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म्यांमार में 334 परमाणु बमों जितनी ताकत से डोली धरती, तीसरे दिन भी कांप रही धरती

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म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने म्यांमार में भारी तबाही मचाई। इस विनाकारी भूकंप से करीब 1700 लोगों की मौत हो गई है। शुक्रवार के बाद म्यांमार में रविवार को एक बार फिर भूकंप के झटके लगे हैं। इस भूकंप ने क्षेत्र को हिला दिया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। भूकंप के कारण लोग अपने घरों से निकलकर बाहर आ गए। भूकंप का केंद्र मांडले से लगभग 21 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इधर, तबाह हो चुके म्यांमार में किसी भी जीवित शख्स को खोजने के लिए बचावकर्मी अपनी कोशिश में जुटे हुए हैं।

इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि काफी समय तक इस क्षेत्र में भूकंप के झटके (आफ्टरशॉक) आते रहेंगे। वहीं, ये भी बताया कि शुक्रवार को आए 7.7 की तीव्रता के भूकंप के दौरान 334 परमाणु बमों के बराबर उर्जा रिलीज की है। भूविज्ञानी जेस फीनिक्स ने सीएनएन से बात करते हुए बताया है कि म्यांमार में आए भूकंप में 334 परमाणु बमों जितनी ताकत थी, जिसने धरती को झूले की तरह हिला दिया।

फीनिक्स ने आगे कहा कि भूकंप के बाद आने वाले झटके अगले कई महीनों तक महसूस किए जा सकते हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट म्यांमार के नीचे स्थित यूरेशियन प्लेट से टकरा रही हैं। टेक्टोनिक प्लेटें धरती की सतह के नीचे मौजूद बड़ी चट्टानें होती हैं। ये प्लेटें आपस में टकराती हैं तो भूकंप आते हैं। म्यांमार में भूकंप भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराने से आया है।

शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के भूकंप में कई इमारतें जमींदोज हो गई हैं और सड़कों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। अब तक 1,700 लोगों के मारे जाने और 3,400 से अधिक लोगों के लापता होने की खबर है। आशंका जताई जा रही है कि यह संख्या बढ़ सकती है।

म्यांमार लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध की चपेट में है और वहां पहले से ही एक बड़ा मानवीय संकट बना हुआ है। ऐसे में राहत-बचाव कार्यों में काफी मुश्किल हो रही है। म्यांमार के पड़ोसी देश थाईलैंड में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे और इसने राजधानी बैंकॉक समेत देश के अन्य क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया था। हालात यह हैं कि अस्पतालों में जगह कम पड़ गई है और सड़कों पर अस्थाई तरीके से मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इलाज सामग्री व दवाओं की भी काफी कमी हो गई है।

‘जहां सेवा वहां स्वयंसेवक’, पीएम मोदी ने जमकर की आरएसएस की तारीफ, बताया-अमर संस्कृति का वट वृक्ष

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प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। यहां प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने संघ की जमकर तारीफ की। उन्होंने आरएसएस क भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां सेवा है वहां स्वयंसेवक है।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की। कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।

बांधे संघ की तारीफों के पुल

स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव की सराहना

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है। हम देव से देश और राम से राग के जीवन मंत्र लेकर चले हैं। अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। इसलिए बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी क्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से काम करते हैं।

भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है।

महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।

भारत अब मदद करने का केंद्र है-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र आज विश्व के कोने-कोने में गूंज रहा है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध कराता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के साथ वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं लगाई। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर लाते हैं। दुनिया देख रही है भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना... हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।

पुतिन को मारने की साजिश? रूसी राष्ट्रपति काफिले में शामिल लिमोजिन कार में धमाका

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मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के काफिले में शामिल कार में धमाके की खबर है। पुतिन के काफिले की लग्जरी कार लिमोजिन में जबरदस्त धमाका हुआ है। धमाका मॉस्को में रूसी सुरक्षा एजेंसी एफएसबी मुख्यालय के बाहर हुआ है। धमाके के बाद कार पूरी तरह से जलकर खाक हो गई। हालांकि, इस धमाके में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। कार में धमाके का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। कार में आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने इस धमाके के बाद सीवर की तलाशी से लेकर अपने गार्डों की जांच का आदेश दिया है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉस्को के एफएसबी खुफिया विभाग के मुख्यालय के उत्तर में अचानक व्लादिमीर पुतिन के काफिले में शामिल लिमोजिन कार में विस्फोट हो गया। फुटेज के मुताबिक पहले कार के इंजन में आग लगी और बाद में यह अंदरुनी हिस्से तक फैल गई। कार में आग लगते ही आसपास के रेस्तरां और बार के कर्मचारी मदद के लिए पहुंचे। रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि घटना के वक्त कार कौन चला रहा था। बताया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को 275000 पाउंड वाली लिमोजिन कार काफी पसंद है। उन्होंने यह कार उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को भी उपहार में दी है।

पुतिन की हत्या की कोशिश?

इस घटना के बाद दावा किया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति की हत्या की कोशिश की गई है। रूस यूक्रेन युद्ध के बीच क्रेमलिन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर हमले की आशंका जताई है। यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका और रूसी राष्ट्रपति के बीच बातचीत हो रही है और इस दौरान सवाल उठ रहे हैं कि क्या व्लादिमीर पुतिन की हत्या की कोशिश की गई है?

जेलेंस्की ने की थी पुतिन के मरने की भविष्यवाणी

हाल ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने पुतिन को लेकर भविष्यवाणी की थी। 2 दिन पहले जेलेंस्की ने कहा था कि पुतिन जल्द मर जाएंगे। कीव इंडिपेंडेंट के अनुसार, जेलेंस्की ने 26 मार्च को पेरिस में यूरोपीय पत्रकारों के साथ एक इंटरव्यू के दौरान ये बात कही थी।

हालांकि, पुतिन के खराब स्वास्थ्य के बारे में लगातार अटकलों के बीच जेलेंस्की ने यह टिप्पणी की थी। पुतिन 72 साल के हैं। उन्हें कई बीमारियां हैं। पिछले साल उन्हें कार्डियक अरेस्ट भी आया था। इसके बाद हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।

नागपुर में दीक्षाभूमि पहुंचे पीएम मोदी ने आंबेडकर को दी श्रद्धांजलि, जानें संविधान निर्माता से यहां का कनेक्शन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नागपुर दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान 8 साल बाद नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में पीएम मोदी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्मृति मंदिर में आरएसएस के संस्थापकों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पीएम मोदी बाबासाहब अंबेडकर के नागपुर स्थित दीक्षाभूमि पहुंचे। पीएम मोदी ने दीक्षाभूमि पहुंचकर डॉ बीआर आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी। यहां डॉ. आंबेडकर ने 1956 में अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।

नागपुर की अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी दीक्षाभूमि पहुंचे, जहां अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित और समावेशी भारत का निर्माण ही भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पीएम मोदी के दीक्षाभूमि के दौरे के दौरान महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे

दीक्षाभूमि के विजिटर बुक में पीएम मोदी ने क्या लिखा?

वहीं बाबा साहब अंबेडकर के दीक्षाभूमि पहुंचने पर वहां के विजिटर बुक में पीएम मोदी ने लिखा, 'बाबासाहेब अंबेडकर के पंचतीर्थों में से एक नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में आने का सौभाग्य पाकर अभिभूत हूं। इस पवित्र स्थल के वातावरण में बाबासाहेब के सामाजिक समरसता, समानता और न्याय के सिद्धांतों का सहज अनुभव होता है। दीक्षा भूमि हमें गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए समान अधिकार और न्याय की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ने की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ने की उर्जा प्रदान करता है।

पीएम मोदी ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस अमृत कालखंड में हम बाबासाहब के मूल्यों और शिक्षाओं के साथ देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। एक विकसित और समावेशी भारत का निर्माण करना ही बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

दीक्षाभूमि से बाहा साहेब का कनेक्शन?

साल 1956 में 14 अक्तूबर को डॉ. आंबेडकर अपने अनुयायियों के साथ नागपुर की दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म अपना लिया था। ऐसा अनुमान है कि पूरे महाराष्ट्र और बाहरी राज्यों से 6 लाख दलितों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और बौद्ध धर्म अपनाया था। इस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हर साल, राज्य भर और बाहर से दलित धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाने के लिए दीक्षाभूमि में आते हैं। जिस दिन डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया उसी दिन दशहरा भी मनाया गया था। इसलिए परंपरा को ध्यान में रखते हुए, अंबेडकरवादी हर साल हर दशहरे पर दीक्षाभूमि पर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करके उस दिन को मनाने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं।

कौन हैं रिटायर्ड जज निर्मल यादव? जिनके घर मिले थे 15 लाख, 17 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने किया बरी

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चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को 17 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस के अलावा सीबीआई अदालत ने मामले में 3 अन्य आरोपियों रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी करने के आदेश दिए। सीबीआई की विशेष अदालत ने 17 साल बाद इस मामले में अपना फैसला दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक इस मामले के आरोपियों का इससे कुछ भी लेनादेना नहीं है।

मामला अगस्त 2008 में सामने आया था। जस्टिस निर्मलजीत कौर उस समय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की जज थीं। उनपर 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। उनके घर में 15 लाख रुपये भेजे गए थे। यह बैग उनके कर्मचारी ने चंडीगढ़ पुलिस के हवाले किया था। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार यह राशि हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के क्लर्क द्वारा निर्मल यादव के लिए भेजी गई थी। दोनों जजों के नामों में समानता के कारण कैश गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गया था।

जस्टिस निर्मलजीत कौर ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मामले की परतें खुलने लगीं। जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपड़ासी ने चंडीगढ़ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराते हुए इस 15 लाख रुपए की गुत्थी सुलझाने की गुहार लगाई। फिर पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल जनरल (रि.) एस एफ रॉड्रिग्स के आदेश पर मामले को सीबीआई को जांच के लिए सौंपा गया। जांच में पता चला कि ये रकम असल में न्यायमूर्ति निर्मल यादव को दी जानी थी। आरोप है कि ये रिश्वत एक प्रॉपर्टी डील से जुड़े फैसले को प्रभावित करने के लिए दी गई थी।

इस मामले में अभियोजन पक्ष के मुताबिक, ये रकम राज्य सरकार के तब के अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के मुंशी लेकर गए थे। पूछताछ में पता चला कि ये रकम उस वक्त पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जज जस्टिस निर्मल यादव तक पहुंचाई जानी थी। दोनों जजों के नाम निर्मल होने के चलते ये गलतफहमी हुई और भ्रष्टाचार का इतना बड़ा मामला सामने आया

इस केस में हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और दिल्ली के होटल कारोबारी रवींदर सिंह भसीन का भी नाम आया। इस आरोप के बाद 2010 में जस्टिस निर्मल यादव के तबादला उत्तराखंड हाईकोर्ट में कर दिया गया। वहां से वो 2011 में रिटायर भी हो गए।

उनके रिटायरमेंट के ही साल 2011 में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई, फिर तीन साल बाद 2014 में स्पेशल कोर्ट ने जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ आरोप भी तय कर दिए गए। इस मामले की जांच शुरू में चंडीगढ़ पुलिस ने की, लेकिन 15 दिन के भीतर ही इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। साल 2009 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन सीबीआई कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दोबारा जांच के आदेश दिए।

सीबीआई ने 2011 में चार्जशीट दायर की, जिसमें न्यायमूर्ति निर्मल यादव सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। हालांकि, इस दौरान कई बार कानूनी दिक्कतों के चलते मामला अटका रहा। साल 2010 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति निर्मल यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।

2011 में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद 3 मार्च 2011 को चार्जशीट दाखिल हुई। 2013 में सीबीआई कोर्ट ने आरोप तय किए और मुकदमे की सुनवाई शुरू की। हालांकि 2020 में कोविड महामारी के चलते सुनवाई प्रभावित हुई। 2024 में 76 गवाहों की गवाही पूरी हुई, 10 गवाह मुकदमे के दौरान पलट गए। मुकदमे की 300 से अधिक सुनवाई हुई।

इस दौरान जज के घर रुपए भेजने के आरोपी संजीव बंसल की दिसंबर 2016 में मौत हो गई। इसके बाद 2017 में उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।

राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, जानें किस बात को लेकर चिंतित हैं नेता प्रतिपक्ष

#lok_sabha_lop_rahul_gandhi_writes_to_pm_modi 

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार के तट पर खनन को लेकर सरकार के फैसले की निंदा की है। अपने पत्र में, राहुल गांधी ने कहा कि ऑफशोर माइनिंग के लिए निविदाएं पर्यावरणीय परिणामों का आकलन किए बिना जारी की गईं, जिससे तटीय समुदायों में व्यापक विरोध भड़क उठा है। 

राहुल गांधी ने लिखा कि मैं केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार के तट पर अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे तटीय समुदाय बिना पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन किए अपतटीय खनन के लिए निविदाएं जारी करने के तरीके का विरोध कर रहे हैं। लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है।उन्होंने कहा कि मैं सरकार से अपतटीय खनन ब्लॉकों के लिए जारी निविदाओं को रद्द करने की अपील करता हूं। 

कांग्रेस सांसद ने कहा, ऑफशोर एरियाज मिनरल (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) अमेंडमेंट एक्ट, 2023 का भी विरोध हुआ था। लोगों को चिंता थी कि बिना किसी जांच के प्राइवेट कंपनियों को ऑफशोर माइनिंग के ब्लॉक दे दिए जाएंगे। स्टडीज बताती हैं कि इससे समुद्री जीवन को खतरा है। कोरल रीफ्स को नुकसान पहुंच सकता है और मछली की संख्या घट सकती है। मिनिस्ट्री ऑफ माइंस ने जब 13 ऑफशोर ब्लॉक के लिए लाइसेंस देने के लिए टेंडर निकाले, तो इसका विरोध शुरू हो गया। इन 13 ब्लॉक में से तीन कोल्लम के तट पर कंस्ट्रक्शन सैंड माइनिंग के लिए हैं। यह मछली के प्रजनन का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। तीन ब्लॉक ग्रेट निकोबार द्वीप के तट पर पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिए हैं। यह समुद्री जैव विविधता का हॉटस्पॉट है।

पत्र में राहुल ने आगे लिखा कि केरल में 11 लाख से ज़्यादा लोग मछली पकड़ने पर निर्भर हैं। यह उनका पारंपरिक व्यवसाय है और उनकी जीवनशैली का अहम हिस्सा है। ग्रेट निकोबार अपनी विविध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाता है। यह कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। ऑफशोर माइनिंग से होने वाले नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे समय में जब तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के कटाव से चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं का असर बढ़ गया है, सरकार बिना वैज्ञानिक आंकलन के गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है, जो चिंताजनक है।

उनका पत्र उन तटीय समुदायों के चल रहे प्रदर्शनों के बीच आया है जो इस फैसले से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और उनकी जीवन शैली पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जता रहे हैं।

नागपुर में संघ मुख्यालय पहुंचे पीएम मोदी, आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को दी श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। एक दिन के दौरे पर पीएम मोदी नागपुर एयरपोर्ट पर उतरें। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। पीएम मोदी आज कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर गुढीपाड़वा के मौके पर पहुंचे हैं। गुढीपाड़वा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ के लिए रवाना होंगे।

नागपुर एयरपोर्ट से पीएम मोदी सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रेशम बाग स्थित मुख्यालय पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। हेडगेवार के साथ-साथ पीएम मोदी ने माधव सदाशिव गोलवलकर को भी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत में भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी पहली बार आरएसएस के मुख्यालय पहुंचे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रधानमंत्री रहते हुए संघ मुख्यालय आ चुके हैं। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री एक साथ एक मंच पर रहेंगे, इससे पहले अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दोनों एक साथ मौजूद थे। आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है।

संघ के शताब्दी वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी के संघ मुख्यालय के दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। सांविधानिक पद पर रहते हुए पीएम मोदी का संघ मुख्यालय में यह पहला दौरा है। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नागपुर आगमन पर पूरे विदर्भ में उत्साह है। 47 स्थानों पर उनके स्वागत की तैयारी की गई है।

चैत्र नवरात्र का पहला दिन आज, जानें शैलपुत्री स्वरूप की पूजा विधि

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नवरात्रि, देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इन दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती आ रही है। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, रक्तदंतिका, शाकुंभरी देवी, दुर्गा, भ्रामरी देवी व चंडिका प्रमुख हैं। इन नौ रूपों को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नामों से जाना जाता है।

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करते हैं। जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। जौ बोने के साथ-साथ कई लोग अखंड ज्योति भी जलाते हैं।इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं और 06 अप्रैल को खत्म होंगे।

मां शैलपुत्री पूजन विधि

नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के माता शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। इस दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें। पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर लें। अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र स्थापित करें। सबसे पहले गणपति का आह्वान करें और इसके बाद हाथों में लाल रंग का पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का आह्वान करें। मां की पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए। मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं। माता के मंत्रों का जप करें। घी से दीपक जलाएं। मां की आरती करें। शंखनाद करें। घंटी बजाएं। मां को प्रसाद अर्पित करें।

मां शैलपुत्री मंत्र का करें जाप

माता शैलपुत्री की पूजा के समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:

ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप

शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है ‘पर्वत की बेटी’। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वे नंदी बैल की सवारी करती हैं।

मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा

मां दुर्गा अपने पहले स्वरुप में 'शैलपुत्री' के नाम से पूजी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर जी से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया।

देवी सती ने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं,तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने भगवान शिव को बताई। भगवान शिव ने कहा-''प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं,अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'' शंकर जी के इस उपदेश से देवी सती का मन बहुत दुखी हुआ। पिता का यज्ञ देखने वहां जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर शिवजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी।

सती ने खुद को योगाग्नि में खुद को भस्म कर दिया

सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा है। केवल उनकी माता ने ही स्नेह से उन्हें गले लगाया। परिजनों के इस व्यवहार से देवी सती को बहुत क्लेश पहुंचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है,दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का ह्रदय ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा कि भगवान शंकर जी की बात न मानकर यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।वह अपने पति भगवान शिव के इस अपमान को सहन न कर सकीं, उन्होंने अपने उस रूप को तत्काल वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया।

शैलपुत्री के रूप में फिर शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं

इस दारुणं-दुखद घटना को सुनकर शंकर जी ने क्रुद्ध हो अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वह शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं। पार्वती,हेमवती भी उन्हीं के नाम हैं। इस जन्म में भी शैलपुत्री देवी का विवाह भी शंकर जी से ही हुआ।

नेपाल में ऐसा क्या हुआ भड़क गई हिंसा? सड़कों पर उतर आए लोग, काठमांडू में सेना तैनात

#nepal_monarchy_protests_becomes_violent

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही समर्थकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था। इस दौरान काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने आयोजित किया था जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन प्राप्त है और यह पार्टी देश में राजशाही स्थापित करने की मांग कर रही है। राजशाही की वापसी की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राजशाही समर्थक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्रा, महासचिव धवल शमशेर राना, राजशाही समर्थक कार्यकर्ता स्वागत नेपाल और संतोष तमांग आदि शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। कई नेताओं को नजरबंद किया गया है। अब तक हिंसा के मामले में कुल 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ने ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शनिवार की सुबह हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान वे सोशलिस्ट फ्रंट के कार्यालय भी पहुंचे, जिसे हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचाया गया।

पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि 'अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।

दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल किए जाने को लेकर कुछ समय से सरगर्मी तेज़ हुई है। बीते कुछ दिनों में कई ऐसी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिसमें राजशाही को फिर से स्थापित किए जाने की मांग की गई। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सक्रियता भी देखी गई है।

इस महीने 5 मार्च को काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक बाइक रैली की थी, जिनमें नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लोग शामिल हुए। छह मार्च को पोखरा में ज्ञानेंद्र ने पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण किया गया और इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने राजशाही व्यवस्था वाला राष्ट्रगान गाया। ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से इस तरह सार्वजनिक रूप से न के बराबर दिखते थे। कुछ खास मौकों पर बहुत ही औपचारिक बयान जारी करते थे।

वहीं, नौ मार्च को वह पोखरा से काठमांडू पहुंचे, जहां हजारों लोगों की भीड़ उनके स्वागत में इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़ में एक व्यक्ति, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।

म्यांमार की मदद के लिए भारत का “ऑपरेशन ब्रह्मा”, भूकंप से तबाही के बीच पहुंचाई राहत सामग्री

#india_came_forward_to_help_myanmar

पड़ोसी मुल्क म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप में भारी तबाही पहुंचाई है। अब तक 1000 से ज्यादा मौतों की जानकारी आई है। 1670 से अधिक लोग घायल हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत राहत सामग्री भेजी है। वायुसेना का विमान सी-130 जे करीब 15 टन राहत सामग्री लेकर यांगून पहुंच गया है। इसमें टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, खाने के पैकेट, स्वच्छता किट, जनरेटर और आवश्यक दवाएं भेजी गईं हैं। वहीं पीएम मोदी ने म्यांमार के जनरल से बात की है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू हो गया है। भारत से मानवीय सहायता की पहली खेप म्यांमार के यांगून हवाई अड्डे पर पहुंच गई है। विदेश मंत्री ने कहा कि IAF_MCC-130 कंबल, तिरपाल, स्वच्छता किट, स्लीपिंग बैग, सोलर लैंप, भोजन के पैकेट और रसोई सेट भेजा गया है। इसके जरिए मेडिकल सुविधाएं भी भेजी गई हैं।

यही नहीं, भूकंप की वजह से प्रभावित क्षेत्रों पर एडीआरएफ की 8वीं बटालियन और भारतीय वायुसेना म्यांमार में भूकंप प्रभावित लोगों की मदद के लिए इस रेस्क्यू ऑपेशन का हिस्सा बने हैं।

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से बात की। विनाशकारी भूकंप में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। एक करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में भारत इस कठिन समय में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है। ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत आपदा राहत सामग्री, मानवीय सहायता, खोज और बचाव दल को प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से भेजा जा रहा है।

बता दें कि म्यांमार में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए। इनमें से एक झटका 7.2 तीव्रता का था। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई। अकेले म्यांमार में भूकंप में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग लापता हैं। वहीं इस भूकंप में अभी तक 1500 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। राहत-बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। भारत ने भी पड़ोसी देश म्यांमार की मदद का एलान किया है।