हाथरस में बंदरों की मौत का मामला: एफसीआई गोदाम में 145 बंदरों की मौत, जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एफसीआई के एक गोदाम में गेहूं में मिलाया जाने वाला पदार्थ खाकर बड़ी संख्या में बंदरों की मौत हो गई. एफसीआई गोदाम के कर्मियों ने बिना प्रशासन को सूचित किए, इन बंदरों के शवों को गोदाम परिसर में ही गड्ढा खुदवाकर दफन करा दिया. इस घटना को लेकर कुछ हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता को जानकारी हुई तो उन्होंने एफसीआई गोदाम पर जाकर हंगामा किया और कार्रवाई की मांग की है.

वहीं इस मामले की जैसे ही प्रशासन को जानकारी मिली तो एडीएम सदर, एसडीएम सदर, सीओ सिटी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए. अधिकारियों ने जब गोदाम के कर्मचारियों से पूछताछ की गई. वहीं, एफसीआई के गोदाम में टेक्नीशियन के पद पर तैनात एक कर्मचारी ने 145 बंदरों की मौत की बात प्रशासनिक अधिकारियों के सामने कही है. और बिना प्रशासन को सूचित किए इन बंदरों को गोदाम परिसर में ही दफना दिया गया था. वहीं गोदाम के इंचार्ज ने कहा कि मृतक बंदरों की आत्मा की शांति के लिए शनिवार को वह अपनी ओर से परिसर में सुंदरकांड का पाठ कराएंगे.

मामले की जांच के आदेश

प्रशासनिक अधिकारी पूरे मामले की जांच पड़ताल में जुट गए. अधिकारियों ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है और यदि जरूरत होगी तो जहां बंदरों के शव को दफनाया गया है उस जगह की खुदाई भी कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो बंदरों का पोस्टमार्टम भी कराया जाएगा. प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि कहीं न कहीं लापरवाही तो हुई है.

आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

इस मामले में हाथरस नगर पालिका परिषद की चेयरमैन के पति तथा पूर्व सांसद राजेश दिवाकर भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि मामले में लापरवाही तो हुई है जिसके संबंध में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा. उन्होंने यह भी बताया है कि नगर पालिका की ओर से शीघ्र बंदरों को पकड़ने की कार्रवाईकराईजाएगी.

दिल्ली में सोलर क्रांति: मुख्यमंत्री आतिशी ने शुरू किया सोलर पोर्टल, 2026 तक 25% बिजली सोलर से हासिल करने का लक्ष्य

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोलर पोर्टल शुरू करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने हमेशा क्लीन नॉन पोल्यूटिंग एनर्जी पर फोकस रखा है. सरकार की मंशा दिल्ली में प्रदूषण को कम करना और सोलर बिजली की खपत को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने 14 मार्च 2024 को अपनी सोलर पालिसी जारी की थी. दिल्ली सरकार 2026 तक खपत होने वाली कुल बिजली का 25% हिस्सा नॉन रिन्यूवल एनर्जी से हासिल कर लेना चाहती है. जिसमें 750 MW बिजली रूफ टॉप सोलर पैनल से आए.

सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले ही तय कर लिया था कि सरकारी इमारतों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाएगी, अब इसका काम तेज गति से चल रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पोर्टल पर रूफ टॉप सोलर लगाने आने वाले वेंडर की डिटेल और रेट लिस्ट भी मौजूद है. यह पोर्टल सिंगल विंडो ऑफ इनफार्मेशन के लिए है. अगर आपके सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली आपकी खपत से ज्यादा है तो दिल्ली सरकार आपको 3 रुपये पर यूनिट बिजली के हिसाब से पैसे भी देगी.

रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने की कोशिश

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2027 तक दिल्ली में एक एनर्जी का एक बड़ा हिस्सा नॉन पोल्यूटिंग एनर्जी सिस्टम से पैदा करना है. 750 मेगावाट बिजली हम रूफटॉप सोलर से बना सकते हैं. रूफटॉप सोलर लोग अपने घरों पर लगा सकते हैं. इसकी काफी मांग थी. दिल्ली में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने घरों पर सोलर पैनल लगा सकता है.

सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली सोलर पॉलिसी क्या है? इसे लगाया कैसे जा सकता है? इस सोलर पॉलिसी से क्या फायदा मिलेगा? इन सब सवालों का जवाब पोर्टल पर मिलेगा. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति रूफ टॉप सोलर पैनल लगाएगा नेट मीटरिंग के लिए भी एलिजिबल होंगे.

सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने होंगे

उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के जरिए किसी भी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. छत पर कितनी सोलर एनर्जी जनरेट हो सकती है और कितने वॉट के सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं, वह जानकारी भी इसी सोलर पोर्टल के जरिए मिलेगी. इस पॉलिसी से सिर्फ आपका बिजली बिल का बिल जीरो नहीं होगा बल्कि आप इसके जरिए पैसे भी कमा सकते हैं. अगर लोग ज्यादा बिजली सोलर पैनल के जरिए बनाएंगे तो दिल्ली सरकार इंसेंटिव भी देगी.

स्वामी रामभद्राचार्य फिर अस्पताल में भर्ती, देहरादून के सिनर्जी हॉस्पिटल में चल रहा इलाज

तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य की छाती में संक्रमण हो गया है. उन्हें देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में मंगलवार को भर्ती कराया गया है. उनकी जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि रामभद्राचार्य के स्वास्थ्य को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. उनकी छाती में हुए संक्रमण का इलाज किया जा रहा है. वैसे भी रामभद्राचार्य डायबिटिज और हार्ट के रोगी हैं और वह हर छह महीने पर रूटीन चेकिंग के लिए देहरादून आते हैं. अस्पताल के डॉ. कृष्ण अवतार के मुताबिक फिलहाल उन्हें सांस लेने में दिक्कत की थी.

उपचार के बाद उन्हें अब राहत है. जानकारी के मुताबिक, रामभद्राचार्य को पहले से डायबिटिज है. इधर, मौसम बदलने की वजह से उन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत होने लगी थी. ऐसे हालात में उन्हें देहरादून के सिनर्जी अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने उनकी हालत देखकर भर्ती कर लिया है. सभी तरह की जांच कराने के बाद सिनर्जी अस्पताल के एमडी डॉ. कृष्ण अवतार ने बताया कि उनकी छाती में संक्रमण की वजह से सांस लेने में दिक्कत हुई थी.

सुगर के मरीज हैं रामभद्राचार्य

अब अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्हें राहत मिल गई है. इसके अलावा उनके डायबिटिज और हार्ट की जांच का भी समय हो गया था. डॉक्टरों के मुताबिक जांच में सबकुछ ठीक पाया गया है. ऐसे में जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. उधर, रामभद्राचार्य की तबियत खराब होने की खबर से उनसे जुड़े भक्तों को चिंता सताने लगी थी.

जल्द पहुंचेंगे चित्रकूट

लोग तुलसी पीठ में फोन कर उनका हालचाल ले रहे थे. बड़ी संख्या में लोग उनके आश्रम भी पहुंच गए. ऐसे में रामभद्राचार्य ने अपने शुभचिंतकों को परेशान नहीं होने का संदेश दिया है. उनके शुभचिंतकों तक पहुंचाई जा रही खबर में बताया गया है कि उनकी तबियत पहले से बेहतर है और जल्द ही वह डिस्चार्ज होकर चित्रकूट पहुंच जाएंगे.

दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए बड़ा फैसला: 50% सरकारी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे

राजधानी दिल्ली में कल यानि 21 नवंबर से 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे. बढ़ते प्रदूषण और GRAP-4 लागू होने पर दिल्ली सरकार ने ये फैसला लिया है. दिल्ली सरकार और MCD की जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी ऑफिस के कर्मचारी 50 प्रतिशत कैपिसिटी के साथ काम करेंगे. दिल्ली सरकार ने प्राइवेट कंपनियों के लिए भी 50 प्रतिशत कैपेसिटी के साथ ऑफिस चलाने के निर्देश दिए हैं.

बता दें कि दिल्ली नगर निगम (MCD) सहित दिल्ली सरकार के लगभग 80 विभागों और विभिन्न एजेंसियों में लगभग 1.4 लाख लोग काम करते हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को एक्स पर ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार के कार्यालयों के 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करेंगे. गोपाल राय ने प्राइवेट कंपनियों, उद्योगों और व्यवसायों से भी शहर के वायु प्रदूषण संकट को कम करने में मदद के लिए इसी तरह के उपाय लागू करने का आग्रह किया.

कर्मचारियों के लिए बस सेवाएं दें कंपनियां

गोपाल राय ने सुझाव दिया कि प्राइवेट कंपनियां व्यस्त समय के दौरान वाहनों की भीड़ को कम करने के मद्देनजर ऑफिस समय को सुबह 10:30 से 11:00 बजे के बीच करने पर विचार करें. उन्होंने कहा कि ऑफिस समय को समायोजित करने से न केवल ट्रैफिक का दबाव कम होगा, बल्कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर भी अंकुश लगेगा. वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने बड़ी कंपनियों को कर्मचारियों के लिए बस सेवा की व्यवस्था करने की सलाह दी.

आज दिल्ली का AQI 426 दर्ज किया गया

गोपाल राय ने कहा कि हम प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने का फैसला इसी प्रयास का हिस्सा है. हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा. दिल्ली में बुधवार को भी जहरीली हवा और प्रदूषण चरम पर रहा. दिल्ली में आज AQI 426 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में है. इसके अलावा बीती रात को दिल्ली में इस मौसम की अब तक की सबसे सर्द रात दर्ज की गई.

बीपी के मरीजों के लिए नई दवा की उम्मीद: एम्स की स्टडी में 70 फीसदी मरीजों में दिखा असर

बीपी के मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर है. दरअसल एम्स और इंपीरियल लंदन की रिसर्च टीम ने दो दवाओं के कॉम्बिनेशन से एक सिंगल डोज दवाई तैयार किया है जो कि बीपी को कंट्रोल कर सकता है. स्टडी में दावा किया गया है कि अनकंट्रोल ब्लड प्रेशर के लिए ये काफी प्रभावशाली है.

स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि यह कॉम्बेनिशेन बीपी के 70 फीसदी मरीजों में कारगर पाई गई. वहीं पहले की तुलना में यह दवा पांच गुना अधिक फायदेमंद साबित हुई है. स्टडी को इंटरनैशनल जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी कार्डियोवैस्कुलर रिस्त एंड प्रिवेंशन ने अपने हाल के अंक में प्रकाशित किया है.

इस स्टडी का महत्व कितना बड़ा है?

ICMR-इंडिया डायबिटीज की स्टडी कहती हैं कि भारत में 3 करोड़ 15 लाख लोग हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट हैं. बीपी से कई दूसरी बीमारियां भी होती है, जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक वगैरह. ठंड में तो ये और बढ़ जाती है. इसलिए इसे काबू करना अहम है.

1,981 लोगों पर आधारित एम्स की स्टडी भारत के 35 जगहों पर की गई जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल थे. भाग लेने वाले मरीजों की उम्र 30 से 79 वर्ष के बीच थी. और ये पहली बार भी है कि इस भारत की जनसंख्या के लिए इस तरह की रिसर्च की गई है.

मार्केट में बीपी की कई दवाएं मौजूद है. दो दवाओं के कॉम्बिनेशन से बनी डोजा भी दी जाती है. मगर अभी तक इस पर स्टडी नहीं की गई थी कौन सी दवा किस मरीज पर कारगर है. इससे पहले अफ्रीकन कॉम्बिनेशन वाली डोज की मदद से इलाज किया जाता था. इसलिए इस स्टडी की मदद से डॉक्टरों को हाई बीपी के इलाज के लिए सही कॉम्बिनेशन चुनने में मदद मिलेगी.

70 फीसदी मरीजों का बीपी हुआ कंट्रोल

इस स्टडी में तीन प्रमुख कॉमन कॉम्बिनेशन दवा का इस्तेमाल किया गया. एमलोडिपाइन+पेरिंडोप्रिल, एमलोडिपाइन+ इंडापामाइड और पेरिंडोप्रिल+इंडापामाइड. रिसर्च के मुताबिक सिंगल पिल से 70 फीसदी मरीजों में बीपी कंट्रोल करने में सफलता मिली. लगभग 70 फीसदी मरीजों का बीपी <140/90 mmHg तक पहुंच गया जो कि भारत की मौजूदा कंट्रोल की दर से 5 गुना बेहतर है. 3 फीसदी से भी कम लोगों ने साइड इफेक्ट्स के कारण दवा छोड़ी.

कर्नाटक में नक्सली विक्रम गौड़ा का एनकाउन्टर: पुलिस की बड़ी सफलता

कर्नाटक के उडुपी जिले में एएनएफ यानि एंटी-नक्सल फोर्स ने 46 साल के एक खतरनाक नक्सली को मार गिराया. अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नक्सली विक्रम गौड़ा करकला तालुक के ईडू गांव का रहने वाला था. राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि एएनएफ इस नक्सली को करीब 20 साल से पकड़ने की कोशिश में जुटा हुआ था. आंतरिक सुरक्षा की पुलिस महानिरीक्षक डी रूपा मौदगिल ने बताया कि विक्रम गौड़ा नक्सलियों के ‘कबिनी 2’ समूह का नेतृत्व करता था.

उन्होंने कहा कि विक्रम गौड़ा के खिलाफ कर्नाटक में हत्या और जबरन वसूली सहित कई केस दर्ज कराए गए हैं. उसपर कर्नाटक में कुल 61 और केरल में 19 मामले दर्ज कराए गए हैं. गृहमंत्री ने उसे खूंखार नक्सली बताते हुए कहा कि वो मुठभेड़ समय पुलिस को चकमा देकर कई बार भाग चुका था. उसने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था.

तलाशी अभियान के दौरान दिखा नक्सली

अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों की तरफ से गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. उसी समय एएनएफ के अधिकारियों ने नक्सलियों के एक बड़े समूह को देखा. नक्सलियों ने एएनएफ को देखते ही तेज गोलीबारी शुरू कर दी.नक्सलियों पर एएनएफ फोर्स की तरफ से जवाबी कार्रवाई की गई. जवाबी कार्रवाई में विक्रम गौड़ा मारा, जो 20 सालों से फरार था, उसे मार गिराया गया. वहां मौके पर मौजूद दूसरे नक्सली मौके से भाग निकले.

एएनएफ के अधिकारियों ने बताया कि नक्सली विक्रम गौड़ा पिछले दो दशकों से दक्षिण भारत में कई सारे नक्सली अभियानों की देख-रेख कर रहा था. उसने कुछ समय केरल और फिर बाद में तमिलनाडु के कुछ इलाकों में छिपा रहा. इसी बीच वो कई बार कर्नाटक के कोडागु भी पहुंचा. जी परमेश्वर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विक्रम गौड़ा काफी सालों से सक्रिय था. वो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर रहता था.

20 सालों से नहीं पकड़ा जा सका था

जी परमेश्वर ने बताया कि एएनएफ उसे पकड़ने के लिए लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था. इसके बावजूद भी 20 सालों से उसे पकड़ा नहीं जा सका. पिछले हफ्ते राजू और लता नाम के नक्सलियों को एएनएफ की टीम ने देखा था. उस समय वो पकड़े नहीं जा सके थे, इसलिए समय-समय पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. कर्नाटक के पश्चिमी घाट में नक्सलियों के दो बड़े समूह सक्रिय हैं और उनमें से सबसे बड़े समूह का नेतृत्व विक्रम गौड़ा कर रहा था. अधिकारियों के मुताबिक, विक्रम गौड़ा की टीम के खास 3-4 लोग फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.

छत में दरारें, कभी भी गिर सकता है पंखा… जान हथेली पर लेकर बच्चे कर रहे पढ़ाई

स्कूल हो बदहाल तो कैसे पढ़ेंगे नौनिहाल, ऐसा इसीलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के धोबनपुरी के सरकारी स्कूल में कुछ भी ठीक नही चल रहा है. सरकार लाख दावे कर ले स्कूल शिक्षा को सुधारने और गुणवत्ता लाने की मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्कूल के हालात इतने खराब हैं कि ठंड के मौसम में भी छात्रों को जमीन में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल की इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छत का प्लास्टर गिर रहा है. हालांकि जिम्मेदारों ने स्कूल की तरफ देखना तो दूर इसकी जानकारी लेना भी छोड़ दिया है.

जानकारी के मुताबिक छात्रों को स्कूल के बरामदे में जमीन में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. वहीं प्रधान पाठक का कार्यालय स्कूल के बाहर बरामदे में लग रहा है. इसके अलावा अब छात्रों के लिए गांव के सामुदायिक भवन का भी सहारा लिया गया है. हालांकि जहां बच्चे पढ़ रहे हैं वहां की दीवारों में पान की पिचकारी नजर आ रही है.

जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं है मामले की जानकारी

मामले में गांव की सरपंच की माने तो सभी जगह आवेदन दिया सरकार सिस्टम को जगाने की कोशिश को मगर कुछ नहीं हुआ. वहीं स्कूल के प्रिसिंपल ने इसको लेकर बताया कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को हालात के बारे में बताया मगर उन्होंने आज तक स्कूल का निरीक्षण कर ये भी जानने की कोशिश नहीं की आखिर स्कूल कैसे चल रहा है? ऐसे में मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से जब बात की गई तो उन्हें अपने जिले के शिक्षा व्यवस्था व स्कूल भवन की जानकारी ही नहीं है.

जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश

जानकारी के मुताबिक जर्जर स्कूल से निजात पाने के लिए बालोद जिले में स्कूली बच्चों, पालकों और ग्रामीणों ने आंदोलनों, चक्काजाम और स्कूलों में तालाबंदी तक की है, लेकिन इसके बावजूद जिले के सरकारी स्कूल की हालात में कोई सुधार नहीं नजर आया. जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस मामले से अंजान बनकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टर की लापरवाही: 12 साल की बच्ची का किया गलत ऑपरेशन,मच गया बवाल

बिहार के मुजफ्फरपुर में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां के सदर अस्पताल में पेट दर्द का इलाज कराने पहुंची एक 12 साल की बच्ची का डॉक्टर ने अपेंडिक्स का ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के बाद डॉक्टर को पता चला कि बच्ची को अपेंडिक्स ही नहीं है. पीड़िता के परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए विभागीय अधिकारियों से शिकायत की है. उनका आरोप है कि ऑपरेशन के बाद बच्ची डेढ़ घंटे तक बेहोश रही. उसको जिस बेड पर लिटाया गया, वहां कूड़े का डिब्बा रखा हुआ था. अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.

बच्ची को पेट दर्द की शिकायत थी. उसका अल्ट्रासाउंड भी कराया गया. डॉक्टर ने उसे अपेंडिक्स बताई और उसका ऑपरेशन कर दिया. जब बीमारी नहीं नीली तो डॉक्टर पीड़िता के परिजनों से सॉरी कहने लगे. मामला अब स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के पास पहुंच गया है. जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. परिजनों में डॉक्टर की लापरवाही को लेकर गुस्सा है. हद तब हो गई जब बच्ची को टांके लगाने के बाद डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आया.

अल्ट्रासाउंड करवाया, फिर हुआ ऑपरेशन

पीड़िता जिले के कांटी मानपुरा की रहने वाली है. उसकी मां सुमित्रा ने बताया कि उनकी बेटी के पेट में दर्द होने पर वह उसे 28 अक्टूबर को जिले के सदर अस्पताल पर लेकर आए थे. उसे डॉक्टर ने देखा और अपेंडिक्स होने की बात कहकर उसका अल्ट्रासाउंड करवाया. सदर अस्पताल में उसने बच्ची का अल्ट्रासाउंड करवाया. उसकी खून की जांच भी करवाई गई थी. डॉक्टर ने रिपोर्ट देखकर उसका ऑपरेशन करने को कहा. सुमित्रा ने बताया कि मंगलवार को डॉक्टर ने उनकी बेटी का ऑपरेशन कर दिया.

डेढ़ घंटा तक चला ऑपरेशन

पीड़िता की मां ने बताया कि उसकी बेटी के ऑपरेशन में डॉक्टर ने करीब डेढ़ घंटा लगाया. डॉक्टर से जब इतना समय लेने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी को अपेंडिक्स ही नहीं है. डॉक्टर उनसे सॉरी बोलने लगा. इस पर परिजनों को गुस्सा आ गया. उन्होंने बताया कि लापरवाह डॉक्टर उनकी बेटी का ऑपरेशन करके चले गए और उन्होंने वापस उसका हाल भी नहीं जाना. परिजनों ने बताया कि उनकी बेटी को सर्जरी वार्ड में कचरे के डिब्बे के पास बेड पर लेटा दिया गया. उन्होंने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से की. उसके बाद लिखित शिकायत अस्पताल अधीक्षक से की गई. उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

दियोटसिद्ध मंदिर का प्रसाद खाने योग्य नहीं: जांच में सामने आया बासी प्रसाद!

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित दियोटसिद्ध मंदिर का प्रसाद खाने के लायक नहीं है. एक जांच में सामने आया है कि प्रसाद बासी थे, जिसे खाने से बीमार होने की संभावना है. पूरे मामले को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार जल्द कार्रवाई की जाएगी. जांच अधिकारियों ने बताया कि प्रसाद को लेकर लंबे समय से शिकायत मिल रही थी. इसी के बाद प्रसाद की जांच की गई थी.

हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध मंदिर में प्रसाद में रोट मिलता है, जो कि देसी घी, गेहूं और चीनी से बना हुआ होता है. भक्त बाबा बालक नाथ को पारंपरिक प्रथा के अनुरूप प्रसाद में रोट चढ़ाते हैं. इस मंदिर में करीब 50-75 लाख भक्त हर साल आते हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में सामने आया है कि मंदिर में मिलने वाले रोट खाने योग्य नहीं है. विभाग को पिछले काफी समय से प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिल रही थी.

प्रसाद का सैंपल हुआ फेल

शिकायतों के बाद विभाग ने मंदिर से प्रसाद के सैंपल को उठाकर जांच के लिए सोलन जिले की कंडाघाट लैब में भेज दिया. मंगलवार को जांच रिपोर्ट की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि प्रसाद खाने योग्य नहीं पाया गया है. रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रसाद के तौर पर बांटे जा रहे रोट बासी थे, जिसे खाने से भक्त बीमार हो सकते है. सहायक आयुक्त खाद्य एवं सुरक्षा ने बताया कि प्रसाद के सैंपल फैल हो गए हैं. जल्द ही दिशा-निर्देशों के तहत जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.

डीसी ने दिए जांच के आदेश

दियोटसिद्ध मंदिर में बिक रहे रोटो को लेकर हमीरपुर के उपायुक्त (डीसी) अमरजीत सिंह ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है. उन्होंने खाद्य पदार्थों की दुकानों की जांच करके अनियमितता पाए जाने पर दुकानदारों के लाइसेंस तुरंत निलंबित करने के आदेश दिए हैं. वहीं, यह कोई पहली घटना नहीं है, जब किसी मंदिर का प्रसाद जांच में फेल हुआ हो. इससे पहले भी तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवर की चर्बी मिलने की बात सामने आई थी.

देवबंद विस्फोट मामले में बड़ी कामयाबी: नजीर अहमद वानी गिरफ्तार!

1993 के देवबंद विस्फोट मामले का मुख्य आरोपी नजीर अहमद वानी को गिरफ्तार कर लिया गया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे जम्मू और कश्मीर के बडगाम जिले से गिरफ्तार किया है. मंगलवार 19 नवंबर को अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बताया जा रहा है कि वानी को यूपी पुलिस की टीम ने जम्मू कश्मीर पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया है. पुलिस के लिए वानी की गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी है.

हाल ही में जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में वानी बडगाम विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरा था, हालांकि इस चुनाव में उसे हार मिली थी. पुलिस अधिकारी के मुताबिक 51 साल के नजीर अहमद वानी ने अपने चुनावी हलफनामे में अपना पेशा व्यवसाय बताया था. उसने हलफनामे में देवबंद विस्फोट मामले का जिक्र नहीं किया था, जबकि वो 1993 के विस्फोट मामले में जमानत पर बाहर था.

फरार चल रहा था नजीर अहमद वानी

1993 में हुए विस्फोट चार लोग जख्मी हो गए थे, जिनमें उत्तर प्रदेश के दो पुलिसकर्मी भी शामिल थे. नजीर अहमद वानी1993 में गिरफ्तार किया गया था. 1994 में उसे जमानत मिल गई थी और वह रिहा कर दिया गया था. हालांकि इसके बाद वह जमानत की शर्तों का पालन नहीं करते हुए फरार हो गया था.बताया जा रह है कि नजीर अहमद वानी पिछले 31 सालों से अपना हुलिया बदलकर सभी को चकमा दे रहा था वह अलग-अलग जगहों पर रह रहा था. बानी के खिलाफ पिछले साल बडगाम जिले में गलत तरीके से रोकने और आपराधिक धमकी देने का मामला भी दर्ज किया गया था.

जम्मू कश्मीर से हुई नजीर अहमद की गिरफ्तारी

सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सागर जैन ने के मुताबिक आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और देवबंद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आरोपी बानी को जम्मू कश्मीर से रविवार को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान देवबंद में कई स्थानों पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. इसी दौरान 1993 में शहर में पुलिसकर्मियों पर बमों से हमला किया गया था. जिसके बाद नजीर अहमद को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी.