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रूस ने यूक्रेन पर दागी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, कीव का चौंकाने वाला दावा


#russiafiresintercontinentalballisticmissileatukraine

रूस ने यूक्रेन पर हमले के दौरान एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) लॉन्च की, जो चल रहे संघर्ष में इस तरह के शक्तिशाली, परमाणु-सक्षम हथियार का पहला उपयोग है, रॉयटर्स ने यूक्रेन की वायु सेना के हवाले से बताया। वायु सेना ने कहा कि मिसाइल ने गुरुवार को सुबह-सुबह नीपर शहर को निशाना बनाया। एक सूत्र ने AFP को पुष्टि की कि 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूस द्वारा इस हथियार की यह पहली तैनाती थी। इस प्रक्षेपण से पहले यूक्रेन ने इस सप्ताह की शुरुआत में रूस के अंदर लक्ष्यों के खिलाफ अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिसके बारे में मास्को ने चेतावनी दी थी कि इसे 33 महीने के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जाएगा। रूस, जिसने फरवरी 2022 में युद्ध शुरू किया था, ने अभी तक यूक्रेनी वायु सेना के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

रूसी मिसाइल हमला

अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) रणनीतिक हथियार हैं जिन्हें मुख्य रूप से परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह रूस के परमाणु निवारक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, यूक्रेन ने मिसाइल के प्रकार या उसके द्वारा ले जाए जाने वाले वारहेड के बारे में नहीं बताया, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं था कि यह परमाणु-सशस्त्र था। वायु सेना के अनुसार, रूसी हमले ने मध्य-पूर्वी यूक्रेन के शहर द्निप्रो में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और औद्योगिक स्थलों को निशाना बनाया।

वायु सेना ने मिसाइल के विशिष्ट लक्ष्य या नुकसान की सीमा को स्पष्ट नहीं किया। हालांकि, क्षेत्रीय गवर्नर ने पुष्टि की कि हमले ने द्निप्रो में एक औद्योगिक सुविधा को नुकसान पहुंचाया और आग लग गई, जिससे दो लोग घायल हो गए। यूक्रेन की वायु सेना के अनुसार, रूस ने हमले के दौरान एक किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल और सात ख-101 क्रूज मिसाइलें भी लॉन्च कीं, जिनमें से छह क्रूज मिसाइलों को रोक दिया गया। वायु सेना ने कहा, "विशेष रूप से, रूसी संघ के अस्त्राखान क्षेत्र से एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की गई थी," लेकिन इस्तेमाल किए गए ICBM के प्रकार को निर्दिष्ट नहीं किया।

रूस-यूक्रेन युद्ध

इस सप्ताह तनाव बढ़ गया क्योंकि युद्ध अपने 1,000वें दिन पर पहुंच गया। बुधवार को, टेलीग्राम पर रूसी युद्ध संवाददाताओं और एक अनाम अधिकारी ने दावा किया कि कीव ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइलों को लॉन्च किया, जो यूक्रेन की सीमा पर है। यूक्रेन के जनरल स्टाफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और रूस ने हमलों की तुरंत पुष्टि नहीं की। किसी भी परिणामी क्षति की सीमा अभी भी अस्पष्ट है। मंगलवार को, यूक्रेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मंजूरी के बाद रूस के खिलाफ अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई ATACMS मिसाइलों का इस्तेमाल किया। यह निर्णय बिडेन के पद छोड़ने से ठीक दो महीने पहले आया है, जब डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में लौटने की तैयारी कर रहे हैं।

रूस ने यूक्रेन पर दागी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, जंग में पहली बार इस हथियार का इस्तेमाल*
#russia_launches_icbm_strike_against_ukraine_for_first_time_as_war
रूस और यूक्रेन के बीच जंग अपने चरम पर पहुंचती दिख रही है। इस युद्ध को शुरू हुए 1000 दिन बीत गए हैं। अब दोनों के देशों के बीच इस लड़ाई में नई तेजी आ गई है। रूस ने यूक्रेन से लड़ने के लिए उत्‍तर कोरिया के हजारों सैनिकों को मैदान में उतार दिया है। वहीं इससे भड़के अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का इस्‍तेमाल करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए हैं। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है। रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर एक बड़ा हमला किया, जिसमें उसने अपने दक्षिण आस्त्रखान क्षेत्र से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल दागी। यह पहली बार है, जब रूस ने इस तरह की शक्तिशाली और लंबी दूरी वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया। यूक्रेनी वायुसेना ने यह जानकारी दी। मॉस्को की ओर से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल से हमला उस समय हुआ है, जब यूक्रेन ने इस हफ्ते अमेरिका और ब्रिटेन की मिसाइलों का उपयोग करके रूस के अंदर कुछ लक्ष्यों को निशाना बनाया, जिसके बारे में मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि यह तनाव को बहुत अधिक बढ़ा सकता है। रूस के आस्त्रखान क्षेत्र से लॉन्च की गई एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, ताम्बोव क्षेत्र में मिग-31K फाइटर जेट से दागी गई। वायु सेना के एक सूत्र ने एएफपी को बताया कि रूस ने गुरुवार को यूक्रेन में जो इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की, उसमें परमाणु चार्ज नहीं था। यूक्रेनी वायु सेना के सूत्र ने एएफपी को बताया कि यह स्पष्ट था कि जिस हथियार का पहली बार यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था, उसमें कोई परमाणु हथियार नहीं था। यह पहली बार है जब रूस ने युद्ध के दौरान इतनी शक्तिशाली, लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया है। यह हमला यूक्रेन द्वारा युद्ध के बाद पहली बार रूस के अंदर लक्ष्यों पर ब्रिटिश-फ्रांसीसी निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को दागने के एक दिन बाद हुआ है। मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि इस तरह के हमले को एक बड़ी वृद्धि के रूप में देखा जाएगा।
पुतिन की परमाणु हमले की चेतावनी बेअसरःयूक्रेन ने पहले अमेरिकी और अब ब्रिटिश मिसाइल से बोला हमला

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रूस के राष्ट्रपति पुतिन की परमाणु चेतावनी भी बेअसर नज़र आ रही है। यूक्रेन ने अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलों से पहली बार रूस के अंदर हमला किया। इस हमले को लेकर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर इसका असर होता तो नहीं दिख रहा है। पहले यूक्रेन ने मंगलवार को जहां रूस पर अमेरिकी ATCAMS मिसाइल से हमला किया था तो वहीं बुधवार को कीव ने रूस के खिलाफ ब्रिटिश निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइल दागी है।यूक्रेन द्वारा यूके की लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल ऐसे समय हुआ है, जब इसे लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही भड़के हुए हैं और उन्होंने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी हुई है।

अमेरिकी मिसाइलों के यूज पर बाइडन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद जेलेंस्की और फायर हो चुके हैं। यूक्रेन अब रूस पर ताबड़तोड़ अटैक कर रहा है। अमेरिकी लॉन्ग रेंज मिसाइलों से हमला करने के बाद अब यूक्रेन ने ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइल से रूस पर हमला किया है।यूक्रेन ने लंबी दूरी वाली अमेरिकी मिसाइलें दागने के एक दिन बाद रूसी इलाकों में सैन्य ठिकानों पर ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दागीं।

रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया शैडो मिसाइल का मलबा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात करने के जवाब में यूके ने भी अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की मंजूरी यूक्रेन को दे दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टॉर्म शैडो मिसाइल का मलबा रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया है, जो यूक्रेन के उत्तर में स्थित है। वहीं यिस्क और दक्षिणी क्रसनोदर इलाके में एक बंदरगाह पर भी दो स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया गया है।

ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल को लेकर गोल-मोल जवाब

हालांकि, यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया। जब उमेरोव से पूछा गया कि क्या यूक्रेन ने रूस के अंदर किसी लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हम अपने देश की रक्षा के लिए सभी साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए हम विस्तार में नहीं जाएंगे। लेकिन हम सिर्फ यही बता रहे हैं कि हम जवाब देने में सक्षम हैं।’ उमेरोव ने आगे कहा, ‘हम अपना बचाव करेंगे और हमारे पास मौजूद तमाम साधनों से मुंहतोड़ जवाब देंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका

बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस सप्ताह अपनी नीति में बदलाव करते हुए यूक्रेन को रूस में अंदर तक हमला करने के लिए अमेरिकी निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। बाइडेन प्रशासन के इस फैसले के बाद रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि अगर किसी परमाणु संपन्न देश के सहयोग से कोई देश रूस पर हमला करता है तो ऐसी स्थिति में वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है। यही नहीं नए परमाणु सिद्धांतों के अनुसार, रूस पर अगर किसी सैन्य गठबंधन का देश हमला करता है तो रूस उसे पूरे ब्लॉक का हमला मानेगा। पुतिन के इस फैसले के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका बढ़ गई है।

मॉस्को पर यूक्रेन का अब तक का सबसे बड़ा हमला, 34 ड्रोन दागे, ट्रंप की अपील का दोनों देशों पर नहीं दिख रहा असर

#ukraine_attacks_moscow_34_drones

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस दौरान ट्रंप ने दोनों नेताओं से युद्धविराम की अपील की। हालांकि ट्रंप के कॉल का असर होता नहीं दिख रहा है। रूस और यूक्रेन ने एक दूसरे पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। दो साल से ज्यादा समय से जारी युद्ध के बीच यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। यूक्रेन ने रविवार को मास्को पर कम से कम 34 ड्रोन से हमला किया, जो 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से रूसी राजधानी पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला है। इस हमले के कारण शहर के तीन प्रमुख एयरपोर्ट पर उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा और कम से कम पांच लोग घायल हो गए।

रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार कि हमले के कारण मॉस्को क्षेत्र के स्टैनोवॉय गांव में दो घरों में आग लग गई, जिसमें एक 52 वर्षीय महिला को जलने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस हमले के बाद मॉस्को के हवाई अड्डों-डोमोडेडोवो, शेरेमेतियोवो और ज़ुकोवस्की-ने कम से कम 36 उड़ानों को डायवर्ट किया, लेकिन कुछ ही समय बाद परिचालन फिर से शुरू हो गया।वायु रक्षा कई अन्य रूसी क्षेत्रों, जिनमें ब्रांस्क, ओरलोव, कलुगा, तुला और कुर्स्क शामिल हैं, पर अतिरिक्त ड्रोन को मार गिराने में सक्षम थी. यहां ऑपरेशन को सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया।

वहीं, यूक्रेन ने कहा कि रूस ने भी जवाबी हमले में रातों-रात 145 ड्रोन लॉन्च किए। कीव का कहना है कि उसकी एयर डिफेंस ने 62 ड्रोन को मार गिराया। कुछ अधिकारियों का कहना है कि युद्ध के शुरुआती दिनों के बाद से रूसी सेना सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है।

इसके अलावा यूक्रेन ने शुक्रवार से शनिवार की रात पश्चिमी शहर तुला में एक रूसी केमिकल प्लांट पर ड्रोन हमला किया। रूसी अधिकारियों ने हमले की बात नहीं स्वीकार की है। सिक्योरिटी सर्विस ऑफ यूक्रेन (SBU) की रिपोर्ट के मुताबिक अलेक्सिंस्की केमिकल प्लांट पर कम से कम 13 यूक्रेनी ड्रोन ने हमला किया था। इसके परिणामस्वरूप हमले के बाद विस्फोट हुआ और धुएं के बादल छा गए। स्टाफ को बाहर निकाला गया।

रूस-यूक्रेन के बीच जंग और तेज होती जा रही है। ऐसा तब हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मिली जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम की कोशिश शुरू भी कर दी है। इसी के तहत ट्रंप ने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और फिर रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन कर संघर्ष न बढ़ाने की अपील की। हालांकि ताजा हमले से साफ है कि अभी बात नहीं बन पाई है और आशंका है कि जब तक जनवरी में ट्रंप का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब तक शायद ही कुछ ठोस हो सके।

रूस-यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरिया की एंट्री, जेलेंस्की ने चीन की चुप्पी पर उठाए सवाल

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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग में लड़ने के लिए अपने सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में भेजा है। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने इसकी पुष्टि की है। नाटो महासचिव मार्क रट ने सोमवार को कहा कि रूस के कुर्स्क क्षेत्र में उत्तर कोरियाई सेना की टुकड़ियां तैनात की गई हैं।ये सैनिक यूक्रेन के साथ लड़ाई में रूस की मदद करने की तैयारी कर रहे है।यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में उत्तर कोरिया की भागीदारी को लेकर चेतावनी जारी की है।जेलेंस्की ने इस मुद्दे पर चीन की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। जेलेंस्की ने इसे लेकर सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट भी साझा किया है।

जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 'मैंने दक्षिणी कोरिया के केबीएस को एक साक्षात्कार दिया, जिसमें इस युद्ध में उत्तर कोरिया की अधिकारिक भूमिका पर जोर दिया गया। यह सिर्फ हथियारों या रूसी कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की बात नहीं है। उत्तर कोरियाई सैनिक हमारे कब्जे वाले क्षेत्र कुर्स्क में यूक्रेन से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यानी एक के खिलाफ दो देशों का युद्ध।'

यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध में कोरियाई सैनिकों को शामिल करने के फैसले को लेकर जेलेंस्की ने रूस की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस ने उत्तर कोरिया के साथ खुलेआम साझेदारी की है और लगभग 3.5 मिलियन तोपें खरीदी हैं।'इतना नहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा, 'उन तोपों और मिसाइलों का इस्तेमाल हमारे लोगों के खिलाफ किया गया था, लेकिन अब यह महज हथियार नहीं रह गए हैं। हमारे पास जानकारी है कि 3,000 उत्तर कोरियाई सैनिक वर्तमान में एक प्रशिक्षण शिविर में हैं और जल्द ही यह संख्या बढ़कर 12,000 सैनिकों और अधिकारियों तक पहुंचने की उम्मीद है।

जेलेंस्की ने मौजूदा स्थिति पर चीन के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'उत्तर कोरिया की हरकतें बेतरतीब नहीं हैं। उनके रणनीतिक लक्ष्य हैं। मैं चीन की चुप्पी से हैरान हूं। मैं यह नहीं कह सकता कि चीन हमारे पक्ष में है, लेकिन क्षेत्रीय सुरक्षा गारंटर के रूप में उसकी चुप्पी चौंकाने वाली है। यह एशियाई सुरक्षा गठबंधन का समय हो सकता है। जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही मजबूत, सभ्य राष्ट्र हैं और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए चीन से संपर्क करना जरूरी हो सकता है, क्योंकि उत्तर कोरिया सक्रिय रूप से उस क्षेत्र को युद्ध में धकेल रहा है। उनकी हरकतें संयोग नहीं हैं, वे बदले में रूस का समर्थन चाहते हैं।'

बता दें कि नॉर्थ कोरिया के 8000 सैनिक इस समय यूक्रेन की सीमा के पास रूस के कुर्स्क क्षेत्र में मौजूद हैं। ये सैनिक यूक्रेन के साथ लड़ाई में रूस की मदद करने की तैयारी कर रहे है। इसी बीच नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में रूस को 1000 से ज्यादा मिसाइलें दी हैं। इस बात की जानकारी साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री ने दी है।साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने गुरुवार को कहा कि नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन में लड़ने के लिए सैनिकों के अलावा रूस को 1,000 से अधिक मिसाइलें भेजी हैं।

इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल में ही अपने बयान में कहा था कि इस समय रूस में नॉर्थ कोरिया के 10000 सैनिक मौजूद हैं। उनमें से लगभग 8000 से ज्यादा सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया है। उन्होंने आशंका जताई है कि रूस आने वाले दिनों में इन सैनिकों का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर सकता है।

कुर्स्क रूसी इलाका है, जहां अगस्त महीने यूक्रेन की सेना घुस गई थी और बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद रूस को यहां पर अपनी सेना भेजनी पड़ी थी।पिछले कुछ सप्ताह में रूसी सेना ने कुर्स्क क्षेत्र के आधे हिस्से पर फिर से कब्जा पाने में सफलता हासिल की है, लेकिन यूक्रेनी सेना अभी इलाके में मौजूद है और रूस को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि किम जोंग उन के सैनिकों के शामिल होने से रूस को बढ़ मिल सकती है।

यूक्रेन को भारत पर क्यों है भरोसा? जेलेंस्की बोले- मोदी जंग पर असर डाल सकते हैं

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रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए 32 महीने से अधिक बीत चुके हैं। इसके बावजूद भी संघर्ष रूकने का नाम नहीं ले रहा है। अब रूस ने यूक्रेन पर फिर से हमले तेज कर दिए हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दोनों देशों से शांति की अपील कर रहे हैं। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन जंग खत्म कराने में बड़ा असर डाल सकते हैं।

यूक्रेन पीस समिट नई दिल्ली में हो- जेलेंस्की

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि दूसरी यूक्रेन पीस समिट नई दिल्ली में हो। मोदी चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। जेलेंस्की ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में ऐसा कर सकते हैं यदि वे एक निश्चित शिखर सम्मेलन आयोजित कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें उन प्रस्तावों के संदर्भ में खुद को तैयार करने की आवश्यकता है जिन पर किसी भी देश की बात सुनी जा सकती है - भारत, यूरोपीय संघ, अफ्रीकी महाद्वीप आदि के प्रस्ताव।

मोदी एक बहुत बड़े देश के प्रधानमंत्री- जेलेंस्की

जेलेंस्की ने कहा कि मोदी आबादी और इकोनॉमी के हिसाब से एक बहुत बड़े देश के प्रधानमंत्री हैं। किसी भी संघर्ष के रोकने में भारत और मोदी का बड़ा असर हो सकता है। पीएम मोदी की तरफ से यूक्रेन और रूस के बीच बातचीत कराने की संभावना पर उन्होंने कहा कि बिल्कुल, वे ऐसा कर सकते हैं।

मोदी हमारे बच्चों को वापस लाने में मदद करें- जेलेंस्की

जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने यूक्रेन के हजारों बच्चों का अपहरण कर लिया है। हम चाहते हैं कि मोदी हमारे बच्चों को वापस लाने में मदद करें। वे पुतिन से कह सकते हैं कि मुझे सिर्फ 1,000 यूक्रेनी बच्चें दें, जिसे यूक्रेन को हम लौटा देंगे। अगर मोदी ऐसा करेंगे तो हम अपने ज्यादातर बच्चे को वापस अपने लाने में सफल हो सकते हैं।

रूस ने पिछले सप्ताह यूक्रेन पर 1100 से अधिक हवाई बम दागे

राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को दावा किया है कि रूस ने पिछले सप्ताह यूक्रेन पर 1100 से अधिक निर्देशित हवाई बम दागे हैं। इसके अलावा, 560 से अधिक स्ट्राइक ड्रोन और विभिन्न प्रकार की लगभग 20 मिसाइलों की बौछार की है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि रूस यूक्रेन के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई बंद नहीं कर रहा है। रोजाना, वह विभिन्न प्रकार के हथियारों का उपयोग करके हमारे लोगों, शहरों और गांवों के खिलाफ आक्रामकता शुरू करता है। इस सप्ताह, रूस ने 1100 से अधिक निर्देशित हमले किए हैं। इनमें हवाई बम, 560 से अधिक स्ट्राइक ड्रोन और विभिन्न प्रकार की लगभग 20 मिसाइलें शामिल हैं।

सर्दी ने बढ़ाई राष्ट्रपति जेलेंस्की की टेंशन

बता दें कि कुछ दिनों में यूक्रेन और रूस में कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है। सर्दी में युद्द लड़ना दोनों देशों के सैनिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस बात को लेकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन और यूक्रेनी लोगों के लिए तीसरी कठिन सर्दी है। हम कदम-दर-कदम अपनी ऊर्जा प्रणालियों को मजबूत कर रहे हैं। हम रूस की सेना को मुहतोड़ जवाब देंगे।

'मेड इन इंडिया' तोप के गोले कैसे पहुंचे यूक्रेन? जानें रूस का रूख़

#madeinindiaartilleryshellsagainstrussiareachedukraine

रूस और यूक्रेन दो साल से अधिक वक्त से एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं। इस बीच भारत दोनों देशों से लगातार शांति की अपील करता आ रहा है। पिछले दिनों भारत की लगातार अपील का असर भी देखा गया, जब रूस के राष्ट्रपति ने भारत, जीन और ब्राजील से शांति स्थापित करने की पहल करने की अपील की। पुतिन ने खासकर भारत पर भरोसा जताया। हालांकि, इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जिससे भारत-रूस की दोस्ती पर असर पड़ सकता है। दरअसर, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में भारतीय तोप के गोले का इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय हथियार निर्माताओं की ओर से इन्हें यूरोप के देशों को बेचा गया था। बाद में इन्हें यूक्रेन भेज दिया गया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह खुलासा किया है।

कितनी संख्या में भारतीय गोला-बारूद यूक्रेन पहुंचे?

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में बेहद कम मात्रा में हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन ने जितने भी गोला-बारूद का आयात किया है, यह उसका एक प्रतिशत से भी कम होगा। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं चला कि यूरोपीय देशों ने ये गोला-बारूद यूक्रेन को दान में दिया या दोबारा बेचा है। बताया जा रहा है कि ये हथियार यंत्र इंडिया नामक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने बनाए हैं।

बीते एक साल से भेजे जा रहे हथियार

रिपोर्ट में सूत्रों और सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करने के लिए भारतीय हथियारों का हस्तांतरण एक साल से भी अधिक समय तक हो रहा है। बावजूद इसके कि ये नियमों के खिलाफ है। भारतीय हथियार निर्यात नियमों के मुताबिक, हथियारों का इस्तेमाल केवल खरीदने वाला ही कर सकता है। अगर हथियार दूसरे को हस्तांतरित किए जाते हैं तो भविष्य में बिक्री रोकी जा सकती है।

रूस ने जताई थी आपत्ति

रिपोर्ट में तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया है। इसमें रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और डॉ.एस जयशंकर के बीच जुलाई में हुई मीटिंग भी शामिल है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और भारत के रक्षा मंत्रालयों ने इससे जुड़े सवाल का जवाब नहीं दिया। जनवरी में भारीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत ने यूक्रेन को तोपखाने के लिए गोले नहीं बेचे हैं।

पीएम मोदी के “जेम्स बॉन्ड” अजीत डोभाल जा रहे हैं रूस, दुनियाभर में इस दौरे की चर्चा क्यों?

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करीब दो साल से अधिक समय से चली आ रही रूस-यूक्रन जंग को लेकर दुनियाभर के देश भारत की तरफ टकटकी लगाकर देख रहे हैं। इन देशों में सबसे ताकतवर श अमेरिका भी शामिल है। जो कई ये जाहिर कर चुका है कि भारत ही रूस को रोक सकता है। अभी हाल ही में खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन अहम भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन के बाद इटली की पीएम का भी मानना है कि शांति वार्ता को लेकर भारत और चीन ही मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते। इस बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस सप्ताह मास्को की यात्रा करेंगे। शांतिदूत वाला रोल निभाने को तैयार भारत के इस “दूत” के मॉस्को दौरे पर सबकी निगाहें जमी हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी जुलाई में रूस की यात्रा की थी। इसके अगले महीने ही अगस्त में पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचे। इसके बाद आए पुतिन के बयान ने साफ कर दिया है कि संघर्ष को रोकने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है।यूक्रेन की यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से कहा गया कि फोन काल के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी हाल की कीव यात्रा के बारे में बताया। इस दौरान पीएम मोदी ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से यूक्रेन समझौता करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस फोन काल के दौरान ही यह तय किया गया कि एनएसए डोभाल मॉस्को जाएंगे। खास बात यह है कि जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की थी, जो यूक्रेन का महत्वपूर्ण सहयोगी है।

एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे। इस दौरान उनका फोकस यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी। अजीत डोभाल मॉस्को में होने वाले ब्रिक्स एनएसए के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। भारत से जहां मध्यस्थ के रूप में अजीत डोभाल रहेंगे, वहीं चीन की ओर से वांग यी। चीन के एनएसए वांग यी भी उस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे, जिसमें यूक्रेन जंग सबसे अहम मुद्दा होगा।

यहां खास बात है कि अजित डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है।एनएसए अजीत डोभाल रूस यात्रा के दौरान चीन और ब्राजील समेत अपने ब्रिक्स समकक्षों से मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे यह समूह संघर्ष को समाप्त करने में पहल कर सता है।

क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध? शांति वार्ता को लेकर पुतिन का बड़ा बयान, जानें क्यों लिया भारत का नाम

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रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से लगातार लड़ाई जारी है। दोनों देशों का इस जंग में जानमाल का भारी नुकसान हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से दोनों तरफ से हमले और तेज हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग कब खत्म होगी? इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नर्म पड़के दिख रहे हैं। दरअसर, पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए भारत, चीन और ब्राजील मध्यस्थता कर सकते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक प्रारंभिक समझौता, जो कभी लागू नहीं हुआ, वार्ता के लिए आधार बन सकता है। पुतिन ने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने ये बातें ईस्टर्न इकॉमिक फोरम में कही।

पुतिन ने हालांकि इस दौरान यूक्रेन पर गुस्सा भी दिखाया और कहा कि यूक्रेनी सेना की कुर्स्क में घुसपैठ का उद्देश्य डोनबास में रूसी बढ़त को धीमा करना था लेकिन वह इसमें फेल रहा क्योंकि इसके लिए कीव ने बाकी मोर्चे पर अपनी सेना को कमजोर कर लिया।

बता दें कि पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में युद्धग्रस्त यूक्रेन और इससे पहले रूस का दौरा किया था।पीएम मोदी की ये दोनों यात्राएं काफी महत्वपूर्ण थीं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय थी।रूस और यूक्रेन की यात्रा के दौरान भारत की ओर से भी ये कहा गया था कि वह शांति की किसी भी पहल में भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। कई बार रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की कोशिश की गई है, लेकिन पुतिन के इन शांति वार्ताओं में शामिल न होने के चलते इन बैठकों का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया। अब खुद पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। रूसी राष्ट्रपति की ओर से भी मध्यस्थ के लिए जिन तीन देशों पर भरोसा जताया गया है, उनमें चीन और ब्राजील के साथ भारत का नाम है।

पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से की बात, 'यूक्रेन यात्रा से साझा कीं जानकारियां'

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Photo: AFP file

कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात के कुछ दिनों बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की।

“आज राष्ट्रपति पुतिन से बात की। विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की। रूस-यूक्रेन संघर्ष और यूक्रेन की हालिया यात्रा पर मेरी अंतर्दृष्टि पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। प्रधान मंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई।

यूक्रेन में भीषण युद्ध के बीच ज़ेलेंस्की से मुलाकात के कुछ दिनों बाद प्रधान मंत्री की टेलीफोन पर बातचीत हुई। यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा था कि भारत "तटस्थ" नहीं है क्योंकि वह हमेशा शांति के पक्ष में है। “हम (भारत) तटस्थ नहीं हैं। हमने शुरू से ही एक पक्ष लिया है,और हमने शांति का पक्ष चुना है। हम बुद्ध की भूमि से आए हैं जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है, ”प्रधानमंत्री ने कहा।

उन्होंने कहा, "मैं आपको और पूरे वैश्विक समुदाय को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।"

पिछले महीने मोदी ने मॉस्को का दौरा किया था और यूक्रेन-संघर्ष पर भारत के रुख को दोहराते हुए पुतिन से मुलाकात की थी। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति को बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने के लिए प्रेरित करते हुए कहा था कि "युद्ध के मैदान पर कोई समाधान नहीं खोजा जा सकता है।"

रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी है

रूस-यूक्रेन युद्ध अपने दूसरे वर्ष में है और इसके जल्द ख़त्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। एपी की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को रूस ने पूरे यूक्रेन में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और राजधानी कीव के बाहरी इलाके में आग लग गई। शहर के सैन्य प्रशासन के प्रमुख ऑलेक्ज़ेंडर विलकुल ने कहा, यूक्रेन के दक्षिण में एक खनन और औद्योगिक शहर क्रिवी रिहस्ट्रक में एक आवासीय इमारत पर हमले में दो लोगों की मौत हो गई।

कीव क्षेत्र में, जो सोमवार के हमले के बाद ब्लैकआउट से जूझ रहा था, रात के दौरान पांच हवाई अलर्ट बुलाए गए थे। क्षेत्रीय प्रशासन ने कहा कि हवाई सुरक्षा ने रूस द्वारा दागे गए सभी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर दिया, लेकिन मलबे के गिरने से जंगल में आग लग गई।

देखना यह है की पीएम मोदी के इस दौरे का दोनों देशों और उनके भारत के साथ संबंधों पर क्या असर होता है। इससे दोनों राष्ट्रपतियों के विचार में कितना परिवर्तन आएगा और युद्ध को शांतिपूर्ण समापन मिलेगा या नहीं। 

रूस ने यूक्रेन पर दागी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, कीव का चौंकाने वाला दावा


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रूस ने यूक्रेन पर हमले के दौरान एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) लॉन्च की, जो चल रहे संघर्ष में इस तरह के शक्तिशाली, परमाणु-सक्षम हथियार का पहला उपयोग है, रॉयटर्स ने यूक्रेन की वायु सेना के हवाले से बताया। वायु सेना ने कहा कि मिसाइल ने गुरुवार को सुबह-सुबह नीपर शहर को निशाना बनाया। एक सूत्र ने AFP को पुष्टि की कि 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूस द्वारा इस हथियार की यह पहली तैनाती थी। इस प्रक्षेपण से पहले यूक्रेन ने इस सप्ताह की शुरुआत में रूस के अंदर लक्ष्यों के खिलाफ अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिसके बारे में मास्को ने चेतावनी दी थी कि इसे 33 महीने के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जाएगा। रूस, जिसने फरवरी 2022 में युद्ध शुरू किया था, ने अभी तक यूक्रेनी वायु सेना के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

रूसी मिसाइल हमला

अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) रणनीतिक हथियार हैं जिन्हें मुख्य रूप से परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह रूस के परमाणु निवारक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, यूक्रेन ने मिसाइल के प्रकार या उसके द्वारा ले जाए जाने वाले वारहेड के बारे में नहीं बताया, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं था कि यह परमाणु-सशस्त्र था। वायु सेना के अनुसार, रूसी हमले ने मध्य-पूर्वी यूक्रेन के शहर द्निप्रो में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और औद्योगिक स्थलों को निशाना बनाया।

वायु सेना ने मिसाइल के विशिष्ट लक्ष्य या नुकसान की सीमा को स्पष्ट नहीं किया। हालांकि, क्षेत्रीय गवर्नर ने पुष्टि की कि हमले ने द्निप्रो में एक औद्योगिक सुविधा को नुकसान पहुंचाया और आग लग गई, जिससे दो लोग घायल हो गए। यूक्रेन की वायु सेना के अनुसार, रूस ने हमले के दौरान एक किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल और सात ख-101 क्रूज मिसाइलें भी लॉन्च कीं, जिनमें से छह क्रूज मिसाइलों को रोक दिया गया। वायु सेना ने कहा, "विशेष रूप से, रूसी संघ के अस्त्राखान क्षेत्र से एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की गई थी," लेकिन इस्तेमाल किए गए ICBM के प्रकार को निर्दिष्ट नहीं किया।

रूस-यूक्रेन युद्ध

इस सप्ताह तनाव बढ़ गया क्योंकि युद्ध अपने 1,000वें दिन पर पहुंच गया। बुधवार को, टेलीग्राम पर रूसी युद्ध संवाददाताओं और एक अनाम अधिकारी ने दावा किया कि कीव ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइलों को लॉन्च किया, जो यूक्रेन की सीमा पर है। यूक्रेन के जनरल स्टाफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और रूस ने हमलों की तुरंत पुष्टि नहीं की। किसी भी परिणामी क्षति की सीमा अभी भी अस्पष्ट है। मंगलवार को, यूक्रेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मंजूरी के बाद रूस के खिलाफ अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई ATACMS मिसाइलों का इस्तेमाल किया। यह निर्णय बिडेन के पद छोड़ने से ठीक दो महीने पहले आया है, जब डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में लौटने की तैयारी कर रहे हैं।

रूस ने यूक्रेन पर दागी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, जंग में पहली बार इस हथियार का इस्तेमाल*
#russia_launches_icbm_strike_against_ukraine_for_first_time_as_war
रूस और यूक्रेन के बीच जंग अपने चरम पर पहुंचती दिख रही है। इस युद्ध को शुरू हुए 1000 दिन बीत गए हैं। अब दोनों के देशों के बीच इस लड़ाई में नई तेजी आ गई है। रूस ने यूक्रेन से लड़ने के लिए उत्‍तर कोरिया के हजारों सैनिकों को मैदान में उतार दिया है। वहीं इससे भड़के अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का इस्‍तेमाल करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए हैं। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है। रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर एक बड़ा हमला किया, जिसमें उसने अपने दक्षिण आस्त्रखान क्षेत्र से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल दागी। यह पहली बार है, जब रूस ने इस तरह की शक्तिशाली और लंबी दूरी वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया। यूक्रेनी वायुसेना ने यह जानकारी दी। मॉस्को की ओर से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल से हमला उस समय हुआ है, जब यूक्रेन ने इस हफ्ते अमेरिका और ब्रिटेन की मिसाइलों का उपयोग करके रूस के अंदर कुछ लक्ष्यों को निशाना बनाया, जिसके बारे में मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि यह तनाव को बहुत अधिक बढ़ा सकता है। रूस के आस्त्रखान क्षेत्र से लॉन्च की गई एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, ताम्बोव क्षेत्र में मिग-31K फाइटर जेट से दागी गई। वायु सेना के एक सूत्र ने एएफपी को बताया कि रूस ने गुरुवार को यूक्रेन में जो इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की, उसमें परमाणु चार्ज नहीं था। यूक्रेनी वायु सेना के सूत्र ने एएफपी को बताया कि यह स्पष्ट था कि जिस हथियार का पहली बार यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था, उसमें कोई परमाणु हथियार नहीं था। यह पहली बार है जब रूस ने युद्ध के दौरान इतनी शक्तिशाली, लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया है। यह हमला यूक्रेन द्वारा युद्ध के बाद पहली बार रूस के अंदर लक्ष्यों पर ब्रिटिश-फ्रांसीसी निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को दागने के एक दिन बाद हुआ है। मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि इस तरह के हमले को एक बड़ी वृद्धि के रूप में देखा जाएगा।
पुतिन की परमाणु हमले की चेतावनी बेअसरःयूक्रेन ने पहले अमेरिकी और अब ब्रिटिश मिसाइल से बोला हमला

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रूस के राष्ट्रपति पुतिन की परमाणु चेतावनी भी बेअसर नज़र आ रही है। यूक्रेन ने अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलों से पहली बार रूस के अंदर हमला किया। इस हमले को लेकर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर इसका असर होता तो नहीं दिख रहा है। पहले यूक्रेन ने मंगलवार को जहां रूस पर अमेरिकी ATCAMS मिसाइल से हमला किया था तो वहीं बुधवार को कीव ने रूस के खिलाफ ब्रिटिश निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइल दागी है।यूक्रेन द्वारा यूके की लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल ऐसे समय हुआ है, जब इसे लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही भड़के हुए हैं और उन्होंने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी हुई है।

अमेरिकी मिसाइलों के यूज पर बाइडन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद जेलेंस्की और फायर हो चुके हैं। यूक्रेन अब रूस पर ताबड़तोड़ अटैक कर रहा है। अमेरिकी लॉन्ग रेंज मिसाइलों से हमला करने के बाद अब यूक्रेन ने ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइल से रूस पर हमला किया है।यूक्रेन ने लंबी दूरी वाली अमेरिकी मिसाइलें दागने के एक दिन बाद रूसी इलाकों में सैन्य ठिकानों पर ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दागीं।

रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया शैडो मिसाइल का मलबा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात करने के जवाब में यूके ने भी अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की मंजूरी यूक्रेन को दे दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टॉर्म शैडो मिसाइल का मलबा रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया है, जो यूक्रेन के उत्तर में स्थित है। वहीं यिस्क और दक्षिणी क्रसनोदर इलाके में एक बंदरगाह पर भी दो स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया गया है।

ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल को लेकर गोल-मोल जवाब

हालांकि, यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया। जब उमेरोव से पूछा गया कि क्या यूक्रेन ने रूस के अंदर किसी लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हम अपने देश की रक्षा के लिए सभी साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए हम विस्तार में नहीं जाएंगे। लेकिन हम सिर्फ यही बता रहे हैं कि हम जवाब देने में सक्षम हैं।’ उमेरोव ने आगे कहा, ‘हम अपना बचाव करेंगे और हमारे पास मौजूद तमाम साधनों से मुंहतोड़ जवाब देंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका

बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस सप्ताह अपनी नीति में बदलाव करते हुए यूक्रेन को रूस में अंदर तक हमला करने के लिए अमेरिकी निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। बाइडेन प्रशासन के इस फैसले के बाद रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि अगर किसी परमाणु संपन्न देश के सहयोग से कोई देश रूस पर हमला करता है तो ऐसी स्थिति में वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है। यही नहीं नए परमाणु सिद्धांतों के अनुसार, रूस पर अगर किसी सैन्य गठबंधन का देश हमला करता है तो रूस उसे पूरे ब्लॉक का हमला मानेगा। पुतिन के इस फैसले के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका बढ़ गई है।

मॉस्को पर यूक्रेन का अब तक का सबसे बड़ा हमला, 34 ड्रोन दागे, ट्रंप की अपील का दोनों देशों पर नहीं दिख रहा असर

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डोनाल्ड ट्रंप ने पहले यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस दौरान ट्रंप ने दोनों नेताओं से युद्धविराम की अपील की। हालांकि ट्रंप के कॉल का असर होता नहीं दिख रहा है। रूस और यूक्रेन ने एक दूसरे पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। दो साल से ज्यादा समय से जारी युद्ध के बीच यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। यूक्रेन ने रविवार को मास्को पर कम से कम 34 ड्रोन से हमला किया, जो 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से रूसी राजधानी पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला है। इस हमले के कारण शहर के तीन प्रमुख एयरपोर्ट पर उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा और कम से कम पांच लोग घायल हो गए।

रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार कि हमले के कारण मॉस्को क्षेत्र के स्टैनोवॉय गांव में दो घरों में आग लग गई, जिसमें एक 52 वर्षीय महिला को जलने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस हमले के बाद मॉस्को के हवाई अड्डों-डोमोडेडोवो, शेरेमेतियोवो और ज़ुकोवस्की-ने कम से कम 36 उड़ानों को डायवर्ट किया, लेकिन कुछ ही समय बाद परिचालन फिर से शुरू हो गया।वायु रक्षा कई अन्य रूसी क्षेत्रों, जिनमें ब्रांस्क, ओरलोव, कलुगा, तुला और कुर्स्क शामिल हैं, पर अतिरिक्त ड्रोन को मार गिराने में सक्षम थी. यहां ऑपरेशन को सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया।

वहीं, यूक्रेन ने कहा कि रूस ने भी जवाबी हमले में रातों-रात 145 ड्रोन लॉन्च किए। कीव का कहना है कि उसकी एयर डिफेंस ने 62 ड्रोन को मार गिराया। कुछ अधिकारियों का कहना है कि युद्ध के शुरुआती दिनों के बाद से रूसी सेना सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है।

इसके अलावा यूक्रेन ने शुक्रवार से शनिवार की रात पश्चिमी शहर तुला में एक रूसी केमिकल प्लांट पर ड्रोन हमला किया। रूसी अधिकारियों ने हमले की बात नहीं स्वीकार की है। सिक्योरिटी सर्विस ऑफ यूक्रेन (SBU) की रिपोर्ट के मुताबिक अलेक्सिंस्की केमिकल प्लांट पर कम से कम 13 यूक्रेनी ड्रोन ने हमला किया था। इसके परिणामस्वरूप हमले के बाद विस्फोट हुआ और धुएं के बादल छा गए। स्टाफ को बाहर निकाला गया।

रूस-यूक्रेन के बीच जंग और तेज होती जा रही है। ऐसा तब हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मिली जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम की कोशिश शुरू भी कर दी है। इसी के तहत ट्रंप ने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और फिर रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन कर संघर्ष न बढ़ाने की अपील की। हालांकि ताजा हमले से साफ है कि अभी बात नहीं बन पाई है और आशंका है कि जब तक जनवरी में ट्रंप का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब तक शायद ही कुछ ठोस हो सके।

रूस-यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरिया की एंट्री, जेलेंस्की ने चीन की चुप्पी पर उठाए सवाल

#north_korean_soldiers_preparing_to_fight_against_ukraine

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग में लड़ने के लिए अपने सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में भेजा है। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने इसकी पुष्टि की है। नाटो महासचिव मार्क रट ने सोमवार को कहा कि रूस के कुर्स्क क्षेत्र में उत्तर कोरियाई सेना की टुकड़ियां तैनात की गई हैं।ये सैनिक यूक्रेन के साथ लड़ाई में रूस की मदद करने की तैयारी कर रहे है।यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में उत्तर कोरिया की भागीदारी को लेकर चेतावनी जारी की है।जेलेंस्की ने इस मुद्दे पर चीन की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। जेलेंस्की ने इसे लेकर सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट भी साझा किया है।

जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 'मैंने दक्षिणी कोरिया के केबीएस को एक साक्षात्कार दिया, जिसमें इस युद्ध में उत्तर कोरिया की अधिकारिक भूमिका पर जोर दिया गया। यह सिर्फ हथियारों या रूसी कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की बात नहीं है। उत्तर कोरियाई सैनिक हमारे कब्जे वाले क्षेत्र कुर्स्क में यूक्रेन से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यानी एक के खिलाफ दो देशों का युद्ध।'

यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध में कोरियाई सैनिकों को शामिल करने के फैसले को लेकर जेलेंस्की ने रूस की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस ने उत्तर कोरिया के साथ खुलेआम साझेदारी की है और लगभग 3.5 मिलियन तोपें खरीदी हैं।'इतना नहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा, 'उन तोपों और मिसाइलों का इस्तेमाल हमारे लोगों के खिलाफ किया गया था, लेकिन अब यह महज हथियार नहीं रह गए हैं। हमारे पास जानकारी है कि 3,000 उत्तर कोरियाई सैनिक वर्तमान में एक प्रशिक्षण शिविर में हैं और जल्द ही यह संख्या बढ़कर 12,000 सैनिकों और अधिकारियों तक पहुंचने की उम्मीद है।

जेलेंस्की ने मौजूदा स्थिति पर चीन के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'उत्तर कोरिया की हरकतें बेतरतीब नहीं हैं। उनके रणनीतिक लक्ष्य हैं। मैं चीन की चुप्पी से हैरान हूं। मैं यह नहीं कह सकता कि चीन हमारे पक्ष में है, लेकिन क्षेत्रीय सुरक्षा गारंटर के रूप में उसकी चुप्पी चौंकाने वाली है। यह एशियाई सुरक्षा गठबंधन का समय हो सकता है। जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही मजबूत, सभ्य राष्ट्र हैं और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए चीन से संपर्क करना जरूरी हो सकता है, क्योंकि उत्तर कोरिया सक्रिय रूप से उस क्षेत्र को युद्ध में धकेल रहा है। उनकी हरकतें संयोग नहीं हैं, वे बदले में रूस का समर्थन चाहते हैं।'

बता दें कि नॉर्थ कोरिया के 8000 सैनिक इस समय यूक्रेन की सीमा के पास रूस के कुर्स्क क्षेत्र में मौजूद हैं। ये सैनिक यूक्रेन के साथ लड़ाई में रूस की मदद करने की तैयारी कर रहे है। इसी बीच नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में रूस को 1000 से ज्यादा मिसाइलें दी हैं। इस बात की जानकारी साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री ने दी है।साउथ कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने गुरुवार को कहा कि नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन में लड़ने के लिए सैनिकों के अलावा रूस को 1,000 से अधिक मिसाइलें भेजी हैं।

इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल में ही अपने बयान में कहा था कि इस समय रूस में नॉर्थ कोरिया के 10000 सैनिक मौजूद हैं। उनमें से लगभग 8000 से ज्यादा सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया है। उन्होंने आशंका जताई है कि रूस आने वाले दिनों में इन सैनिकों का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर सकता है।

कुर्स्क रूसी इलाका है, जहां अगस्त महीने यूक्रेन की सेना घुस गई थी और बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद रूस को यहां पर अपनी सेना भेजनी पड़ी थी।पिछले कुछ सप्ताह में रूसी सेना ने कुर्स्क क्षेत्र के आधे हिस्से पर फिर से कब्जा पाने में सफलता हासिल की है, लेकिन यूक्रेनी सेना अभी इलाके में मौजूद है और रूस को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि किम जोंग उन के सैनिकों के शामिल होने से रूस को बढ़ मिल सकती है।

यूक्रेन को भारत पर क्यों है भरोसा? जेलेंस्की बोले- मोदी जंग पर असर डाल सकते हैं

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रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए 32 महीने से अधिक बीत चुके हैं। इसके बावजूद भी संघर्ष रूकने का नाम नहीं ले रहा है। अब रूस ने यूक्रेन पर फिर से हमले तेज कर दिए हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दोनों देशों से शांति की अपील कर रहे हैं। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन जंग खत्म कराने में बड़ा असर डाल सकते हैं।

यूक्रेन पीस समिट नई दिल्ली में हो- जेलेंस्की

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि दूसरी यूक्रेन पीस समिट नई दिल्ली में हो। मोदी चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। जेलेंस्की ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में ऐसा कर सकते हैं यदि वे एक निश्चित शिखर सम्मेलन आयोजित कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें उन प्रस्तावों के संदर्भ में खुद को तैयार करने की आवश्यकता है जिन पर किसी भी देश की बात सुनी जा सकती है - भारत, यूरोपीय संघ, अफ्रीकी महाद्वीप आदि के प्रस्ताव।

मोदी एक बहुत बड़े देश के प्रधानमंत्री- जेलेंस्की

जेलेंस्की ने कहा कि मोदी आबादी और इकोनॉमी के हिसाब से एक बहुत बड़े देश के प्रधानमंत्री हैं। किसी भी संघर्ष के रोकने में भारत और मोदी का बड़ा असर हो सकता है। पीएम मोदी की तरफ से यूक्रेन और रूस के बीच बातचीत कराने की संभावना पर उन्होंने कहा कि बिल्कुल, वे ऐसा कर सकते हैं।

मोदी हमारे बच्चों को वापस लाने में मदद करें- जेलेंस्की

जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने यूक्रेन के हजारों बच्चों का अपहरण कर लिया है। हम चाहते हैं कि मोदी हमारे बच्चों को वापस लाने में मदद करें। वे पुतिन से कह सकते हैं कि मुझे सिर्फ 1,000 यूक्रेनी बच्चें दें, जिसे यूक्रेन को हम लौटा देंगे। अगर मोदी ऐसा करेंगे तो हम अपने ज्यादातर बच्चे को वापस अपने लाने में सफल हो सकते हैं।

रूस ने पिछले सप्ताह यूक्रेन पर 1100 से अधिक हवाई बम दागे

राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को दावा किया है कि रूस ने पिछले सप्ताह यूक्रेन पर 1100 से अधिक निर्देशित हवाई बम दागे हैं। इसके अलावा, 560 से अधिक स्ट्राइक ड्रोन और विभिन्न प्रकार की लगभग 20 मिसाइलों की बौछार की है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि रूस यूक्रेन के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई बंद नहीं कर रहा है। रोजाना, वह विभिन्न प्रकार के हथियारों का उपयोग करके हमारे लोगों, शहरों और गांवों के खिलाफ आक्रामकता शुरू करता है। इस सप्ताह, रूस ने 1100 से अधिक निर्देशित हमले किए हैं। इनमें हवाई बम, 560 से अधिक स्ट्राइक ड्रोन और विभिन्न प्रकार की लगभग 20 मिसाइलें शामिल हैं।

सर्दी ने बढ़ाई राष्ट्रपति जेलेंस्की की टेंशन

बता दें कि कुछ दिनों में यूक्रेन और रूस में कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है। सर्दी में युद्द लड़ना दोनों देशों के सैनिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस बात को लेकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन और यूक्रेनी लोगों के लिए तीसरी कठिन सर्दी है। हम कदम-दर-कदम अपनी ऊर्जा प्रणालियों को मजबूत कर रहे हैं। हम रूस की सेना को मुहतोड़ जवाब देंगे।

'मेड इन इंडिया' तोप के गोले कैसे पहुंचे यूक्रेन? जानें रूस का रूख़

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रूस और यूक्रेन दो साल से अधिक वक्त से एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं। इस बीच भारत दोनों देशों से लगातार शांति की अपील करता आ रहा है। पिछले दिनों भारत की लगातार अपील का असर भी देखा गया, जब रूस के राष्ट्रपति ने भारत, जीन और ब्राजील से शांति स्थापित करने की पहल करने की अपील की। पुतिन ने खासकर भारत पर भरोसा जताया। हालांकि, इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जिससे भारत-रूस की दोस्ती पर असर पड़ सकता है। दरअसर, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में भारतीय तोप के गोले का इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय हथियार निर्माताओं की ओर से इन्हें यूरोप के देशों को बेचा गया था। बाद में इन्हें यूक्रेन भेज दिया गया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह खुलासा किया है।

कितनी संख्या में भारतीय गोला-बारूद यूक्रेन पहुंचे?

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में बेहद कम मात्रा में हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन ने जितने भी गोला-बारूद का आयात किया है, यह उसका एक प्रतिशत से भी कम होगा। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं चला कि यूरोपीय देशों ने ये गोला-बारूद यूक्रेन को दान में दिया या दोबारा बेचा है। बताया जा रहा है कि ये हथियार यंत्र इंडिया नामक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने बनाए हैं।

बीते एक साल से भेजे जा रहे हथियार

रिपोर्ट में सूत्रों और सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करने के लिए भारतीय हथियारों का हस्तांतरण एक साल से भी अधिक समय तक हो रहा है। बावजूद इसके कि ये नियमों के खिलाफ है। भारतीय हथियार निर्यात नियमों के मुताबिक, हथियारों का इस्तेमाल केवल खरीदने वाला ही कर सकता है। अगर हथियार दूसरे को हस्तांतरित किए जाते हैं तो भविष्य में बिक्री रोकी जा सकती है।

रूस ने जताई थी आपत्ति

रिपोर्ट में तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया है। इसमें रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और डॉ.एस जयशंकर के बीच जुलाई में हुई मीटिंग भी शामिल है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और भारत के रक्षा मंत्रालयों ने इससे जुड़े सवाल का जवाब नहीं दिया। जनवरी में भारीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत ने यूक्रेन को तोपखाने के लिए गोले नहीं बेचे हैं।

पीएम मोदी के “जेम्स बॉन्ड” अजीत डोभाल जा रहे हैं रूस, दुनियाभर में इस दौरे की चर्चा क्यों?

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करीब दो साल से अधिक समय से चली आ रही रूस-यूक्रन जंग को लेकर दुनियाभर के देश भारत की तरफ टकटकी लगाकर देख रहे हैं। इन देशों में सबसे ताकतवर श अमेरिका भी शामिल है। जो कई ये जाहिर कर चुका है कि भारत ही रूस को रोक सकता है। अभी हाल ही में खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन अहम भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन के बाद इटली की पीएम का भी मानना है कि शांति वार्ता को लेकर भारत और चीन ही मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते। इस बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस सप्ताह मास्को की यात्रा करेंगे। शांतिदूत वाला रोल निभाने को तैयार भारत के इस “दूत” के मॉस्को दौरे पर सबकी निगाहें जमी हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी जुलाई में रूस की यात्रा की थी। इसके अगले महीने ही अगस्त में पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचे। इसके बाद आए पुतिन के बयान ने साफ कर दिया है कि संघर्ष को रोकने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है।यूक्रेन की यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से कहा गया कि फोन काल के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी हाल की कीव यात्रा के बारे में बताया। इस दौरान पीएम मोदी ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से यूक्रेन समझौता करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस फोन काल के दौरान ही यह तय किया गया कि एनएसए डोभाल मॉस्को जाएंगे। खास बात यह है कि जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की थी, जो यूक्रेन का महत्वपूर्ण सहयोगी है।

एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे। इस दौरान उनका फोकस यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी। अजीत डोभाल मॉस्को में होने वाले ब्रिक्स एनएसए के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। भारत से जहां मध्यस्थ के रूप में अजीत डोभाल रहेंगे, वहीं चीन की ओर से वांग यी। चीन के एनएसए वांग यी भी उस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे, जिसमें यूक्रेन जंग सबसे अहम मुद्दा होगा।

यहां खास बात है कि अजित डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है।एनएसए अजीत डोभाल रूस यात्रा के दौरान चीन और ब्राजील समेत अपने ब्रिक्स समकक्षों से मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे यह समूह संघर्ष को समाप्त करने में पहल कर सता है।

क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध? शांति वार्ता को लेकर पुतिन का बड़ा बयान, जानें क्यों लिया भारत का नाम

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रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से लगातार लड़ाई जारी है। दोनों देशों का इस जंग में जानमाल का भारी नुकसान हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से दोनों तरफ से हमले और तेज हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग कब खत्म होगी? इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नर्म पड़के दिख रहे हैं। दरअसर, पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए भारत, चीन और ब्राजील मध्यस्थता कर सकते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक प्रारंभिक समझौता, जो कभी लागू नहीं हुआ, वार्ता के लिए आधार बन सकता है। पुतिन ने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने ये बातें ईस्टर्न इकॉमिक फोरम में कही।

पुतिन ने हालांकि इस दौरान यूक्रेन पर गुस्सा भी दिखाया और कहा कि यूक्रेनी सेना की कुर्स्क में घुसपैठ का उद्देश्य डोनबास में रूसी बढ़त को धीमा करना था लेकिन वह इसमें फेल रहा क्योंकि इसके लिए कीव ने बाकी मोर्चे पर अपनी सेना को कमजोर कर लिया।

बता दें कि पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में युद्धग्रस्त यूक्रेन और इससे पहले रूस का दौरा किया था।पीएम मोदी की ये दोनों यात्राएं काफी महत्वपूर्ण थीं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय थी।रूस और यूक्रेन की यात्रा के दौरान भारत की ओर से भी ये कहा गया था कि वह शांति की किसी भी पहल में भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। कई बार रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की कोशिश की गई है, लेकिन पुतिन के इन शांति वार्ताओं में शामिल न होने के चलते इन बैठकों का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया। अब खुद पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। रूसी राष्ट्रपति की ओर से भी मध्यस्थ के लिए जिन तीन देशों पर भरोसा जताया गया है, उनमें चीन और ब्राजील के साथ भारत का नाम है।

पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से की बात, 'यूक्रेन यात्रा से साझा कीं जानकारियां'

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Photo: AFP file

कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात के कुछ दिनों बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की।

“आज राष्ट्रपति पुतिन से बात की। विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की। रूस-यूक्रेन संघर्ष और यूक्रेन की हालिया यात्रा पर मेरी अंतर्दृष्टि पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। प्रधान मंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई।

यूक्रेन में भीषण युद्ध के बीच ज़ेलेंस्की से मुलाकात के कुछ दिनों बाद प्रधान मंत्री की टेलीफोन पर बातचीत हुई। यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा था कि भारत "तटस्थ" नहीं है क्योंकि वह हमेशा शांति के पक्ष में है। “हम (भारत) तटस्थ नहीं हैं। हमने शुरू से ही एक पक्ष लिया है,और हमने शांति का पक्ष चुना है। हम बुद्ध की भूमि से आए हैं जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है, ”प्रधानमंत्री ने कहा।

उन्होंने कहा, "मैं आपको और पूरे वैश्विक समुदाय को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।"

पिछले महीने मोदी ने मॉस्को का दौरा किया था और यूक्रेन-संघर्ष पर भारत के रुख को दोहराते हुए पुतिन से मुलाकात की थी। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति को बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने के लिए प्रेरित करते हुए कहा था कि "युद्ध के मैदान पर कोई समाधान नहीं खोजा जा सकता है।"

रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी है

रूस-यूक्रेन युद्ध अपने दूसरे वर्ष में है और इसके जल्द ख़त्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। एपी की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को रूस ने पूरे यूक्रेन में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और राजधानी कीव के बाहरी इलाके में आग लग गई। शहर के सैन्य प्रशासन के प्रमुख ऑलेक्ज़ेंडर विलकुल ने कहा, यूक्रेन के दक्षिण में एक खनन और औद्योगिक शहर क्रिवी रिहस्ट्रक में एक आवासीय इमारत पर हमले में दो लोगों की मौत हो गई।

कीव क्षेत्र में, जो सोमवार के हमले के बाद ब्लैकआउट से जूझ रहा था, रात के दौरान पांच हवाई अलर्ट बुलाए गए थे। क्षेत्रीय प्रशासन ने कहा कि हवाई सुरक्षा ने रूस द्वारा दागे गए सभी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर दिया, लेकिन मलबे के गिरने से जंगल में आग लग गई।

देखना यह है की पीएम मोदी के इस दौरे का दोनों देशों और उनके भारत के साथ संबंधों पर क्या असर होता है। इससे दोनों राष्ट्रपतियों के विचार में कितना परिवर्तन आएगा और युद्ध को शांतिपूर्ण समापन मिलेगा या नहीं।