ट्रंप की नई कैबिनेट में एक और भारतवंशी को जगह, हरमीत ढिल्‍लों को दिया ये बेहद अहम पद

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अमेर‍िका के नव‍निर्वाचित राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप अपनी नई पारी के लिए लगातार भारतीयों पर जमकर भरोसा जता रहे हैं। एक बार फिर डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी कैब‍िनेट में एक और भारतवंशी को जगह दी है। अब ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी हरमीत ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक 'अटॉर्नी जनरल' नामित किया है। ढिल्लों जानी-मानी वकील हैं। वह नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं।

ट्रंप अपने सोशल मीडिया एकाउंट ट्रुथ सोशल पर घोषणा की, मुझे अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के ढिल्लों को नामित करते हुए खुशी हो रही है। हरमीत देश के शीर्ष चुनावी पैरोकारों में से एक हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही हैं कि सभी और केवल वैध वोट की गिनती की जाए। हरमीत सिख धार्मिक समुदाय की एक सम्मानित सदस्य हैं। न्याय विभाग में अपनी नयी भूमिका में हरमीत हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षक होंगी और हमारे नागरिक अधिकारों एवं चुनाव कानूनों को निष्पक्ष तथा दृढ़ता से लागू करेंगी।

हरमीत ढिल्‍लों के बारे में

54 साल की ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। बचपन में ही वह अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा नॉर्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ साइंस एंड मैथमेटिक्स से हासिल की। इसके बाद उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज से शास्त्रीय साहित्य में बीए की डिग्री और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया से कानून की डिग्री हासिल की। 1993 में ढिल्लों ने पॉल वी. नीमेयर, यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फोर्थ सर्किट में बतौर लॉ क्लर्क काम शुरू किया। 1994 से 1998 तक उन्होंने शियरमैन एंड स्टर्लिंग में एसोसिएट के रूप में काम किया। 1998 से 2002 तक ढिल्‍लों ने सिडली एंड ऑस्टिन और कूली गॉडवर्ड जैसी लॉ फर्मों में एसोसिएट के रूप में काम किया।

फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई से बनी पहचान

हरमीत ढिल्लों फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई के ल‍िए जानी जाती हैं। फ्री स्पीच सेंसरशिप के लिए आवाज उठाते हुए वे टेक कंपनियों के ख‍िलाफ लंबी जंग लड़ चुकी। अपने पूरे करियर के दौरान हरमीत ने नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है। इलेक्‍शन की पारदर्शिता की बात हो या फ‍िर कांस्‍टीट्यूशन और नागर‍िक अध‍िकारों की रक्षा वे हमेशा आगे रही हैं।

ट्रंप की टीम में कई भारतीय मूल के

इससे पहले विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल को ट्रंप महत्‍वपूर्ण ज‍िम्‍मेदारी दे चुके हैं। इससे ट्रंप के भारतीयों के करीब होने का संकेत मिलता है। लेकिन हरमीत ढिल्लों की नियुक्‍त‍ि को लेकर भारत में ही सवाल उठने लगे हैं। एक्‍सपर्ट उन्‍हें खाल‍िस्‍तान सपोर्टर बता रहे हैं। उनके पुराने ट्वीट्स की खूब चर्चा में है।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

41 साल के अरबपति को ट्रंप ने सौंपी नासा की कमान, जानिए कौन हैं जेरेड इसाकमैन

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अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले ही अपनी 'ड्रीम टीम' बनाने में जुटे हैं। इस दौरान डोनाल़्ड ट्रंप लगातार अपने फैसलों से सभी को हैरान कर रहे हैं। ट्रंप ने अपनी कैबिनेट में भी कई ऐसे लोगों को शामिल किया, जिनके नाम सुनकर सब चौंक गए। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की स्पेसएक्स से अंतरिक्ष की पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अरबपति जेरेड इसाकमैन को नासा का नेतृत्व करने के लिए नामित किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने एक्स पर कहा, "मैं एक कुशल बिजनेस लीडर, परोपकारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री जेरेड इसाकमैन को नासा चीफ के रूप में नामित करते हुए प्रसन्न हूं। जेरेड नासा के खोज और प्रेरणा के मिशन को आगे बढ़ाएंगे, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्वेषण में अभूतपूर्व उपलब्धियां मिलेंगी।"

सीनेट यदि उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर देती है तो वह फ्लोरिडा के पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर 82 वर्षीय बिल नेल्सन का स्थान लेंगे, जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नामित किया था।

एलन मस्क से भी खास नाता

इसाकमैन का दिग्गज कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से भी खास नाता है। दरअसल, इसाकमैन स्पेसएक्स के सहयोग से ही अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करने वाले पहले निजी अंतरिक्षयात्री बने थे। कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी के सीईओ और संस्थापक 41 वर्षीय जेरेड इसाकमैन ने 2021 की उस यात्रा पर प्रतियोगिता विजेताओं को साथ अंतरिक्ष की यात्रा की और सितंबर में एक मिशन के साथ भी अंतरिक्ष में गए, जहां पर उन्होंने स्पेसएक्स के नए स्पेसवॉकिंग सूट का परीक्षण करने के लिए कुछ समय के लिए अंतरिक्ष में विचरण किया।

एलन मस्क ने इसाकमैन को दी बधाई

एलन मस्क ने एक्स पर इसाकमैन को बधाई देते हुए उन्होंने उच्च क्षमता वाला ईमानदार शख्स बताया है। जेरेड इसाकमैन एक प्रमुख अमेरिकी कारोबारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अब दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभालेंगे। ट्रंप के ऐलान के बाद इसाकमैन ने कहा कि वह काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह दुनिया के अविश्वसनीय साहसिक कार्य का नेतृत्व करने के लिए उत्साहित हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

भारत के प्रति अचानक क्यों प्रेम दिखाने लगा चीन, कहीं ट्रंप की वापसी का तो नहीं है असर?

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अमेरिका में फिर से डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी का वैश्विक असर देखा जा रहा है। हर देश ट्रंप के साथ अपने हितों को साधने के लिए कोशिश कर रहा है। चीन को सबसे ज्यादा डर कारोबार को लेकर है। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप चीन पर लगने वाला टैरिफ शुल्क बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही धीमी आर्थिक गति की मार झेल रहे चीन के लिए यह बड़ा धक्का होगा। ऐसे में चीन की अकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। खासकर भारत के साथ ड्रैगन के तेवर में तेजी से बदलाव हुए हैं।

भारत-चीन के बीच कम हो रही कड़वाहट

भारत और चीन के बीच संबंधों की बात करें तो सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ अक्सर उसके संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे है, लेकिन अचनाक से भारत और चीन के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है। पहले दोनों देशों के बीच एलएसी पर सहमति बनी है। बीते माह दोनों देशों ने एलएसी के विवाद वाले हिस्से से अपनी-अपनी सेना वापस बुला ली। फिर रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत हुई। अब दोनों देश के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने पर जोर बढ़ रहा है। अब ब्राजील में जी20 देशों की बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई। भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदियों के जल बंटवारे और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने के मुद्दों पर बात बढ़ी है। चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है।

चीन के ढीले पड़े तेवर की क्या है वजह?

चीन के ढीले पड़े तेवर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है। दरअसल, जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता है, तब से चीन डरा हुआ है। अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर नकेल कसने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही वजह है कि अब चीन ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका के साथ मधुर संबंधों को बनाए रखने की बातें करने लगा है। इसके लिए वह भारत से भी तनाव कम करने के लिए तैयार है। अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है।यह बात अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कही।

ट्रंप का वापसी से डरा ड्रैगन

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है। उन्होंने सत्ता संभालने से पहले ही इसकी झलक दे दी है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनते ही वह चीन से होने वाले सभी आयात पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेंगे। उनका कहना है कि वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग स्थन नहीं बनने देंगे।

भारत के साथ संबंध सुधारने की ये है वजह

शी जिनपिंग समझ चुके हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था पहले से हिली हुईं है। चीन का विकास दर घटता जा रहा है। 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रह सकता है। अमेरिका की ओर से दवाब बढ़ने की आशंकाओं में चीन के पास भारत के साथ संबंधों को सुधराने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचता। भारत में चीनी निवेश के सख्त नियम है, और भारत जैसे बढ़ते बाजार में चीन अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। ऐसे में संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहा है।

यूएस से होने वाले नुकसान की यहां होगी भरपाई

इस वक्त भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। चीन के लिए भारत दुनिया का एक बड़ा बाजार है। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है। वैसे चीन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। बीते साल 2023 में उसका कुल निर्यात 3.38 ट्रिलियन डॉलर का रहा। भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही करीब 3.5 ट्रिलिनय डॉलर की है। चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। यूरोपीय संघ भी उसका एक सबसे बड़ा साझेदार है। लेकिन भारत दुनिया में एक उभरता हुआ बाजार है।चीन आने वाले दिनों में अमेरिका में होने वाले नुकसान की कुछ भरपाई भारत को निर्यात बढ़ाकर कर सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भारत और चीन के रिश्ते में नरमी का कहीं यही राज तो नहीं है।

‘तीसरा विश्व युद्ध होगा शुरू': ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले ‘आक्रामक’ नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप

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Donald Trump and Joe Biden

डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने बिडेन प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह जनवरी में अपने पिता के व्हाइट हाउस में लौटने से पहले तनाव को बढ़ावा दे रहा है, जो “तीसरा विश्व युद्ध” का कारण बन सकता है। यह दावा राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा यूक्रेनी सेना को रूसी क्षेत्र को निशाना बनाने के लिए अमेरिकी आपूर्ति की गई लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के बाद किया गया है, एक ऐसा कदम जो अमेरिका और रूस के बीच तनाव को बढ़ा सकता है - ट्रम्प का दावा है कि तनाव को आसानी से संभाला जा सकता है।

रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तर कोरिया ने कुर्स्क क्षेत्र में 15,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जबकि कीव कथित तौर पर रूस के भीतर महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उन्नत मिसाइलों का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है।

ट्रम्प जूनियर ने बिडेन की नीतियों और सैन्य-औद्योगिक परिसर की आलोचना की

"सैन्य औद्योगिक परिसर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मेरे पिता को शांति स्थापित करने और लोगों की जान बचाने का मौका मिलने से पहले ही वे तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर दें," ट्रम्प जूनियर, 46, ने 18 नवंबर को ट्वीट किया, कुछ ही समय पहले रिपोर्टों ने पुष्टि की थी कि यूक्रेनी सेना को रूस को निशाना बनाने के लिए पूर्वोत्तर सीमा पर सेना की सामरिक मिसाइल प्रणालियों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के महीनों के अनुरोधों के बाद हुआ है, जबकि ट्रम्प ने बिडेन के उत्तराधिकारी बनने के बाद युद्ध को समाप्त करने की कसम खाई थी। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने अभियान के दौरान कहा है, वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो शांति वार्ता के लिए दोनों पक्षों को एक साथ ला सकते हैं, और युद्ध को समाप्त करने और हत्या को रोकने की दिशा में काम कर सकते हैं," ट्रम्प के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने पहले NY पोस्ट को बताया था।

तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?

जवाब में, रूस के फेडरेशन काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य आंद्रेई क्लिशास ने टेलीग्राम के माध्यम से चेतावनी दी कि पश्चिम की ओर से की गई कार्रवाई "सुबह तक" यूक्रेनी राज्य के पूर्ण पतन का कारण बन सकती है, रॉयटर्स के अनुसार।

रूस के ऊपरी सदन अंतर्राष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रथम उप प्रमुख व्लादिमीर दज़बारोव ने चेतावनी दी कि मॉस्को की प्रतिक्रिया तेज़ होगी, उन्होंने इस कार्रवाई को "तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की ओर एक बहुत बड़ा कदम" बताया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर में पहले कहा था कि यूक्रेन को पश्चिम से मिसाइलों के साथ रूसी भूमि पर हमला करने देने से पश्चिम और रूस के बीच सीधी लड़ाई होगी, जिससे पूरे संघर्ष की प्रकृति बदल जाएगी।

बाइडेन के इस फैसले ने ऑनलाइन भी भारी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने इस कृत्य को "मूर्खतापूर्ण" करार दिया है। "बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रोगात्मक और पूरी तरह से पागलपन है। अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के अंदरूनी हिस्सों में गोलीबारी करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए! कल्पना कीजिए कि अगर रूस ने अमेरिका में मिसाइलें दागने के लिए आपूर्ति की होती!" MAGA समर्थक चार्ली किर्क ने कहा। "अमेरिकी लोगों ने शांति लाने के लिए ट्रम्प को भारी मतों से वोट दिया, और अब बिडेन हमें तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा रहे हैं," एक अन्य नेटिजन ने टिप्पणी की।

'ट्रम्प और पुतिन की फ़ोन वार्ता है काल्पनिक ': रूस ने यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड - पुतिन की बातचीत की खबरों का किया खंडन

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Vladimir Putin & Donald Trump

रूस ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच निजी बातचीत की खबरों का खंडन किया। क्रेमलिन ने इस रिपोर्ट को "पूरी तरह से काल्पनिक" और "झूठी जानकारी" बताया। यह अब प्रकाशित की जा रही जानकारी की गुणवत्ता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है। यह पूरी तरह से झूठ है। यह पूरी तरह से काल्पनिक है। यह सिर्फ झूठी जानकारी है," राज्य के स्वामित्व वाली स्पुतनिक न्यूज ने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से कहा।

रविवार को, द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि ट्रम्प ने गुरुवार को फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट से पुतिन के साथ एक निजी टेलीफोन पर बातचीत की। इसने बिना विवरण के यह भी दावा किया कि ट्रम्प ने यूक्रेन में रूस द्वारा कब्जा की गई "भूमि के मुद्दे को संक्षेप में उठाया"। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने पुतिन को यूरोप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई और संघर्ष को हल करने के लिए आगे की बातचीत में रुचि व्यक्त की।

यूक्रेन पर ट्रंप का रुख

चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि अगर वे अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो वे कभी युद्ध शुरू नहीं होने देते और उन्होंने युद्ध को जल्द खत्म करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कीव के लिए वाशिंगटन के बहु-अरब डॉलर के समर्थन पर भी सवाल उठाया है, जो यूक्रेन के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। ट्रंप और उनके अभियान ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी सहायता बिडेन प्रशासन में रक्षा कंपनियों और विदेश नीति के पक्षधरों के "भ्रष्ट" युद्ध समर्थक गठजोड़ को वित्तपोषित करने में मदद करती है।

यूक्रेन में युद्ध लगभग तीन साल से चल रहा है। पिछले सप्ताहांत, युद्ध के मोर्चे पर दोनों पक्षों की ओर से अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले हुए। रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 145 ड्रोन दागे, जबकि मॉस्को ने राजधानी शहर को निशाना बनाकर 34 यूक्रेनी ड्रोन गिराने का दावा किया। हमलों में हालिया वृद्धि को नए अमेरिकी प्रशासन के तहत संभावित वार्ता से पहले दोनों देशों द्वारा बढ़त हासिल करने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।

चुनाव जीतते ही एक्शन में आए ट्रंप, पुतिन को लगाया फोन, क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध?

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपत ग्रहण से पहले ही एक्शन में दिख रहे हैं। पदभार संभालने से पहले ही वो काम पर लग गए हैं। इसी क्रम में ट्रंप ने रविवार को रूस-युक्रेन युद्ध के बीच उन्‍होंने रूसी राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को फोन घुमाया। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को बात हुई जिसमें ट्रंप ने पुतिन से यूक्रेन में युद्ध को न बढ़ाने को कहा है। बता दें कि पीएम मोदी भी रूस-यूक्रेन संकट को हल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में वो रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों का दौरा कर चुके हैं। यही नहीं अपने दो विश्वासपात्रों विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को पीएम मोदी ने युद्ध रुकवाने की कोशिशें करने की विशेष जिम्‍मेदारी दी है।

वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक कॉल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर पुतिन को यूरोप में मजबूत अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई। इसके साथ ही यूक्रेन युद्ध का हल तलाशने के लिए आगे भी चर्चा में रुचि जाहिर की। वॉशिंगटन पोस्ट ने मामले की जानकारी रखने वाले अज्ञात स्रोतों के हवाले से बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस मुद्दे पर मॉस्को के साथ भविष्य की बातचीत में शामिल होने की इच्छा का संकेत दिया।

पुतिन से पहले जेलेंस्की से भी की बात

ट्रंप और पुतिन की बातचीत ऐसे वक्त हुई है, जब एक दिन पहले ही अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की थी। इस बातचीत के दौरान एलन मस्क भी ट्रंप के साथ मौजूद थे। अमेरिका के एक्सियोस पोर्टल की न्यूज रिपोर्ट की मानें तो यूक्रेन के मुद्दे पर दो बड़ी घटनाएं हुईं, पहली यह कि एलन मस्क ने जेलेंस्की से बातचीत की है और दूसरी यह कि इस बातचीत के बाद जेलेंस्की संघर्ष को लेकर कुछ बातों पर समझाने के बाद राजी हुए। इसी रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप, मस्क और जेलेंस्की के बीच फोन पर करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। जेलेंस्की की तरफ से बधाई मिलने के बाद ट्रंप ने उन्हें कहा कि वह यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखेंगे।

पुतिन ने ट्रंप के साथ बातचीत की इच्छा जाहिर की

बता दें कि पिछले हफ्ते रूस के सोची में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पुतिन ने कहा था, यह मत सोचिए कि ट्रम्प के साथ बातचीत करना गलत है। अगर दुनिया के कुछ नेता संपर्क बहाल करना चाहते हैं, मैं इसके खिलाफ नहीं हूं। हम ट्रंप से बात करने के लिए तैयार हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस के साथ संबंधों को बहाल करने की इच्छा के बारे में, यूक्रेनी संकट को खत्म करने में मदद करने के लिए, मेरी राय में, कम से कम ध्यान देने योग्य है। उन्होंने ट्रम्प को एक बहादुर आदमी भी बताया और कहा कि वह इस बात से प्रभावित हैं कि जुलाई में हत्या के प्रयास के बाद ट्रम्प ने खुद को कैसे संभाला।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था?

जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?

भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।।

नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?

भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे।

कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो।

चीन की बढ़ेगी मुश्किल

ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो।

चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी।

पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक

भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।

पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है”, जीत के बाद बोले ट्रंप

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी करने वाले हैं। ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदेशी राजनेताओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की शानदार और धमाकेदार जीत पर उन्हें सबसे पहले बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद पीएम मोदी ने उनसे फोन पर बात की।बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट किया।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है।’

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पीएम मोदी की इस पहल का गर्मजोशी से जवाब दिया। उन्होंने भारत को शानदार देश और पीएम मोदी को शानदार व्यक्ति बताया। ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके जीत हासिल करने के बाद बात की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है।' उन्होंने भारत को एक मूल्यवान सहयोगी बताया।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति को चुनावी जीत पर शुभकामना संदेश भेजा है। जो लोग ट्रंप की विचारधारा को पसंद नहीं करते, उन्होंने भी औपचारिकता में बधाई संदेश भेजा है। जो बाइडेन ने ट्रंप को फोन करके बधाई दी और उन्हें व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हालांकि रूस ने अब तक ट्रंप को बधी नहीं दी है, साथ ही अमेरिका को अमित्र देश बताया है।

ट्रंप की नई कैबिनेट में एक और भारतवंशी को जगह, हरमीत ढिल्‍लों को दिया ये बेहद अहम पद

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अमेर‍िका के नव‍निर्वाचित राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप अपनी नई पारी के लिए लगातार भारतीयों पर जमकर भरोसा जता रहे हैं। एक बार फिर डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी कैब‍िनेट में एक और भारतवंशी को जगह दी है। अब ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी हरमीत ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक 'अटॉर्नी जनरल' नामित किया है। ढिल्लों जानी-मानी वकील हैं। वह नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं।

ट्रंप अपने सोशल मीडिया एकाउंट ट्रुथ सोशल पर घोषणा की, मुझे अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के ढिल्लों को नामित करते हुए खुशी हो रही है। हरमीत देश के शीर्ष चुनावी पैरोकारों में से एक हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही हैं कि सभी और केवल वैध वोट की गिनती की जाए। हरमीत सिख धार्मिक समुदाय की एक सम्मानित सदस्य हैं। न्याय विभाग में अपनी नयी भूमिका में हरमीत हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षक होंगी और हमारे नागरिक अधिकारों एवं चुनाव कानूनों को निष्पक्ष तथा दृढ़ता से लागू करेंगी।

हरमीत ढिल्‍लों के बारे में

54 साल की ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। बचपन में ही वह अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा नॉर्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ साइंस एंड मैथमेटिक्स से हासिल की। इसके बाद उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज से शास्त्रीय साहित्य में बीए की डिग्री और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया से कानून की डिग्री हासिल की। 1993 में ढिल्लों ने पॉल वी. नीमेयर, यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फोर्थ सर्किट में बतौर लॉ क्लर्क काम शुरू किया। 1994 से 1998 तक उन्होंने शियरमैन एंड स्टर्लिंग में एसोसिएट के रूप में काम किया। 1998 से 2002 तक ढिल्‍लों ने सिडली एंड ऑस्टिन और कूली गॉडवर्ड जैसी लॉ फर्मों में एसोसिएट के रूप में काम किया।

फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई से बनी पहचान

हरमीत ढिल्लों फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई के ल‍िए जानी जाती हैं। फ्री स्पीच सेंसरशिप के लिए आवाज उठाते हुए वे टेक कंपनियों के ख‍िलाफ लंबी जंग लड़ चुकी। अपने पूरे करियर के दौरान हरमीत ने नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है। इलेक्‍शन की पारदर्शिता की बात हो या फ‍िर कांस्‍टीट्यूशन और नागर‍िक अध‍िकारों की रक्षा वे हमेशा आगे रही हैं।

ट्रंप की टीम में कई भारतीय मूल के

इससे पहले विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल को ट्रंप महत्‍वपूर्ण ज‍िम्‍मेदारी दे चुके हैं। इससे ट्रंप के भारतीयों के करीब होने का संकेत मिलता है। लेकिन हरमीत ढिल्लों की नियुक्‍त‍ि को लेकर भारत में ही सवाल उठने लगे हैं। एक्‍सपर्ट उन्‍हें खाल‍िस्‍तान सपोर्टर बता रहे हैं। उनके पुराने ट्वीट्स की खूब चर्चा में है।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

41 साल के अरबपति को ट्रंप ने सौंपी नासा की कमान, जानिए कौन हैं जेरेड इसाकमैन

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अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले ही अपनी 'ड्रीम टीम' बनाने में जुटे हैं। इस दौरान डोनाल़्ड ट्रंप लगातार अपने फैसलों से सभी को हैरान कर रहे हैं। ट्रंप ने अपनी कैबिनेट में भी कई ऐसे लोगों को शामिल किया, जिनके नाम सुनकर सब चौंक गए। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की स्पेसएक्स से अंतरिक्ष की पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अरबपति जेरेड इसाकमैन को नासा का नेतृत्व करने के लिए नामित किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने एक्स पर कहा, "मैं एक कुशल बिजनेस लीडर, परोपकारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री जेरेड इसाकमैन को नासा चीफ के रूप में नामित करते हुए प्रसन्न हूं। जेरेड नासा के खोज और प्रेरणा के मिशन को आगे बढ़ाएंगे, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्वेषण में अभूतपूर्व उपलब्धियां मिलेंगी।"

सीनेट यदि उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर देती है तो वह फ्लोरिडा के पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर 82 वर्षीय बिल नेल्सन का स्थान लेंगे, जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नामित किया था।

एलन मस्क से भी खास नाता

इसाकमैन का दिग्गज कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से भी खास नाता है। दरअसल, इसाकमैन स्पेसएक्स के सहयोग से ही अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करने वाले पहले निजी अंतरिक्षयात्री बने थे। कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी के सीईओ और संस्थापक 41 वर्षीय जेरेड इसाकमैन ने 2021 की उस यात्रा पर प्रतियोगिता विजेताओं को साथ अंतरिक्ष की यात्रा की और सितंबर में एक मिशन के साथ भी अंतरिक्ष में गए, जहां पर उन्होंने स्पेसएक्स के नए स्पेसवॉकिंग सूट का परीक्षण करने के लिए कुछ समय के लिए अंतरिक्ष में विचरण किया।

एलन मस्क ने इसाकमैन को दी बधाई

एलन मस्क ने एक्स पर इसाकमैन को बधाई देते हुए उन्होंने उच्च क्षमता वाला ईमानदार शख्स बताया है। जेरेड इसाकमैन एक प्रमुख अमेरिकी कारोबारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अब दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभालेंगे। ट्रंप के ऐलान के बाद इसाकमैन ने कहा कि वह काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह दुनिया के अविश्वसनीय साहसिक कार्य का नेतृत्व करने के लिए उत्साहित हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

भारत के प्रति अचानक क्यों प्रेम दिखाने लगा चीन, कहीं ट्रंप की वापसी का तो नहीं है असर?

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अमेरिका में फिर से डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी का वैश्विक असर देखा जा रहा है। हर देश ट्रंप के साथ अपने हितों को साधने के लिए कोशिश कर रहा है। चीन को सबसे ज्यादा डर कारोबार को लेकर है। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप चीन पर लगने वाला टैरिफ शुल्क बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही धीमी आर्थिक गति की मार झेल रहे चीन के लिए यह बड़ा धक्का होगा। ऐसे में चीन की अकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। खासकर भारत के साथ ड्रैगन के तेवर में तेजी से बदलाव हुए हैं।

भारत-चीन के बीच कम हो रही कड़वाहट

भारत और चीन के बीच संबंधों की बात करें तो सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ अक्सर उसके संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे है, लेकिन अचनाक से भारत और चीन के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है। पहले दोनों देशों के बीच एलएसी पर सहमति बनी है। बीते माह दोनों देशों ने एलएसी के विवाद वाले हिस्से से अपनी-अपनी सेना वापस बुला ली। फिर रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत हुई। अब दोनों देश के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने पर जोर बढ़ रहा है। अब ब्राजील में जी20 देशों की बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई। भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदियों के जल बंटवारे और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने के मुद्दों पर बात बढ़ी है। चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है।

चीन के ढीले पड़े तेवर की क्या है वजह?

चीन के ढीले पड़े तेवर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है। दरअसल, जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता है, तब से चीन डरा हुआ है। अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर नकेल कसने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही वजह है कि अब चीन ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका के साथ मधुर संबंधों को बनाए रखने की बातें करने लगा है। इसके लिए वह भारत से भी तनाव कम करने के लिए तैयार है। अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है।यह बात अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कही।

ट्रंप का वापसी से डरा ड्रैगन

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है। उन्होंने सत्ता संभालने से पहले ही इसकी झलक दे दी है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनते ही वह चीन से होने वाले सभी आयात पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेंगे। उनका कहना है कि वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग स्थन नहीं बनने देंगे।

भारत के साथ संबंध सुधारने की ये है वजह

शी जिनपिंग समझ चुके हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था पहले से हिली हुईं है। चीन का विकास दर घटता जा रहा है। 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रह सकता है। अमेरिका की ओर से दवाब बढ़ने की आशंकाओं में चीन के पास भारत के साथ संबंधों को सुधराने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचता। भारत में चीनी निवेश के सख्त नियम है, और भारत जैसे बढ़ते बाजार में चीन अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। ऐसे में संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहा है।

यूएस से होने वाले नुकसान की यहां होगी भरपाई

इस वक्त भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। चीन के लिए भारत दुनिया का एक बड़ा बाजार है। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है। वैसे चीन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। बीते साल 2023 में उसका कुल निर्यात 3.38 ट्रिलियन डॉलर का रहा। भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही करीब 3.5 ट्रिलिनय डॉलर की है। चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। यूरोपीय संघ भी उसका एक सबसे बड़ा साझेदार है। लेकिन भारत दुनिया में एक उभरता हुआ बाजार है।चीन आने वाले दिनों में अमेरिका में होने वाले नुकसान की कुछ भरपाई भारत को निर्यात बढ़ाकर कर सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भारत और चीन के रिश्ते में नरमी का कहीं यही राज तो नहीं है।

‘तीसरा विश्व युद्ध होगा शुरू': ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले ‘आक्रामक’ नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप

#worldwarthreepredictedtrumpaccusedofagressivepolicies

Donald Trump and Joe Biden

डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने बिडेन प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह जनवरी में अपने पिता के व्हाइट हाउस में लौटने से पहले तनाव को बढ़ावा दे रहा है, जो “तीसरा विश्व युद्ध” का कारण बन सकता है। यह दावा राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा यूक्रेनी सेना को रूसी क्षेत्र को निशाना बनाने के लिए अमेरिकी आपूर्ति की गई लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के बाद किया गया है, एक ऐसा कदम जो अमेरिका और रूस के बीच तनाव को बढ़ा सकता है - ट्रम्प का दावा है कि तनाव को आसानी से संभाला जा सकता है।

रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तर कोरिया ने कुर्स्क क्षेत्र में 15,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जबकि कीव कथित तौर पर रूस के भीतर महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उन्नत मिसाइलों का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है।

ट्रम्प जूनियर ने बिडेन की नीतियों और सैन्य-औद्योगिक परिसर की आलोचना की

"सैन्य औद्योगिक परिसर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मेरे पिता को शांति स्थापित करने और लोगों की जान बचाने का मौका मिलने से पहले ही वे तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर दें," ट्रम्प जूनियर, 46, ने 18 नवंबर को ट्वीट किया, कुछ ही समय पहले रिपोर्टों ने पुष्टि की थी कि यूक्रेनी सेना को रूस को निशाना बनाने के लिए पूर्वोत्तर सीमा पर सेना की सामरिक मिसाइल प्रणालियों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के महीनों के अनुरोधों के बाद हुआ है, जबकि ट्रम्प ने बिडेन के उत्तराधिकारी बनने के बाद युद्ध को समाप्त करने की कसम खाई थी। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने अभियान के दौरान कहा है, वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो शांति वार्ता के लिए दोनों पक्षों को एक साथ ला सकते हैं, और युद्ध को समाप्त करने और हत्या को रोकने की दिशा में काम कर सकते हैं," ट्रम्प के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने पहले NY पोस्ट को बताया था।

तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?

जवाब में, रूस के फेडरेशन काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य आंद्रेई क्लिशास ने टेलीग्राम के माध्यम से चेतावनी दी कि पश्चिम की ओर से की गई कार्रवाई "सुबह तक" यूक्रेनी राज्य के पूर्ण पतन का कारण बन सकती है, रॉयटर्स के अनुसार।

रूस के ऊपरी सदन अंतर्राष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रथम उप प्रमुख व्लादिमीर दज़बारोव ने चेतावनी दी कि मॉस्को की प्रतिक्रिया तेज़ होगी, उन्होंने इस कार्रवाई को "तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की ओर एक बहुत बड़ा कदम" बताया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर में पहले कहा था कि यूक्रेन को पश्चिम से मिसाइलों के साथ रूसी भूमि पर हमला करने देने से पश्चिम और रूस के बीच सीधी लड़ाई होगी, जिससे पूरे संघर्ष की प्रकृति बदल जाएगी।

बाइडेन के इस फैसले ने ऑनलाइन भी भारी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने इस कृत्य को "मूर्खतापूर्ण" करार दिया है। "बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रोगात्मक और पूरी तरह से पागलपन है। अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के अंदरूनी हिस्सों में गोलीबारी करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए! कल्पना कीजिए कि अगर रूस ने अमेरिका में मिसाइलें दागने के लिए आपूर्ति की होती!" MAGA समर्थक चार्ली किर्क ने कहा। "अमेरिकी लोगों ने शांति लाने के लिए ट्रम्प को भारी मतों से वोट दिया, और अब बिडेन हमें तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा रहे हैं," एक अन्य नेटिजन ने टिप्पणी की।

'ट्रम्प और पुतिन की फ़ोन वार्ता है काल्पनिक ': रूस ने यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड - पुतिन की बातचीत की खबरों का किया खंडन

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Vladimir Putin & Donald Trump

रूस ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच निजी बातचीत की खबरों का खंडन किया। क्रेमलिन ने इस रिपोर्ट को "पूरी तरह से काल्पनिक" और "झूठी जानकारी" बताया। यह अब प्रकाशित की जा रही जानकारी की गुणवत्ता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है। यह पूरी तरह से झूठ है। यह पूरी तरह से काल्पनिक है। यह सिर्फ झूठी जानकारी है," राज्य के स्वामित्व वाली स्पुतनिक न्यूज ने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से कहा।

रविवार को, द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि ट्रम्प ने गुरुवार को फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट से पुतिन के साथ एक निजी टेलीफोन पर बातचीत की। इसने बिना विवरण के यह भी दावा किया कि ट्रम्प ने यूक्रेन में रूस द्वारा कब्जा की गई "भूमि के मुद्दे को संक्षेप में उठाया"। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने पुतिन को यूरोप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई और संघर्ष को हल करने के लिए आगे की बातचीत में रुचि व्यक्त की।

यूक्रेन पर ट्रंप का रुख

चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि अगर वे अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो वे कभी युद्ध शुरू नहीं होने देते और उन्होंने युद्ध को जल्द खत्म करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कीव के लिए वाशिंगटन के बहु-अरब डॉलर के समर्थन पर भी सवाल उठाया है, जो यूक्रेन के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। ट्रंप और उनके अभियान ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी सहायता बिडेन प्रशासन में रक्षा कंपनियों और विदेश नीति के पक्षधरों के "भ्रष्ट" युद्ध समर्थक गठजोड़ को वित्तपोषित करने में मदद करती है।

यूक्रेन में युद्ध लगभग तीन साल से चल रहा है। पिछले सप्ताहांत, युद्ध के मोर्चे पर दोनों पक्षों की ओर से अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले हुए। रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 145 ड्रोन दागे, जबकि मॉस्को ने राजधानी शहर को निशाना बनाकर 34 यूक्रेनी ड्रोन गिराने का दावा किया। हमलों में हालिया वृद्धि को नए अमेरिकी प्रशासन के तहत संभावित वार्ता से पहले दोनों देशों द्वारा बढ़त हासिल करने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।

चुनाव जीतते ही एक्शन में आए ट्रंप, पुतिन को लगाया फोन, क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध?

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपत ग्रहण से पहले ही एक्शन में दिख रहे हैं। पदभार संभालने से पहले ही वो काम पर लग गए हैं। इसी क्रम में ट्रंप ने रविवार को रूस-युक्रेन युद्ध के बीच उन्‍होंने रूसी राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को फोन घुमाया। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को बात हुई जिसमें ट्रंप ने पुतिन से यूक्रेन में युद्ध को न बढ़ाने को कहा है। बता दें कि पीएम मोदी भी रूस-यूक्रेन संकट को हल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में वो रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों का दौरा कर चुके हैं। यही नहीं अपने दो विश्वासपात्रों विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को पीएम मोदी ने युद्ध रुकवाने की कोशिशें करने की विशेष जिम्‍मेदारी दी है।

वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक कॉल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर पुतिन को यूरोप में मजबूत अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई। इसके साथ ही यूक्रेन युद्ध का हल तलाशने के लिए आगे भी चर्चा में रुचि जाहिर की। वॉशिंगटन पोस्ट ने मामले की जानकारी रखने वाले अज्ञात स्रोतों के हवाले से बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस मुद्दे पर मॉस्को के साथ भविष्य की बातचीत में शामिल होने की इच्छा का संकेत दिया।

पुतिन से पहले जेलेंस्की से भी की बात

ट्रंप और पुतिन की बातचीत ऐसे वक्त हुई है, जब एक दिन पहले ही अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की थी। इस बातचीत के दौरान एलन मस्क भी ट्रंप के साथ मौजूद थे। अमेरिका के एक्सियोस पोर्टल की न्यूज रिपोर्ट की मानें तो यूक्रेन के मुद्दे पर दो बड़ी घटनाएं हुईं, पहली यह कि एलन मस्क ने जेलेंस्की से बातचीत की है और दूसरी यह कि इस बातचीत के बाद जेलेंस्की संघर्ष को लेकर कुछ बातों पर समझाने के बाद राजी हुए। इसी रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप, मस्क और जेलेंस्की के बीच फोन पर करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। जेलेंस्की की तरफ से बधाई मिलने के बाद ट्रंप ने उन्हें कहा कि वह यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखेंगे।

पुतिन ने ट्रंप के साथ बातचीत की इच्छा जाहिर की

बता दें कि पिछले हफ्ते रूस के सोची में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पुतिन ने कहा था, यह मत सोचिए कि ट्रम्प के साथ बातचीत करना गलत है। अगर दुनिया के कुछ नेता संपर्क बहाल करना चाहते हैं, मैं इसके खिलाफ नहीं हूं। हम ट्रंप से बात करने के लिए तैयार हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस के साथ संबंधों को बहाल करने की इच्छा के बारे में, यूक्रेनी संकट को खत्म करने में मदद करने के लिए, मेरी राय में, कम से कम ध्यान देने योग्य है। उन्होंने ट्रम्प को एक बहादुर आदमी भी बताया और कहा कि वह इस बात से प्रभावित हैं कि जुलाई में हत्या के प्रयास के बाद ट्रम्प ने खुद को कैसे संभाला।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था?

जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?

भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।।

नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?

भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे।

कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो।

चीन की बढ़ेगी मुश्किल

ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो।

चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी।

पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक

भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।

पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है”, जीत के बाद बोले ट्रंप

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी करने वाले हैं। ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदेशी राजनेताओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की शानदार और धमाकेदार जीत पर उन्हें सबसे पहले बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद पीएम मोदी ने उनसे फोन पर बात की।बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट किया।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है।’

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पीएम मोदी की इस पहल का गर्मजोशी से जवाब दिया। उन्होंने भारत को शानदार देश और पीएम मोदी को शानदार व्यक्ति बताया। ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके जीत हासिल करने के बाद बात की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है।' उन्होंने भारत को एक मूल्यवान सहयोगी बताया।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति को चुनावी जीत पर शुभकामना संदेश भेजा है। जो लोग ट्रंप की विचारधारा को पसंद नहीं करते, उन्होंने भी औपचारिकता में बधाई संदेश भेजा है। जो बाइडेन ने ट्रंप को फोन करके बधाई दी और उन्हें व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हालांकि रूस ने अब तक ट्रंप को बधी नहीं दी है, साथ ही अमेरिका को अमित्र देश बताया है।