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तिब्बती बच्चों को अपने माता पिता से अलग कर रहा चीन, ये है ड्रैगन का खतरनाक प्लान

#china_erasing_tibetan_culture_by_systematically

चीन जबरन तिब्बत कर कब्जा जमाना चाहता है। इसके लिए चीन खतरनाक चालें चल रहा है। चीन ने अपने इस मकसद के लिए तिब्बती बच्चों को “हथियार” बनाया है। चीन ने तिब्‍बत की संस्‍कृति को कमजोर करने और वहां चीनी संस्‍कृति फैलाने के लिए बच्‍चों को जरिया बनाया है। चीन बच्‍चों के जरिए तिब्‍बत की संस्‍कृति उसकी आत्‍मा को खत्‍म करने की फिराक में है। इसलिए वह जबरन तिब्‍बती बच्‍चों को बोर्डिंग स्‍कूल में भेज रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और तिब्बती कार्यकर्ताओं ने चीन पर यह आरोप लगाया है। चीन का मकसद तिब्बत पर अपना नियंत्रण और मजबूत करना है। इसके लिए वह तिब्बती बच्चों को उनकी भाषा के बजाय खासतौर पर बनाए गए बॉर्डिंग स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ा रहा है। तिब्बत के छह साल से ज्यादा उम्र के तीन-चौथाई तिब्बती छात्र इन स्कूलों में जा रहे हैं, जहां चीनी भाषा में पढ़ाई होती है। चीन ने तिब्बत में बड़ी संख्या में ये स्कूल और छात्रावास बनाएं हैं, जिनमें फ्री दाखिला मिलता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में बने इन बॉर्डिंग स्कूलों में तिब्बती भाषा, संस्कृति और बौद्ध धर्म की जगह चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, चीनी अधिकारी कहते हैं कि ये स्कूल तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल सीखने में मदद करते हैं। उनका कहना है कि परिवार अपनी मर्जी से बच्चों को इन मुफ्त स्कूलों में भेजते हैं। चीन इन स्कूलों का विस्तार कर रहा है। चीन यह दिखाना चाहता है कि खुश और स्वस्थ तिब्बती बच्चे गर्व से खुद को चीनी बता रहे हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारी तिब्बती बच्चों को इन आवासीय स्कूलों में भेजने के लिए दबाव बनाते हैं। इसमें माता-पिता के पास अपने बच्चों को स्कूल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं होता। कई माता-पिता अपने बच्चों से लंबे समय तक नहीं मिल पाते।

वहीं, चीन के दावे के उलट कई शोध पत्रों और रिपोर्टों में तिब्बती बच्चों पर इन स्कूलों के बुरे मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी गई है। इनमें बच्चों में चिंता, अकेलापन, अवसाद और दूसरी मानसिक परेशानियां शामिल हैं।

तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 6 से 18 साल की उम्र के करीब 8 लाख तिब्‍बती बच्‍चे चीन के स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं। यानी कि हर 4 में से 3 बच्‍चे चीन के अप्रत्‍यक्ष नियंत्रण में है, जिन्‍हें वह तिब्‍बती संस्‍कृति को मिटाने के लिए हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहा है।

ट्रूडो के पूर्व सहयोगी की डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी, कहा- हमारा देश बिकाऊ नहीं

#ndp_leader_jagmeet_singh_s_warning_to_trump

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका में मिलाने की धमकी दी है। उनका कहना है कि वे इसे अमेरिका का 51वां राज्य घोषित करेंगे। वहीं अब इसके जवाब में कनाडाई सांसद और जस्टिन ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह ने ट्रंप को चेतावनी दी डाली है। जगमीत सिंह ने एक्स पर एक वीडियो में शेयर किया है। वीडियो में जगमीत सिंह ने कहा, मेरे पास डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश है कि हमारा देश बिकाऊ नहीं है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता और कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार कनाडा के टैरिफ में बढ़ोत्तरी और अमेरिका में कनाडा के विलय के प्रस्ताव को लेकर चेतावनी दी है। जगमीत सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में जगमीत सिंह ने कहा, मेरे पास डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश है कि हमारा देश बिकाऊ नहीं है। न अभी और न ही भविष्य में। उन्होंने आगे कहा, कनाडा के लोग अपनी देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार हैं।

जगमीत सिंह ने कहा, मैं पूरे देश में रहा हूं और मैं कह सकता हूं कि कनाडा के लोग कनाडाई होने पर गर्व करते हैं। हमें अपने देश पर गर्व है और हम इसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए जान की बाजी भी लगाने को तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा, “अभी जब अमेरिका के जंगलों में भयानक आग लगी है। हजारों घर जलकर राख चुके हैं, तो कनाडा के अग्निशामक अमेरिका की मदद के लिए सामने आए हैं। यह दिखाता है कि हम कौन है और अपने पड़ोसियों का हम कैसे समर्थन करते हैं।

जगमीत सिंह ने कहा कि अगर अमेरिका कनाडा पर टैरिफ लगाता है हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। अगर डोनाल्ड ट्रंप सोचते हैं कि आप हमसे लड़ाई कर सकते हैं, तो इसकी कीमत चुकानी होगी। अगर डोनाल्ड ट्रंप हम पर टैरिफ लगाते हैं, तो हमें भी उसी तरह जवाबी टैरिफ लगाना चाहिए।

बता दें कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां स्टेट बनाने का मन बना चुके हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर दो नक्शे साझा किए। एक नक्शे में उन्होंने कनाडा को अमेरिका में दिखाया, दूसरे में उन्होंने कनाडा को लेकर अपने इरादे जाहिर किए। ट्रंप ने कहा था कि वह कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने के लिए आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे। सेना के इस्तेमाल पर ट्रंप ने कहा सैन्य बल की जरूरत नहीं, हम कनाडा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे।

अमेरिका को बर्दाश्त नहीं भारत-रूस की दोस्ती, जाते-जाते बाइडेन ने चलाया ऐसा चाबुक, बढ़ेगी टेंशन

#petroldieselpricemayhikeinindiaafterusaimposebanonrussia 

अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध की वजह से नए प्रतिबंधों का ऐलान किया। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के मुताबिक अमेरिका ने रूस की 200 से ज्यादा कंपनियों और व्यक्तियों के साथ 180 से ज्यादा शिप्स पर बैन लगा दिया। इसके अलावा दो भारतीय कंपनी स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविजन मैनेजमेंट सर्विसेज भी बैन लगाया गया है।

रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। उनका उद्देश्य यह है कि रूस को मिल रहा राजस्व कम किया जाए, जिससे यूक्रेन से युद्ध में वह इसका इस्तेमाल न कर सके। इसीलिए उसने 200 से अधिक रूसी संस्थानों और लोगों पर बैन लगाए गए हैं। इनमें बीमा कंपनियां, व्यापारी और तेल टैंकर आदि शामिल हैं।

अमेरिकी ने रूस की तेल उत्पादक कंपनियों और तेल ले जाने वाले जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि रूस, भारत और चीन जैसे देशों को सस्ता क्रूड ऑयल बेचकर यूक्रेन के साथ युद्ध की फंडिंग कर रहा है। इसी खीज में अमेरिका ने रूसी तेल उत्पादकों के साथ-साथ रूसी तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बैन की वजह से क्रूड ऑयल की सप्लाई में परेशानी आने लगी है।

क्रूड ऑयल की कीमतों में आई तेजी

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आ गई है, क्रूड ऑयल की कीमतें 3% तक का बढ़ गई। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार हो गई। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत और चीन को रूस से ऑयल इंपोर्ट करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 1.83 प्रतिशत चढ़कर 81.22 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस तेजी के साथ की कच्चे तेल की कीमत चार महीने के हाई पर पहुंच गई है।

रूस ने की प्रतिबंधों की आलोचना

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इन प्रतिबंधों की आलोचना की है। रूस ने कहा कि यह अमेरिका की रूसी अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान पहुंचाने की चाल है। उसने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक बाजार में खतरा बढ़ेगा। रूस ने कहा कि वह बड़े तेल और गैस प्राजेक्‍ट पर काम करना जारी रखेगा। अमेरिका ने जो नए प्रतिबंध लगाए हैं, उससे 143 टैंकर प्रभावित होंगे जो 53 करोड़ बैरल रूसी तेल पिछले साल लेकर गए थे।

भारत पर भी होगा असर

रूसी तेल सप्लाई में आने वाली दिक्कतों के बीच आने वाले दिनों में भारत को ऊंचे दामों पर खाड़ी के देशों से कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है। अगर ऐसा ही रहा तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो आपको महंगाई का झटका झेलना पड़ सकता है। यानी आने वाले दिनों में आपको महंगे तेल की कीमतों से दो-चार होना पड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का सीधा असर सप्लाई चेन पर होगा। खाने-पीने से लेकर हर चीज महंगी होने लगेगी।

शेयर बाजार में गिरावट: सेंसेक्स में 1,000 से अधिक अंकों की गिरावट के 5 कारण

सोमवार को दलाल स्ट्रीट पर भारी उथल-पुथल रही, क्योंकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 1,048.90 अंकों की गिरावट के साथ 76,330 पर बंद हुआ। निफ्टी 345.55 अंकों की गिरावट के साथ 23,085.95 पर बंद हुआ। शुक्रवार को सेंसेक्स 241.30 अंकों या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,378.91 पर बंद हुआ था। टीसीएस, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयरों के रूप में उभरे। नुकसान उठाने वालों में अडानी एंटरप्राइजेज, ट्रेंट, बीपीसीएल, बीईएल और पावर ग्रिड ने भारी नुकसान दर्ज किया।

शेयर बाजार में गिरावट के 5 कारण इस प्रकार हैं:-

1. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में तेज गिरावट के लिए "प्रतिकूल" वैश्विक संकेतों को जिम्मेदार ठहराया गया। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने एएनआई को बताया कि वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजारों में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली, क्योंकि मजबूत अमेरिकी पेरोल डेटा ने 2025 में कम ब्याज दरों में कटौती का सुझाव दिया है। "इससे डॉलर मजबूत हुआ है, बॉन्ड यील्ड बढ़ी है और उभरते बाजार कम आकर्षक हो गए हैं। हाल ही में जीडीपी में गिरावट और उच्च मूल्यांकन के बीच आय में कमी ने बाजार की धारणा को भारी नुकसान पहुंचाया है," उन्होंने एएनआई को बताया।

2. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने ₹2,254.68 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने पीटीआई को बताया, "रूस के तेल निर्यात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से रुपया डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर पहुंच गया, जिससे घरेलू इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट आई, क्योंकि विदेशी निवेशक स्थानीय शेयर बाजार से दूर होते जा रहे हैं। सभी क्षेत्रों में व्यापक बिकवाली के साथ-साथ मिड और स्मॉलकैप शेयरों में भारी निकासी ने धारणा को और खराब कर दिया।"

3. सोमवार को रुपये में लगभग दो वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और सत्र का अंत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 (अनंतिम) के ऐतिहासिक निचले स्तर पर हुआ। विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने घटते विदेशी मुद्रा भंडार और उभरते बाजारों की मुद्राओं में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट की अनुमति दी है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने पीटीआई को बताया, "आरबीआई कमजोरी की अनुमति देगा क्योंकि मांग बढ़ती जा रही है और आपूर्ति कम होती जा रही है।"

4. ब्रेंट क्रूड की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बढ़कर चार महीने से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसकी वजह रूसी तेल पर व्यापक अमेरिकी प्रतिबंध और शीर्ष खरीदारों भारत और चीन को निर्यात पर अपेक्षित प्रभाव है। तापसे ने पीटीआई को बताया, "कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें घरेलू मुद्रास्फीति में उछाल की चिंताएं बढ़ाएंगी, जिससे निकट से मध्यम अवधि में आरबीआई की ओर से दरों में कटौती की उम्मीदों में और देरी हो सकती है।"

5. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। "पिछले साल एक लोकलुभावन बजट के बाद, हम इस साल बहुत भारी प्री-बजट रैली की उम्मीद नहीं करते हैं। चूंकि पिछला बजट पिछले साल हुए आम चुनावों में भाजपा के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद एक लोकलुभावन बजट था, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि केंद्रीय बजट 2025 इस साल खपत के रुझान के निम्न स्तर, विशेष रूप से ग्रामीण मांग को देखते हुए, मध्यम वर्ग के लिए तुलनात्मक रूप से थोड़ी राहत लाएगा।

लॉस एंजेलिस में तबाही, अब तक 24 की मौत

#losangelesfiremorethan24people_died

अमेरिका के कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में जंगल की आग ने एक बड़े इलाके को तबाह कर दिया है, जिससे हजारों लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि इस बीच 24 लोगों ने जान गंवा दी। वहीं, आग के कारण 12 हजार से ज्यादा ढांचे (घर या इमारतें) नष्ट हो गए। अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 16 लोग लापता हैं और इनकी संख्या बढ़ सकती है।

मौसम विज्ञानियों ने इस सप्ताह हवाओं के और तेज होने के पूर्वानुमान जताया है। राष्ट्रीय मौसम सेवा ने क्षेत्र में 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान जताया है और पर्वतीय क्षेत्रों में हवा की गति 113 किलोमीटर प्रति घंटे रहने की संभावना है। मौसम विज्ञानी रिच थॉम्पसन ने कहा कि मंगलवार को आग के और प्रचंड होने की आशंका रहेगी। लॉस एंजिलिस काउंटी के अग्निशमन प्रमुख एंथनी सी मारोन ने कहा कि आग बुझाने की कवायद में तेजी लाने के लिए पानी के 70 अतिरिक्त ट्रक पहुंचे हैं।

कई और लोगों के लापता होने की सूचना मिलने की आशंका

लॉस एंजिलिस काउंटी के शेरिफ रॉबर्ट लूना ने कहा कि ईटॉन क्षेत्र में आग लगने की घटना में 12 लोगों के लापता होने की सूचना है और पैलिसेड्स से चार लोग लापता हैं। लूना ने कहा कि रविवार सुबह कई और लोगों के लापता होने की सूचना मिलने की आशंका है और अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि जिन लोगों की अब तक मौत हो चुकी है उनमें से ऐसे लोग कितने हैं जिनके लापता होने की सूचना दर्ज की गई है।

अमेरिका के इतिहास की सबसे भीषण आग

पिछले 6 दिनों से अमेरिका का पॉश इलाका लॉस एंजेलिस धधक रहा है। जंगलों से फैली आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच चुकी है। ये आग अमेरिका के इतिहास की सबसे भीषण आग है। जिसने करीब 40 किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी जद में ले लिया।

भारत ने बांग्लादेश को उसी की भाषा मे दिया जवाब, डिप्टी हाईकमिश्नर को किया तलब

-#india_called_deputy_high_commissioner_of_bangladesh

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बदलती परिस्थितियों पर चर्चा के लिए बांग्लादेश के उप-उच्चायुक्त नुरल इस्लाम को तलब किया। एक दिन पहले रविवार को बांग्लादेश ने ढाका में तैनात भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया था। विवाद की ताजा वजह सीमा पर बाड़ लगाने का भारत की कोशिशें हैं। बांग्लादेश का आरोप है कि भारत 4,156 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर पांच जगहों पर बाड़ लगाने की कोशिश कर रहा है। उसका दावा है कि यह द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है।

बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सुरक्षा को सख्त कर दिया है। बॉर्डर एरिया पर बीएसएफ की पैनी नजर है जिसके चलते बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार बौखला गई है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने रविवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया था और सीमा पर भारत की गतिविधियों पर चिंता जताई थी। सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी नई दिल्ली में मौजूद बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त नूरुल इस्लाम को तलब किया है।

बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, रविवार को विदेश सचिव जशीम उद्दीन के साथ प्रणय वर्मा की बैठक लगभग 45 मिनट तक चली थी। एक अधिकारी ने कहा, 'ढाका और नई दिल्ली के बीच सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर समझौता है। हमारे दोनों सीमा सुरक्षा बल – बीएसएफ और बीजीबी (सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) इस संबंध में बातचीत कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस समझौते को लागू किया जाएगा और सीमा पर अपराधों से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,156 किलोमीटर का बॉर्डर है। इसमें से 3271 किलोमीटर एरिया में भारत ने फेंसिंग कर दी है। 885 किलोमीटर बॉर्डर पर अभी फेंसिंग का काम चल रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2010 से लेकर 2023 तक 160 जगहों पर फेंसिंग का काम किया था। 10 जनवरी से BSF ने फिर से यह काम शुरू किया। इनमें से 5 जगहों चपैनवाबगंज, लालमोनिरहाट में तीन बीघा कॉरिडोर, नौगांव में पटनीताला, फेनी, कुश्तिया और कुमिला में फेंसिंग को लेकर विवाद है।

अवध ओझा के चुनाव लड़ने पर संशय, अरविंद केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग पर लगाया गंभीर आरोप

#awadh_ojha_will_not_be_able_to_contest_elections_know_why

दिल्ली में विधानसभा चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है। नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस बीच आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अवध ओझा के लिए एक बड़ी मुश्किल आ खड़ी हुई है। दिल्ली के पटपड़गंज से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा के चुनाव लड़ने पर पेंच फंसता नजर आ रहा है। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि अवध ओझा को चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश की जा रही है।

आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी धांधली करके और बेईमानी से दिल्ली का चुनाव लड़ना चाहती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अवध ओझा ने दिल्ली की वोटर आई के लिए आवेदन किया है, लेकिन वह अभी तक नहीं बन सका है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये लोग अवध ओझा को चुनाव लड़ने से रोकना चाहते हैं।

अरविंद केजरीवाल ने कहा अवध कुमार ओझा हमारे पटपड़गंज के उम्मीदवार हैं। उनकी वोटर आईडी ग्रेटर नोएडा की बनी हुई थी। उन्होंने दिल्ली के वोटर कार्ड के लिए 26 दिसंबर को आवेदन किया था। फिर उन्होंने वोटर आईडी कार्ड ट्रांसफर करने के लिए 7 जनवरी को आवेदन किया था, लेकिन वो अभी तक नहीं बना है। दिल्ली चुनाव आयोग ने पहले ये नोटिस निकाला था कि वोटर कार्ड बनाने की आखिरी तारीख 7 जनवरी है, जिसे फिर बदलकर 6 जनवरी कर दिया गया। ये चुनाव के नियम के खिलाफ है। ये मेरे एक उम्मीदवार का मामला है। अगर समय से उनका वोटर कार्ड नहीं बना तो वो नामांकन नहीं कर पाएंगे।

बता दें कि किसी भी विधानसभा सीट से उम्मीदवर बनने के लिए उस विधानसभा सीट का वोटर होना जरूरी है। दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा के पास दिल्ली का वोटर कार्ड नहीं हैं। दिल्ली के वोटर कार्ड के लिए अवध ओझा ने आवेदन किया था, लेकिन उनका वोटर कार्ड अभी तक नहीं बना है। अगर समय से अवध ओझा का वोटर कार्ड नहीं बना तो अवध ओझा का नामांकन फंस सकता है।

*कैग रिपोर्ट में देरी होने पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकारा, कहा- आपकी ईमानदारी पर संदेह

#highcourtcriticiseddelhigovernmentdelayaddressingcagreports

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आई कैग रिपोर्ट का मुद्दा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। 7 भाजपा विधायकों ने कैग की रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा करवाने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी, जिस पर सोमवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है।

हाईकोर्टकी नाराजगी की वजह

कोर्ट ने विजेंदर गुप्ता सहित भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की ओर से दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने जोर देते हुए कहा, “आपको रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर के पास भेजना चाहिए था और सदन में बहस शुरू करवानी चाहिए थी। दरअसल, दिल्‍ली सरकार की यह जिम्‍मेदारी थी कि इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाता, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसा नहीं किया। यही वजह है कि हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की।

आपका टालमटोल बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण-हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि आप जिस तरह से टालमटोल कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आपको कैग रिपोर्ट को विधानसभा स्पीकर के पास भेजने और विधानसभा में चर्चा करने में तत्पर होना चाहिए था।

कैग रिपोर्ट में किया गया दावा

सीएजी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लागत से 342 प्रतिशत ज्‍यादा रकम इस काम के लिए खर्च की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि अरविंद केजरीवाल के घर के रिनोवेशन का काम 8.62 करोड़ रुपये की निविदा पर किया जाना था। इसकी अनुमानित लागत 7.61 करोड़ तय की गई थी। शुरुआत में ही यह 13.21 प्रतिशत ज्‍यादा थी। जब अरविंद केजरीवाल के घर का काम खत्‍म हुआ तो यह अनुमानित लागत से 342.31 प्रतिशत ज्‍यादा था। यह रकम निविदा राशि से 290.49 प्रतिशत अधिक पाई गई।

भारतीय सेना के अध्यक्ष बताए LAC के हालात, कहा- स्थिति संवेदनशील, लेकिन स्थिर

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देश की सीमाओं और सुरक्षा को लेकर भारत की सेना प्रमुख ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने चीन, पाकिस्तान, म्यांमार सीमा और कश्मीर पर सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी की स्थिति संवेदनशील है, लेकिन स्थिर है। पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम जारी है। हम सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और क्षमता विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को एलएसी और एलओसी से लेकर मणिपुर के हालात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी की स्थिति संवेदनशील है, लेकिन स्थिर है। पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त शुरू हो गई है। मैंने सभी सह-कमांडरों को जमीनी स्तर पर संवेदनशील मुद्दों को संभालने के लिए कहा है। ताकि इन्हें सैन्य स्तर पर ही हल किया जा सके। एलएसी पर हमारी तैनाती संतुलित और मजबूत है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। उत्तरी सीमाओं के लिए फोकस क्षमता विकास कार्यक्रम ने युद्ध लड़ने की प्रणाली में तकनीक को सक्षम किया।

पिछले साल मारे गए 60 फीसदी आतंकी पाकिस्तानी मूल के

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) को लेकर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले साल मारे गए 60 फीसदी आतंकी पाकिस्तानी मूल के थे। आज घाटी और जम्मू क्षेत्र में जो भी आतंकी बचे हैं, हमें लगता है कि लगभग 80 फीसदी या उससे अधिक पाकिस्तानी मूल के हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। नियंत्रण रेखा पर डीजीएमओ के बीच सहमति के बाद फरवरी 2021 से प्रभावी संघर्ष विराम जारी है। हालांकि आतंकी ढांचा बरकरार है।

म्यांमार सीमा पर भी की जा रही कड़ी निगरानी

हालिया दिनों में म्यांमार सीमा पर भी भारत विरोधी घटनाएं देखने मिली हैं। जिसको लेकर सेना प्रमुख ने बताया कि सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई है और बाड़ लगाने का काम किया जा रहा है।

कश्मीर की सुरक्षा पर भारतीय सेना

कश्मीर में जारी आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए सेना को आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए आपातकालीन खरीद के लिए भी मंजूरी दे दी गई है। सेना प्रमुख ने कहा कि हमने पुंछ-राजौरी क्षेत्रों में सैनिकों की बड़ी संख्या में तैनाती की है, उन्होंने कहा कि कश्मीर में स्थिति अंडर कंट्रोल है।

मणिपुर के हालात पर भी की बात

सेना प्रमुख ने हिंसा ग्रस्त मणिपुर की स्थिति पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। मणिपुर में सुरक्षा बलों के प्रयास प्रयासों और सरकार की पहल से स्थिति नियंत्रण में आई है। हालांकि, हिंसा की कुछ घटनाएं जारी हैं। हम इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। विभिन्न गैर सरकारी संगठन और विभिन्न समुदाय के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं ताकि एक तरह का सामंजस्य स्थापित किया जा सके। भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई है, ताकि म्यांमार में अभी तक हो रही अशांति को रोका जा सके। जहां तक मानवीय सहायता और आपदा राहत का सवाल है, 2024 में हमने अपने क्यूआरटी और क्यूआर मेडिकल टीमों को अपग्रेड करने के लिए विशेष रूप से 17 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

पीएम मोदी ने किया जेड मोड़ टनल का उद्घाटन, जानें कितना होगा फायदा

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सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जेड मोड़ सोनमर्ग सुरंग सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया। 2700 करोड़ रुपये की परियोजना का उद्घाटन करने के बाद, प्रधानमंत्री सुरंग का निरीक्षण करने और परियोजना अधिकारियों से बातचीत करने के लिए सुरंग के अंदर गए। उद्घाटन के समय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे।

मोदी ने निर्माण श्रमिकों से भी मुलाकात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के गांदेरबल जिले के सोनमर्ग में जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन करने के बाद निर्माण श्रमिकों से भी मुलाकात की, जिन्होंने इस इंजीनियरिंग उपलब्धि में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए कठोर परिस्थितियों में सावधानीपूर्वक काम किया है। पिछले साल सितंबर-अक्तूबर में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पीएम मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर हैं।

हम सोनमर्ग को विंटर डेस्टिनेशन के तौर पर प्रमोट करेंगे- उमर

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने टनल में आतंकवादी हमले में मारे गए सात लोगों का नाम लिया। उन्होंने कहा कि अगर मैं इनके नाम लिए बिना तकरीर शुरू करूं यह उनके लिए नाइंसाफी है। इन सबने इस टनल के निर्माण के लिए कुर्बानी दी, मैं ऐसी तंजीम से तालुक रखता हूं जिन्होंने 35 वर्षों में कुर्बानियां दी। पीएम साहब आपकी यहां मौजूदगी यह गवाही है जो लोग यहां शांति नहीं देखना चाहते उन्हें हम कामयाब नहीं होने देंगे। मेरी खुशकिस्मती है कि जब इसकी नींव का पत्थर रखा गया, तब भी मैं मुख्यमंत्री था और आज भी मैं हूं हम सोनमर्ग को विंटर डेस्टिनेशन के तौर पर प्रमोट करेंगे।

लद्दाख आवागमन की दिशा में एक बड़ा कदम

श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी इस 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ सुरंग पूरे साल सड़क मार्ग से लद्दाख आवागमन की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस सुरंग को बनाने का काम मई 2015 में शुरू हुआ था और पिछले साल इसका निर्माण पूरा हुआ है। इस सुरंग को लद्दाख में देश की रक्षा जरूरतों के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह सुरंग केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को देश के बाकी हिस्से से भी जोड़ती है।इस सुरंग के शुरू हो जाने के बाद गगनगीर और सोनमर्ग के बीच निर्बाध रूप से संपर्क सुनिश्चित होगा और गर्मियों में लद्दाख की यात्रा भी पहले की तुलना में काफी आसान हो जाएगी।

2,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी सुरंग

मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच दो-लेन वाली द्वि-दिशात्मक सड़क सुरंग 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई गई है। आपात स्थिति के लिए समानांतर 7.5 मीटर चौड़ा रास्ता भी है। समुद्र तल से 8,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग भूस्खलन और हिमस्खलन मार्गों को दरकिनार करते हुए लेह के रास्ते श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच सभी मौसम में संपर्क को बढ़ाएगी।