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कोलकाता रेप-मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने गठित किया टास्क फोर्स, जानें कौन-कौन हैं शामिल

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी मंगलवार को सुनवाई करते हुए कई निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के सुरक्षित कार्य स्थितियों पर सुझाव देने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है।यह टास्क फोर्स डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझाव देगी। कोर्ट ने टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट देने के लिए कहा है। साथ ही दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।

टास्क फोर्स क्या करेगी?

सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर नेशनल टास्क फोर्स बनाई है। यह टास्क फोर्स डॉक्टरों की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर पहल करेगी। डॉक्टरों और अस्पतालों में मौजूद सुरक्षा इंतजामों को परखेगी। साथ चिकित्सकों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सुझाव देगी। कोर्ट ने टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट देने के लिए कहा है। साथ ही दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।

कौन-कौन होगा टास्क फोर्स में शामिल

1. सुप्रीम कोर्ट ने इस इस टास्क फोर्स की कमान एक महिला को ही सौंपी है, नौसेना के लिए मेडिकल सेवाओं की डायरेक्टर जनरल एडमिरल आरती सरीन करेंगी.

2. गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी

3. एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास शामिल होंगे.

4. टास्क फोर्स के अतिरिक्त सदस्यों में एनआईएमएचएएनएस (NIMHANS) बैंगलोर से डॉ. प्रतिमा मूर्ति

5. एम्स जोधपुर से डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी

6. गंगाराम अस्पताल की डॉ. सोमिकरा रावत

7. अनीता सक्सेना, हेड कार्डियलजी, एम्स दिल्ली प्रोफेसर

8. पल्लवी सैपले, मुबंई मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर

9. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी की चेयरपर्सन एम्स

अतिरिक्त सदस्य भी टीम में शामिल है-

1. भारत सरकार के कैबिनेट सचिव

2. भारत सरकार के गृह सचिव

3. सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय

4. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष

5. राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष।

मुंबई के ठाणे में एक स्कूल में नर्सरी की छात्राओं का यौन शोषण से मचा बवाल, सड़कों पर उतरे लोग

मुंबई से सटे ठाणे जिले के एक नामी स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस घटना के खिलाफ स्थानीय नागरिकों ने मंगलवार को बंद का आह्वान किया। सैकड़ों लोग स्कूल के बाहर जमा हुए और स्कूल तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

आरोप है कि पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए जब पहुंचा, तो उन्हें करीब 12 घंटे तक इंतजार करवाया गया। इस देरी से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। छुट्टी खत्म होने के बाद मंगलवार को हजारों लोगों ने स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

मामले के अनुसार, स्कूल में एक सफाई कर्मचारी ने दो साढ़े तीन साल की बच्चियों का यौन शोषण किया। 24 वर्षीय आरोपी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी 1 अगस्त से स्कूल में सफाईकर्मी के तौर पर काम कर रहा था और बच्चियों को शौचालय में ले जाकर गंदे काम करता था।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल प्रशासन ने चार दिन बाद अपना पक्ष रखा। उन्होंने सभी अभिभावकों से सार्वजनिक माफी मांगी और स्कूल के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा, क्लास टीचर और आया को भी नौकरी से निकाल दिया गया। स्कूल ने ठेकेदार के साथ अनुबंध रद्द कर दिया है, जिसने आरोपी को स्कूल में भेजा था।

गुरुवार को एक बच्ची ने अपने दादा को आरोपी द्वारा यौन शोषण की जानकारी दी। नर्सरी में पढ़ने वाली इस बच्ची ने बताया कि आरोपी उसे और उसकी सहेली को शौचालय में ले जाकर गंदा काम करता था। इसके बाद दोनों परिवार ने बच्चियों को एक निजी डॉक्टर के पास मेडिकल जांच के लिए ले जाया। डॉक्टर ने यौन दुर्व्यवहार की पुष्टि की।

पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने 12 घंटे से अधिक समय तक शिकायत दर्ज नहीं की। इसके बाद जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने हस्तक्षेप किया और एफआईआर दर्ज करवाई। लोगों के गुस्से को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर शुभदा शितोले का तबादला कर दिया। इसके साथ ही, दो नए पुलिस इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है और लोगों ने स्कूल और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई की तीव्र आलोचना की है। स्कूल प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाइयों से यह प्रतीत होता है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

कोलकाता के बाद उत्तरप्रदेश में भी वैसा ही कांड...नर्स के साथ डॉ. शाहनवाज ने किया घिनौना काम, अस्पताल सील करने की तैयारी

उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल से एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां नाइट ड्यूटी पर तैनात नर्स के साथ डॉक्टर ने दुष्कर्म किया। पीड़ित नर्स का आरोप है कि वार्ड ब्वॉय और एक महिला नर्स ने उसे जबरदस्ती डॉक्टर के कमरे में भेजा और फिर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। इस घटना के बाद आरोपियों ने नर्स को धमकी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो उसकी जान ले ली जाएगी। यह घटना ठाकुरद्वारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई है। पीड़िता के परिजनों ने पुलिस में डॉक्टर शाहनवाज, नर्स मेहनाज, और वार्ड ब्वॉय जुनैद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पीड़ित नर्स के परिवार ने बताया कि उनकी बेटी पिछले 10 महीनों से इस निजी अस्पताल में नर्स का काम कर रही थी। 17 अगस्त की शाम को वह नाइट ड्यूटी पर गई थी, जहां रात के दौरान यह घटना घटी।

ड्यूटी के दौरान, एक अन्य नर्स ने पीड़िता को बताया कि डॉक्टर शाहनवाज उसे बुला रहे हैं। जब पीड़िता ने जाने से मना किया, तो रात करीब साढ़े 12 बजे वार्ड ब्वॉय जुनैद ने आकर कहा कि डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। उसने जबरदस्ती पीड़िता को डॉक्टर के कमरे में ले जाकर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया।

पीड़िता ने मदद के लिए चिल्लाते हुए दूसरी नर्स को आवाज दी, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। इसके बाद डॉक्टर शाहनवाज ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। डॉक्टर ने नर्स से कहा कि वह उसे जितने भी पैसे चाहिए दे देगा, लेकिन किसी को इस घटना के बारे में न बताए। अगर उसने किसी को कुछ बताया तो उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

पीड़िता के परिजनों के अनुसार, इस घटना के दौरान आरोपी वार्ड ब्वॉय ने नर्स का मोबाइल चार्जिंग से निकालकर अपने पास रख लिया था, ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके। जब नर्स सुबह घर पहुंची, तो उसने अपने परिवार को इस दर्दनाक घटना के बारे में बताया। इसके बाद परिवार तुरंत ठाकुरद्वारा थाना पहुंचा और शिकायत दर्ज कराई।

सीएमओ मुरादाबाद डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि इस घटना के बाद विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया है और अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने और उसे सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस ने मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, और अस्पताल को सील करने की कार्रवाई भी चल रही है।

एसपी देहात संदीप कुमार मीणा ने बताया कि ठाकुरद्वारा थाना क्षेत्र में पीड़िता के परिवार की ओर से एक शिकायत प्राप्त हुई है, जिसमें बताया गया है कि उनकी बेटी के साथ डॉक्टर ने दुष्कर्म किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और अस्पताल को सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस घटना ने अस्पताल और वहां के कर्मचारियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन द्वारा इस मामले में सख्त कार्रवाई की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और पीड़िता को न्याय मिल सके।

लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती का विज्ञापन होगा रद्द, विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने पीछे किए कदम

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केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। विपक्ष के साथ ही सरकार के कई सहयोगियों की ओर से यूपीएससी में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण नहीं दिए जाने के विरोध के बीच सरकार ने फैसला वापस ले लिया है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है।

केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी के अध्यक्ष प्रीति सुदान को चिट्ठी लिखी है। मंत्री ने यूपीएससी की तरफ से सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) से जुड़े विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है।पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के हिमायती हैं। हमारी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन वैकेंसी का रिव्यू कर रद्द करें जो 17 अगस्त को यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था।

यूपीएससी अध्यक्ष को लिखे पत्र में क्या

1. ''2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का सैद्धांतिक अनुमोदन किया था। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं। हालांकि, इससे पहले और इसके बाद लेटरल एंट्री के कई हाई प्रोफाइल मामले रहे हैं।'' 

2. ''पूर्ववर्ती सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों, UIDAI के नेतृत्व जैसे अहम पदों पर आरक्षण की नियुक्ति के बिना लेटरली एंट्री वालों को मौके दिए जाते रहे हैं।''

3. ''यह भी सर्वविदित है कि 'बदनाम' हुए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य सुपर ब्यूरोक्रेसी चलाया करते थे, जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित किया करती थी।''

 

4. ''2014 से पहले संविदा तरीके से लेटरल एंट्री वाली ज्यादातर भर्तियां होती थीं, जबकि हमारी सरकार में यह प्रयास रहा है कि यह प्रक्रिया संस्थागत, खुली और पारदर्शी रहे।''

 

5. ''प्रधानमंत्री का यह पुरजोर तरीके से मानना है कि विशेषकर आरक्षण के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में संविधान में उल्लेखित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप लेटरली एंट्री की प्रक्रिया को सुसंगत बनाया जाए।''

45 स्पेशलिस्ट नियुक्त के लिए निकला था विज्ञापन

बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के पदों पर 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त करने के लिए भर्ती निकाली। इन भर्तियों को लेटरल एंट्री के जरिए किया जाना था। हालांकि, इसे लेकर विपक्ष ने हंगाम खड़ा कर दिया और सरकार के इस कदम को आरक्षण छीनने की व्यवस्था बताया।

राहुल गांधी ने किया विरोध

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है।” इससे पहले उन्होंने रविवार को आरोप लगाया था कि पीएम मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं।

कांग्रेस ने शुरू की थी लेटरल एंट्री? बीजेपी मनमोहन सिंह, रघुराम राजन और सैम पित्रोदा का नाम लेकर घेरा*
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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त, 2024 को एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कि लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए है। जिसके बाद विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर बहस ने बड़ा रूप ले लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया जा चुका था। राहुल गांधी ने दावा किया है कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार खुलेआम एसटी-एससी और ओबीसी वर्ग का हक छीन रही है। मोदी सरकार आरएसएस वालों की लोकसेवकों में भर्ती कर रही है। राहुल गांधी को जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (एनएसी) चीफ बनाया गया। कांग्रेस ने लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी। अब पीएम मोदी ने यूपीएससी को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री सिस्टम को व्यवस्थित बनाया है। अर्जुन राम मेघवाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में और राजीव गांधी ने विपक्ष का नेता रहते हुए लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था। लेटरल एंट्री सभी के लिए खुली है। सभी वर्ग के लोग अप्लाय करते हैं। उनका दावा है कि हम आरक्षण खत्म कर रहे हैं। जब आप भर्ती कर रहे थे तो आप क्या कर रहे थे। मेघवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री प्रणाली को व्यवस्थित बनाया। उन्होंने कहा कि पहले शासन में इस तरह के प्रवेश के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी। कांग्रेस बिना किसी व्यवस्था के इसको करती थी पीएम मोदी ने सिर्फ व्यवस्थित किया है और ट्रांसपेरेंसी के साथ यूपीएससी के जरिए इसको लागू करवाया है। वहीं, अश्विनी वैष्णव ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा ,"मनमोहन सिंह की 1976 में वित्त सचिव के पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी? तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था, जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने। अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा, कांग्रेस शासन में सैम पित्रोदा, वी कृष्षणमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक विरमानी, रघुराम राजन जैसे लोगों को सरकार में शामिल किया गया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
कांग्रेस ने शुरू की थी लेटरल एंट्री? बीजेपी मनमोहन सिंह, रघुराम राजन और सैम पित्रोदा का नाम लेकर घेरा
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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त, 2024 को एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कि लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए है। जिसके बाद विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर बहस ने बड़ा रूप ले लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है। वहीं, भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया जा चुका था।

राहुल गांधी ने दावा किया है कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार खुलेआम एसटी-एससी और ओबीसी वर्ग का हक छीन रही है। मोदी सरकार आरएसएस वालों की लोकसेवकों में भर्ती कर रही है।

राहुल गांधी को जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (एनएसी) चीफ बनाया गया। कांग्रेस ने लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी। अब पीएम मोदी ने यूपीएससी को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री सिस्टम को व्यवस्थित बनाया है।

अर्जुन राम मेघवाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में और राजीव गांधी ने विपक्ष का नेता रहते हुए लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था। लेटरल एंट्री सभी के लिए खुली है। सभी वर्ग के लोग अप्लाय करते हैं। उनका दावा है कि हम आरक्षण खत्म कर रहे हैं। जब आप भर्ती कर रहे थे तो आप क्या कर रहे थे।

मेघवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री प्रणाली को व्यवस्थित बनाया। उन्होंने कहा कि पहले शासन में इस तरह के प्रवेश के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी। कांग्रेस बिना किसी व्यवस्था के इसको करती थी पीएम मोदी ने सिर्फ व्यवस्थित किया है और ट्रांसपेरेंसी के साथ यूपीएससी के जरिए इसको लागू करवाया है।

वहीं, अश्विनी वैष्णव ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा ,"मनमोहन सिंह की 1976 में वित्त सचिव के पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी? तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था, जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने।

अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा, कांग्रेस शासन में सैम पित्रोदा, वी कृष्षणमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक विरमानी, रघुराम राजन जैसे लोगों को सरकार में शामिल किया गया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, CBI से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, टास्क फोर्स के गठन का एलान*
#supreme_court_hearing_in_rg_kar_medical_college_doctor_rape_and_murder_case सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर डॉक्‍टर से कथित बलात्कार और हत्या के मामले में सुनवाई की।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट कोलकाता रेप केस पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन ये गंभीर मामला देशभर के स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट तलब की हैष साथ ही साथ कहा है कि हम पूरे केस की निगरानी करेंगे। सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। वहीं, बंगाल डॉक्टर्स संघ समेत अन्य याचिकाकर्ता के वकील भी पेश हुए। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमने यह स्वत: संज्ञान इसलिए लिया है कि ये सिर्फ कोलकाता का एक भयावाह मामला नहीं है, बल्कि देश डॉक्टरों की सुरक्षा का मसला है। खासतौर पर महिला डॉक्टरों की सुरक्षा और उनके वर्किंग ऑवर का मसला है। इस पर एक राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा हो, उन्हें संविधान में समानता मिली है। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि रेप का मसला है। यह बहुत ही चिंताजनक है और पीड़िता का नाम पूरी मीडिया में आ गया। तस्वीरें दिखा दी गई, यह चिंताजनक है। हमारा फैसला है कि रेप पीड़िता का नाम तक नहीं सार्वजनिक किया जाना है और यहां तस्वीरें तक दिखा दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने एलान किया कि इस घटना की जांच के लिए हम नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे हैं। यह टास्क फोर्स कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की। सीजेआई ने पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल से कुछ सवाल किए हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में एफआईआर भी देर से की गई है। सिब्बल ने इसे भी गलत बताया। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एफआईआर में मर्डर कहा गया। इसके जवाब में वकील ने कहा कि अननेचुरल डेथ का जिक्र किया गया। फिर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जब मामले को आत्महत्या बताया जा रहा था तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रिंसिपल उस वक्त क्या कर रहे थे। एफआईआर शाम में दर्ज करवाई जाती है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ केस दर्ज, घटना के बाद करता रहा मीटिंग

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्ट के साथ रेप और हत्या मामले की जांच सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर अपने हाथ में ले लिया है। सीबीआई के अधिकारी कई व्यक्तियों और विशेष रूप से आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से पूछताछ करके अपराध में अन्य भागीदारों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद हत्या मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल को उनके एक भरोसेमंद सहयोगी के जरिए 9 अगस्त की सुबह 7 बजे पता चला कि पीड़िता का शव सेमिनार रूम में पड़ा है। संदीप घोष ने पूरी घटना जानने के बाद बैठक की थी, पुलिस को देर से सूचना दी।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक महिला की हत्या एवं दुष्कर्म की घटना में सीबीआइ के रडार पर रहनेवाले आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ कोलकाता पुलिस ने भी एफआइआर दर्ज की है। लालबाजार सूत्रों का कहना है कि घटना के दिन दुष्कर्म की शिकार पीड़िता का नाम एवं पहचान सार्वजनिक करने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के साथ धारा 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में पुलिस आगे की जांच कर रही है।

इससे पहले रेप और मर्डर की इस वीभत्स घटना के बाद उनके कार्यों के बारे में प्रिंसिपल से 13 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई है।सीबीआई ने लगातार चौथे दिन उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। इससे पहले रविवार देर रात 1 बजे तक उनसे पूछताछ चली।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से सवाल किया कि सेमिनार रूम का बगल वाला हिस्सा क्यों टूटा हुआ है? इस पर घोष ने जो जवाब दिया, उससे सीबीआई संतुष्ट नहीं हुई। सीबीआई की पूछताछ में संदीप घोष ने दावा किया कि घटना के बाद गुस्साए छात्र और डॉक्टरों के विरोध को शांत कराने के लिए उस हिस्से में मरम्मत का काम शुरू किया गया। घोष का कहना है कि प्रदर्शनकारी छात्रों और डॉक्टरों ने मांग की थी कि उन्हें रेस्ट रूम, वॉश रूम और सुरक्षा प्रदान की जाए। ऐसे में उनके गुस्से को शांत कराने के लिए वहां काम शुरू किया गया। संदीप घोष ने पूछताछ में बताया कि कुछ महीने पहले वर्क ऑर्डर आया था और उस दिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करने के बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ।

चीन की “निगेहबानी” के लिए भारत को मिला जापान का “साथ”, हिंद महासागर में बढ़ेगा “ड्रैगन” का “डर”

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हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। जिसे हिन्द महासागर में आसानी से महसूस किया जा सकता है। हालंकि, अब भारत इसको काउंटर करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारत और जापान के बीच एक बड़ी डिफेंस डील की तैयारी हो रही है। जिससे भारत के पास हिंद महासागर में चीन की सारी चालों को नाकाम करने का “हथियार” मिल जाएगा।

दरअसल भारत, जापान से नौसेना के लिए एंटेना खरीदने की योजना बना रहा है। यह भारत को उसका पहला बड़ा रक्षा निर्यात होगा। इस सौदे की घोषणा आज मंगलवार को दिल्ली में भारत-जापान "2+2" मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान की जा सकती है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 के बाद से यह दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक होगी। 

एनईसी और अन्य जापानी कंपनियों द्वारा विकसित एंटेना का इस्तेमाल जापानी नौसेना पहले से ही करती है। उसने अपने अडवांस एस्कॉर्ट जहाजों पर पहले से ही इस एंटेना को लगा रखा है। ये एंटेना मिसाइलों और ड्रोन की हरकतों का तेजी से पता लगाने में सक्षम हैं। इस एंटेना की मदद से भारतीय नौसेना समुद्र में अपने दुश्मनों का शिकार करेगी।

भारत और जापान आज दिल्ली में विदेश और रक्षा मंत्रालयों की भागीदारी वाली 2+2 वार्ता करेंगे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके जापानी समकक्ष किहारा मिनोरू के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि द्विपक्षीय बातचीत और 2+2 बैठक के दौरान मंत्री सहयोग की समीक्षा करेंगे और दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए नई पहलों की खोज करेंगे। वे आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

कोलकाता रेप-मर्डर केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, देशभर में डॉक्‍टर्स का विरोध प्रदर्शन जारी*
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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला गरमा गया है। सोमवार को जांच एजेंसी सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से 13 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। उनसे आज फिर पूछताछ की जा सकती है। वहीं, आरोपी संजय रॉय का अब पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाएगा। सीबीआई को कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। पॉलीग्राफी टेस्ट से पता चल सकेगा कि आखिर आरोपी कितना झूठ और कितना सच बोल रहा है। वहीं, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या और अस्पताल में तोड़फोड़ के मामले पर स्वत:संज्ञान लिया है। इस केस को आज लिस्ट में ऊपर रखा है। सुप्रीम कोर्ट में सुबह 10:30 बजे बजे कोलकाता केस में सुनवाई होगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मामले में सुनवाई करेगी। मंगलवार को सुनवाई के लिए तय मुकदमों की सूची में यह केस 66 वें नंबर पर है, लेकिन इसमें विशेष उल्लेख किया गया है कि पीठ इसे प्राथमिकता पर सुनेगी।शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 20 अगस्त की वाद सूची के अनुसार, पीठ में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल होंगे। इस बीच दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर कर स्वत: संज्ञान मामले में उसे भी पक्षकार बनाने की अपील की है, जबकि फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने अपने वकीलों के जरिए सुप्रीम कोर्ट में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर किया है। *बंगाल सरकार ने एसआईटी का किया गठन* इधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए आईपीएस डॉक्टर प्रणव कुमार के अगुवाई में एक एसआईटी का गठन किया है। पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ आरोप सामने आने के बाद इसका गठन किया गया। टीम में मुर्शिदाबाद रेंज के डीआईजी वकार रजा, सीआईडी के डीआईजी सोमा दास मित्रा और कोलकाता पुलिस की डीसीपी इंदिरा मुखर्जी भी शामिल होंगी। *डॉक्टर्स का विरोध प्रदर्शन जारी* वहीं दूसरी तरफ, महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। तमाम अस्पतालों के डॉक्टरों ने इस घटना में शामिल सभी आरोपियों के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग की है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी कहा है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। इसके अलावा घटना के कारणों की भी जांच हों और डॉक्टरों की सुरक्षा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। बता दें कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में नौ अगस्त की दरमियानी रात को प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। अगले दिन सुबह उसका शव मिला था, जिसके बाद से डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।