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चुनाव तारीख के ऐलान के साथ ही झारखंड में लगा आचार संहिता, आइये जानते हैं क्या है अचार सहिंता और किन चीजों पर लगती है पाबंदी

झारखंड डेस्क: चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही झारखंड में आचार संहिता लागू हो गयी है। आज झारखंड की हर गतिविधियों पर चुनाव आयोग का कंट्रोल होगा। आचार संहिता का अब कठोरता से पालन करना होगा। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों को आचार संहिता कहते हैं। आचार संहिता चुनाव परिणाम के जारी होने के बाद या नयी सरकार के गठन होने तक जारी रहेगा। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आचार संहिता के लागू होने पर आखिर किन-किन चीजों पर पाबंदी लग जाती है। तो, आईये जानते इसके बारे में.... भारतीय चुनाव आयोग आचार संहिता को राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार करता है। इसके लागू होने के दौरान, राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों पर कुछ पाबंदी लगाई जाती है, ताकि सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने में बराबर का मंच मिल सके। चलिए समझते हैं कि आचार सहिंता किन-किन पर लागू होती है और इसके उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है। चुनाव आचार संहिता किन पर लागू होती है? चुनाव आचार संहिता के नियम सिर्फ राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों पर ही लागू नहीं होते हैं. ये केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से वित्तपोषित सभी संगठनों, समितियों, निगमों, आयोगों आदि पर भी लागू होती है। इन संगठनों का अपनी उपलब्धियों का विशिष्ट रूप से विज्ञापन करना या नई सब्सिडी की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है. *किन चीज़ों पर मनाही होती है?* आचार संहिता लागू होते ही सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फायदा पहुंचता हों. सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है. सरकारी वाहन किसी दल या प्रत्याशी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होगा. कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है. संबंधित राज्य/केंद्रीय सरकार की आधिरकारिक वेबसाइटों से मंत्रियों/राजनेताओं/राजनीतिक दलों के सभी संदर्भों को निकाल दिया जाता है. कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए सत्ताधारी पार्टी को चुनाव आयोग से परामर्श करना होगा. *क्या हो सकती है चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन पर कार्रवाई?* चुनाव आचार संहिताके नियमों का पालन करना सभी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है. आचार संहिता के उल्लंघन को आयोग द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा. चुनाव आयोग उल्लंघन करने वाले प्रत्याशी या राजनीतिक दल पर कार्रवाई कर सकता है. संबंधित अधिकारी, जिसके क्षेत्र में उल्लंघन हुआ, उस पर भी कार्रवाई की जा सकती है. मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से भी रोक सकता है. जरूरी होने पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है. उल्लंघन करने पर जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं. उदाहरण के लिए किसी वाहन, जिसके लिए किसी उम्मीदवार के नाम पर चुनाव प्रचार हेतु अनुमति ली गई है, का दूसरे उम्मीदवार द्वारा प्रचार में इस्तेमाल होना आचार संहिता का उल्लंघन है. ऐसे मामलों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 171ज के तहत कार्रवाई की जाएगी.
विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस की बड़ी कार्रवाई, दो लोगों को हथियार के साथ किया गिरफ्तार


डेस्क : विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता की घोषणा होते ही बीते मंगलवार रात को राजमहल-उधवा मुख्य मार्ग पर राजमहल थाना क्षेत्र अंतर्गत फुलवरिया बैरियर के पास पुलिस इंस्पेक्टर श्यामलाल हांसदा एवं थाना प्रभारी गुलाम सरवर ने एंटी क्राइम चेकिंग चलाया. जिसमें रास्ते पर परिचालन करने वाले सभी दो पहिया तीन पहिया एवं चार पहिया वाहनों का जांच किया गया. उधवा की ओर से राजमहल आ रही एक टोटो ( ई रिक्शा ) में सवार दो युवक की जांच की गई. जिसमें एक देशी कट्टा व जिंदा कारतूस बरामद हुआ.

अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के कार्यालय में एसडीपीओ विमलेश कुमार त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता कर कहा कि पुलिस के द्वारा मौके पर ही जांच पड़ताल की वीडियोग्राफी की गई. थाना क्षेत्र के नया बाजार बिरसा मुंडा टाउन हॉल के पास निवासी धनराज हजारी एवं मो रहमान को हिरासत में लेकर पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी. हिरासत में ले गए दोनों युवकों ने देसी कट्टा को डिलीवरी करने की बात पुलिस के समक्ष स्वीकार की है. इधर थाना प्रभारी गुलाम सरवर के बयान पर थाना कांड संख्या 166/24 में आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करते हुए दोनों युवकों की गिरफ्तारी की पुष्टि कर राजमहल न्यायालय में प्रस्तुत करते हुए जेल भेज दिया है.

गिरफ्तार युवकों ने पुलिस को बताया है कि लखीपुर के एक आम बागान में उसके दोस्त ने देसी कट्टा एवं जिंदा कारतूस देकर कहा कि इसके डिलीवरी राजू होटल के समीप एक व्यक्ति लगा और दो हजार रुपए दे देगा. डिलीवरी करने के लिए देसी कट्टा लेकर जा रहा था.

गिरफ्तार युवकों से पूछताछ में कई राज पुलिस के सामने आए हैं. पुलिस के हाथ कई मोबाइल नंबर भी लगे हैं. पुलिस के सामने अन्य दो से तीन लोग के नाम भी सामने आया है. पुलिस सभी बिंदुओं की जांच कर कुंडली खंगालने में जुड़ी है.

मौके पर छापेमारी दल में एसआई विक्रम कुमार, विट्टू कुमार साहा, सालखु मुर्मू, महादेव उरांव, एएसआई अरविंद कुमार दास, व तस्लीम राजा मौजूद थे.

विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही रांची में लगी निषेधाज्ञा, पीठासीन पदाधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू, जानें किन चीजों पर लगेगी रोक


डेस्क: भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है. इसी के साथ आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गयी है. निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सदर अनुमंडल पदाधिकारी उत्कर्ष कुमार ने चुनाव प्रक्रिया की समाप्ति तक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा-163 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रांची सदर अनुमंडल के सभी विधानसभा क्षेत्रों में निषेधाज्ञा जारी की है. साथ ही कई आदेश भी जारी किये गये हैं. यह आदेश 15 अक्तूबर की दोपहर 3:30 बजे से 23 नवंबर की रात 11 बजे तक लागू रहेगा.

आदेश के तहत कोई भी व्यक्ति, राजनीतिक दल, संगठन, उम्मीदवार या अभ्यर्थी किसी धार्मिक स्थल का प्रयोग राजनीतिक प्रचार के लिए नहीं कर सकेंगे. साथ ही सांप्रदायिक भावना को भड़काने का काम नहीं करेंगे. ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक वर्जित रहेगा.

इस दौरान किसी सार्वजनिक/सरकारी संपत्ति पर नारा लिखना, पोस्टर/पंपलेट चिपकाना, पार्टी विशेष का झंडा लगाना, सार्वजनिक सड़कों पर बैनर लगाना, होर्डिंग लगाना एवं तोरण द्वार लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. सरकारी स्वामित्व वाले गेस्ट हाउस, भवन का कोई भी हिस्सा किसी भी राजनीतिक गतिविधि, सभा या बैठक के लिए उपयोग नहीं किया जा सकेगा.

झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर रांची में पीठासीन पदाधिकारी, प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय मतदान पदाधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है. यह प्रशिक्षण कांके स्थित राजकीय प्लस टू उवि में दिया जा रहा है. हर दिन तीन शिफ्ट में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

प्रथम शिफ्ट सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक, द्वितीय शिफ्ट 12:30 से दोपहर 2:30 बजे तक और तृतीय शिफ्ट दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक है. इसके लिए हर कर्मी को पिन नंबर दिया गया है. पिन नंबर के अनुसार प्रशिक्षण कराया जा रहा है. प्रशिक्षण 23 अक्तूबर तक दिया जायेगा.

झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही विधि-व्यवस्था को लेकर जिला के सभी एसपी, डीएसपी व थाना प्रभारियों के साथ एसएसपी चंदन सिन्हा ने बैठक की. जिला के प्रवेश पर बने चेकपोस्ट पर विशेष चौकसी रखने, हर वाहन की गहनता से जांच, अवैध आग्नेयास्त्र, अवैध धन व संदिग्ध लोगों पर नजर रखने का निर्देश दिया.

उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में अर्द्धसैनिक बल की तैनाती पर जोर दिया. कहा कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक और जिला बल उपलब्ध कराने के लिए मुख्यालय को लिखा गया है. एसएसपी ने अवैध हथियार लेकर घूमने वालों पर कार्रवाई करने एवं वारंट, कुर्की आदि का अधिक से अधिक तामिला करने को कहा. बिना अनुमति के किसी भी तरह की सभा पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया.

राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गयी है. लेकिन, अब भी शहर के मेन रोड, कचहरी रोड, बरियातू रोड, कांटाटोली फ्लाइओवर सहित प्रमुख सड़कों व चौक-चौराहों पर नेताओं के बैनर-पोस्टर लगे हुए हैं. निगम द्वारा ऐसे पोस्टर-बैनर को हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है.

इधर, आचार संहिता लगने के साथ ही सदर एसडीओ ने जिले के सभी बीडीओ-सीओ सहित नगर निकायों को पत्र लिखकर अपने-अपने क्षेत्र में राजनीतिक लोगों के बैनर व पोस्टर हटाने का आदेश जारी किया है. उन्होंने पदाधिकारियों से कहा है कि वे इस आदेश का सख्ती से अपने-अपने क्षेत्र में पालन करायें.

इन कार्यों पर रहेगी रोक

आदेश के तहत कोई भी व्यक्ति, राजनीतिक दल, संगठन, उम्मीदवार या अभ्यर्थी किसी धार्मिक स्थल का प्रयोग राजनीतिक प्रचार के लिए नहीं कर सकेंगे.

सांप्रदायिक भावना को भड़काने का काम नहीं करेंगे.

ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक वर्जित रहेगा.

किसी सार्वजनिक/सरकारी संपत्ति पर नारा लिखना, पोस्टर/पंपलेट चिपकाना, पार्टी विशेष का झंडा लगाना, सार्वजनिक सड़कों पर बैनर लगाना, होर्डिंग लगाना एवं तोरण द्वार लगाने पर प्रतिबंध रहेगा.

सरकारी स्वामित्व वाले गेस्ट हाउस, भवन का कोई भी हिस्सा किसी भी राजनीतिक गतिविधि, सभा या बैठक के लिए उपयोग नहीं किया जा सकेगा.

बोकारो थर्मल पावर प्लांट के एचटी पैनल में शार्ट सर्किट से लगी आग, उत्पादन ठप

डेस्क : बोकारो थर्मल स्थित डीवीसी के 500 मेगावाट वाले पावर प्लांट के टरबाइन फ्लोर से नीचे एचटी पैनल में शार्ट सर्किट से आग लग गई. आग लगने के बाद एक यूनिट को बंद किया गया, वहीं दूसरा पैनल पूरी तरह से जलकर खाक हो गया है. घटना बुधवार सुबह लगभग सवा आठ बजे की है.

घटना के संबंध में बताया जाता है कि पावर प्लांट के टरबाइन फ्लोर के नीचे साढ़े तीन मीटर हाईट पर स्थित एचटी पैनल के इलेक्ट्रिकल ब्रेकर के वन बीबी बोर्ड में शार्ट सर्किट से आग लग गयी. आग लगने की सूचना पावर प्लांट स्थित सीआईएसएफ फायर विंग को दी गई. फायर विंग के जवानों एवं अधिकारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग बुझाने में सफलता हासिल की.

जब तक आग को बुझाया गया तब तक पैनल और बोर्ड पूरी तरह से जलकर खाक हो गया था. आग के कारण इलेक्ट्रिकल सिस्टम काम नहीं करने पर यूनिट भी ट्रिप कर गया. घटना के समय यूनिट से लगभग 350 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था.

चुनाव तिथि की घोषणा के बाद झारखंड में आदर्श आचार सहिंता लागू,अब झारखंड सरकार नहीं ले पायेगी कोई फैसला

दो चरन में मतदान,23 नवंबर को होगी मतगणना


झारखंड डेस्क 

झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव की घोषणा कर दी गई है. भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा की. चुनाव आयुक्त ने बताया कि झारखंड में इस बार 2 चरणों में वोटिंग होगी. पहले चरण की वोटिंग 13 नवंबर को और 20 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होगी. 23 नवंबर को मतगणना होगी.

पहले चरण में 43 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि दूसरे चरण में 38 सीटों पर लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 18 अक्टूबर को जारी की जाएगी. दूसरे चरण की अधिसूचना 25 अक्टूबर को जारी होगी.

पहले चरण के लिए होने वाले नामांकन की जांच 28 अक्टूबर को और दूसरे चरण के नामांकन की जांच 30 अक्टूबर को होगी. पहले चरण में नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवार 30 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे, जबकि दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवार 1 नवंबर तक अपना नाम वापस ले पाएंगे. पहले चरण की वोटिंग 13 नवंबर और दूसरे चरण की वोटिंग 20 नवंबर को होगी. चुनाव आयोग ने बताया कि 25 नवंबर 2024 तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

चुनाव की तारीखों के साथ ही पूरे झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. अब राज्य सरकार जनहित में कोई फैसला नहीं ले पाएगी. न ही सरकार का कोई मंत्री या विधायक किसी सरकारी सुविधा का लाभ ले सकेगा.

 इस तरह से झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया समाप्त होने तक चुनाव आयोग का शासन चलेगा. ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर चुनाव वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती तक का आदेश जारी करने का अधिकार चुनाव आयोग को मिल गया है.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में 2.58 करोड़ मतदाता

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में 2,57,78,149 (2 करोड़ 57 लाख 78 हजार 149) मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. इसमें 1,30,65,449 (1 करोड़ 30 लाख 65 हजार 449) पुरुष मतदाता हैं, तो 1,27,12,266 (1 करोड़ 27 लाख 12 हजार 266) महिला और 434 थर्ड जेंडर वोटर हैं.

चुनाव आयोग की 2 दिन तक रांची में चली थी मैराथन बैठक

पिछले महीने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम रांची आई थी. दो दिन तक विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों के साथ मैराथन बैठक की थी. चुनाव आयोग ने पुलिस एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य एजेंसियों को निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने के लिए जरूरी तैयारी करने के निर्देश दिए थे.

 चुनाव आयोग की टीम में निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ सुखबीर सिंह संधू भी शामिल थे. चुनाव आयोग की टीम ने झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की भी राय ली थी और उनकी शिकायतें एवं सुझावों को भी सुना था.

झारखंड के 5 प्रमंडल में 24 जिले और 81 विधानसभा सीटें

बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया झारखंड राज्य 5 प्रमंडल में बंटा हुआ है. राज्य में 24 जिले हैं. इनमें 81 विधानसभा सीटें हैं. संताल परगना प्रमंडल के 6 जिलों में 18 विधानसभा सीटें हैं. 7 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं. संताल परगना की देवघर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है.

उत्तरी छोटानागपुर में सबसे ज्यादा 7 जिले और 25 विधानसभा सीटें

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में 7 जिले हैं. इसी प्रमंडल में सबसे अधिक 25 विधानसभा सीटें हैं. 4 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं. इस प्रमंडल में कोई विधानसभा सीट आदिवासियों यानी अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित नहीं है. धनबाद, रामगढ़ और कोडरमा 3 जिले ऐसे हैं, जहां की सभी विधानसभा सीटें अनारक्षित हैं.

इस बार डुमरी से झामुमो के कौन होंगे प्रत्याशी,जयराम महतो के कारण क्या बदलेगा इस क्षेत्र का समीकरण जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर..?


गिरिडीह : इस बार डुमरी विधानसभा क्षेत्र जयराम महतो के कारण हॉट सीट बन गया है।वैसे सूचना है कि आगामी चुनाव मंत्री बेबी देवी के जगह उनके पुत्र अखिलेश महतो चुनाव लड़ सकते हैं। जिसके कारण इस सीट पर जयराम महतो की प्रतिद्वंद्विता से त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना की संभावना है। नक्सल समस्या, विकास और रोजगार अभाव क्षेत्र की मुख्य समस्याएं हैं। जनता किसे चुनती है, ये समय बताएगा।

मंत्री बेबी देवी अपने पुत्र अखिलेश महतो को उतारने की तैयारी में। जयराम महतो से झामुमो और आजसू पार्टी दोनों को है डर‌।लोकसभा चुनाव 2024 में जयराम महतो को मिली थी बढ़त।

डुमरी विधानसभा चुनाव 2024

मंत्री जगरनाथ महतो की मौत के बाद डुमरी विधानसभा क्षेत्र से जगन्नाथ महतो के इकलौते पुत्र अखिलेश महतो को चुनाव मैदान में उतारने की पुरजोर तैयारी थी। लेकिन कुछ महीने उम्र की कमी के कारण उपचुनाव में अखिलेश महतो को चुनाव मैदान में न उतरकर जगन्नाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को झामुमो ने चुनाव मैदान में उतारा था, और जीत हासिल की थीं। 

अब विधानसभा चुनाव 2024 में बेबी देवी अपने इकलौते पुत्र अखिलेश महतो को चुनाव मैदान में उतारने की पुरजोर तैयारी में हैं। अभी हाल के दिनों में भी डुमरी क्षेत्र के कई सरकारी और निजी कार्यक्रमों में भी मंत्री बेबी देवी अपने पुत्र अखिलेश महतो के साथ नजर आईं।

मंत्री बेबी देवी ने भी कई बार मीडिया के सामने यह खुलासा कर चुकी है कि अब डुमरी की जनता हमारे पुत्र को आशीर्वाद दें, ताकि वह अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए आप सभी की सेवा के लिए आगे आए। मतलब साफ है कि मंत्री बेबी देवी अपनी राजनीतिक विरासत अब अपने पुत्र अखिलेश महतो को सौपने की तैयारी में है। हालांकि अभी पार्टी की तरफ से अखिलेश के नाम की घोषणा नहीं की गई है।

 लेकिन माना यह जा रहा है कि डुमरी विधानसभा क्षेत्र से इस बार पार्टी अखिलेश महतो को प्रत्याशी बना सकती है।

जयराम महतो से झामुमो और आजसू पार्टी दोनों को है डर

1932 के खतियान आधारित नीति लागू करने स्थानीय लोगों को हक और अधिकार दिलाने समेत अन्य मुद्दों के नाम पर अस्तित्व में आए जयराम महतो लोकसभा चुनाव 2024 में गिरिडीह से 3 लाख 50 हजार के आसपास वोट लाकर क्षेत्र में अपनी ताकत दिखा चुका है। इसी दम पर वह इस बार खुद डुमरी विधानसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। 

हालंकि जयराम महतो और एक स्थान से चुनाव लडने की बात की है। लेकिन उन्होंने दूसरी विधानसभा सीट का अभी खुलासा नहीं किया है। हो सकता है कि वो बाघमारा से चुनाव लड़े, खैर जो भी हो। डुमरी से जयराम के चुनाव लड़ने से डर दोनों ही पार्टी को जरूर है।

लोकसभा चुनाव 2024 में जयराम महतो को मिली थी बढ़त

लोकसभा चुनाव 2024 के गिरिडीह लोकसभा सीट के डुमरी विधानसभा क्षेत्र में जयराम महतो को बड़ी बढ़त मिली थी। डुमरी में जयराम महतो को करीब 90 हजार वोट मिले, जबकि आजसू पार्टी प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी को 55 हजार और जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो को 52 हजार वोट मिले।

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत

चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू पार्टी 55421

मथुरा प्रसाद महतो जेएमएम 52193

जयराम महतो निर्दलीय 90541

लंबे समय से जगरनाथ का मुकाबला रहा दामोदर महतो से हुआ

विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट पर हमेशा से इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है। इस सीट पर झामुमो के जगरनाथ महतो और जेडीयू के दामोदर प्रसाद महतो में हमेशा काटे की टक्कर होती रही है। 

इस सीट पर जगरनाथ महतो अक्सर चुनाव जीते हैं जबकि दूसरे नंबर पर दामोदर प्रसाद महतो रहे हैं ।

जगरनाथ और दामोदर महतो की पत्नी अब सक्रिय राजनीति में

अब दामोदर प्रसाद महतो और जगरनाथ महतो की मौत के बाद उनकी पत्नियां यहां कमान संभाले हुए हैं। जगरनाथ महतो की मौत के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी ने उपचुनाव में जीत हासिल की। 

जबकि दामोदर प्रसाद महतो की मौत के बाद उनकी पत्नी यशोदा देवी चुनाव लड़ती हैं। चुनाव में दोनो के बीच कांटे की टक्कर होते रही है। हालांकि पिछले दो बार से दामोदर प्रसाद महतो की पत्नी यशोदा देवी को निराशा ही हाथ लगी है। संभावना है कि इस बार एनडीए गठबंधन डुमरी सीट से किसी अन्य प्रत्याशी को टिकट दे सकती है। इसमें दुर्योधन महतो और जयलाल महतो का नाम काफी चर्चा में है।

यशोदा देवी ने 2019 में जगरनाथ महतो दी थी कड़ी टक्कर

वष 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम प्रत्याशी जगरनाथ महतो को आजसू पार्टी की यशोदा देवी ने कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि इस चुनाव में जगरनाथ महतो को करीब 71 हजार वोट मिले, वहीं यशोदा देवी को लगभग 37 हजार मत मिले।

 जबकि भाजपा प्रत्याशी प्रदीप साह को भी करीब 36 हजार वोट मिले थे। ऐसे में यदि आजसू पार्टी और बीजेपी एक साथ हो जाए, तो जेएमएम को कड़ी टक्कर मिल सकती है।

2019 में डुमरी सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत

जगरनाथ महतो -जेएमएम- 71017

यशोदा देवी -आजसू पार्टी- 36817

प्रदीप साह - भाजपा- 35994

जगरनाथ महतो ने 2014 में लालचंद महतो दी मात

2014 के विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट से जगरनाथ महतो को 77949 मत मिले जबकि भाजपा के लालचंद महतो को 45487 मत मिले। इस बार भाजपा और आजसू दोनो साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।

 जिससे उनकी स्थिति पहले के मुकाबले काफी मजबूत है।

2014 में डुमरी सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत

जगरनाथ महतो जेएमएम 77949

लालचंद महतो भाजपा 45487

2009 के चुनाव में जेडीयू के दामोदर महतो दूसरे स्थान पर रहे

पिछले कुछ चुनाव की आंकड़ों पर गौर करें तो 2009 के चुनाव में डुमरी सीट से जगरनाथ महतो को 33960 मत ,जबकि जेडीयू के दामोदर प्रसाद महतो को 20292 मत मिले थे। 

इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट से जेएमएम के जगरनाथ महतो को 71017 आजसू के यशोदा देवी को 36817, जबकि भाजपा के प्रदीप साह को 35994 मत मिले थे।

2009 में डुमरी सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत

जगरनाथ महतो जेएमएम 33960

दामोदर प्रसाद महतो जेडीयू 20292

त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर उभरने की संभावना

डुमरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार के विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो को अपने ही गढ़ में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इस सीट पर पहले झामुमो का मुकाबला आजसू पार्टी से होता रहा है। लेकिन इस बार जयराम महतो ने भी डुमरी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि जेएमएम का मुकाबला अब सीधे तौर पर जयराम महतो से हो सकता है। इस परिस्थिति में 2024 के विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर उभरने की संभावना है।

वर्ष 1962 से 2019 तक डुमरी से निर्वाचित विधायक

वर्ष उम्मीदवार का नाम पार्टी

1962 हेमलाल परगनैत स्वतंत्र

1967 एस. मंजरी निर्दलीय

1969 कैलाशपति सिंह जनसंघ

1972 मुरली भगत कांग्रेस

1977 लालचंद महतो जनता पार्टी

1980 सबा महतो जेएमएम

1985 शिवा महतो निर्दलीय

1990 लालचंद महतो जनता दल

1995 शिवा महतो जेएमएम

2000 लालचंद महतो जेडीयू

2005 जगरनाथ महतो जेएमएम

2009 जगरनाथ महतो जेएमएम

2014 जगरनाथ महतो जेएमएम

2019 जगरनाथ महतो जेएमएम

2023 बेबी देवी जेएमएम

नक्सल समस्या, विकास और पलायन क्षेत्र में मुख्य मुद्दा

अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शुमार ऊपर घाट समेत डुमरी का अन्य इलाका आज भी नक्सलियों की कहर से जूझ रहा है। इन अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में आए दिन नक्सली वारदात होते रहते हैं। यही वजह है कि यह क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है। इस क्षेत्र के रोजगार का काफी अभाव है। रोजगार की तलाश में यहां के युवा अक्सर पलायन को मजबूर रहते हैं।

 यहां के युवा रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश में जाते रहे हैं जबकि महिलाएं तेंदू पत्ता या दातुन बेचकर अपना और परिवार का पेट भरने को मजबूर है। हमेशा चुनाव के समय यह एक बड़ा मुद्दा बनकर भी सामने आता है। सभी दल के नेता यहां की भोली भाली जनता को यह आश्वाशन भी देते हैं कि उनकी सरकार बनी तो नक्सल से आजादी मिलेगी क्षेत्र का विकास होगा। युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। 

लेकिन चुनाव खत्म होते ही, स्थिति जस के तस बनी रहती है। अब आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा की जनता किसके साथ है।

कैबिनेट की बैठक में कई अहम् प्रस्तावों पर लगी मुहर,पारा शिक्षक सहित कई कर्मी के लिए ,लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

हेमंत कैबिनेट की अहम बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। कैबिनेट ने पारा शिक्षकों सहित, कस्तुरबा आवासीय विद्यालय, संकुल साधनसेवी सहित कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब इन सभी कर्मियों को कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ मिलेगा। 

कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लग गयी। इस फैसले के प्रदेश के हजारों पारा शिक्षकों सहित अन्य शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों को लाभ होगा। 

कैबिनेट ने इस बात का फैसला लिया है कि पुलिस विभाग की तरफ से जो हेलीकाप्टर का संचालन हो रहा है। उसके पायलट, टेक्निशियन अन्य स्टाफ को मानदेय के अलावे अन्य सुविधा भी दी जायेगी। आज उच्च शिक्षा विभाग के तहत कई बड़े फैसले लिये गये। इसमें उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधारने के लिए अगले तीन वर्षों के लिए 20 करोड़ की राशि को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

 वहीं गोड्डा जिले के ठाकुरगंगटी में डिग्री कालेज के लिए 40 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है। वहीं बहरागोड़ा में महिला कॉलेज का निर्माण होगा। इसके लिए 40 करोड़ की स्वीकृति दी गयी है।

गुरुजी क्रेडिट कार्ड में संशोधन पर कैबिनेट की मुहर लगी है। पात्रता नियम में संशोधन किया गया है। जिसके तहत झारखंड के स्थानीय निवासी ने अगर दूसरे राज्यों से भी 10वीं-12वीं की पढ़ाई की है, तो उन्हें भी योजना का लाभ मिलेगा। पहले सिर्फ झारखंड से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ये योजना लागू थी। वहीं रिमपास के लिए निदेशक की नियुक्ति के प्रस्ताव में संशोधन किया गया है।

 इस संशोधन के बाद झारखंड के रिनपास में वर्षों से डायरेक्टर के खाली पद भरे जा सकेंगे।  

वहीं इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण के लिए राशि पर कैबिनेट ने मुहर लगायी है। चुनाव के पहले एक बड़ा दांव खेलते हुए हेमंत सरकार ने फैसला लिया है कि असम के चाय बगानों में काम कर रहे झारखंड के आदिवासियों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सुविधा दी जायेगी। इसे लेकर आदिम जाति कल्याण मंत्री की अगुवाई में एक सर्वदलीय कमेटी बनेगी। दरअसल आजादी के समय ही झारखंड सहित देश के अलग-अलग राज्यों से 70 लाख मजदूर असम गये थे। इसमें से झारखंड के 15 लाख मजदूर शामिल हैं। 

उन्हें अभी तक अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पाया है। उन्हें ओबीसी का ही लाभ मिल रहा है। आज झारखंड सरकार उन आदिवासी मजदूरों को भी अनुसूचित जनजाति का लाभ दिलाने सहित अन्य सुविधा दिलाने की कवायद कर रही है।

चुनाव आयोग ने आज 3.30 बजे बुलाया प्रेस वार्ता,झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का करेगा शेड्यूल जारी, पढ़िए पूरी खबर..!


झारखंड डेस्क 

झारखंड : आज महाराष्ट्र और झारखंड के लिए विधानसभा चुनाव की तारीखों का आज ऐलान होगा। चुनाव आयोग ने आज दोपहर में चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। 

चुनाव आयोग की तरफ से दोपहर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है। चुनाव आयोग दोपहर में 3.30 बजे दोनों राज्यों में नामांकन, नाम वापस लेने की तारीख के साथ ही पोलिंग और चुनाव परिणाम के तारीखों का पूरा शेड्यूल जारी करेगा।

इससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव से जुड़ी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। निर्वाचन आयोग की टीम ने कुछ समय पहले ही दोनों राज्यों का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया था। माना जा रहा है कि यूपी में 10 सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो सकता है।

झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को हो रहा समाप्त

मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में यहां राजनीतिक दल सीटों के बंटवारों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।

झारखंड में पिछली बार 5 चरणो में हुए थे चुनाव

झारखंड विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म हो रहा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने अपनी टीम के साथ हाल ही में राज्य का दौरा किया था। झारखंड में तारीखों का ऐलान दीवाली और छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। राज्य के राजनीतिक दलों ने भी चुनाव आयोग से इस संबंध में गुजारिश की थी। राज्य में साल 2019 में 5 चरण में मतदान हुए थे। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं।

झारखंड के चुनावी फ़िजा में ऑफरो की बरसात, पक्ष विपक्ष के पास है महिला, दिव्यांग और बृद्ध के लिए कई योजनायें


झारखंड डेस्क 

अक्सरहाँ विधानसभा चुनाव शुरू होते हीं समाचार जगत के लिए पत्रकारों के ख़बरों का विषय होता है कि किस तरह सीट के लिए आपा धापी मचा है, कौन रुष्ट है तो कौन खुश!किसके पाले में क्या पड़ने वाला है.

 लेकिन झारखंड का हवा हीं कुछ और है.यहां एक तरफ सरकार ऑफर का बौछार कर रही है तो विपक्ष भी वादे पर वादे क्या जा रहा है. अब देखना है कि कौन पार्टी जनता को अपने मायाजाल में फँसा पाता है.

अभी वोटर के लिए दोनों हाथ में लड्डू है. एक तरफ सरकार कि ओर से वेलफेयर स्कीम की बाढ़ आई हुई है. दूसरी ओर भाजपा को भी अब अपने वोटर के लिए प्यार उमर पड़ा है वादे पर वादे किये जा रहे हैं.

अभी सभी दलों को आधी आबादी की चिंता सता रही है. बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांगों के सामाजिक सुरक्षा की दुहाई दी जा रही है. राज्य सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बीड़ा उठा लिया है. चुनाव प्रचार की रफ्तार में फिलहाल हेमंत सोरेन सबसे आगे दिख रहे हैं. हर वोटर तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं. वॉइस मैसेज के जरिए जनता से संपर्क साध रहे हैं. यह सिलसिला नवरात्रि के दौरान ही शुरू हो गया थाप्रचार की रेस में सीएम हेमंत आगे

8 अक्टूबर को बल्क वॉइस मैसेज के जरिए सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड वासियों को मंईयां सम्मान योजना की याद दिलाई थी. यह सिलसिला विजयादशमी के दिन तक चला. अब 13 अक्टूबर से उन्होंने सर्वजन पेंशन योजना पर फोकस किया है. मुख्यमंत्री अपने संदेश की शुरुआत जोहार शब्द से करते हुए खुद को बेटा और भाई का हवाला देकर यह बता रहे हैं कि उनकी सरकार जरूरतमंदों को लेकर कितनी संवेदनशील है। कैसे सर्वजन पेंशन योजना का लाभ पहुंचाया जा रहा है.

हेमंत का केंद्र पर हमला कहा जुमले बाजों की है सरकार 

सीएम हेमंत सोरेन केंद्र सरकार के कामकाज को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा है कि 125 देशों की सूची में भारत 105 वें स्थान पर है. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार के 11 साल के कामकाज को जुमलेबाजी और सफेद झूठ बताकर निशाना साधा है. सलाह दी है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स वाले मामले में केंद्र सरकार को साफगोई के साथ काम करना चाहिए था.

पक्ष-विपक्ष का अपना अपना डफली अपना अपना राग

 भाजपा के तमाम बड़े नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चौतरफा घेर रहे हैं. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी यह बता रहे हैं कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्टाचारी है. युवाओं के साथ छल किया है. चुनाव के समय सम्मान राशि का झांसा देकर देकर महिलाओं को गुमराह कर रहे हैं.

 वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि 2019 के चुनाव के समय हेमंत सोरेन द्वारा किए गए सारे वादे झूठे साबित हुए हैं. जबकि झारखंड बीजेपी के विधानसभा चुनाव प्रभारी सह केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा शासित राज्यों में चल रही लाडली बहन योजना, महतारी वंदन योजना की याद दिला रहे हैं. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे ज्यादा कोई खटक रहा है तो वह हैं असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा. क्योंकि सीएम हिमंता बांग्लादेशी घुसपैठ का हवाला देकर आदिवासियों की घट रही जनसंख्या के मसले को जोर शोर से उठा रहे हैं. 

सबसे खास बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कभी सबसे विश्वस्त सिपाही रहे चंपाई सोरेन परंपरागत तरीके से आदिवासी समाज को भाजपा की तरफ गोलबंद कर रहे हैं.

वोटर के लिए है यहां ऑफर हीं ऑफर

चुनाव के इस मौसम में झारखंड की जनता के लिए बल्ले बल्ले वाली स्थिति है. ऑफर की बारिश हो रही है. मंईयां सम्मान योजना के नाम पर हेमंत सरकार 18 से 50 साल तक की महिलाओं को डीबीटी के जरिए एक-एक हजार रु दे रही है. 50 साल से ज्यादा उम्र वालों को बुजुर्ग की कैटेगरी में रखकर सर्जन पेंशन योजना के तहत एक-एक हजार रु दिए जा रहे हैं.

 अब JMM सम्मान योजना के तहत जरूरतमंदों को हर माह 2500 रु रुपए देने के लिए चुनाव आयोग से परमिशन मांगा गया है.दूसरी, तरफ भाजपा ने भी वादों का पिटारा खोल रखा है. भाजपा ने आधी आबादी को साधने के लिए दो बड़े वादे किए हैं. सरकार बनने पर महिलाओं को हर माह की 11 तारीख को 2100 रु और 500 रु में गैस सिलेंडर के साथ-साथ साल में पर्व के नाम पर दो सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया है. 

भाजपा ने युवाओं को फोकस करते हुए सरकारी पदों को भरने के अलावा स्नातक और स्नातकोत्तर को परीक्षा की तैयारी के लिए साथी भत्ता देने का वादा किया है.इधर, आम लोगों के बीच राजनीतिक दलों की ओर से मिल रही है.

अब झारखंड की मईयाँ के लिए 2500 रुपए का सौगात

 झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली राशि 2500 रुपये प्रति माह करने की तैयारी कर ली गई है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, चौथी किस्त एक हजार रुपये नवंबर में महापर्व छठ के मौके पर देने के बाद पांचवीं किस्त दिसंबर से 2500 रुपये दी जाएगी. इसका लाभ 53 लाख से अधिक महिलाओं को मिलेगा.

 कैबिनेट की बैठक में ली गयी कई लोक लुभावन निर्णय 

सम्मान राशि में ढाई गुना बढ़ोतरी का निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सोमवार को होने जा रही कैबिनेट की बैठक में लिया जा सकता है. ऐसा होने पर हर लाभुक महिला को हर साल 30 हजार रुपये मंईयां सम्मान राशि मिलेगी. संभावना है कि कैबिनेट बैठक में इससे संबंधित महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी जाए.

अब तक चार चरणों में निकाली गई मंईयां सम्मान यात्रा के दौरान महिलाओं का जोरदार समर्थन मिला है. यात्रा के दौरान महिलाओं की ओर से मंईयां सम्मान राशि बढ़ाने की मांग भी होती रही है. यात्रा की अगुवाई कर रहीं महिला, बाल विकास मंत्री बेबी देवी कई मंचों से मंईयां सम्मान राशि बढ़ाने की बात लगातार कहती आई हैं. मंईयां सम्मान यात्रा का 5वां चरण जल्द शुरू होने जा रहा है.

इधर, सूचना है कि झारखंड सरकार की मंत्री बेबी देवी, मंत्री दीपिका पांडेय सिंह और विधायक कल्पना सोरेन दक्षिणी छोटानागपुर के विभिन्न जिलों में छह दिनों के दौरे पर रहेंगी.इस दौरान महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना के बारे में नई जानकारी से भी अवगत कराया जाएगा.

राज्य सरकार की ओर से कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाने पर बड़ी संख्या में झारखंड की महिलाओं को लाभ होगा. चुनाव के मद्देनजर भी सरकार की ओर से इसे एक बड़ा कदम बताया जा रहा है.

16.5 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार

मंईयां सम्मान राशि को एक हजार रुपये प्रति लाभुक प्रति माह से ढ़ाई गुना बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह करने के बाद राज्य सरकार पर करीब 16.5 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। यह सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण निर्णय होगा। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव और संबंधित विभागों के सचिवों के बीच मैराथन बैठक के बाद दिसंबर से मंईयां सम्मान राशि 2500 रुपये करने पर सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार एक हजार रुपये मंईयां सम्मान के समय योजना पर 6720 करोड़ रुपये एक साल का व्यय था।

18 से 50 वर्ष की महिलाओं को मिल रहा योजना का लाभ

मंईयां सम्मान योजना का लाभ 18 वर्ष से 50 वर्ष की आयु वाली राज्य की महिलाओं को मिलता है. अगस्त से इस योजना के तहत महिलाओं को एक हजार रुपये सम्मान राशि दी जा रही है.तीसरी किस्त नवरात्र पर करीब 53 लाख से अधिक महिलाओं को उनके बैंक खाते में स्थानांतरित की जा चुकी है.अब चौथी किस्त छठ पर्व पर देने की घोषणा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर दी है.

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भाजपा में झारखंड के चार पूर्व आदिवासी मुख्यमंत्री की फौज के बाद भी नही बना पायी भाजपा आदिवासियों के बीच अपना मज़बूत पैठ

झा. डेस्क

रांची :झारखंड में जीत के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन उसकी आदिवासी बाहुल इस राज्य में उसकी राह आसान नहीं होने वाली है.वजह मूल वोट बैंक का ही छिटकना है.जानिए झारखंड में कैसे बीजेपी से आदिवासी वोट बैंक आज भी झामुमो के साथ है ।और इसके पीछे वजह क्या है.

हरियाणा फतह के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर झारखंड पर है, जहां पिछले 5 सालों से बीजेपी सत्ता से दूर चल रही है.झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ने कई रणनीतियों पर एक साथ काम करना शुरू कर दिया है। इनमें परिवर्तन यात्रा से लेकर अलग-अलग मेनिफेस्टो जारी करना शामिल है.

हालांकि, पार्टी के लिए झारखंड की राह आसान नहीं है।आदिवासी बहुल इस राज्य में मूल वोट ही बीजेपी से छिटक चुका है, जिसे वापस लाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है.

 क्यों है झारखंड में आदिवासी वोटर्स महत्वपूर्ण

झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है। अगर 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां पर आदिवासी करीब 26 प्रतिशत की बात करें तो इस राज्य के 5 में से 4 प्रमंडल में आदिवासियों का ही दबदबा है. झारखंड में विधानसभा की 81 में से 28 सीट आदिवासियों के लिए रिजर्व है। इसी तरह लोकसभा की 14 में से 5 सीट भी आदिवासी के लिए रिजर्व है.

कुल मिलाकर कहा जाए तो झारखंड की सत्ता की चाबी आदिवासियों के पास ही है.यहां 2005 से लेकर अब तक के हर चुनाव में आदिवासी ही महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है.झारखंड में अब तक बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन, चंपई सोरेन और रघुबर दास मुख्यमंत्री बने हैं.

अब तक रघुबर दास छोड़कर सभी 6 मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय से

 दिलचस्प बात यह है कि इनमें से चार पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, बाबू लाल मरांडी, चंपई सोरेन और मधु कोड़ा अभी बीजेपी में हैं।इसके वाबजूद आदिवासी समाज भाजपा पर भरोसा नहीं कर पा रही है.

क्यों ना कर पा रही है भाजपा पर आदिवासी समाज भरोसा...?

झारखंड राज्य का गठन जब 2000 में हुआ तो पहली बार विधानसभा में भाजपा को आदिवासी रिजर्व 28 सीटों में से 11 सीटों पर जीत मिली थी. जिसके कारण भाजपा को गैर आदिवासी सीट मिला कर किसी तरह बहुमत जुटाई थी.

 गठबंधन के सहयोग से बीजेपी किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब हो गई. 2009 में बीजेपी को आदिवासी बहुल 9 सीटों पर जीत मिली.

2014 के चुनाव में बीजेपी ने बड़ी वापसी की और फिर से आदिवासी बहुल 28 में से 11 सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी ने इस बार झारखंड में गैर-आदिवासी सीएम बनाने का प्रयोग किया. ओबीसी समुदाय के रघुबर दास मुख्यमंत्री बनाए गए.

2019 के चुनाव में बीजेपी के लिए यह बैकफायर कर गया.

अगर 2019 की बात करें तो आदिवासियों के लिए सुरक्षित 28 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 2 सीट हीं जीत पाई. हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासी इलाकों में एकतरफा जीत हासिल की. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आदिवासियों के लिए रिजर्व 5 लोकसभा सीटों पर इंडिया गठंबधन ने जीत दर्ज कर ली.

2019 के लोकसभा चुनाव में इन 5 में से 3 पर एनडीए को जीत मिली थी.

बीजेपी जीत का कर रही दावा लेकिन अंदर से है डरी हुई भी 

झारखंड में मुस्लिमों की आबादी करीब 14 प्रतिशत है, जो आमतौर पर बीजेपी को वोट नहीं करते हैं. आदिवासियों के साथ मुसलमानों के मिलने से दोनों का गठजोड़ 40 प्रतिशत के पास पहुंच जाता है. संथाल परगना और कोल्हान में आदिवासियों के साथ-साथ मुसलमानों का भी दबदबा है.

2019 के चुनाव में दोनों ही इलाकों से बीजेपी साफ हो गई थी. बीजेपी इस बार इस गठजोड़ को तोड़ने की कवायद में जुटी है.

आदिवासियों को साधने के लिए क्या कर रही बीजेपी?

जहां एक तरफ बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन के आदिवासी-मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की कवायद कर रही है, वहीं पार्टी लोकल स्तर पर आदिवासी नेताओं को भी जुटा रही है.

2019 के बाद से अब तक बीजेपी ने दूसरी पार्टी के बाबू लाल मरांडी, चंपई सोरेन, लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, मधु कोड़ा और गीता कोड़ा को अपने पाले में लाने का काम किया है.

बीजेपी को उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में इन नेताओं के जरिए वो आदिवासी सीटों को जीतने में कामयाब होगी. चंपई सोरेन, बाबू लाल मरांडी और मधु कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.

झारखंड की 81 सीटों पर होने हैं चुनाव

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर नवंबर-दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी, आजसू और जेडीयू गठबंधन का कांग्रेस, झामुमो और आरजेडी गठबंधन से है. झारखंड में इन दोनों गठबंधन के अलावा जेकेएलएम जैसी पार्टियां भी मैदान में उतरी है, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है.

झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है. 2019 में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन को 47 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी 25 सीटों पर ही सिमट गई थी..