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यागी तूफान ने इन तीन देशों में मचाई तबाही, 59 लोगों की मौत, तेज हवाओं से लाखों लोग प्रभावित



यागी तूफान का वियतनाम, चीन और फिलीपींस में असर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। इन तीनों देशों में इस यागी टायफून तबाही मचा रहा है। तेज़ रफ्तार की हवाओं से इस तूफ़ान ने लोगों का बुरा हाल कर दिया है। इस यागी तूफान की वजह से तीनों देशों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।

लाखों लोगों को इस तूफान की वजह से अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर शरण लेनी पड़ी है। यागी तूफान को सबसे शक्तिशाली टायफून में से एक माना जा रहा है और इसे लेकर प्रभवित क्षेत्रों में चेतावनी भी जारी की जा चुकी है। इन क्षेत्रों में तो खतरे को देखते हुए कई स्कूलों और ऑफिसों को भी बंद करने का फैसला लिया गया है। यागी तूफान की वजह से इन तीनों देशों में जान-माल का भी नुकसान हो रहा है, खास तौर से वियतनाम में।

वियतनाम में यागी तूफान की वजह से प्रभावित क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड के मामले सामने आ रहे हैं। नदियाँ उफान पर हैं। भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड की चेतावनी बनी हुई है। यागी तूफान की वजह से वियतनाम में अब तक 59 लोगों की मौत हो चुकी है। वियतनाम में यागी तूफान की वजह से कई लोग घायल भी हो गए हैं। बड़ी मात्रा में फसलें तबाह हो गई हैं। साथ ही कई घरों और इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। कई घर तो इस शक्तिशाली तूफान की चपेट में आकर तबाह भी हो गए हैं।

रविवार को यागी तूफान कुछ कमजोर ज़रूर पड़ा, लेकिन इसका खतरा अभी भी टला नहीं है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की सलाह दी गई है और बिना ज़रूरत के अपने घरों से बाहर निकलने से मना किया गया है। यागी तूफान से भारत में खतरा नहीं है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भी इस बारे में साफ कर दिया है।
इंदौर के चर्चित बल्ला कांड में कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों पर दर्ज हुआ था केस



मध्य प्रदेश के इंदौर में तीन साल पहले हुए बल्ला कांड में बीजेपी के पूर्व विधायक और कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को बड़ी राहत मिली है. विधायक रहते हुए नगर निगम के कर्मचारियों पर बल्ला चलाने के आरोप में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय समेत 10 आरोपियों को बरी कर दिया है. जिस वक्त यह मामला सामने आया था तब आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक थे. इस मामले में पीएम मोदी ने भी नाराजगी जताई थी. तीन साल बाद मामले का फैसला आया है, जिसमें सभी 10 आरोपी बरी हो गए हैं.

दरअसल, 26 जून 2019 को इंदौर में जर्जर मकान को लेकर इंदौर नगर निगम ने कार्रवाई की थी. इस दौरान स्थानीय लोगों ने तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय को बुला लिया. विधायक ने आते ही नगर निगम की कार्रवाई का विरोध किया और कर्मचारियों को मौके से जाने के लिए कहा. इसी दौरान आकाश विजयवर्गीय की नगर निगम के अधिकारी धीरेंद्र बायस से बहस हुई थी. इसके बाद क्रिकेट बेट से हमला करने का वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद देशभर में यह मामला चर्चा में आ गया था. जिस वक्त यह कांड हुआ था उस वक्त मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी.


आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों पर इस मामले में केस दर्ज हुआ था. इंदौर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आकाश समेत सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया है. दरअसल, नगर निगम के अधिकारी धीरेंद्र बायस मामले में मुख्य गवाह थे वह बयान से पलट गए थे. जिसके बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है. फरवरी 2022 में अधिकारी ने अदालत में बयान बदला था. जिसके बाद अब तक चली सुनवाई में आखिरकार कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें बरी कर दिया.

इंदौर के इस बल्लाकांड की चर्चा देशभर में हुई थी. पीएम मोदी ने भी बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस घटना पर नाराजगी जताई थी. हालांकि जब आकाश विजयवर्गीय से इस बात को लेकर सवाल किया गया उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी पिता समान हैं उनकी डांट अच्छी लगती है. वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आकाश विजयवर्गीय का टिकट काट दिया था. उनकी जगह इंदौर-3 से गोलू शुक्ला को टिकट मिला था. हालांकि आकाश के पिता और बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजवयर्गीय इंदौर-1 सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे थे, जहां चुनाव जीतकर वह मोहन सरकार में सीनियर मंत्री भी हैं.

बता दें कि आकाश विजयवर्गीय बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय चुनाव नहीं लड़े थे. लेकिन पार्टी ने उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया था. जहां चुनाव जीतकर वह विधायक बने थे. वहीं 2019 में बल्ला कांड हुआ था. इससे पहले भी आकाश विजयवर्गीय कई बार अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहे हैं.
आरक्षण पर राहुल गांधी के बयान पर भड़की मायावती, कहा, इसकी आड़ में सत्ता हासिल करने का देख रहे सपना



लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी इस समय अमेरिका दौरे पर हैं। जहाँ वे चिरपरिचित अंदाज़ में भाजपा-RSS पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने विदेशी धरती पर दावा कर दिया कि ''भारत में लड़ाई इस बात की है कि सिखों को पगड़ी, कड़ा पहनने की इजाजत होना चाहिए या नहीं ? सिख गुरुद्वारा जा पाएंगे या नहीं ?''  वहीं, राहुल ने अमेरिका में आरक्षण पर भी बयान दिया, जिसपर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।


उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती ने आरक्षण पर बयान देने वाले राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि, ''केन्द्र में काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी।'' उन्होंने आगे लिखा कि, ''अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा श्री राहुल गाँधी के इस नाटक से भी सर्तक रहें जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहत्तर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है।''

बसपा सुप्रीमो ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, ''इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता श्री राहुल गाँधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केन्द्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें। जबकि सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है। केन्द्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इन्साफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोग सावधन रहें।''

मायावती ने लिखा कि, कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है, तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है। अतः जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी।
सुशील कुमार शिंदे को गृह मंत्री रहते कश्मीर जाने पर डर लगता था, बयान पर घिरी कांग्रेस
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कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का एक बयान खूब चर्चा में है। पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ी बात कबूली है। उन्होंने कहा है कि जब वह देश के गृह मंत्री थे तब उन्हें कश्मीर जाने से डर लगता था। एक किताब के विमोचन के मौके पर सुशील शिंदे के बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। भाजपा ने उनके बयान को मुद्दा बना लिया है। भाजपा का कहना कि शिंदे ने स्वीकार किया है कि कांग्रेस शासन में जम्मू-कश्मीर की हालत ठीक नहीं थी। मगर धारा 370 हटने के बाद वहां तेजी से बदलाव आया है।

अपने संस्मरण 'फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स' के लॉन्च पर कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि गृह मंत्री बनने से पहले मैं शिक्षाविद विजय धर से मिलने गया था। मैं उनसे सलाह मांगता था। उन्होंने मुझे ऐसी सलाह दी कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक… तू लाल चौक में जाकर वहां भाषण कर. कुछ लोगों से मिल और डल झील में घूमते चलो… उस सलाह से मुझे बहुत पब्लिसिटी मिली और लोगों में संदेश गया एक ऐसा होम मिनिस्टर है, जो बिना डर के जाता है, लेकिन मेरी फ$% (आपत्तिजनक शब्द) थी किसको बताऊं मैं।

शिंदे की किताब के विमोचन के मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एमपी के दो बार सीएम रहे दिग्विजय सिंह जैसे सियासत के दिग्गजों के अलावा जाने-माने शिक्षाविद विजय धर भी मौजूद थे। धर शिंदे के काफी करीबी हैं। उनकी ही एक सलाह का जिक्र करते हुए शिंदे ने कश्मीर में खुद को डर लगने की बात कही।

*बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने साधा निशाना*
पूर्व गृहमंत्री के इस बयान पर बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि कांग्रेस को शिंदे की बातों पर ध्यान देना चाहिए।  यूपीए काल के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वह जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे। पूनावाला ने कहा कि आज राहुल गांधी आराम से कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा और स्नो फाइटिंग करते दिखे! लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंक के दिनों में वापस ले जाना चाहते हैं!

*370 को निष्प्रभावी करना बीजेपी की बड़ी उपलब्धी*
सुशील कुमार शिंदे के बयान के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या सुशील कुमार शिंदे ने माना अब कश्मीर बदल गया है? क्या शिंदे ने मान लिया है कि कश्मीर अब सुरक्षित है? बता दें कि भारतीय जनता पार्टी आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाती है और उसका दावा है कि इसी वजह से अब समूचे जम्मू-कश्मीर में पर्यटक बेखौफ घूम सकते हैं।
*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

जाकिर नाइक ने उगला जहर तो केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने दिया जवाब, बोले-'मुसलमानों को गुमराह न करें

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भारत से भागकर मलेशिया में छुपे जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान देकर भारत के मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया है। भगोड़े इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक पर वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भारतीय मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश की है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जाकिर को इसका करारा जवाब दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि, वो भारत में मुसलमानों को गुमराह न करें। 

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड को रेगुलेट करने के लिए बिल लाइ थी जिस पर जेपीसी विचार कर रही है वहीं एक वर्ग ऐसा है जो इस बिल का विरोध कर रहा है। ऐसी माहौल में इस्लामिक कट्टरपंथी उपदेशक जाकिर नाइक ने एक्स पर इस मसले को लेकर एक पोस्ट किया था।

रिजिजू ने नाइक के पोस्ट को भ्रामक और झूठा प्रचार बताया है। उन्होंने कहा, 'कृपया हमारे देश के बाहर से निर्दोष मुसलमानों को गुमराह न करें। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोगों को अपनी राय रखने का अधिकार है। दुष्प्रचार से गलत नैरेटिव बनते हैं।

रिजिजू ने इससे पहले संसद में कहा था कि वक्फ बोर्ड पर 'कुछ लोगों' का कब्जा हो गया है और यह विधेयक आम मुसलमानों को न्याय देने के लिए लाया गया है।

इससे पहले जाकिर नाइक ने रविवार, 8 सितंबर को वक्फ संशोधन विधेयक को बुरा बिल कहा और इसे पारित न होने देने के लिए आवाज उठाने की सलाह दी। भारत के मुसलमानों को संबोधित करते हुए जाकिर ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 'वक्फ की पवित्र स्थिति का उल्लंघन है। नाइक ने कहा, अगर हम इस विधेयक को पारित होने देते हैं तो हम अल्लाह के क्रोध और आने वाली पीढ़ियों के अभिशाप को सहन करेंगे। 

देश के मुसलमानों से वक्फ संशोधन विधेयक को रोकने का आह्वान करते हुए जाकिर नाइक ने कहा कि भारत में कम से कम 50 लाख मुसलमानों को वक्फ संशोधन विधेयक की अस्वीकृति को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजना चाहिए। नाइक की पोस्ट में कहा गया, आइए वक्फ की पवित्रता की रक्षा के लिए एक साथ खड़े हों और भावी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण सुनिश्चित करें।

जाकिर नाइक ने अपने पोस्ट में लिखा, भारतीय वक्फ संपत्तियों को बचाएं, वक्फ संशोधन विधेयक को खारिज करें. जाकिर नाइक ने इसके लिए हदीस का हावाला दिया है। जाकिर ने कहा कि अल्लाह के दूत ने कहा है कि अगर लोग कुछ बुराई देखते हैं लेकिन उसे नहीं बदलते हैं तो जल्द ही अल्लाह उन सभी पर अपनी सजा भेजेगा।

बता दें कि जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित होकर बंग्लादेश में एक युवक ने आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसी के बाद भारत सरकार ने जाकिर नाइक के खिलाफ जांच करनी शुरू की थी, जिसके बाद यह कई संदिग्ध मामलों में संलिप्त पाया गया था। भारत सरकार की तरफ से नकेल कसने के बाद यह सऊदी अरब और बाद मलेशिया में जाकर छुप गया है। इसके खिलाफ भारत में कई आपराधिक मुकदमे दायर हैं।

राहुल गांधी के अमेरिका में दिए बयान पर हंगामा, जानें सिखों को लेकर क्या बोले कांग्रेस सासंद?
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राहुल गांधी का विदेशी जमीन पर दिए बयान के बाद हंगामा होना आम बात हो गई है। एक बार फिर तीन दिन के अमेरिका दौरे गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान को लेकर विवाद हो रहा है। अमेरिका के वर्जीनिया में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल ने भारत में सिखों की स्थिति को लेकर बात की।कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा कि भारत में इस बात को लेकर लड़ाई है कि एक सिख को पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी। जिसके बाद विवाद बढ़ गया है।बीजेपी ने इसपर पलटवार करते हुए उन्हें भारत में यह बात बोलकर दिखाने के लिए कहा है।

राहुल ने मंगलवार को अमेरिका के वर्जीनिया में बोलते हुए भारत में सिखों की स्थिति पर टिप्पणी की थी। लोकसभा में नेता विपक्ष ने कहा, 'लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी... क्या एक सिख को भारत में कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या वह गुरुद्वारा जा सकेगा... लड़ाई इसी बात को लेकर है, और यह सिर्फ सिखों के लिए नहीं है, यह सभी धर्मों के लिए है...।'

सिखों के पगड़ी और कड़ा पहनने को लेकर दिए गए राहुल गांधी के बयान के बाद से सियासत एक बार फिर गर्मा गई है।बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने राहुल से भारत में भी यही बात कहने की चुनौती दी है।न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए आरपी सिंह ने कहा कि दिल्ली में 3000 सिखों का नरसंहार हुआ था, उनकी पगड़ियां उतरवाई गईं, उनके बाल काटे गए और दाढ़ी भी मुंडवाई गई। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह यह नहीं बताते कि यह सब कांग्रेस के शासन में हुआ। सिंह ने राहुल गांधी को चुनौती दी कि वह सिखों के बारे में अपनी बात भारत में दोहराएं, वह उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे और उन्हें अदालत में खींचेंगे।

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी राहुल गांधी पर इस बयान को लेकर निशाना साधा है। राहुल ने कहा, जो कांग्रेस आजादी के बाद से तुष्टिकरण राजनीति, सिखों का कत्लेआम किया और वो आज पाठ पढ़ा रहे है। मेरा यहां कहावत है कि जो अज्ञानी ज्यादा होते हैं वह अपने ज्ञान का प्रदर्शन ज्यादा करते हैं। यही राहुल गांधी हैं।

इसके साथ ही राहुल गांधी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 को वह स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए होते तो बीजेपी सत्ता में नहीं होती।कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले, हम इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया गया है...हमारे पास निष्पक्ष खेल का मैदान नहीं था। उनके पास बहुत बड़ा वित्तीय लाभ था। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे...चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा कि ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 के करीब थी।

वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर भी बात की और निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कई सालों में यह डर लोगों के दिलों में बैठाया, जिसे लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक सेकंड में ही खत्म कर दिया। आप इसे सीधे संसद में देख सकते हैं और मैं आपको बता सकता हूं कि पीएम मोदी का विचार, 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा नाता, वह सब चला गया। यह अब इतिहास है। उन्हें, सरकार और भारत में उनकी सरकार के बड़े मंत्रियों को भी इसका एहसास है।
अरुणाचल की सीमा में घुसा 'ड्रैगन', छोड़े निशान, दावों पर सरकार का क्या है जवाब?

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भारत अपने पड़ोसी देश चीन की चालों से आए दिन परेशान रहता है। इस बीच एक बार फिर चीन की तरफ से सीमा के अंदर घुसपैठ की खबर है। दावा किया जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के कपापू इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की है। इस दावे को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सिरे खारिज कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में कुछ दिखाया गया कि चीनी पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में कुछ निशान लगाए हैं. लेकिन हम सभी स्थिति जानते हैं। भारत सरकार और हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय बातचीत में लगे हुए हैं। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि चीनी सेना या चीनी बलों को उनकी नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह की स्थायी संरचना स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं

रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। ईटानगर से सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए अरुणाचल में भारतीय क्षेत्र में कम से कम 60 किलोमीटर अंदर तक घुस आया है। घुसपैठ वाली जगह पर अलाव, स्प्रे-पेंट की गई चट्टानें और चीनी खाने पीने का सामान मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पीएलए की ये घुसपैठ करीब एक सप्ताह पहले हुई थी।

पहले भी बता चुका है अरूणाचल को चीन का हिस्सा

मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था।

2020 से चीन-भारत में तनातनी

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

“मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता” अमेरिका से राहुल गांधी ने आरएसएस को घेरा

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों देश में मौजूद नहीं है। हालांकि, विदेश जमीन पर बैठकर भी राहुल खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। वहां उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा है। 

56 इंच का सीना इतिहास बन गया-राहुल गांधी

वर्जीनिया के हर्नडन में एक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। राहुल गांधी ने कहा, 'मैं संसद में प्रधानमंत्री को सामने देखता हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि मोदी जी का 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा संपर्क, यह सब अब इतिहास बन गया है।' 

नरेन्द्र मोदी से क्यों सहानुभूति रखते हैं राहुल?

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा भारत भाषाओं, परंपराओं, धर्म का एक संघ है। जब भारतीय लोग अपने धार्मिक स्थानों पर जाते हैं, तो वे अपने देवता के साथ विलीन हो जाते हैं। यह भारत की प्रकृति है। भाजपा और आरएसएस की गलतफहमी यह है कि वे सोचते हैं कि भारत एक अलग-अलग चीजों का पूरा समूह। मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता। मैं उनके दृष्टिकोण से सहमत नहीं हूं लेकिन मैं उनसे नफरत भी नहीं करता, कई क्षणों में मैं उनके प्रति सहानुभूति रखता हूं।

आरएसएस कुछ राज्य और समुदाय को कमतर आंकते हैं-राहुल गांधी

वहीं राहुल गांधी ने आरएसएस के बहाने भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष किया और कहा कि सत्ताधारी पार्टी यह नहीं समझती कि देश सबके लिए है, जबकि नागपुर में मुख्यालय रखने वाले उनके लिए केवल एक विचारधारा महत्वपूर्ण है। राहुल गांधी ने आगे आरोप लगाया कि आरएसएस का मानना है कि कुछ राज्य और समुदाय दूसरों से कमतर हैं। इसी बात को लेकर लड़ाई है। हमारा मानना है कि सभी का अपना इतिहास, परंपरा और भाषा है। उनमें से हर एक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कोई और। अगर कोई आपसे कहे कि आप तमिल नहीं बोल सकते तो आप क्या करेंगे? आपको कैसा लगेगा? आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे? यही आरएसएस की विचारधारा है - कि तमिल, मराठी, बंगाली, मणिपुरी - सभी निम्न भाषाएं हैं।

*...तो बीजेपी 246 सीट भी नहीं जीत पाती, राहुल गांधी ने यूएस में बैठकर लोकसभा चुनाव पर उठाया सवाल*

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कांग्रेस के नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी अमेरिकी दौरे पर लगातार बीजेपी और नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस नेता ने अमेरिका में बैठकर हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 को वह स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए होते तो बीजेपी सत्ता में नहीं होती।

कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले, हम इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया गया है...हमारे पास निष्पक्ष खेल का मैदान नहीं था। उनके पास बहुत बड़ा वित्तीय लाभ था। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे...चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा कि ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 के करीब थी।

इसे एक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं-राहुल गांधी

एक इंटरव्यू में राहुल गांधी ने कहा कि मैं लोकसभा चुनाव 2024 को स्वतंत्र चुनाव नहीं मानता। मैं इसे एक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं। राहुल गांधी ने कहा कि पूरा अभियान इस तरह से बनाया गया था कि नरेंद्र मोदी पूरे देश में अपनी बात कह सकें। जिन राज्यों में वे कमजोर थे, उन्हें अलग तरीके से डिजाइन किया गया था। चुनाव आयोग भी हमारी बातों और शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहा था।

मीडिया और जांच एजेंसियों पर उनका कब्जा-राहुल गांधी

राहुल ने कहा कि मीडिया और जांच एजेंसियों पर सरकार का कब्जा है। हम यह लगातार कहते रहे लेकिन लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था। मैंने संविधान को सामने रखना शुरू किया और मैंने जो कुछ भी कहा वह अचानक से फूट पड़ा। गरीब भारत, उत्पीड़ित भारत, भारत ने समझ लिया कि अगर संविधान खत्म हो गया तो पूरा खेल खत्म हो जाएगा।

हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रचार अभियान के आधे समय में मोदी को नहीं लगा कि वे 300-400 सीटों के करीब पहुंच गए हैं। जब उन्होंने कहा कि मैं सीधे भगवान से बात करता हूं, तो हमें पता चल गया था। हमें पता था कि हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। हमने इसे मनोवैज्ञानिक पतन के रूप में देखा। नरेंद्र मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन टूट गया है। सरकार और दो या तीन बड़े व्यवसायों के बीच बहुत बड़ी सांठगांठ है।