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जाकिर नाइक ने उगला जहर तो केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने दिया जवाब, बोले-'मुसलमानों को गुमराह न करें

#kiren_rijiju_attacks_zakir_naik_social_media_post

भारत से भागकर मलेशिया में छुपे जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान देकर भारत के मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया है। भगोड़े इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक पर वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भारतीय मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश की है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जाकिर को इसका करारा जवाब दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि, वो भारत में मुसलमानों को गुमराह न करें। 

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड को रेगुलेट करने के लिए बिल लाइ थी जिस पर जेपीसी विचार कर रही है वहीं एक वर्ग ऐसा है जो इस बिल का विरोध कर रहा है। ऐसी माहौल में इस्लामिक कट्टरपंथी उपदेशक जाकिर नाइक ने एक्स पर इस मसले को लेकर एक पोस्ट किया था।

रिजिजू ने नाइक के पोस्ट को भ्रामक और झूठा प्रचार बताया है। उन्होंने कहा, 'कृपया हमारे देश के बाहर से निर्दोष मुसलमानों को गुमराह न करें। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोगों को अपनी राय रखने का अधिकार है। दुष्प्रचार से गलत नैरेटिव बनते हैं।

रिजिजू ने इससे पहले संसद में कहा था कि वक्फ बोर्ड पर 'कुछ लोगों' का कब्जा हो गया है और यह विधेयक आम मुसलमानों को न्याय देने के लिए लाया गया है।

इससे पहले जाकिर नाइक ने रविवार, 8 सितंबर को वक्फ संशोधन विधेयक को बुरा बिल कहा और इसे पारित न होने देने के लिए आवाज उठाने की सलाह दी। भारत के मुसलमानों को संबोधित करते हुए जाकिर ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 'वक्फ की पवित्र स्थिति का उल्लंघन है। नाइक ने कहा, अगर हम इस विधेयक को पारित होने देते हैं तो हम अल्लाह के क्रोध और आने वाली पीढ़ियों के अभिशाप को सहन करेंगे। 

देश के मुसलमानों से वक्फ संशोधन विधेयक को रोकने का आह्वान करते हुए जाकिर नाइक ने कहा कि भारत में कम से कम 50 लाख मुसलमानों को वक्फ संशोधन विधेयक की अस्वीकृति को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजना चाहिए। नाइक की पोस्ट में कहा गया, आइए वक्फ की पवित्रता की रक्षा के लिए एक साथ खड़े हों और भावी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण सुनिश्चित करें।

जाकिर नाइक ने अपने पोस्ट में लिखा, भारतीय वक्फ संपत्तियों को बचाएं, वक्फ संशोधन विधेयक को खारिज करें. जाकिर नाइक ने इसके लिए हदीस का हावाला दिया है। जाकिर ने कहा कि अल्लाह के दूत ने कहा है कि अगर लोग कुछ बुराई देखते हैं लेकिन उसे नहीं बदलते हैं तो जल्द ही अल्लाह उन सभी पर अपनी सजा भेजेगा।

बता दें कि जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित होकर बंग्लादेश में एक युवक ने आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसी के बाद भारत सरकार ने जाकिर नाइक के खिलाफ जांच करनी शुरू की थी, जिसके बाद यह कई संदिग्ध मामलों में संलिप्त पाया गया था। भारत सरकार की तरफ से नकेल कसने के बाद यह सऊदी अरब और बाद मलेशिया में जाकर छुप गया है। इसके खिलाफ भारत में कई आपराधिक मुकदमे दायर हैं।

राहुल गांधी के अमेरिका में दिए बयान पर हंगामा, जानें सिखों को लेकर क्या बोले कांग्रेस सासंद?
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राहुल गांधी का विदेशी जमीन पर दिए बयान के बाद हंगामा होना आम बात हो गई है। एक बार फिर तीन दिन के अमेरिका दौरे गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान को लेकर विवाद हो रहा है। अमेरिका के वर्जीनिया में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल ने भारत में सिखों की स्थिति को लेकर बात की।कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा कि भारत में इस बात को लेकर लड़ाई है कि एक सिख को पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी। जिसके बाद विवाद बढ़ गया है।बीजेपी ने इसपर पलटवार करते हुए उन्हें भारत में यह बात बोलकर दिखाने के लिए कहा है।

राहुल ने मंगलवार को अमेरिका के वर्जीनिया में बोलते हुए भारत में सिखों की स्थिति पर टिप्पणी की थी। लोकसभा में नेता विपक्ष ने कहा, 'लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी... क्या एक सिख को भारत में कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या वह गुरुद्वारा जा सकेगा... लड़ाई इसी बात को लेकर है, और यह सिर्फ सिखों के लिए नहीं है, यह सभी धर्मों के लिए है...।'

सिखों के पगड़ी और कड़ा पहनने को लेकर दिए गए राहुल गांधी के बयान के बाद से सियासत एक बार फिर गर्मा गई है।बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने राहुल से भारत में भी यही बात कहने की चुनौती दी है।न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए आरपी सिंह ने कहा कि दिल्ली में 3000 सिखों का नरसंहार हुआ था, उनकी पगड़ियां उतरवाई गईं, उनके बाल काटे गए और दाढ़ी भी मुंडवाई गई। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह यह नहीं बताते कि यह सब कांग्रेस के शासन में हुआ। सिंह ने राहुल गांधी को चुनौती दी कि वह सिखों के बारे में अपनी बात भारत में दोहराएं, वह उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे और उन्हें अदालत में खींचेंगे।

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी राहुल गांधी पर इस बयान को लेकर निशाना साधा है। राहुल ने कहा, जो कांग्रेस आजादी के बाद से तुष्टिकरण राजनीति, सिखों का कत्लेआम किया और वो आज पाठ पढ़ा रहे है। मेरा यहां कहावत है कि जो अज्ञानी ज्यादा होते हैं वह अपने ज्ञान का प्रदर्शन ज्यादा करते हैं। यही राहुल गांधी हैं।

इसके साथ ही राहुल गांधी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 को वह स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए होते तो बीजेपी सत्ता में नहीं होती।कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले, हम इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया गया है...हमारे पास निष्पक्ष खेल का मैदान नहीं था। उनके पास बहुत बड़ा वित्तीय लाभ था। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे...चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा कि ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 के करीब थी।

वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर भी बात की और निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कई सालों में यह डर लोगों के दिलों में बैठाया, जिसे लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक सेकंड में ही खत्म कर दिया। आप इसे सीधे संसद में देख सकते हैं और मैं आपको बता सकता हूं कि पीएम मोदी का विचार, 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा नाता, वह सब चला गया। यह अब इतिहास है। उन्हें, सरकार और भारत में उनकी सरकार के बड़े मंत्रियों को भी इसका एहसास है।
अरुणाचल की सीमा में घुसा 'ड्रैगन', छोड़े निशान, दावों पर सरकार का क्या है जवाब?

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भारत अपने पड़ोसी देश चीन की चालों से आए दिन परेशान रहता है। इस बीच एक बार फिर चीन की तरफ से सीमा के अंदर घुसपैठ की खबर है। दावा किया जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के कपापू इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की है। इस दावे को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सिरे खारिज कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में कुछ दिखाया गया कि चीनी पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में कुछ निशान लगाए हैं. लेकिन हम सभी स्थिति जानते हैं। भारत सरकार और हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय बातचीत में लगे हुए हैं। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि चीनी सेना या चीनी बलों को उनकी नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह की स्थायी संरचना स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं

रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। ईटानगर से सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए अरुणाचल में भारतीय क्षेत्र में कम से कम 60 किलोमीटर अंदर तक घुस आया है। घुसपैठ वाली जगह पर अलाव, स्प्रे-पेंट की गई चट्टानें और चीनी खाने पीने का सामान मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पीएलए की ये घुसपैठ करीब एक सप्ताह पहले हुई थी।

पहले भी बता चुका है अरूणाचल को चीन का हिस्सा

मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था।

2020 से चीन-भारत में तनातनी

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

“मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता” अमेरिका से राहुल गांधी ने आरएसएस को घेरा

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों देश में मौजूद नहीं है। हालांकि, विदेश जमीन पर बैठकर भी राहुल खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। वहां उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा है। 

56 इंच का सीना इतिहास बन गया-राहुल गांधी

वर्जीनिया के हर्नडन में एक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। राहुल गांधी ने कहा, 'मैं संसद में प्रधानमंत्री को सामने देखता हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि मोदी जी का 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा संपर्क, यह सब अब इतिहास बन गया है।' 

नरेन्द्र मोदी से क्यों सहानुभूति रखते हैं राहुल?

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा भारत भाषाओं, परंपराओं, धर्म का एक संघ है। जब भारतीय लोग अपने धार्मिक स्थानों पर जाते हैं, तो वे अपने देवता के साथ विलीन हो जाते हैं। यह भारत की प्रकृति है। भाजपा और आरएसएस की गलतफहमी यह है कि वे सोचते हैं कि भारत एक अलग-अलग चीजों का पूरा समूह। मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता। मैं उनके दृष्टिकोण से सहमत नहीं हूं लेकिन मैं उनसे नफरत भी नहीं करता, कई क्षणों में मैं उनके प्रति सहानुभूति रखता हूं।

आरएसएस कुछ राज्य और समुदाय को कमतर आंकते हैं-राहुल गांधी

वहीं राहुल गांधी ने आरएसएस के बहाने भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष किया और कहा कि सत्ताधारी पार्टी यह नहीं समझती कि देश सबके लिए है, जबकि नागपुर में मुख्यालय रखने वाले उनके लिए केवल एक विचारधारा महत्वपूर्ण है। राहुल गांधी ने आगे आरोप लगाया कि आरएसएस का मानना है कि कुछ राज्य और समुदाय दूसरों से कमतर हैं। इसी बात को लेकर लड़ाई है। हमारा मानना है कि सभी का अपना इतिहास, परंपरा और भाषा है। उनमें से हर एक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कोई और। अगर कोई आपसे कहे कि आप तमिल नहीं बोल सकते तो आप क्या करेंगे? आपको कैसा लगेगा? आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे? यही आरएसएस की विचारधारा है - कि तमिल, मराठी, बंगाली, मणिपुरी - सभी निम्न भाषाएं हैं।

*...तो बीजेपी 246 सीट भी नहीं जीत पाती, राहुल गांधी ने यूएस में बैठकर लोकसभा चुनाव पर उठाया सवाल*

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कांग्रेस के नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी अमेरिकी दौरे पर लगातार बीजेपी और नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस नेता ने अमेरिका में बैठकर हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 को वह स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए होते तो बीजेपी सत्ता में नहीं होती।

कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले, हम इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया गया है...हमारे पास निष्पक्ष खेल का मैदान नहीं था। उनके पास बहुत बड़ा वित्तीय लाभ था। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे...चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा कि ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 के करीब थी।

इसे एक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं-राहुल गांधी

एक इंटरव्यू में राहुल गांधी ने कहा कि मैं लोकसभा चुनाव 2024 को स्वतंत्र चुनाव नहीं मानता। मैं इसे एक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं। राहुल गांधी ने कहा कि पूरा अभियान इस तरह से बनाया गया था कि नरेंद्र मोदी पूरे देश में अपनी बात कह सकें। जिन राज्यों में वे कमजोर थे, उन्हें अलग तरीके से डिजाइन किया गया था। चुनाव आयोग भी हमारी बातों और शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहा था।

मीडिया और जांच एजेंसियों पर उनका कब्जा-राहुल गांधी

राहुल ने कहा कि मीडिया और जांच एजेंसियों पर सरकार का कब्जा है। हम यह लगातार कहते रहे लेकिन लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था। मैंने संविधान को सामने रखना शुरू किया और मैंने जो कुछ भी कहा वह अचानक से फूट पड़ा। गरीब भारत, उत्पीड़ित भारत, भारत ने समझ लिया कि अगर संविधान खत्म हो गया तो पूरा खेल खत्म हो जाएगा।

हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रचार अभियान के आधे समय में मोदी को नहीं लगा कि वे 300-400 सीटों के करीब पहुंच गए हैं। जब उन्होंने कहा कि मैं सीधे भगवान से बात करता हूं, तो हमें पता चल गया था। हमें पता था कि हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। हमने इसे मनोवैज्ञानिक पतन के रूप में देखा। नरेंद्र मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन टूट गया है। सरकार और दो या तीन बड़े व्यवसायों के बीच बहुत बड़ी सांठगांठ है।

कांग्रेस कब खत्म करेगी आरक्षण? राहुल गांधी ने यूएस में बताया प्लान

#wewillthinkofscrappingreservationrahul_gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर हैं।जहां वे भारतीय समुदाय और छात्रों-शिक्षकों के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस कड़ी में राहुल गांधी ने वाशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों और शिक्षकों से बातचीत की है। इस दौरान राहुल गांधी ने आरक्षण खत्म करने को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी जब सही समय होगा, जोकि अभी नहीं है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि जब भारत निष्पक्ष देश होगा, तब कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जो अभी नहीं है। दरअसल, राहुल गांधी से ये सवाल पूछा गया कि आरक्षण कब तक जारी रहेगा, इसके जवाब में राहुल गांधी ने विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा, जब भारत निष्पक्ष होगा, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे। और भारत निष्पक्ष नहीं है। राहुल गांधी ने आगे कहा, जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखेंगे, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं; दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतने ही पैसे मिलते हैं। असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है।

भारत की 90 प्रतिशत आबादी भागीदारी करने में सक्षम नहीं-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, समस्या यह है कि भारत की 90 प्रतिशत आबादी भागीदारी करने में सक्षम नहीं है। भारत के हर एक ‘बिजनेस लीडर’ की सूची देखें। मैंने ऐसा किया है। मुझे आदिवासी नाम दिखाओ। मुझे दलित नाम दिखाओ। मुझे ओबीसी नाम दिखाओ। मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में से एक ओबीसी है, वे भारत की आबादी का 50 प्रतिशत हैं। लेकिन हम बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं।

आरक्षण एकमात्र साधन नहीं-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि यह (आरक्षण) एकमात्र साधन नहीं है, अन्य साधन भी हैं। राहुल गांधी ने कहा, ऐसे कई लोग हैं जो उच्च जाति से आते हैं, जो कहते हैं कि देखो, हमने क्या गलत किया है? हमें क्यों दंडित किया जा रहा है? तो, फिर आप इनमें से कुछ चीजों की आपूर्ति में नाटकीय रूप से वृद्धि के बारे में सोचते हैं। आप सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में सोचते हैं।

राहुल गांधी ने कहा, आप हमारे देश के शासन में कई और लोगों को शामिल करने के बारे में सोचते हैं। मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि मुझे नहीं लगता कि आप में से कोई भी कभी भी अदाणी या अंबानी बनने जा रहा है। इसका एक ही कारण है। आप नहीं बन सकते क्योंकि इसके लिए दरवाजे बंद हैं। इसलिए सामान्य जाति के लोगों को जवाब है कि आप उन दरवाजों को खोलें।

कांग्रेस कब खत्म करेगी आरक्षण? राहुल गांधी ने यूएस में बताया प्लान*

#wewillthinkofscrappingreservationrahul_gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर हैं।जहां वे भारतीय समुदाय और छात्रों-शिक्षकों के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस कड़ी में राहुल गांधी ने वाशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों और शिक्षकों से बातचीत की है। इस दौरान राहुल गांधी ने आरक्षण खत्म करने को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी जब सही समय होगा, जोकि अभी नहीं है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि जब भारत निष्पक्ष देश होगा, तब कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जो अभी नहीं है। दरअसल, राहुल गांधी से ये सवाल पूछा गया कि आरक्षण कब तक जारी रहेगा, इसके जवाब में राहुल गांधी ने विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा, जब भारत निष्पक्ष होगा, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे। और भारत निष्पक्ष नहीं है। राहुल गांधी ने आगे कहा, जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखेंगे, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं; दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतने ही पैसे मिलते हैं। असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है।

भारत की 90 प्रतिशत आबादी भागीदारी करने में सक्षम नहीं-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, समस्या यह है कि भारत की 90 प्रतिशत आबादी भागीदारी करने में सक्षम नहीं है। भारत के हर एक ‘बिजनेस लीडर’ की सूची देखें। मैंने ऐसा किया है। मुझे आदिवासी नाम दिखाओ। मुझे दलित नाम दिखाओ। मुझे ओबीसी नाम दिखाओ। मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में से एक ओबीसी है, वे भारत की आबादी का 50 प्रतिशत हैं। लेकिन हम बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं।

आरक्षण एकमात्र साधन नहीं-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि यह (आरक्षण) एकमात्र साधन नहीं है, अन्य साधन भी हैं। राहुल गांधी ने कहा, ऐसे कई लोग हैं जो उच्च जाति से आते हैं, जो कहते हैं कि देखो, हमने क्या गलत किया है? हमें क्यों दंडित किया जा रहा है? तो, फिर आप इनमें से कुछ चीजों की आपूर्ति में नाटकीय रूप से वृद्धि के बारे में सोचते हैं। आप सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में सोचते हैं।

राहुल गांधी ने कहा, आप हमारे देश के शासन में कई और लोगों को शामिल करने के बारे में सोचते हैं। मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि मुझे नहीं लगता कि आप में से कोई भी कभी भी अदाणी या अंबानी बनने जा रहा है। इसका एक ही कारण है। आप नहीं बन सकते क्योंकि इसके लिए दरवाजे बंद हैं। इसलिए सामान्य जाति के लोगों को जवाब है कि आप उन दरवाजों को खोलें।

बांग्लादेश सरकार ने क्यों मांगी हिंदू अधिकारियों की सूची, बना डर का माहौल

#bangladesh_issues_notification_seeking_hindu_official_names_in_govt

बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले जब देश में शेख हसीना की सरकार थी तो तब उसका झुकाव भारत की तरफ था। हसीना सरकार देश के अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं के हितैसी मानी जाती थी। हालांकि अब हालात बदल गए हैं। एक तरफ तो तख्तापलट और हसीना दे देश छोड़ने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ गए। वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के अभी तक के फैसलों को गौर करें तो ये भी भारत विरोधी साफ नजर आते है। इसी बीच राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी एक नोटिफिकेशन ने सरकार में काम कर रहे देश में हिंदुओं की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, नोटिफिकेशन में बांग्लादेश के मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ हिंदू अधिकारियों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी गई है।

बांग्लादेश के राष्ट्रपति कार्यालय से विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को सचिवों और संयुक्त सचिवों जैसे पदों पर बैठे हिंदू अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगने वाले पत्र ने खलबली मचा दी। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि एक लिपिकीय त्रुटि के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई और राष्ट्रपति द्वारा आयोजित एक वार्षिक दुर्गा पूजा दशमी कार्यक्रम के संबंध में जानकारी मांगी गई थी। इस पत्र ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के साथ भेदभाव और उन्हें निशाना बनाए जाने की खबरों के बीच चिंता पैदा कर दी।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार की ओर से 27 अगस्त को एक आदेश सभी अलग-अलग मंत्रालयों को भेजा गया। इस आदेश के मुताबिक मंत्रालयों से कहां गया कि सितंबर के पहले सप्ताह तक सभी हिंदू अधिकारियों की पूरी सूची सरकार को सौंपी जाए। हालांकि यह आदेश बहुत सीक्रेट तरीके से सभी मंत्रालयों को भेजा गया।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रीडम फॉर हिंदू राइट्स इन बांग्लादेशी ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि बीते कुछ दिनों के भीतर बांग्लादेश में कई विभागों में हिंदुओं को नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा है। इसलिए बांग्लादेश के अंतिम सरकार की ओर से आए इस आदेश को लेकर हिंदू अधिकारियों में दहशत है।फ्रीडम फॉर हिंदू राइट्स का तर्क है कि 5 अगस्त के बाद बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालय से तकरीबन पचास हिंदू शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। कई अलग अलग जगह पर इस तरीके की धमकियां हिंदुओं को दी जा रही हैं। अब ऐसे हालातों में सरकार की ओर से जुटाए जाने वाली जानकारी से डर का माहौल बन रहा है।

वहीं, इंडिया टुडे के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार के उच्च अधिकारियों से इस पत्र की पुष्टि की। कपड़ा और जूट मंत्रालय ने भी इसी तरह का पत्र भेजा था, जिसमें वरिष्ठ पदों पर बैठे हिंदू अधिकारियों के नाम मांगे गए थे। कपड़ा एवं जूट मंत्रालय के सलाहकार, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल शखावत हुसैन ने पत्र की प्रामाणिकता की पुष्टि की, लेकिन कहा कि लिपिकीय त्रुटि के कारण पत्र भेजने में चूक हुई, जिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक अफरातफरी मच गई। हुसैन ने इंडिया टुडे को बताया, यह सूची को अद्यतन करने और इसे राष्ट्रपति कार्यालय को भेजने का एक नियमित कार्य था, जिसका उद्देश्य सरकार के हिंदू अधिकारियों को दुर्गा पूजा दशमी के लिए निमंत्रण भेजना था, जिसका आयोजन हर साल राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

हालांकि, सरकार की सफाई के बावजूद एक्सपर्ट्स चिंतित हैं। पिछले महीने शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को देखते हुए, यह दावा करना कि हिंदू अधिकारियों की लिस्ट केवल त्योहार के मकसद से बनाई जा रही है, इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है।

भारत में मिला मंकीपॉक्स का पहला केस, स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवायजरी भी जारी की

#first_case_of_monkeypox_found_in_india

देश में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को इसकी पुष्टि की है। मंत्रालय ने बताया कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था।सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन वेस्ट अफ्रीकन क्लेड 2 की पुष्टि हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह मामला जुलाई 2022 के बाद भारत में रिपोर्ट किए गए पहले के 30 मामलों के समान एक अलग केस है। यह वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (डब्ल्यूएचओ द्वारा रिपोर्ट की गई) का हिस्सा नहीं है, जो कि एमपीओएक्स के क्लैड 1 के संबंध में है जबकि मौजूदा मरीज में वेस्ट अफ्रीकन क्लैड 2 के एमपॉक्स वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।

यह मरीज हाल ही में विदेश से भारत लौटा है। फिलहाल मरीज को एक अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में कड़ी निगरानी में रखा गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं और लोगों को पैनिक न होने की सलाह दी गई है। फिलहाल मरीज की हालत स्थित बताई जा रही है।

बता दें कि आज ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की। चंद्रा ने कहा- मंकीपॉक्स के खतरे को रोकने के लिए सभी राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए। राज्यों को स्वास्थ्य मंत्रालय के मंकीपॉक्स को लेकर दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के मंकीपॉक्स पर जारी सीडी-अलर्ट (कम्यूनिकेवल डिजीज अलर्ट) पर एक्शन लेना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए। सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए।

बता दें कि इस वायरस से संक्रमित मरीज के लक्षण की बात करें तो इसमें तेज बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों और पीठ में तेज दर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा तेज सिरदर्द और शरीर पर चकत्ते भी पड़ सकते हैं। इसलिए अगर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो फिर तुरंत डॉक्टर को दिखाना न भूले। वायरस से पीड़ित मरीज में बुखार 5 से 21 दिनों तक रह सकता है। सरकार विदेश से आने वाले यात्रियों पर नजर रख रही है। कुछ एयरपोर्ट पर भी इसके लिए यात्रियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है।

यूक्रेन-रूस के बाद अब फिलिस्तीन को भारत में दिख रही उम्मीद, आखिर क्‍या है इस भरोसे की वजह?
#why_does_everyone_trust_india
कूटनीति के रास्ते बेहद पेचीदा होते हैं। इस रास्ते पर चलते हुए संतुलन कैसे कायम रखा जाए, भारत ये मिसाल दुनिया के सामने पेश कर रहा है। भारत का ये कूटनीतिक संतुलन रूस-यूक्रेन युद्ध में दिखा और इज़राइल-हमास जंग में भी। भारत अगर इज़राइल पर हमास के हमले की आलोचना करता है तो फिलिस्तीन के लिए मानवीय मदद भी भेजता है।

एक तरफ यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच शांति स्थापना के लिए भारत को उम्मीद भरी निगाहों से देखा जा रहा है। इस युद्ध के दौरान भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा। रूसी राष्ट्रपति पुतिन हों या यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की, पीएम मोदी ने बिना किसी लाग लपेट दोनो को शांति का संदेश दिया। खास बात ये है कि पुतिन और जेलेंस्की दोनो को भारत पर भरोसा है और अब पुतिन ने खुद साफ शब्दों में कह दिया है कि शांति समझौते के लिए उन्हें भारत की मध्यस्थता मंज़ूर है।रूस यूक्रेन युद्ध में शांति के लिए दुनियाभर के देश भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। अब फिलिस्तीन ने भी गाजा में शांति के लिए भारत का रुख किया है।

भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल-हैजा ने कहा, “हम हमेशा मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए भारत जैसे दोस्त की तलाश में हैं।” अबू अल-हैजा ने कहा, “मुझे पता है कि भारत एक शांतिपूर्ण देश है इसलिए हम भारत से अपील कर रहे हैं कि वे मध्यस्थ भूमिका निभाएं. भारत के दोनों देशों (इजराइल-फिलिस्तीन) से अच्छे संबंध हैं। हम भारत से आग्रह करते हैं कि वे युद्धविराम समझौते और फिलिस्तीन की 1967 के सीमाओं के आधार पर एक राज्य की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करें।

ऐसे में बड़ा सवाल है कि भारत पर भरोसे की वजह आखिर क्या है? रूस-यूक्रेन के बीच ढाई साल तक चलने वाले थकाऊ युद्ध के बाद अब शांति की बात होने लगी है। इसमें भारत दुनिया का इकलौता देश है, जिसने पूरी शिद्दत से शांति की पहल की है।इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के इकलौते ताकतवर नेता हैं, जिन्होंने रूस और यूक्रेन दोनों देशों की यात्रा की और दोनों देशों से शांति की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान रूस के राष्ट्रपति एवं यूक्रेन के राष्ट्रपति, दोनों से कई मौकों पर व्यक्तिगत रूप से शांति की अपील भी की। जब दुनिया इस युद्ध के चलते गुटों में बंट गई थी तब भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संतुलित एवं संयमित भूमिका निभाते हुए बगैर किसी का पक्ष लिए केवल और केवल शान्ति का पक्ष लिया।

ठीक इसी तरह बीते साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के खूनी हमले ने युद्ध का जहर बो दिया। 7 अक्टूबर को इजरायल-गाजा सीमा पर हमास के आतंकी हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे। जवाब में इजरायल ने भी बम बरसाना शुरु किया, जिससे एक झटके में तेरह हजार से ज्यादा लोग जान से हाथ धो बैठे। इस पर दुनिया दो खेमों में बंटने लगी, लेकिन भारत का रुख साफ रहा। गलत को गलत कहो, सही का समर्थन करो।  इसलिए भारत पर अगर रूस और यूक्रेन दोनों को भरोसा रहता है तो इजरायल और फिलीस्तीन को भी।

7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास का हमला हुआ था और उसके तीन दिन बाद 10 अक्टूबर को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की अहमियत इजरायल के लिए कितनी है। भारत ने आतंकी हमले की कड़ी निंदा के साथ ही इजरायल के साथ अपनी एकजुटता दिखाई थी, लेकिन फिलीस्तीन के साथ रिश्तों को भी कायम रखा। भारत ने कभी हमास को आतंकवादी संगठन नहीं कहा।एक तरफ इजरायल के साथ सहानुभूति का संबंध रखा तो दूसरी तरफ फिलीस्तीनी लोगों की भरपूर मदद भी की। भारत ने मिस्र के माध्यम से गाजा को 16.5 टन दवाइयों और चिकित्सा आपूर्ति सहित 70 टन मानवीय सहायता भी भेजी।