तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान बीआरएस सांसद पर हमला, प्रभाकर रेड्डी के पेट चाकू घोंपा

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तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा की घटना सामने आई है।यहां, सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सांसद कोठा प्रभाकर रेड्डी पर हमला हुआ है।प्रभाकर रेड्डी को चुनाव प्रचार के दौरान पेट में चाकू मार दिया गया।सांसद पर हमला होते ही मौके पर भगदड़ मच गई। उन्होंने अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आरोपी को तुरंत पकड़ लिया गया, पुलिस मामले की जांच जुटी हुई है।

जानकारी के मुताबिक यह घटना दौलताबाद मंडल के सुरमपल्ली गांव की है। यहां पर बीआरएस पार्टी से सांसद कोथा प्रभाकर रेड्डी चुनाव प्रचार के दौरान गए हुए थे। यहां पर एक अज्ञात हमलावर ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। बता दें कि बीआरएस के सांसद विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार हैं। कोथा प्रभाकर बीआरएस की ओर से दुब्बका से चुनाव लड़ रहे हैं।

सांसद एक पादरी के घर की तरफ बढ़ ही रहे थे कि उनपर हमला हुआ। आरोपी उनके पास आया और ऐसा लगा जैसे वह नेता से हाथ मिलाना चाहता हो, लेकिन उसने अचानक चाकू निकाला और उनके पेट में घोंप दिया। हमलावर को रैली में बीआरएस कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया और जमकर पीटा।

बता दें कि कोथा प्रभाकर रेड्डी तेलंगाना की मेडक सीट से सांसद हैं और उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव के मैदान में भी उतारा गया है। ऐसे में वह पिछले कुछ दिनों से लगातार इस क्षेत्र में प्रचार के लिए अलग-अलग जगहों पर जा रहे हैं। प्रभाकर रेड्डी को पेट में चाकू मारा गया है जिससे वह लहूलुहान हो गए, इसके बाद उन्हें उनके समर्थकों ने गाड़ी में बैठाया और घाव पर कपड़ा रखकर खून को रोकने की कोशिश की।

बता दें कि राज्य की 119 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर को मतदान होगा. यहां चुनाव में बीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। 30 नवंबर को मतदान के बाद 3 दिसंबर को मतगणना होगी और नतीजे घोषित किए जाएंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस ने 119 सीटों में से 88 पर जीत हासिल की थी।

केरल सीरियल ब्लास्ट में बड़ा खुलासा, सामने आया आरोपी डोमिनिक का दुबई कनेक्शन

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केरल के कोच्चि में हुए ब्लास्ट की जिम्मेदारी डोमिनिक मार्टिन नाम के एक शख्स ने फेसबुक लाइव कर ली है। इसके बाद उसने पुलिस के सामने सरेंडर भी कर दिया है।बता दें कि केरल का एर्नाकुलम रविवार को एक के बाद तीन धमाकों से दहल गया।प्रार्थना सभा में 29 अक्टूबर को धमाका हुआ था। इसमें अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 50 से अधिक लोग घायल हैं। मृतकों में एक 12 साल की बच्ची भी है। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।इस बीच केरल में ब्लास्ट का दुबई कनेक्शन सामने आया है।

बताया जा रहा है कि संदिग्ध आरोपी डोमिनिक मार्टिन 2 महीने पहले दुबई से भारत आया था। डोमिनिक दुबई में करीब 15 साल रहा है और वहां इलेक्ट्रीशियन का काम करता था। वो भारत आकर ट्यूशन पढ़ाने का काम करता था। वह भारत लौटकर इंग्लिश का ट्यूशन पढ़ा रहा था और पिछले साढ़े 5 साल से थम्मन इलाके में एक घर में किराए के मकान में रह रहा था। डोमिनिक के परिवार में उसकी पत्नी बेटी और एक बेटा हैय पत्नी-बेटी अभी भी घर में मौजूद हैं, जबकि बेटा ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहा है। उसकी बेटी एक आईटी फर्म में काम करती है।

जानकारी मिली है कि ब्लास्ट वाले दिन यानी रविवार को मार्टिन सुबह साढ़े पांच बजे घर से स्कूटी लेकर निकला था। पत्नी के पूछे जाने पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। केरल पुलिस ने उसके घर से उसका पासपोर्ट और कुछ कागजात बरामद किए हैं। पुलिस ने मार्टिन की पत्नी-बेटी और मकान मालिक से भी पूछताछ की है। साथ ही कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड से डोमनिक के संपर्क में आए लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।दुबई में किस-किस के सम्पर्क में था, एजेंसियां इसकी जांच में भी जुटी हुई हैं।

बता दें कि अभी तक डोमिनिक मार्टिन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उसको ब्लास्ट के लिए आईईडी और विस्फोटक कहां से मिला। साथ ही उसने यह भी नहीं बताया कि उसने आईईडी से बम बनाना कहां सीखा। शक है कि ब्लास्ट करने वालों में मार्टिन के अलावा और लोग भी शामिल हैं।

बता दें कि केरल के कलमस्सेरी में ईसाई समुदाय के एक सम्मेलन केंद्र में रविवार को तीन दिवसीय प्रार्थना सभा के समापन के अवसर पर सुबह हुए धमाकों में मरने वालों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है, जबकि चार घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि एर्नाकुलम जिले के मलयट्टूर की रहने वाली लिबिना नाम की 12 वर्षीय बच्ची ने कलमस्सेरी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार देर रात दम तोड़ दिया। इससे पहले प्रार्थना सभा में शामिल दो महिलाओं की रविवार को मौत हो गई थी।

हमारी कोई विश्वसनीयता नहीं होगी, अगर..', आतंकवाद के प्रति विदेश मंत्री जयशंकर ने दोहराया भारत का रुख

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर आतंकवाद के प्रति भारत के सख्त रुख को दोहराया है। उन्होंने रविवार को कहा कि भारत आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाता है, क्योंकि इसके लोग "आतंकवाद के काफी पीड़ित" हैं। जयशंकर की यह टिप्पणी तब आई, जब भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के उस प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया था, जिसमें चल रहे इजराइल-हमास युद्ध के बीच हमास के आतंकवादी हमलों की निंदा नहीं की गई थी, और केवल इजराइल से हमला रोकने की मांग की गई थी। 

उन्होंने कहा कि, "आज, एक अच्छी सरकार और मजबूत शासन अपने लोगों के लिए खड़ा है। जिस तरह घर में सुशासन आवश्यक है, उसी तरह विदेशों में सही निर्णय आवश्यक हैं। हम आतंकवाद पर एक मजबूत स्थिति रखते हैं क्योंकि हम आतंकवाद के बड़े पीड़ित हैं। हमारी कोई विश्वसनीयता नहीं होगी, अगर हम कहते हैं कि जब आतंकवाद हमें प्रभावित करता है, तो यह बहुत गंभीर है; जब यह किसी और के साथ होता है, तो यह गंभीर नहीं है।'' जयशंकर ने भोपाल में कहा, "हमें एक सतत स्थिति रखने की जरूरत है।"

बता दें कि, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में जॉर्डन के एक प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया, जिसमें गाजा में इजरायली बलों और हमास आतंकवादियों के बीच "तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम" की मांग की गई थी। लेकिन, इसमें कहीं भी 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले की कोई निंदा नहीं की गई थी, और न ही हमास द्वारा बंधक बनाए गए 200 इजराइली बंधकों को रिहा करने की कोई अपील की गई थी। इस एकतरफा प्रस्ताव पर भारत ने मतदान करने से ही इंकार कर दिया, भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन समेत 43 देशों ने मतदान से परहेज किया। 

 

बता दें कि, 7 अक्टूबर के हमले के बाद गाजा में हमास के खिलाफ इजरायली हवाई और जमीनी कार्रवाई के साथ इजरायल-हमास युद्ध तेज होता जा रहा है, इजरायली अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 1,400 लोग मारे गए हैं। हमास द्वारा संचालित गाजा पट्टी में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दूसरी ओर 8,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। 

भोपाल में जयशंकर ने यह भी कहा कि हर देश पहले अपने हित के बारे में सोचता है. जयशंकर ने कहा कि, "तो, आपके पास ऐसी सरकार कैसे है, जो आवश्यक और अपने लोगों के सर्वोत्तम हित के लिए खड़ी हो? एक मजबूत सरकार और अच्छी सरकार एक सिक्के के दो पहलू हैं। दुनिया में छवि बहुत बदल गई है।'' उन्होंने कहा कि, "जिस तरह से हमने महामारी को संभाला जब विकसित देश बहुत तनाव में थे - क्योंकि कुछ देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी - हमने 'मेड इन इंडिया'... 'इनवेंट इन इंडिया' वैक्सीन बनाई, हमारे पास एक COWIN प्लेटफॉर्म भी था।''

 

उन्होंने कहा कि, इसी तरह, हर दूसरा देश अपने लोगों के कल्याण और अपने आर्थिक हितों का ख्याल रखता है। यूरोप के वही देश जो कह रहे थे कि रूस से तेल न खरीदें, उन्होंने खुद ही इसे लिया और एक कार्यक्रम बनाया जिससे उनकी अपनी आबादी पर सबसे कम प्रभाव पड़ेगा।

महाराष्ट्र के बीड में मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों ने जमकर काटा बवाल, गुस्साई भीड़ ने एनसीपी विधायक का घर फूंका

#marathareservationagitatorssetfiretothehouseofncpmla

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग भड़कती ही जा रही है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे आंदोलनकारी अब हिंसक हो गए हैं। उन्होंने बीड में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के आवास पर तोड़फोड़ की और उसमें आग लगा दी। साथ ही उनके दफ्तर और गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की। बड़ी बात यह है कि जब प्रदर्शनकारियों ने घर में आग लगाई, तब विधायक अपने परिवार के साथ अंदर ही मौजूद थे।

मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के हमले के बाद विधायक प्रकाश सोलंके ने प्रतिक्रिया दी है। विधायक प्रकाश सोलंके ने कहा जब हमला हुआ तब मैं अपने घर के अंदर था। सौभाग्य से, मेरे परिवार का कोई भी सदस्य या कर्मचारी आंदोलनकारियों के हमले घायल नहीं हुआ।सोलंके ने कहा कि आग लगाए जाने के कारण संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।

एनसीपी विधायक को क्यों बनाया निशाना?

एनसीपी विधायक सोलंकी की एक ऑडियो क्लिप वायरल हो गई थी, जिसमें वह मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं। विधायक की टिप्पणी को लेकर आंदोलनकारी नाराज थे और उन्होंने विधायक के घर में आग लगा दी।

सीएम शिंदें ने क्या कहा?

इस घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मनोज जरांगे पाटिल को देखना चाहिए कि उनके अनशन के बीच प्रदर्शन कहां जा रहे हैं। यह गलत दिशा की तरफ मुड़ रहे हैं।

बता दें इन दिनों मराठाओं की धरती महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है। दरअसल, मराठा समुदाय के लोगों की मांग है कि उन्हें नौकरियों और शिक्षा में वैसे आरक्षण मिले, जैसे पिछड़ी जातियों को मिला हुआ है। गौरतलब है कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर ताजा आंदोलन मराठा मोर्चा के संयोजक मनोज जारांगे पाटिल की अगुआई में चल रहा है। इससे पहले मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार 14 अक्टूबर को जालना जिले में एक रैली का आयोजन करते हुए शिंदे सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया था। इस रैली में उन्होंने ऐलान किया था कि 10 दिन बाद या तो विजय जुलूस निकलेगा या फिर मेरी अंतिम यात्रा निकलेगी।

महाराष्ट्र के बीड में मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों ने जमकर काटा बवाल, गुस्साई भीड़ ने एनसीपी विधायक का घर फूंका

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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग भड़कती ही जा रही है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे आंदोलनकारी अब हिंसक हो गए हैं। उन्होंने बीड में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के आवास पर तोड़फोड़ की और उसमें आग लगा दी। साथ ही उनके दफ्तर और गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की। बड़ी बात यह है कि जब प्रदर्शनकारियों ने घर में आग लगाई, तब विधायक अपने परिवार के साथ अंदर ही मौजूद थे।

मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के हमले के बाद विधायक प्रकाश सोलंके ने प्रतिक्रिया दी है। विधायक प्रकाश सोलंके ने कहा जब हमला हुआ तब मैं अपने घर के अंदर था। सौभाग्य से, मेरे परिवार का कोई भी सदस्य या कर्मचारी आंदोलनकारियों के हमले घायल नहीं हुआ।सोलंके ने कहा कि आग लगाए जाने के कारण संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।

एनसीपी विधायक को क्यों बनाया निशाना?

एनसीपी विधायक सोलंकी की एक ऑडियो क्लिप वायरल हो गई थी, जिसमें वह मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं। विधायक की टिप्पणी को लेकर आंदोलनकारी नाराज थे और उन्होंने विधायक के घर में आग लगा दी।

सीएम शिंदें ने क्या कहा?

इस घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मनोज जरांगे पाटिल को देखना चाहिए कि उनके अनशन के बीच प्रदर्शन कहां जा रहे हैं। यह गलत दिशा की तरफ मुड़ रहे हैं।

बता दें इन दिनों मराठाओं की धरती महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है। दरअसल, मराठा समुदाय के लोगों की मांग है कि उन्हें नौकरियों और शिक्षा में वैसे आरक्षण मिले, जैसे पिछड़ी जातियों को मिला हुआ है। गौरतलब है कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर ताजा आंदोलन मराठा मोर्चा के संयोजक मनोज जारांगे पाटिल की अगुआई में चल रहा है। इससे पहले मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार 14 अक्टूबर को जालना जिले में एक रैली का आयोजन करते हुए शिंदे सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया था। इस रैली में उन्होंने ऐलान किया था कि 10 दिन बाद या तो विजय जुलूस निकलेगा या फिर मेरी अंतिम यात्रा निकलेगी।

मोबाइल लूटने के दौरान हुई थी कॉलेज छात्रा की मौत, यूपी की पुलिस ने किया आरोपी जितेंद्र का एनकाउंटर

 उत्तर प्रदेश की पुलिस ने सोमवार को मुठभेड़ के दौरान एक आरोपी को मार गिराया, जो गाजियाबाद में कॉलेज की लड़की से लूट और हत्या के मामले में वांछित था। मुठभेड़ में मारे गए आरोपी लुटेरे की पहचान जितेंद्र उर्फ जीतू के रूप में हुई है। जीतू पर 9 मुकदमे दर्ज थे, जिसमें गैंगस्टर एक्ट का एक मामला भी शामिल था। पहले मुठभेड़ के दौरान घायल हुए दूसरे आरोपी व्यक्ति की पहचान बलबीर के रूप में की गई है। मुठभेड़ के दौरान एक पुलिस अधिकारी को भी चोटें आई हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उसका इलाज चल रहा है। 

यह एनकाउंटर उस घटना के एक दिन बाद हुआ है, जब गाजियाबाद की कीर्ति सिंह नामक पीड़िता की फोन छीनने की कोशिश का विरोध करने और ऑटो-रिक्शा से गिरने के बाद मौत हो गई, जिसके परिणामस्वरूप उसके सिर में गंभीर चोटें आईं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, एक आरोपी जीतू भागने की कोशिश के बाद मुठभेड़ में मारा गया। दूसरे आरोपी बलबीर उर्फ बोब्बिल को अब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 

घटना शुक्रवार (27 अक्टूबर) की है। एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की छात्रा कीर्ति सिंह एक ऑटो-रिक्शा में सवार होकर हापुड़ के लिए बस लेने के लिए बस स्टॉप की ओर जा रही थी। बाइक सवार दो लोगों, जिनकी पहचान अब बलबीर और जीतू के रूप में हुई है, ने ऑटो-रिक्शा का पीछा किया और कीर्ति का फोन छीनने का प्रयास किया। उसने लूटपाट का विरोध करने की कोशिश की और चलते ऑटो-रिक्शा से गिर गई जिससे उसके सिर में गंभीर चोटें आईं। उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान रविवार, 29 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई।

एक मुठभेड़ के बाद, पुलिस ने पहले मुठभेड़ में मुख्य अपराधी ​​बलबीर को पकड़ लिया। गोलीबारी के दौरान बलबीर के पैर में गोली लगी। मोटरसाइकिल पर सवार उसका साथी जितेंद्र मौके से भागने में सफल रहा था। सोमवार की सुबह, जीतू ने पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया, जब वे उसे गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे थे। जवाबी कार्रवाई में जीतेंद्र उर्फ जीतू की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि, "गाजियाबाद के एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक कंप्यूटर साइंस प्रथम वर्ष की छात्रा को सिर में चोट लगने के बाद नेहरू नगर के यशोदा अस्पताल के न्यूरो आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी।"

घटना के बाद गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने मसूरी पुलिस स्टेशन के SHO रवीन्द्रन पंत को हटाने का आदेश दिया। इसके बाद नियुक्त किए गए नए SHO ने घटना का संज्ञान लिया और कहा कि अब आरोपियों के खिलाफ दर्ज FIR में हत्या की धाराएं जोड़ी जाएंगी. इस बीच पुलिस ने बलबीर के पास से एक अवैध पिस्तौल, कीर्ति का मोबाइल फोन और कारतूस बरामद किए हैं।

पुराने फोन के लिए लड़की की हत्या 

पीड़ित लड़की का परिवार इस समय सदमे में है. कीर्ति के भाई अंकित सिंह ने इस मुद्दे पर संदेह जताया है कि लड़की की हत्या किसी अन्य संभावित कारणों से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि सिर्फ एक फोन छीनने के लिए कोई ऐसा क्यों करेगा। यह एक पुराना सैमसंग फोन था, जिसकी कीमत लगभग 8,000 रुपये - 10,000 रुपये थी। इतनी कम रकम के लिए कोई किसी की हत्या कैसे कर सकता है?' अंकित ने कहा कि कीर्ति का सपना एक प्रतिष्ठित कॉलेज से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करना था। उसने हापुड छोड़ने और एक निजी संस्थान में दाखिला लेने के लिए एक साल की छुट्टी ली थी। 

उन्होंने कहा कि, 'हम कीर्ति को हापुड के किसी भी कॉलेज में दाखिला दिला सकते थे। लेकिन हमें गाजियाबाद का कॉलेज पसंद आया और मेरी बहन हमेशा से इंजीनियरिंग करना चाहती थी। वह भविष्य में एम.टेक करना चाहती थी और इसीलिए उसने यहां प्रवेश लिया।' कीर्ति का परिवार तब बहुत खुश हुआ जब उसे कुछ महीने पहले इंजीनियरिंग कॉलेज में अपनी पसंद के कोर्स में दाखिला मिला। हालाँकि, कॉलेज और उसके घर के बीच की दूरी एक मुद्दा थी और कीर्ति जल्द ही परिसर के करीब रहने जाने पर विचार कर रही थी। 

कीर्ति ने 12 दिन पहले ही एबीईएस कॉलेज ज्वाइन किया था

उनके पिता, रवींद्र सिंह ने कहा कि, "जब से वह यहां भर्ती हुई थी, हम इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या उसे छात्रावास में रहना चाहिए या अपने कॉलेज के पास एक कमरा किराए पर लेना चाहिए... वह केवल 12 दिन पहले ही कॉलेज में शामिल हुई थी। वह हर दिन अपनी सहेली के साथ घर से कॉलेज आती थी। इसमें लगभग एक घंटा लग गया। कई बार वह बस पकड़ती थी और अगर बस नहीं मिलती थी तो रिक्शा लेती थी। मुझे नहीं पता था कि मेरी बेटी के साथ ऐसी घटना हो सकती है।'

27 अक्टूबर की घटना के कुछ मिनट बाद के बारे में बताते हुए अंकित ने कहा कि उसे उसके दोस्त और ऑटो-रिक्शा चालक ने तुरंत पीड़िता को अस्पताल पहुंचाया। बताया कि, 'जब हम वहां पहुंचे तो हमने उसे गंभीर हालत में पाया। उसके सिर पर गंभीर चोटें आई थीं। हमने उसे इस अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया। मैं गांव में था जब मुझे कॉलेज से फोन आया कि मेरी बहन का एक्सीडेंट हो गया है। मेरा सवाल यह है कि पुलिस ऐसे अपराधों को नियंत्रित करने में सक्षम क्यों नहीं है।''

शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका, जमानत याचिका खारिज

#delhi_liquor_scam_case_supreme_court_rejected_bail_plea_of_manish_sisodia

दिल्ली शाराब घोटाला मामले में जेल में सजा काट रहे मनीष सिसोदिया को एक बार फिर से कोर्ट की तरफ से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है।सिसोदिया अभी जेल में बंद हैं। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।17 अक्तूबर को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भाटी की पीठ ने सीबीआई और ईडी की ओर से पेश उनके वकील अभिषेक सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुनने के बाद सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया तीन महीने के बाद दोबारा जमानत के लिए आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसौदिया की ज़मानत याचिका खरिज करते हुए कहा है कि 338 करोड़ रुपए की मनी ट्रेल साबित हुई है। इसलिए मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर निचली अदालत में 6 महीने में मुकदमा खत्म नहीं होता, तो सिसोदिया जमानत के लिए दोबारा आवेदन दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बार-बार यह दावा किया कि मामले में पैसों के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है इसलिए, भ्रष्टाचार या मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता। उन्होंने सिसोदिया की पत्नी की खराब तबियत का हवाला देते हुए भी उनकी रिहाई की मांग की।

शराब नीति मामले में ईडी और सीबीआई की ओर से दर्ज मामलों में मनीष सिसोदिया को फरवरी में गिरफ्तार किया गया था।कथित शराब घोटाले के समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी मंत्री थे।बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया।दोनों ही मामलों में निचली अदालत और हाई कोर्ट उनकी जमानत याचिका ठुकरा चुके हैं। निचली अदालत ने कहा था कि उन्होंने आबकारी नीति में बदलाव कर घोटाले में मुख्य भूमिका निभाई। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सिसोदिया पर लगे आरोपों को गंभीर बताते हुए बेल से मना कर दिया था।

गाजा पर अटैक करो, लेकिन..', जमीनी जंग में उतरे इजराइल को राष्ट्रपति जो बिडेन ने दी नसीहत

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जैसे-जैसे इज़रायली सेना, गाजा पट्टी में अपनी ज़मीनी और हवाई कार्रवाई तेज़ कर रही है, नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मांगें भी तेज़ होती जा रही हैं। व्हाइट हाउस ने रविवार (29 अक्टूबर) को इज़राइल को फिलिस्तीन आतंकी संगठन हमास के आतंकवादियों और निर्दोष निवासियों के बीच अंतर करने की चेतावनी दी, जबकि विश्व नेताओं ने युद्धग्रस्त फिलिस्तीनी क्षेत्र तक तत्काल मानवीय सहायता पहुंचाने का आग्रह किया।

 

इज़रायली सेना ने बताया कि उसने पिछले 24 घंटों में 450 से अधिक आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। इन लक्ष्यों में हमास के कमांड सेंटर और टैंक रोधी मिसाइलें लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्थान शामिल थे। हमलों के बाद गाजा शहर के ऊपर धुएं का गुबार फैल गया। सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने कहा कि हमलों में दर्जनों हमास आतंकवादियों की मौत हो गई। हमास द्वारा संचालित गाजा पट्टी में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले के बाद से, जिसमें कथित तौर पर कम से कम 1,400 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, इजरायल की जवाबी बमबारी में 8,000 से अधिक फिलिस्तीनी मौतें हुई हैं। पीड़ितों में आधे बच्चे हैं।

इजराइल के ताजा हमले

उत्तरी गाजा में फिलिस्तीनियों ने आज यानी सोमवार (30 अक्टूबर) तड़के तीव्र हवाई और तोपखाने हमलों की सूचना दी, जब टैंकों द्वारा समर्थित इजरायली सैनिकों ने अपने जमीनी हमले का विस्तार किया। बमबारी में गाजा शहर के शिफा और अल-कुद्स अस्पतालों के पास के इलाकों को निशाना बनाया गया और दक्षिणी गाजा के एक शहर खान यूनिस के पूर्व में फिलिस्तीनी आतंकवादियों और इजरायली बलों के बीच झड़पें हुईं।

हमलों से कुछ घंटे पहले, इज़राइल ने फिलिस्तीनी एन्क्लेव के पश्चिमी तट पर युद्ध टैंकों की तस्वीरें जारी कीं, जो गाजा के मुख्य शहर को घेरने के संभावित प्रयास का संकेत दे रही थीं। यह कदम इजरायली सरकार द्वारा हमास शासित क्षेत्र के साथ अपनी सीमा पर जमीनी घुसपैठ का विस्तार करने का आदेश देने के दो दिन बाद आया है। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने इज़राइल से हमास के आतंकवादियों और नागरिकों के बीच अंतर करके निर्दोष गाजा निवासियों की रक्षा करने का आग्रह किया। राष्ट्रपति जो बिडेन ने इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक फोन कॉल में कहा कि, इज़राइल को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है, लेकिन उसे ऐसा "अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अनुरूप तरीके से करना चाहिए जो नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।" 

इज़राइल रक्षा बलों (IDF) ने कहा कि इज़राइली बलों ने सोमवार को सीरिया और लेबनान में ठिकानों पर हमला किया। अलग-अलग ट्वीट में, IDF ने कहा कि एक विमान ने लेबनानी क्षेत्र में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया था, जिसमें "आतंकवाद को निर्देशित करने के लिए बुनियादी ढांचे और संगठन के सैन्य बुनियादी ढांचे" भी शामिल थे, और एक लड़ाकू जेट ने सीरियाई क्षेत्र में लॉन्चरों पर हमला किया था। इसमें कहा गया है कि दोनों हमले उन क्षेत्रों से इज़राइल पर हुए हमलों के जवाब में थे।

द टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट में एक अमेरिकी अधिकारी ने खुलासा किया है कि बिडेन प्रशासन इज़राइल से गाजा पट्टी के भीतर अधिक संयमित जमीनी ऑपरेशन को अंजाम देने का आग्रह कर रहा है। उसी अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, गाजा में बंधकों के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंताओं के कारण इज़राइल का नेतृत्व वर्तमान में इस समय पूर्ण पैमाने पर जमीनी आक्रमण शुरू करने के लिए अनिच्छुक है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने गाजा में "नागरिक व्यवस्था" के टूटने की चेतावनी दी क्योंकि रविवार को हजारों लोगों ने खाद्य गोदामों में तोड़फोड़ की, गेहूं, आटा और अन्य आपूर्ति लूट ली।

राफ़ा क्रॉसिंग के एक प्रवक्ता के अनुसार, बाद में दिन में, 33 सहायता ट्रकों को मिस्र से गाजा में जाने की अनुमति दी गई। संघर्ष शुरू होने के बाद से एक दिन में पार करने वाले सहायता ट्रकों की यह सबसे बड़ी संख्या है, लेकिन मानवीय कार्यकर्ताओं ने मीडिया को बताया कि सहायता अभी भी जरूरत से काफी कम है। ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन सहित विश्व नेताओं ने गाजा को सहायता के लिए तत्काल कॉल जारी की है। बिडेन और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने गाजा को सहायता में उल्लेखनीय तेजी लाने और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।

 

उधर, रूस में, इजरायलियों और यहूदियों की तलाश कर रही एक भीड़ ने रविवार (29 अक्टूबर) को दागेस्तान के काकेशस गणराज्य में एक हवाई अड्डे पर कब्जा कर लिया, यह अफवाह फैलने के बाद कि इजरायल से एक फ्लाइट आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो के अनुसार, दर्जनों प्रदर्शनकारी, जिनमें से कई "अल्लाहु अकबर" (भगवान सबसे महान हैं) के नारे लगा रहे थे, दरवाजे और बाधाओं को तोड़ रहे थे, कुछ रनवे पर भाग रहे थे। कुछ ही समय बाद, रूस की विमानन एजेंसी ने घोषणा की है कि उसने हवाईअड्डे को आने वाली और जाने वाली उड़ानों के लिए बंद कर दिया है और सुरक्षा बल मौके पर पहुंच गए हैं। स्थानीय अधिकारियों ने टेलीग्राम पर कहा कि, "स्थिति नियंत्रण में है," जबकि दागेस्तान के गवर्नर ने वादा किया कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा।

भारत की 1414 प्राचीन कलाकृतियां लौटा रहा अमेरिका, पुरावशेषों की अब तक की सबसे बड़ी 'वतन वापसी'

 1,414 पुरावशेष को संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) से भारत लौटने के लिए तैयार है। सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये वस्तुएं पहले ही न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास को सौंप दी गई हैं। पुरावशेषों में न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट (मेट म्यूज़ियम) में प्रदर्शित वस्तुएँ शामिल होंगी। सूत्रों का कहना है कि प्रक्रिया के अनुसार, वस्तुओं के सत्यापन के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम को अमेरिका भेजा जा रहा है, जिसके बाद स्वदेश वापसी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ASI टीम वस्तुओं को "पुरावशेष" या "गैर-पुरावशेष" के रूप में भी प्रमाणित करेगी। ASI अधिकारियों ने कहा है कि 1,414 वस्तुओं के नए बैच में गैर-पुरातन वस्तुएं भी शामिल होने की संभावना है, और "प्राचीनता" की परिभाषा को ध्यान में रखते हुए, तदनुसार रैंक किया जाएगा। इस स्तर पर ASI को प्राचीन वस्तुओं की उम्र या क्षेत्र के संबंध में कोई विशेष विवरण प्रदान नहीं किया गया है। हालाँकि, अमेरिकी अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा है कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त 1,414 वस्तुएँ "भारतीय मूल" की प्रतीत होती हैं। 

पुरावशेष और कला खजाना अधिनियम, 1972 के अनुसार, पुरावशेष को ''कोई भी सिक्का, मूर्तिकला, पेंटिंग, शिलालेख या कला या शिल्प कौशल का अन्य कार्य; किसी इमारत या गुफा से अलग कोई वस्तु, वस्तु या चीज़; पिछले युगों में विज्ञान, कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, रीति-रिवाज, नैतिकता या राजनीति का उदाहरण देने वाला कोई भी लेख, वस्तु या वस्तु; कोई भी लेख, वस्तु या ऐतिहासिक रुचि की चीज़" जो "कम से कम 100 वर्षों से अस्तित्व में है।''

गैर-पुरावशेष आम तौर पर सजावटी वस्तुएं और मूर्तियां, या सजावटी उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली मूल कला वस्तुओं की प्रतिकृतियां हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मेट में खजाने का पता प्राचीन वस्तुओं के व्यापारी सुभाष कपूर से लगाया गया था, जो प्राचीन वस्तुओं की तस्करी के लिए तमिलनाडु में जेल की सजा काट रहे थे। 22 मार्च को, न्यूयॉर्क राज्य के सुप्रीम कोर्ट ने मेट के खिलाफ एक वारंट जारी किया था, जिसमें अधिकारियों को पुरावशेषों को जब्त करने के लिए दस दिन का समय दिया गया था। 30 मार्च को, मेट ने एक बयान जारी कर कहा था कि वह "15 मूर्तियों को वापस लौटाने के लिए स्थानांतरित करेगा।" भारत सरकार को यह पता चलने के बाद कि कार्य अवैध रूप से भारत से हटा दिए गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सर्च वारंट की 15 में से 10 वस्तुओं को चिह्नित किया गया था।

बता दें कि, इससे पहले, जुलाई में, भारत सरकार ने कहा था कि मेट से वस्तुएं अगले तीन से छह महीनों में आने की उम्मीद है। 17 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास को 105 पुरावशेष सौंपे गए और अगस्त में भारत वापस भेज दिए गए। मेट की वस्तुएं उनमें से नहीं थीं।

गूगल मैप्स पर बदला देश का नाम, सर्च करने पर दिखाई दे रहा तिरंगे के साथ “Bharat”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार की तरफ से शुरू हुई देश का नाम इंडिया से भारत किए जाने की मुहिम का असर अब गूगल पर भी दिखने लगा है।भले ही आधिकारिक तौर पर देश का नाम इंडिया से भारत नहीं किया गया है। मगर गूगल मैप ने नए नाम को जरूर स्वीकार कर लिया है।दरअसल, इसकी वजह ये है कि अगर आप गूगल मैप के सर्च बॉक्स में भारत टाइप करेंगे, तो आपको 'दक्षिण एशिया में एक देश' लिखा हुआ के साथ तिरंगा झंडा नजर आएगा।

अगर आप गूगल मैच के सर्च बॉक्स में भारत टाइप करेंगे तो रिजल्ट में आपको साउथ एशिया का एक देश दिखेगा। साथ ही आपको तिरंगे का डिजिटल कोड भी नजर आएगा। खास बात यह है कि गूगल मैप पर हिंदी या अंग्रेजी में भारत टाइप करने पर इंडिया लिखने के जैसे ही रिजल्ट दिखाई देने लगे हैं। हालांकि अभी तक गूगल की तरफ से कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है। इसलिए अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि गूगल ने पृष्ठिभूमि में क्या-क्या बदलाव किए हैं।

गूगल मैप ने इंडिया और भारत दोनों को ही 'दक्षिण एशिया में एक देश' के तौर पर मान्यता दी हुई है। इसलिए यूजर्स अगर भारत का आधिकारिक नक्शा गूगल मैप पर देखना चाहते हैं, तो वह अंग्रेजी या हिंदी में गूगल मैप पर भारत या इंडिया लिखकर ऐसा कर कर सकते हैं।गूगल मैप के हिंदी वर्जन पर अगर आप भारत टाइप करते हैं, तो आपको भारत के नक्शे के साथ 'भारत' बोल्ड में लिखा हुआ दिखाई देगा। वहीं, अगर आप गूगल मैप के अंग्रेजी वर्जन में जाकर भारत लिखते हैं, तो आपको सर्च रिजल्ट में देश के नक्शे के साथ इंडिया लिखा हुआ दिखेगा। यानी कि गूगल मैप भारत को भी इंडिया के तौर पर स्वीकार कर रहा है। जहां सरकार नाम बदलने की कवायद में जुटी है, इस बीच गूगल ने पहले ही अपना होमवर्क करना शुरू कर दिया है।

ये बदलाव जी-20 में भारत सरकार द्वारा देश का नाम इंडिया की जगह भारत इस्तेमाल किए जाने के बाद देखने मिल रहा है।आपको बता दे भारत सरकार ने राष्ट्रपति भवन में हुए डिनर के लिए भेजे गए इन्विटेशन में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा था। बता दें कि देश में कनूनी तौर पर दोनों ही नामों को मान्यता प्राप्त है, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है: "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।"