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निरीक्षण के दौरान नदारद मिली प्रधान पाठिका और 6 शिक्षक, संभाग कमिश्नर ने किया सस्पेंड

दुर्ग- जिले में संभाग आयुक्त 

सत्यनारायण राठौर ने बड़ी कार्रवाई की है. संभाग कमिश्नर राठौर ने औचक निरीक्षण के दौरान नदारद मिले प्रधान पाठिका और शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है. यह कार्रवाई दुर्ग के महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधान पाठिका शायना परवीन और 6 महिला शिक्षकों पर की गई.

शहर के सर्राफा व्यापारी महावीर जैन की शिकायत पर संभाग कमिश्नर निरीक्षण करने पहुंचे थे. साथ ही दुर्ग के जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल और ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर गोविंद साव को शो कॉस नोटिस थमाया गया है. इसमें पूछा गया है कि अब तक इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

संभाग आयुक्त सत्यनारायण राठौर ने बताया कि दुर्ग निवासी महावीर जैन ने उनके पास लिखित शिकायत की थी कि महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में वहां की प्रधान पाठिका और शिक्षकों की ओर से बड़ी लापरवाही बरती जा रही है. वहां स्कूल में दर्ज छात्रों की संख्या के अनुपात में काफी अधिक शिक्षक है. इसका फायदा उठाकर प्रधान पाठिका शायना परवीन खान और कई शिक्षक बहुत-बहुत दिनों तक स्कूल नहीं आते हैं. साथ ही दोनों अधिकार और ऑफिसर पर 20-20 हजार रुपये लेकर प्रधान पाठिका और शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था. इसके बाद कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर दुर्ग संभाग, संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग को मिलाकर एक ज्वाइंट टीम गठित की गई. दोनों अधिकारियों की टीम ने महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया.

बता दें कि जांच टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि स्कूल में पदस्थ 11 शिक्षकों में से 6 अनुपस्थित हैं. इसकी वजह से स्कूल में छात्र भी पढ़ने नहीं आ रहे हैं. स्कूल में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 94 है, लेकिन वहां मात्र 62 विद्यार्थी ही उपस्थित पाए गए. 32 विद्यार्थी स्कूल नहीं आए थे.

छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अब ‘न्योता भोजन’, सामुदायिक भागीदारी से भोजन को अधिक पोषक बनाने की पहल

रायपुर-  छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को दिए जाने वाले गर्म भोजन को सामुदायिक भागीदारी की बदौलत और अधिक पोषक बनाने की अभिनव पहल की गई है। शाला अवधि में विद्यार्थियों को भोजन प्रदाय करने के लिए संचालित प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना गाईडलाईन में सामुदायिक आधार पर तिथि भोजन के प्रावधान के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इसे ‘न्योता भोजन’ के नाम से लागू करने का निर्णय लिया गया है।

न्योता भोजन का उद्देश्य समुदाय के बीच अपनेपन की भावना का विकास, भोजन के पोषक मूल्य में वृद्धि तथा सभी समुदाय वर्ग के बच्चों में समानता की भावना विकसित करना है। न्योता भोजन की अवधारणा सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और समुदाय के लोग अथवा कोई भी सामाजिक संगठन, स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते हैं अथवा अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान कर सकेंगे। न्योता भोजन, स्कूल में दिए जाने वाले भोजन का विकल्प नहीं होगा, बल्कि यह विद्यार्थियों को दिए जा रहे भोजन का पूरक होगा।

राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा महानदी भवन नवा रायपुर, अटल नगर से आज इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ‘न्योता भोजन’ के संबंध में विस्तृत निर्देश प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के दिशा निर्देश के अध्याय 12 में ‘तिथि-भोजन’ के नाम से दिये गये हैं, इसका पालन करना भी सुनिश्चित करें।

स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने जिला कलेक्टरों से कहा है कि ‘न्योता भोजन’ की अवधारणा एक सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। यह विभिन्न त्यौहारों या अवसरों जैसे वर्षगांठ, जन्मदिन, विवाह और राष्ट्रीय पर्व आदि पर बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करने की भारतीय परम्परा पर आधारित है। समुदाय के सदस्य ऐसे अवसरों/त्यौहारों पर अतिरिक्त खाद्य पदार्थ या पूर्ण भोजन के रूप में बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन प्रदान कर सकते है। यह पूरी तरह स्वैच्छिक है और समुदाय के लोग अथवा कोई भी सामाजिक संगठन या तो पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते हैं या अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज आदि के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान कर सकते हैं। ध्यान रहे न्योता भोजन शाला में दिये जाने वाले भोजन का विकल्प नहीं है, बल्कि यह केवल शाला में प्रदान किये जाने वाले भोजन का पूरक है।

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना में समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य में न्योता भोजन की अवधारणा रखी गई है, जिसमें प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना से लाभांवित हो रहे बच्चों को अतिरिक्त खाद्य पदार्थ या पूर्ण भोजन के रूप में पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन प्रदान किया जा सकेगा। इसके तहत समुदाय के सदस्य किचन के बर्तन भी उपलब्ध करा सकते है।

संभावित दाताओं की पहचान-

समुदाय में ऐसे दान दाताओं की पहचान की जा सकती है जो रोटेशन में माह में कम से कम एक दिन शाला में ‘न्योता भोजन’ करा सके। दान दाताओं को प्रोत्साहित करने के लिये उन्हें शाला की प्रार्थना सभा अथवा वार्षिक दिवस में सम्मानित किया जाए। भोजन दान की प्रकृति को महादान के रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए, जिसमें पूरे विद्यालय अथवा किसी कक्षा विशेष के बच्चों को ‘न्योता भोजन’ कराया जाता है। ‘न्योता भोजन’ के दिन दान-दाता को शाला में आमंत्रित किया जाए। ‘न्योता भोजन’ की घोषणा प्रार्थना के दौरान की जाए। घोषणा में दान-दाता के नाम की भी घोषणा की जा सकती है अथवा उन्हें आमंत्रित किया जा सकता है।

‘न्योता भोजन’ के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली सामग्रियां-

प्रदान की जाने वाली सामग्री में शाला के लिये पूर्ण भोजन, कक्षा विशेष के लिये पूर्ण भोजन अथवा अतिरिक्त पोषण आहार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पूर्ण या अतिरिक्त पोषण हेतु सामग्री प्रदान की जा सकती है जिसे शाला के रसोईयों के द्वारा बनाकर बच्चों को परोसा जा सकता है। दान-दाताओं द्वारा प्रदान किया जाने वाला खाद्य पदार्थ अथवा सामग्री उस क्षेत्र के खान-पान की आदत (फुड हैबिट) के अनुसार होनी चाहिए। पूर्ण भोजन की स्थिति में नियमित रूप से दिये जाने वाले भोजन के समान बच्चों को दाल, सब्जी और चावल सभी दिया जाना है। फल, दूध, मिठाई, बिस्किट्स, हलवा, चिक्की, अंकुरित खाद्य पदार्थ जैसे सामग्री, जो बच्चों को पसंद हो का चुनाव अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है। पौष्टिक एवं स्वादिष्ट मौसमी फलों का चयन भी पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है। मौसमी फल अपेक्षाकृत सस्ते एवं पौष्टिक होते है। शाला में बच्चों से पूछकर भी ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची तैयार की जानी चाहिये जो बच्चे ‘न्योता भोजन’ में खाना चाहते हो। इस सूची को दान-दाताओं को उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिससे वे बच्चों के पसंद की खाद्य सामग्री का अपने बजट के अनुसार चयन कर बच्चों को ‘न्योता भोजन’ में उपलब्ध करा सकें। ‘न्योता भोजन’ हेतु किसी प्रकार की कैश, चेक शाला द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

‘न्योता भोजन’ की आवृति एवं भागीदारी की भावना-

समुदाय की शाला में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये समुदाय के सदस्यों के मध्य माह में कम से कम एक दिन स्वच्छता एवं स्वच्छता प्रोटोकाल का पालन करते हुये ‘न्योता भोजन’ को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। ‘न्योता भोजन’ में बच्चे एक साथ बैठ सकते है और सही मायने में भोजन, अतिरिक्त खाद्य पदार्थों का आनंद उठा सकते है।

शाला प्रबंधन समिति की भूमिका-

शाला प्रबंधन समिति की बैठकों के दौरान ‘न्योता भोजन’ के प्रावधान, दान-दाताओं की पहचान, ‘न्योता भोजन’ की समय सारणी पर चर्चा की जाए। ‘न्योता भोजन’ के दौरान बच्चों को प्रदान किये जाने वाले खाद्य पदार्थों के प्रकार और मात्रा पर बैठकों में चर्चा की जाए। सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य खाद्य पदार्थों को उपलब्ध कराने में पर्याप्त सावधानी बरती जाए।

‘सबका प्रयास’-

सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु, ‘न्योता भोजन को बढ़ाने के लिये ‘सबका प्रयास’ अवधारणा का उपयोग किया जाना चाहिये। सबका प्रयास, समुदाय का एक प्रयास हो सकता है। इसके लिये समुदाय को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों के लिये अतिरिक्त खाद्य पदार्थों के प्रावधान के पोषण संबंधी लाभ से अवगत कराया जाए। इसमें मौसमी फल जो कम कीमत वाले और विटामिन तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर हों, बच्चों को दिया जा सकता है। ‘न्योता भोजन’ के तहत अतिरिक्त भोजन प्रदान करने में रूचि रखने वाले सभी समुदाय के सदस्यों के लिये शाला स्तर पर एक रोस्टर तैयार किया जा सकता है। अधिकतम योगदान देने वाले समुदाय के सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मानित किया जा सकता है। वास्तव में सबका प्रयास के माध्यम से सभी समुदाय के सदस्य या तो पूर्ण भोजन के रूप में खाद्य पदार्थ या फल, मिष्ठान आदि उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। न्योता भोजन की अवधारणा को सफलतापूर्वक जनांदोलन बनाया जाए।

पहल की निगरानी-

प्रदान किये गये भोजन की संख्या और प्रकार, अतिरिक्त खाद्य सामग्री और आवधिकता की जानकारी, संधारित करने के लिये, एक रजिस्टर रखा जाए। शाला से विकासखण्ड कार्यालय में भेजे जाने वाले मासिक प्रपत्र में न्योता भोजन की जानकारी दी जाए। जिस तिथि में ‘न्योता भोजन’ प्रदान किया जाता है उस तिथि में विकासखण्ड स्तर पर न्योता भोजन अन्तर्गत विस्तृत जानकारी की प्रविष्टि की की जाए। इसकी प्रविष्टि राज्य साफ्टवेयर में की जाएगी। ‘न्योता भोजन’ तीन प्रकार के हो सकते है- पूर्ण भोजन (शाला की सभी कक्षाओं हेतु), आंशिक पूर्ण भोजन (शाला के किसी कक्षा विशेष हेतु), अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री।

कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार ने की न्योता भोज कार्यक्रम की शुरुआत

रायपुर- ‘न्योता भोज’ कार्यक्रम के तहत रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह आज धरमपुरा स्थित प्राथमिक स्कूल पहुंचे. कलेक्टर ने यहां बच्चों को खाना खिलाया. इसके बाद खुद बच्चों के साथ खाना खाए. इस दौरान कलेक्टर गौरव सिंह के साथ उनका परिवार, रायपुर एसपी संतोष कुमार यादव और नगर निगम आयुक्त अविनाश मिश्रा मौजूद रहे.

बता दें कि प्रदेशभर के स्कूलों में ‘न्योता भोज’ कार्यक्रम आयोजित किया जाना है. इसमें मध्यान भोजन की जगह अब छात्रों को विशेष पकवान परोसे जा सकेंगे. इसके अंतर्गत आम व्यक्ति सामान्य स्कूलों में छात्रों को खाना खिला सकेंगे. छात्रों से पूछकर मेन्यू तैयार किया जाएगा. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर बच्चों की पौष्टिक खुराक बढ़ाने के लिए ये पहल की जा रही है.

61 लाख 28 हजार राशन कार्डधारियों ने किया नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन, 25 फरवरी तक नवीनीकरण कार्य किए जाएंगे

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान में प्रचलित सभी 77 लाख राशनकार्डों के नवीनीकरण का कार्य 25 जनवरी से जारी है। 17 फरवरी की स्थिति में 61 लाख 28 हजार 959 राशन कार्डधारियों ने नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। राशनकार्डों के नवीनीकरण के लिए खाद्य विभाग द्वारा दी गई, ऑनलाइन सुविधा का लोग भरपूर लाभ उठा रहे हैं और स्वयं अपने मोबाइल से खाद्य विभाग के एप के जरिये राशनकार्डों के नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत कर रहे हैं।

गौरतलब है कि राशनकार्ड नवीनीकरण का कार्य 25 फरवरी 2024 तक किया जा रहा है। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राशनकार्ड नवीनीकरण के लिए खाद्य विभाग के द्वारा खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का नया मोबाईल एप्प तैयार किया गया है, इसे प्ले स्टोर में जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। हितग्राही द्वारा खाद्य विभाग की वेबसाइट http://khadya.cg.nic.in से डाउनलोड किया जा सकता है। राशनकार्डधारी अपने मोबाईल में इस एप्प के जरिए नवीनीकरण के लिए इलेक्ट्रानिक आवेदन ऑनलाईन प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसे हितग्राही जिनके पास एन्ड्राईड मोबाईल नहीं है अथवा जहां पर मोबाईल कनेक्टिविटी नहीं है वहां उचित मूल्य दुकान स्तर पर ऑनलाईन प्रक्रिया के जरिए राशनकार्डों के नवीनीकरण हेतु इलेक्ट्रानिक आवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा भी दी जा रही है।

विशेष पिछड़ी जनजातियों की बदलेगी तस्वीर, मुख्यमंत्री श्री साय का विशेष पिछड़ी जनजाति के विकास पर है विशेष जोर

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में तैयार किये गये बजट में विशेष पिछड़ी जनजाति के सदस्यों के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इस बजट प्रावधान से छत्तीसगढ़ में रह रहे बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार और अबूझमाड़िया लोगों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल पाएगा। घास-फूस के घरों की जगह वे पक्के घरों में रह सकेंगे। पेयजल की अच्छी सुविधा होगी। अभी अधिकांश विशेष पिछड़ी जनजाति की बस्तियों में पानी दूर से लाना होता है। कई बार इस जनजातीय समुदाय के लोग झिरिया आदि से पानी पीते हैं। अशुद्ध पेयजल की वजह से बीमारियां पनपती हैं।

देश में पहली बार इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना बनाई गई। यह योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु से शुरू की थी। छत्तीसगढ़ में इस योजना पर तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इस पर सीधी नजर रख रहे हैं। बीते माह मुख्यमंत्री ने रायगढ़ जिले में बिरहोर बस्तियों का दौरा भी किया। उन्होंने यहां प्रधानमंत्री जनमन योजना के क्रियान्वयन की स्थिति देखी। मुख्यमंत्री ने इन बस्तियों में रहने वाले लोगों से संवाद भी किया। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को योजनाओं का लाभ मिलते रहे, इसके लिए लगातार कैंप लगाये जा रहे हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध हो जाने से अब इन इलाकों में तेजी से विकास हो सकेगा। यह योजना इसलिए भी आवश्यक थी क्योंकि इन जनजातियों का भौगोलिक परिवेश बहुत कठिन है। जहां पर बस्तियां बसी हैं वहां तक पेयजल की सुविधा उपलब्ध करा पाना तथा अन्य बुनियादी सुविधाएं दे पाना चुनौती होती थी लेकिन मुख्यमंत्री श्री साय के दृढ़ संकल्प के आगे रास्ता आसान हो गया है।

जनमन योजना के माध्यम से न केवल बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं अपितु इनके लिए रोजगार के अवसर भी इसके माध्यम से सृजित किये जा रहे हैं। सरगुजा और बस्तर की ओर फोकस की सरकार की नीति भी इन अवसरों को बढ़ाने की दिशा में काफी उपयोगी होगी। स्थानीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर इन जनजातियों के लिए रोजगार सृजन हो सकेगा। इन योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए जनमन मित्र तथा सखी विशेष रूप से उपयोगी साबित हुए हैं। वे घर-घर जाते हैं पीवीटीजी से उनकी भाषा में बात करते हैं। सरकार की योजनाओं की जानकारी देते हैं और फार्म भी भरवाते हैं। इसके बाद वे प्रशासनिक अधिकारियों के समन्वय से इन योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को देना सुनिश्चित कराते हैं।

दूरस्थ अंचल के बसाहटों तक पहुंचा शुद्ध पेयजल

रायपुर-   छत्तीसगढ़ के दूरस्थ एवं पहुंच विहीन दुर्गम स्थानों में स्थित ग्रामों में अब लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल मिल रहा है। केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन से अब ग्रामीणों को अन्य स्त्रोतों का पानी नहीं पीना पड़ता। शुद्ध पेयजल मिलने से ग्रामीण खुश है।

नारायणपुर जिले के विभिन्न ग्रामों तक जल जीवन मिशन के तहत् दूरस्थ अंचल के बसाहटों तक पहुंची शुद्ध पेयजल पहुंच रही है। नारायणपुर जिले के पहुंच विहीन ग्रामों तक टेपनल के माध्यम से ग्रामीणों को घर-घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसमें अधिकांश गांव घने जंगल, पहाड़, नदी, नालों, दुर्गम रास्तौं से घिरे हुए हैं। ऐसे में जल जीवन मिशन के तहत् सभी बसाहटों में पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य राज्य शासन द्वारा प्राथमिकता से किया जा रहा है। हर घर नल-जल योजना से प्रत्येक ग्रामीण परिवारो को 24 घंटे शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। जल जीवन मिशन के तहत 439 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल दिया जा रहा है।

पहले लोगों को हैंण्डपंप से पानी भरने में समस्या होती थी, वहीं बारिश के समय हैंण्डपंप से मटमैला पानी प्राप्त होता था। गर्मी के मौसम में भू-जल स्तर कम हो जाने के कारण लोगों को हैण्डपंप से पानी निकालने में कठिनाई होती थी।

जल जीवन मिशन के तहत् पानी टंकी निर्माण होने से हर मौसम में ग्रामीणों को शुद्ध स्वच्छ पेयजल मिल रहा है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नारायणपुर जिले में कुल 3275 हैंडपंप स्थापित किया गया। इनमें से 3253 हैंडपंप चालू हालत में है।

मिशन 2024 : पीसीसी ने की विभिन्न समिति प्रभारी समेत वॉर-रूम डेस्क प्रमुख और सदस्यों की नियुक्ति, कुल 19 लोगों को दी गई जिम्मेदारी, देखिए लिस्ट

रायपुर- लोकसभा चुनाव मिशन 2024 के लिए कांग्रेस की तैयारी जोरों पर चल रही है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने वॉर रूम के लिए समितियों के प्रभारी नियुक्त किए हैं. साथ ही वाररूम-डेस्क प्रमुख और सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है.

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मलकीत सिंह गैंदू को संगठात्मक संचार की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं मीडिया और संचार की जिम्मेदारी सुशील आनंद शुक्ला को सौंपी गई है.

इसके साथ ही जयवर्धन बिस्सा को सोशल मीडिया, और कॉल सेंटर की जवाबदारी दीपक मिश्रा को दी गई है. इसके अलावा विधिक की जिम्मेदारी देवा देवांगन और बूथ प्रबंधक की जिम्मेदारी रजत जसूजा को मिली है.

 वार रूम डेस्क प्रमुख और सदस्य 

वार रूम डेस्क प्रमुख की जिम्मेदारी सलाम रिजवी और लोकेश साहू संभालेंगे. बता दें कि वार रूम डेस्क के लिए 11 सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है.

बस्तर की पुरातन आदिवासी संस्कृति को सहेजने के लिए संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिया बड़ा तोहफा

रायपुर- छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के साथ ही उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाना हमारा मकसद भी है और संकल्प भी। यह बात संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

श्री अग्रवाल ने विधानसभा में बताया कि बस्तर में आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सरकार ने बस्तर दशहरा, चित्रकोट महोत्सव, रामाराम महोत्सव और गोंचा पर्व महोत्सव आयोजन की राशि को बढ़ाने की घोषणा की।

श्री अग्रवाल ने कहा कि आदिवासियों के हितों का संरक्षण और उनकी संस्कृति की रक्षा के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है। बस्तर की संस्कृति बहुत पुरातन और आदिवासी संस्कृति है जो आज भी अपने मूल स्वरूप में है। बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला दशहरा विश्व प्रसिद्ध है जहां केवल रावण दहन नहीं होता बल्कि आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस धरोहर को सहेज कर रखने के लिए विभाग ने बस्तर दशहरा के आयोजन के लिए प्रत्येक वर्ष 25 लाख की राशि को बढ़ाते हुए 50 लाख रुपए देने का निर्णय लिए है। इसी प्रकार से चित्रकोट महोत्सव के लिए राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए और रामाराम महोत्सव के लिए 15 लाख रुपए गोंचा महोत्सव के लिए धनराशि 5 लाख रुपए किए जाने की घोषणा की।

श्री अग्रवाल ने बताया कि, इससे बस्तर की संस्कृति को जीवंत रखा जा सकेगा। आदिवासी समाज अपनी जीवन शैली और पहचान को बनाए रखे। आने वाले समय में बस्तर में नक्सलवाद सुनाई नहीं देगी। बल्कि वहां की संस्कृति, मांदर, ढोल की थाप गूंजेगी। उन्होंने कहा कि अगर हम आदिवासियों की मूल संस्कृति को जीवित रखेंगे तो कोई उनको भटकाकर नक्सलवाद के गलत रास्ते पर नही ले जाएगा।

उपमुख्यमंत्री श्री साव ने कहा - प्रदेश की सड़क अधोसंरचना को मिलेगी मजबूती, अविकसित और पिछड़े क्षेत्रों में बढ़ेगी सड़क कनेक्टिविटी

रायपुर- उपमुख्यमंत्री एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 8016 करोड़ 84 लाख 34 हजार रुपए अनुदान मांगे प्रस्तुत की गई जिसे विधानसभा में पारित किया गया। श्री साव ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार प्रदेश में सड़क अधोसंरचना को मजबूत करने के साथ ही अविकसित और पिछड़े क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी को मजबूत करने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ी है। इससे यातायात पर दबाव बढ़ा है। सड़कों के चौड़ीकरण की जरूरत है और इनके सुदृढ़ीकरण की जरूरत भी है ताकि यातायात व्यवस्थित हो, इस जरूरत के अनुरूप बजट प्रावधान किये गये हैं।उपमुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि मोदी जी की गारंटी के अनुरूप वर्ष 2027 तक प्रत्येक राजमार्ग को बारहमासी एवं यातायात की जरूरतों के अनुरूप मजबूत करेंगे। मोदी जी की गारंटी के अनुरूप राज्य के सभी राज्यमार्गों को यथासंभव डबल लेन किया जाएगा। श्री साव ने कहा कि पहुंचविहीन गांवों में सड़क अधोसंरचना सुनिश्चित करेंगे ताकि ये गांव मुख्यधारा से जुड़ सकें। श्री साव ने कहा कि निर्माण कार्यों में पूरी तरह गुणवत्ता सुनिश्चित हो, इसके लिए पीडब्ल्यूडी दृष्टि एप लांच किया गया है। इसके माध्यम से निरीक्षणकर्ता अधिकारी कार्यस्थल से ही कार्य के फोटोग्राफ लेकर सर्वर पर अपलोड कर सकेंगे। श्री साव ने बताया कि सड़कों की मरम्मत के लिए 396 करोड़ रुपए रखे गये हैं। प्रदेश में नये रेलवे ओवरब्रिज, अंडर ब्रिज एवं अंडर पास बनाये जाएंगे।

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75 करोड़ रुपए की लागत से पंडरी मोवा मार्ग पर फ्लाईओवर का निर्माण कराया जाएगा। तेलघानी नाका चौक से स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक 7 तक अंडर पास का निर्माण किया जाएगा, इसकी लागत 10 करोड़ होगी।

मंदिरहसौद स्टेशन के निकट रेलवे ओवरब्रिज बनेगा, इसकी लागत 12 करोड़ रुपए होगी। रायगढ़ चक्रधर नगर में रेलवे ओवरब्रिज बनाया जाएगा जिसकी लागत 80 करोड़ रुपए होगी। अटल पथ एक्सप्रेस वे में फुंडहर चौक सेप्रेटर बनाया जाएगा जिसकी लागत 10 करोड़ रुपए होगी। बिलासपुर में मंगला चौक में 12 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से ग्रेट सेप्रेटर बनाया जाएगा। रिंगरोड क्रमांक 2 रायपुर जरवाय मार्ग पर 20 करोड़ रुपए की लागत से ओवरपास बनाया जाएगा। सरोना चौक रिंगरोड क्रमांक 1 पर 10 करोड़ रुपए की लागत से ओवरपास बनाया जाएगा।

भारत माता चौक से कुकरी तालाब के पास स्टेशन प्लेटफार्म 7 तक ओवरपास तथा अंडरपास बनाया जाएगा, इसकी लागत 5 करोड़ रुपए होगी। इसी तरह से रायपुर एक्सप्रेस वे के गुढ़ियारी भाग से प्लेटफार्म 7 तक अंडरपास बनाया जाएगा जिसकी लागत 5 करोड़ रुपए होगी। टाटीबंध भनपुरी रिंग रोड नंबर 2 पर 12 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से ओवरपास का निर्माण होगा। भवन कार्यों के लिए 961 करोड़ 78 लाख रूपए का बजट रखा गया है।

अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में सड़क पुल निर्माण कार्य के लिए 1517 करोड़ 60 लाख रुपए का बजट रखा गया है। अनुसूचित जनजाति उपयोजना भवन कार्य के लिए 258 करोड़ 57 लाख व्यय किये जाएंगे। इसी प्रकार अनुसूचित जाति क्षेत्र में भवन-सड़क एवं पुल निर्माण के लिए 371 करोड़ 16 लाख रुपए की राशि रखी गई है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का तबादला

रायपुर- राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का तबादला आदेश जारी किया गया है. जारी आदेश सूची में 9 अधिकारियों का नाम शामिल है. जिसका आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डी.डी. सिंह ने जारी किया है. संयुक्त कलेक्टर मनीष मिश्रा को रायपुर की ज़िम्मेदारी दी गई है. वहीं बेमेतरा संयुक्त कलेक्टर उमाशंकर बन्दे को भी रायपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.