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कुणाल कामरा को मुंबई पुलिस ने भेजा आज पेश होने का समन, पूछताछ के लिए बुलाया

#kunalkamraeknathshindecontroversy 

विवादित बयान देकर फंसे स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं।महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर विवादित कविता बोलने को लेकर वे कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। इस मामले में अब कुणाल को पुलिस ने समन भेजा है।

कुणाल कामरा को खार पुलिस ने उनके घर पर समन भेजा है। हालांकि, कुणाल फिलहाल मुंबई में नहीं है, इसीलिए समन कुणाल के पिता को हैंडओवर किया गया है। इसके अलावा कुणाल को पुलिस ने व्हाट्सएप के जरिए भी समन भेजा है और पूछताछ के लिए जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा है।

कामरा का माफी मांगने से इनकार

इससे पहले कुणाल कामरा ने इस विवाद को लेकर माफी मांगने से इनकार कर दिया है। कामरा ने बीती रात एक स्टेटमेंट जारी किया था। इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए कुणाल कामरा ने साफतौर पर कहा कि वे माफी नहीं मांगेगे। उन्होंने लिखा- 'मैं माफी नहीं मांगूंगा। मैं इस भीड़ से नहीं डरता और मैं अपने बेड के नीचे छिपकर इसके शांत होने का इंतजार नहीं करूंगा। मैंने बिल्कुल वही कहा जैसा मिस्टर अजीत पवार (फर्स्ट डिप्टी सीएम) ने श्री एकनाथ शिंदे (दूसरे डिप्टी सीएम) के बारे में कहा था।

रघुनाथ पाटिल ने दी अपने अंदाज में बात करने की धमकी

वहीं, कामरा के माफी मांगने से इनकार करने के बाद महाराष्ट्र के मंत्री गुलाब रघुनाथ पाटिल ने कहा, ‘अगर वह माफ़ी नहीं मांगते हैं, तो हम उनसे अपने अंदाज में बात करेंगे। शिवसेना उन्हें नहीं छोड़ेगी, हम यह अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो वह बाहर आ जाएंगे, कहां छिपेंगे? शिवसेना अपना असली रूप दिखाएगी।

क्या है मामला?

कॉमेडियन कुणाल कामरा ने मुंबई में आयोजित अपने शो में महाराष्ट्र की राजनीति पर टिप्पणी की थी। उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर कुछ ऐसा कह दिया था, जिससे शिवसेना कार्यकर्ता उग्र हो गए थे। उन्होंने दिग्गज नेता के दल बदलने को लेकर एक फिल्मी गाने का सहारा लिया था। इस विवादित टिप्पणी पर भड़के शिवसेना के युवा कार्यकर्ताओं ने रविवार को मुंबई के खार इलाके में होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में तोड़फोड़ की थी। इसी होटल में कामरा के शो की शूटिंग हुई थी। उपद्रव के बाद शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में राहुल समेत 12 को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें बाद में जमानत दे दी गई। विवादित टिप्पणी मामले में कामरा पर भी मामला दर्ज किया गया है।

पोओके में अवैध कब्जा, खाली तो करना ही होगा, यूएन में भारत की पाक को दो टूक

#india_slams_pakistan_on_kashmir_at_united_nations 

भारत ने एख बार फिर पाकिस्तान को वैश्विक मंच से खरी-खोटी सुनाई है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में शांति स्थापना सुधारों पर बहस के दौरान जम्मू और कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के बार-बार दिए गए बयानों को सख्ती से खारिज किया। साथ ही पाकिस्तान से दो टूक कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में उनका अवैध कब्जा है और उसे खाली करना ही होगा।

भारत ने मंगलवार को शांति स्थापना सुधारों पर संयुक्त राष्ट्र की बहस में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा बार-बार उठाने के लिए पाकिस्तान की जमकर “धोया”।सुरक्षा परिषद में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि यह टिप्पणी उचित नहीं थी। उन्होंने दोहराया कि यह क्षेत्र 'भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।

पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि वह शांति स्थापना पर मुख्य चर्चाओं से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, भारत यह स्पष्ट करना आवश्यक समझता है कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने एक बार फिर भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर अनुचित टिप्पणी की है। ऐसे बार-बार किए गए दावे न तो उनके अवैध दावों को मान्यता देते हैं और न ही उनके राज्य-प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को सही ठहराते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत हरीश पी ने कहा कि हम पाकिस्तान को सलाह देंगे कि वह अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को चलाने के लिए इस मंच का ध्यान भटकाने की कोशिश न करे। भारत अधिक विस्तृत उत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करने से परहेज करेगा।

हरीश का यह जवाब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विशेष सहायक सैयद तारिक फातमी द्वारा सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के भविष्य पर चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान के बाद आया है। भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है, लेकिन इस बात पर जोर देता है कि इस तरह के संबंधों के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है।

उद्धव ठाकरे ने किया कुणाल कामरा का बचाव,बोले- जो गद्दार है वो गद्दार है, गाने में कोई कमी नहीं

#thackeraysayskunalkamranotsayanything_wrong

कॉमेडियन कुणाल कामरा की एकनाथ शिंदे के ऊपर टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में पक्ष-विपक्ष आपने सामने है। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन दलों के नेता कामरा के बयान से नाराजगी जताते हुए उनका विरोध कर रहे है। तो दूसरी ओर यूबीटी शिवसेना कुणाल कामरा के समर्थन में आ गई है। इस मुद्दे पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कॉमेडियन कुणाल कामरा का बचाव किया है। कुणाल कामरा के समर्थन में आए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा है। जो गद्दार है वो गद्दार है। उसके गाने में कोई कमी नहीं है। जिनके खून में 'गद्दारी' है वह कभी शिवसैनिक नहीं हो सकते।

कामरा को मिला उद्धव ठाकरे का साथ

उद्धव ठाकरे ने कुणाल कामरा की टिप्पणी पर कहा कि गाने में कोई कमी नहीं है। जो गद्दार हैं, वो गद्दार हैं। ठाकरे ने आगे कहा मुझे नहीं लगता कि कुणाल ने कुछ गलत कहा। कुणाल ने व्यग्य नहीं सत्य कहा है। आज मैं कहूंगा जिसने चोरी की वो गद्दार है। कल जिसने तोड़फोड़ की वो शिवसैनिक ने नहीं बल्कि गद्दार सेना ने की है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे पर हमला करते हुए कहा, इन गद्दारों को कोशियारी या दूसरे नेताओं या उनके लोगों द्वारा किया जाने वाले अपमान नहीं दिखाई देता। स्टूडियो को जिसने नुकसान पहुंचाया, उससे वसूल करना चाहिए। नागपुर दंगे की सुपारी और औरंगज़ेब की कब्र की सुपारी किसने दी?

कामरा के बचाव में आए आदित्य ठाकरे

उद्धव ठाकरे के बाद शिवसेना-यूबीटी विधायक आदित्य ठाकरे ने कुणाल कामरा के बयान पर उनका बचाव किया। उन्होंने कहा कि कुणाल कामरा ने किसी का नाम नहीं लिया था, फिर भी एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने उसे देशद्रोही और चोर क्यों कहा? साथ ही उन्होंने सवाल किया कि यह निर्णय कब लिया गया कि कुणाल कामरा देशद्रोही और चोर हैं? आदित्य ने यह भी कहा कि जब कुणाल कामरा ने मोदी जी और उनकी पार्टी के बारे में भी टिप्पणियां की थीं, तब किसी ने भी ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन अब जब उसने कुछ कहा, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने उसे इस तरह की गाली-गलौच दी।

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में शिंदे पर उनका नाम लिए बिना विवादित टिप्पणी की थी। इस पर भड़के शिवसैनिकों ने जहां शो का आयोजन किया गया था, वहां धावा बोल दिया था। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने रविवार को मुंबई के खार इलाके में होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

#bangladesh_army_chief_did_not_want_muhammad_yunus

बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

सांसदों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी, जानें अब कितनी होगी सैलरी

#govtnotifiessalaryallowanceandpensionhikeformps

केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में इजाफे का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी है। 1 अप्रैल 2023 से सांसदों को एक लाख की जगह 1.24 लाख रुपये वेतन के तौर पर मिलेंगे। सरकार की ओर से सांसदों की पेंशन और भत्ता में भी इजाफा किया गया है।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिफिकेशन के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वेतन 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह हो गया है। वहीं, दैनिक भत्ता 2,000 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये हो गया है।

नए वेतन और भत्ते इस प्रकार हैं:

सांसदों का मासिक वेतन

पहले: ₹1,00,000 प्रति माह

अब: ₹1,24,000 प्रति माह

दैनिक भत्ता (संसद सत्र के दौरान बैठकों में भाग लेने पर)

पहले: ₹2,000 प्रति दिन

अब: ₹2,500 प्रति दिन

पूर्व सांसदों की मासिक पेंशन

पहले: ₹25,000 प्रति माह

अब: ₹31,000 प्रति माह

अतिरिक्त पेंशन (पांच वर्ष की सेवा से अधिक के प्रत्येक वर्ष के लिए)

पहले: ₹2,000 प्रति माह

अब: ₹2,500 प्रति माह

सरकार ने सैलरी में ये बढ़ोतरी महंगाई को ध्यान में रखते हुए की है, जिससे सांसदों को काफी मदद मिलेगी। इसपर सरकार का कहना है कि यह सैलरी इजाफा पिछले 5 सालों में बढ़ी महंगाई को देखते हुए की गई है। आरबीआई द्वारा निर्धारित महंगाई दर और लागत सूचकांक के आधार पर यह बदलाव किया गया है। इसका लाभ वर्तमान और पूर्व सांसदों को मिलेगा।

इससे पहले, सांसदों के वेतन और भत्तों में बदलाव अप्रैल 2018 में किया गया था।2018 में सांसदों का मूल वेतन 1 लाख रुपये महीना तय किया गया था। इसका मकसद था कि उनकी सैलरी महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत के हिसाब से हो। 2018 के बदलाव के अनुसार, सांसदों को अपने क्षेत्र में ऑफिस चलाने और लोगों से मिलने-जुलने के लिए 70 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। इसके अलावा, उन्हें ऑफिस के खर्च के लिए 60 हजार रुपये महीना और संसद सत्र के दौरान हर दिन 2 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। अब इन भत्तों में भी बढ़ोतरी की जाएगी।

बुरे फंसे हरभजन सिंह, कमेंट्री के दौरान जोफ्रा आर्चर को ऐसा क्या कहा जिससे मच गया बवाल?

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पूर्व भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह विवादों में घिर गए। इंडियन प्रीमियर लीग-2025 में सनराइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के मैच में कमेंट्री करते हुए उन्होंने जोफ्रा आर्चर पर एक विवादास्पद टिप्पणी की। हरभजन ने आर्चर के लिए 'काली टैक्सी' शब्द का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया पर हरभजन के इस बयान की आलोचना हो रही हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि हरभजन सिंह को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए।

हरभजन सिंह आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद भी है। आईपीएल के दौरान वे कमेंट्री पैनल में भी हैं। रविवार को आईपीएल-18 का दूसरा मैच सनराइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेला गया। इस मैच के 18वें ओवर में जब जोफ़्रा आर्चर गेंदबाजी कर रहे थे, उस समय ईशान किशन और हेनरिक क्लासेन बल्लेबाज़ी कर रहे थे।

क्लासेन ने इस ओवर में लगातार दो चौके मारे। इस दौरान कमेंट्री कर रहे हरभजन सिंह ने कहा, लंदन में काली टैक्सी का मीटर तेज भागता है और यहाँ पर आर्चर साहब का मीटर भी तेज भाग रहा है। यहां उनके कहने का मतलब था कि जैसे लंदन की काली टैक्सी का मीटर तेजी से चलता है, वैसे ही आर्चर ने भी खूब रन दिए। जल्द ही हरभजन सिंह की इस टिप्पणी को लेकर विवाद पैदा हो गया।

हरभजन का बयान इस वजह से था कि आर्चर काफी महंगे साबित हुए। उन्होंने चार ओवर में बिना विकेट लिए 76 रन लुटाए थे। आर्चर का मीटर भागने से हरभजन का यही मतलब था। हालांकि, टर्बनेटर ने अभी तक इस मामले पर स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है या माफी नहीं मांगी है।

हरभजन सिंह का 'काली टैक्सी' वाला बयान लोगों को पसंद नहीं आया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि हरभजन को इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए थीं। सोशल मीडिया पर कुछ लोग हरभजन सिंह की आर्चर पर टिप्पणी को 'नस्लीय' कह रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि हरभजन को माफी मांगनी चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब हरभजन सिंह विवादों में घिरे हैं। अपने क्रिकेट करियर के दौरान भी उन्हें कई बार विवादों का सामना करना पड़ा था।

डीके शिवकुमार के बयान पर कर्नाटक से दिल्ली तक बवाल, विवाद बढ़ा तो दी सफाई

#dkshivakumarcommentonthe_constitution

सार्वजनिक ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण को लेकर कर्नाटक में विवाद जारी है। इस बीच राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम में मुस्लिम आरक्षण के सवाल पर कुछ ऐसा कह दिया कि कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक का राजनीतिक पारा चढ़ गई। दरअसल, रविवार को वे एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उनसे मुस्लिम आरक्षण को लेकर सवाल किया गया। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि समय आने पर संविधान बदला जा सकता है। इस बयान का जमकर विरोध हो रहा है।

मैंने कैज़ुअली कह दिया-शिवकुमार

इस बीच, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने उनके बयान को लेकर हो रहे विवाद पर समाचार एजेंसी एएनआई को बयान दिया है। उन्होंने कहा, मैं एक समझदार राजनेता हूं मैं पिछले 36 वर्षों से सदन में हूं। मुझे बेसिक समझ है। मैंने कैज़ुअली कह दिया था कि कई फ़ैसलों के बाद कई बदलाव होंगे। पिछड़ा वर्ग के कोटे के मुताबिक पहले ही आरक्षण दिया जा चुका है। मैंने नहीं कहा है कि हम संविधान बदलने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, वो लोग जो भी बता रहे हैं, वो गलत है। हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं। वो हमारी पार्टी है, जो इस देश में संविधान लेकर आई है। मैं इस मामले में मुकदमा लड़ूंगा।

भाजपा पर फर्जी खबरें फैलाने का आरोप

शिवकुमार ने भाजपा पर उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बारे में कहा, मीडिया मेरी बात को गलत नहीं बता रहा, बल्कि भाजपा ऐसा कर रही है। ये लोग राजनीति करते हैं और देश को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। भाजपा फर्जी खबरें फैलाने के लिए मशहूर है। मैं इसे ऐसे ही नहीं छोड़ूंगा।

क्या बोले थे डीके शिवकुमार?

दरअसल, रविवार को डीके शिवकुमार एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। जहां उनसे सार्वजनिक ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण दिए जाने और भाजपा द्वारा इसे अदालत में चुनौती देने की टिप्पणी को लेकर सवाल किया गया। उसका जवाब देते हुए कर्नाट के डिप्टी सीएम ने कहा कि देखते हैं कि क्या होता है। हमने जो शुरू किया है, मुझे पता है कि इसको लेकर सब अदालत में जाएंगे। इंतजार करते हैं और देखते हैं अदालत का जो भी फैसला आएगा। उन्होंने कहा कि हमें अच्छे दिनों का इंतजार करना होगा। बहुत सारे बदलाव करने हैं...संविधान भी बदल रहा है ऐसे फैसले भी हैं जो संविधान बदल देते हैं।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण पर राज्यसभा में हंगामा, रिजिजू-नड्डा ने कांग्रेस को सुनाया, खड़गे ने दिया जवाब

#kirenrijijukhargerajyasabhakarnatakamuslimreservationcontroversy

संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में सोमवार में खूब हंगामा देखा गया। मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस नेता और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बयान पर बीजेपी खूब आगबबूला है। राज्यसभा में सोमवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण से जुड़ा मुद्दा उठाया। सदन में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर एक के बाद एक आरोप लगाए। जिनका कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब दिया। खरगे के जवाब के बाद भी हंगामा जारी रहा। इसके बाद कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

खड़गे से पार्टी का रुख़ स्पष्ट करने की मांग

रिजिजू ने राज्यसभा में इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे से पार्टी का रुख़ स्पष्ट करने की मांग की। रिजिजू ने यह मांग कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के उस बयान का हवाला देते हुए की थी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए संविधान में बदलाव करने की बात कही थी।

किरेन रिजिजू ने कहा, कांग्रेस के एक वरिष्ठ और जिम्मेदार नेता, जो एक संवैधानिक पद पर हैं, उन्होंने एक बयान दिया कि वो भारत के संविधान में बदलाव करना चाहते हैं ताकि कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को सार्वजनिक अनुबंधों में आरक्षण दिया जा सके। हम इस बयान को हल्के में नहीं ले सकते हैं। इस तरह का बयान किसी साधारण नेता ने दिया होता, तो हम सदन के बाहर भी जवाब दे सकते थे। मगर, यह बयान एक ऐसे व्यक्ति की ओर से आया है, जो एक संवैधानिक पद पर हैं।

रिजिजू ने कहा, उन्होंने साफ-साफ यह कहा है कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मुहैया करवाएगी और उसके लिए वो भारत के संविधान में बदलाव करेंगे। यह अत्यंत गंभीर बात है। यह वो मामला है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

कांग्रेस संविधान को टुकड़े-टुकड़े कर रही-नड्डा

वहीं, सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस संविधान को टुकड़े-टुकड़े कर रही है। डॉ आंबेडकर ने भारतीय संविधान बनाते समय स्पष्ट रूप से कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा। यह भारत के संविधान का एक स्वीकृत सिद्धांत है। कर्नाटक सरकार ने अल्पसंख्यकों को सार्वजनिक अनुबंधों में चार प्रतिशत आरक्षण दिया है। इस पर उन्होंने खरगे से बयान देने की मांग की।

खड़गे ने दिया आरोपों का जवाब

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि भारत के संविधान को बचाने का काम केवल कांग्रेस ने किया है। उन्होंने ये भी कहा कि संविधान को बदलने की कोई संभावना नहीं है और यह सब अफवाहें फैलाने का प्रयास हैं। हम ही वे लोग हैं जिन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की थी और भाजपा वाले वे लोग हैं जो भारत तोड़ो में विश्वास करते हैं। उन्होंने आगे बोलने की कोशिश की लेकिन भाजपा सांसदों की नारेबाजी के कारण बार-बार उनकी बात बाधित हुई। खरगे ने कहा कि हम भारतीय संविधान के रक्षक हैं।

नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के घर पर चला बुलडोजर, अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई

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महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर 17 मार्च को हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान कई पुलिसकर्मी और कई स्थानीय लोग घायल हुए थे। इसी बीच हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान पर महाराष्ट्र सरकार का डंडा चला है। फहीम खान के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है। नगर निगम अधिकारियों ने सोमवार को फहीम खान के घर के अवैध हिस्से को ध्वस्त कर दिया। दरअसल, नोटिस के बाद भी उसने अवैध ढांचे को नहीं हटाया। जिसके बाद ये कार्रवी की गई है।

नागपुर के संजय बाग कॉलोनी स्थित फहीम के घर का हिस्सा अवैध घोषित किया गया था। नागपुर नगर निगम ने उसे खुद से अवैध निर्माण हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था, जो आज पूरा हो गया। घर की नाप-नपाई के बाद बुलडोजर से अवैध हिस्से को गिरा दिया गया है। घटना को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले नागपुर नगर निगम ने उसे नोटिस जारी किया था। इसमें कई खामियों और घर के लिए बिल्डिंग प्लान की मंजूरी न होने का हवाला दिया गया था। घर फहीम खान की पत्नी के नाम पर पंजीकृत है।

मास्टर माइंड फहीम पर आरोप है कि उसने लोगों को उकसा कर इस हिंसा को अंजाम दिया था। 17 मार्च को हिंसा तब भड़की, जब यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक चादर जलाई गई। झड़प के बाद शहर के कई हिस्सों में पथराव और आगजनी हुई, जिसमें पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

कतर में भारतीय इंजीनियर की गिरफ्तार, 3 महीने से जाल में हैं बंद, जाने क्या है आरोप?

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कतर में एक और भारतीय की गिरफ्तारी हुई है।गुजरात के वडोदरा के भारतीय नागरिक अमित गुप्ता को इस साल 1 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। वर्तमान में वह जेल में हैं। जानकारी के अनुसार अमित गुप्ता पर डेटा चोरी का आरोप लगाया गया है। अमित गुप्ता कतर में आईटी दिग्गज टेक महिंद्रा के कंट्री हेड हैं। कतर में किसी भारतीय को हिरासत में लेने से जुड़ा यह 2022 के बाद से दूसरा मामला है।

गुजरात के वडोदरा के रहने वाले अमित गुप्ता के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि 1 जनवरी से उनके बेटे को बिना किसी आधिकारिक आरोप के हिरासत में रखा गया है। अमित के पिता के मुताबिक कतर की राज्य सुरक्षा ने हिरासत में लिया था। अमित के पिता जगदीश ओएनजीसी के एक रिटायर्ड मुख्य अभियंता हैं। शनिवार को उन्होंने वडोदरा सांसद हेमंग जोशी से मुलाकात की और अपने बेटे की रिहाई के लिए उनका समर्थन मांगा। जोशी ने आश्वासन दिया है कि वह हर तरह से उनकी मदद करेंगे।

भाजपा सांसद हेमंग जोशी ने मीडिया को बताया कि वडोदरा निवासी गुप्ता पिछले 10 वर्षों से कतर में टेक महिंद्रा के लिए काम कर रहे थे। जोशी ने कहा कि उन्हें कतर के सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया। भाजपा सांसद ने कहा,उनके माता-पिता एक महीने के लिए कतर गए थे और उनसे मिलने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए।

वहीं, इस मामले में टेक महिंद्रा का बयान भी सामने आया है। कंपनी ने कहा कि कर्मचारी के परिवार से साथ संपर्क लगातार बनाए हुए हैं। टेक महिंद्रा के प्रवक्ता ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए बताया कि वह परिवार के साथ निकट संपर्क में हैं। परिवार को कंपनी की ओर से आवश्यक सहायता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों देशों के अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं और इसके साथ उचित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। कंपनी ने कहा कर्मचारी की भलाई सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इस मामले में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बताया कि कतर में भारतीय दूतावास अमित गुप्ता के परिवार की मदद कर रहा है। सूत्रों की मानें तो कतर में हमारा दूतावास एक भारतीय नागरिक अमित गुप्ता को कतर के अधिकारियों द्वारा चल रही जांच के सिलसिले में हिरासत में लिए जाने के बारे में जानता है।

यह मिशन नियमित आधार पर परिवार, अमित गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील और कतर के अधिकारियों के संपर्क में है। हमारा दूतावास इस मामले में हर संभव सहायता प्रदान करना जारी रखे हुए है और मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए है।

बता दें कि कतर में किसी भारतीय को हिरासत में लेने से जुड़ा यह 2022 के बाद से दूसरा मामला है। उच्च पदस्थ अधिकारियों सहित आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को 2022 में हिरासत में लिया गया और बाद में 2023 में मौत की सजा सुनाई गई। बाद में कतर की एक अदालत ने उनकी सजा कम कर दी थी और फरवरी 2024 में कतर के अमीर के आदेश पर उन्हें रिहा कर दिया गया।