एलएसी पर भारत-चीन समझौते को लेकर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल, पूछा-क्या 26 पेट्रोलिंग पॉइंट तक जा सकेंगे हमारे जवान?
#congress_raised_questions_on_india_china_patrol_agreement
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है।कांग्रेस ने समझौते पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरने को की कोशिश की है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि सैनिकों के पीछे हटने से मार्च 2020 जैसी यथास्थिति बहाल हो जाएगी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में भारत के लोगों को विश्वास में लेने की बात भी कही है। कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के संघर्ष विराम पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को छह सीधे सवाल दागे और कहा कि उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली की “दशकों में सबसे खराब विदेश नीति का झटका” सम्मानजनक तरीके से हल हो जाएगा।
जयराम रमेश ने कहा, यह दुखद घटना चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मूर्खता और नासमझी का पूर्ण दोषारोपण है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को चीन ने तीन बार भव्य तरीके से मेजबानी की थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने चीन की पांच आधिकारिक यात्राएं कीं और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के साथ 18 बैठकें कीं, जिसमें उनके 64वें जन्मदिन पर साबरमती के तट पर एक दोस्ताना झूला सत्र भी शामिल है।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, भारत की स्थिति 19 जून 2020 को सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जब प्रधानमंत्री ने चीन को अपनी कुख्यात क्लीन चिट देते हुए कहा, न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। यह बयान गलवान में हुई झड़प के सिर्फ़ चार दिन बाद दिया गया था, जिसमें हमारे 20 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह हमारे शहीद सैनिकों का घोर अपमान था, इसने चीन की आक्रामकता को भी वैध बना दिया और इस तरह एलएसी पर गतिरोध के समय पर समाधान में बाधा उत्पन्न की। पूरे संकट के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण को डीडीएलजे के रूप में वर्णित किया जा सकता है: Deny(इंकार करो), Distract ( ध्यान भटकाओ), Lie(झूठ बोलो) and Justify (न्यायोचित ठहराओ)|
कांग्रेस नेता ने कहा कि चीन के साथ इस समझौते पर पहुंचने के बाद, सरकार को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और इन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना चाहिए:
1.. क्या भारतीय सैनिक डेपसांग में हमारी दावा रेखा तक, बॉटलनेक जंक्शन से आगे पांच गश्ती बिंदुओं तक गश्त कर सकेंगे, जैसा कि वे पहले कर पाते थे?
2. क्या हमारे सैनिक डेमचोक के उन तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंच पाएंगे जो चार वर्षों से अधिक समय से सीमा से बाहर हैं?
3. क्या हमारे सैनिक पैंगोंग त्सो में फिंगर 3 तक ही सीमित रहेंगे, जबकि पहले वे फिंगर 8 तक जा सकते थे?
4. क्या हमारे गश्ती दल को गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने की अनुमति है, जहां वे पहले जा सकते थे?
5. क्या भारतीय चरवाहों को एक बार फिर हेलमेट टॉप, मुकपा रे, रेजांग ला, रिनचेन ला, टेबल टॉप और चुशुल के गुरुंग हिल में पारंपरिक चरागाहों तक पहुंचने का अधिकार दिया जाएगा?
6. क्या "बफर जोन" जो हमारी सरकार ने चीन को सौंपे थे, जिसमें युद्ध नायक और मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के लिए रेजांग ला में एक स्मारक स्थल भी शामिल था, अब अतीत की बात हो गई है?
Oct 23 2024, 16:38