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WestBengalBangla

May 09 2024, 10:10

গুরুতর পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের পরে বড় সিদ্ধান্ত, 'কোভিশিল্ড' তৈরিকারী সংস্থার
এসবি নিউজ ব্যুরো: পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের পরে সারা বিশ্ব থেকে তাদের ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করবে, বিক্রি এবং উৎপাদন বন্ধ করল 'কোভিশিল্ড' তৈরিকারী সংস্থা। বিশ্বের শীর্ষস্থানীয় ফার্মা কোম্পানি AstraZeneca, যেটি করোনার ভ্যাকসিন দেওয়ার পরে গুরুতর পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের সম্মুখীন হয়েছে। তাই তারা বাজার থেকে করোনার সব ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করেছে। এর মধ্যে ভারতে তৈরি Covishield ভ্যাকসিনও রয়েছে। কোম্পানিটি মঙ্গলবার তা করবে বলে জানিয়েছে বিশ্বব্যাপী প্রত্যাহার। এর আগে কোম্পানিটি ভ্যাকসিনের পার্শ্বপ্রতিক্রিয়াও স্বীকার করেছিল, তবে ফার্মা জায়ান্ট বলছে যে অন্য কোনো কারণে ভ্যাকসিনটি বাজার থেকে সরানো হচ্ছে। AstraZeneca দ্বারা নির্মিত করোনা ভ্যাকসিন ভারতে Covishield নামে চালু করা হয়েছিল। এখন সংস্থাটি বিশ্বব্যাপী তার স্ব-নির্মিত কোভিড -19 ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করেছে। এর আগে প্রতিষ্ঠানটি আদালতে নথিপত্রে তা স্বীকার করেছিলতার তৈরি করোনা ভ্যাকসিন গ্রহণ করলে রক্ত জমাট বাঁধার মতো মারাত্মক পার্শ্বপ্রতিক্রিয়া হতে পারে। তবে ফার্মা জায়ান্ট জানিয়েছে, বাণিজ্যিক কারণে বাজার থেকে ভ্যাকসিন সরিয়ে নেওয়া হচ্ছে। মঙ্গলবার কোম্পানির বরাত দিয়ে টেলিগ্রাফ জানিয়েছে যে ভ্যাকসিনটি আর তৈরি বা সরবরাহ করা হচ্ছে না। কোম্পানির তরফে যুক্তি দেওয়া হয়েছে যে আমরা এমন সময়ে এই সিদ্ধান্ত নিয়েছি যখন টিকা দেওয়ার ঝুঁকি রয়েছে।প্রভাব দেখা দিয়েছে। এটা সম্পূর্ণ কাকতালীয়। বাজার থেকে ভ্যাকসিন সরানোর কারণ অন্য কিছু। তবে এ বিষয়ে এর বেশি কিছু বলতে রাজি হয়নি প্রতিষ্ঠানটি। তথ্য অনুযায়ী, বাজার থেকে ভ্যাকসিন প্রত্যাহারের আবেদন করা হয়েছিল ৫ মার্চ, যা কার্যকর হয় ৭ মে। এটি লক্ষণীয় যে AstraZeneca দ্বারা নির্মিত করোনা ভ্যাকসিন টিটিএস - থ্রম্বোসিস থ্রম্বোসাইটোপেনিয়া সিন্ড্রোম সৃষ্টি করে।AstraZeneca দ্বারা তৈরি Vaxzevria ভ্যাকসিনটি যুক্তরাজ্য সহ অনেক দেশে সরবরাহ করা হয়েছিল এবং এই ভ্যাকসিনটি বিরল পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার জন্যও তদন্তাধীন। এই কারণে, অসুস্থ ব্যক্তি রক্ত জমাট বাঁধা এবং কম প্লেটলেট সংখ্যার অভিযোগ করেছেন। ফেব্রুয়ারিতে আদালতের কার্যক্রম চলাকালীন, কোম্পানিটি স্বীকার করেছিল যে টিকা দেওয়ার পরে টিটিএস হওয়ার সম্ভাবনা রয়েছে। টিটিএসের কারণে যুক্তরাজ্যে অন্তত ৮১ জনের মৃত্যু ঘটেছে। কোম্পানিটি যারা মারা গেছে তাদের 50 টিরও বেশি আত্মীয়ের দায়ের করা মামলার মুখোমুখি হচ্ছে। ভারতের কিছু পরিবার কোম্পানির বিরুদ্ধে মামলা করেছে। অ্যাস্ট্রাজেনেকা গণমাধ্যমকে বলেছেন, “আমরা বিশ্বব্যাপী মহামারী শেষ করতে সাহায্য করার জন্য আমাদের করোনা ভ্যাকসিন নিয়ে গর্বিত। একটি অনুমান অনুসারে, এটি শুধুমাত্র ব্যবহারের প্রথম বছরে 6.5 মিলিয়নেরও বেশি জীবন বাঁচিয়েছে এবং বিশ্বব্যাপী এটি তিন বিলিয়ন বিক্রি করেছে আরও ডোজ সরবরাহ করা হয়েছিল। "আমাদের প্রচেষ্টা সারা বিশ্বের সরকার দ্বারা স্বীকৃত হয়েছে এবং ব্যাপক বৈশ্বিক মহামারী শেষ করতে একটি অভূতপূর্ব অবদান রেখেছে।"

India

May 08 2024, 10:03

*एस्ट्राजेनेका का बड़ा फैसला, दुनियाभर से कोरोना वैक्सीन वापस मंगाई गई
#astrazeneca_withdrawing_corona_vaccine सुरक्षा को लेकर उपजे विवाद के बीच दिग्गज दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वापस लेनी शुरू की है।कंपनी ने कहा है कि वह दुनियाभर से अपनी वैक्सजेवरिया वैक्सीन को वापस मंगा रही है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही फर्मास्‍यूटिकल कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में वैक्‍सीन के खतरनाक साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। इसके बाद कंपनी की ओर से यह कदम उठाया गया है।हालांकि, इसके लिए एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट का तर्क नहीं दिया है बल्कि मार्केट में आई अपडेटेड वैक्सीन का हवाला दिया। साथ ही साथ कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन की मांग कम हो गई है। दिग्‍गज दवा निर्माता कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की एक अदालत में कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। 50 से ज्‍यादा लोगों ने एस्‍ट्राजेनेका की ओर से विकसित कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन वैक्‍सजेव्रिया को लेकर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कंपनी का कहना है कि वैक्सजेव्रिया वैक्‍सीन का साइड इफेक्‍ट रेयर है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ के अनुसार, वैक्सीन वापस लेने के लिए कंपनी का आवेदन 5 मार्च को किया गया था और 7 मई को प्रभावी हुआ। कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी। एस्ट्राजेनेका ने कहा, ‘चूंकि कई प्रकार की कोविड वैक्सीन विकसित की गई हैं इसलिए उपलब्ध अपडेटेड टीकों की संख्या अधिक है। इससे वैक्सजेवरिया वैक्सीन की मांग में गिरावट आई है। इसकी वजह से अब इसकी मैन्युफैक्चरिंग या सप्लाई नहीं की जा रही है। ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका का यह कदम ऐसे वक्त सामने आया है, जब कंपनी ने बीते दिनों ही स्वीकार किया है कि कुछ मामलों में कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आए हैं और इसकी वजह से कुछ लोगों में थ्रंबोसिस थ्रंबोसाइटोपीनिया सिंड्रोम बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिसमें लोगों में खून के थक्के जमने लग जाते हैं। एस्ट्राजेनेका कंपनी कोविड वैक्सीन को लेकर कई मुकदमों का सामना कर रही है। आरोप है कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद कई लोगों की जान गई है। जैमी स्कॉट नामक एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। स्कॉट का आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर में खून के थक्के जमने की समस्या हुई और दिमाग में भी ब्लीडिंग हुई। इससे उसके मस्तिष्क को नुकसान हुआ। ऐसे ही कंपनी के खिलाफ 50 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। कंपनी ने भी कोर्ट में लिखित दस्तावेजों में स्वीकार किया कि कोरोना वैक्सीन के कुछ दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। बता दें कि यूके स्थित फार्मा कंपनी ने भारत सरकार को वैक्सीन देने के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से हाथ मिलाया। सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन का निर्माण किया। भारत में 80 फीसदी लोगों को कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात सामने आने के बाद देश में कई सवाल खड़े किए गए और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की गई। इस बीच पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जांच के लिए एक मेडिकल एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई।

India

Apr 30 2024, 11:25

एस्ट्राजेनेका ने कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात मानी, इस बीमारी का बढ़ सकता है खतरा

#astrazenecaadmitsthatitscoronavaccinecancauseside_effects

कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञनिकों ने कई वैक्सीन की खोज की। जिसके बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि, कई बार कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।  

कंपनी कोर्ट में एक मुकदमे का सामना कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इससे मौत का खतरा है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो बच्चों के पिता एमी स्कॉट ने पिछले साल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद उनके शरीर में खून का थक्का जम गया था, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गए थे। अप्रैल 2021 में टीका लगने के बाद उन्हें मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई थी। दिमाग में यह चोट खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट की वजह से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय में इस तरह के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें पीड़ितों ने मुआवजे के रूप में एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी

यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था।

टीटीएस कौन सी बीमारी है

फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित की है। ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। अब सवाल उठता है कि टीटीएस यानी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम क्या है। टीटीएस शरीर में खून में थक्के जमने यानी ब्लड क्लॉट की वजह बन रही है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट जैसे जानलेवा खतरे बढ़ते हैं। इसके अलावा इस सिंड्रोम की वजह से प्लेटलेट्स काउंट भी गिर सकता है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण

• हार्ट अटैक के लक्षण

• नाक, मसूड़ों या महिलाओं में पीरियड के दौरान ज्यादा खून आना

• यूरीन में ब्लड आना

• स्किन पर बैंगनी-लाल रंग के दाने होना, जिसे पेटीचिया भी कहते हैं

 

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई दिनों या सालों तक रह सकता है। इस बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसका इलाज होता है। अगर यह समस्या किसी दवा या वैक्सीन से हुआ है तो डॉक्टर जांच के आधार पर इलाज करते हैं। जब प्लेटलेट का लेवल काफी कम हो जाता है, तब डॉक्टर खोए ब्लड को पैक्ड लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स के बदल सकते हैं। अगर मरीज की कंडीशन इम्यून सिस्टम की समस्या से जु़ड़ी है तो डॉक्टर प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए दवाईयां लिख सकते हैं।

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May 09 2024, 10:10

গুরুতর পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের পরে বড় সিদ্ধান্ত, 'কোভিশিল্ড' তৈরিকারী সংস্থার
এসবি নিউজ ব্যুরো: পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের পরে সারা বিশ্ব থেকে তাদের ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করবে, বিক্রি এবং উৎপাদন বন্ধ করল 'কোভিশিল্ড' তৈরিকারী সংস্থা। বিশ্বের শীর্ষস্থানীয় ফার্মা কোম্পানি AstraZeneca, যেটি করোনার ভ্যাকসিন দেওয়ার পরে গুরুতর পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার অভিযোগের সম্মুখীন হয়েছে। তাই তারা বাজার থেকে করোনার সব ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করেছে। এর মধ্যে ভারতে তৈরি Covishield ভ্যাকসিনও রয়েছে। কোম্পানিটি মঙ্গলবার তা করবে বলে জানিয়েছে বিশ্বব্যাপী প্রত্যাহার। এর আগে কোম্পানিটি ভ্যাকসিনের পার্শ্বপ্রতিক্রিয়াও স্বীকার করেছিল, তবে ফার্মা জায়ান্ট বলছে যে অন্য কোনো কারণে ভ্যাকসিনটি বাজার থেকে সরানো হচ্ছে। AstraZeneca দ্বারা নির্মিত করোনা ভ্যাকসিন ভারতে Covishield নামে চালু করা হয়েছিল। এখন সংস্থাটি বিশ্বব্যাপী তার স্ব-নির্মিত কোভিড -19 ভ্যাকসিন প্রত্যাহার করেছে। এর আগে প্রতিষ্ঠানটি আদালতে নথিপত্রে তা স্বীকার করেছিলতার তৈরি করোনা ভ্যাকসিন গ্রহণ করলে রক্ত জমাট বাঁধার মতো মারাত্মক পার্শ্বপ্রতিক্রিয়া হতে পারে। তবে ফার্মা জায়ান্ট জানিয়েছে, বাণিজ্যিক কারণে বাজার থেকে ভ্যাকসিন সরিয়ে নেওয়া হচ্ছে। মঙ্গলবার কোম্পানির বরাত দিয়ে টেলিগ্রাফ জানিয়েছে যে ভ্যাকসিনটি আর তৈরি বা সরবরাহ করা হচ্ছে না। কোম্পানির তরফে যুক্তি দেওয়া হয়েছে যে আমরা এমন সময়ে এই সিদ্ধান্ত নিয়েছি যখন টিকা দেওয়ার ঝুঁকি রয়েছে।প্রভাব দেখা দিয়েছে। এটা সম্পূর্ণ কাকতালীয়। বাজার থেকে ভ্যাকসিন সরানোর কারণ অন্য কিছু। তবে এ বিষয়ে এর বেশি কিছু বলতে রাজি হয়নি প্রতিষ্ঠানটি। তথ্য অনুযায়ী, বাজার থেকে ভ্যাকসিন প্রত্যাহারের আবেদন করা হয়েছিল ৫ মার্চ, যা কার্যকর হয় ৭ মে। এটি লক্ষণীয় যে AstraZeneca দ্বারা নির্মিত করোনা ভ্যাকসিন টিটিএস - থ্রম্বোসিস থ্রম্বোসাইটোপেনিয়া সিন্ড্রোম সৃষ্টি করে।AstraZeneca দ্বারা তৈরি Vaxzevria ভ্যাকসিনটি যুক্তরাজ্য সহ অনেক দেশে সরবরাহ করা হয়েছিল এবং এই ভ্যাকসিনটি বিরল পার্শ্বপ্রতিক্রিয়ার জন্যও তদন্তাধীন। এই কারণে, অসুস্থ ব্যক্তি রক্ত জমাট বাঁধা এবং কম প্লেটলেট সংখ্যার অভিযোগ করেছেন। ফেব্রুয়ারিতে আদালতের কার্যক্রম চলাকালীন, কোম্পানিটি স্বীকার করেছিল যে টিকা দেওয়ার পরে টিটিএস হওয়ার সম্ভাবনা রয়েছে। টিটিএসের কারণে যুক্তরাজ্যে অন্তত ৮১ জনের মৃত্যু ঘটেছে। কোম্পানিটি যারা মারা গেছে তাদের 50 টিরও বেশি আত্মীয়ের দায়ের করা মামলার মুখোমুখি হচ্ছে। ভারতের কিছু পরিবার কোম্পানির বিরুদ্ধে মামলা করেছে। অ্যাস্ট্রাজেনেকা গণমাধ্যমকে বলেছেন, “আমরা বিশ্বব্যাপী মহামারী শেষ করতে সাহায্য করার জন্য আমাদের করোনা ভ্যাকসিন নিয়ে গর্বিত। একটি অনুমান অনুসারে, এটি শুধুমাত্র ব্যবহারের প্রথম বছরে 6.5 মিলিয়নেরও বেশি জীবন বাঁচিয়েছে এবং বিশ্বব্যাপী এটি তিন বিলিয়ন বিক্রি করেছে আরও ডোজ সরবরাহ করা হয়েছিল। "আমাদের প্রচেষ্টা সারা বিশ্বের সরকার দ্বারা স্বীকৃত হয়েছে এবং ব্যাপক বৈশ্বিক মহামারী শেষ করতে একটি অভূতপূর্ব অবদান রেখেছে।"

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May 08 2024, 10:03

*एस्ट्राजेनेका का बड़ा फैसला, दुनियाभर से कोरोना वैक्सीन वापस मंगाई गई
#astrazeneca_withdrawing_corona_vaccine सुरक्षा को लेकर उपजे विवाद के बीच दिग्गज दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वापस लेनी शुरू की है।कंपनी ने कहा है कि वह दुनियाभर से अपनी वैक्सजेवरिया वैक्सीन को वापस मंगा रही है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही फर्मास्‍यूटिकल कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में वैक्‍सीन के खतरनाक साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। इसके बाद कंपनी की ओर से यह कदम उठाया गया है।हालांकि, इसके लिए एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट का तर्क नहीं दिया है बल्कि मार्केट में आई अपडेटेड वैक्सीन का हवाला दिया। साथ ही साथ कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन की मांग कम हो गई है। दिग्‍गज दवा निर्माता कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की एक अदालत में कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। 50 से ज्‍यादा लोगों ने एस्‍ट्राजेनेका की ओर से विकसित कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन वैक्‍सजेव्रिया को लेकर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कंपनी का कहना है कि वैक्सजेव्रिया वैक्‍सीन का साइड इफेक्‍ट रेयर है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ के अनुसार, वैक्सीन वापस लेने के लिए कंपनी का आवेदन 5 मार्च को किया गया था और 7 मई को प्रभावी हुआ। कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी। एस्ट्राजेनेका ने कहा, ‘चूंकि कई प्रकार की कोविड वैक्सीन विकसित की गई हैं इसलिए उपलब्ध अपडेटेड टीकों की संख्या अधिक है। इससे वैक्सजेवरिया वैक्सीन की मांग में गिरावट आई है। इसकी वजह से अब इसकी मैन्युफैक्चरिंग या सप्लाई नहीं की जा रही है। ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका का यह कदम ऐसे वक्त सामने आया है, जब कंपनी ने बीते दिनों ही स्वीकार किया है कि कुछ मामलों में कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आए हैं और इसकी वजह से कुछ लोगों में थ्रंबोसिस थ्रंबोसाइटोपीनिया सिंड्रोम बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिसमें लोगों में खून के थक्के जमने लग जाते हैं। एस्ट्राजेनेका कंपनी कोविड वैक्सीन को लेकर कई मुकदमों का सामना कर रही है। आरोप है कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद कई लोगों की जान गई है। जैमी स्कॉट नामक एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। स्कॉट का आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर में खून के थक्के जमने की समस्या हुई और दिमाग में भी ब्लीडिंग हुई। इससे उसके मस्तिष्क को नुकसान हुआ। ऐसे ही कंपनी के खिलाफ 50 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। कंपनी ने भी कोर्ट में लिखित दस्तावेजों में स्वीकार किया कि कोरोना वैक्सीन के कुछ दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। बता दें कि यूके स्थित फार्मा कंपनी ने भारत सरकार को वैक्सीन देने के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से हाथ मिलाया। सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन का निर्माण किया। भारत में 80 फीसदी लोगों को कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात सामने आने के बाद देश में कई सवाल खड़े किए गए और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की गई। इस बीच पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जांच के लिए एक मेडिकल एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई।

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Apr 30 2024, 11:25

एस्ट्राजेनेका ने कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात मानी, इस बीमारी का बढ़ सकता है खतरा

#astrazenecaadmitsthatitscoronavaccinecancauseside_effects

कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञनिकों ने कई वैक्सीन की खोज की। जिसके बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि, कई बार कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।  

कंपनी कोर्ट में एक मुकदमे का सामना कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इससे मौत का खतरा है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो बच्चों के पिता एमी स्कॉट ने पिछले साल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद उनके शरीर में खून का थक्का जम गया था, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गए थे। अप्रैल 2021 में टीका लगने के बाद उन्हें मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई थी। दिमाग में यह चोट खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट की वजह से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय में इस तरह के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें पीड़ितों ने मुआवजे के रूप में एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी

यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था।

टीटीएस कौन सी बीमारी है

फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित की है। ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। अब सवाल उठता है कि टीटीएस यानी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम क्या है। टीटीएस शरीर में खून में थक्के जमने यानी ब्लड क्लॉट की वजह बन रही है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट जैसे जानलेवा खतरे बढ़ते हैं। इसके अलावा इस सिंड्रोम की वजह से प्लेटलेट्स काउंट भी गिर सकता है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण

• हार्ट अटैक के लक्षण

• नाक, मसूड़ों या महिलाओं में पीरियड के दौरान ज्यादा खून आना

• यूरीन में ब्लड आना

• स्किन पर बैंगनी-लाल रंग के दाने होना, जिसे पेटीचिया भी कहते हैं

 

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई दिनों या सालों तक रह सकता है। इस बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसका इलाज होता है। अगर यह समस्या किसी दवा या वैक्सीन से हुआ है तो डॉक्टर जांच के आधार पर इलाज करते हैं। जब प्लेटलेट का लेवल काफी कम हो जाता है, तब डॉक्टर खोए ब्लड को पैक्ड लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स के बदल सकते हैं। अगर मरीज की कंडीशन इम्यून सिस्टम की समस्या से जु़ड़ी है तो डॉक्टर प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए दवाईयां लिख सकते हैं।