साइंस कॉलेज मैदान किनारे बने चौपाटी को हटाने का निर्देश, विधायक मूणत ने किया था लंबा आंदोलन
रायपुर- राजधानी रायपुर में भारी विवादों के बीच जीई रोड के किनारे साइंस कॉलेज मैदान के करीब 6 करोड़ की लागत से बनाए गए चौपाटी को हटाने की तैयारी है. विधायक राजेश मूणत ने रायपुर स्मार्ट सिटी परामर्शदात्री समिति की बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए हैं. अब यहां पर छात्रों के लिए ओपन रीडिंग और बच्चों के प्ले जोन का निर्माण किया जाएगा.दरअसल, चौपाटी हटाने 15 अक्टूबर को भाजपा पार्षदों के साथ निगम घेराव की विधायक राजेश मूणत ने चेतावनी दी थी. चेतावनी के बाद अन्य विभिन्न विषयों को लेकर रायपुर स्मार्ट सिटी परामर्शदात्री समिति की शुक्रवार को बैठक हुई, जिसमें बैठक में चौपाटी को हटाकर यूथ हब बनाने का फ़ैसला हुआ.
विधायक राजेश मूणत ने बताया कि तत्कालीन सरकार और नगर निगम ने गलत जानकारी के साथ प्रोजेक्ट को शुरू किया. स्मार्ट सिटी को काम शुरू करने से पहले ये चेक करना होता है कि ज़मीन उनकी है या नहीं. खुद के ज़मीन पर ही निर्माण और टेंडर किया जाता है. लेकिन ग़लत तरीके से काम किया गया है।
उन्होंने कहा कि रायपुर शहर के बीच में एजुकेशन हब है, विश्वविद्यालय, कॉलेज और लाइब्रेरी है. इनकी सरकार में कह रहे थे यूथ हब बन रहा, लेकिन यूथ हब के नाम पर कोई काम नहीं किया. विधानसभा में मुद्दा उठाया गया था. तथ्यों की जाँच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई का फ़ैसला हुआ है. चौपाटी की जगह अब यूथ एक्टिविटी के लिए प्रस्ताव दिया गया है.
बीते साल से गर्म है मामला
दरअसल, बीते साल की शुरुआत में जीई रोड के किनारे साइंस कॉलेज के मैदान के सटकर रायपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी ने चौपाटी बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका राजेश मूणत ने विरोध करते हुए करते हुए 11 दिनों तक धरना दिया था. आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अलावा भाजपा के आला नेताओं ने मौजूदगी दर्ज कराते हुए मूणत के आंदोलन का समर्थन किया था.
लेकिन इन सबके बाद भी चौपाटी निर्माण पर रोक नहीं लगने पर मूणत ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद मूणत ने रायपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी पर चौपाटी का निर्माण के संबंध में गलत तथ्य प्रस्तुत करने का आरोप लगाया था.
निगम में भाजपा पार्षदों ने भी जताया विरोध
रायपुर नगर निगम में भाजपा पार्षदों ने भी चौपाटी के विरोध में स्मार्ट सिटी ईएमडी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था. पार्षदों ने कहना था कि स्थल के चारों ओर शैक्षणिक संस्थान हैं. चौपाटी में आप किसी को भी आने से नहीं रोक सकते है. ऐसे मे असामाजिक तत्व भी चौपाटी मे प्रवेश करेंगे और हमारे विद्याथी अपने आप को असुरक्षित महसूस करेंगे.
तमाम विरोध-प्रदर्शन के बाद भी चौपाटी का निर्माण बदस्तूर जारी रहा, और बीते साल अक्टूबर में दुकानों का आवंटन भी कर दिया गया. लेकिन चौपाटी का विवाद खत्म नहीं हुआ. कभी टेंडर शर्तों का उल्लंघन करने तो कभी चौपाटी में अव्यवस्था का आरोप लगता रहा है. अब जब चौपाटी को हटाने का निर्देश दिया गया है, तो माहौल में सुधार आने की उम्मीद है.
Oct 11 2024, 14:08