ही, राज्य का ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों पर है, जो इसे वित्तीय अनुशासन वाला राज्य बनाता है।

◼ वर्तमान राजस्व विभाजन का विवरण

15वें वित्त आयोग के अनुसार, केंद्रीय करों का 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को और 59 प्रतिशत केंद्र को हस्तांतरित किया जाता है। यूपी की मांग है कि इसमें बदलाव कर राज्य की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत की जाए ताकि वह अपने विकास कार्यों और जनहित योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से चला सके।

प्लास्टिक नहीं प्रकृति चाहिए: विश्व पर्यावरण दिवस पर डॉ. सूर्य कान्त का जागरूकता संदेश

लखनऊ। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है – "Ending Plastic Pollution" यानी प्लास्टिक प्रदूषण का अंत। इस अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सूर्य कान्त ने लोगों को प्लास्टिक से होने वाले खतरे को लेकर सतर्क किया है। डॉ. सूर्य कान्त, जो कि ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड नेचर (OCEAN) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केजीएमयू के विभागाध्यक्ष हैं, बताते हैं कि प्लास्टिक जीवन का हिस्सा तो बन गया है, लेकिन यह पृथ्वी और स्वास्थ्य दोनों के लिए ज़हर बन चुका है।

◼ प्लास्टिक से पर्यावरण को क्या हानि होती है?

इंडियन जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित लेख “Save the Planet” के अनुसार, प्लास्टिक अपने हर चरण में ज़हरीली गैसें छोड़ता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और फसलों में विषैले तत्व आ जाते हैं। अनुमान है कि 2040 तक समुद्रों में 37 मिलियन टन प्लास्टिक मौजूद होगा।

◼ माइक्रोप्लास्टिक – अदृश्य ज़हर

एक अध्ययन के अनुसार, नमक और चीनी के हर नमूने में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं। एक किलो नमक में औसतन 90 माइक्रोप्लास्टिक कण और चीनी में 11.85 से 68.25 कण तक मिले हैं। ये कण .1 मिमी से .5 मिमी के होते हैं जो हवा, पानी और भोजन से शरीर में प्रवेश करते हैं।

◼ स्वास्थ्य पर भी घातक असर

डॉ. सूर्य कान्त के अनुसार, प्लास्टिक से हार्मोन असंतुलन, कैंसर, प्रजनन तंत्र की समस्याएं, बच्चों में फेफड़ों की कमजोरी जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। यहां तक कि समय से पहले जन्म और जन्मजात विकृतियाँ भी प्लास्टिक के संपर्क से जुड़ी हैं।

◼ समाधान – आदतें बदलें, धरती बचाएँ

"प्लास्टिक को ना कहें, कपड़े या कागज के बैग का उपयोग करें, सिंगल यूज़ प्लास्टिक से दूर रहें," डॉ. सूर्य कान्त का यह संदेश स्पष्ट है। उनका कहना है – “धरती हमारी माँ है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।”

◼ प्रधानमंत्री मोदी का ‘LiFE’ आंदोलन

पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में "LiFE – Lifestyle For Environment" अभियान शुरू किया था, जिसका मकसद है – ऐसा जीवन जीना जिससे धरती को नुकसान न पहुँचे। डॉ. सूर्य कान्त ने इसे "ग्रह समर्थक जीवनशैली" का नाम दिया।

◼ सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन

राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह एक सराहनीय कदम है, लेकिन इसका सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब हर नागरिक जिम्मेदारी से जुड़ें।

देशी नस्ल की गायों के संरक्षण को मिलेगी प्राथमिकता: धर्मपाल सिंह

* कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण और गोशालाओं की व्यवस्था को लेकर मंत्री ने दिए सख्त निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि देशी नस्ल की गायों के संरक्षण, संवर्धन और उत्पादकता बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी। गिर, साहीवाल, थारपारकर, गंगातीरी और हरियाणवी जैसी देशी नस्लों के पालन हेतु किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। उन्होंने सेक्सड सार्टेड सीमन पर विशेष बल देते हुए कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए।

मंत्री ने विधान भवन स्थित कार्यालय में विभागीय बैठक में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हरा चारा 15 जुलाई तक गोचर भूमि पर बोया जाए और वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए पशुओं के टीकाकरण अभियान की सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएं। उन्होंने गोकाष्ठ मशीनों की उपलब्धता हर गोशाला में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए गोशालाओं में चारा, पानी, दवा, बिजली जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। यदि कोई गोवंश सड़कों या खेतों में घूमता दिखे तो उसे तत्काल गोआश्रय स्थल पहुंचाया जाए। इस अभियान में पंचायतीराज, ग्राम्य विकास, नगर विकास और गृह विभागों के समन्वय से कार्य किया जाए।

दुग्ध उत्पादन को लेकर मंत्री ने कहा कि नई दुग्ध समितियों का गठन, किसानों से संवाद, और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लगातार बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने ‘पराग’ ब्रांड के उत्पादों की मार्केटिंग और उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।

बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष ने मंत्री को आश्वासन दिया कि गोआधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु गौ दुग्ध, गोबर और गोमूत्र के उपयोग के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक स्वावलंबन पर केंद्रित योजनाएं चलाई जाएंगी।

बैठक में विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय, राम सहाय यादव, पीसीडीएफ एमडी वैभव श्रीवास्तव, दुग्ध आयुक्त राकेश मिश्र, पशुपालन निदेशक योगेंद्र पवार, राजीव सक्सेना, एलडीबी सीईओ डॉ. पी.के. सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

जोशी (भड्डरी) और सावंत जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने पर 23 जून को सुनवाई

* यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग ने किया पक्ष-विपक्ष को समय पर साक्ष्य के साथ उपस्थित होने का अनुरोध

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जोशी (भड्डरी) और सावंत जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में सम्मिलित किए जाने के संबंध में 23 जून 2025 को प्रारंभिक सुनवाई निर्धारित की है। यह सुनवाई दोपहर 12 बजे, कक्ष संख्या-316, इंदिरा भवन, अशोक मार्ग, लखनऊ स्थित आयोग कार्यालय में आयोजित की जाएगी।

आयोग को इन दोनों जातियों के प्रतिनिधियों द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसमें अनुरोध किया गया कि इन जातियों को उत्तर प्रदेश की ओबीसी सूची में स्थान दिया जाए। आयोग ने यह सुनवाई उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1996 की धारा-9 (1) के अंतर्गत प्राप्त प्रत्यावेदनों पर विचार करते हुए तय की है।

आयोग के सचिव मनोज कुमार सागर ने जानकारी दी कि संबंधित पक्षों याचिकाकर्ता और विरोध करने वाले- सभी से अनुरोध किया गया है कि वे अपने साक्ष्य, दस्तावेज और शपथ-पत्रों सहित समय पर उपस्थित होकर आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखें।

सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था इन जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने का विरोध करना चाहती है, तो वे सूचना के प्रकाशन की तिथि से 15 दिनों के भीतर अपना लिखित विरोध दर्ज करा सकते हैं और 23 जून 2025 को व्यक्तिगत रूप से आयोग में उपस्थित होकर भी अपना पक्ष रख सकते हैं।

उप्र बना बौद्ध विरासत का अंतरराष्ट्रीय केंद्र: आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल की ‘बोधि यात्रा’ जारी

कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के प्रतिनिधि फैम ट्रिप के तहत यूपी के बौद्ध स्थलों का कर रहे हैं दौरा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की प्राचीन बौद्ध धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य पर्यटन विभाग ने कम्बोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम जैसे पांच आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल के लिए ‘बोधि यात्रा’ का आयोजन किया है। यह फैम ट्रिप (Familiarization Trip) मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) योजना के अंतर्गत विदेश मंत्रालय के सहयोग से 2 से 7 जून 2025 तक संचालित हो रही है।

इस 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि प्रतिनिधिमंडल को प्रदेश की समृद्ध बौद्ध विरासत और धार्मिक पर्यटन स्थलों से परिचित कराया जा रहा है।

लखनऊ में पारंपरिक स्वागत, स्थलों का दौरा

प्रतिनिधियों का पारंपरिक स्वागत राजधानी लखनऊ के एक प्रतिष्ठित होटल में किया गया। इस दौरान एक विशेष प्रस्तुति के माध्यम से बौद्ध सर्किट में आने वाले स्थलों और उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक महत्ता पर विस्तृत जानकारी साझा की गई। यात्रा के तीसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, भूलभुलैया सहित लखनऊ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया और स्थापत्य कला व सांस्कृतिक विविधता की सराहना की। इसके बाद दल श्रावस्ती के लिए रवाना हो गया।

* यूपी बनेगा वैश्विक बौद्ध पर्यटन का हब

यात्रा में प्रतिनिधि श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ और वाराणसी के साथ-साथ आगरा व लखनऊ के दर्शनीय स्थलों से भी रूबरू हो रहे हैं। इससे पहले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी भेंट की थी। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह यात्रा उत्तर प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन के प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी। इस पहल से प्रदेश की धार्मिक, सांस्कृतिक और विरासतीय पहचान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का सशक्त अवसर मिलेगा।

योगी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: अग्निवीरों को यूपी पुलिस में मिलेगा 20% आरक्षण

आवेदन करने वाले अग्निवीरों को आयु सीमा में भी दी जाएगी तीन वर्ष की छूट

अग्निवीरों को 20% आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तर प्रदेश

लखनऊ। योगी कैबिनेट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य की पुलिस भर्ती में पूर्व अग्निवीरों को 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह आरक्षण पुलिस आरक्षी, पीएसी, घुड़सवार आरक्षी एवं फायरमैन की सीधी भर्ती में लागू होगा। योगी सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ पूर्व अग्निवीरों को लाभ मिलेगा, बल्कि राज्य को प्रशिक्षित, अनुशासित और प्रेरित बल प्राप्त होगा।

वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य अग्निपथ योजना के तहत अपना चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अग्निवीरों को सेवा के बाद सार्थक अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। आरक्षण सभी श्रेणियों (सामान्य, एससी, एसटी और ओबीसी) पर लागू होगा। अगर कोई अग्निवीर एससी श्रेणी से संबंधित है, तो आरक्षण एससी के भीतर लागू होगा। वहीं, अगर ओबीसी है, तो ओबीसी के भीतर होगा। उन्होंने कहा कि आरक्षी पुलिस, आरक्षी पीएसी, घुड़सवार पुलिस और फायरमैन जैसी श्रेणियों के लिए आवेदन करने वाले अग्निवीरों को आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट भी दी जाएगी।

2026 में आएगा पहला बैच, यूपी के युवाओं को सीधा लाभ

उन्होंने बताया कि इस प्रणाली के तहत भर्ती का पहला बैच 2026 में आएगा। कई राज्यों और केंद्रीय बलों ने अग्निवीरों को आरक्षण देने की पहल की है। हरियाणा और ओडिशा जैसे राज्यों ने पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण की पेशकश की है। वहीं, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने अब 20 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। सरकार का यह फैसला न केवल उनकी सेवा को मान्यता देता है बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि वे अपने सैन्य कार्यकाल के बाद भी राष्ट्र के सुरक्षा ढांचे में योगदान देना जारी रख सकें।

योगी सरकार ने प्रस्तुत किया उदाहरण

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत पहले बैच के अग्निवीर वर्ष 2026 में सेवामुक्त होकर लौटेंगे। इसके बाद वे सीधे उत्तर प्रदेश पुलिस की इन चार श्रेणियों में भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे। जहां केंद्र सरकार और कई राज्यों ने केवल 10% आरक्षण की व्यवस्था की है, वहीं उत्तर प्रदेश ने 20% क्षैतिज आरक्षण देकर उदाहरण पेश किया है।

योगी सरकार ने निभाया अपना वादा

योजना की शुरुआत के समय ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वादा किया था कि चार साल की सेवा के बाद लौटने वाले अग्निवीरों को उत्तर प्रदेश पुलिस और PAC में प्राथमिकता दी जाएगी। अब इस वादे को 20% आरक्षण की नीति लागू करके साकार कर दिया गया है। यह कदम न केवल पूर्व अग्निवीरों को एक स्थायी करियर की दिशा में प्रेरित करेगा, बल्कि सुरक्षा बलों को भी अनुभवी और प्रशिक्षित युवा मिलेंगे।

क्या है अग्निवीर योजना?

अग्निपथ योजना, जिसे केंद्र सरकार ने 2022 में शुरू किया था, भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना में युवाओं को चार साल की सेवा के लिए ‘अग्निवीर’ के रूप में भर्ती करने की प्रक्रिया है। इस दौरान छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है और सेवा पूरी होने पर प्रदर्शन के आधार पर 25% अग्निवीरों को स्थायी सेवा में रखा जाता है। बाकी 75% युवाओं को अन्य सेवाओं में अवसर तलाशने का रास्ता मिलता है।

उप्र : कैबिनेट बैठक में होमस्टे नीति-2025 को मंजूरी, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

- सीएम योगी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में 11 में से 10 प्रस्तावों को मिली स्वीकृति

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश बेड एंड ब्रेकफास्ट एवं होमस्टे नीति-2025 को मंजूरी दे दी गई। इस नीति का उद्देश्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुलभ, सस्ती और बेहतर ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराना है।

पर्यटन विभाग द्वारा तैयार इस नीति के अंतर्गत राज्य के किसी भी धार्मिक या पर्यटन स्थल पर व्यक्ति अपनी 1 से 6 कमरों की इकाई को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करा सकेगा, जिसमें अधिकतम 12 बेड की अनुमति होगी। पर्यटक अधिकतम सात दिन तक इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे, आवश्यकता पड़ने पर ठहराव की अवधि का नवीनीकरण भी संभव होगा। पंजीकरण की प्रक्रिया जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा संपन्न की जाएगी।

सरल पंजीकरण और प्रोत्साहन की व्यवस्था

वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी दी कि ग्रामीण क्षेत्रों में नाममात्र शुल्क ₹500 से ₹750 जबकि शहरी क्षेत्रों में ₹2000 आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है। अब तक होमस्टे संचालकों को केंद्र सरकार के निधि प्लस पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था, जबकि अब राज्य की नई नीति के तहत स्थानीय निकायों की अनापत्ति प्रमाणपत्र के साथ सरल प्रक्रिया अपनाई जा सकेगी। इस नीति में वित्तीय प्रोत्साहन और अनुदान की भी व्यवस्था की गई है, जिससे आम नागरिक भी अपने आवास को पर्यटक हित में उपयोग कर सकेंगे। यह पहल पर्यटन क्षेत्र के विकास के साथ-साथ स्थानीय रोजगार और आय के नए अवसर भी उत्पन्न करेगी।

प्रत्येक जिले में बनेंगे 75–100 अन्नपूर्णा भवन

कैबिनेट बैठक में मॉडल उचित दर दुकान/अन्नपूर्णा भवन निर्माण को गति देने के लिए नई योजना को भी मंजूरी दी गई। अब मनरेगा के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग, सांसद-विधायक निधि, पूर्वांचल-बुंदेलखंड विकास निधि या अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से प्रति जनपद 75–100 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण कराया जा सकेगा। जहां यह संभव न हो, वहां खाद्य एवं रसद विभाग अपनी बचत से निर्माण कराएगा। भवनों के अनुरक्षण की व्यवस्था भी प्रस्तावित की गई है।

5 औद्योगिक इकाइयों को मिली प्रोत्साहन राशि की स्वीकृति

बैठक में उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के तहत मेगा श्रेणी के पांच औद्योगिक उपक्रमों को प्रोत्साहन धनराशि की प्रथम किस्त जारी करने की मंजूरी दी गई। इनमें शामिल हैं: SLMG बेवरेज प्रा. लि., बाराबंकी – ₹38.73 करोड़, सिल्वरटन पल्प एंड पेपर्स प्रा. लि., मुजफ्फरनगर – ₹1.88 करोड़, एसीसी लि., अमेठी – ₹17.28 करोड़, वंडर सीमेंट लि., अलीगढ़ – ₹38.32 करोड़ और

मून वेबरेजेज, हापुड़ – ₹8.68 करोड़।

कैबिनेट के सामने 11 प्रस्ताव रखे गए, 10 को स्वीकृति

बैठक में कुल 11 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 10 को कैबिनेट की स्वीकृति मिली। ये निर्णय राज्य में पर्यटन, औद्योगिक विकास और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को गति देने में सहायक सिद्ध होंगे।

भाषा विश्वविद्यालय में नैक पीयर टीम का त्रिदिवसीय मूल्यांकन निरीक्षण

- निरीक्षण के दूसरे दिन टीम ने विश्वविद्यालय की विभिन्न प्रयोगशालाओं एवं वर्कशॉप्स का किया व्यापक निरीक्षण

लखनऊ। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) की पीयर टीम द्वारा ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का त्रिदिवसीय निरीक्षण जारी है। इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय की समग्र शैक्षणिक गुणवत्ता, संसाधनों, अनुसंधान, नवाचार और छात्र सहभागिता का मूल्यांकन करना है।

निरीक्षण के दूसरे दिन टीम ने विश्वविद्यालय की विभिन्न प्रयोगशालाओं एवं वर्कशॉप्स का व्यापक निरीक्षण किया। इसमें जिम्नेजियम, मैकेनिकल वर्कशॉप, मीडिया लैब, इंग्लिश लैब, मैकेनिकल इंजीनियरिंग लैब, उर्दू लैंग्वेज लैब, नेटवर्किंग लैब, पायथन लैब, एआई लैब, मूट कोर्ट, हाईब्रिड लेक्चर हॉल, सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, लीगल एड क्लीनिक, अटल हॉल, अवधी शोधपीठ, आईकेएस सेल, आर्ट गैलरी, डिस्पेंसरी, बैंक और फार्मेसी शामिल थे।

टीम ने साफ-सफाई, प्रयोगशालाओं की संरचना, उपकरणों की उपलब्धता एवं कार्यशीलता, सुरक्षा मानकों (जैसे फायर एक्सटिंग्विशर, वेंटिलेशन, फर्स्ट एड), तकनीकी स्टाफ की उपस्थिति, आईसीटी संसाधनों का प्रयोग, छात्र सहभागिता, प्रैक्टिकल रिकॉर्ड, और इनोवेटिव प्रैक्टिस की भी बारीकी से समीक्षा की।

दोपहर के सत्र में, नैक टीम विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों का दौरा कर वहां की स्थितियों का मूल्यांकन किया और स्थानीय निवासियों से बातचीत कर विश्वविद्यालय की सामाजिक पहल का जायज़ा लिया।

तीसरे सत्र में, टीम ने विश्वविद्यालय के एलुमिनाई (पूर्व छात्र) से संवाद कर उनके अनुभवों और सुझावों को जाना। इसके साथ ही छात्र प्रतिनिधियों के साथ भी विचार-विमर्श किया गया, जिसमें विद्यार्थियों की शिक्षा, सुविधा और सहभागिता पर चर्चा हुई।

दिन के अंतिम सत्र में, टीम ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक विभागों — जैसे वित्त विभाग, फार्मेसी, स्कॉलरशिप, पीएचडी सेक्शन, आईक्यूएसी, परीक्षा विभाग, समर्थ सेक्शन और रजिस्ट्रार कार्यालय की कार्यप्रणाली की समीक्षा की। इसके अतिरिक्त, कार्यपरिषद के सदस्यों के साथ हाइब्रिड मोड में बैठक भी की गई।

कारागार महानिदेशक ने किया कार्यभार ग्रहण

लखनऊ। कारागार मुख्यालय, लखनऊ में मंगलवार को नव नियुक्त महानिदेशक कारागार पीसी मीना ने पदभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ परिचयात्मक बैठक की, जिसमें प्रशासनिक कार्यप्रणाली, सुधारात्मक नीतियाँ एवं कारागार प्रबंधन को लेकर विभागीय प्राथमिकताओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।