*राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा लेख, बोले-भगवान ने भक्त को चुना है
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22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। इससे पहले देशभर में भव्य तैयारी हो रही है। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी का अहम बयान सामने आया है।उन्होंने इसे दिव्य सवप्न की पूर्ति करारा दिया और कहा कि वह अयोध्या पहुंचकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने के लिए आतुर हैं।आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा।उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है।
आडवाणी ने कहा है कि 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के दिव्य मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे। मैं धन्य हूँ कि मैं अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनूँगा।'राष्ट्रधर्म' नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं।‘श्री राम मंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है।पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा।इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, "मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा।
उन्होंने लिखा, रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए किया गया 'रामजन्मभूमि आंदोलन! 1947 केबाद के भारत के इतिहास में एक निर्णायक और परिणामकारी घटना सिद्ध हुई। हमारे समाज, राजनीति तथा राष्ट्रीय पहचान की भावना पर इसका गहरा प्रभाव रहा है।
आडवाणी ने आगे लिखा कि उस समय नरेंद्र मोदी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थे लेकिन उसी समय नियति ने उन्हें भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए चुन लिया था। आडवाणी ने कहा कि उन्होंने जब रथ यात्रा शुरू की थी तब उन्हें यह नहीं पता था कि यह यात्रा देश में एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। लेकिन उसी दौरान भगवान राम ने अपने भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अपने भक्त (नरेंद्र मोदी) को चुन लिया था। उन्होंने लिखा, जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।
श्रीराम एक आदर्श राजा भी थे--'धर्म' के जीवंत अवतार। इसलिए सुशासन के प्रतीक 'रामराज्य' की अवधारणा को भारत के लिए आदर्श के रूप में प्रचारित किया गया। यद्यपि श्रीराम हिंदुओं के लिए पूजनीय पवित्र धार्मिक विभूति हैं, साथ ही वे भारत की उस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय पहचान के भी एक प्रमुख प्रतीक हैं, जो समान रूप से प्रत्येक नागरिक की धरोहर है। श्रीराम के जीवन की कहानी, 'रामायण', भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की निरंतरता का स्रोत और वाहक दोनों है और इसने शताब्दियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी, भारतीय मानस को बहुत प्रभावित किया है। इसलिए पिछले लगभग 500 वर्षों से, कोटि-कोटि भारतीयों की हार्दिक इच्छा रही है कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण हो।
राम मंदिर आंदोलन को अपनी राजनीतिक यात्रा की सबसे अधिक निर्णायक और परिवर्तनकारी घटना बताते हुए आडवाणी ने आंदोलन के दौरान के अपने कई अनुभवों को भी लेख में साझा किया है। आडवाणी ने राजनीति में दशकों तक उनके साथी रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए यह भी कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की कमी बहुत खल रही है।
Jan 14 2024, 14:10