क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी जिसे खत्म करने जा रही ट्रंप सरकार, क्या भारत पर भी होगा असर?
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डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कई बड़े ऐलान किये और इसके बाद कई एग्जीक्यूटिव आदेशों पर हस्ताक्षर किए। दुनिया के कई देशों के लिए यह आदेश मुसीबत लेकर आए हैं तो खुद उनके ही देश में ऐसे आदेशों ने बहुत से लोगों की परेशान बढ़ा दी है। नागरिकता को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के एक एग्जीक्यूटिव आदेश ने अमेरिका में रहने वाले कई देशों के लोगों के साथ लाखों भारतीयों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। इस आदेश के मुताबिक, यदि किसी बच्चे के माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं और बच्चे का अमेरिका में जन्म होता है तो भी उसे नागरिकता नहीं दी जाएगी।
अमेरिका के कानून के मुताबिक अब तक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है। अमेरिका में यदि किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे स्वत: ही अमेरिका का नागरिक मान लिया जाता है। फिर चाहे बच्चे के माता-पिता अमेरिका के हों या नहीं। साथ ही यदि बच्चे के माता-पिता अवैध रूप से यहां पर आए हैं और बच्चे का जन्म अमेरिका में होता है तो भी उसे अमेरिकी नागरिक माना जाएगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी
यह जानने से पहले की ट्रंप ने बर्थराइट पॉलिसी में किन चीजों को बदलने की मांग की है यह जानना जरूरी है कि देश की बर्थराइट पॉलिसी क्या है? अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन जोकि 1868 में किया गया, उसके मुताबिक, देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता दी जाती है। इस संशोधन का मकसद पूर्व में देश में गुलाम बनाए गए व्यक्तियों को नागरिकता और समान अधिकार देना था।
संविधान के मुताबिक, अमेरिका में जिन सभी बच्चों का जन्म हुआ उनके अधिकार क्षेत्र के अधीन वो अमेरिका और जिस भी राज्य में पैदा हुए वहां के नागरिक बन जाते हैं।
इस बर्थराइट पॉलिसी में विदेशी राजनयिकों के बच्चों को छोड़ कर, अमेरिका में पैदा हुए लगभग सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। हालांकि, जहां संविधान देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता देने की बात करता है, वहीं अब ट्रंप के प्रशासन का मकसद इस खंड को फिर से परिभाषित करना है। ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि जन्मजात नागरिकता में गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों के बच्चों को बाहर रखा जाना चाहिए और उन्हें जन्मजात नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।
क्या है ट्रंप का आदेश?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले लोगों के अमेरिका में बच्चों को नागरिक नहीं मानेगी। ट्रंप ने फेडरल एजेंसी को आदेश दिया है कि वह 30 दिनों के बाद ऐसे बच्चों को नागरिकता दस्तावेज जारी न करे। ट्रंप काफी वक्त से यह मुद्दा उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि वैध स्थिति के बिना आप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करना उन्हें स्वीकार्य नहीं है।
किन पर ज्यादा असर
अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों में इस बड़े बदलाव का असर एच-1बी, एच-4 या एफ-1 वीजा पर रह रहे माता-पिता के बच्चों पर पड़ेगा। ये नियम उन बच्चों पर लागू होगा जिनके माता-पिता ग्रीन कार्ड होल्डर या अमेरिकी नागरिक नहीं हैं। इस फैसले से रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे दस लाख से अधिक भारतीयों पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें से कई लोग तो पिछले कई दशकों से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।
भारत पर असर
अमेरिका के जनसंख्या ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्या करीब 50 लाख है जो कि वहां की जनसंख्या का करीब 1.47 फीसदी है। इनमें से महज 34 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो कि अमेरिका में पैदा हुए हैं। शेष दो तिहाई आप्रवासी हैं। अमेरिका में काम कर रहे अधिकतर भारतीय वहां एच1-बी विजा के आधार पर काम कर रहे हैं। इस दौरान वहां पैदा होने वाले भारतीय मूल के बच्चों को अब स्वत: अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल पाएगी। ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे 10 लाख से ज्यादा भारतीय भी इस फैसले से प्रभावित होंगे।
10 hours ago