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कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका, मैसूर जमीन घोटाला केस में चलेगा मुकदमा

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका लगा है। MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।हाई कोर्ट की ओर से ये कहा गया है कि जमीन घोटाले में सिद्धारमैया पर केस चलेगा। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच करने की जरूरत है। बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर आज फैसला सुनाया है।

दरअसल मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण साइट आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मंजूरी दी थी। राज्यपाल की इसी मंजूरी मिलने के बाद हाई कोर्ट में सिद्धारमैया की तरफ से अर्जी दाखिल की गई थी। इस मामले में मंगलवार हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, राज्यपाल कानून के हिसाब से केस चला सकते हैं। 

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, राज्यपाल "स्वतंत्र निर्णय" ले सकते हैं और राज्यपाल गहलोत ने "अपने दिमाग का पूरी तरह से इस्तेमाल किया है। इसलिए, जहां तक आदेश (मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने का) का सवाल है, राज्यपाल के एक्शन में कोई खामी नहीं है।

क्या है मामला?

आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित की गई थी। संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे MUDA द्वारा अधिगृहीत किया गया था। MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां MUDA ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था।

अगस्त में कर्नाटक के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के खिलाफ ‘राजभवन चलो’ विरोध प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने राज्यपाल पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। पार्टी का कहना है कि राज्यपाल के समक्ष कई अन्य मामले भी लंबित हैं, लेकिन उन्होंने उन पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बीच राज्यपाल गहलोत ने पिछले हफ्ते राज्य की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को पत्र लिखा और जल्द से जल्द दस्तावेजों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की।

चंद्रयान-3: फिर जागा प्रज्ञान रोवर..! चांद से भारत को भेजी अहम जानकारी तो नए मिशन को मिला संबल


भारत ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, और वैज्ञानिकों ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी बीच, चंद्रयान-3 ने भी काम जारी रखा है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जो सितंबर 2023 में गहरी नींद में चले गए थे, अब एक साल बाद भी सक्रिय हैं और नई जानकारियां धरती तक भेज रहे हैं।


हाल ही में, प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक विशाल क्रेटर की खोज की है। यह क्रेटर 160 किलोमीटर चौड़ा बताया जा रहा है और चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के करीब स्थित है। अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों ने इस क्रेटर के बारे में जानकारी साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से पहले का है। साउथ-पोल एटकिन बेसिन चांद की सतह पर सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर द्वारा ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई हैं, जो चांद के इतिहास को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं।

चंद्रयान-3, जो 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था, ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। भारत इस उपलब्धि के साथ दुनिया का एकमात्र देश बन गया है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा है। जबकि अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर लैंडिंग की है, लेकिन वे सभी उत्तरी ध्रुव पर स्थित हैं। प्रज्ञान रोवर द्वारा मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच उत्साह बढ़ा दिया है, क्योंकि यह चांद के शुरुआती इतिहास और उसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आयाम दे सकती है।
हिजबुल्लाह पर इजराइल का सबसे बड़ा हमला, 500 से अधिक लोगों की मौत, 57 मुस्लिम देश करेंगे मदद?


इजरायल और लेबनान के बीच हालिया तनाव अब पूरी तरह से युद्ध में बदलता दिख रहा है। इजरायल ने लेबनान में बड़े पैमाने पर आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया है। पिछले हफ्ते लेबनान में एक पेजर-वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के बाद से इलाके में दहशत फैल गई थी। हालाँकि, इसके बाद भी आतंकी हिजबुल्लाह बाज नहीं आया था, उसने इजराइल पर 200 रॉकेट दागे, जिससे इजराइल को तो कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फाइटर जेट्स से मिसाइल और बम हमले किए। इन हमलों में हिज्बुल्लाह को गंभीर नुकसान हुआ, और अब इजरायल ने हिज्बुल्लाह के 1600 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया है। इस कार्रवाई में 500 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।


इजरायल की सेना ने लेबनानी नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे उन क्षेत्रों को खाली कर दें, जहां हिज्बुल्लाह के हथियार छिपे होने की आशंका है। IDF ने दावा किया है कि लेबनान के घरों में भारी रॉकेट जमा किए गए हैं।  बावजूद इस्लामी आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह ने भी उत्तरी इजरायल पर जवाबी हमले करते हुए 200 रॉकेट दागे, जिनमें हाइफा, अफुला, और नाजरेथ जैसे शहरों में सायरन बजने लगे। हालांकि, इजरायल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश रॉकेटों को रोक दिया और किसी गंभीर नुकसान की खबर नहीं है।

यह संघर्ष पिछले साल तब शुरू हुआ था, जब फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के जिहादियों ने इजरायल पर अचानक हमला किया था और सैकड़ों इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर हमला किया और हमास को खत्म करने का संकल्प लिया। अब हमास के समर्थन में हिज्बुल्लाह भी मैदान में उतर आया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है। इजरायल की हालिया कार्रवाई के बाद सोमवार को लेबनान में 2006 के बाद का सबसे खतरनाक दिन साबित हुआ, जब इजरायली हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। हिज्बुल्लाह के खिलाफ किए गए हवाई हमलों से पहले इजरायल ने दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के नागरिकों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद हजारों लोग बेरूत की ओर भागते नजर आए।

हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, दुनियाभर के 57 मुस्लिम देश इजराइली हमलों की लगातार निंदा कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सामने आकर उससे लड़ने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है। ये इस्लामी मुल्क आतंकी संगठनों को ही पैसा और हथियार दे रहे हैं, ताकि वो इजराइल से लड़ें और मरें, लेकिन ये देश खुद सामने नहीं आ रहे। अब ये सवाल भी उठ रहा है कि लेबनान पर इतना बड़ा हमला होने के बाद क्या इन 57 मुस्लिम देशों में से एक भी इजराइल के खिलाफ खड़ा होगा।
अब चीन से अमेरिकी कंपनियों का मोहभंग, भारत में लगाएंगी 12 लाख करोड़, जमकर बढ़ेगा रोज़गार


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है, और इसका असर वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। जबकि चीन इस वक़्त आबादी और अर्थव्यवस्था के संकट से जूझ रहा है, भारत दुनिया भर में निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस समय अमेरिका की यात्रा पर हैं, और इसी बीच अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों का चीन से मोहभंग हो रहा है।


चीन की खराब होती अर्थव्यवस्था और वहां की नीतियों के कारण अमेरिकी कंपनियां नए विकल्पों की तलाश में हैं, और उन्हें भारत एक बेहतर विकल्प के रूप में दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार द्वारा लागू की गई "ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस" नीतियों ने भारत में निवेश का माहौल तैयार किया है, जिससे कई अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटकर भारत में निवेश करने की योजना बना रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 50 अमेरिकी कंपनियों ने चीन से बाहर निकलने का मन बना लिया है, जिनमें से 15 कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। इन कंपनियों का कुल निवेश करीब 12 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है, जो भारत के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

भारत अब निवेशकों की पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने निवेश के मामले में अमेरिका, यूरोप और मेक्सिको को पीछे छोड़ दिया है। पिछले साल भारत को 5वां स्थान मिला था, जबकि इस साल वह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण पूर्व एशिया अभी भी निवेशकों की शीर्ष पसंद बना हुआ है, लेकिन भारत तेजी से इस दौड़ में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों में से कई मैनेजमेंट कंसल्टिंग, गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से हैं, और उन्होंने भारत में निवेश करने की इच्छा जताई है। भारत का बड़ा और उभरता बाजार भी इन कंपनियों को आकर्षित कर रहा है, जिससे देश में विदेशी निवेश के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

मोदी सरकार की नीतियों के चलते अमेरिका और भारत के कारोबारी रिश्ते भी लगातार मजबूत हो रहे हैं। चीन में आर्थिक सुस्ती और वहां के बदलते व्यापारिक माहौल के कारण अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक प्रमुख विकल्प बनता जा रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।
चंद्रयान-3: फिर जागा प्रज्ञान रोवर..! चांद से भारत को भेजी अहम जानकारी तो नए मिशन को मिला संबल

भारत ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, और वैज्ञानिकों ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी बीच, चंद्रयान-3 ने भी काम जारी रखा है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जो सितंबर 2023 में गहरी नींद में चले गए थे, अब एक साल बाद भी सक्रिय हैं और नई जानकारियां धरती तक भेज रहे हैं।

हाल ही में, प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक विशाल क्रेटर की खोज की है। यह क्रेटर 160 किलोमीटर चौड़ा बताया जा रहा है और चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के करीब स्थित है। अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों ने इस क्रेटर के बारे में जानकारी साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से पहले का है। साउथ-पोल एटकिन बेसिन चांद की सतह पर सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर द्वारा ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई हैं, जो चांद के इतिहास को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं।

चंद्रयान-3, जो 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था, ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। भारत इस उपलब्धि के साथ दुनिया का एकमात्र देश बन गया है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा है। जबकि अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर लैंडिंग की है, लेकिन वे सभी उत्तरी ध्रुव पर स्थित हैं। प्रज्ञान रोवर द्वारा मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच उत्साह बढ़ा दिया है, क्योंकि यह चांद के शुरुआती इतिहास और उसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आयाम दे सकती है।

हिजबुल्लाह पर इजराइल का सबसे बड़ा हमला, 500 से अधिक लोगों की मौत, 57 मुस्लिम देश करेंगे मदद?

इजरायल और लेबनान के बीच हालिया तनाव अब पूरी तरह से युद्ध में बदलता दिख रहा है। इजरायल ने लेबनान में बड़े पैमाने पर आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया है। पिछले हफ्ते लेबनान में एक पेजर-वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के बाद से इलाके में दहशत फैल गई थी। हालाँकि, इसके बाद भी आतंकी हिजबुल्लाह बाज नहीं आया था, उसने इजराइल पर 200 रॉकेट दागे, जिससे इजराइल को तो कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फाइटर जेट्स से मिसाइल और बम हमले किए। इन हमलों में हिज्बुल्लाह को गंभीर नुकसान हुआ, और अब इजरायल ने हिज्बुल्लाह के 1600 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया है। इस कार्रवाई में 500 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

इजरायल की सेना ने लेबनानी नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे उन क्षेत्रों को खाली कर दें, जहां हिज्बुल्लाह के हथियार छिपे होने की आशंका है। IDF ने दावा किया है कि लेबनान के घरों में भारी रॉकेट जमा किए गए हैं। बावजूद इस्लामी आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह ने भी उत्तरी इजरायल पर जवाबी हमले करते हुए 200 रॉकेट दागे, जिनमें हाइफा, अफुला, और नाजरेथ जैसे शहरों में सायरन बजने लगे। हालांकि, इजरायल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश रॉकेटों को रोक दिया और किसी गंभीर नुकसान की खबर नहीं है। 

यह संघर्ष पिछले साल तब शुरू हुआ था, जब फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के जिहादियों ने इजरायल पर अचानक हमला किया था और सैकड़ों इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर हमला किया और हमास को खत्म करने का संकल्प लिया। अब हमास के समर्थन में हिज्बुल्लाह भी मैदान में उतर आया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है। इजरायल की हालिया कार्रवाई के बाद सोमवार को लेबनान में 2006 के बाद का सबसे खतरनाक दिन साबित हुआ, जब इजरायली हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। हिज्बुल्लाह के खिलाफ किए गए हवाई हमलों से पहले इजरायल ने दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के नागरिकों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद हजारों लोग बेरूत की ओर भागते नजर आए। 

हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, दुनियाभर के 57 मुस्लिम देश इजराइली हमलों की लगातार निंदा कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सामने आकर उससे लड़ने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है। ये इस्लामी मुल्क आतंकी संगठनों को ही पैसा और हथियार दे रहे हैं, ताकि वो इजराइल से लड़ें और मरें, लेकिन ये देश खुद सामने नहीं आ रहे। अब ये सवाल भी उठ रहा है कि लेबनान पर इतना बड़ा हमला होने के बाद क्या इन 57 मुस्लिम देशों में से एक भी इजराइल के खिलाफ खड़ा होगा।

'हमने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से ख़त्म कर दिया.., अब वो पहले जैसे नहीं रहे, जम्मू-कश्मीर में PM पर राहुल गांधी ने किया सीधा हमला




कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अब पहले जैसे नहीं रहे। राहुल ने दावा किया कि उनकी पार्टी और विपक्ष ने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, "आज का नरेंद्र मोदी वह नहीं है जिसे आप पहले देखा करते थे। हमने उनके सामने खड़े होकर उन्हें बदलने पर मजबूर कर दिया है।"


राहुल गांधी ने कहा कि संसद में जब वह प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं, तो उन्हें साफ नजर आता है कि अब वह 56 इंच की छाती वाले पहले वाले मोदी नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा कि जब भी सरकार कोई कानून लाती है, विपक्ष उसके खिलाफ खड़ा हो जाता है और फिर सरकार को कानून में बदलाव करना पड़ता है। राहुल ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने इलेक्शन के दौरान कहा था कि उनका सीधा कनेक्शन ऊपर यानी भगवान से है, लेकिन अब विपक्ष के INDIA गठबंधन ने उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ दिया है।

राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने यह सब नफरत से नहीं, बल्कि मोहब्बत से किया है और यह दिखाया है कि मोहब्बत के जरिए नफरत को हराया जा सकता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। यह लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है। राहुल ने देश में फैली बेरोजगारी पर भी नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल 2-3 उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है और देश के 25 अरबपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है, जबकि छोटे कारोबारियों को बर्बाद कर दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि पूरे देश में, और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में, रोजगार की कमी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की सरकार दिल्ली से चल रही है और लोगों के पास अपने अधिकार नहीं हैं। राहुल गांधी ने जोर दिया कि कांग्रेस चाहती थी कि राज्य को चुनाव से पहले ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, और चुनाव के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने भाजपा पर समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि वे भाषा, राज्य, धर्म और जाति के आधार पर लोगों को लड़ाने का काम करते हैं। राहुल ने चेतावनी दी कि भाजपा का यह प्रोजेक्ट फेल होगा, और पहाड़ी व गुर्जर समुदायों को आपस में लड़ाने की उनकी कोशिशें नाकाम साबित होंगी।
'हमने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से ख़त्म कर दिया.., अब वो पहले जैसे नहीं रहे, जम्मू-कश्मीर में PM पर राहुल गांधी ने किया सीधा हमला

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अब पहले जैसे नहीं रहे। राहुल ने दावा किया कि उनकी पार्टी और विपक्ष ने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, "आज का नरेंद्र मोदी वह नहीं है जिसे आप पहले देखा करते थे। हमने उनके सामने खड़े होकर उन्हें बदलने पर मजबूर कर दिया है।"

राहुल गांधी ने कहा कि संसद में जब वह प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं, तो उन्हें साफ नजर आता है कि अब वह 56 इंच की छाती वाले पहले वाले मोदी नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा कि जब भी सरकार कोई कानून लाती है, विपक्ष उसके खिलाफ खड़ा हो जाता है और फिर सरकार को कानून में बदलाव करना पड़ता है। राहुल ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने इलेक्शन के दौरान कहा था कि उनका सीधा कनेक्शन ऊपर यानी भगवान से है, लेकिन अब विपक्ष के INDIA गठबंधन ने उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ दिया है।

राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने यह सब नफरत से नहीं, बल्कि मोहब्बत से किया है और यह दिखाया है कि मोहब्बत के जरिए नफरत को हराया जा सकता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। यह लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है। राहुल ने देश में फैली बेरोजगारी पर भी नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल 2-3 उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है और देश के 25 अरबपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है, जबकि छोटे कारोबारियों को बर्बाद कर दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि पूरे देश में, और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में, रोजगार की कमी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की सरकार दिल्ली से चल रही है और लोगों के पास अपने अधिकार नहीं हैं। राहुल गांधी ने जोर दिया कि कांग्रेस चाहती थी कि राज्य को चुनाव से पहले ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, और चुनाव के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने भाजपा पर समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि वे भाषा, राज्य, धर्म और जाति के आधार पर लोगों को लड़ाने का काम करते हैं। राहुल ने चेतावनी दी कि भाजपा का यह प्रोजेक्ट फेल होगा, और पहाड़ी व गुर्जर समुदायों को आपस में लड़ाने की उनकी कोशिशें नाकाम साबित होंगी।

iPhone 16 के बाद अब Apple लॉन्च करेगा सस्ता फोन, बस इतनी कम रहेगी कीमत,यहां डिटेल में जानिए फीचर्स



एपल ने हाल ही में iPhone 16 सीरीज लॉन्च की, जिसकी बिक्री शुरू हो गई है. अब कई लोगों की नजर iPhone SE 4 पर है, जो एपल का सस्ता फोन बनेगा. यह स्मार्टफोन SE सीरीज में एक्सपीरियंस बदलने का काम करेगा. आईफोन एसई 4 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि iPhone SE 3 को 2022 में काफी कम बदलावों के साथ लॉन्च किया गया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि SE 4, एपल के फ्लैगशिप आईफोन सीरीज का किफायती वेरिएंट बनेगा. इसमें iPhone 16 के डिजाइन से कुछ चीजें ली जा सकती हैं.

जिन लोगों का बजट कम है, और वे आईफोन खरीदना चाहते हैं तो उनके लिए एसई सीरीज अच्छा ऑप्शन हो सकती है. आईफोन एसई 4 कंपनी की सबसे किफायती फोन बन सकता है. अपकमिंग आईफोन के संभावित स्पेसिफिकेशंस, डिजाइन, डिस्प्ले और कैमरे से लेकर कीमत तक के बारे में यहां पढ़ें.

डिजाइन और डिस्प्ले

आईफोन एसई 4 के बारे में रूमर है कि यह आईफोन 16 के जैसे डिजाइन के साथ आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो SE 3 के आईफोन 8 जैसे लुक से छुटकारा मिल जाएगा. लीक्स के मुताबिक, नए आईफोन 6.1 इंच के बड़े OLED डिस्प्ले और टच आईडी से फेस आईडी तक में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसमें आईफोन 16 का डायनामिक आइलैंड दिए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन इसमें आईफोन 14 की तरह एक नॉच हो सकता है. पीछे की तरफ, इसमें एक ही कैमरा हो सकता है. इसके अलावा लाइटनिंग की जगह USB-C पोर्ट और म्यूट स्विच की जगह एक्शन बटन शामिल किए जा सकते हैं. एपल ने आईफोन 15 सीरीज से आईफोन में चार्जिंग के लिए USB-C पोर्ट देना शुरू किया है.

विशेषताएं

आईफोन SE 4 में 8GB रैम के साथ A18 चिपसेट की सपोर्ट मिल सकती है. हालांकि, CPU और GPU कोर में कुछ लिमिटेशंस हो सकती हैं. फोन में आईफोन 14 की तरह 3,279mAh की बैटरी और SE 3 के 12MP कैमरा की तुलना में 48MP का रियर कैमरा मिल सकता है. इसमें AI-पावर्ड फीचर्स शामिल होने का भी अनुमान है, जो इसे एपल इंटेलिजेंस वाला सबसे किफायती आईफोन बना सकता है.


संभावित कीमत

आईफोन SE 4 के बेस 64GB मॉडल की संभावित कीमत 500 डॉलर (लगभग 42,000 रुपये) से कम हो सकती है. ये नया आईफोन पुराने एसई सीरीज आईफोन की तरह मार्च और अप्रैल 2025 के बीच लॉन्च किया जा सकता है. फिलहाल, एपल ने इसकी रिलीज डेट को कंफर्म नहीं किया है.
iPhone 16 के बाद अब Apple लॉन्च करेगा सस्ता फोन, बस इतनी कम रहेगी कीमत,यहां डिटेल में जानिए फीचर्स

 एपल ने हाल ही में iPhone 16 सीरीज लॉन्च की, जिसकी बिक्री शुरू हो गई है. अब कई लोगों की नजर iPhone SE 4 पर है, जो एपल का सस्ता फोन बनेगा. यह स्मार्टफोन SE सीरीज में एक्सपीरियंस बदलने का काम करेगा. आईफोन एसई 4 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि iPhone SE 3 को 2022 में काफी कम बदलावों के साथ लॉन्च किया गया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि SE 4, एपल के फ्लैगशिप आईफोन सीरीज का किफायती वेरिएंट बनेगा. इसमें iPhone 16 के डिजाइन से कुछ चीजें ली जा सकती हैं.

जिन लोगों का बजट कम है, और वे आईफोन खरीदना चाहते हैं तो उनके लिए एसई सीरीज अच्छा ऑप्शन हो सकती है. आईफोन एसई 4 कंपनी की सबसे किफायती फोन बन सकता है. अपकमिंग आईफोन के संभावित स्पेसिफिकेशंस, डिजाइन, डिस्प्ले और कैमरे से लेकर कीमत तक के बारे में यहां पढ़ें.

 डिजाइन और डिस्प्ले

आईफोन एसई 4 के बारे में रूमर है कि यह आईफोन 16 के जैसे डिजाइन के साथ आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो SE 3 के आईफोन 8 जैसे लुक से छुटकारा मिल जाएगा. लीक्स के मुताबिक, नए आईफोन 6.1 इंच के बड़े OLED डिस्प्ले और टच आईडी से फेस आईडी तक में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसमें आईफोन 16 का डायनामिक आइलैंड दिए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन इसमें आईफोन 14 की तरह एक नॉच हो सकता है. पीछे की तरफ, इसमें एक ही कैमरा हो सकता है. इसके अलावा लाइटनिंग की जगह USB-C पोर्ट और म्यूट स्विच की जगह एक्शन बटन शामिल किए जा सकते हैं. एपल ने आईफोन 15 सीरीज से आईफोन में चार्जिंग के लिए USB-C पोर्ट देना शुरू किया है.

विशेषताएं

आईफोन SE 4 में 8GB रैम के साथ A18 चिपसेट की सपोर्ट मिल सकती है. हालांकि, CPU और GPU कोर में कुछ लिमिटेशंस हो सकती हैं. फोन में आईफोन 14 की तरह 3,279mAh की बैटरी और SE 3 के 12MP कैमरा की तुलना में 48MP का रियर कैमरा मिल सकता है. इसमें AI-पावर्ड फीचर्स शामिल होने का भी अनुमान है, जो इसे एपल इंटेलिजेंस वाला सबसे किफायती आईफोन बना सकता है.

 संभावित कीमत

आईफोन SE 4 के बेस 64GB मॉडल की संभावित कीमत 500 डॉलर (लगभग 42,000 रुपये) से कम हो सकती है. ये नया आईफोन पुराने एसई सीरीज आईफोन की तरह मार्च और अप्रैल 2025 के बीच लॉन्च किया जा सकता है. फिलहाल, एपल ने इसकी रिलीज डेट को कंफर्म नहीं किया है.