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बंगाल की खाड़ी में तूफान की आहट, तेलंगाना में बाढ़ से 29 की मौत, MP में 11 सितंबर से एक्टिव होगा स्ट्रॉन्ग सिस्टम, जानें ताजा अपडेट

देशभर के कई राज्यों में झमाझम बारिश देखने को मिल रही है। तेलंगाना में भारी बारिश के चलते 29 जिलों में बाढ़ आ गई है। 31 अगस्त से हो रही बारिश के कारण अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, राज्य में बाढ़ के कारण 5,438 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। राजस्थान में इस मानसून सीजन में 1 जून से 7 सितंबर तक कुल 626.7mm बरसात हुई, जो सामान्य बारिश (398.5mm) से 57 फीसदी ज्यादा है।

शनिवार को हुई तेज बारिश के कारण अजमेर और जयपुर की कई सड़कों पर पानी भर गया। जयपुर में लोगों को 30 किमी का सफर तय करने में 6 घंटे से ज्यादा समय लगा। अजमेर का पुष्कर लेक का जलस्तर भी बढ़ गया है। लेक के 52 घाट पानी में डूब गए। मौसम विभाग ने रविवार (8 सितंबर) को मध्य प्रदेश, समेत 18 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

मध्य प्रदेश में बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना को देखते हुए येलो अलर्ट जारी किया है। येलो अलर्ट की दो कैटेगरी हैं। एक में भारी बारिश की संभावना है और दूसरे में हल्की बारिश के साथ वज्रपात की चेतावनी है। रायसेन, राजगढ़, इंदौर, उज्जैन जैसे 23 जिलों में भारी बारिश हो सकती है। वहीं, अन्य जिलों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश की संभावना है। बता दें कि प्रदेश में हो रही मूसलाधार बारिश से खेत-खलिहान पूरी तरह भर गए हैं।

पश्चिम बंगाल में मौसम विभाग ने 8 से 10 सितंबर तक मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की चेतावनी जारी की है। यहां 40-50 kmph की हवा चल सकती है। 9-10 सितंबर को पश्चिमी मिदनापुर, उत्तर-दक्षिण 24 परगना और झारग्राम में भारी बारिश की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने 9 सितंबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

मानसून ट्रफ और लो प्रेशर एरिया की वजह से एक बार फिर पूरा मध्यप्रदेश भीगेगा। रविवार को शिवपुरी, श्योपुर समेत 7 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है। 11 सितंबर से प्रदेश में बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव हो रहा है। इसका असर भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर जिलों में भी देखने को मिलेगा। यहां भारी बारिश का अलर्ट है।

भारत को अब PM मोदी के कारण पहचानती है पूरी दुनिया….उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कही मन की बात

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत देश आज वह नहीं है, जो दस साल पहले था, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक ऐसे मार्ग पर अग्रसर है जिसे पूरा विश्व पहचानता है। उपराष्ट्रपति ने यह बातें गोरखपुर में सैनिक स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर अपने मन की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370, जिसे संविधान निर्माताओं ने अस्थायी कहा था, उसे कुछ लोग स्थायी मान बैठे थे। इस दशक में उसको विलुप्त कर दिया गया है। यह आज का भारत है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद के साथ समझौता राष्ट्र के साथ चरम धोखा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्य को स्वार्थ और राजनीतिक हितों से ऊपर रखना चाहिए और ऐसा न करने पर यह भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता पर हमला होगा।

धनखड़ ने शिक्षा को समाज में बदलाव का सबसे प्रभावशाली माध्यम बताया। शिक्षा से व्यक्तियों के जीवन को आकार देने के साथ समाज में व्याप्त असमानता और कुरीतियों को समाप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में अपने छात्र जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मेरा असली जन्म सैनिक स्कूल में हुआ था। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद रवि किशन शुक्ला और अन्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

धनखड़ ने चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में निहित दो प्रमुख सिद्धांतों को विश्व मंच पर पेश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की।

अमेरिका पर छाए मंदी के काले बादल, ताजा इकोनॉमिक डेटा से बढ़ी चिंता

डेस्क: अमेरिका में आए लेटेस्ट आर्थिक आंकड़े सुस्ती की तरफ इशारा कर रहे हैं। अमेरिका में मंदी धीरे-धीरे आने वाले समय में हकीकत बन सकती है। यह अमेरिकी शेयरों में गिरावट की तरफ भी इशारा है। अगस्त की शुरुआत से ही अमेरिकी मंदी की आशंकाएं लागातार बढ़ने लगी हैं। हालांकि, अमेरिकी शेयर बाजार रोजगार के आंकड़ों से जुड़ी पिछली गिरावटों से उबरने में सक्षम रहा है, लेकिन बाजार में अभी भी कई प्रमुख समस्याएं मौजूद हैं, जो अर्थव्यवस्था के खिलाफ काम कर रही हैं और अमेरिका में मंदी आने की संभावना है।

आर्थिक आंकड़े प्रमुख शेयर बाजार में गिरावट की ओर इशारा कर रहा है। एस&पी 500 जैसे प्रीमियम एसेट्स में भी गिरावट का ट्रेंड दिख रहा है। आईटी शेयरों में तो लंबे समय से कोई तेजी देखने को नहीं मिली है। अर्थिक डेटा के आधार पर मंदी का जोखिम लगातार बढ़ रहा है और अमेरिकी ट्रेडर्स ब्याज दर में कटौती पर बहुत अधिक उम्मीद लगाए बैठे हैं। बीते शुक्रवार अमेरिका में रोजगार के आंकड़े जारी हुए थे। इन आंकड़ों ने शेयर बाजार को फिर से प्रभावित किया। अमेरिकी शेयर बाजार पहले रिकवरी फेज में था, लेकिन इस समय चीजें अनिश्चित दिख रही हैं। अगर अगले कुछ हफ्तों में शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो मंदी के शुरुआती प्रभाव आसानी से देखे जा सकते हैं। कई कंपनियों की वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।

पिछले 18 महीनों में सबसे खराब रहा पिछला सप्ताह

शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट में एक बार फिर भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी रोजगार बाजार के बारे में बहुप्रतीक्षित अपडेट काफी कमजोर आया। ऐसे में पहले ऊंची छलांग लगाने वाले टेक शेयरों को फिर से नुकसान उठाना पड़ा। इससे अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। एसएंडपी 500 में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई और यह मार्च, 2023 के बाद से इसका सबसे खराब सप्ताह रहा। ब्रॉडकॉम, एनवीडिया और अन्य टेक कंपनियों ने बाजार को नीचे गिरा दिया, क्योंकि इस बात की चिंता बनी हुई थी कि एआई के इर्द-गिर्द उछाल में उनकी कीमतें बहुत अधिक बढ़ गई थीं और उन्होंने नैस्डैक कंपोजिट को बाजार में 2.6 प्रतिशत तक नीचे खींच लिया। सुबह की 250 अंकों की बढ़त को खत्म करने के बाद डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 410 अंक या एक प्रतिशत की गिरावट आई।

रोजगार रिपोर्ट आने के बाद बॉन्ड मार्केट में भी तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जहां ट्रेजरी यील्ड में गिरावट आई, फिर सुधार हुआ और फिर गिरावट आई। रिपोर्ट में दिखाया गया कि अगस्त में अमेरिकी नियोक्ताओं ने अर्थशास्त्रियों की अपेक्षा से कम कर्मचारियों को काम पर रखा। इसे साल की सबसे महत्वपूर्ण रोजगार रिपोर्ट के रूप में पेश किया गया था और इसने लगातार दूसरे महीने दिखाया कि भर्ती पूर्वानुमानों से कम रही। इसके बाद हाल ही में विनिर्माण और अर्थव्यवस्था के कुछ अन्य क्षेत्रों में कमजोरी दिखाने वाली रिपोर्ट भी आई।

कांग्रेस में शामिल होंगे ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ गाने वाले कन्हैया मित्तल, जानिए क्या बोले सिंगर

‘जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे’ गाना गाने वाले कन्हैया मित्तल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस के लिए हमेशा मेरे दिल में सॉफ्ट कॉर्नर रहा है. मेरे मन में कांग्रेस है. साथ ही उन्होंने बीजेपी का जिक्र करते हुए कहा, बीजेपी ने फैलाया के मैं उनके के लिए गाना गाता हूं. बीजेपी ने मेरे गाने को इस्तेमाल किया जिससे मुझे बहुत दिक्कतें सहनी पड़ी. उन्होंने आगे कहा, आने वाले समय में क्लियर हो जाएगा सब कुछ, फिलहाल मेरे मन में कांग्रेस है.

बीजेपी को हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच एक बड़ा झटका लगने की उम्मीद नजर आ रही है. “जो राम को लाए हैं” चर्चित गाने के सिंगर ने बीजेपी को झटका दे दिया है. गायक कन्हैया मित्तल ने कहा, मेरा मन कांग्रेस के साथ जुड़ रहा है. साथ ही उन्होंने कहा, मेरी हरियाणा में काम करने की इच्छा है अगर बात बनती है हरियाणा में तो मैं कांग्रेस के साथ काम करना चाहूंगा.

कांग्रेस की तरफ पूरी तरह से कन्हैया मित्तल का रुझान साफ दिखा, उन्होंने कहा, सारे राम विरोधी कांग्रेस में नहीं है, ऐसे में कांग्रेस के साथ काम करना मेरी इच्छा है. उत्तर प्रदेश चुनाव में कन्हैया मित्तल का गाना “जो राम को लाए हैं” खूब चर्चित हुआ था और बीजेपी के कई अभियान में सुनाई दे रहा था, लेकिन अब कन्हैया मित्तल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं और उन्होंने अपने सुर बदल लिए हैं. कन्हैया मित्तल पार्टी में टिकट न मिलने पर नाराज चल रहे थे, जिसके बाद अब उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामने के संकेत दे दिए हैं.

कन्हैया मित्तल के बदले हुए सुर काफी दिनों से दिखाई दे रहे थे, उन्होंने 4 सितंबर को अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी, विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया की मुलाकात की एक तस्वीर शेयर की और लिखा, बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद. अपने इस पोस्ट में उन्होंने राहुल गांधी को भी टैग किया था.

कन्हैया मित्तल भजन और गायकी की दुनिया का बहुत बड़ा नाम है, उनके गीत, भजन लोगों के बीच काफी चर्चित हैं. कन्हैया मित्तल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और यही से उन्होंने भजन और गायकी की दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है. कन्हैया मित्तल न सिर्फ जो राम को लाए हैं गाने के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उन्होंने भगवान की भक्ति में कई भजन और गीत गाए हैं. कन्हैया मित्तल के गाने “जो राम को लाए हैं हम उनको लायेंगे” यह गाना इतना हिट हुआ था कि सोशल मीडिया पर इस गाने पर महज एक हफ्ते में 30 मिलियन से ज्यादा लोगों ने सुना था.

चीन की जिस लैब से लीक हुआ था कोरोना, उसी से निकला एक और जानलेवा वायरस! रिसर्च में बड़ा खुलासा


एक समय में अपने कहर से पूरी दुनिया की रफ्तार रोक देने वाला कोरोना वायरस चीन की जिस लैब से लीक हुआ था उसे लेकर एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। एक रिसर्च में आशंका जताई गई है कि इसी लैब से पोलिया का एक बेहद इवॉल्व्ड स्ट्रेन लीक हुआ था। इस वायरस से साल 2014 में चीन के अन्हुई प्रांत में 4 साल का एक बच्चा संक्रमित हुआ था। इस लैब का नाम वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है और अमेरिकी एजेंसी एफबीआई का मानना है कि कोरोना वायरस भी इसी लैब से निकला था।

फ्रांस के पैश्चर इंस्टीट्यूट की ओर से कराई गई इस रिसर्च में पता चला कि WIV14 नाम का यह स्ट्रेन पोलियो वायरस के उस वैरिएंट से जेनिटकली 99 प्रतिशत मैच करता है जिसे वुहान की लैब में स्टोर किया गया था। इस रिसर्च ने चीन की लैब्स में सेफ्टी प्रोटोकॉल्स को लेकर सवाल और चिंताओं का दौर एक बार फिर शुरू कर दिया है। कोविड-19 वैश्विक महामारी में अपनी संदिग्ध भूमिका को लेकर चीन की लैब्स को पहले ही शक की नजरों से देखा जा रहा है। अब ये नई रिसर्च चीनी लैब्स को लेकर रुख को और गंभीर कर सकती है।

यह रिसर्च पोलियो के WIV14 स्ट्रेन से जुड़ी हुई है जिसकी सबसे पहले पहचान साल 2014 में एक बच्चे के सैंपल में हुई थी। इस बच्चे को अन्हुई इलाके में उस समय फैली हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के आउटब्रेक के बीच डायग्नोस किया गया था। बच्चे में WIV14 डिटेक्ट होने के बाद वैज्ञानिक शॉक में आ गए थे। जेनेटिक एनालिसिस में पता चला कि WIV14 स्ट्रेन Saukett A स्ट्रेन से काफी मिलता-जुलता है जो कि एक पोलियो पैरिएंट है जिसे 1050 के दशक में डेवलप किया गया था। इसका इस्तेमाल वैक्सीन के निर्माण में होता रहा है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद चीन की लैबोरेटरीज को लेकर सवाल उठने फिर से शुरू हो गए हैं। पिछले साल फरवरी में यह दावा किया गया था कि कोरोना वायरस चीन की सरकार के नियंत्रण वाली एक लैब से लीक हुआ था। हालांकि, चीन ने इससे इनकार किया है। लेकिन, अमेरिका समेत कई देश इसके पीछे चीन को ही जिम्मेदार बताते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना वायरस चमगादड़ से निकला था और वुहान की लैब में चमगादड़ों पर ही रिसर्च हो रही थी। जहां पर कोरोना का पहला मामला मिला था वह इसी लैब के पास है।

पीएम मोदी 14 सितंबर को जाएंगे जम्मू-कश्मीर, विधानसभा चुनाव की मेगा रैलियों को करेंगे संबोधित

डेस्क: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जम्मू-कश्मीर का चुनावी मोर्चा संभालने के लिए तैयार हो गए हैं। पीएम मोदी 14 सितंबर से जम्मू-कश्मीर में विभिन्न चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी भाजपा की होने वाली प्रमुख रैलियों के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर में भाजपा के चुनाव अभियान को गति देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों के तहत चुनाव होने हैं। तीन चरणों में पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होना है। वहीं चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के बाद 2024 का चुनाव घाटी में पहला चुनाव होगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया, जिसका असर इस बार के विधानसभा चुनाव पर देखने को मिलने वाला है।

इससे पहले 2014 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं और इस बार वह पुनर्जीवित कांग्रेस की चुनौती से बचने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी, जिसे बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी भी स्टार प्रचारकों में पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह और सीएम योगी सहित बड़े दिग्गजों को उतारने वाली है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।

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दिल्ली के कपड़ा फैक्ट्री में लगी आग से मची अफरा-तफरी, मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की 25 गाड़ियां

डेस्क: बाहरी दिल्ली के बक्करवाला इलाके में रविवार सुबह भीषण आग लग गई। राजीव रत्न आवास के पास एक कपड़े की फैक्ट्री में यह आग लगी। आग की सूचना मिलते ही मौके पर दमकल की 25 गाड़ियां पहुंची हैं और आग बुझाने का काम जारी है। अभी तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। ये जानकारी दिल्ली फायर सर्विस की ओर से दी गई है।

इससे पहले दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर इलाके में यात्रियों को ले जा रही डीटीसी की एक बस में शुक्रवार दोपहर आग लग गई। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि डीटीसी की बस में दोपहर 3:24 बजे आग लगने की सूचना मिली थी, जिसके बाद दमकल की तीन गाड़ियों को मौके पर भेजा गया।

डीएफएसस के एक अधिकारी ने बताया कि 45 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन वाहन पूरी तरह जलकर खाक हो गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि डीटीसी की लो-फ्लोर बस इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से वसंत कुंज की ओर जा रही थी। उन्होंने बताया कि बस में आग लगने के तुरंत बाद यात्री और वाहन चालक नीचे उतर गए।

अधिकारी ने कहा कि पहली नजर में ऐसा संदेह है कि बस में शॉर्ट सर्किट होने के कारण आग लगी। उन्होंने बताया कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन पास में खड़ी एक बाइक और एक स्कूटर जलकर खाक हो गए। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है।

भारत रुकवा सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध', जेलेंस्की से मुलाकात के बाद मेलोनी ने दिया बड़ा बयान

डेस्क: इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने में भारत की भूमिका पर जोर दिया है। उन्होंने शनिवार को एक बयान के दौरान भारत और चीन की रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने में अहम भूमिका की बात कही। बता दें कि इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकत के बाद यह बयान दिया है। जॉर्जिया मेलोनी ने शनिवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के समाधान में भारत और चीन भूमिका निभा सकते हैं।

एक न्यूज चैनल के मुताबिक, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद एक सम्मेलन से इतर मेलोनी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि संघर्ष के समाधान में चीन और भारत की भूमिका होनी चाहिए। एकमात्र ऐसी चीज जो नहीं हो सकती, वह यह सोचना है कि यूक्रेन को अकेला छोड़कर संघर्ष का हल निकाला जा सकता है।’’ मेलोनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को भारत का नाम उन तीन देशों में शामिल किया, जिनके साथ वह यूक्रेन संघर्ष को लेकर संपर्क में हैं और कहा है कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।

वहीं गुरुवार को पुतिन ने कहा कि यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक प्रारंभिक समझौता, जो कभी लागू नहीं हुआ, वार्ता के लिए आधार बन सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को कब्जे में लेना है। रूसी सेना धीरे-धीरे कुर्स्क क्षेत्र से यूक्रेनी सेना को खदेड़ रही है।

जिन्होंने जीवन भर चुनावों का बहिष्कार किया, अब वो भी चुनावी मैदान में..! जानिए, कितना बदल गया कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान तेजी से चल रहा है। इस चुनावी माहौल में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी कश्मीर आधारित पार्टियां खुद को एक अनजाने परिदृश्य में पा रही हैं। इन दलों को अब अपने पारंपरिक रणनीतियों को छोड़कर नई रणनीतियों की तलाश करनी पड़ रही है।

पिछले तीन दशकों में कश्मीर घाटी में चुनावी प्रक्रिया अक्सर हिंसा, आतंकवादी धमकियों और अलगाववादियों द्वारा चुनाव बहिष्कार के आह्वान से प्रभावित रही है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना और चुनाव के खिलाफ आतंकी धमकी वाले पोस्टर लगाना सामान्य हो गया था। हुर्रियत कांफ्रेंस की ओर से चुनाव बहिष्कार का आह्वान भी चुनावी माहौल को भयावह बना देता था। इसके परिणामस्वरूप श्रीनगर, दक्षिण कश्मीर और उत्तरी कश्मीर के कुछ हिस्सों में मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट देखी जाती थी।

अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है, और इसे लेकर कई उम्मीदें जताई जा रही हैं। उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन जैसे दिग्गज नेताओं को अब अपनी चुनावी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ा है। उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल में भावनात्मक अपील की है, जिसमें उन्होंने लोगों से अपनी साख बचाने के लिए वोट देने की अपील की है। यह उनकी नई स्थिति को दर्शाता है कि वह अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद चुनावी खेल को समझने में असमर्थ रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में सियासी परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है, जिसमें परिसीमन, अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई और आतंकवादी संगठनों पर करवाई शामिल हैं। इन बदलावों ने मतदाताओं को अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने के लिए आत्मविश्वास और सुरक्षा प्रदान की है।

सियासी दल इस नए प्रारूप को अपनाने में संघर्ष कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बडगाम से चुनाव लड़ेंगे, जबकि पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा और हंदवाड़ा से नामांकन भरकर इसी रणनीति को अपनाया है। यह सुरक्षित कदम उनके आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है और उनके राजनीतिक विरोधियों को आक्रमण का मौका भी देता है। दूसरी ओर, अलगाववादियों की मुख्यधारा में वापसी और 36 साल के बहिष्कार के बाद जमात-ए-इस्लामी द्वारा निर्दलीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारना यह दिखाता है कि कितना बदलाव आया है। जमात-ए-इस्लामी, जो कि यूएपीए प्रतिबंध के कारण सीधे चुनाव नहीं लड़ सकता, अब निर्दलीय उम्मीदवारों के माध्यम से मुख्यधारा में प्रवेश कर रहा है।

इसी तरह, सलीम गिलानी और सरजन बरकती जैसे पूर्व अलगाववादी नेता भी चुनावी राजनीति में शामिल हो गए हैं। सलीम गिलानी पीडीपी में शामिल हो गए हैं, जबकि सरजन बरकती निर्दलीय के रूप में गांदरबल और बीरवाह से चुनाव लड़ेंगे। इंजीनियर रशीद की तरह, सरजन बरकती भी चुनावी मुकाबला जेल से ही करेंगे।