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गंगा एक्सप्रेसवे: प्रयागराज से मेरठ के बीच सफर का समय होगा कम, जानें किन जिलों से होकर गुजरेगा यह मार्ग

यह साल प्रयागराज के लिए बहुत ही खास होने वाला है. एक तरफ प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से होने वाली है. वहीं, दूसरी गंगा एक्सप्रेसवे का काम भी साल के आखिरी तक पूरा होने की संभावना है. 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद प्रदेश के पूर्वी भाग से दिल्ली दूर नहीं रह जाएगी. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण हो जाने से लोगों का पैसा और समय दोनों की ही बचत होगी.

गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर 2021 को शाहजहांपुर में रखी थी. यह एक्सप्रेसवे प्रयागराज से मेरठ को कनेक्ट करेगा. जिसकी दूरी 594 किलोमीटर की होगी. अनुमान जताया जा रहा है कि इसका निर्माण इस साल के आखिर तक हो जाएगा. एक्सप्रेसवे के निर्माण से दिल्ली और प्रयागराज के बीच सफर का समय कम हो जाएगा. इससे रोजाना लाखों लोगों का फायदा पहुंचेगा.

कहां-कहां से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे?

आईये जानते है गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के किन जिलों से होकर गुजरेगा. प्रयागराज से शुरू होने वाला गंगा एक्सप्रेसवे प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, शाहजहांपुर, बदायूं, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हापुड़ से होते हुए मेरठ पहुंचेगा. इस हाईवे के निर्माण में 36,404 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. वहीं, इस पर गाड़ियों की अधिकतम स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा होने वाली है.

प्रयागराज से मेरठ का सफर 6 घंटों में होगा पूरा

प्रयागराज से मेरठ पहुंचने में जहां अभी करीब 8 से 9 घंटो का समय लगता है. वहीं, एक्सप्रेसवे के निर्माण हो जाने के बाद से करीब 3 घंटे की बचत होगी. गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण हो जाने के बाद प्रयागराज से मेरठ का सफर दूरी केवल 6 घंटे में ही पूरी हो जाएगी. दिल्ली से प्रयागराज का सफर करने वाले लोगों को भी इससे काफी फायदा मिलेगा. प्रयागराज से दिल्ली का सफर महज 7 घंटे में पूरा हो जाएगा, जो पहले करीब 9 घंटे में पूरा होता था. गंगा एक्सप्रेसवे शुरू में 6 लेन का होगा, लेकिन बाद में इसे 8 लेन तक विस्तारित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

फडणवीस की तारीफ कर क्या बीजेपी के करीब आ रही उद्धव की पार्टी? संजय राउत ने दिया ये जवाब

सामना में देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र के सीएम की तारीफ का मतलब ये नहीं कि हमारी बीजेपी के प्रति कोई गर्मजोशी है. एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा मुख्यमंत्री की तारीफ को हमारी रणनीति में किसी बदलाव या बीजेपी के करीब आने की कोशिश के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.

राउत ने कहा कि ऐसी अटकलों में कोई सच्चाई नहीं है. यूबीटी हमेशा से ही बड़े दिल वाली पार्टी रही है. हमने हमेशा सच कहा है. साथ ही हमने अपने प्रतिद्वंद्वियों के अच्छे कामों की सराहना भी की है. राउत ने कहा कि हमने शिंदे और उनकी पार्टी की आलोचना भी की है. उन्होंने अपने ढाई साल के कार्यकाल में कुछ नहीं किया. अगर उन्होंने महाराष्ट्र के लिए कुछ भी अच्छा किया होता तो हम उनकी प्रशंसा करते.

नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली को स्टील सिटी बनाने का इरादा

संजय राउत ने कहा कि अगर फडणवीस विकास परियोजनाओं को लागू करके गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित जिले को ‘स्टील सिटी’ बनाने का इरादा रखते हैं और माओवादियों को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं तो शिवसेना इसका तहे दिल से स्वागत करेगी. हमने देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की है क्योंकि सरकार ने अच्छा काम किया है.

राउत ने कहा कि अगर कोई सरकार आपकी विचारधारा से संबंधित नहीं है, लेकिन उसने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं तो वह प्रशंसा के हकदार हैं. महाराष्ट्र हमारा राज्य है और गढ़चिरौली जैसी जगह जो नक्सलवाद से प्रभावित है. वहां देवेंद्र फडणवीस स्टील सिटी बनाना चाहते हैं, जिससे महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ेगी. लोगों को रोजगार मिलेगा तो इसका स्वागत तो करना चाहिए.

11 नक्सलियों ने मुख्यमंत्री के सामने किया आत्मसमर्पण

दरअसल, बुधवार को 11 नक्सलियों ने मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद सामना अखबार में फडणवीस की जमकर तारीफ की गई. सामना में न केवल फडणवीस की मेहनत और जमीनी काम को सराहा गया बल्कि उन्हें ‘गढ़चिरौली का मसीहा’ तक बता दिया गया. साथ ही पूर्व सीएम और मौजूदा डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की खिंचाई भी गई.

WhatsApp से भी हो जाएगी Uber कैब बुक, ये है आसान तरीका

फोन में स्टोरेज या किसी और वजह से ज्यादा ऐप्स रखना मुश्किल होता है. ऐसे में जब कैब बुक करनी पड़ती है तो हर बार ऐप डाउनलोड करने का झंझट रहता है. लेकिन हम आपको एक ऐसी ट्रिक बताएंगे जिससे आपको फोन में कैब सर्विस के लिए ऐप इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आप वॉट्सऐप कर जरिए कैब बुक कर पाएंगे. इसके लिए बस आपको वॉट्सऐप से इस नंबर पर एक मैसेज भेजना होगा. वॉट्सऐप से कैब बुक करने के लिए ये प्रोसेस फॉलो करें.

वॉट्सऐप से ऐसे बुक होगी Uber कैब

वॉट्सऐप के जरिए आप कहीं भी जानें के लिए कैब बुक कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको अपने फोन में 7292000002 नंबर सेव करना होगा.

नंबर सेव करने के बाद अपने फोन में वॉट्सऐप ओपन करें और रिफ्रेश करें. आपको यहां पर नया सेव किया नंबर शो हो जाएगा. इसके बाद चैट सेक्शन ओपन करें और चैट में Hi का मैसेज लिखकर सेंड कर दें.

अब आपको लैंग्वेज सलेक्ट करने के लिए कहा जाएगा. अपनी लैंग्वेज हिंदी या इंग्लिश कोई भी लैंग्वेज सलेक्ट कर सकते हैं. इसके बाद अपनी लोकेशन डालें. पिकअप लोकेशन सलेक्ट करें. बस इसके बाद आपकी कैब बुक हो जाएगी.

आपके वॉट्सऐप पर ड्राइवर की डिटेल्स आजाएंगी. इसमें शेयर पिन और कॉन्टैक्ट नंबर जैसी डिटेल्स शामिल हैं. पिन ड्राइवर को बताकर आप अपनी राइड शुरू कर सकते हैं.

ये तरीका भी आएगा काम

अगर आपके Hi का मैसेज सेंड होने के बाद आपको कोई रिप्लाई नहीं आता है तो टेंशन ना लें. दरअसल अलग-अलग डिवाइस में ये सर्विस-अलग तरीके से काम कर सकती है. आपके पास लॉगिन का ऑप्शन आएगा. आप लॉगिन पर क्लिक करें और मांगी गई सभी डिटेल्स डालें. आपके रजिस्टर्ड नंबर पर ओटीपी आ जाएगा. ओटीपी डालें और पासवर्ड डालें. इसके बाद आप अपनी कैब नए सिरे से बुक कर सकेंगे.

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: BJP अध्यक्ष सतपाल शर्मा का सरकारी बंगला सील!

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख सतपाल शर्मा का बंगला सील कर दिया गया, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने सरकारी बंगले खाली कर दिए हैं.पिछले साल 12 नवंबर और 7 दिसंबर को जारी आदेशों में, उच्च न्यायालय ने घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.

पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों से सरकारी बंगले खाली करवाने में अत्यधिक देरी को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद, संपदा विभाग ने उच्च न्यायालय को बताया कि गुप्ता और शर्मा ने सरकारी बंगले खाली कर दिए हैं. यह बयान उच्च न्यायालय द्वारा 12 दिसंबर के आदेश के अनुपालन रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया था.

रिपोर्ट में बताया गया है कि सतपाल शर्मा को पिछले साल 21 नवंबर को बेदखली का आदेश जारी किया गया था और उन्हें 30 दिसंबर, 2024 तक 73,470 रुपए का दंडात्मक किराया जमा करने का नोटिस जारी किया गया था.

सतपाल शर्मा का सरकारी बंगला हुआ सील

रिपोर्ट में कहा गया है कि सतपाल शर्मा के कब्जे वाले परिसर को 30 दिसंबर, 2024 को सील कर दिया गया था. पिछले साल 12 नवंबर और 7 दिसंबर को जारी आदेशों में, उच्च न्यायालय ने घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. उच्च न्यायालय ने संपदा विभाग के आयुक्त सचिव को कविंदर गुप्ता, सतपाल शर्मा और पूर्व विधायकों सुरिंदर अंबरदार और जफर इकबाल मन्हास पर एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.

खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि यदि दी गई तारीख पर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती है तो संपदा विभाग के आयुक्त सचिव उपस्थित रहेंगे. उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी छूट या बहाने पर विचार नहीं किया जाएगा. अनुपालन रिपोर्ट में, यह खुलासा किया गया था कि पूर्व पार्षदों जफर इकबाल मन्हास और सुरिंदर अंबरदार के खिलाफ जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जेदारों की बेदखली) अधिनियम, 1988 के तहत बेदखली की प्रक्रिया शुरू की गई है और पिछले साल 28 दिसंबर को नोटिस जारी किए गए थे.

हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश

इसमें यह भी कहा गया है कि पूर्व विधायक मोहम्मद अब्बास वानी ने आवास खाली कर दिया है और उन्हें 12 दिसंबर, 2024 को 19,586 रुपए के दंडात्मक किराए का नोटिस जारी किया गया था.

स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व विधायक अब्दुल रहीम राथर ने सरकारी आवास खाली कर दिया है और उन्हें 20 दिसंबर, 2024 तक 28,211 रुपए के दंडात्मक किराए का नोटिस जारी किया गया था.

पूर्व भाजपा एमएलसी विबोध गुप्ता ने आवास खाली कर दिया है और उन्हें 20 दिसंबर, 2024 तक 13,993 रुपये का दंडात्मक किराया देने का नोटिस जारी किया गया है. हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री को जनहित याचिका को 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से शेख शकील अहमद, राहुल रैना, सुप्रिया चौहान और एम जुल्करनैन चौधरी वकील थे. संपदा विभाग की ओर से वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता एसएस नंदा पेश हुए.

AAP के दिग्गजों को कितनी टक्कर दे पाएंगे कांग्रेस के ये 10 नेता?

दिल्ली चुनाव में ओल्ड ग्रैंड कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की मजबूत घेराबंदी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने आप के दिग्गज नेताओं के सामने अपने सारे बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है. नई दिल्ली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने जहां संदीप दीक्षित ताल ठोकेंगे, वहीं कालकाजी में आतिशी के सामने अलका लांबा को उतारा गया है

12 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर कांग्रेस के लिए यह करो या मरो का चुनाव है. यही वजह है कि पार्टी ने आप के सभी दिग्गज नेताओं के सामने अपने बड़े चेहरे को मैदान में उतार दिया है. 2013 में आप ने इसी तरह के फॉर्मूले से कांग्रेस के दिग्गजों को पटखनी दी थी. ऐसे में सियासी गलियारों में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या 2013 का बदला कांग्रेस के ये बड़े नेता ले पाएंगे?

मैदान में 10 बड़े चेहरे, कौन कितने मजबूत?

1. बादली विधानसभा सीट से कांग्रेस ने अंतरिम अध्यक्ष देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है. देवेंद्र यहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन पिछले 2 चुनाव से वे इस सीट नहीं जीत पा रहे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में बादली सीट से देवेंद्र को 19 प्रतिशत वोट मिले थे. आप के उम्मीदवार अजेश यादव को 49 प्रतिशत वोट मिले थे. अजेश इस बार भी आप के सिंबल पर मैदान में हैं. लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी को बढ़त मिली थी. 2020 के चुनाव में बीजेपी बादली सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी. उसे यहां करीब 28 प्रतिशत वोट मिले थे.

2. पटपड़गंज विधानसभा सीट से चौधरी अनिल कुमार को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया है. अनिल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. पटपड़गंज सीट से पूर्व विधायक अनिल 2015 में आखिरी बार यहां से मैदान में उतरे थे. उस चुनाव में अनिल की जमानत जब्त हो गई थी. 2020 में कांग्रेस के सिंबल पर यहां से लक्ष्मण रावत उतरे थे, उन्हें 2 प्रतिशत से भी कम वोट मिले. बीजेपी के उम्मीदवार यहां पर 3000 वोट से पिछड़ गए थे. लोकसभा चुनाव में पटपड़गंज सीट पर बीजेपी को बढ़त मिली थी. आप की तरफ से पटपड़गंज सीट पर अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है.

3. द्वारका विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की तरफ से विनय मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने यहां से लाल बहादुर शास्त्री परिवार से जुड़े आदर्श शास्त्री को उम्मीदवार घोषित किया है. आदर्श पहले भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. 2020 में आदर्श को यहां पर 6757 वोट मिले थे, जबकि चुनाव जीतने वाले आप के विनय मिश्रा को 71003 वोट. बीजेपी इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी. हालिया लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी उम्मीदवार को बढ़त मिली थी.

4. नई दिल्ली विधानसभा सीट से अरविंद केजरीवाल के मुकाबले कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को उतारा है. पूर्व सांसद संदीप शीला दीक्षित के बेटे हैं. नई दिल्ली की सीट एक वक्त में दीक्षित परिवार का गढ़ माना जाता था. हालांकि, 2015 और 2020 के चुनाव में कांग्रेस यहां लड़ाई में भी नहीं रह पाई. 2015 और 2020 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी. संदीप दीक्षित भी पिछले 10 साल से कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं.

5. आम आदमी पार्टी के कद्दावर महिला नेता बंदना कुमारी के सामने कांग्रेस ने प्रवीण जैन को उतारा है. दोनों शीलामार गार्डन सीट से चुनावी मैदान में हैं. 1993 में गठित शालीमार गार्डन सीट पर कांग्रेस कभी भी चुनाव नहीं जीत पाई है. 2013 से यहां आप की बंदना जीत रही हैं. 2015 और 2020 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

6. बल्लीमारन सीट पर आप ने दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुस्सैन को टिकट दिया है. यहां से कांग्रेस सिंबल पर हारून युसूफ मैदान में उतरे हैं. युसूफ भी शाल दीक्षित की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2020 के चुनाव में युसूफ इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें सिर्फ 4 प्रतिशत वोट मिले थे. आप के इमरान को 64 प्रतिशत वोट मिले थे. बल्लीमारन की इस सीट पर हालिया लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बढ़त मिली थी.

7. कालकाजी सीट पर 2008 में आखिरी बार कांग्रेस को जीत मिली थी. वर्तमान में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी यहां से विधायक हैं. कांग्रेस ने अलका लांबा को यहां से मैदान में उतारने का फैसला किया है. लांबा महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं. यह सीट कांग्रेस के लिए सेफ नहीं है. 2020 और 2015 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी. दोनों ही चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे.

8. सीलमपुर विधानसभा सीट से चौधरी मतीन अहमद के बेटे चौधरी जुबैर को आप ने उम्मीदवार बनाया है. जुबैर को टिकट देने की वजह से आप ने वर्तमान सीटिंग विधायक अब्दुल रहमान का टिकट काट दिया. रहमान इसके बाद कांग्रेस में आ गए. रहमान को कांग्रेस ने सीलमपुर से उम्मीदवार बनाया है. सीलमपुर सीट एक वक्त में मतीन अहमद का गढ़ माना जाता था. मतीन यहां से निर्दलीय और जनता दल के सिंबल पर भी चुनाव जीत चुके हैं. अब देखना होगा कि इस बार अब्दुल रहमान मतीन के बेटे को मात दे पाते हैं या नहीं?

9. चांदनी चौक सीट पर कांग्रेस ने आप के प्रहलाद सिंह के मुकाबले मुदित अग्रवाल को मैदान में उतारा है. मुदित कद्दावर नेता जय प्रकाश अग्रवाल के बेटे हैं. 2020 में इस सीट से अलका लांबा कांग्रेस की तरफ से चुनावी रण में उतरी थीं, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. चांदनी चौक जय प्रकाश अग्रवाल का गढ़ माना जाता है. अग्रवाल को लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बढ़त मिली थी. ऐसे में आप की यहां टेंशन बढ़ सकती है.

10. वजीरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की तरफ से रागिनी नायक को उतारा है. वजीरपुर की सीट पर आप की तरफ से राजेश गुप्ता मैदान में हैं. गुप्ता 2015 और 2020 में यहां से जीत चुके हैं. रागिनी नायक कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस का जनाधार काफी ही कमजोर है. 2020 और 2015 में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

अमीषा पटेल का बड़ा झटका! 2 लाख का चेक हुआ बाउंस, खाते में पैसे नहीं!

बॉलीवुड अभिनेत्री अमीषा अमीषा पटेल के बैंक खाते में दो लाख रुपये भी नहीं है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद की इवेंट कंपनी को दो लाख रुपये का चेक दिया था, लेकिन यह चेक बाउंस हो गया है. अमीषा पटेल ने इवेंट कंपनी के साथ हुए समझौते के तहत पिछले दिनों अपने वकील के जरिए यह चेक दिया था. अब कंपनी के डायरेक्टर ने बैंक में चेक लगाया तो पता चला कि अमीषा पटेल के खाते में इतनी रकम ही नहीं है. इवेंट कंपनी ने इस मामले में एक बार फिर से अमीषा पटेल के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला किया है.

कंपनी के डायरेक्टर के मुताबिक यहां साल 2017 में एक शादी समारोह था. इस समारोह में डांस करने के लिए अभिनेत्री अमीषा पटेल को हॉयर किया गया था. इसके लिए कंपनी ने अमीषा पटेल की सभी शर्तों को पूरा भी कर दिया, बावजूद इसके वह कार्यक्रम में नहीं पहुंची. इसके बाद कंपनी ने अमीषा पटेल के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा कर दिया. वहीं कोर्ट ने अमीषा पटेल को कई वारंट भी जारी किए और आखिर में गिरफ्तारी की तलवार लटकी तो उन्होंने एंटीसेपेट्री बेल ले लिया.

8 लाख रुपये में हुआ था समझौता

हालांकि कुछ दिन पहले अमीषा पटेल ने इस मामले में समझौता कर लिया और बतौर हर्जाना कंपनी को पूरी रकम चुकाने का वादा किया. इसी क्रम में अभिनेत्री के अधिवक्ता ने कंपनी को दो लाख रुपये का चेक दिया था. कंपनी के डायरेक्टर पवन वर्मा के मुताबिक एक हफ्ते पहले अभिनेत्री अमीषा पटेल के वकील ने समझौते की कोशिश की. चूंकि उन्हें भी अमीषा पटेल से कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं थी, इसलिए उन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. इस समझौते के तहत तय हुआ कि कंपनी को 8 लाख का चेक तत्काल मिलेगा और बाकी रकम फुल एवं फाइनल के समय दी जाएगी.

यह है मामला

इसके बाद अमीषा पटेल के वकील ने दो-दो लाख के चार चेक कंपनी को दे दिए. कंपनी के डायरेक्टर के मुताबिक उन्होंने यह चेक बैंक में लगाया तो यह बाउंस हो गया. पता चला कि अमीषा पटेल के खाते में इतने पैसे ही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि अब इस मामले में वह नए सिरे से कोर्ट जा रहे हैं. कंपनी के डायरेक्टर के मुताबिक कार्यक्रम में अमीषा पटेल को बुलाने के लिए 11 लाख रुपये दिए गए थे. रुपये मिलने के बाद अमीषा पटेल दिल्ली तक पहुंच भी गईं, लेकिन दिल्ली से मुरादाबाद आने के लिए दो लाख रुपये अतिरिक्त मांगने लगी. कंपनी ने इसके लिए हामी भी भर ली. बावजूद इसके, अमीषा पटेल मुंबई वापस लौट गईं. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजन में उन्होंने 14 से 14.5 लाख रुपए खर्च किए गए थे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने कालकाजी सीट से अलका लांबा को बनाया उम्मीदवार, मुख्यमंत्री आतिशी से होगा मुकाबला!

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कालकाजी सीट से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने अलका लांबा को टिकट दिया है.कालकाजी सीट पर उनका सामना मुख्यमंत्री आतिशी से होगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस ने कहा, केंद्रीय चुनाव समिति ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में 51-कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अलका लांबा के नाम पर मोहर लगाई है.

2020 के चुनाव में तीसरे नंबर रही थीं अलका लांबा

पिछले विधानसभा चुनाव में अलका लांबा कांग्रेस के टिकट पर चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ी थीं. हालांकि, यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. आम आदमी पार्टी उम्मीदवार प्रह्लाद सिंह साहनी ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में अलका लांबा तीसरे स्थान पर रही थीं. वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में अलका ने जीत दर्ज की थी. ये चुनाव उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर लड़ा था. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवारसुमन गुप्ता को 18 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी.

बीजेपी और AAP पर अलका के हमले

अलका लांबा की गितनी तेजतर्रार नेताओं में होती है. कांग्रेस ने उन्हें महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे रखी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अलका बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर हमलावर हैं. बीते दिन उन्होंने एक पोस्ट में दोनों पार्टियों पर हमला बोला था.

दिल्ली की जनता कांग्रेस के साथ मिलकर बदलाव लाएगी

अलका ने कहा, आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने मिलकर दिल्ली को बर्बाद कर दिया है. शासन और प्रशासन को मिलकर काम करना चाहिए था लेकिन पिछले 10 साल में दोनों आपस में ही भिड़ते रहे. बीजेपी और आम आदमी पार्टी की इस टकराहट का खामियाजा दिल्ली की जनता को उठाना पड़ा. चाहे बेरोजगारी हो, महंगाई हो, अपराध हो या भ्रष्टाचार, हर समस्या का असर दिल्लीवासियों पर पड़ा. उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी से परेशान दिल्ली की जनता कांग्रेस के साथ मिलकर बदलाव लाएगी.

इंदौर वाले सावधान! भिक्षा देने पर एक साल की जेल और ₹5,000 का जुर्माना! सावधानी से चलें!

इंदौर प्रशासन ने शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. इस नए कदम के तहत अब भिखारियों को भिक्षा देने और उनसे कोई सामान खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया गया है. शुक्रवार को अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

जिलाधिकारी आशीष सिंह ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत यह आदेश जारी किया है. इस आदेश में कहा गया है कि, “किसी भी प्रकार की भिक्षावृत्ति को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है. भिखारियों को भिक्षा देना या उनसे कोई सामान खरीदना अपराध होगा.” इस आदेश के तहत यदि कोई व्यक्ति भिखारियों को भिक्षा देता या उनसे सामान खरीदता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.

इस आदेश के उल्लंघन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी. यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे एक साल तक की सजा या ₹5,000 तक का जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं. यह कदम शहर में भिक्षावृत्ति को खत्म करने के लिए उठाया गया है. प्रशासन ने इसे गंभीरता से लागू करने का निर्णय लिया है.

भिक्षावृत्ति की जानकारी देने पर मिलेगा इनाम

अधिकारियों ने यह भी बताया कि जो व्यक्ति भिक्षावृत्ति के बारे में सही जानकारी देगा, उसे प्रोत्साहन राशि के रूप में ₹1,000 का इनाम दिया जाएगा. इस योजना का उद्देश्य नागरिकों को भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूक करना और प्रशासन की मदद करना है.

भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के प्रयास

महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि पिछले चार महीनों में करीब 400 लोगों को पुनर्वास के लिए आश्रय स्थल भेजा गया है, जबकि 64 बच्चों को बाल देख-रेख संस्थान में भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रशासन ने भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूकता अभियान भी चलाया है.

अब भिक्षा लेने और देने वाले दोनों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिक्षुकमुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है.

टूट जाएगा आगरा का शाही हमाम? 400 साल पहले अलीवर्दी खान ने बनवाया था

आगरा के छिपीटोला स्थित शाही हमाम अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है. शाही हमाम की जमीन पर रिहायसी कॉलोनी बसाने के लिए एक तरफ बिल्डर ने तोड़फोड़ की है, वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट ने इस तोड़फोड़ पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. बड़ी बात यह कि 153 साल पहले तक संरक्षित स्मारक रहे इस शाही हमाम से एएसआई ने मुंह मोड़ लिया है. ऐसे में अब इसका अस्तित्व बचाने के लिए शहर के लोग मैदान में कूद पड़े हैं.आगरा के इतिहासकारों के मुताबिक यह शाही हमाम का निर्माण 16वीं शदी में मुगल दरबार के प्रमुख दरबारी अलीवर्दी खान ने कराया था.

तुर्किए शैली में बने इस इमारत और स्नानागार के निर्माण में लाखौरी ईंटों और लाल बलुई पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. आगरा फोर्ट के बेहद करीब स्थित इस शाही हमाम का इस्तेमाल उस समय बादशाह से मिलने के लिए दूसरे देशों या राज्यों से आने वाले राजा-महाराजा करते थे. बादशाह से मिलने से पहले उन्हें इस हमाम में स्नान करना होता था. मुगल सल्तनत खत्म होने के बाद यह शाही हमाम सब्जी और फल मंडी में तब्दील हो गई थी.

153 साल पहले तक संरक्षित स्मारक था हमाम

हमाम के अहाते में बने कमरों का इस्तेमाल फल विक्रेता गोदाम के रूप में करने लगे. वहीं कुछ कमरों में लोगों ने आवास भी बना लिया. हालांकि इसके लिए सरकार उनसे किराया वसूल करती रही है. इस हमाम के बाहर भी घनी बस्ती है और सघन बाजार है. आगरा के इतिहासकारों के मुताबिक 153 साल पहले तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इसे स्मारक घोषित किया गया था. हालांकि अब एएसआई के अधिकारी इसे संरक्षित स्मारक नहीं मानते.

हाईकोर्ट ने लगाई है तोड़फोड़ पर रोक

इसके चलते देखरेख के अभाव में यह स्मारक जर्जर होने लगा है. इसी क्रम में एक हफ्ते पहले एक बिल्डर ने इसे तोड़ने की भी कोशिश की थी. इसमें बने कई कमरों पर बुलडोजर भी चला दिया गया था. हालांकि उसी समय स्थानीय लोग हाईकोर्ट पहुंचे गए और हाईकोर्ट ने तोड़फोड़ पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. यह मुकदमा न्यायमूर्ति सलील राय और माननीय न्यायमूर्ति समीत गोपाल की कोर्ट में दाखिल हुआ था. उस समय आगरा के लोगों ने अलविदा शाही हमाम के नाम से एक हेरिटेज वॉक भी निकाली थी.

1992 तक जाता था किराया

इस हमाम में बने कमरों में रहने वाले लोगों के मुताबिक उनके पास किराएनामा उपलब्ध है. इस किराएनामे के मुताबिक 1992 तक वह 100 रुपए किराया सरकार को देते थे. इससे पहले 1947 के आसपास का एक दस्तावेज भी दिखाया. इसपर राय बहादुर सेठ ताराचंद रईस व जमींदार गवर्नमेंट ट्रेजरर का नाम लिखा है. इसी के साथ किराएदार के रूप में प्यारे बल जयराम का नाम लिखा है. स्थानीय लोगों ने 1925 में बना एक किरायानामा भी दिखाया, जिसपर एक कमरे का किराया 6 रुपए सालाना बताया गया है.

राहुल गांधी का बीजेपी पर हमला: सरकारी भर्ती में अनियमितताओं को लेकर युवाओं के साथ अन्याय!

सरकारी भर्ती में अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है. राहुल ने कहा कि पहले तो भर्ती नहीं निकलती और भर्ती निकल भी जाए तो परीक्षा समय पर नहीं होती. परीक्षा हो तो पेपर लीक करवा दिए जाते हैं और जब युवा न्याय मांगते हैं तब उनकी आवाज को बेरहमी से कुचल दिया जाता है. बीजेपी युवाओं का बिल्कुल एकलव्य जैसा अंगूठा काट रही. बीजेपी युवाओं का भविष्य मिटा रही. सरकारी भर्ती में विफलता बड़ा अन्याय है.

राहुल ने कहा कि हाल ही में यूपी और बिहार की घटनाओं के बाद अब मध्यप्रदेश में MPPSC में हुई गड़बड़ी का विरोध कर रहे दो छात्रों को जेल में डाल दिया गया है. वो भी तब जब मुख्यमंत्री ने खुद छात्रों से मुलाकात कर उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था. बीजेपी की सरकार ने छात्रों के भरोसे को तोड़ा है और लोकतांत्रिक प्रणाली का गला घोंटा है. छात्रों के अधिकार की लड़ाई में हम उनके साथ हैं. भाजपा को देश के युवाओं के हक़ की आवाज किसी कीमत पर दबाने नहीं देंगे.

दरअसल, राहुल गांधी ने बीपीएससी, एमपीपीएससी परीक्षा में हुई अनियमितताओं और अपनी मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे छात्रों के समर्थन में ये बात कही है. दरअसल, मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि अराजकता और अन्याय मोहन सरकार की कार्यशैली के मुख्य अंग हैं. बाबा साहब के संविधान और लोकतंत्र से इन्हें सख्त नफरत है.

परीक्षा में अनियमितताओं और अपनी मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे छात्रों को जेल भेजना मोहन सरकार के अन्याय की पराकाष्ठा है. मोहन सरकार इन पर लादे गए झूठे प्रकरण तुरंत वापस लें. इस ट्वीट के रिप्लाई में राहुल गांधी ने अपनी बात रखी.

पटना में BPSC छात्रों का विरोध प्रदर्शन

बिहार की राजधानी पटना में बीपीएससी अभ्यर्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि परीक्षा दोबारा हो. एक साथ एग्जाम हो तो एक साथ ही रिजल्ट भी निकाला जाए जबकि आयोग ने सिर्फ पटना के एक सेंटर पर परीक्षा रद्द की है. अब 4 जनवरी को दोबारा एग्जाम होगा. इसी को लेकर बीपीएससी के छात्र पटना में रेलवे ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन में जन सपराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत किशोर और पुर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी उनका साथ दे रहे हैं.