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चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान से पोता जयंत चौधरी हुए गदगद, बोले- दिल जीत लिया, अब तो पक्का हुआ गठबंधन

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केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भारतरत्न देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया। सरकार की ओर से किए गए इस ऐलान के के बाद उनके पोते जयंत चौधरी ने इस पर खुशी जताई है।राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद के सोशल मीडिया पोस्ट पर जवाब देते हुए लिखा है- 'दिल जीत लिया!'लोकसभा चुनाव से पहले चरण सिंह को भारतरत्न देकर बीजेपी ने अपना इरादा साफ कर दिया है। वेस्टर्न यूपी के जाट नेता जयंत चौधरी इंडिया में बने रहेंगे या एनडीए के पार्टनर बनेंगे, इस पर भी कन्फ्यूजन लगभग खत्म हो गया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी काफी खुश हुए। उन्होंने पीएम मोदी का आभार जताते हुए कहा कि आपने दिल जीत लिया। आरएलडी की तरफ से कहा गया कि ”यह सम्मान देश के किसान-कमेरे, दलित, वंचित एवं शोषित वर्ग के लोगों को मिला है, जिनके उद्धार के लिए चौधरी साहब का संपूर्ण जीवन समर्पित रहा। यह सम्मान देश के लहलहाते खेत-खलिहानों को मिला है, जहाँ चौधरी साहब की आत्मा बसती थी।

इस बयान के बाद आरएलडी का एनडीए का हिस्सा बनने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि जयंत चौधरी जल्द ही इंडिया ब्लॉक को छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं जिसके लिए आखिरी दौर की बातचीत चल रही है।

बीजेपी के 10 साल देश के कार्यकाल में 7 विभूतियों को भारत रत्न, अब तक किन-किन को मिल चुका है ये सम्मान, जानिए पूरी डिटेल

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केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इससे पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को 26 जनवरी के दिन भारत रत्न दिये जाने का ऐलान किया था। इस साल अब तक पांच दिग्गजों को भारत रत्नसे सम्मानित किए जाने का ऐलान किया जा चुका है। वहीं, नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल देश की 7 विभूतियों को भारत रत्न से नवाजा है।आइए बताते हैं कि अब तक किन लोगों को ये सम्मान मिल चुका है।

बीजेपी सरकार ने 2015 में वाजपेयी और पं. मदन मोहन मालवीय को सम्मान

बीजेपी साल 2014 में सत्ता में आई थी। इसके बाद से देश 10 लोगों को इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। सत्ता में आने के बाद सबसे पहले, साल 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह अवार्ड दिया था। पूर्व पीएम बीजेपी के संस्थापक और संघ से जुड़े थे। उसी साल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय को भी देश के सर्वोच्च अवार्ड से नावाजा गया था।

बीजेपी सरकार ने 2019 में देश की 3 विभूतियों को मिला सम्मान

साल 2019 में देश की 3 विभूतियों को मोदी सरकार ने ‘भारत रत्न’ पुरस्कार से नवाजा. कांग्रेस के कद्दावर नेता, देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को इस पुरस्कार से नवाजा था। इसके अलावा भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले नाना जी देशमुख और असम के भारतीय पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि और फिल्म निर्माता भूपेन हजारिका को भारत रत्न पुरस्कार दिया गया था।

2024 में जो कि चुनावी साल भी है इस वर्ष भी पांच विभूतियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। पहले बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत) को और फिर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। इसके बाद आज पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। यानी अब तक 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने कुल 10 लोगों को भारत रत्न से नवाजा है।

अब तक कुल कितने लोगों को मिल चुका है यह सम्मान आइए जानते हैं

1. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954): स्वतंत्र भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल, सी राजगोपालाचारी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और स्वतंत्र पार्टी के संस्थापक थे। भारतीय राजनीति और साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।

2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954): प्रतिष्ठित दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति, राधाकृष्णन को शिक्षा में योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया था। उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. डॉ. सीवी रमन (1954): रमन प्रभाव की खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सीवी रमन के काम को विश्व स्तर पर मान्यता मिली थी। उनके शोध ने भारतीय वैज्ञानिक प्रगति के लिए आधारशिला रखी थी।

4. डॉ. भगवान दास (1955): एक दार्शनिक, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् डॉ. भगवान दास महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे। भारतीय शिक्षा और दर्शन में उनके योगदान ने उन्हें यह सम्मान दिया गया था।

5. डॉ. एम विश्वेश्वरैया (1955): एक प्रख्यात इंजीनियर और राजनेता, भारत में इंजीनियरिंग और शिक्षा के क्षेत्र में विश्वेश्वरैया का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने मैसूर के प्रसिद्ध कृष्णराज सागर बांध का डिजाइन तैयार किया था।

6. पंडित जवाहरलाल नेहरू (1955): स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री चाचा नेहरू के नाम से मशहूर पंडित जवाहरलाल नेहरू को महान नेता के तौर पर याद किया जाता है। उनकी नीतियों ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास की नींव रखी थी।

7. पंडित गोविंद बल्लभ पंत (1957): भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति और एक प्रमुख राजनीतिक नेता थे। भारतीय इतिहास में उनका योगदान महत्वपूर्ण था। जिसमें गृह मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल था।

8. डॉ धोंडो केशव कर्वे (1958): एक समाज सुधारक और शिक्षक थे। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित किया, और भारत में पहली महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।

9. डॉ बिधान चंद्र रॉय (1961): एक चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री रहे डॉ बिधान चंद्र रॉय ने स्वास्थ्य और शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया।

10. पुरूषोत्तम दास टंडन (1961): एक स्वतंत्रता सेनानी और हिंदी भाषा के वकील थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

11. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962): भारत के पहले राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान सभा के एक प्रमुख नेता थे। उनके नेतृत्व ने भारतीय गणराज्य को सफल बनाने में मदद की।

12. डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1963): एक प्रतिष्ठित शिक्षक और भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें भारतीय शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। जिसे आज जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से जाना जाता है।

13. डॉ. पांडुरंग वामन काणे (1963): संस्कृत के विद्वान डॉ. पांडुरंग वामन काणे को उनकी किताब "धर्मशास्त्र का इतिहास" के लिए जाना जाता है। उन्हें भारतीय कानूनी और सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह सम्मान मिला।

14. लाल बहादुर शास्त्री (मरणोपरांत, 1966): भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व और उनके नारे "जय जवान जय किसान" के लिए जाना जाता है।

15. इंदिरा गांधी (1971): भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन हुए। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व को याद किया जाता है।

16. वीवी गिरि (1975): वीवी गिरि भारत में श्रम अधिकारों के समर्थक और भारत के चौथे राष्ट्रपति थे। उनका भारतीय श्रम कानून और प्रशासन में योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

17. के कामराज (मरणोपरांत, 1976): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कामराज कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। उनके नेतृत्व और "कामराज योजना" में उनकी भूमिका ने स्वतंत्रता के बाद पार्टी को दोबारा खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान महत्वपूर्ण था।

18. मदर टेरेसा (1980): गरीबों और बीमारों के प्रति दयी और सेवा के लिए मदर टेरेसा को यह सम्मान दिया गया। कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के काम के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पहचान मिली।

19. आचार्य विनोबा भावे (1983): महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और भूदान आंदोलन के आरंभकर्ता थे। आचार्य भावे ने भूमि सुधार और अहिंसक प्रतिरोध के लिए काफी प्रयास किये थे।

20. खान अब्दुल गफ्फार खान (1987): महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी, गफ्फार खान एक पश्तून स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे। उन्होंने अहिंसक तरीकों से ब्रिटिश शासन का विरोध किया था। वह "सीमांत गांधी" के नाम से भी जाने जाते थे।

21. एमजी रामचंद्रन (मरणोपरांत, 1988): फिल्म अभिनेता से राजनेता बने, मुख्यमंत्री के रूप में तमिलनाडु के विकास और कल्याण योजनाओं में एमजीआर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

22. डॉ. बीआर अंबेडकर (मरणोपरांत, 1990): भारतीय संविधान को बनाने वाले डॉ. बीआर अंबेडकर सामाजिक न्याय के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हाशिये पर पड़े लोगों के अधिकारों की वकालत की और देश में जातिगत भेदभाव खत्म करने की पुरजोर कोशिश की थी।

23. नेल्सन मंडेला (1990): दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी, राजनेता और रंगभेद को खत्म करने और नस्लीय मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के मंडेला को दुनिया भर में जाना गया। 

24. राजीव गांधी (मरणोपरांत, 1991): भारत के सबसे युवा प्रधान मंत्री रहे राजीव गांधी का कार्यकाल भारत को सूचना युग में ले जाने के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

25. सरदार वल्लभभाई पटेल (मरणोपरांत, 1991): सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की आजादी के संघर्ष और उसके बाद भारतीय संघ में रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके चलते ही उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता है।

26. मोरारजी देसाई (1991): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण नेता और भारत के चौथे प्रधान मंत्री, देसाई को शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने वाले नेता के रूप में जाना जाता था।

27. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (मरणोपरांत, 1992): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक वरिष्ठ नेता और भारत के पहले शिक्षा मंत्री, भारत में एक शैक्षिक नींव स्थापित करने में मौलाना अबुल कलाम का बड़ा योगदान है।

28. जेआरडी टाटा (1992): भारत के सर्वकालीन महान उद्योगपतियों में से एक जेआरडी टाटा ने भारत की पहली एयरलाइन की स्थापना की थी. वह टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहे हैं।

29. सत्यजीत रे (1992): भारत के बड़े प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे का भारतीय सिनेमा योगदान काफी ज्यादा है। उनके काम को ऑस्कर समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। उन्हें भारत का सबसे महान फिल्मकार कहा जाता है।

30. गुलजारीलाल नंदा (1997): गुलजारीलाल नंदा दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधान मंत्री रहे थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में श्रम मुद्दों और आर्थिक नीतियों पर खूब काम किया था।

31. अरुणा आसफ अली (1997): भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बॉम्बे गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए इन्हें याद किया जाता है।

32. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (1997): "भारत के मिसाइल मैन" कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक थे।पहले उन्होंने वैज्ञानिक और फिर बाद में राष्ट्रपति के तौर पर देश के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया। 

33. एमएस सुब्बुलक्ष्मी (1998): कर्नाटक की गायिका सुब्बुलक्ष्मी का भारतीय शास्त्रीय संगीत में काफी महत्वपूर्ण था। दुनिया भर में उनके प्रदर्शन ने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया था।

34. चिदम्बरम सुब्रमण्यम (1998): चिदम्बरम सुब्रमण्यम को भारत की हरित क्रांति में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है। उनकी कृषि नीतियों और पहलों ने भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में काफी सुधार किया था।

35. जयप्रकाश नारायण (मरणोपरांत, 1999): एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता थे। जयप्रकाश नारायण ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और बाद में "संपूर्ण क्रांति" आंदोलन के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

36. प्रोफेसर अमर्त्य सेन (1999): अर्थशास्त्र में अमर्त्य सेन के काम को दुनिया भर गहरा प्रभाव छोड़ा। अर्थशास्त्र में उनके योगदान के चलते उन्हें नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।

37. लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (मरणोपरांत, 1999): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति और असम के पहले मुख्यमंत्री थे। गोपीनाथ बोरदोलोई के प्रयास असम को भारत के साथ एकजुट रखने में काफी महत्वपूर्ण थे।

38. पंडित रविशंकर (1999): एक महान सितार वादक और संगीतकार पंडित रविशंकर को भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर लाने के लिए जाना जाता है।उनके काम ने दुनिया भर के कई संगीतकारों को प्रभावित किया है।

39. लता मंगेशकर (2001): "भारत कोकिला" के नाम से मशहूर लता मंगेशकर की आवाज़ भारतीय संगीत के इतिहास में कभी ना भूलने वाली आवाज है। उन्होंने एक हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों और अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में कई हजार गाने रिकॉर्ड किए।

40. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001): शहनाई के उस्ताद कहे जाने वाले बिस्मिल्लाह खान के संगीत ने दुनिया भर पर राज किया। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके चलते ही शहनाई को दुनिया भर में पहचान मिली।

41. पंडित भीमसेन जोशी (2009) : भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे महान व्यक्तियों में एक पंडित भीमसेन जोशी की गायन शैली सबसे अलग थी। जिसके चलते भारत ही नहीं दुनिया भर में याद किया जाता है।

42. प्रोफेसर सीएनआर राव (2014): प्रोफेसर सीएनआर राव के शोध और प्रकाशनों ने रासायनिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

43. सचिन तेंदुलकर (2014): भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सर्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक सचिन तेंदुलकर के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड हैं। 

44. अटल बिहारी वाजपेई (2015): एक राजनेता और कवि के रूप में अटल बिहारी वाजपेई का अलग स्थान है। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल आर्थिक सुधारों और भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार की दिशा में प्रयासों के लिए जाना जाता है।

45. पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत, 2015): एक शिक्षक और स्वतंत्रता कार्यकर्ता, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

46. नानाजी देशमुख (मरणोपरांत, 2019): एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता रहे नानाजी देशमुख को भारत में ग्रामीण विकास और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

47. डॉ. भूपेन हजारिका (मरणोपरांत, 2019): डॉ. भूपेन हजारिका को असम और पूरे भारत में संगीत को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए याद किया जाता है। 

48. प्रणब मुखर्जी (2019): प्रणब मुखर्जी को एक शानदार स्टेट्समैन कहा जाता था। कांग्रेस की सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में काफी शानदार काम किया। उन्होंने भारत के 13 राष्ट्रपति के रूप में भी अपना कार्यकाल पूरा किया था।

49. कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत, 2024 में सम्मानित किया जाएगा): कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक प्रमुख राज नेता थे। जो सामाजिक न्याय और वंचितों के हक की लड़ाई के लिए जाने जाते थे।

50. लाल कृष्ण आडवाणी (2024 में सम्मानित किया जाएगा): लालकृष्ण आडवाणी जैन संघ से भाजपा बनने तक के सफर में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में साथ रहे हैं। उनका भारतीय राजनीति और भारतीय जनता पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

51. चौधरी चरण सिंह(2024 में सम्मानित किया जाएगा): देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

52. पीवी नरसिम्हा राव(2024 में सम्मानित किया जाएगा): प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला।इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान अहम है।

53. डॉ. एमएस स्वामीनाथन(2024 में सम्मानित किया जाएगा): कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।

चरण सिंह, नरसिम्हा राव, एम एस स्वामीनाथ को भी भारत रत्न, पीएम मोदी ने की घोषणा

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने आज दो पूर्व पीएम चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने इसके अलावा मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर ये जानकारी साझा की।

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, चौधरी चरण सिंह ने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।

प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का ऐलान करते हुए कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव गरू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित स्कॉलर और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव गरू ने तमाम क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था।

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।

पाकिस्तान में वोटों की गिनती जारी, नवाज और इमरान की पार्टी में कांटे की टक्कर

#pakistan_election_result

पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजों का आज दिन है। आम चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है।नेशनल एसेंबली के चुनाव में इमरान समर्थित उम्मीदवार बड़ी जीत की ओर बढ़ रहे हैं।पाकिस्तानी चुनाव अधिकारी के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे 12 समर्थक चुनाव जीत चुके हैं। जबकि नवाज शरीफ की पार्टी इमरान खान से आगे निकल गई है।नवाज शरीफ की पार्टी ने13 सीटों पर जीत हासिल कर लिया है। वहीं, बिलावल भुट्टो की पीपीपी- 8 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के मुखिया और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लाहौर के एनए-130 सीट से जीत मिली हैष उन्होंने पीटीआई समर्थित उम्मीदवार यासमीन राशिद को हराया है। नवाज शरीफ ने 1,71,024 वोटों के साथ चुनाव जीता है। नवाज शरीफ मनसेहरा सीट से चुनाव हार गए हैं। निर्दलीय उम्मीदवार शहजादा गस्तासाप ने उन्हें करारी शिकस्त दी। शहजादा गस्तासाप को 74,713 वोट मिले, जबकि नवाज को 63,054 वोट से संतोष करना पड़ा।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 336 सीटें हैं, जिनमें से 266 उम्मीदवारों के लिए प्रत्यक्ष मतदान प्रक्रिया के जरिए चुनाव हुए हैं। इनमें 70 सीटें आरक्षित हैं - 60 महिलाओं के लिए और 10 गैर-मुसलमानों के लिए है। पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 172 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है।

मालदीव में कौन ले रहा भारतीय सैनिकों की जगह? विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

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"इंडिया आउट" कैंपन चलाकर मालदीव की सत्ता में आए मोहम्मद मुइज्जू को एक बार फिर भारत के साथ समझौता करना पड़ा है।मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ इस देश के रिश्तों में काफी तनाव बढ़ गया है। उन्होंने आते ही 'इंडिया आउट' कैंपेन का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया। मुइज्जु ने कहा कि उन्हें किसी अन्य देश की मौजूदगी यहां पर नहीं चाहिए।हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत-मालदीव कोर ग्रुप की दूसरी बैठक हुई। इस दौरान मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर लंबी चर्चा हुई। बैठक में इस स्तर पर सहमति बनी कि भारत मालदीव में तैनात सैनिकों की जगह असैनिक समूह को तैनात करेगा।इसकी घोषणा विदेश मंत्रालय की ओर से की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में एक साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, मालदीव में मौजूदा कर्मियों की जगह सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों को रखा जाएगा। भारत तीनों एविएशन प्लेटफार्म से अपने सैनिकों को हटाने के लिए मान गया है। 10 मार्च तक एक प्लेटफार्म से और 10 मई तक बचे हुए दो प्लेटफार्म से सैन्यकर्मियों को रिप्लेस कर दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में एक और बात पर जोर दिया। कहा कि दोनों देशों ने मालदीव के लोगों को मानवीय और मेडवैक सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक समाधानों पर पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है। साथ ही दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की अगली बैठक मालदीव की राजधानी माले में आयोजित होने पर सहमति बनी थी।

बताया जाता है कि मुइज्जू मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाकर चीन के असैनिक समूह को तैनात करना चाहते थे, लेकिन वह अपने देश में ही विपक्षी दलों के घोर विरोध से घबराए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने सिंगापुर में काम करने वाली एक चीनी कंपनी के असैन्य समूह को भारतीय सेना की जगह तैनात करने की योजना बना चुके थे, लेकिन भारत के दबाव के कारण मुइज्जू को अपना निर्णय बदलना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने शपथग्रहण के बाद से ही भारत द्वारा दिए गए हेलीकॉप्टर, डॉर्नियर विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप का संचालन बंद कर दिया था। इसकी वजह से मालदीव में मेडिकल इवैक्यूएशन सर्विस बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इलाज के अभाव में मालदीव में हाल में ही एक बच्चे की मौत हुई थी, जिसके बाद मोहम्मद मुइज्जू पर भारत के हेलीकॉप्टर, विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप के संचालन को लेकर दबाव बढ़ गया है।

हल्द्वानी में हिंसाः अतिक्रमण हटाने के विरोध में पत्थरबाजी-आगजनी, बवाल, कर्फ्यू और इंटरनेट ठप

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उत्तराखंड का हल्द्वानी गुरुवार को अचानक हिंसा भड़क गई। पत्थरबाजी-आगजनी और गोलीबारी भी हुई है। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हो गया। अतिक्रमण हटाने गई टीम को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टीम को चारों तरफ से उपद्रवियों ने घेरकर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस पत्थरबाजी में 200 से अधिक पुलिस और अधिकारी समेत 300 लोगों के घायल होने की सूचना है। जिसके बाद प्रशासन ने देर शाम उपद्रवियों के पैर में गोली मारने के आदेश जारी किए। 

गुरुवार शाम 4:30 बजे बनभूलपुरा में नगर निगम और पुलिस बल अतिक्रमण स्थल पर पहुंची। शाम 4:59 बजे जेसीबी अतिक्रमण ढहाने गई टीम पर उग्र भीड़ ने विरोध शुरू कर दिया। शाम 5:04 बजे शाम पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया गया। शहर में आगजनी के बाद कई वाहन फूंक डाले गए। भीड़ बनभूलपुरा थाने पर पहुंच कर आगजनी कर दी। थाने के सामने खड़ी फायर ब्रिगेड की वैन समेत कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। 

बनभूलपुरा की तंग गलियों में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए अंदर घुस रही पुलिस फोर्स उनके ही जाल में फंसती नजर आई। घरों की छतों से पुलिसकर्मियों पर लगातार पथराव होता रहा। बमुश्किल गलियों से बचते-बचाते पुलिसकर्मी किसी तरह मुख्य सड़क पर आ सके। जानकारों की मानें तो बनभूलपुरा में भेजी गई पुलिस फोर्स दूसरे जिलों या अन्य थानों से आई थी जिन्हें इस इलाके का अंदाजा तक नहीं था। अधिकारियों के आदेश का पालन पूरा करने के लिए फोर्स अंदर तो घुस गई, लेकिन वह चक्रव्यूह में फंस गई, जिस कारण जान भी सांसत में आ गई। पुलिस ने उपद्रवियों को तितर बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की। 

हिंसा के बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। क्षेत्र में कर्फ्यू के बाद शांति स्थापित करने में कामयाबी मिली। रात 2 बजे कोतवाली में डीआईजी की प्रशासन के साथ बैठक की। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं। 

बता दें कि हिंसा नगर निगम द्वारा ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त करने के बाद हिंसा फैल गई। हालांकि जिस मदरसा एवं मस्जिद को ध्वस्त किया गया है उसका नगर निगम ने पूर्व में ही कब्जा ले लिया था और अवैध मदरसे एवं नमाज स्थल को सील कर दिया था। इसके बार में बात करते हुए नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि ध्वस्त किया गया मदरसा तथा नमाज स्थल पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने बताया कि इस स्थल के पास स्थित तीन एकड़ जमीन पर नगर निगम ने पूर्व में ही कब्जा ले लिया था और अवैध मदरसे एवं नमाज स्थल को सील कर दिया था जिसे आज ध्वस्त किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही एक बुलडोजर ने मदरसे और मस्जिद को ढहाया, भीड़ ने पुलिसकर्मियों, नगर निगम कर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया।

नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने हल्द्वानी हिंसा पर कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही हल्द्वानी के अलग-अलग हिस्सों में एक्शन लिया गया। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की कार्रवाई से पहले सभी को नोटिस भी दिया गया था। कुछ लोग हाईकोर्ट गए, जबकि कुछ को समय मिला और कुछ को नहीं। उन्होंने बताया, जहां समय नहीं दिया गया, वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की ओर से तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई। ये इकलौती घटना नहीं थी और किसी विशेष संपत्ति को निशाना बनाने से काम नहीं किया गया।

केजरीवाल के बड़ा बयान, बोले-केंद्रीय एजेंसियां मेरे खिलाफ ऐसे तैनात, जैसे देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं ही हूं

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार और केन्द्रीय जांच एजैंसियों के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से मेरे खिलाफ सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को छोड़ रखा है, इससे तो लगता है कि देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं ही हूं।केजरीवाल ने गुरुवार को द्वारका में एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं।केजरीवालदिल्ली के द्वारिका के पालम इलाके में एक स्कूल की आधारशिला रखने पहुंचे थे।

कार्यक्रम के दौरान अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनायी, तो वहीं ईडी द्वारा चल रही जांच के सिलसिले में बीजेपी पर हमला भी बोला। केजरीवाल ने कहा कि आप लोग टेलीविजन पर देखते होंगे कभी अरविंद केजरीवाल को ईडी का नोटिस आ गया, कभी सीबीआई का नोटिस आ गया, मुझे तो समझ ही नहीं आता, ऐसा लगता है कि देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं हूं।अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि गीता में लिखा है कि पृथ्वी पर भगवान ने हर इंसान को किसी न किसी उद्देश्य से भेजा है। भगवान ने उनको पृथ्वी पर भेजा है झूठे केस बनाकर जेल में डालना और नोटिस देने के लिए, मुझे पृथ्वी पर भेजा है आपके स्कूल बनाने के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए, मुझे उनसे कोई गिला शिकवा नहीं है उन्हें काम करने दीजिए मैं अपना काम करूंगा।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि वे हमें जितना रोकेंगे, हम उतना ही ज्यादा काम करेंगे।केजरीवाल ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, वे कहते हैं केजरीवाल चोर है। मैं पूछना चाहता हूं कि मैंने दिल्ली वालों की बिजली मुफ्त कर दी, पंजाब की भी हो गई। इनकी जहां जहां सरकारें हैं मध्य प्रदेश, गुजरात और यूपी में बिजली इतनी महंगी है। बिजली फ्री करने वाला चोर है या महंगी करने वाला चोर है। मैंने दिल्ली में और पंजाब में सबके इलाज मुफ्त कर दिया। शानदार मोहल्ला क्लीनिक बना दिया और शानदार अस्पताल बना दिया। सबके लिए इलाज का इंतजाम करने वाला चोर है या इलाज महंगा करने वाला चोर है।

वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के 10 सालों की गिनाईं आर्थिक नाकामियां

#finance_minister_nirmala_sitharaman_white_paper

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में एक श्वेतपत्र पेश किया। इस श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है।श्वेत पत्र के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं, इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की गई है।बता दें कि संसद के बजट सत्र के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के दोनों सदनों में श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसके जरिए सरकार 2014 से लेकर 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान हुए कामकाजों का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखेगी। इसके साथ ही इस श्वेत पत्र के जरिए पिछली यूपीए सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी। अब उसी सत्र को लोकसभा में पेश कर दिया गया है।

लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा रखे गए भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र' में कहा गया है कि यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली। लेकिन अपने दस वर्षों में इसे नॉन परफॉर्मिंग बना दिया। 2004 में जब यूपीए सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था, तो अच्छे विश्व आर्थिक माहौल के बीच अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक थी और वित्त वर्ष 2004 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 9 प्रतिशत से अधिक थी। 2003-04 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया था कि विकास, मुद्रास्फीति और भुगतान संतुलन के मामले में अर्थव्यवस्था एक लचीली स्थिति में प्रतीत होती है, एक जोड़ जो कि निरंतर व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ विकास की गति को मजबूत करने की बड़ी गुंजाइश प्रदान करता है। 

श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किया गया स्पिल-ओवर प्रभावों से निपटने के लिए एक राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज समस्या से भी कहीं अधिक बदतर था। यह वित्त पोषण और रखरखाव की केंद्र सरकार की क्षमता से कहीं परे था। श्वेत पत्र में आगे कहा गया है कि जीएफसी के दौरान, वित्त वर्ष 2009 में भारत की वृद्धि धीमी होकर 3.1 प्रतिशत हो गई, लेकिन वित्त वर्ष 2010 में तेजी से बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो गई। जीएफसी के दौरान और उसके बाद वास्तविक जीडीपी वृद्धि पर आईएमएफ डेटा का उपयोग करते हुए एक क्रॉस-कंट्री विश्लेषण इस तथ्य की पुष्टि करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अन्य विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अपेक्षाकृत सीमित था।

लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश श्वेत पत्र में यूपीए कार्यकाल में हुए घोटालों का भी जिक्र है।श्वेत पत्र में लिखा गया है कि यूपीए सरकार के 122 टेलीकॉम लाइसेंस से जुड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने सरकारी खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये की कटौती की थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुमान, सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला कोल गेट घोटाला, यूपीए शासनकाल में हमारे यहां घोटालों से भरे 12 दिवसीय राष्ट्रमंडल खेल आयोजित हुए।तब, हमारे पास 2जी घोटाला था, यूपीए काल में सरकार ने कुछ चुने हुए लोगों को सोना आयात लाइसेंस प्रदान किया गया।

सरकार ने श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था दी। अब हमने इसकी जीवंतता बहाल कर दी है। जब 2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था ना केवल खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ रूप से बहाल करने की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा। तब, हम 'नाज़ुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे; अब, हम 'शीर्ष पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान देते हैं।तब दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता पर से भरोसा उठ गया था; अब, अपनी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ, हम दूसरों में आशा जगाते हैं।

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंगःबीजेपी के बीजेपी के 'श्वेत पत्र' से पहले कांग्रेस का 'ब्लैक पेपर'

#congressbringblackpaperonmodigovt

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंग शुरू हो गई है। अंतरिम बजट 2024-25 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी। यह श्वेत पत्र यूपीए शासन के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन पर लाया जाएगा। केंद्र सरकार के 'व्हाइट पेपर' लाने से पहले ही कांग्रेस ने 'ब्‍लैक पेपर' जारी किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार के 10 सालों का ब्‍योरा पेश किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह 'ब्लैक पेपर' जारी किया। 

पीएम मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियों पर फोकस

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 57 पेज का ब्लैक पेपर जारी करते हुए इसे 10 साल, अन्याय काल नाम दिया है। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ गुरुवार को एक ब्लैक पेपर में कांग्रेस ने तमाम मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियां (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) पर फोकस किया है। कांग्रेस ने अपने इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और श्रमिकों पर हुए अन्याय का जिक्र किया। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने भाजपा शासन काल के आंकड़े पेश किए

कांग्रेस ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाजपा के इस काल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक पहुंच गई है। 2012 में बेरोजगारी एक करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई है। 10 लाख स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स के मामलों में बेरोजगारी दर लभगत 33 फीसदी है। हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश रहा है। हर घंटे दो बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों के संकट पर कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसकी जगह एमएसपी में निराशाजनक वृद्धि हुई और पीएम के पूंजीपति मित्रों की समृद्ध करने के लिए संसद के माध्यम से तीन कृषि कानूनों को पारित किया गया। इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 700 किसान शहीद हुए। पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने 40 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा किया है, जबकि हर घंटे एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं के साथ अन्याय पर कांग्रेस ने ब्लैक पेपर में कहा कि भारत में 2022 में कुल 31,516 बलाकात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह प्रतिदिन के हिसाब से औसतन 86 का आंकड़ा है। बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जबकि सजा की दर बेहद कम 27.4 फीसदी है। 

अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं-खड़गे

सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खरगे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली। मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है ऐसे में सवाल है कि आज महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने क्या किया है। खरगे ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं। आज भी उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं की?

डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल हो रहे पैसे खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि मोदी कहते हैं कि अब इतने पैसे जमा हो रहे हैं, पहले क्यों नहीं होते थे, ऐसा कहकर वे अप्रत्यक्ष रूप में हैरेसमेंट और प्रेशराइज कर रहे हैं और इलेक्शन में पैसा लगा रहे हैं। ये पैसा डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा ने 10 साल में 411 विधायकों को अपनी तरफ ले लिया। मैं ये नहीं कहता कि कितने पैसे देकर खरीदा। आप लोग जानते हैं कि हमारी कितनी सरकारें चुनी हुई थीं जैसे मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड। यहां सरकारें कैसे गिरीं, आप जानते हैं। अगर वे डराकर हमें कमजोर करना चाहते हैं तो न कांग्रेस और न ही मैं इससे प्रभावित होंगे

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंगःबीजेपी के बीजेपी के 'श्वेत पत्र' से पहले कांग्रेस का 'ब्लैक पेपर'

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सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंग शुरू हो गई है। अंतरिम बजट 2024-25 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी। यह श्वेत पत्र यूपीए शासन के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन पर लाया जाएगा। केंद्र सरकार के 'व्हाइट पेपर' लाने से पहले ही कांग्रेस ने 'ब्‍लैक पेपर' जारी किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार के 10 सालों का ब्‍योरा पेश किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह 'ब्लैक पेपर' जारी किया।

पीएम मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियों पर फोकस

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 57 पेज का ब्लैक पेपर जारी करते हुए इसे 10 साल, अन्याय काल नाम दिया है। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ गुरुवार को एक ब्लैक पेपर में कांग्रेस ने तमाम मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियां (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) पर फोकस किया है। कांग्रेस ने अपने इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और श्रमिकों पर हुए अन्याय का जिक्र किया। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने भाजपा शासन काल के आंकड़े पेश किए

कांग्रेस ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाजपा के इस काल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक पहुंच गई है। 2012 में बेरोजगारी एक करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई है। 10 लाख स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स के मामलों में बेरोजगारी दर लभगत 33 फीसदी है। हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश रहा है। हर घंटे दो बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों के संकट पर कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसकी जगह एमएसपी में निराशाजनक वृद्धि हुई और पीएम के पूंजीपति मित्रों की समृद्ध करने के लिए संसद के माध्यम से तीन कृषि कानूनों को पारित किया गया। इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 700 किसान शहीद हुए। पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने 40 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा किया है, जबकि हर घंटे एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं के साथ अन्याय पर कांग्रेस ने ब्लैक पेपर में कहा कि भारत में 2022 में कुल 31,516 बलाकात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह प्रतिदिन के हिसाब से औसतन 86 का आंकड़ा है। बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जबकि सजा की दर बेहद कम 27.4 फीसदी है।

अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं-खड़गे

सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खरगे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली। मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है ऐसे में सवाल है कि आज महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने क्या किया है। खरगे ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं। आज भी उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं की?

डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल हो रहे पैसे खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि मोदी कहते हैं कि अब इतने पैसे जमा हो रहे हैं, पहले क्यों नहीं होते थे, ऐसा कहकर वे अप्रत्यक्ष रूप में हैरेसमेंट और प्रेशराइज कर रहे हैं और इलेक्शन में पैसा लगा रहे हैं। ये पैसा डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा ने 10 साल में 411 विधायकों को अपनी तरफ ले लिया। मैं ये नहीं कहता कि कितने पैसे देकर खरीदा। आप लोग जानते हैं कि हमारी कितनी सरकारें चुनी हुई थीं जैसे मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड। यहां सरकारें कैसे गिरीं, आप जानते हैं। अगर वे डराकर हमें कमजोर करना चाहते हैं तो न कांग्रेस और न ही मैं इससे प्रभावित होंगे