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रेरा का बड़ा फैसला: प्रमोटर को 28 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश, आवंटी को मिली राहत

रायपुर- छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक अहम फैसला सुनाया है। रेरा ने आशीर्वाद अपार्टमेंट परियोजना (कोहका, जिला दुर्ग) से जुड़े एक मामले में प्रमोटर को निर्देश दिया है कि वह आवंटी को 28.71 लाख रुपये की राशि ब्याज सहित तत्काल लौटाए।

यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब यह पाया गया कि आवंटी और प्रमोटर के बीच अनुबंध होने के दो साल बाद भी फ्लैट का पजेशन नहीं दिया गया। निर्माण कार्य लंबे समय तक अधूरा रहा, जिससे आवंटी को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

रेरा के आदेशानुसार, प्रमोटर द्वारा मूलधन 23 लाख 71 हजार रुपये और उस पर 5 लाख रुपये ब्याज सहित कुल 28 लाख 71 हजार रुपये की राशि लौटाई जाएगी। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि प्रमोटर की लापरवाही ने उपभोक्ता का विश्वास तोड़ा है और साथ ही रेरा कानून का उल्लंघन किया है ।

रेरा रजिस्ट्रार ने इस संदर्भ में कहा कि रेरा का उद्देश्य है कि प्रत्येक होमबायर को समय पर उसका अधिकार मिले। यह आदेश उसी दिशा में एक मजबूत संदेश है कि कोई भी प्रमोटर उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी या देरी नहीं कर सकता।

रेरा के इस निर्णय से न केवल पीड़ित उपभोक्ता को राहत मिली है, बल्कि यह अन्य खरीदारों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश बनेगा। रेरा ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे सजग रहें और समय पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस मंच पर शिकायत दर्ज करें।

बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी को क्लीन चिट देने का प्रयास, शिकायत मिलने पर राष्ट्रपति सचिवालय ने मुख्य सचिव के पास भेजा मामला

रायपुर-  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवाएं समाप्त किए गए कर्मचारी को बैक डोर लाने के प्रयास का विरोध शुरू हो गया है. यह मामला कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर का है, जहां बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी को क्लीन चिट देने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर सवाल उठ रहे हैं. चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा की शिकायत पर राष्ट्रपति सचिवालय ने मामले को मुख्य सचिव के पास भेजा है.

बता दें कि क्लर्क रैंक के विश्विद्यालय कर्मचारी आकाश चंद्रवंशी ने बर्खास्त प्रो. शाहिद अली और संजय द्विवेदी के मामले में फिर से विचार करने रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था. इस पर चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा ने आपत्ति जताई है और 29 मई 2025 को पत्र लिख कर इसे उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के नोटिस में लाया है. उनके पत्र का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति सचिवालय ने उसी दिन मुख्य सचिव को मामला ईमेल के जरिए जांच के लिए भेजा है.

एक के पत्र के आधार पर इस मामले को 20 मई 2025 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में लाया गया था. डॉ. आशुतोष मिश्रा ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि आकाश चंद्रवंशी के इस कदम, भाषा, प्रस्ताव और पत्र की जांच की जाए. उन्होंने कहा कि शाहिद अली का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर कानूनी राय लेने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया. इस कार्यवाही को पहले ही कार्यकारिणी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है. फिर इसे पिछले दरवाजे से कैसे और क्यों आगे बढ़ाया जा रहा है.

17 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर में शाहिद अली की सेवाएं रीडर / एसोसिएट प्रोफेसर के पद से समाप्त कर दी गई थीं. क्लर्क रैंक के विश्विद्यालय के कर्मचारी आकाश चंद्रवंशी ने 1 अप्रैल 2025 को रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर इस मामले में फिर से विचार करने का आग्रह किया था. इस मामले को 20 मई 2025 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में लाया गया था. एजेंडा को ‘किसी भी अन्य आइटम श्रेणी’ के रूप में रखा गया और बिंदु 16 के तहत पारित किया गया कि इस पर कानूनी राय ली जानी चाहिए, जबकि इस बारे में पहले ही उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कानूनी राय ली जा चुकी है. इस पत्र के पीछे निहित परिप्रेक्ष्य का उल्लेख करते हुए ऐसी मंशा पर शिकायत की गई है.

आकाश चंद्रवंशी द्वारा रजिस्ट्रार को लिए गए पत्र पर चंडीगढ़ के डॉ. आशुतोष मिश्रा ने आपत्ति जताई है और 29 मई 2025 को पत्र लिख कर इसे उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के नोटिस में लाया है. उनके पत्र का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति सचिवालय ने उसी दिन मुख्य सचिव को मामला ईमेल के जरिए जांच के लिए भेजा है.

आकाश चंद्रवंशी ने अपने पत्र में एक और मुद्दा संजय द्विवेदी का भी लिखा है कि उसे भी एग्जीक्यूट काउंसिल पर विचार करने के लिए लाया जाए. डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि इसके बारे में पहले ही कार्यकारी परिषद की बैठक में आदेश हो चुका है कि 2005 में संजय द्विवेदी की विश्वविद्यालय में नियुक्ति और सर्टिफिकेट्स के आधार पर उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए और शाहिद अली पर केस भी चलाया जाए तो अब कैसे, क्यों और किस आधार पर विश्विद्यालय पीछे हटने का प्रयास कर रहा है.

डॉ आशुतोष मिश्रा ने अपनी शिकायत में लिखा है कि शाहिद अली और संजय द्विवेदी दोनों ने अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल नौकरी पाने के लिए 2005 में किया था, जो कि गोपा बागची ( शाहिद अली की पत्नी) द्वारा गुरु घासीदास विश्विद्यालय से जारी किया गया था. रीडर/एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में उन दोनों की नियुक्ति को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई तथा इस केस पर अंतिम निर्णय से पूर्व ही संजय द्विवेदी ने कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय में कार्य करने के 6 माह के भीतर पद छोड़ दिया था.

डॉ. आशुतोष मिश्रा ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि आकाश चंद्रवंशी के इस कदम, भाषा, प्रस्ताव और पत्र की जांच की जाए, क्योंकि शाहिद अली का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर कानूनी राय लेने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है. इस कार्यवाही को पहले ही कार्यकारिणी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, फिर इसे पिछले दरवाजे से कैसे और क्यों आगे बढ़ाया जा रहा है और कार्यकारिणी परिषद के अन्य सभी सदस्यों को अंधेरे में रखा जा रहा है.

कर चोरी करने वाले व्यवसायियों के विरूद्ध स्टेट जीएसटी की बड़ी कार्यवाही

रायपुर- मेसर्स अरिहंत स्टील नारायणपुर जिला नारायणपुर के व्यवसाय स्थल पर स्टेट जीएसटी विभाग जगदलपुर द्वारा 31 मई को जांच की कार्यवाही की गई है। जब मौके पर जांच टीम पहुंची तो, देखा कि उनके व्यवसाय स्थल पर व्यवसाय से संबंधित कोई भी लेखा पुस्तक या सॉफ्टवेयर जैसे कि टैली का संधारण नहीं पाया गया, जबकि जीएसटी के प्रावधानों के अनुरूप व्यवसाय स्थल पर समस्त लेखा पुस्तकें रखा जाना अनिवार्य है। व्यवसायी ने बताया कि समस्त बिल, कर सलाहकार द्वारा जारी किया जाता है। इस कारण कर अपवंचन की संभावना और भी प्रबल हो गई। आगे जांच में पाया गया कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक कुल टर्न ओव्हर लगभग 16 करोड़ रुपये से अधिक किन्तु उस पर कर का नगद भुगतान मात्र 43 हजार रुपये का वर्तमान अवधि तक किया गया है।

साथ ही साथ जब ई-वे बिल की जांच की गई तो पता चला कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक माल की खरीदी 8.21 करोड़ रुपये की गई किंतु माल की सप्लाई के लिए कोई ई-वे बिल जारी नही किया गया। जिससे यह पता चलता है कि माल का विक्रय आम उपभोक्ता को किया गया है किन्तु बिल को अन्य व्यवसायियों को बेचकर बोगस इनपुट टैक्स का लाभ दिया गया है, जिससे कि केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार को कर राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है। जांच के दौरान व्यवसायी के द्वारा अपनी गलती / त्रुटि स्वीकार करते हुए स्वैच्छिक रूप से 10 लाख रुपये का कर भुगतान करने की मंशा जाहिर की, किंतु जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने व्यवसाय स्थल पर उपलब्ध स्टॉक की मात्रा (अनुमानित कीमत 90 लाख रुपये ) के समर्थन में व्यवसायी से लेखा पुस्तकें एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की। व्यवसायी की ओर से कोई भी जानकारी एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। व्यवसायी द्वारा अपने परिचित कुछ मीडियाकर्मियों एवं व्यवसायियों को एकत्रित कर जांच टीम पर दबाव डालने का प्रयास किया गया। व्यवसायी के असहयोगात्मक रवैये एवं कर अपवंचन की विस्तृत जांच हेतु स्थानीय पुलिस की उपस्थिति में आगामी कार्यवाही तक व्यवसाय स्थल सील बंद किया गया है।

युक्तियुक्तकरण : BEO ने पद का किया दुरुपयोग, हिंदी टीचर पत्नी को बताया गणित का टीचर, आयुक्त द्वारा किया गया सस्पेंड

दुर्ग-  युक्तियुक्तकरण में लापरवाही को लेकर आज दो बड़ी कार्रवाई हुई है। एक ओर जहां बालोद में जिला शिक्षा अधिकारी को युक्तियुक्तकरण से अलग कर दिया गया, तो वहीं एक BEO को सस्पेंड कर दिया गया। दुर्ग जिले के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) गोविंद साव को शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कर्तव्य में गंभीर लापरवाही और कदाचार का दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि साव ने अपनी पत्नी को अतिशेष घोषित होने से बचाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर कर जानकारी में कुटरचना की। दुर्ग संभाग के आयुक्त सत्यनारायण राठौर ने कलेक्टर दुर्ग के प्रतिवेदन के आधार पर यह कार्रवाई की है।

दुर्ग जिले के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी गोविंद साव पर पद का दुरुपयोग कर पत्नी को लाभ पहुंचाने का आरोप सिद्ध होने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन की यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकृत, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1)(क) के तहत की गई है।

निलंबन आदेश के अनुसार, निलंबन अवधि में साव का मुख्यालय कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग रहेगा और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। साव पर आरोप है कि उन्होंने युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत परिशिष्ट-02 में अपनी पत्नी कुमुदनी साव को “उच्च वर्ग शिक्षक (हिंदी)” के बजाय “उच्च वर्ग शिक्षक (गणित)” के रूप में दर्ज किया। यह बदलाव जानबूझकर इसलिए किया गया ताकि गणित विषय की आवश्यकता बताकर उनकी पत्नी को अतिशेष शिक्षकों की सूची से बाहर रखा जा सके।

इस प्रकार की कुटरचना एक जिम्मेदार अधिकारी के पद पर रहते हुए न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 03 के भी प्रतिकूल है, जो अधिकारियों से निष्पक्षता, ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा करता है।कलेक्टर दुर्ग द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में इस विषय को गंभीरता से उठाया गया था। इसके आधार पर संभागीय आयुक्त ने तुरंत संज्ञान लेते हुए साव को निलंबित किया और उनके विरुद्ध विभागीय जांच की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।

मुख्यमंत्री श्री साय से केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान श्री साय ने श्री पासवान को कोसा वस्त्र एवं बेल मेटल से बने स्मृति चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। गौरतलब है कि केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान आज एक दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे।

अजीत जोगी प्रतिमा विवाद : रेणु और अमित जोगी ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, लगाए गंभीर आरोप

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही- छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा को लेकर उपजा विवाद अब और गहराता जा रहा है। सोमवार को पूर्व विधायक डॉ. रेणु जोगी और अमित जोगी ने गौरेला कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग किया कि जोगी की प्रतिमा का विधिवत अनावरण जल्द से जल्द हो।

रेणु जोगी ने कलेक्टर से मुलाकात के बाद कही ये बात

पूर्व विधायक डॉ. रेणु जोगी ने कहा कि स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा के लिए उन्होंने नगर पंचायत, कलेक्टर और अन्य संबंधित अधिकारियों से वैधानिक अनुमति मांगी थी ताकि युवाओं को प्रेरणा मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि आज पहली बार कलेक्टर को यह जानकारी हुई कि वह जमीन सरकारी नहीं बल्कि निजी है।

अमित जोगी ने इस दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिस स्थान पर प्रतिमा स्थापित की गई थी, वह भूमि उनकी निजी संपत्ति है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैं अपनी जमीन पर किसकी प्रतिमा लगाऊं या नहीं लगाऊं, यह कोई नगरपालिका तय नहीं कर सकती।” अमित ने 2020 में प्राप्त अनापत्ति प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए दावा किया कि प्रतिमा पूरी तरह से कानूनी तरीके से स्थापित की गई थी।

CMO पर गंभीर आरोप

अमित जोगी ने गौरेला नगर पालिका के सीएमओ नारायण साहू पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि सीएमओ ने “दारू पिलाकर गुंडों को भेजा” जिन्होंने प्रतिमा को चुराया। उन्होंने यह भी कहा कि ये लोग उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और बनारस से बुलाए गए थे।

अमित ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर को सीएमओ की शिकायत शासन स्तर पर हटाने के लिए दी है और कलेक्टर ने इस पर सहमति जताई है। साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया कि वे प्रतिमा चोरी के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर रही है। अमित ने कहा कि जब हम खुद CMO की लाइव लोकेशन ट्रैक कर सकते है तो पुलिस क्यों नहीं कर सकती।

क्या है विवाद की जड़?

अमित जोगी का कहना है कि प्रतिमा को उनके अधिपत्य की भूमि पर वैधानिक रूप से स्थापित किया गया था और इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री की मौजूदगी में होना था। मगर इससे पहले ही प्रतिमा को कथित तौर पर रातों-रात चोरी कर लिया गया। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी यह झूठा भ्रम फैला रहे हैं कि उस जगह पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगनी थी।

अमित जोगी ने दिया था अल्टीमेटम

अमित जोगी ने इससे पहले चेतावनी दी कि यदि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती तो वे आंदोलन का रुख अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस को लोकेशन की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती, तो यह प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है।

अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ शासन के 2003 और 2015 के शहरी विकास दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम सिर्फ सार्वजनिक भूमि पर लागू होते हैं, जबकि उनका मामला निजी जमीन से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि स्थापित मूर्ति की ऊंचाई सिर्फ ढाई मीटर है, जो नियमानुसार है।

CMO नारायण साहू ने दी सफाई, कहा- “हमारी कोई भूमिका नहीं”

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा को लेकर मचे बवाल के बीच गौरेला नगर पालिका के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) नारायण साहू ने अपना पक्ष सामने रखा है। मूर्ति तोड़फोड़ के आरोपों पर सफाई देते हुए उन्होंने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया।

साहू ने कहा, “यह जो घटना हुई है, उसके बारे में मुझे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। किन व्यक्तियों ने इस कृत्य को किया है, वह अपने स्वयं के विवेक से किए होंगे। शासन जो भी कार्रवाई करेगा, उसमें हम साथ हैं। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है, ना ही नगर पालिका प्रशासन की कोई भूमिका है।”

CCTV फुटेज को लेकर प्रतिक्रिया

जब उनसे पूछा गया कि प्रतिमा को नगर पालिका कार्यालय के पास छोड़ दिया गया और CCTV कैमरों से कुछ फुटेज भी मिले हैं, तो उन्होंने कहा, “CCTV कैमरे में जो भी फुटेज आए हैं, वह जांच का विषय है। जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी।”

आरोपों से किया इनकार

अमित जोगी द्वारा लगाए गए आरोपों जवाब देते हुए नारायण साहू ने स्पष्ट कहा, “हमारी कोई भूमिका नहीं है। ना ही हमने किसी को ऐसा करने के लिए कहा और ना ही हमारी मंशा ऐसी कोई कार्रवाई करने की रही है।”

फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी हासिल करने वाली शिक्षिका बर्खास्त, हाइकोर्ट के फैसले के बाद संयुक्त संचालक ने जारी किया आदेश…

बिलासपुर- फर्जी आदिवासी जाति की प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षिका बनी महिला को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने व उच्च स्तरीय छानबीन समिति पिछड़ा वर्ग की पाए जाने पर जेडी ने नौकरी बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है. 

दरअसल, उर्मिला बैगा वर्तमान में शासकीय पूर्व मध्यमिक शाला चांटीडीह, विखं बिल्हा में पदस्थ है. उनके खिलाफ ओबीसी होते हुए अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने की शिकायत हुई थी. इस मामले में उच्च स्तरीय छानबीन समिति कार्यालय आयुक्त आदिम जाति व अनुसूचित जाति विकास विभाग पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से जांच कराया गया. इसमें शिक्षिका के पिता रतनलाल के दादा दुखिया पिता हरिराम के मिसल अभिलेख 1926-20 को देखा गया. इसमें ढीमर जाति अंकित था.

रतनलाल की सर्विस बुक में भी ढीमर दीमर जाति अंकित है. साथ ही शिक्षिका के शासकीय प्राथमिक शाला कुदुदंड के दाखिल खारिज रजिस्टर में भी जाति ढीमर लिखा हुआ है. 

ढीमर जाति केंद्र व राज्य सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल है. 11 दिसंबर 2006 को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने आदेश पारित किया. इसमें शिक्षिका की अनुसूचित जनजाति की जाति प्रमाण प्रमाण पत्र को गलत बताकर निरस्त कर दिया, और कहा गया कि उसके आधार पर पाई गई नौकरी को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए. 

इस आदेश के पालन में जिला शिक्षा अधिकारी ने 7 फरवरी 2007 को शिक्षिका उर्मिला बैगा की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया. जिसके खिलाफ शिक्षिका ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई. कोर्ट ने 1 मार्च 2007 को जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर स्टे लगा दिया, लेकिन बाद में शिक्षिका ने अपनी याचिका वापस ले ली. इसके कारण कोर्ट ने पूर्व में जारी अंतरिम आदेश को समाप्त कर दिया. इसके आधार पर संयुक्त संचालक शिक्षा आरपी आदित्य ने उच्च स्तरीय छानबीन समिति के पारित निर्णय एवं हाईकोर्ट के पारित निर्णय 24 जुलाई 2024 के पालन में उर्मिला बैगा को सेवा से पृथक कर दिया है.

देखें आदेश :

फार्म हाउस में छापा मारकर पुलिस ने 14 जुआरियों को किया गिरफ्तार

बिलासपुर-  शहर में जुआरियों के खिलाफ पुलिस लगातार सख्त कार्रवाई कर रही है. पुलिस ने रविवार को एक फार्म हाउस में छापा मारकर 14 जुआरियों को गिरफ्तार किया. पकड़े गए आरोपियों क पास से 3 लाख रुपए कैश, 5 लग्जरी कार और 17 मोबाइल फोन जब्त किया गया है. कोटा थाना में आरोपियों के खिलाफ जुआ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.

जानकारी के अनुसार, अजयपुर स्थित बंटी कश्यप के फार्म हाउस में बड़ी संख्या में शहर से जुआरी 52 परियों पर पैसों का दांव लगाकर जुआ खेल रहे थे. मुखबिर की सूचना पर एसीसीयू प्रभारी एएसपी अनुज कुमार के नेतृत्व में एसीसीयू और कोटा पुलिस की संयुक्त टीम ने फार्म हाउस में दबिश दी. 


छापेमारी के दौरान कुछ जुआरी मौके से फरार हो गए, जबकि मिश्रीलाल कश्यप, हरिओम साहू, दीपक सोनी, ज्वाला सूर्यवंशी, प्रदीप पाण्डेय, राकेश कहार, शांतनु बघेल, राजेन्द्र कुम्हारे, मनोज कश्यप, यशोधर कश्यप, सागर कश्यप, महेन्द्र वर्मा, सिरीश कश्यप और राजकुमार तेजवानी को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने आरोपियों से 3,04,200 नगद, 17 मोबाइल फोन और मौके पर खड़ी 5 लग्जरी कारें—इनोवा (CG10 AE 8187), टियागो (CG10 AM 1573), बलेनो (CG10 AZ 5491), किया सेल्टॉस (CG10 BK 3849) और विटारा ब्रेजा (CG10 BE 7804) जप्त की है. गिरफ्तार आरोपियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध अधिनियम 2022 के तहत कार्रवाई की जा रही है. 

उदंती अभ्यारण क्षेत्र में अवैध बस्ती पर चला बुलडोजर, 29 लोगों ने हजारों पेड़ काटकर वन भूमि पर किया था कब्जा

गरियाबंद- डेढ़ साल बाद फिर उदंती सीता नदी अभ्यारण्य के बफर जोन इलाके के अवैध बस्ती पर बुलडोजर चला है। इस बार इंदागांव रेंज के घुमरापदर गांव से लगे जंगल में बसे अवैध बस्ती पर कार्रवाई हुई है। उप निदेशक वरुण जैन के साथ 100 से ज्यादा वन और पुलिस अमला अतिक्रमण हटाने में जुटे रहे।

उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि अभ्यारण्य में बसी 6वीं अवैध बस्ती को उजाड़ा गया। 29 अवैध कब्जाधारियों के विरुद्ध नामजद प्रकरण दर्ज किया गया है। ये लोग पिछले 10 सालों में हजारों पेड़ों की अवैध कटाई कर 60 हैक्टेयर वन भूमि पर कब्जा कर लिए थे। उन्हें छोड़ने कई बार नोटिस दिया गया था। ये लोग यहां मकान बनाकर रहते हुए वन भूमि पर मक्के और धान का फसल ले रहे थे। नोटिस अवधि खत्म होने के बाद बेदखली की कार्रवाई की गई है।

अब तक खाली करा चुके 700 हेक्टेयर वन भूमि

उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया, पिछले डेढ़ साल में 5 से ज्यादा अवैध बस्ती बेदखल कर 700 हेक्टेयर वन भूमि को खाली कराया जा चुका है। खाली कराए भूमि में पौधरोपण के अलावा जल एवं भूमि संरक्षण के लिए कंटूर ट्रेंच का निर्माण कराया गया है। बेदखली के बाद से अभ्यारण्य इलाके में होने वाले वन्य जीव के शिकार में कमी आई है। इसके अलावा वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल वातावरण बनने से प्राणियों के कुनबे में बढ़ोतरी हुई है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कार्रवाई, 249 दुकानदारों पर लगा जुर्माना

रायपुर- छत्तीसगढ़ में आमजन को गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे निरीक्षण अभियान के तहत राज्य के विभिन्न जिलों से एकत्र किए गए औषधि नमूनों की जांच में पांच दवाएं अमानक पायी गई हैं।

विभागीय जानकारी के अनुसार, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सक्ति, राजनांदगांव, कोंडागांव, सूरजपुर सहित अन्य जिलों से कुल 34 औषधि नमूनों को एकत्र कर रायपुर स्थित राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेजा गया था। मई 2025 में जांच उपरांत इनमें से 03 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं।

अमानक घोषित दवाएं:

  • विल्डमेड टैबलेट (बैच नं. VGT 242068A) – निर्माता: वृंदावन ग्लोबल, सोलन (हि.प्र.)
  • रिफलीवे एम टैबलेट (बैच नं. HG 24080598) – निर्माता: आई हील फार्मास्युटिकल्स, बद्दी (हि.प्र.)
  • डोंलोकैर डी एस सस्पेंशन (बैच नं. DCN-002) – निर्माता: क्विक्सोटिक फार्मा, मोहाली (पंजाब)

इन दवाओं का उपयोग मधुमेह, बुखार व संक्रमण जैसे रोगों के उपचार में किया जाता है। विभाग द्वारा संबंधित उत्पादकों एवं वितरकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा, “जनस्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अमानक औषधियां बेचने या वितरित करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमारी सरकार राज्य में उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है। सभी औषधि विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है कि वे केवल मान्यता प्राप्त व प्रमाणित दवाएं ही विक्रय करें।”

नशीली दवाओं के विरुद्ध सख्ती:

राज्यभर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए औषधि निरीक्षकों की टीमों द्वारा मेडिकल स्टोर्स पर लगातार छापेमारी की जा रही है। शासन के निर्देश पर सभी मेडिकल प्रतिष्ठानों को सीसीटीवी कैमरे से युक्त किए जाने की दिशा में भी तेजी से कार्य जारी है।

तंबाकू निषेध दिवस पर विशेष अभियान:

विश्व तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) के अवसर पर राज्य में विशेष अभियान चलाया गया। औषधि निरीक्षकों द्वारा कोटपा अधिनियम, 2003 की धारा 4 व 6 के तहत शिक्षण संस्थानों के समीप पान दुकानों और सार्वजनिक स्थलों पर 249 चालान जारी किए गए। प्रत्येक पर ₹100 की दर से जुर्माना लगाया गया।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे दवाओं की खरीद करते समय गुणवत्ता और वैधता की जांच अवश्य करें तथा संदिग्ध औषधियों की सूचना विभाग को दें।