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मकर संक्रांति पर कितने करोड़ लोगों ने लगाई संगम में डुबकी, आ गया आंकड़ा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति के मौके पर मंगलवार को 2.50 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है. इस मौके पर सभी 13 अखाड़ों से जुड़े साधु संतों ने अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन ने सुबह तीन बजे से शाम को तीन बजे तक संगम में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा जारी किया है. इसमें दावा किया है कि इतने समय में करीब 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है. वहीं देर शाम तक और 50 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है.

मेला प्रशासन के मुताबिक परंपरा के तहत सबसे पहले अखाड़ों ने अमृत स्नान किया. सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु अमृत स्नान के लिए निकले. इसके बाद श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने हर हर महादेव के नारे लगाते हुए अमृत स्नान करने पहुंचे. अमृत स्नान संपन्न होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी ने मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है. वहीं जब 12 पूर्ण कुंभ पूरे होते हैं तो 144 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है.

सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने किया शाही स्नान

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने का अवसर सौभाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है. इस पवित्र मौके पर महानिर्वाणी अखाड़े से ही 68 महामंडलेश्वर और हजारों की संख्या साधु संतों ने अमृत स्नान किया है. इसी प्रकार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया. उनके पीछे अखाड़ों के ध्वज और फिर आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण की पालकी चल रही थी.

नागा सन्यासियोंं के बीच कैलाशानंद गिरी का रथ

वहीं सबसे पीछे नागा सन्यासियों की टोली थी. इनके बीच में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि रथ पर सवार होकर चल रहे थे. इस दौरान अखाड़ा परिषद के के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों के अलावा हजारों की संख्या में नागा सन्यासियों ने इस मौके पर अमृत स्नान किया है. इस मौके पर निरंजनी अखाड़े की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन के मुताबिक निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचअग्नि अखाड़े के हजारों साधु संतों ने संगम में डुबकी लगाई.

निर्मल अखाड़े आखिर में किया अमृत स्नान

जूना के साथ ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी अमृत स्नान किया. सन्यासी अखाड़ों के स्नान करने बाद तीन बैरागी अखाड़ों- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के साधु संत स्नान करने पहुंचे. इनके बाद उदासीन अखाड़ों- पंचायती नया उदासीन और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के साधु संतों ने स्नान किया.सबसे आखिर में श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने डुबकी लगाई.

अमृतपाल सिंह ने की नई पार्टी का ऐलान, 'अकाली दल वारिस पंजाब दे' होगा नाम

असम की जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह की नई पार्टी का ऐलान हो गया है. पार्टी का नाम ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ रखा गया है. पंजाब के मुक्तसर में ऐतिहासिक माघी मेले में हुई कॉन्फ्रेंस में पार्टी का ऐलान किया गया.

निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि, अमृतपाल सिंह के जेल में बंद होने की वजह से पार्टी के संचालन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. अमृतपाल खडूर साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद बना था. फिलहाल वो डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. उस एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है.

कम नहीं हो रहीं अमृतपाल की मुश्किलें

बता दें कि जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. बीते दिनों हीपंजाब के गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की थी. इन आरोपियों में अमृतपाल और विदेश में बैठा गैंगस्टर अर्श डल्ला भी है. पिछले साल अक्टूबर में गुरप्रीत की उसके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

पुलिस जांच में सामने आई थी ये बात

इस हत्याकांड में पुलिस ने अमृतपाल सिंह और आतंकी अर्श डल्ला को भी नामजद किया था.पुलिस जांच में ये बात सामने आई थी कि गुरप्रीत की हत्या में अमृतपाल और अर्श डल्ला भी शामिल थे. गुरप्रीत पहले वारिस पंजाब दे संगठन का वित्त सचिव था. दीप सिद्धू की मौत के बाद वो संगठन से अलग हो गया था. इसके बाद संगठन की कमान अमृतपाल ने संभाली थी.

खडूर साहिब सीट से सांसद चुना गया है अमृतपाल

अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट पर से सांसद चुना गया है. लोकसभा चुनाव में उसे4 लाख 4 हजार 430 वोट मिले थे. उसने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह को 1 लाख 97 हजार 120 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. पार्टी के प्रत्याशी को 1 लाख 94 हजार 836 वोट मिले थे. जबकि भाजपा चौथे स्थान पर रही थी, जिसको 86 हजार 373 वोट मिले थे.

राहुल गांधी ने रिठाला में पूर्वांचलियों के साथ मनाई मकर संक्रांति

आज देश में मकर संक्रांति का त्योहार धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है लेकिन दिल्ली से लेकर बिहार तक दही-चूड़ा के राजनीतिक रंग भी देखने को मिल रहे हैं. राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है- बीजेपी और आम आदमी पार्टी की नजर पूर्वांचलियों के वोट पर है, वहीं इस रेस में कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं करना चाहती. लिहाजा राहुल गांधी आज के दिन दिल्ली के रिठाला पहुंचे और दही-चूड़े का भी आनंद लिया. रिठाला में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं.

रिठाला में राहुल गांधी ने मकर संक्रांति समारोह में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया. बच्चों और महिलाओं के साथ त्योहार मनाया. राहुल गांधी ने यहां पूर्वांचल के लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की. साथ ही दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए. इससे एक दिन पहले राहुल गांधी ने पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में जनसभा को संबोधित किया था. यहां से उन्होंने बीजेपी और आप पर हमले कर चुनावी प्रचार का आगाज किया था.

महिलाओं ने खिलाया राहुल का दही-चूड़ा

रिठाला विधानसभा क्षेत्र में राहुल गांधी जहां दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए, वहां की तस्वीरों को देखा जा सकता है. यहां महिलाओं की संख्या ज्यादा है. राहुल गांधी को महिलाएं अपने हाथ से दही-चूड़ा खिलाती हैं और उसके बाद राहुल भी खुद महिलाओं को दही-चूड़ा खिलाते हैं. राहुल इस दौरान महिलाओं से बातचीत कर उनसे हाल चाल पूछते हैं.

आपको बता दें कि रिठाला में पूर्वांचल के काफी लोग रहते हैं. यहां से सुशांत मिश्रा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हैं. राहुल गांधी ने यहां कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों से कई मुद्दों पर बात की.

महिलाओं को प्रतिमाह 2500 देना का किया वादा

कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाने पर आप सरकार के महिलाओं को 2100 के जवाब में 2500 रुपये हर महीने देने का वादा किया है. वहां आप और बीजेपी दोनों ही दलों की नजर पूर्वांचली वोटर्स पर भी है. दोनों दल एक दूसरे पर हमले पर करे हैं. इस बीच कांग्रेस ने भी महिलाओं और पूर्वांचली वोटर्स को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है.

अघोरी साधु का अनोखा अंतिम संस्कार: नहीं जलाया जाता और न ही दफनाया, जानें क्या है परंपरा?

संगम नगरी प्रयागराज में आज महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) के गंगा स्नान का दूसरा दिन है. इस वक्त सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए घाट किनारे पहुंचे हुए हैं. महाकुंभ में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं अघोरी बाबा और नागा साधु. अघोरियों को लेकर सभी के मन में कई सवाल जरूर घूमते रहते हैं. जैसे कि ये लोग क्या सच में ही इंसानी मांस खाते हैं. क्यों अघोरी नर मुंड हमेशा अपने साथ रखते हैं और अघोरियों का अंतिम संस्कार (Aghori Last Rites) कौन करता है और कैसे होता है. आज हम आपको बताएंगे अघोरियों के बारे में कुछ रोचक बातें.

अघोरी के बारे में कहा जाता है कि वो धर्म की रक्षा के लिए सबसे आगे खड़ा नजर आएगा. कहते हैं कि अघोरी साधु की मृत्यु होती है तो उसके शव को जलाया नहीं जाता है. अघोरी साधु की मौत होने पर चौकड़ी लगाकर शव को उलटा रखा जाता है. मतलब सिर नीचे और टांगे ऊपर. फिर सवा माह (40 दिन) तक इंतजार किया जाता है कि उसके शव में कीड़े पड़ें.

उसके बाद मृत शरीर को वहां से निकालते हैं. आधे शरीर को वो लोग गंगा नदी में बहा देते हैं. जबकि, सिर को हिस्से को वो लोग साधना के लिए इस्तेमाल करते है. कुछ अघोरी सिर वाले हिस्से को साधना के बाद अपने पास ही रख लेते हैं तो कुछ उसे गंगा में बहा देते हैं. करने के पीछे मान्यता यह है कि गंगा में उसके सारे पाप धुल जाते हैं.

गाय का मांस नहीं खाते

माना जाता है कि यूं तो अघोरी साधु इंसान के मांस तक को नहीं छोड़ते, मगर वो गाय का मांस नहीं खाते. इसके अलावा बाकी सभी चीजों को खाते हैं. मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक. अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है इसलिए वे श्मशान में रहना ही ज्यादा पंसद करते हैं. श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदायक होता है.

अघोरियों की लाल आंखें

अघोरी हठ के पक्के होते हैं कहते हैं कि अघोरी हठधर्मी होते हैं. ये अगर किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरा किए बगैर करके ही मानते हैं. अघोरी साधु अपने गुस्सा को शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. अधिकतर अघोरियों की आंखें लाल होती हैं. हालांकि आंखों की वजह से लगता है कि अघोरी हमेशा गुस्से में रहते हैं, मगर ये मन से काफी शांत होते हैं. आम लोगों से अघोरी सम्पर्क नहीं रखते. उनके साथ उनके शिष्य रहते हैं जो उनकी सेवा करते हैं. अघोरी भगवान शिव को मानते हैं और अपना जीवन उन्हीं के नाम समर्पित करते हैं

मकर संक्रांति पर महाराष्ट्र में किलर मांझे का आतंक, 12 लोगों के गले कटे, नागपुर पुलिस ने 14 फ्लाईओवर किए बंद

महाराष्ट्र में इन दिनों एक अलग ही खौफ पसरा हुआ है. ये खौफ हवा में उड़ती मौत का है. आज मकर संक्रांति है और आज के दिन से पूरे महाराष्ट्र में लोग पतंग उड़ाते हैं, लेकिन ये पतंग तब घातक बन जाती हैं, जब कटी हुई पतंग का किलर चाइनीज नायलॉन मांझा मोटरसाइकिल सवारों के गले में फंस जाता है और इससे वो गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या इससे उनकी मौत हो जाती है.

महाराष्ट्र में पिछले 5 दिन में किलर मांझे की वजह से 12 बाइक सवार लोगों के गले कट चुके हैं. इतना ही नहीं इस किलर मांझे का खौफ इतना ज्यादा है कि नागपुर पुलिस ने आज मकर संक्रांति के दिन 14 फ्लाईओवर को पूरी तरह से बंद कर दिया है, ताकि मोटरसाइकिल सवार या रिक्शा वाले फ्लाईओवर का इस्तेमाल न करें और किलर मांझे से बच सके. नागपुर पुलिस के एक जवान ने अपनी बाइक के हैंडल के आगे लोहे के पतले तार लगा दिए, ताकि किलर मांझा पतंग के साथ उड़कर अगर आए भी तब भी वो इन लोहे के पतले तार में फंसकर अटक जाए.

पुलिस ने बड़े पुलों को किया बंद

इतना ही नहीं नागपुर पुलिस ने एक सर्क्युलर जारी कर शहर के सभी बड़े पुलों को आज बंद कर दिया है. वसई के मधुबन इलाके में रविवार की शाम स्मार्ट सिटी की तरफ से आयोजित पतंग महोत्सव में पतंगबाजी के दौरान एक बाइक सवार की गर्दन कट गई और वो बुरी तरह घायल हो गया. युवक को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर की है. वसई पूर्व के निवासी विक्रम डांगे अपनी पत्नी नितल डांगे और बच्चों के साथ मोटरसाइकिल पर बाजार की तरफ जा रहे थे. तभी एक कटी पतंग का मांझा उनकी गर्दन में फंस गया और वो घायल हो गए. स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल भर्ती कराया गया. उनकी गर्दन में 9 टांके आए हैं.

पहले इसी ब्रिज पर हुई थी मौत

भिवंडी में 3 दिन पहले एक युवक जिसका नाम मसूद खान बताया गया. भिवंडी ब्रिज के ऊपर बाइक ले जाते समय उनकी गर्दन में मांझा फंस गया और उस युवक की गर्दन कट गई. इस घटना के बाद भिवंडी फ्लाईओवर पर दोनों तरफ लोहे का पत्रा लगा दिया गया है. 14 जनवरी 2023 को इसी ब्रिज पर मांझे से कटकर उल्हासनगर के संजय हजारे नाम के युवक की मौत हो गई थी. कुछ दिन पहले ही भिवंडी के टेम्वली इलाके में रहने वाले एक युवक की गर्दन भी मांझे में फंस गई थी. हालांकि हेलमेट की वजह से युवक की जान बच गई थी.

25 लाख का नायलॉन मांझा नष्ट

नायलॉन के चाइनीज मांझा बेचने के वाले कल्याण डोम्बिवली में 6 दुकानदारों पर कार्रवाई हुई. मीरा रोड में काशी गांव पुलिस ने 10 हजार रुपये से ज्यादा कीमत का चाइनीज मांझा जब्त किया और 2 दुकानदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है. महारष्ट्र पुलिस अब नायलॉन के चायनीज़ किलर मांझे से इतनी परेशान हो गई है कि जिन जिन दुकानों पर ये किलर मांझे बिक रहे हैं. वहां से जब्त कर उन्हें रोड रोलर से कुचल दे रही है. नागपुर, चंद्रपुर में 25 लाख के नायलॉन मांझे पर रोड रोलर नागपुर पुलिस चलाया.

2599 चकरियां (लटाई) की जब्त

नागपुर में बड़े पैमाने पर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है, लेकिन पतंगबाज नायलॉन मांझे के साथ-साथ चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं. नागपुर पुलिस ने एक मुहिम शुरू की, जिसके तहत लाखों रुपए का नायलॉन मांझा जब्त किया. नागपुर के इंदौर मैदान पर जब्त की गई लगभग 2599 चकरियों समेत करीब 25 लाख रुपए के बैन नायलॉन मांझे को पुलिस ने रोड रोलर से नष्ट किया. पुलिस ने साफ तौर पर कहा कि नायलॉन मांझे के साथ पकड़े गए, तो मकर संक्रांति के दिन सीधे पुलिस कस्टडी में भेज दिया जाएगा.

दिल्ली की सियासत की वो ‘लकी’ CM, बिना चुनाव जीते ही बन गईं मुख्यमंत्री

राजधानी दिल्ली की सियासत में आठवीं विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है. 1993 में दिल्ली में पूर्ण विधानसभा की व्यवस्था होने के बाद अब तक दिल्ली में 6 मुख्यमंत्री हो चुके हैं. इसमें से 2 मुख्यमंत्री ऐसे भी हुए जिन्हें चुनाव से ठीक पहले सीएम पद की कमान मिली. दोनों ही अवसर पर दिल्ली को महिला मुख्यमंत्री ही मिली थीं. इनमें से एक मुख्यमंत्री वह भी रहीं जो विधानसभा का सदस्य हुए बगैर ही सीएम पद मिल गया था.

संविधान संशोधन के जरिए दिल्ली में जब पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव कराया गया तब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पूर्ण बहुमत हासिल हुई और यहां पर मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन खुराना का कार्यकाल (2 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996) लगातार उतार-चढ़ाव भरा रहा और 2 साल से कुछ अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया.

प्याज की बढ़ी कीमतें बनी मुसीबत

फिर बीजेपी ने जाट नेता साहिब सिंह वर्मा को दिल्ली की कमान सौंपी. वह भी अपना कार्यकाल (26 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998) पूरा नहीं कर सके. वह सीएम पद पर 2 साल 228 दिन तक ही बने रह सके. चुनाव से पहले पार्टी को लेकर बनी नकारात्मक छवि और देश में प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों के बीच दिल्ली की बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी काफी बढ़ गई. इसे देखते हुए पार्टी ने फिर से अपना सीएम बदलने का फैसला लिया. बीजेपी ने चुनाव में उतरने से पहले सुषमा स्वराज जैसी तेजतर्रार छवि की नेता को मुख्यमंत्री बनाया

सुषमा विधानसभा की सदस्य बने बगैर ही दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री बन गईं. उन्होंने बीजेपी सरकार की छवि सुधारने की काफी कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. वह महज 52 दिन ही मुख्यमंत्री रह सकीं. दूसरे विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया.

काम न आया CM बदलने वाला दांव

बीजेपी ने जब सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया तो उनके पास करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा था. प्याज की बढ़ी कीमतों से जनता खासा त्रस्त हो गई थी. पार्टी के लिए ताबड़तोड़ कोशिश करने के बाद उन्हें और उनकी पार्टी को निराशा ही हाथ लगी.

फिलहाल सुषमा स्वराज जब दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं तब वह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री थीं. केंद्र की राजनीति को छोड़ वह पार्टी के फैसले को स्वीकार करती हुईं दिल्ली की राजनीति में आ गईं और वह मुख्यमंत्री बनीं.

2 महीने से भी कम वक्त मिला

जिस वक्त सुषमा मुख्यमंत्री बनीं तब दिल्ली विधानसभा का पहला कार्यकाल अपने अंतिम पड़ाव की ओर था. उनके पास 2 महीने से भी कम का वक्त था. इस बीच दिल्ली में चुनावी फिजा अपने चरम पर पहुंच चुकी थी और विधानसभा का अगला सत्र बुलाया नहीं गया. चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई. इस वजह से वह बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली विधानसभा में दाखिल नहीं हो सकीं.

हुआ यह कि विधानसभा का कार्यकाल अपने अंतिम साल में था. विधानसभा का 14वां सत्र 29 दिसंबर 1997 से शुरू हुआ जो 2 जनवरी 1998 तक चला. इसके बाद 15वां सत्र 23 मार्च 1998 से लेकर 3 अप्रैल 1998 तक बुलाया गया. तत्कालीन विधानसभा का अंतिम सत्र 24 सितंबर 1998 को बुलाया गया जो 30 सितंबर तक चला. इस सत्र के स्थगन के 12 दिन बाद दिल्ली में नेतृत्व बदला और सुषमा स्वराज दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री बनीं.

सुषमा स्वराज से पहले चरण सिंह

सुषमा के शपथ लेने के बाद विधानसभा का अगला सत्र बुलाया नहीं जा सका. उनके पास महज 2 महीने का ही कार्यकाल था. दिसंबर 1998 में दूसरी विधानसभा के लिए चुनाव कराया गया. चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. खुद सुषमा को संघर्षपूर्ण मुकाबले में जीत मिली. हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया था. सुषमा के अलावा सभी अन्य मुख्यमंत्री चुनाव जीतने के बाद ही मुख्यमंत्री बने थे.

अपने शानदार भाषण के लिए खास पहचान रखने वाली सुषमा स्वराज भी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की उस लिस्ट में शामिल हो गईं, जो अहम पद संभालने के बाद बतौर नेता अपने सदन में नहीं जा सकीं. सुषमा से पहले चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के समर्थन से 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने, और वह अगले चुनाव होने तक करीब 6 महीने तक पद पर रहे. लेकिन वह सदन के नेता के तौर पर लोकसभा में नहीं जा सके.

23 दिन ही PM रह सके चरण सिंह

शपथ ग्रहण के बाद चौधरी चरण सिंह को लोकसभा में बहुमत साबित करना था, लेकिन इस बीच इंदिरा गांधी से उनके रिश्ते फिर बेहद खराब हो गए. कांग्रेस ने चरण सिंह के लोकसभा में फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले अपना समर्थन वापस ले लिया. ऐसे में चरण सिंह को महज 23 दिन तक पद पर रहने के बाद 20 अगस्त 1979 को इस्तीफा देना पड़ गया.

चरण सिंह बतौर पीएम संसद की दहलीज तक नहीं पहुंच पाने वाले देश के अकेले प्रधानमंत्री बने. इस्तीफे के बाद उनकी सलाह पर राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा भंग कर दी. चरण सिंह अगली सरकार के अस्तित्व में आने तक जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे.

क्या शादीशुदा लोग बन सकते हैं नागा साधु? गृहस्थ लोगों के लिए ये हैं नियम

प्रयागराज में महाकुंभ का आज दूसरा दिन है. संगम तट के पास आपको हर कहीं नागा साधुओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा. देश के कोने-कोने से यहां नागा साधु गंगा स्नान के लिए पहुंचे हैं. लोगों के बीच ये नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. लोग इनका आशीर्वाद ले रहे हैं. आखिर नागा साधु को इतना क्यों माना जाता है, क्यों लोग अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़ नागा साधु बन जाते हैं और कौन लोग नागा साधु बन सकते हैं, इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.

लोगों के मन में अमूमन ये सवाल जरूर उठता है कि नागा साधु कौन बनता है? क्या शादीशुदा लोग नागा साधु बन सकते हैं? तो इसका जवाब है- हां. शादीशुदा लोग भी नागा साधु बन सकते हैं. हालांकि, नागा साधु बनने के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है. नागा साधु बनने के लिए सांसारिक मोह-माया त्यागनी पड़ती है और पूरी जिंदगी भगवान की भक्ति में लीन रहना होता है.

नागा साधु बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है. 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. अपने गुरु को यकीन दिलाना होता है कि वह इसके लिए योग्य हैं और अब ईश्वर के प्रति समर्पित हो चुकी हैं. अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़कर खुद को भगवान के प्रति समर्पित करना पड़ता है. नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में प्रवेश के बाद ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है.

क्या है नागा का असली मतलब?

धर्म के रक्षक नागा साधु नागा शब्द की उत्पत्ति के संबंध में कुछ विद्वानों का मानना है कि यह संस्कृत के नागा से आया है. इसका अर्थ पहाड़ होता है. नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और शास्त्रों के ज्ञान में निपुण होना है. वे अखाड़ों से जुड़े हुए होते हैं और समाज की सेवा करते हैं साथ ही धर्म का प्रचार करते हैं. ये साधू अपनी कठोर तपस्या और शारीरिक शक्ति के लिए जाने जाते हैं. नागा साधु अपने शरीर पर हवन की भभूत लगाते हैं. नागा साधु धर्म और समाज के लिए काम करते हैं.

कैसे बनती है भभूत

नागा साधु जिस भभूत को शरीर पर लगाते हैं, वो लम्बी प्रक्रिया के बाद तैयार होती है. हवन कुंड में पीपल, पाखड़, रसाला, बेलपत्र, केला व गऊ के गोबर को भस्म करते हैं. उसके बाद जाकर वो भभूत तैयार होती है.

CM योगी ने दी मकर संक्रांति की शुभकामनाएं, बाबा गोरखनाथ को चढ़ाई खिचड़ी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में खिचड़ी चढ़ाई. इसके बाद सीएम योगी ने कहा कि मैं मकर संक्रांति के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देता हूं. यह भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का त्योहार और उत्सव है. सनातन धर्म के अनुयायी इस त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाते हैं.

इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा कि आज महाकुंभ के पहले अमृत स्नान का दिन है, देश और दुनिया में महाकुंभ के प्रति आकर्षण देखना अविश्वसनीय है. उन्होंने कहा कि सोमवार को पहल दिन लगभग 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाई.

दरअसल प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुंभ मेला सोमवार से शुरू हो गया. मेला प्रशासन के मुताबिक, सोमवार को 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए. सीएम योगी ने सभी श्रद्धालुओं, संत महात्माओं, कल्पवासियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए महाकुंभ के प्रथम स्नान की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बताया.

13 अखाड़ों का अमृत स्नान

प्रयागराज महाकुंभ में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के सकुशल समापन के बाद अब आज महास्नान यानी शाही स्नान होगा, जिसे इस बार अमृत स्नान नाम दिया गया है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, महाकुंभ मेला प्रशासन की तरफ से पूर्व की मान्यताओं का पूरी तरह ध्यान रखते हुए सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के लिए अमृत स्नान का भी स्नान क्रम जारी किया गया है.

महाकुंभ 2025: दुनिया की 'सबसे खूबसूरत साध्वी' ने खुद को साध्वी मानने से किया इनकार

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, सोमवार से महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो गई है. पहले दिन पौष पूर्णिमा के मौके पर 1.5 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे. श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. विदेशों से भी कई श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे, लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा एक साध्वी की ओर सभी का ध्यान गया, जिन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत साध्वी कहा जा रहा है.

साध्वी हर्षा रिछारिया की महाकुंभ से कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं और खूब वायरल हो रही हैं. अब उन्होंने बताया कि वह लाइमलाइट और ग्लैमरस की दुनिया को छोड़कर इस तरफ कैसे आईं. हर्षा रिछारिया ने अपने आप को साध्वी मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर मुझे “साध्वी” का टैग दे दिया गया है, लेकिन ये उचित नहीं है. क्योंकि अभी मैं पूरी तरह से इस चीज में नहीं गई हूं. अभी मुझे इस चीज की इजाजत भी नहीं मिली है.

संन्यास लेने पर क्या बोलीं हर्षा?

उन्होंने संन्याल लेने के नाम पर कहा, “किसने कहा कि मैंने संन्यास ले लिया है. जब आपके मन में श्रद्धा ज्यादा बढ़ जाती है, तो आप अपने आप को किसी भी रूप में में ढाल सकते हैं. मैं ये (संन्यासी) रूप दो साल से लेना चाहती थीं, लेकिन मेरे काम की वजह से मैं ऐसा नहीं कर पा रही थीं, लेकिन अब मुझे मौका मिला और मैंने ऐसा कर लिया है.”

मैं पहले से ही वायरल थीं”

इसके साथ ही उनसे कहा गया कि कहा जाता है कि वायरल होने के लिए इस तरह की वेशभूषा धारण की है तो इस पर जवाब देते हुए हर्षा रिछारिया ने कहा कि मुझे वायरल होने की जरूरत नहीं है. मैं पहले से ही देश में बहुत वायरल हूं. मैं 10 से भी ज्यादा बार वायरल हो चुकी हूं. अब मेरी श्रद्धा है, मैं जैसे चाहे वैसे रहना चाहती हूं. युवाओं को लेकर कहा कि आज के युवा अपने धर्म और संस्कृति को लेकर जागरूक हो रहे हैं.

क्यों छोड़ी ग्लैमरस की दुनिया

ग्लैमरस की दुनिया को छोड़ने पर उन्होंने कहा, “कुछ चीजें हमारी किस्मत में लिखी होती हैं. हमारे कुछ पुराने कर्मों और जन्मों का फल भी होता है, जो हमें इस जन्म में मिलता है. कब हमारी जिंदगी क्या मोड़ ले. ये सब कुछ निर्धारित होता है. मैंने देश विदेश में शो किए हैं, एंकरिंग की, एक्टिंग की, लेकिन पिछले एक से डेढ़ साल से मैं बहुत अच्छी साधना में लगी हुई है. मैंने पहले वाली जिंदगी को विराम दे दिया है. मैं इसे बहुत एंजॉय कर रही हूं. मुझे साधना में सुकून मिलता है.”

फोन चोरी होने का है खतरा, तो लें Google की ‘शरण’, ये सिक्योरिटी फीचर्स करेंगे आपकी मदद

स्मार्टफोन की चोरी एक आम समस्या है. अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, तो न सिर्फ आपका फोन खोता है, बल्कि आपकी पर्सनल जानकारी भी खतरे में पड़ सकती है. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गूगल ने एंड्रॉयड फोन के लिए कुछ खास सिक्योरिटी फीचर्स दिए हैं, जिनसे आप अपने फोन को सुरक्षित रख सकते हैं. यह फीचर्स गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन के तहत मिलते हैं. एंड्रॉयड 10 या उससे ऊपर के वर्जन पर ये फीचर्स आसानी से मिल जाएंगे.

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन एक सिक्योरिटी सर्विस है, जो खास तौर पर आपके फोन और डेटा को चोरी से बचाने के लिए डिजाइन की गई है. अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, तो यह सर्विस आपके फोन को लॉक कर सकती है, उसकी ट्रैकिंग कर सकती है, और आपके फोन का डेटा भी डिलीट कर सकती है. इसके सभी फीचर्स आपके फोन की सेफ्टी को और भी बढ़ा देते हैं.

Google Theft Protection: ऐसे करें चालू

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन को एक्टिव करना बहुत आसान है. बस कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करें:

फोन पर Settings ऐप को खोलें.

अब नीचे स्क्रॉल करके Security and Privacy पर टैप करें.

फिर Device Unlock ऑप्शन पर जाएं.

यहां Theft Protection का ऑप्शन मिलेगा. उसे चुनें.

अब आपको कई ऑप्शन्स दिखाई देंगे, जैसे Theft Detection Lock, Offline Device Lock, Remote Lock, और Find My Device.

इन सभी फीचर्स को ऑन कर दें. अगर आपको ज्यादा सुरक्षा चाहिए, तो बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक) के जरिए ऑथेंटिकेशन करना होगा.

Google Theft Protection: फीचर्स

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन के कुछ मेन फीचर्स के बारे में नीचे बताया गया है.

Theft Detection Lock: यह फीचर आपके फोन को तब लॉक कर देता है जब यह संदिग्ध एक्टिविटी का पता लगाता है. जैसे ही यह महसूस करता है कि फोन चोरी हो सकता है, यह तुरंत लॉक हो जाएगा.

Offline Device Lock: अगर आपका फोन इंटरनेट से जुड़ा नहीं है (ऑफलाइन है), तो यह फीचर आपके फोन की स्क्रीन को लॉक कर देता है. इससे फोन तब भी सुरक्षित रहता है, जब वह ऑनलाइन न हो.

Remote Lock: इस फीचर की मदद से आप अपने फोन को कहीं से भी लॉक कर सकते हैं. आपको बस android.com/lock पर जाकर अपना फोन लॉक करना होता है. अगर फोन ऑफलाइन है, तो जैसे ही ऑनलाइन होगा, वो खुद-ब-खुद लॉक हो जाएगा.

Find and Erase Device: इस फीचर के जरिए आप अपने फोन को ट्रैक कर सकते हैं और अगर फोन चोरी हो जाए, तो आप अपनी सारी जानकारी मिटा सकते हैं, ताकि आपकी निजी जानकारी सुरक्षित रहे, और चोर के हाथ न लगे.

आपके लिए जरूरी बात

थेफ्ट डिटेक्श लॉक फीचर Wi-Fi या ब्लूटूथ से जुड़े फोन पर सही से काम नहीं करता. अगर आप अक्सर ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फीचर काम करने में दिक्कत कर सकता है. अगर आप फोन को बार-बार लॉक करते हैं, तो थेफ्ट डिटेक्शन लॉक कुछ समय के लिए रुक सकता है, जिससे गलत अलर्ट्स आ सकते हैं.