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सैफ अली खान केस में नया मोड़, जिस संदिग्ध को मुंबई पुलिस ने पकड़ा उसका हमले से लेना-देना नहीं

मुंबई पुलिस ने जिस संदिग्ध को हिरासत में लिया है, वह सैप अली खान पर हमले का आरोपी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पुलिस थोड़ी देर में उस शख्स को छोड़ सकती है. सूत्रों ने बताया कि जिस शख्स से पुलिस ने पूछताछ की है, वह घर फोड़ी ( हाउस ब्रेकिंग) का आरोपी है पर सैफ केस का आरोपी नहीं है. दरअसल, 4 दिन पहले एक अज्ञात व्यक्ति ने शाहरुख के बंगले मन्नत में घुसने की कोशिश की थी.

दीवार पर चढ़ने के समय वो जाल के कारण बंगले में अंदर जाने में असफल रहा. पुलिस को शक है कि सैफ अली खान पर हमला करने वाला और शाहरुख खान के घर में घुसने वाला शख्स एक हो सकता है. जिस संदिग्ध को मुंबई पुलिस थाने लेकर आई है, वह संदिग्ध सैफ केस से कनेक्टेड नहीं दिख रहा. पुलिस की अब तक कि पूछताछ में ये सामने आया है. मुंबई पुलिस ने 31 घंटे के बाद उसे पकड़ा था.

16 जनवरी की सुबह हुआ था सैफ अली खान पर हमला

सैफ अली खान पर 16 जनवरी की सुबह करीब 3 बजे हमला हुआ था. किसी अज्ञात शख्स ने उन पर चाकू से 6 बार वार किया. इसके बाद उन्हें इलाज के लिए लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. सैफ पर हमले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीम जुटी है. हमलावर को पकड़ने के लिए 20 टीम गठित की गई है. मुंबई पुलिस का कहना है कि देर रात सैफ के घर में कोई अनजान शख्स घुसा था.

इस शख्स की नौकरानी से भी बहस हुई थी. नौकरानी के हल्ले के बाद सैफ उठकर आए. इस दौरान हमलावर और सैफ में भी झड़प हो गई है. इसके बाद उस शख्स ने सैफ पर चाकू से हमला कर दिया. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि हमलावर उस रोज रात 1 बजकर 38 मिनट पर सीढ़ियों से चढ़कर सैफ के घर पहुंचता है और 55 मिनट बाद यानी 2 बजकर 33 मिनट पर वह उसी रास्ते से लौट जाता है.

सैफ खतरे से बाहर, डॉक्टर ने दिया 1 हफ्ते का बेड रेस्ट

सैफ अली खान को कल यानी गुरुवार को एक दिन के लिए ICU में शिफ्ट किया गया था. चाकू का टुकड़ा रीढ़ की हड्डी के पास फंसा था. उनकी कॉस्मेटिग सर्जरी हुई. लीलावती अस्पताल के डॉक्टरों ने आज यानी शुक्रवार को सैफ अली खान का हेल्थ बुलेटिन जारी किया. डॉक्टरों ने कहा कि सैफ को आईसीयू से बाहर निकाल कर उन्हें स्पेशल रूम में शिफ्ट किया गया है. वो खून से लथपथ आए थे. मगर अब वो अब खतरे से बाहर हैं. उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है. उन्हें एक हफ्ते आराम की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश के इटावा में सड़क पर उड़े पांच-पांच सौ के नोट, लोगों में मची लूट की होड़

उत्तर प्रदेश के इटावा से एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. इटावा की सड़क पर पांच-पांच सौ के हजारों नोट अचानक उड़ाते दिखाई दिए. नोटों को उड़ता देख लोगों में अफरा तफरी मच गई और सब बीच सड़क पर नोट उठाने के लिए टूट पड़े. जानकारी के मुताबिक घटना इटावा जिले के भरथना कोतवाली कस्बा के मोहल्ला आजाद रोड अर्बन बैंक के पास गुरुवार की दोपहर करीब 2 बजे की है.

सड़क पर मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति की जेब से पांच पांच सौ और हजार रुपये सड़क पर गिर कर बिखर गए. ऐसे में रोड पर वाहनों की आवाजाही से नोट उड़ने लगे, जिसे देख आसपास खड़े लोग,दुकानदार और वाहन चालक उठाने के लिए दौड़ने लगे.

क्या है मामला?

सड़क पर नोटों का उड़ना और लोगों का उन्हें उठाने के लिए भागने की घटना पास में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई.ऐसा बताया जा रहा है कि सड़क पर करीब 40 से 50 हजार रुपये के पांच पांच सौ के नोट किसी व्यक्ति के गिर पड़े थे, जिसे लूटने के लिए लोगों में होड़ मच गई. फिलहाल अभी तक पता नहीं चल सका कि आखिर वो रुपये किस व्यक्ति थे.घटना भरथना तहसील क्षेत्र के कस्बा आजाद नगर की है. घटना का सीसीटीवी वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

नोट लूटने के लिए लोगों में मच गई होड़

ऐसा बताया जा रहा है कि किसी अनजान शख्स की जेब से बीच सड़क पर करीब 40 से 50 हजार रुपए के नोट गिर पड़े थे. ऐसे तो इन रुपयों पर किसी की नजर नहीं पड़ी, लेकिन जैसे ही तेज ई-रिक्शा मोटरसाइकिल आवाजाही कर रहे थे,तभी नोट सड़क पर हवा में उड़ने लगे. नोटों को उड़ता देख आसपास के लोग टूट पड़े, यहां तक कि दुकानदार,बाइक सवार,ट्रैक्टर चालक भी नोटों को उठाने में जुटे दिखाई दिए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि किसी अज्ञात बाइक सवार व्यक्ति के पांच-पांच सौ रुपए के नोट उक्त स्थान पर गिर गईं और बाइक सवार अपनी तेज रफ्तार बाइक दौड़ाकर सीधे चला गया,जिसके बाद पब्लिक में हवा में उड़ते रुपयों को उठाने की होड़ दिखाई दी.

भावनाओं को शांत करने के लिए लागू नहीं कर सकते धारा 306: SC

आत्महत्या के मामलों में पुलिस की तरफ से धारा- 306 लगा दी जाती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते कहा कि इस धारा को सिर्फ परेशान परिवार की भावनाओं को शांत करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे जीवन की दिन-प्रतिदिन की वास्तविकताओं से अलग नहीं किया जा सकता है. जांच एजेंसियों को धारा 306 पर निर्णयों के बारे में संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. ताकि आरोपियों को परेशान न किया जाए. कोर्ट ने माना कि इन धाराओ की वजह से कई लोगों को वेवजह परेशान किया जाता है.

जांच के बाद ही हो इस कानून का उपयोग- सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को भी ऐसे मामलों में यंत्रवत आरोप तय नहीं करना चाहिए. इस धारा का इस्तेमाल करने से पहले बारीकी से जांच होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि आत्महत्या के मामले में उकसाने को साबित करने के लिए कड़े मापदंड हैं. जिसके लिए कई तरह के सबूतों की आवश्यकता होती है. कोर्ट ने जांच एजेंसियों को इस कानून के उपयोग से पहले सुनिश्चित जांच करने के आदेश दिए हैं.

क्या है धारा 306 ?

आईपीसी की धारा 306 अब भारतीय न्याय संहिता में धारा 108 हो गई है. जिसमें गैर-जमानती वारंट, सत्र अदालत में उसका ट्रायल, 10 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है. मगर अब इस धारा 108 की भी व्याख्या आगे के मामलों में जाहिर है सुप्रीम कोर्ट की ओर से कही गई हालिया टिप्पणियों की रौशनी में देखी जाएंगी.

अतुल सुभाष मामले में की थी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी

हाल ही में इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या की थी. जो मामला काफी चर्चा में था. आत्महत्या से पहले उन्होंने एक लंबा वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार वाले वालों को आत्महत्या का कसूरवार बताया था. ये मामला उस सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, तब कोर्ट ने कहा था कि केवल कहने से नहीं चलेगा कि आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है, इसके लिए सबूत देने होंगे.

नागा साधुओं का अखाड़ा शब्द कहां से निकला, मुगल काल से है कनेक्शन

महाकुंभ या कुंभ में सबसे पहले स्नान के लिए साधुओं की एक टोली आती है. शरीर पर धुनि और राख लिपटी हुई होती है. माथे पर टीका. कुछ दिगंबर होते हैं तो कुछ श्रीदिगंबर. यानि कुछ बिना कपड़ों के होते हैं तो कुछ ने बस छोटा सा लंगोट पहना होता है. उनके स्नान करने के बाद महिला साधुओं की टोली स्नान करती है. वो महिलाएं भी सिर्फ तन पर दंती लपेटे हुए होती हैं. यानि बिना सिला कपड़ा. इन सभी को नागा साधु कहा जाता है. ये लोग सिर्फ आपको कुंभ मेले में ही दिखेंगे. फिर वापस लौट जाते हैं.

नागा साधुओं का जीवन रहस्यमयी रहा है, लोगों को कभी नहीं पता चलता कि नागा महाकुंभ में कैसे आते हैं और महाकुंभ खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाते हैं. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि नागा साधु रात के समय खेत-पगडंडियों का सहारा लेकर जाते हैं, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले.

महामंडलेश्वरों के मुताबिक, ये नागा प्रयागराज, काशी, उज्जैन, हिमालय के कंदराओं और हरिद्वार में कहीं दूर-दराज इलाकों में निवास करते हैं. जो ज्यादातर समय तप करते हुए बिताते हैं.

13 अखाड़े, 7 में ट्रेनिंग

कहा जाता है कि नागा साधुओं की ट्रेनिंग किसी कमांडो ट्रेनिंग से ज्यादा खतरनाक होती है. जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है उसकी महाकुंभ, अर्द्धकुंभ और सिहंस्थ कुंभ के दौरान साधु बनने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से कुल 7 अखाड़े ही ऐसे ही जो नागा संन्यासी की ट्रेनिंग देते हैं, जिनमें, जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वान अखाड़ा हैं.

कहां से आया अखाड़ा शब्द?

लेकिन क्या आप जानते हैं ये अखाड़ा शब्द आया कहां है. कुछ जानकारों के मुताबिक, अखाड़ा शब्द मुगल काल से ही शुरू हुआ है. इसके पहले साधुओं के जत्थे को बेड़ा या जत्था ही कहा जाता था. अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है जो शास्त्र विद्या में पारंगत होता है और एक जैसे नियमों का पालन कर तप करता है.

नागा एक पदवी

नागा दरअसल एक पदवी ही होती है. साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीन सम्प्रदाय होते हैं. इन सम्प्रदायों के अंदर भी कई सारे विभाजन होते हैं. जैसे दिगंबर, निर्वाणी और निर्मोही तीनों ही वैष्णव संप्रदाय के हैं. इन तीनों सम्प्रदायों को मिलाकर कुल 13 अखाड़े हैं. इन सभी अखाड़ों से नागा साधु बनाए जा सकते हैं.

नागा साधुओं को सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की अनुमति होती है. वो तपस्या के लिए अपने कपड़ों का त्याग कर सकते हैं. नागा में बहुत से वस्त्रधारी और बहुत से दिगंबर यानी निर्वस्त्र होते हैं. अधिकतर निर्वस्त्र नागा साधु शैव अखाड़े से आते हैं. हर अखाड़े के साधुओं का स्वभाव अलग होता है और उनके नियम भी अलग ही होते हैं. कई लोगों का मानना है कि नागा का अर्थ नग्न से ही लगा लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. वस्त्रधारी भी नागा साधु हो सकते हैं.

बरेली: पाकिस्तानी महिला ने फर्जी प्रमाण पत्रों से प्राप्त की सरकारी नौकरी, मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में शिक्षा विभाग से संबंधित एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. जिले में एक पाकिस्तानी महिला ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर सहायक अध्यापक की नौकरी पा ली. ऐसे में जब मामले की जांच हुई तो पता चला कि उसने जो निवास प्रमाण पत्र जमा किया है वो फर्जी है. मामले से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

सहायक अध्यापक पाकिस्तान की नागरिक है. साथ ही उसने अभी तक भारत की नागरिकता नहीं ली और फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर लंबे समय से सहायक अध्यापक की नौकरी करती रही. पुलिस ने महिला टीचर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. हालांकि महिला टीचर फरार है.

सरकारी प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में थीं कार्यरत

बरेली जिले के फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र में एक फिर शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान की रहने वाली शुमायला खान एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थीं. उन्होंने तथ्यों को छुपाते हुए कूटरचित निवास प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की. ऐसे में जब पूरे मामले की शिकायत हुई तो विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी में सहायक अध्यापक की नियुक्ति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. शुमायला खान नामक महिला पर आरोप है कि उन्होंने कूटरचित निवास प्रमाण पत्र का उपयोग कर सरकारी पद पर नियुक्ति प्राप्त की ओर अध्यापक बन गईं.

नहीं ली है भारत की नागरिकता

शुमायला खान ने नियुक्ति के दौरान उप जिलाधिकारी सदर, रामपुर के कार्यालय से जारी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था. जांच के बाद पाया गया कि यह प्रमाण पत्र त्रुटिपूर्ण है और शुमायला वास्तव में पाकिस्तानी नागरिक हैं. साथ ही उन्होंने अभी तक भारत की नागरिकता भी नहीं ली है. शुमायला की 2015 में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी,बरेली द्वारा प्राथमिक विद्यालय माधोपुर में सहायक अध्यापक के पद पर उनकी नियुक्ति की गई थी.नियुक्ति के लिए उन्होंने जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे उनकी सत्यता की गई और जांच के दौरान यह भी पाया गया कि निवास प्रमाण पत्र तथ्यों को छुपाकर बनाया गया था.

आरोपी टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज

जांच के दौरान तहसीलदार सदर,रामपुर की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि शुमायला खान ने गलत जानकारी देकर सामान्य निवास प्रमाण पत्र बनवाया. इस आधार पर उनका प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया. इसके अलावा,शिक्षा विभाग ने कई बार संबंधित शिक्षिका से स्पष्टीकरण मांगा और हर बार पुष्टि हुई कि प्रमाण पत्र कूटरचित है. पाकिस्तानी महिला शुमायला खान पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी प्राप्त की. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 3 अक्टूबर 2024 को शुमायला खान को निलंबित कर दिया. इसके बाद,उन्हें नियुक्ति तिथि से पद से हटा दिया गया. वहीं पूरे मामले में फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी ने इस मामले में BSA के आदेश पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. ऐसे में महिला पर अब गिरफ्तार की तलवार लटक रही है.

128 साल के स्वामी शिवानंद बाबा की अनोखी कहानी, 100 साल से कुंभ में शामिल होने का रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. महाकुंभ में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु और साधु-संत जुटे हुए हैं. इन्हीं में एक बाबा वो हैं जो बीते 100 सालों से हर कुंभ में भाग ले रहे हैं. इनका नाम स्वामी शिवानंद बाबा है और ये 128 साल पूरे कर चुके हैं. इस बार शिवानंद बाबा अपने शिष्यों के साथ महाकुंभ में पहुंचे हैं. वे यहां 40 दिन तक साधना करेंगे. शिवानंद बाबा को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरूस्कार मिला है. वह एक योग चिकित्सक भी हैं. उनका जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा हैं.

महाकुंभ मेला में सेक्टर 16 के संगम लोअर रोड पर बाबा शिवानंद का शिविर लगा है. जिसके बाहर बैनर लगा है, जिसमें उनका आधार कार्ड दिखाया गया है. उनके शिष्य के अनुसार, बाबा पिछले 100 वर्षों से प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में हर कुंभ मेले में भाग लेते रहे हैं. बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के गांव हरिपुर (वर्तमान में बांग्लादेश) में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जो बेहद गरीब थे.

भूख से हुआ माता-पिता का निधन, एक ही चिता पर किया था अंतिम संस्कार

उनके शिष्य ने बताया कि बाबा का परिवार बेहद गरीब था. उनके घर खाने को कुछ भी नहीं होता था. बचपन में बाबा के माता-पिता उन्हें गांव में आने वाले संतों को दे दिया करते थे, जिससे उनका पेट भर जाता था. जब वह चार साल के हुए तो परिजनों ने उन्हें संत ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया. जब वह 6 साल के हुए तो भूख के कारण उनकी बहन की मौत हो गई. जब वह घर पहुंचे तो एक सप्ताह बाद उनके माता-पिता की भी भूख के कारण निधन हो गया. दोनों को एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना से बाबा पर गहरा असर हुआ. तब से बाबा ने कभी भरपेट खाना नहीं खाया.

बिना नमक तेल का उबला खाना, नहीं लिया दान

बाबा शिवानंद योग करते हैं. वर्तमान में वे वाराणसी के दुर्गाकुंड के कबीर नगर में रहते हैं. महाकुंभ में शामिल होने के लिए वह संगम नगरी पहुंचे हैं. उनके शिष्य ने बाबा की दिनचर्या के बारे में बताया की वे प्रतिदिन आधा पेट खाना खाते हैं. रात 9 बजे सोते हैं. वहीं, तड़के तीन बजे उठ जाते हैं और योग शुरू कर देते हैं. उनके एक शिष्य ने मीडिया को बताया की बाबा चमत्कारी हैं. शिष्य ने बताया कि बाबा शिवानंद ने कभी किसी से दान नहीं लिया. वे बिना नमक और तेल का उबला हुआ भोजन करते हैं. वे हमेशा रोगमुक्त रहते हैं.

जब भक्त हो गया था हैरान

उन्होंने बताया कि एक रोज बाबा का एक भक्त उनसे मिलने पहुंचा. वो बहुत भूखा था. बाबा ने उसे मिट्टी के बर्तन में खीर दी. भक्त को वो खीर कम लगी और इसकी शिकायत की. जब उसने खीर खाना शुरू किया तो उसका पेट भर गया, लेकिन खीर खत्म नहीं हुई. इसके बाद वह बाबा के चरणों में गिर गया. स्वामी शिवानंद बाबा को 21 मार्च 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बाबा शिवानंद को पद्मश्री से अलंकृत किया.

मेल आता है लेकिन पता नहीं चलता? फोन में कर लें ये सेटिंग ऑन

अगर आपके पास आईफोन है तो अब आपका कोई भी जरूरी मेल छूटेगा नहीं. इसके लिए बस आपको अपने फोन में एक छोटी सी सेटिंग ऑन करनी होगी. इसके बाद आपकी नजर से कोई भी मेल नहीं बच पाएगा. दरअसल कई बार फोन में मेल आ जाता है लेकिन आपको पता ही नहीं चल पाता है. 2-3 दिन बाद जब चेक करते हैं तो वो वहीं पर पड़ा होता है. लेकिन तब तक उसकी डेट निकल चुकी होती है. ऐसे में अगर आप नहीं चाहते कि आपको भी मेल टाइम पर नहीं दिख पाने के वजह से कोई नुकसान हो तो जल्दी से ये सेटिंग ऑन कर लें.

इन स्टेप्स को करें फॉलो

इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है बस अपने आईफोन की सेटिंग में जाना है. सेटिंग में आपको सर्चबार में फेच लिख कर सर्च करना है. आपके सामने फेट न्यू डेटा ऑप्शन आ जाएगा.

इस ऑप्शन पर क्लिक करें. आप नेक्स्ट पेज पर चले जाएंगे. यहां पर भी आपको फेच न्यू डेटा ऑप्शन ही शो होगा इस पर क्लिक करें.

ये ऑटोमेटिकली पर सेट होता है. आपको इस सेटिंग को बदलना है. ऑटोमेटिक में आपका जीमेल बैकग्राउंड में तभी रिफ्रेश होता है जब फोन नेट या वाईफाई से कनेक्ट होता है. इस सेटिंग को हटाकर आप यहां दिए गए किसी ऑप्शन में बदल सकते हैं. मैनुअली या 30 मिनट से 15 मिनट में खुद रिफ्रेशन होने पर सेट कर सकते हैं.

Magnifier कैमरा का यूज

ऊपर बताई गई सेटिंग के बाद आप आईफोन एक और खास फीचर यूज कर सकते हैं. आईफोन में Magnifier कैमरा का यूज कर के अपना काफी काम आसान कर सकते हैं. इसके लिए ऐप्स सेक्शन में जाकर Magnifier लिख कर सर्च करें. इसके बाद मैग्निफायर कैमरा आइकन शोगा. इस पर क्लिक करें अब आप कैमरा यूज कर सकते हैं. ये कैमरा नॉर्मल कैमरा की तरह ही काम करता है

कोलकाता रेप-मर्डर केस में संजय रॉय के अलावा क्या और लोग भी थे शामिल? सामने आया चौंकाने वाला खुलासा

कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले में कई अपराधियों के शामिल होने की अटकलें और चर्चा आज तक जारी है, जो आरजीकर के अपराध में अन्य लोगों के शामिल रहने की ओर संकेत करते हैं. भाजपा और टीएमसी दोनों ही पार्टियां आरोप लगा रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि सबूत स्पष्ट होने के बावजूद सीबीआई कुछ क्यों नहीं कर रही है?..

बता दें कि नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की छात्रा का शव सेमिनार हॉल में मिला था. सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था. फिलहाल सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और मामले की सुनवाई चल रही है.

विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा अंतिम रिपोर्ट के रूप में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेज लगे हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संजय रॉय के अलावा लेडी डॉक्टर की हत्या में और भी लोग शामिल थे.

सेंट्रल फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट से खुला राज

सेंट्रल फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद, जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या मामले में वास्तविक लोगों की संख्या को लेकर विवाद सामने आया है. प्रारंभिक सीएफएसएल की रिपोर्ट से सामने आए ये तथ्य:

सेमिनार कक्ष में खून के अलावा गद्दे पर कोई दाग नहीं मिला.

अपराध स्थल पर बहुत सारे सहायक नमूने मिले, लेकिन वे जैविक प्रकृति के नहीं थे.

हत्या कक्ष में संघर्ष के साक्ष्य गायब हैं.

अपराध स्थल सेमिनार कक्ष नहीं था.

किसी के द्वारा सेमिनार कक्ष में बिना किसी की जानकारी के घुसकर अपराध करने की संभावना कम है.

जब इन निष्कर्षों ने विवाद पैदा किया तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम को CFSL रिपोर्ट को समाप्त करने और सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया.

जानें, डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम का निष्कर्ष

आरोपी संजय रॉय अपराध स्थल पर मौजूद था और उन्होंने पीड़िता के निप्पल को छुआ था.

संजय रॉय के अलावा, अपराध स्थल पर कम से कम एक महिला के मौजूद होने के साक्ष्य हैं, जिसने पीड़िता के शरीर के अंगों को भी छुआ था

अपराध स्थल पर संजय रॉय के अलावा पुरुषों की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता

डॉक्टरों को ये सबूत कहां से मिले? सीएफएसएल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पीड़िता के निप्पल, योनि और गुदा से डीएनए के नमूने लिए गए थे. सीएफएसएल ने संजय रॉय के डीएनए और गुणसूत्र को अलग-अलग संख्या के साथ स्पष्ट रूप से वर्गीकृत किया. अब वही संख्या मृत लेडी डॉक्टर के शरीर के अंगों से पाई गई, लेकिन सभी को आश्चर्य हुआ कि मृत लेडी डॉक्टर के शरीर में और उसके ऊपर और भी अज्ञात गुणसूत्र और डीएनए थे, जो मृत डॉक्टर या संजय से मेल नहीं खाते थे.

संजय रॉय-मृत डॉक्टर के अतिरिक्त अन्य के मिले डीएनए

प्रश्न यह है कि महिला का डीएनए किसका था और अन्य दो पुरुषों का डीएनए और गुणसूत्र कौन हैं? वरिष्ठ सर्जन डॉ तापस फ्रांसिस बिस्वास ने कहा कि कि संजय रॉय को बलि का बकरा बनाया गया है. उसने मृत्यु के बाद शव को छुआ था, लेकिन सीएफएसएल रिपोर्ट में किसके नमूने हैं? सीबीआई निराशाजनक रूप से विफल क्यों हो रही है? यह स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य के भीतर एक राजनीतिक गठबंधन है, जहां दोनों एक-दूसरे की गंदगी को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं.

आरजीकर हत्या मामले में जूनियर डॉक्टर के विरोध का सामना करने वाले डॉ. अनिकेत महतो ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि सीएफएसएल रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि कई लोग के डीएनए पाए गए हैं, लेकिन मैं स्पष्ट नहीं कर सकता. लेकिन हम सीबीआई से उम्मीद खो रहे हैं.

सीबीआई जांच को लेकर उठे सवाल

दूसरी ओर, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने आरजीकर मामले में सीबीआई जांच पर उन्होंने कहा कि अगर कुछ दस्तावेजों में लोगों की संलिप्तता के बारे में विशेष रूप से कहा गया है तो सीबीआई को इसका जवाब देना चाहिए

दूसरी ओर, टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने स्पष्ट रूप से कहा कि चूंकि मामला विचाराधीन है, इसलिए हम सवाल का जवाब नहीं देंगे. सीबीआई और भारत सरकार जवाब देगी.

सवाल यह है कि डीएनए रिपोर्ट के बावजूद सीबीआई इस बलात्कार और हत्या मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों करना चाहती है. सीएफएसएल रिपोर्ट का विश्लेषण करने वाले डॉक्टरों के समूह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत विशेषज्ञ रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वे सादे चेहरे में छिपे हुए कई अपराधी थे, जो बलात्कार और हत्या के मामले में शामिल थे.

कौन हैं डोनाल्ड ट्रंप का न्योता ठुकराने वाले काशी के पंडित अमित भट्टाचार्य?

वाराणसी की गलियों में रहने वाले पंडित अमित भट्टाचार्य ने अमेरिका को नेशन फर्स्ट का संदेश दिया है. पंडित अमित को अमेरिका से डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता मिला था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है. देश और दुनिया में सरोद वादन के लिए ख्याति प्राप्त कर चुके अमित भट्टाचार्य ने न्योता अस्वीकार करने का कारण अपने सोशल मीडिया हैंडल शेयर किया है.

वाराणसी स्थित कबीर नगर के रहने वाले पं. अमित भट्टाचार्य को संगीत में महारत हासिल है. अपने सरोद वादन के लिए भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में अमित भट्टाचार्य ख्याति प्राप्त कर चुके हैं. 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी बार शपथ लेने वाले हैं. इसको लेकर दुनिया की जानी-मानी हस्तियों को निमंत्रण भेजा गया है. इसमें वाराणसी के अमित भट्टाचार्य को भी सादर आमंत्रित किया गया था.

अमेरिका से मिला था न्योता

अमित भट्टाचार्य को शपथ समारोह के लिए डॉ. जे मार्क बर्न की तरफ से निमंत्रण पत्र मिला है. उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सांसद हैं और संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने देश और देश के नेता के साथ खड़े रहें. इसलिए नेशन फर्स्ट की नीति के तहत वे यह निर्णय ले रहे हैं.

पीएम मोदी पर है गर्व

उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों की सराहना करते हैं और उन्हें उनपर गर्व है. उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं. पंडित अमित भट्टाचार्य जाने माने सरोद वादक हैं और स्वर्गीय पंडित ज्योतिन भट्टाचार्य के पुत्र हैं जिन्होंने उस्ताद अल्लाउद्दीन खान से सरोद की शिक्षा ली थी.

पंडित अमित भट्टाचार्य के इस फैसले से संगीत घराने से भी प्रतिक्रिया आ रही है. बनारस संगीत घराने के पंडित देवव्रत मिश्र ने कहा कि ये उनका अपना फ़ैसला है लेकिन उनको जाना चाहिए था. बनारस संगीत को वो वहां रिप्रेजेंट करते. पद्मश्री सोमा घोष ने कहा कि ये पंडित अमित भट्टाचार्य का अपना फ़ैसला है मुझे कुछ नही कहना.

प्रशांत किशोर का आमरण अनशन खत्म, गंगा में डुबकी लगाकर तोड़ा 14 दिन का उपवास

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपनी 14 दिन लंबी भूख हड़ताल समाप्त कर दी है. पटना में गंगा पथ के पास आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर अपनी भूख हड़ताल तोड़ी. बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं और छात्रों के रोजगार के मुद्दे पर प्रशांत किशोर ये हड़ताल कर रहे थे.

प्रशांत किशोर ने यह हड़ताल 2 जनवरी को शुरू की थी. उनका कहना है कि यह कदम उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली और छात्रों के प्रदर्शन पर पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में उठाया गया है. इससे पहले, 30 दिसंबर को पटना में आयोजित छात्र संसद के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इस घटना के बाद प्रशांत किशोर ने छात्रों के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू की.

गंगा स्नान और सत्याग्रह की घोषणा

गंगा पथ के पास आयोजित कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने गंगा में स्नान कर अपनी हड़ताल खत्म की. इसके साथ ही उन्होंने सत्याग्रह के दूसरे चरण की घोषणा करने की बात भी कही. जन सुराज पार्टी के सूत्रों के अनुसार, सत्याग्रह का दूसरा चरण छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित होगा. किशोर का कहना है कि यह हड़ताल छात्रों की आवाज को बुलंद करने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए की गई थी.

राजनीतिक महत्व और रणनीति

प्रशांत किशोर ने पिछले साल बिहार में जन सुराज पार्टी की स्थापना की थी. वे 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अपने दल का जनाधार मजबूत करना चाहते हैं. छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दों पर सक्रिय समर्थन देकर वे एक मजबूत वोट बैंक तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. यह हड़ताल उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक अहम रणनीति मानी जा रही है.

सरकार पर दबाव और छात्रों का समर्थन

प्रशांत किशोर की भूख हड़ताल ने बिहार में शिक्षा, परीक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. छात्रों का कहना है कि बीपीएससी परीक्षा में हुई कथित धांधली के खिलाफ आवाज उठाने पर प्रशासन ने उनकी बात को दबाने की कोशिश की. प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर लाकर छात्रों के समर्थन में सरकार पर दबाव बनाया. अब सत्याग्रह के अगले चरण में वे इस आंदोलन को और तेज करेंगे.