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अयोध्या के राम मंदिर में 7 दिन तक चलेगा प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान, पीएम मोदी समेत सिर्फ ये 5 लोग होंगे गर्भगृह में मौजूद

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अयोध्या में प्रभु रामलला के नवनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसको लेकर विशेष कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर अयोध्या को अलग ही लुक दिया गया है। पूरे शहर को सजाया गया है। दुनिया भर के राम भक्त राम मंदिर उद्घाटन को लेकर उत्साह से भरे हुए हैं।अयोध्या में 7 दिनों तक वृहद स्तर पर अनुष्ठान प्रक्रिया चलेगी, जिसकी शुरुआत 16 जनवरी से होगी। 22 जनवरी को श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के करकमलों से श्रीराम अपने दिव्य एवं भव्य मंदिर में विराजमान होंगे।

प्राण प्रतिष्ठा पूजन के साथ ही भगवान को सोने के वस्त्र धारण कराए जाएंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी गर्भगृह में केवल पांच लोग रहेंगे। इस यज्ञ के यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के गर्भगृह में उपस्थित रहेंगे। उनके अलावा यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, संघ प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास इस कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहेंगे।

राम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्य यजमान पीएम नरेंद्र मोदी होंगे। राम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ही रामलला की प्रतिमा से पर्दा हटाएंगे। इसके बाद वह भगवान की आंखों में काजल भी लगाएंगे। इसके बाद रामलला की प्रतिमा का सोने के वस्त्र धारण कराए जाएंगे और 56 भोग लगाया जाएगा। इस सबसे पहले राम लला को नगर भ्रमण कराया जाएगा।

प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त पर्दा बंद रहेगा और भगवान राम की प्रतिमा की पट्टी हटाने के बाद सबसे पहले प्रभु राम को आईना दिखाया जाएगा। सबसे पहले रामलला अपना चेहरा देखेंगे। दलपूजा के लिए आचार्यों की 3 टीम बनाई गई है। पहले दल का नेतृत्व स्वामी गोविंद देव गिरि करेंगे। वहीं दूसरे दल का नेतृत्व शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती करेंगे जो कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य हैं। तीसरी टीम में काशी के 21 विद्वान होंगे।

बीजेपी में गुलामी, हमारी पार्टी में लोकतंत्र', नागपुर रैली में राहुल गांधी ने भरी हुंकार

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कांग्रेस पार्टी के 139वें स्थापना दिवस पर आज आरएसएस के गढ़ नागपुर में बड़ी रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में राहुल गांधी ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रैली रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में विचार और सत्ता की लड़ाई चल रही है। देश में दो विचारधारा की लड़ाई चल रही है। साथ ही राहुल गांधी ने बीजेपी को लेकर बड़ा दावा किया। कांग्रेस सांसद ने बीजेपी के एक नेता के हवाले से कहा कि बीजेपी में ऑर्डर ऊपर से आता है। चाहे अच्छा लगे या न लगे, उसे मानना होता है।

देश में असल लड़ाई दो विचारधाराओं के बीच-राहुल गांधी

कांग्रेस के 139वें स्थापना दिवस के अवसर पर ‘हैं तैयार हम’ रैली में कांग्रेस सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, देश में इस समय विचारधारा की लड़ाई चल रही है, लोगों को लगता है कि यह राजनैतिक लड़ाई है, जो सही है लेकिन इस लड़ाई की नींव विचारधारा है। बहुत सारी पार्टियां एनडीए और इंडिया गठबंधन में है लेकिन असल में लड़ाई दो विचारधाराओं के बीच है। राहुल गांधी ने कहा कि हमारी विचारधारा कहती है कि देश की लगाम जनता के हाथों में होना चाहिए। देश को जैसे वर्षों पहले चलाते थे वैसे नहीं चलाना चाहिए। देश की लड़ाई आम जनता ने लड़ी थी। राजा-महराजाओं ने नहीं लड़ी थी। उनका तो अंग्रेजों के साथ पार्टनरशिप था। राजा-महराजाओं और अंग्रेजों के बीच पार्टनरशिप के खिलाफ कांग्रेस ने संघर्ष किया था।

आरएसएस और बीजेपी के लोग संविधान के खिलाफ थे-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, हमसे सवाल किया जाता है कि कांग्रेस ने क्या किया? आजादी से पहले देश में आते तो 500 से 600 से राजा मिलते और अंग्रेज मिलते। हिंदुस्तान की जनता को इस देश में कोई अधिकार नहीं था। गरीब व्यक्ति की जमीन राजा को अगर अच्छी लगी तो एक सेकेंड में इसे लेकर वो चला जाता था। सारे के सारे अधिकार की रक्षा संविधान ने की है। इसको बाबासाहेब आंबेडकर, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने बनाया। आरएसएस और बीजेपी के लोग संविधान के खिलाफ थे, आज झंडा फहराते हैं, लेकिन कई सालों तक तिरंगे को सैल्यूट नहीं मारते थे।

बीजेपी में गुलामी चलती है-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी के कई सांसद हमसे मिलते हैं, वे हमें अपना दर्द बताते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि कुछ दिन पहले एक बीजेपी का सांसद मुझे लोकसभा में मिला। बहुत सारे लोग पहले कांग्रेस में थे। ये भी था। ये मुझे छुप के मिला, क्योंकि उसे बात करनी थी। उसके चेहरे पर टेंशन थी। उसने कहा कि बीजेपी में रहकर सहा नहीं जाता। शरीर बीजेपी में लेकिन दिल कांग्रेस में है। उसने कहा, बीजेपी में गुलामी चलती है। जो ऊपर से कहा जाता है वही करना पड़ता है। राजा पहले आदेश देते थे, वैसे चल रहा है। बीजेपी में कोई चॉइस नहीं होती है। जबकि हमारी कांग्रेस पार्टी में कोई भी सीनियर- जूनियर नेता से अपनी बात कह सकता है। हमारे यहां नीचे से ऊपर तक अपनी बात कहने की पूरी आजादी है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि कार्यकर्ता मुझसे भी अपनी बात कहते हैं। अगर मुझे उनकी बात पसंद नहीं आती तो मैं यह जरूर कह देता हूं कि मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं लेकिन हम अपने कार्यकर्ता- नेताओं की आवाज बंद नहीं करवाते।

सवाल पूछने पर पटोले हो गए आउट-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, 'हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने पीएम मोदी से जीएसटी पर एक सवाल पूछा था। इसके बाद पटोले आउट हो गए। यह उनकी सोच है। वे सवाल पूछने वाले किसी भी नेता को पसंद नहीं करते। उन्हें किसी की सलाह पसंद नहीं है। उन्हें वही लोग पसंद हैं, जो केवल उनकी हां में हां रखें। ऐसी राजनीति में न पड़े वालों को वे खामोश करवा देते हैं।

*संजय राउत का विवादित बयान, बोले-बीजेपी सरकार ने रामलला को किडनैप कर रखा है*

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर सियासत तेज हो गई है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन का आमंत्रण ना मिलने पर संजय राउत ने कहा, यूपी में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में बीजेपी की सरकार है। ऐसा लगता है कि उन्होंने भगवान श्रीराम को किडनैप कर रखा है। हम क्या उनके बुलावे का इंतज़ार कर रहे हैं?

बीजेपी कौन होती है रामलला का निमंत्रण देने वाली-राउत

संजय राउत ने कहा कि पूरे देश में विपक्ष के नेताओं से पुछ जा रहा है कि क्या आपको न्योता आया..क्या आपको न्योता आया…ये सब क्या है? वहां बीजेपी की सत्ता है। मुझे लगता है की प्रभू श्री राम को एक तरह से किडनैप कर लिया गया है। हम क्या बीजेपी के न्योते का इंतजार में बैठे हैं। राउत ने कहा कि बीजेपी कौन होती है रामलला का निमंत्रण देने वाली? बीजेपी के राजनीतिक कार्यक्रम खत्म होने के बाद हम अयोध्या जाएंगे। 

अयोध्या में जो हो रहा है वो बीजेपी का प्रोग्राम-राउत

शिशसेना नेता ने कहा कि ये देश का राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं है। बीजेपी के प्रोग्राम में कौन जाए। अयोध्या में जो हो रहा है वो बीजेपी का प्रोग्राम है। ये कोई राम लल्ला के लिए प्रोग्राम नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो वहां पूरे देश को बुलाया जाता, लेकिन बीजेपी यह देख रही है कि एनडीए के लोग कौन हैं, चमचे कौन हैं। भगवान के दरबार में... हिंदू संस्कृति में ये सब नहीं होता है। राउत ने कहा कि प्रभू श्रीराम सभी के हैं। वहां सही समय पर जायेंगे। जिसका अयोध्या के संघर्ष में चार आने का योगदान नहीं है, वो संसद का उद्धाटन कर रहें है, मंदिर का उद्धाटन कर रहें हैं।

बीजेपी का न तो राम से नाता है और न ही उनके विचार से-राउत

राउत ने आगे कहा कि बीजेपी का न तो राम से नाता है और न ही उनके विचार से नाता है। राउत ने आगे कहा कि भगवान राम पर जो राजनीति कर रहें है, उनका भगवान राम से कोई रिश्ता नहीं है। ये चुनावी जुमला है।

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

बता दें अयोध्या में 22 जनवरी 2024 में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इसमें प्रधानमंत्री मोदी शामिल होंगे। प्रतिष्ठा समारोह के बाद 24 जनवरी से उत्तर भारत की परंपरा के अनुसार 48 दिनों तक मंडल पूजा होगी। वहीं, 23 जनवरी से आम लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे।

कतर से आई राहत भरी खबर, आठ पूर्व नौसैनिकों को फांसी की सजा पर रोक

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कतर में नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाए जाने के मामले में भारत को बड़ी सफलता हासिल हुई है। कतर की अदालत ने 8 पूर्व नेवी अधिकारियों की मौत की सजा में फांसी पर रोक लगा दी गई है।भारत सरकार की अपील पर सभी आठ लोगों की मौत की सजा पर रोक लगा दी गई है।भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। हम विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

विदेश मंत्रालय ने बताया कि मामले को लेकर कतर में स्थित कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने सजा कम कर दी। विदेश मंत्रालय ने कहा, विस्तृत आदेश की कॉपी का इंतजार है। हमारी कानूनी टीम आठों भारतीयों के परिवारों के अगले कदम को लेकर संपर्क में हैं। सुनवाई के दौरान एंबेसडर और अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे।मंत्रालय ने आगे कहा कि हम आठों लोगों के परिवार के साथ शुरुआत से खड़े रहे हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ये सही नहीं होगा कि हम इसके बारे में ज्यादा बोले।

बता दें कि कतर में नेवी के जिन 8 भारतीयों की मौत की सजा सुनाई गई थी, वे सभी वहां अल दहरा कंपनी में काम करते थे। कतर की अदालत ने अक्टूबर माह में इन सभी को मौत की सजा सुनाई थी। तब से ही विदेश मंत्रालय लगातार इन पूर्व अधिकारियों की मदद में जुटा हुआ था और मामले पर बारीकी से नजर रखी जा रही थी। पिछले माह ही विदेश मंत्रालय को इन पूर्व अधिकारियों तक काउंसलर पहुंच हासिल हुई। इसके बाद इस मामले में दोबारा अपील की गई।

ये सभी ऑफिसर भारतीय नौसेना में अलग-अलग पोस्ट पर काम कर चुके हैं। उनके ऊपर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है। इन 8 लोगों में प्रतिष्ठित ऑफिसर भी शामिल हैं। इन्होंने कभी प्रमुख भारतीय युद्धपोतों की कमान संभाली थी। फिलहाल डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। ये एक प्राइवेट फर्म है, जो कतर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग और इससे जुड़ी सर्विस मुहैया करती है।

संसद सुरक्षा में चूक का मामला: आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की तैयारी में दिल्ली पुलिस, कोर्ट में दी अर्जी

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दिल्ली पुलिस संसद में घुसपैठ के आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की तैयारी में है। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में अर्जी दी है। पुलिस की अर्जी पर 2 जनवरी को कोर्ट सुनवाई करेगा। अभी सभी आरोपी 5 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में हैं।

13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा के चूक के मामले में जांच लगातार जारी है। दिल्ली पुलिस ने पांचों आरोपियों सागर शर्मा, नीलम आजाद और अमोल शिंदे, ललित झा, मुकेश कुमावत, और मनोरंजन डी को पटियाला हाउस में पेश किया है, साथ ही आरोपियों के पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की अर्जी दाखिल की है। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट से इजाजत मांगी है। पटियाला हाउस कोर्ट में 2 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई होनी है।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि सभी आरोपियों से पूछा जाए कि क्या वह पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हैं। लीगल रिमांड काउंसिल ने कहा वह अभी दिल्ली में उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि लीगल रिमांड काउंसिल से आरोपियों की बात करना जरूरी है, वह अभी कोर्ट में उपलब्ध नहीं है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमारी जांच में देरी होगी, इसलिए किसी दूसरे लीगल रिमांड काउंसिल को बुला लिया जाए। इस बीच, आरोपियों के लिए वकील लीगल रिमांड काउंसिल ने अर्ज़ी की कॉपी की मांग की। कोर्ट ने कहा जब आप अदालत में आएंगे तो आपको अर्ज़ी की कॉपी दे दी जाएगी। कोर्ट ने कहा अगर आरोपी अपने परिवार के किसी सदस्य से बात करना चाहते हैं, तो उसके लिए उचित अर्जी दाखिल करें।

दरअसल, 13 फरवरी को संसद पर हमले की 22वीं बरसी थी। लोकसभा की कार्यवाही दो युवक दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे। ये युवक नारेबाजी कर रहे थे, तभी एक युवक ने अपने जूते से स्प्रे निकालकर पीले रंग की गैस का छिड़काव किया था। इस दौरान सदन में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी। हालांकि, कुछ सांसदों ने इन दोनों युवकों को पकड़ लिया था और इन्हें सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया था। इन दोनों युवकों की पहचान सागर शर्मा और मनोरंजन डी के तौर पर हुई थी। जब सदन में ये दो युवक घुसे थे, तभी सदन के बाहर पुलिस ने नारेबाजी और प्रदर्शन करते हुए एक महिला नीलम देवी और एक युवक अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया था। दोनों पीले रंग की गैस स्प्रे कर रहे थे। इन चार आरोपियों के अलावा पुलिस ने दो और युवकों ललित झा और महेश कुमावत को गिरफ्तार किया था। ललित झा संसद में सेंधमारी के वक्त सदन के बाहर ही था। उसने सदन के बाहर प्रदर्शन करने वाले आरोपियों का वीडियो बनाया था और इसे व्हाट्सऐप के जरिए अपने एक साथी को भेजा था। इतना ही नहीं ललित के पास सभी आरोपियों के मोबाइल भी थे, उसने इन्हें राजस्थान ले जाकर जला दिया था। पुलिस ने ललित की मदद के आरोप में महेश को गिरफ्तार किया था।

जम्मू कश्मीर में गोला-बारूद के साथ लश्कर-ए-तैयबा का OGW इमरान अहमद गनी श्रकवारा क्षेत्र से गिरफ्तार

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े एक ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ़्तारी श्रकवारा क्षेत्र में हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, क्रेरी के नौपोरा वागुरा के निवासी इमरान अहमद गनी को 27 दिसंबर को एक बस स्टैंड के पास, श्राकवाड़ा में 52 राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा स्थापित मोबाइल वाहन चेक पोस्ट (एमवीसीपी) पर एक नियमित जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा बल सतर्क हैं और सक्रिय होकर, नियमित जांच कर रहे थे जब उन्होंने OGW को दबोचा।

चेकिंग प्रक्रिया के दौरान, गनी, जो नौपोरा से श्रकवारा की ओर यात्रा कर रहा था, ने घटनास्थल से भागने का प्रयास किया। हालांकि, सुरक्षा बलों ने चतुराई से और सफलतापूर्वक उसे पकड़ लिया। बाद की जांच में लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके जुड़ाव के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। गिरफ्तारी के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वस्तुओं की बरामदगी हुई। जब्त की गई वस्तुओं में एक 9 मिमी चीनी पिस्तौल, एक मैगजीन और पिस्तौल के लिए नौ राउंड गोला बारूद शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, ओजीडब्ल्यू के पास से एक मोबाइल फोन भी बरामद किया गया। ये निष्कर्ष संभावित नापाक गतिविधियों के बारे में चिंता पैदा करते हैं जो बरामद हथियारों और गोला-बारूद के साथ संचालित हो सकती थीं।

गिरफ्तारी और हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी के जवाब में कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी गई है। क्रेरी पुलिस स्टेशन में शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की संबंधित धाराओं के तहत एक मामला, FIR संख्या 127/2023 दर्ज किया गया है। आरोपों में अवैध हथियार और गोला-बारूद रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों में संभावित संलिप्तता भी शामिल है।

लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में होंगे धड़ाधड़ ट्रांसफर ! पढ़िए, ECI की 'नई स्थानांतरण नीति' के दायरे में कौन कौन से प्रावधान किए गए शामिल

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के हालिया निर्देश के मुताबिक, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आएंगे, चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को एक घोषणा पत्र जमा करना होगा। यह घोषणा पत्र लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि से दो दिन पहले संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करना होगा। अधिकारी चुनाव में भाग लेने वाले किसी भी उम्मीदवार के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों की कमी की घोषणा करेंगे और राज्य या जिला स्तर पर प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ कोई संबंध नहीं होने की पुष्टि करेंगे। इसके अतिरिक्त, उन्हें यह भी बताना होगा कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।

चुनाव ड्यूटी अधिकारियों के लिए नई स्थानांतरण और पोस्टिंग नीति

केंद्रीय चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव और चार राज्यों में विधानसभा चुनाव सहित चुनाव कर्तव्यों में शामिल अधिकारियों के लिए लागू एक नई स्थानांतरण और पोस्टिंग नीति पेश की है। इस नीति के अनुसार, जो अधिकारी 30 जून 2024 तक एक ही जिले में तीन साल की सेवा पूरी कर चुके हैं या चार साल से तैनात हैं, उन्हें उनके वर्तमान जिलों से स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इस नीति में जिला चुनाव अधिकारियों से लेकर पुलिस विभाग, नगर निगम और विकास प्राधिकरणों तक चुनाव प्रक्रिया में लगे अधिकारियों को शामिल किया गया है।

चुनाव आयोग के निर्देशों का दायरा

चुनाव आयोग के निर्देशों में सीधे तौर पर चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारी शामिल हैं, जैसे जिला चुनाव अधिकारी, उप जिला चुनाव अधिकारी, पीठासीन अधिकारी, सहायक पीठासीन अधिकारी और नोडल अधिकारी। इसका विस्तार जिला प्रशासन के अधिकारियों तक भी है, जिनमें एडीएम, एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, बीडीओ और समान रैंक के अधिकारी शामिल हैं। कम्प्यूटरीकरण, विशेष शाखा और प्रशिक्षण जैसी विशिष्ट भूमिकाओं में लगे लोगों को छोड़कर, एडीजी और उससे ऊपर के पुलिस अधिकारियों से लेकर सब इंस्पेक्टर तक को इस दायरे में शामिल किया गया है। विशेष रूप से, पुलिस उप निरीक्षकों और उच्च पदस्थ अधिकारियों को उनके गृह जिलों में तैनात नहीं किया जाएगा।

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का समावेश

इस नई नीति के दायरे में पहली बार उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों को लाया गया है. राज्य मुख्यालय के विभागों में तैनात अधिकारी, सरकारी डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और प्राचार्य जो सीधे चुनाव ड्यूटी में नहीं लगे हैं, उन्हें इन निर्देशों से छूट दी गई है। हालाँकि, राजनीतिक पक्षपात के आरोपों का सामना करने वाले अधिकारियों को चुनाव आयोग की मंजूरी से हटाया जा सकता है, और पिछले चुनावों में लापरवाही या जानबूझकर त्रुटि के लिए दंडित किए गए अधिकारियों को आगामी चुनावों में ड्यूटी नहीं सौंपी जाएगी। इन व्यापक निर्देशों का उद्देश्य हितों के संभावित टकराव को कम करके और चुनाव कर्तव्यों के कुशल कामकाज को बढ़ावा देकर निष्पक्ष और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।

ये लोकसभा चुनाव से पहले साजिश..', ED चार्जशीट में प्रियंका गांधी का नाम आने पर आगबबूला हुई कांग्रेस, जानिए पूरा मामला

केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित आरोपपत्र में पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को नामित करने के बाद कांग्रेस नेताओं ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आएगा, ऐसी और साजिशें रची जाएंगी। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि, "देखिए चुनाव से पहले वे क्या करेंगे, यह तो बस शुरुआत है।"

वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि भाजपा, कांग्रेस से डरती है। उन्होंने कहा कि, "अंग्रेज तब गांधी से डरते थे और आज भी केंद्र सरकार गांधी परिवार से डरती है। भाजपा लोगों को असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है।" हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कई नेताओं के नाम ED के साथ जुड़े हैं। बता दें कि, ED के आरोप पत्र में 2006 में दिल्ली स्थित रियल एस्टेट एजेंट एचएल पाहवा से हरियाणा के फरीदाबाद में लगभग 5 एकड़ कृषि भूमि खरीदने और फरवरी 2010 में उसी जमीन को ऊँची कीमतों में उसी को बेचने (जिससे ख़रीदा था) में प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका का उल्लेख किया गया है। ED के मुताबिक, फरीदाबाद के अमीपुर गांव में जमीन पाहवा से खरीदी गई थी, उसी एजेंट से प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने भी 2005-05 के बीच अमीपुर में 334 कनाल (40.08 एकड़) जमीन के तीन टुकड़े खरीदे थे और वही जमीन दिसंबर 2010 में उसे ही ऊँचे दामों पर बेच दी थी। प्रवर्तन एजेंसी द्वारा दायर पहले के आरोपपत्र में मामले के संबंध में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का भी नाम था।

स्पष्ट शब्दों में कहें तो- प्रियंका वाड्रा ने साल 2006 में एचएल पाहवा नामक एक प्रॉर्पटी डीलर से पहले कम दाम में जमीन खरीदी और फिर कुछ समय बाद उसी जमीन को 5 गुना अधिक दाम पर उसी प्रॉपर्टी डीलर को वो बेच दी। प्रियंका ने 2006 में 15 लाख रुपए देकर वो जमीन खरीदी थी, जिसे उन्होंने 84 लाख में वापस उसी डीलर को बेच दिया। ऐसे में कुछ सवाल उठे थे कि कोई भी प्रॉपर्टी डीलर, अपनी ही जमीन को वापस 5 गुना कीमतों में क्यों खरीदेगा ? वो भी तब जब उसके पास देने को पैसे नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पाहवा ने प्रियंका गाँधी को 22 मई 2009 से 11 सितंबर 2009 के बीच में 5 किश्तों में रकम चुकाई थी। इसके पीछे का कारण पैसों की कमी को बताया गया था। इस बीच एक सीसी थम्पी का भी नाम सामने आता है, जिसने पाहवा को जमीन में निवेश करने के लिए 54 रुपए दिए थे। वहीं, प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा भी जमीनों की खरीद-फरोख्त में शामिल हैं। इनके बीच क्या लिंक है, क्या ये सौदे काले धन को सफ़ेद करने के लिए किए गए ? इन सभी चीज़ों की जांच अब ED के हाथ में है, जिसने पहली बार प्रियंका वाड्रा का नाम अपनी चार्जशीट में शामिल किया है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान से चढ़ा सियासी पारा, क्या 2024 में लड़ेंगे आखिरी लोकसभा चुनाव

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पूरा देश सर्दी से कांप रहा है, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वह तिरुवनंतपुरम सीट से इस भावना से चुनाव लड़ेंगे जैसे यह उनका आखिरी चुनाव हो। थरूर ने कहा कि मेरा मानना है कि राजनीति में एक समय ऐसा आता है जब युवा लोगों के लिए जगह बनाई जाती है। थरूर के इस बयान के बाद तरह-तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई है।

दरअसल, कांग्रेस सांसद शशि थरूर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा।थरूर का कहना है ति मेरा मानना है कि एक समय ऐसा आता है जब युवा लोगों के लिए जगह बनाई जाती है। राजनीति में एक कहावत है ‘नेवल से नेवर’।थरूर ने आगे कहा कि अगर मैं चुनाव लड़ता हूं तो मैं अपने आखिरी चुनाव की तरह पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ूंगा।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तिरुअनंतपुरम से पीएम मोदी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर उन्होंने कहा, अगर पीएम मोदी भी मेरे खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो मैं ही जीतूंगा। उन्होंने कहा कि जनता को अगर उचित लगता हो तो उन्हें चुनाव में बदल देने का पूरा अधिकार है। लेकिन यह इस वजह से नहीं होगा कि मैं किसके खिलाफ चुनाव लड़ रहा हूं।

भारत ने पाकिस्तान से की हाफिज सईद को सौंपने की मांग, मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है पाक की जेल में बंद आतंकी

#india_asked_pakistan_to_handle_terrorist_hafiz_saaed 

मुंबई हमले के आरोपी आतंकी हाफिज सई को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान से हाफिज सईद प्रत्यर्पण की आधिकारिक मांग रखी है। इस्लामबाद पोस्ट में कहा गया है कि भारत ने पाकिस्तान से हाफिज सईद को सौंपने को लेकर कानूनी प्रकिया शुरू करने को कहा है। जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से इस मामले में संपर्क किया है।

इस्लामाबाद पोस्ट ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भारत सरकार से आधिकारिक अनुरोध मिला है। इसमें सईद के प्रत्यर्पण के लिए कानूनी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहा गया है।

भारत की ओर से हापिज के प्रत्यार्पण के दावे उस वक्त किए जा रहे हैं, जब मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सईद द्वारा बनाई गई एक नई राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान में आगामी आम चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। सईद द्वारा स्थापित पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) पार्टी ने चुनाव चिन्ह 'कुर्सी' के साथ अधिकांश राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। एक वीडियो में पीएमएमएल के अध्यक्ष खालिद मसूद सिंधु ने कहा कि उनकी पार्टी ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद भी चुनाव लड़ने जा रहा है। तल्हा सईद ने लाहौर के नेशनल असेंबली निर्वाचन क्षेत्र एनए-127 से नामांकन दाखिल किया है।

बता दें कि हाफिज सईद एक पाकिस्तानी आतंकी और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का संस्थापक है और जम्मू कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं में हाफिज सईद शामिल रहा है। भारत में वह मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले और पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड भी हाफिज सईद ही है। कुछ साल पहले तक हाफिज सईद पाकिस्तान में खुला घूम रहा था और अपने संगठन के लिए चंदा जुटा रहा था लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद साल 2019 में हाफिज सईद को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया और आतंक के वित्त पोषण के आरोप में उसे 15 साल जेल की सजा सुनाई गई। बीते साल भी पाकिस्तान की अदालत ने हाफिज सईद को आतंकी घटनाओं के लिए पैसे जुटाने के आरोप में 31 साल जेल की सजा सुनाई थी।