बिहार के शिक्षा विभाग को मिले दो ईमानदार अधिकारी : एक का हुआ भारी विरोध, तो एक के काम करने के तरीके से सभी खुश और शिक्षा व्यवस्था में हो रहा
डेस्क : बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने इस विभाग की कमान प्रदेश के कड़क और ईमानदार अधिकारियों के हाथ में दिए। पहले उन्होंने अपनी ईमानदार छवि के लिए जाने जानेवाले आईएएस अधिकारी केके पाठक को इस विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया। हालांकि केके पाठक कई ऐसे फैसले रहे जिसका जमकर विरोध हुआ और अंतत: उन्हे विभाग से हटा दिया और उनके बदले एक और ईमानदार आईएएस अधिकारी एस. सिद्धार्थ को शिक्षा विभाग की कमान सौंपी। अब बिहार के शिक्षा क्षेत्र को बदलने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जिसके बाद से बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है और इनका कोई विरोध भी नही हो रहा है। आइए आपको बताते है कि इसकी वजह क्या है।
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ.एस. सिद्धार्थ केके पाठक से भी 10 कदम आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। वह बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने में जुट गए हैं। लेकिन पाठक और सिद्धार्थ के काम करने के तरीके में बड़ा फर्क है।
दरअसल ACS एस सिद्धार्थ अपनी सादगी के लिए पूरे बिहार में जाने जाते है। वहीं इनके काम करने का अपना तरीका है। ये केके पाठक से उलट किसी भी बड़े फैसले को कड़क अंदाज में लागू नहीं कराते है। न ही ये किसी भी अधिनस्थ अधिकारी या कर्मचारी के साथ बेरुखी से पेश आते है। ये किसी भी स्कूल का निरीक्षण करने जाते है तो बिना किसी लाव-लश्कर के। वहीं वे शिक्षकों के साथ पूरी इज्जत के साथ पेश आते है और उनकी कमियों को भी बड़े ही नम्रतापूर्वक अंदाज में उन्हे बताते है। जिससे सामने वाला खुद ही अपने आपको शर्मिंदा महसूस करता है और आगे से वह उस गलती को नहीं दोहराना चाहता है। शायद यही वजह है कि इनदिनों बिहार के स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ सरकारी योजनाओं जैसे कि मिड-डे-मिल आदि में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
अब उन्होंने सरकारी स्कूल के बच्चों को शुरु से ही तकनीकी ज्ञान देने को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। राज्य के सरकारी स्कूलों में चौथी और पांचवीं के बच्चों को भी कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाएगी। शिक्षा विभाग ने इस दिशा में पहल शुरू की है। इसकी जानकारी अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने खुद दी है। बीते दिनों ‘शिक्षा की बात’ के एपिसोड-2 में शिक्षकों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि अभी 6 से 8 तक के लिए सरकार ने एक किताब प्रकाशित की है। इसे आगे और विस्तारित किया जाएगा। हालांकि, यह व्यवस्था सिलसिलेवार तरीके से नीचे के वर्गों में प्रयुक्त होगा। पहले वर्ग 4 और 5 के बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा मिलेगी। फिर आगे इसे और विस्तारित करेंगे।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मीड डे मील योजना को लेकर विभाग पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। प्रयोग सफल रहा तो चरणबद्ध तरीके से मीड डे मील योजना से प्रधानाध्यापक पूरी तरह हट जाएंगे। हमने इसको लेकर अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन किया है। वहां प्रधानाध्यापक यह कार्य नहीं करते हैं। हमने 10 जिलों में दो-दो पंचायतों में यह प्रयोग शुरू किया है। परिणाम सफल रहा तो सभी विद्यालयों से प्रधानाध्यापकों को इस कार्य से मुक्त किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि स्कूली बच्चों के शैक्षिक किट में अगले साल से दो अतिरिक्त कॉपियां होंगी। स्कूल निरीक्षण के क्रम में उन्होंने देखा है कि अभी बच्चे एक ही कॉपी में कई विषयों का काम कर रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी बच्चों को कॉपी देने की अपील की और कहा कि छात्रवृत्ति की राशि को शैक्षिक कार्यों में खर्च करें। एक अन्य सवाल के जवाब में डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि प्रधानाध्यापक संगीत शिक्षा को अनिवार्य करने की पहल करें। मुख्यालय बेवजह हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।
उन्होंने शिक्षकों से बगैर किसी भेदभाव के शैक्षिक कार्यों में जुटने की अपील की और कहा कि सरकारी स्तर पर उनके बीच कोई भेदभाव नहीं है। लिहाजा, कागजी भेदभाव से दूर रहकर सिर्फ शैक्षिक कार्य करें।
Nov 15 2024, 09:26