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दिल्ली-NCR में दिन में छाया घना अंधेरा, ठंड के बीच बारिश जारी; कई इलाकों में भरा पानी

दिल्ली-NCR में बारिश के बीच मौसम काफी खराब हो गया है. दिन के समय ही दिल्ली-NCR में घना अंधेरा छा गया है. आसमान में काले बादल छाए हुए हैं. यही नहीं बादल गरज-चकम भी रहे हैं. ऐसे में ठंड के बीच भारी बारिश की उम्मीद जताई जा रही है. यही नहीं दिल्ली के कई इलाकों में भारी बारिश के चलते जलभराव भी हो गया है. बुराड़ी के एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि करीब घुटने तक पानी भरा हुआ है.

दिल्ली-NCR में शुक्रवार को हुई बारिश के बीच ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है. बारिश के कारण कई इलाकों पर पानी भर गया है. यही नहीं जगह-जगह जाम की समस्या से भी सामना करना पड़ा है. IMD ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में देर रात करीब ढाई बजे बारिश शुरू हुई.

सफदरजंग में 9.1 मिलीमीटर बारिश

दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग स्थित वेधशाला में 9.1 मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की गई. पालम वेधशाला ने 8.4 मिमी, लोधी रोड ने 10.8 मिमी, रिज ने नौ मिमी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने 11 मिमी और पूसा ने 9.5 मिमी बारिश दर्ज की गई.

मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और पूर्वी हवाओं के साथ इसके संपर्क के कारण दिल्ली-NCR सहित उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में हल्की से मध्यम बारिश एवं बादलों की गरज के साथ हल्की बारिश जारी है.

IMD ने जारी किया है आरेंज अलर्ट

मौसम विभाग ने शुक्रवार दिन के समय हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान जताया था और आरेंज अलर्ट जारी किया था. दिल्ली में आज न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.8 डिग्री अधिक था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता 372 के साथ बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई.

जम्मू-कश्मीर में सेना का बड़ा ऑपरेशन: बारामुला के हीवान इलाके में घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन जारी

जम्मू-कश्मीर में नए साल से पहले संदिग्ध गतिविधियों के चलते सेना ने बारामुला जिले के हीवान इलाके में बड़े पैमाने पर घेराबंदी की है. इसके साथ ही सेना यहां लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है. सेना को इनपुट मिला है कि इस इलाके में कुछ आतंकवादी छिपे हो सकते हैं.जिसके बाद ये ऑपरेशन शुरू किया गया है.

सेना को खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली है कि हीवान इलाके में कुछ आतंकवादी हो सकते हैं, इसी के चलते सेना यहां घेराबंदी शुरू कर दी है. इसके साथ ही आतंकियों की तलाश की जा रही है.

सेना की तरफ से पूरे इलाके में ड्रोन से नजर रखी जा रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस, 53 सीआरपीएफ और भारतीय सेना के राष्ट्रीय राइफल 46 ने एक विशेष अभियान के तहत सभी एंट्री और एग्जिट प्वाइंटों को पूरी तरह से सील कर दिया है.

दो दिन पहले भी चलाया था सर्च ऑपरेशन

नए साल पर आतंकियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में कोई साजिश रची जा सकती है. जिसको लेकर सुरक्षाबलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. जम्मू-कश्मीर में संदिग्ध गतिविधियों पर सुरक्षाबल अपनी नजरें बनाए हुए हैं. इसके पहले सेना की तरफ से दो पहले भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि इलाके की सुरक्षा को देखते हुए यहां ऑपरेशन चलाया जा रहा है. आने वाले समय में कोई भी घटना न हो इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है.

सेना नहीं होने देना चाहती कोई चूक

सेना आने वाले न्यू ईयर या फिर अन्य दिनों में कोई भी घटना देखने को न मिले, इसको लेकर इंडियन आर्मी पूरी तरह से एक्टिव हो चुकी है. हर एक छोटी मूवमेंट पर नजर रख रही है. किसी पर शक होने पर उसकी बारीकी से जांच की जा रही है.

मनमोहन सिंह की अनोखी पसंद: मछली से लेकर इकबाल की शायरी तक, जानें पूर्व प्रधानमंत्री की जिंदगी के दिलचस्प पहलू

33 साल तक राजनीतिक जीवन में रहे मनमोहन सिंह को दिल्ली के बंगाली मार्केट का चाट काफी पसंद था. इसे खाने हर दो महीने पर अपने परिवार के साथ वे जाया करते थे. कम बोलने वाले सिंह कम खाना पसंद करते थे. 2 दशक तक सिंह को करीब से देखने वाले उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू के मुताबिक वे लंच में सिर्फ दो चपाती खाते थे.

सिंह की राजनीति में एंट्री एक्सिडेंटल तरीके से हुई थी. राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस में उथल-पुथल मचा था. दक्षिण से आने वाले नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री तो बन गए थे, लेकिन उन्हें एक वित्त मंत्री की खोज थी. मनमोहन के रूप में उनकी यह खोज पूरी हुई. मनमोहन इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

वित्त मंत्री पद से हटने के बाद वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठे. 2004 और 2009 में भारत के प्रधानमंत्री बने.

खाने में मछली और चावल कढ़ी था पसंदीदा

मनमोहन सिंह कम खाते थे और शाकाहारी खाना ज्यादा पसंद करते थे. लंबे वक्त तक मनमोहन के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू अपनी किताब एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर में लिखते हैं- 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मनमोहन ने कुछ पत्रकारों को पीएम आवास पर खाने के लिए बुलाया.

पत्रकार जब आए तो मनमोहन ने हल्का ही खाया, जिस पर सब देखते रहे. मनमोहन ने उसके बाद खुद कहा कि मैं कम ही खाना पसंद करता हूं. खाने के बाद मनमोहन चाय का कॉफी लेना पसंद करते थे.

बारू के मुताबिक मनमोहन खाने में चपाती और पराठा ही अक्सर लिया करते थे. मछली खाना उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था, लेकिन कभी-कभी. मनमोहन डायबटीज की वजह से मीठा नहीं खाते थे. उनकी पत्नी गुरशरण कौर भी यह सुनिश्चित करती थीं कि सिंह मीठा न खा पाएं.

मनमोहन को चावल-कढ़ी और आचार खाना भी पसंद था. मनमोहन की बेटी दमन सिंह अपनी पुस्तक में इस बात का जिक्र करती हैं. दमन के मुताबिक सिंह पंजाबी स्टाइल में बनी चावल-कढ़ी और आचार खाना काफी पसंद करते थे.

सिंह अपने परिवार के साथ दो महीने में एक बार फैमिली डीनर पर भी जाते थे. इस दौरान सिंह बंगाली मार्केट का चाट खाना नहीं भूलते थे.

फ्रांस के विक्टर ह्यूगो पसंदीदा लेखक थे

अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाले मनमोहन सिंह के पसंदीदा लेखक फ्रांस के राजनेता और लेखक विक्टर ह्यूगो थे. मनमोहन अक्सर ह्यूगो के नाम और उनके कथन का जिक्र करते थे. 1991 में बजट पेश के बाद ह्यूगो के एक क्वोट के जरिए मनमोहन ने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया था.

मनमोहन ने कहा था- पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है. मनमोहन इस बात को कई बार दोहराते रहे. 2006 में पत्रकार चार्ली रोज को दिए एक इंटरव्यू में मनमोहन ने कहा था कि ह्यूगो की बातें भारत के लिए सटीक है.

भारत को अब पूरी दुनिया में उभरने से कोई नहीं रोक सकता है. भारत की ताकत का अंदाजा अब दुनिया को है.

वित्त नहीं शिक्षा था पसंदीदा विभाग

मनमोहन सिंह को ख्याति वित्त मंत्री के रूप में मिली थी. उनके आर्थिक उदारीकरण की नीति की आज भी चर्चा होती है. मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज को खत्म किया था, जिससे निवेश के मौके बढ़े, लेकिन वित्त से ज्यादा मनमोहन को शिक्षा विभाग में काम करना पसंद था.

रेडिफ को दिए एक इंटरव्यू में सिंह ने कहा था कि मुझसे अगर पूछा जाए कि आपको कौन सा विभाग चाहिए, तो मैं शिक्षा जवाब दूंगा. मैं चाहता हूं कि नए लोगों के लिए काम करूं. 1996 में दिए इस इंटरव्यू में मनमोहन ने पीएम बनने की इच्छा जताई थी.

2010 में मनमोहन सिंह ने देश के युवाओं को अपना आइडियल बताया था. सिंह का कहना था कि युवा की देश की तकदीर बदलेंगे और उनके लिए काम करने की जरूरत है.

मनमोहन ने आखिरी वक्त तक मारुति सुजुकी की 1996 मॉडल कार अपने पास रखी. इस कार को उनका फेवरेट कार कहा जाता था.

शायर अल्लामा इकबाल को करते थे पसंद

अल्लामा इकबाल मनमोहन सिंह के पसंदीदा शायर थे. संसद में उनके 2 मशहूर शेर के जरिए मनमोहन ने विपक्ष को मौन कर दिया था. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में इकबाल के शेर के जरिए मनमोहन ने कहा था- कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा.

वहीं लोकसभा में जब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने मनमोहन से शायरी के जरिए पूछा था कि बता कारवां क्यों लूटा? तो सरदार मनमोहन ने इसके जवाब में इकबाल के शेर पढ़े.

मनमोहन ने इकबाल के शेर के जरिए कहा- माना की तेरे दीद के काबिल नहीं मैं, तू मेरा शौक तो देख, मेरा इंतजार तो देख.

नीले रंग को तरजीह देते थे मनमोहन

मनमोहन सिंह का फेवरेट कलर नीला था. सिंह अक्सर नीली पगड़ी पहने नजर आते थे. 2013 में कैम्ब्रिज में उन्होंने इसको लेकर खुलासा भी किया था. सिंह ने कहा था कि शुरुआत से ही नीला कलर मेरा फेवरेट है. इस कलर की पगड़ी पहनने की वजह से मेरे दोस्त मुझे नीली पगड़ी वाले बुलाते थे.

सिंह ने कहा था कि नीली कलर की पगड़ी पहनने से मुझे कैम्ब्रिज की भी याद आती रहती है. कैम्ब्रिज का भी थीम कलर ब्लू यानी नीला है.

उत्तर भारत का पहला रेलवे स्टेशन: जानें कानपुर के पुराने रेलवे स्टेशन की रोचक कहानी और कुंभ नगरी प्रयागराज से इसका खास नाता

कुंभ नगरी प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारी जोरशोर से चल रही है. ऐसे में कानपुर को याद करना भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि कानपुर का कुंभ नगरी से खास नाता है. उत्तर भारत का पहला रेलवे स्टेशन कानपुर में बनाया गया था. अंग्रेजों ने पुराने कानपुर रेलवे स्टेशन का 165 साल पहले निर्माण करवाया था. यह उत्तर भारत का पहला और देश का चौथा सबसे पुराना रेलवे स्टेशन था.

आज कानपुर का सेंट्रल रेलवे स्टेशन देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन में से एक है. इस स्टेशन से देश के हर कोने के लिए ट्रेन जाती है, जिसके लाखों यात्री सफर करते है. कानपुर रेलवे स्टेशन का इतिहास भी काफी रोचक है. जहां आज सेंट्रल स्टेशन है वहां पर हमेशा से स्टेशन नहीं था. अंग्रेजों ने 1859 में पुराने कानपुर रेलवे स्टेशन की शुरुआत की थी. उस समय सबसे पहली ट्रेन इलाहाबाद, जिसको आज प्रयागराज कहा जाता है वहां से चल कर कानपुर रेलवे स्टेशन पहुंची थी.

क्यों अंग्रेजों ने कानपुर में करवाया था रेलवे स्टेशन का निर्माण

जानकारी के मुताबिक, वो ऐतिहासिक दिन 3 मार्च, 1859 था, जब उत्तर भारत के पहले रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पहुंची थी. इतिहासकार बताते है कि इस समय पहली ट्रेन मालगाड़ी थी जिसकी रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटा थी. उस समय ट्रेन को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी. दरअसल उस समय कानपुर अंग्रेजों की छावनी के रूप में विकसित हो रहा था और साथ ही इसको औद्योगिक शहर का दर्जा मिलता जा रहा था. इसको देखते हुए अंग्रेजों ने फैसला किया कि यहां पर रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया जाए.

प्रयागराज से कानपुर तक रेल पटरी बिछाने का काम शुरू किया गया और 3 मार्च, 1859 को पहली ट्रेन कानपुर पहुंच गई, वैसे देश में ट्रेन की शुरुआत 16 अप्रैल, 1853 में हुई थी और पहला रेलवे स्टेशन मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनसथा जिसको उस समय विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था. देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में रेलवे स्टेशन बनाने के बाद अंग्रेजों ने ज्यादा देर नहीं की और मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट बनते जा रहे कानपुर में मात्र 6 साल बाद ही रेलवे स्टेशन बनकर ट्रेन की शुरुआत कर दी.

पुराने कानपुर रेलवे स्टेशन को कर दिया गया बंद

कानपुर में रेलवे स्टेशन बनने के बाद 1860 में इस स्टेशन से मुंबई के लिए पहली ट्रेन चली थी. साल 1875 में लखनऊ के लिए और 1886 में झांसी के लिए पहली ट्रेन यहां से चली. साल 1932 में सेंट्रल स्टेशन बनने के बाद पुराने कानपुर रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया. आज कानपुर रेलवे स्टेशन में 10 प्लेटफॉर्म है और सैकड़ों ट्रेन रोज यहां से गुजरती है. सबसे खास बात यह है कि सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन को सेंट्रल का दर्जा प्राप्त होता है और देश पांच रेलवे स्टेशन को यह दर्जा प्राप्त है जिसमें से एक कानपुर है.

गुरुग्राम: सुसाइड के बाद RJ सिमरन का पहला इंटरव्यू वायरल, किस सीक्रेट का किया था जिक्र

गुरुग्राम (Gurugram) में रेडियो जॉकी सिमरन सुसाइड केस (RJ Simran Suicide Case) से पूरा देश सन्न है. हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा भी क्या हुआ कि सिमरन ने अपनी जान ही दे दी. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. सिमरन की पहली नौकरी रेडियो मिर्ची में साल 2021 में लगी थी. उन्होंने जिंदगी का पहला शो होस्ट करते ही एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में सिमरन ने क्या-क्या बताया था चलिए जानते हैं…

RJ सिमरन का पहला इंटरव्यू सामने आया है, जो उन्होंने रेडियो मिर्ची पर पहली बार शो होस्ट करने के बाद दिया था. इस इंटरव्यू में सिमरन काफी खुश दिखीं. उन्होंने बताया कि कैसे वो रेडियो जॉकी बनीं. पहले शो से पहले उन्हें क्या-क्या सीखना पड़ा. साथ ही आगे की प्लानिंग भी उन्होंने इस इंटरव्यू में बताई थी. यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है.

अपने पहले इंटरव्यू में सिमरन ने कहा- जम्मू के सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पास आउट होते ही एक हफ्ते बाद मेरी रेडियो मिर्ची में नौकरी लगी. मैं शुरुआत से ही रेडियो जॉकी बनना चाहती थी. फैमिली का फुल सपोर्ट मिला. जैसे ही मुझे रेडियो मिर्ची का ऑफर लेटर मिला पापा-मम्मी को बहुत गर्व महसूस हुआ. पहले मुझे लगता था कि रेडियो जॉकी बनना कौन सा मुश्किल काम है. लेकिन जब मैंने ज्वाइनिंग और यहां काम देखा तब पता चला कि इसमें बहुत मेहनत होती है.

हमें यहां राइटिंग भी करनी होती है और सॉफ्टवेयर चलाना भी सीखना होता है. मैंने एक से दो महीने तक ट्रेनिंग ली. फिर उसके बाद पहला शो होस्ट किया. मैंने पहले सोचा था कि RJ ही बनूंगी. लेकिन मेरा प्लान बी भी है. मैं रेडियो जॉकी के अलावा और भी काम करूंगी. इंटरव्यू के दौरान सिमरन ने शो को लेकर कहा था- गेम्स, एंटरटेनमेंट और फन चिट चैट्स सब कुछ अपने दर्शकों को डिलीवर करूंगी.

सिमरन का मिर्ची शो

सोमवार से शनिवार सिमरन का ‘मिर्ची सिमरन’ शो आता था. जो कि काफी फेमस हुआ था. पहले इस शो को RJ श्तेतिमा होस्ट करती थीं, जो सिमरन की सबसे पसंदीदा रेडियो जॉकी थीं. उन्होंने ही सिमरन का जॉब के लिए इंटरव्यू लिया था. बाद में सिमरन इस शो की होस्ट बनीं. सिमरन ने RJ श्तेतिमा के अंडर कुछ साल काम किया. फिर वो जम्मू छोड़कर गुरुग्राम आ गईं. यहां उन्होंने दोस्तों के साथ गुरुग्राम के सेक्टर-47 में एक कोठी किराए पर ली. फिर यहीं रहकर वो फ्रीलांसिंग का काम करने लगीं.

इंस्टाग्राम पर 7 लाख फॉलोअर्स

छोटी सी उम्र में ही सिमरन काफी फेमस हो गई थीं. उनकी आवाज का जादू ऐसा था कि लोग उन्हें जम्मू की धड़कन भी कहते थे. वो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर थी. इंस्टाग्राम पर उनके 7 लाख फॉलोअर्स (rjsimransingh) हैं. सिमरन ने इंस्टाग्राम पर आखिरी पोस्ट 13 दिसंबर को डाली थी. इस पोस्ट को शेयर कर सिमरन ने लिखा था- अंतहीन खिलखिलाहट और अपने गाउन के साथ समुद्र तट पर बस एक लड़की. सिमरन के हर पोस्ट पर लाखों व्यूज और लाइक्स आते थे. उन्हें मिर्ची सिमरन के अलावा जम्मू की धड़कन और आवाज की जादूगर के नाम से भी जाना जाता था.

मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म में काम करने से अनुपम खेर ने क्यों किया था इनकार? जानें अनुपम खेर का बड़ा खुलासा

27 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया, उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली एम्स अस्पताल में आखिरी सांसें लीं. इस खबर को सुनने के बाद ही हर तरफ शोक का माहौल हो गया. मनमोहन सिंह की डेथ की खबर पर कई बड़े नेता, कई सितारों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और अब अनुपम खेर ने भी उनके निधन के बाद एक वीडियो पोस्ट करके दुख जताया है. अनुपम खेर ने साल 2019 में मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में उनकी भूमिका निभाई थी.

अनुपम खेर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी एक वीडियो पोस्ट की जिसके साथ उन्होंने लिखा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ, फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के लिए एक साल से भी ज्यादा वक्त तक उनके बारे में पढ़ने के बाद, मुझे लगा कि मैंने उनके साथ वाकई बहुत समय बिताया है. वे स्वभाव से ही एक अच्छे इंसान थे. पर्सनली तौर से वो पूरी तरह ईमानदार, महान इकोनॉमिस्ट और बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे. उन्होंने आगे लिखा कि कई लोग कह सकते हैं कि वो एक चालाक पॉलिटिशियन नहीं थे. उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं, ओम शांति.

पहले रोल करने से कर दिया था इनकार

एक्टर ने अपनी वीडियो में कहा कि मैं फिलहाल देश से बाहर हूं, लेकिन ये खबर सुनकर काफी दुखी हूं. कोई भी एक्टर अगर किसी की जिंदगी पर कोई फिल्म बनाता है तो उसके फिजिकल एस्पेक्ट को तो पढ़ता ही है, लेकिन उस किरदार को सच्चाई से निभाने के लिए उसके अंदर की चीजों पर भी ध्यान देता है. मैंने उनकी जिंदगी के साथ लगभग डेढ़ साल गुजारा है, डॉ मनमोहन सिंह बहुत अच्छे इंसान थे, वो विनम्र, दयालु, बुद्धि से तेज व्यक्ति थे. उन्होंने बताया कि जब मुझे ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ ऑफर हुई थी, तो पहले मैंने इस रोल को करने से मना कर दिया था, जिसमें से पॉलिटिकल वजह भी एक थी, मुझे लगा कि लोग कहेंगे कि शायद मैंने ये उनका मजाक बनाने के लिए किया है, हालांकि कुछ लोगों ने ऐसा कहा भी था.

बहुत ईमानदारी से निभाया था किरदार

अनुपम खेर ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा कि अगर मुझे अपनी पूरे फिल्मी करियर में किन्हीं 3,4 किरदारों को चुनना हो, जिसे मैंने पूरी सच्चाई और दिल से निभाया है, तो उसमें से एक किरदार मनमोहन सिंह का भी होगा. पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वो बहुत ही शानदार व्यक्ति थे, उनसे मेरी एक-दो बार ही मुलाकात हुई, जिसमें वो हमेशा मेरे साथ काफी अच्छी तरह से पेश आए और उन्होंने फिल्म की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि उनकी कार्यकाल में काफी सारी कॉन्ट्रोवर्सी रही है, लेकिन वो एक ईमानदार नेता थे. मनमोहन सिंह का रोल करना बहुत मुश्किल था. अनुपम खेर ने कहा कि उनसे जुड़े विषय विवादित रहे हैं, वो व्यक्ति नहीं. देश ने इस बहुत ईमानदार व्यक्ति और महान नेता को खोया है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

LAC पर गतिरोध खत्म करने को लेकर बनी रजामंदी के बाद क्या कर रही चीनी सेना, भारत ने भी दिया जवाब

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी विवाद थमता नजर आ रहा है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने कल गुरुवार को कहा कि भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को खत्म करने के लिए हुए समझौते को “व्यापक और प्रभावी ढंग से” लागू कर रही हैं और इस संबंध में “स्थिर प्रगति” हुई है. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी इस मसले पर कहा कि वहां पर स्थिति “स्थिर” लेकिन “संवेदनशील” है.

चीनी रक्षा प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल झांग शियाओगांग (Zhang Xiaogang) ने 18 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधियों के साथ हुई वार्ता पर एक सवाल का जवाब देते हुए बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “वर्तमान में, भारत और चीन की सेनाएं दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर से संबंधित समाधानों को व्यापक और प्रभावी ढंग से लागू कर रही हैं और इस संबंध में स्थिर प्रगति हुई है.”

अक्टूबर में दोनों देशों में बनी सहमति

उन्होंने यह भी कहा कि हाल के दिनों में, दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण सहमति के आधार पर, भारत और चीन ने कूटनीतिक तथा सैन्य चैनलों के जरिए बॉर्डर की स्थिति पर करीबी संवाद बनाए रखा और बड़ी प्रगति हासिल की है.

एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात की और समझौते के कार्यान्वयन तथा अप्रैल 2020 में आपसी गतिरोध शुरू होने के बाद ठंडे पड़े रिश्तों को बहाल करने को लेकर व्यापक स्तर पर बातचीत की. अक्टूबर में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS summit) के मौके पर रूस के कजान शहर में मुलाकात की और 21 अक्टूबर के समझौते को मंजूरी दी.

ठोस प्रयास करने को तैयारः कर्नल झांग

कर्नल झांग ने कहा कि भारत और चीन के संबंधों को सही रास्ते पर लाना दोनों देशों और दोनों लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है. उन्होंने आगे कहा, “चीनी सेना दोनों नेताओं के बीच बनी अहम सहमति को ईमानदारी से लागू करने, अधिक आदान-प्रदान, बातचीत करने और बॉर्डर क्षेत्र में संयुक्त रूप से स्थायी शांति तथा सद्भाव बनाए रखने के लिए भारत-चीन सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पक्ष के साथ ठोस प्रयास करने के लिए तैयार है.”

वहीं भारत की ओर से इस संबंध में सकारात्मक प्रतिक्रिया की गई है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समग्र स्थिति “स्थिर” लेकिन “संवेदनशील” है, “समान और पारस्परिक सुरक्षा” के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए आपस में व्यापक तौर पर सहमति बनी है. मंत्रालय की ओर से यह बयान पूर्वी लद्दाख में पिछले दो टकराव बिंदुओं से भारतीय और चीनी सेनाओं के पीछे हटने के कुछ हफ्ते बाद दिया गया है.

LAC पर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशीलः रक्षा मंत्रालय

साल के अंत में रिव्यू के दौरान रक्षा मंत्रालय ने 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों के बीच पीछे हटने को लेकर आपसी सहमति का उल्लेख किया और कहा कि देपसांग और डेमचोक में पारंपरिक क्षेत्रों में अब पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है. इसने कहा, “एलएसी पर कुल मिलाकर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशील है.”

मंत्रालय ने कहा, “दोनों देशों के बीच डेपसांग और डेमचोक के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाना, उन्हें रिलोकेट करना और उसके बाद संयुक्त सत्यापन शामिल है. फिलहाल दोनों पक्षों की ओर से ब्लॉकिंग पोजिशन को हटा दिया गया है और संयुक्त सत्यापन का काम भी पूरा हो गया है. डेपसांग और डेमचोक में पारंपरिक गश्त वाले क्षेत्रों में पेट्रोलिंग भी शुरू हो चुकी है.” मंत्रालय ने कहा कि सेना ने एलएसी और नियंत्रण रेखा (LoC) सहित सभी सीमाओं पर स्थिरता और प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए परिचालन तैयारियों की उच्च स्थिति बनाए रखी है.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रीय शोक: जानें क्या रहेगा बंद और क्या रहेगा खुला

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद पूरे देश में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक हो गया है. ऐसे में हर किसी के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या आज देशभर में छुट्टी है या बैंक और स्कूल बंद हैं?तो आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कर्नाटक सरकार ने आज सभी स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में छुट्टी की घोषणा कर दी है. कर्नाटक में सरकारी छुट्टी की घोषणा के तुरंत बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा था कि क्या बाकि राज्यों में भी स्कूल और बैंक भी बंद रहेंगे?

किन राज्यों में है छुट्टी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी तरह तेलंगाना में आज छुट्टी रहेगी, रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार को सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में भी छुट्टी रहेगी. इसलिए कर्नाटक और तेलंगाना में स्कूल और सरकारी कार्यालय आज बंद रहेंगे. दिल्ली में सीएम आतिशी ने अपने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं.

सूत्रों का हवाला देते हुए इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया कि सभी सरकारी कार्यक्रम शुक्रवार को रद्द कर दिए जाएंगे और केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज सुबह 11 बजे बैठक होने की संभावना है.

बैंक बंद रहेंगे?

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के निधन की पुष्टि करते हुए एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “गहरे दुख के साथ, हम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु के निधन की सूचना दे रहे हैं. उनका उम्र से संबंधित चिकित्सा स्थितियों के लिए इलाज किया जा रहा था और 26 दिसंबर 2024 को घर पर अचानक उनकी चेतना चली गई.

उन्हें रात आठ बजकर छह मिनट पर एम्स में मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया था. तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री बनने की अनोखी कहानी: कैसे पांच दिग्गज नेताओं को पछाड़कर बने पीएम

तारीख 18 मई और साल था 2004. अटल बिहारी वाजपेई की सरकार को मात देकर कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनने जा रही थी. सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था, तभी 10 जनपथ पहुंचे रामविलास पासवान को जानकारी मिली कि सोनिया पीएम नहीं बन रही हैं. उन्होंने खबर कन्फर्म करने के लिए सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल को फोन लगाया तो वहां से भी कोई पॉजिटिव रिस्पॉस नहीं मिला.

रामविलास पासवान अपने बायोग्राफी ‘संघर्ष, साहस और संकल्प’ में कहते हैं- मैं जैसे ही 10 जनपथ से बाहर निकला, यह खबर मीडिया में फ्लैश होने लगी. हम गठबंधन के लोग अचंभित थे कि अब कौन प्रधानमंत्री बनेगा, लेकिन जल्द ही कांग्रेस की तरफ से हमें इसको लेकर सूचित किया. जो नाम हमारे सामने आए, वो काफी चौंकाने वाले थे. वो नाम था मनमोहन सिंह का.

2004 में सोनिया गांधी के पीएम बनने से इनकार करने के बाद मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपी गई. सिंह उस वक्त राज्यसभा में कांग्रेस के नेता विरोधी थे. तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने तो यहां तक दावा किया था कि मनमोहन ही पीएम बनेंगे, इसकी आधिकारिक सूचना राष्ट्रपति कार्यालय को आखिरी वक्त में दी गई थी.

सोनिया के इनकार के बाद ये 5 नेता थे दावेदार

सोनिया गांधी ने पीएम की कुर्सी क्यों नहीं ली, इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं, लेकिन सोनिया के इनकार के बाद कांग्रेस के सियासी गलियारों में 5 नेताओं को पीएम इन वेटिंग बताया गया. जिन नेताओं के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा शुरू हुई. उनमें प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, एनडी तिवारी, शिवराज पाटील और पी चिदंबरम का नाम प्रमुख था.

प्रणब मुखर्जी क्यों- कांग्रेस के सबसे सीनियर नेता थे. इंदिरा के जमाने से केंद्र में मंत्री पद पर रह चुके थे. पार्टी के अधिकांश नेता उन्हें इस कुर्सी पर बैठाना चाह रहे थे, लेकिन प्रणब पीएम नहीं बन पाए. पीएम न बनने को लेकर प्रणब ने कई बार अफसोस भी जताया. प्रणब मनमोहन सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री रहे.

अर्जुन सिंह क्यों- गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे. राजीव और सोनिया गांधी से बेहतरीन ताल्लुकात थे. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह सहयोगी पार्टियों की भी पसंदीदा नेता थे. बाद में अर्जुन सिंह मनमोहन की सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए.

एनडी तिवारी क्यों- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके एनडी तिवारी भी पीएम पद के प्रमुख दावेदार थे. तिवारी को भी गांधी परिवार का काफी क्लोज माना जाता था. हालांकि, तिवारी को पीएम की कुर्सी नहीं मिल पाई.

शिवराज पाटिल क्यों- महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शिवराज पाटिल भी पीएम के प्रमुख दावेदार थे. मुंबई अर्थव्यवस्था का केंद्र माना जाता है. पाटिल की मुंबई में मजबूत पकड़ थी. बाद में पाटिल मनमोहन सिंह की सरकार में गृह मंत्री बनाए गए.

पी चिदंबरम- अर्थशास्त्री पी चिदंबरम भी पीएम पद के प्रमुख दावेदार थे. उस वक्त कहा जा रहा था कि दक्षिण को साधने के लिए कांग्रेस चिदंबरम को पीएम बना सकती है. चिदंबरम कई सरकार में मंत्री रह चुके थे. मनमोहन की सरकार में चिदंबरम गृह और वित्त मंत्री बनाए गए.

सवाल- मनमोहन ने कैसे मारी बाजी?

पीएम बनने के लिए मनमोहन के पक्ष में 3 प्रमुख फैक्टर काम कर रहा था. पहला फैक्टर मनमोहन सिंह का किसी गुट से न होना था. कांग्रेस में उस वक्त दक्षिण और उत्तर के साथ-साथ कई गुट सक्रिय था. नरसिम्हा राव की सरकार में इसी गुटबाजी की वजह से कांग्रेस पस्त हो गई थी. सोनिया फिर से रिस्क नहीं लेना चाह रही थी.

मनमोहन सिंह का राजनीतिक व्यक्ति न होना भी उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ. 2004 में राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई थी. कांग्रेस के लोग उनके लिए सियासी पिच तैयार कर रहे थे. ऐसे में मनमोहन के अलावा किसी राजनीतिक व्यक्ति को पीएम की कुर्सी सौंपी जाती तो राहुल के लिए भविष्य की राह आसान नहीं रहता.

तीसरा फैक्टर मनमोहन का कामकाज था. वित्त मंत्री रहते मनमोहन ने भारत को आर्थिक तंगी से बाहर निकाला था. 2004 में भी कांग्रेस ने आर्थिक नीति और रोजगार से जुड़े से कई वादे किए थे, जिसे पूरा करने के लिए विजनरी नेता की जरूरत थी. मनमोहन इसमें अव्वल साबित हुए.

मुकेश अंबानी ने किया Jio यूजर्स को खुश, 601 रुपये में 1 साल तक मिलेगा अनलिमिटेड डेटा

आपके पास भी Reliance Jio का नंबर है और आप भी कम कीमत में अनलिमिटेड 5जी डेटा का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने यूजर्स के लिए एक शानदार प्लान उतारा है. जियो के इस रिचार्ज प्लान की कीमत 601 रुपये है, इस प्लान को आप खुद के लिए खरीद सकते हैं या फिर किसी को भी गिफ्ट भी कर सकते हैं.

ये प्लान बेशक अनलिमिटेड डेटा के साथ आता है लेकिन इस प्लान को खरीदने के लिए भी एक शर्त है, क्या है वो शर्त और 601 रुपये वाले इस प्लान के साथ आपको कौन-कौन से बेनिफिट्स मिलेंगे और इस प्लान की वैलिडिटी कितनी है? आइए जानते हैं.

ये है शर्त

आपको 601 रुपये में अनलिमिटेड 5जी डेटा तो मिल जाएगा लेकिन आपके पास पहले से कोई जियो रिचार्ज प्लान होना चाहिए. प्लान भी ऐसा-वैसा नहीं, 601 रुपये में अनलिमिटेड डेटा के लिए आपके नंबर पर पहले कम से कम 1.5 जीबी प्रतिदिन डेटा वाला प्लान होना चाहिए.

इसका मतलब यह है कि 199 रुपये, 239 रुपये, 299 रुपये और इससे ऊपर के वो सभी प्लान्स जो प्रतिदिन 1.5 जीबी या फिर ज्यादा डेटा ऑफर करते हैं उन सभी प्लान्स के साथ आप 601 रुपये वाले प्लान का फायदा उठा सकते हैं.

ध्यान दें कि अगर आपके नंबर पर प्रतिदिन 1 जीबी डेटा वाला प्लान चल रहा है या फिर आपने 1899 रुपये वाले एनुअल प्लान को खरीदना हुआ तो आप 601 रुपये वाले प्लान का फायदा नहीं उठा पाएंगे.

प्लान खरीदने के बाद ऐसे मिलेगा फायदा

601 रुपये वाला प्लान खरीदने के बाद आपको 12 अपग्रेड वाउचर मिलेंगे जिन्हें आप एक-एक कर रिडीम कर सकते हैं. ये वाउचर आपको माय जियो ऐप में दिखाई देंगे. वाउचर रिडीम करने के बाद आप अनलिमिटेड 5जी डेटा का लुत्फ उठा पाएंगे.

एक वाउचर की अधिकतम वैलिडिटी केवल 30 दिनों की है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपके बेस प्लान की वैलिडिटी 28 दिनों के लिए है तो वाउचर भी 28 दिनों तक ही एक्टिव रहेगा, इसके बाद आपको दूसरा वाउचर एक्टिवेट करना होगा.