मंदिरों को बंद कर मस्जिदों का निर्माण: ऐतिहासिक विवाद, हाल के प्रमाण और समकालीन संदर्भ

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भारत और अन्य देशों में मंदिरों को बंद कर मस्जिदों का निर्माण न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक विवादों का कारण रहा है, बल्कि यह सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्षों का प्रतीक भी रहा है। यह प्रक्रिया भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में प्रचलित रही, जहां मुस्लिम शासकों ने पुराने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर नए धार्मिक स्थल स्थापित किए। हालांकि, समय के साथ इन घटनाओं को लेकर कई नई खोजें और प्रमाण सामने आए हैं, जो इस विवाद के जटिल पहलुओं को उजागर करते हैं।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण और विवाद

मध्यकाल में, जब भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम शासकों का प्रभुत्व था, मंदिरों को मस्जिदों में बदलने का सिलसिला कई स्थानों पर चला। यह कार्य धार्मिक और राजनीतिक शक्ति को स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था। कई शासकों ने मंदिरों को मस्जिदों में बदलकर अपने साम्राज्य की शक्ति को प्रदर्शित किया। यह घटनाएँ उस समय के सांस्कृतिक संघर्ष और सत्ता की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा थीं, जिनका परिणाम धार्मिक स्थलों के नष्ट होने और नए धार्मिक प्रतीकों के निर्माण के रूप में सामने आया।

प्रमुख घटनाएँ और प्रमाण

1. बाबरी मस्जिद, अयोध्या (1992):

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवाद सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है। यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी, जो भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में पूजा जाता था। 1992 में इस मस्जिद को गिराए जाने के बाद कई दस्तावेज़ और पुरातात्त्विक प्रमाण सामने आए, जिनसे यह संकेत मिलता है कि मस्जिद के नीचे एक प्राचीन हिंदू मंदिर था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई में मंदिर के अवशेष पाए गए, जिनसे यह पुष्टि होती है कि यह स्थल पहले एक मंदिर था।

2. ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी (2021-2022):

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद पर भी विवाद है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। 2021 में हिंदू संगठनों ने दावा किया कि मस्जिद के अंदर हिंदू धार्मिक प्रतीकों के अवशेष हैं। कोर्ट के आदेश पर किए गए अध्ययन में दीवारों पर मूर्तियाँ और अन्य हिंदू कलाकृतियाँ पाए गए, जो यह साबित करते हैं कि इस स्थल पर पहले मंदिर था। इस विवाद ने न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक रुख भी लिया और यह मुद्दा भारतीय समाज में एक बड़ा विषय बन गया।

3. श्री कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा (2022):

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भी हाल ही में विवाद बढ़ा। इस स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था, जो पुराने हिंदू मंदिर को नष्ट कर बनाया गया था। हाल के वर्षों में हुए अध्ययन और खुदाई से यह स्पष्ट हुआ है कि इस स्थल पर पहले एक भव्य मंदिर था, जिसके अवशेष अब भी पाए गए हैं। इस विवाद ने हिंदू समुदाय के बीच असंतोष को जन्म दिया और यह मुद्दा न्यायालय में पहुंचा।

4. गुलबर्ग मस्जिद, अहमदाबाद (2002):

  अहमदाबाद में गुलबर्ग मस्जिद का निर्माण भी इसी तरह के विवाद का हिस्सा रहा है। इस मस्जिद का निर्माण भी एक पुराने हिंदू धार्मिक स्थल पर हुआ था, जिसे बाद में मस्जिद के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था। इस मस्जिद पर 2002 में हुए गुजरात दंगों का असर पड़ा, जब हिंसा के दौरान मस्जिद को आंशिक रूप से नुकसान हुआ। इस घटनाक्रम ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक संघर्ष को और भी बढ़ाया और विवादों को और गंभीर रूप से सामने लाया।

सांस्कृतिक और धार्मिक संघर्ष

भारत में मंदिरों को मस्जिदों में बदलने का इतिहास केवल धार्मिक आस्थाओं का टकराव नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक संघर्ष का भी परिणाम था। जब एक साम्राज्य अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश करता था, तो वह धार्मिक स्थलों को अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक उद्देश्य के रूप में उपयोग करता था। इस प्रक्रिया में कई बार पुरानी सांस्कृतिक धरोहरों का नष्ट होना और धार्मिक पहचान का संकट उत्पन्न हुआ।

समकालीन संदर्भ और संवेदनशीलता

आज भी इन ऐतिहासिक घटनाओं और धार्मिक स्थलों के विवादों से जुड़े मुद्दे राजनीति और समाज में गहरे प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा जैसे मामले आज भी अदालतों में चल रहे हैं, और इनसे जुड़े ताजातरीन प्रमाणों ने समाज में धार्मिक असहमति और तनाव को बढ़ाया है। इन विवादों को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं कि क्या पुराने धार्मिक स्थलों के मुद्दे को सुलझाने से धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा या इससे सांप्रदायिक हिंसा का खतरा पैदा होगा। इसके अलावा, ये प्रश्न भी उठते हैं कि सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण कैसे किया जाए और उन स्थानों पर शांति स्थापित की जाए, जो वर्षों से विवादों का केंद्र रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और समाधान की दिशा

इन मुद्दों के समाधान के लिए सरकारें और अदालतें विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य सांस्कृतिक संरक्षण संस्थाएं इन स्थानों का अध्ययन कर रही हैं, ताकि उन पर आधारित फैसले सटीक और निष्पक्ष हों। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इन विवादों का समाधान धार्मिक सहिष्णुता, संवाद और एकता के आधार पर किया जाए, ताकि समाज में सामूहिक रूप से शांति और समझ बढ़े।

मंदिरों को बंद कर मस्जिदों के निर्माण से जुड़े विवाद भारतीय इतिहास का एक संवेदनशील और विवादास्पद हिस्सा रहे हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि इन स्थलों का धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व था। आज के समय में, जब इन घटनाओं से जुड़े नए प्रमाण सामने आ रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम इन मुद्दों को शांति और समझदारी से सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाएं। यह भविष्य के लिए एक सकारात्मक मार्ग सुनिश्चित कर सकता है, जिससे सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

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ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

The 'Ektan Club' of Seattle, Washington celebrates the power of women

Desk : The word 'patriarchy' has become quite irrelevant in the world now. There is only one system outside of India, that is human system. Is it only men who have the right to serve God in temples? Nandini Bhowmik, Rohini Dharmapala gave that answer to the patriarchal society long ago. Following in their footsteps, the Oikyatan Club of Seattle, Washington celebrated the power of women by breaking through the darkness of gender inequality in the priesthood. Uma is worshiped here by women. Priyanka Gangopadhyay and Anvesha Chakraborty are the priests here. This time will not be an exception.

Far away in the United States there is no forest, Shiuli saw a fair load. However, with the arrival tune, Matwara is 'Eiktan' club. Far from Pujo's Tilottama, it's as if Umar's roots are closer to Seattle, Washington. Like Kolkata, the last-minute preparations are in full swing. Priyanka Gangopadhyay, founding member of 'Eiktan', said, "Our puja has entered four years. However, even though it is a new puja committee, the pomp of the arrangement is not less in any part.” From enjoying khichuri on Ashtami to eating kabji mutton on Navami, chatting, gathering in Nachegan, this Seattle club's puja. Three years ago, Uma Aradhana of Eiktan started as a home puja. Bengalis from that region and neighboring regions gathered together on those four days.

Pic Courtesy by:machinnamasta.in

कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स लगाएगी कांग्रेस सरकार, बीजेपी ने बोला जोरदार हमला, बताया हिंदू विरोधी

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कर्नाटक सरकार ने ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें। इस विधेयक में हिंदू मंदिरों के राजस्व पर 10 फीसदी टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है। इस पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है और कांग्रेस सरकार को हिंदू विरोधी बताया है। 

दरअसल, बुधवार को सिद्धारमैया सरकार ने ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित कर दिया। कर्नाटक सरकार की ओर से पारित विधेयक सरकार को उन मंदिरों से 10 प्रतिशत कर एकत्र करने का अधिकार देता है जिनका राजस्व 1 करोड़ रुपये से अधिक है और उन मंदिरों से 5 प्रतिशत कर एकत्र करने का अधिकार है जिनका राजस्व 10 लाख से 1 करोड़ के बीच है।

इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है। उन्होंने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा ‘कांग्रेस सरकार, जो राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है, ने अब हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर डाली है और अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है।’ उन्होंने कहा कि एकत्रित धन का उपयोग ‘कहीं और’ होगा। उन्होंने कहा कि ‘मंदिर के विकास के लिए भक्तों द्वारा समर्पित प्रसाद को मंदिर के जीर्णोद्धार और भक्तों की सुविधा के लिए आवंटित किया जाना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों की दैवीय मान्यताओं पर हिंसा और धोखाधड़ी है।

बीजेपी द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विजयेंद्र पर पलटवार किया। उन्होंने भाजपा पर धर्म को राजनीति में लाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा- हिंदुत्व की सच्ची समर्थक तो कांग्रेस है। लेकिन भाजपा हमेशा कांग्रेस को हिंदू विरोधी दिखाकर लाभ लेती है। पर, हिंदू धर्म के सच्चे समर्थक हम हैं, क्योंकि वर्षों से कांग्रेस ने मंदिर और हिंदू हितों की रक्षा की है।

तमिलनाडु और इसकी प्राकृतिक सुंदरता

तमिलनाडु दक्षिणी भारत का एक राज्य है, जो अपने द्रविड़ शैली के हिंदू मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 130,060 वर्ग किलोमीटर है। राज्य की सीमा पूर्व और दक्षिण में हिंद महासागर और केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों से लगती है।

भारत का नक्शा

तमिलनाडु अपने साहित्य, कला, संगीत और नृत्य के लिए जाना जाता है। यह भारत में प्रौद्योगिकी और आधुनिक जीवन शैली का एक उभरता हुआ केंद्र भी है। राज्य में हिंदू धर्म सबसे प्रमुख धर्म है, 88% से अधिक आबादी हिंदू के रूप में पहचान रखती है।

तमिलनाडु ग्रेनाइट, लिग्नाइट और चूना पत्थर से समृद्ध है। यह टैन्ड त्वचा और चमड़े के सामान, सूत, चाय और कॉफी का भी एक प्रमुख निर्यातक है।

तमिलनाडु तमिल लोगों का घर है, जिन्हें अपनी द्रविड़ भाषा और संस्कृति पर गर्व है। राज्य पहले ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, और तमिलों ने हिंदी को एकमात्र राष्ट्रीय भाषा बनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों का विरोध किया है।

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई है, जो फोर्ट सेंट जॉर्ज सहित अपने समुद्र तटों और स्थलों के लिए जाना जाता है। तमिलनाडु में अन्य उल्लेखनीय स्थानों में शामिल हैं:

मदुरै: मीनाक्षी अम्मन मंदिर का घर, जिसमें रंग-बिरंगे सजाए गए गोपुरम टावर हैं

पम्बन द्वीप: रामनाथस्वामी मंदिर का घर, एक तीर्थ स्थल

कन्याकुमारी: भारत का सबसे दक्षिणी छोर, जहां अनुष्ठानिक सूर्योदय होता है।

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*पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम के सामने उठाया हिंदू मंदिरों पर हमले का मसला, अल्बनीज ने दिया सुरक्षा का आश्वासन*

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पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की आस्था के केंद्र मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। इन हमलों के पीछे खालिस्तानी तत्वों का हाथ बताया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज इस समय भारत दौरे पर हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीज के सामने इस मुद्दे को उठाया है।

पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ दिल्ली में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। मुलाकात के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्बनीज के साथ वार्ता के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमले की खबरें नियमित रूप से आ रही हैं। स्वाभाविक है, ऐसे समाचार भारत में सभी लोगों को चिंतित करते हैं और हमारे मन को व्यथित करते हैं। इन भावनाओं और चिंताओं से प्रधानमंत्री अल्बनीज को अवगत कराया। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि भारतीय समुदाय की सुरक्षा उनके लिए विशेष प्राथमिकता है।

पीएम मोदी ने आगे कहा, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी में सुरक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। हमने आज हिंद और प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारी टीमें हमारे दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक समझौते पर काम कर रही हैं।

बता दें कि पिछले दो महीने में ऑस्ट्रेलिया में कम-से-कम 5 बार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। 4 मार्च को ब्रिस्बेन के बरबैंक उपनगर में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर हिंदू विरोधी और भारत विरोधी तस्वीरें बना दी गई थीं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तोड़फोड़ को खालिस्तानी समर्थक समर्थकों ने अंजाम दिया थ। तोड़फोड़ के दौरान बदमाशों ने मंदिर के पास दीवारों पर हिंदू विरोधी, भारत विरोधी और खालिस्तानी समर्थक नारे लिखे थे। इससे पहले 17 फरवरी 2023 को ब्रिस्बेन को गायत्री माता मंदिर के पुजारी को महाशिवरात्रि ना मनाने की चेतावनी दी गई थी।

मंदिरों को बंद कर मस्जिदों का निर्माण: ऐतिहासिक विवाद, हाल के प्रमाण और समकालीन संदर्भ

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भारत और अन्य देशों में मंदिरों को बंद कर मस्जिदों का निर्माण न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक विवादों का कारण रहा है, बल्कि यह सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्षों का प्रतीक भी रहा है। यह प्रक्रिया भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में प्रचलित रही, जहां मुस्लिम शासकों ने पुराने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर नए धार्मिक स्थल स्थापित किए। हालांकि, समय के साथ इन घटनाओं को लेकर कई नई खोजें और प्रमाण सामने आए हैं, जो इस विवाद के जटिल पहलुओं को उजागर करते हैं।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण और विवाद

मध्यकाल में, जब भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम शासकों का प्रभुत्व था, मंदिरों को मस्जिदों में बदलने का सिलसिला कई स्थानों पर चला। यह कार्य धार्मिक और राजनीतिक शक्ति को स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था। कई शासकों ने मंदिरों को मस्जिदों में बदलकर अपने साम्राज्य की शक्ति को प्रदर्शित किया। यह घटनाएँ उस समय के सांस्कृतिक संघर्ष और सत्ता की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा थीं, जिनका परिणाम धार्मिक स्थलों के नष्ट होने और नए धार्मिक प्रतीकों के निर्माण के रूप में सामने आया।

प्रमुख घटनाएँ और प्रमाण

1. बाबरी मस्जिद, अयोध्या (1992):

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवाद सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है। यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी, जो भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में पूजा जाता था। 1992 में इस मस्जिद को गिराए जाने के बाद कई दस्तावेज़ और पुरातात्त्विक प्रमाण सामने आए, जिनसे यह संकेत मिलता है कि मस्जिद के नीचे एक प्राचीन हिंदू मंदिर था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई में मंदिर के अवशेष पाए गए, जिनसे यह पुष्टि होती है कि यह स्थल पहले एक मंदिर था।

2. ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी (2021-2022):

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद पर भी विवाद है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। 2021 में हिंदू संगठनों ने दावा किया कि मस्जिद के अंदर हिंदू धार्मिक प्रतीकों के अवशेष हैं। कोर्ट के आदेश पर किए गए अध्ययन में दीवारों पर मूर्तियाँ और अन्य हिंदू कलाकृतियाँ पाए गए, जो यह साबित करते हैं कि इस स्थल पर पहले मंदिर था। इस विवाद ने न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक रुख भी लिया और यह मुद्दा भारतीय समाज में एक बड़ा विषय बन गया।

3. श्री कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा (2022):

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भी हाल ही में विवाद बढ़ा। इस स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था, जो पुराने हिंदू मंदिर को नष्ट कर बनाया गया था। हाल के वर्षों में हुए अध्ययन और खुदाई से यह स्पष्ट हुआ है कि इस स्थल पर पहले एक भव्य मंदिर था, जिसके अवशेष अब भी पाए गए हैं। इस विवाद ने हिंदू समुदाय के बीच असंतोष को जन्म दिया और यह मुद्दा न्यायालय में पहुंचा।

4. गुलबर्ग मस्जिद, अहमदाबाद (2002):

  अहमदाबाद में गुलबर्ग मस्जिद का निर्माण भी इसी तरह के विवाद का हिस्सा रहा है। इस मस्जिद का निर्माण भी एक पुराने हिंदू धार्मिक स्थल पर हुआ था, जिसे बाद में मस्जिद के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था। इस मस्जिद पर 2002 में हुए गुजरात दंगों का असर पड़ा, जब हिंसा के दौरान मस्जिद को आंशिक रूप से नुकसान हुआ। इस घटनाक्रम ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक संघर्ष को और भी बढ़ाया और विवादों को और गंभीर रूप से सामने लाया।

सांस्कृतिक और धार्मिक संघर्ष

भारत में मंदिरों को मस्जिदों में बदलने का इतिहास केवल धार्मिक आस्थाओं का टकराव नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक संघर्ष का भी परिणाम था। जब एक साम्राज्य अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश करता था, तो वह धार्मिक स्थलों को अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक उद्देश्य के रूप में उपयोग करता था। इस प्रक्रिया में कई बार पुरानी सांस्कृतिक धरोहरों का नष्ट होना और धार्मिक पहचान का संकट उत्पन्न हुआ।

समकालीन संदर्भ और संवेदनशीलता

आज भी इन ऐतिहासिक घटनाओं और धार्मिक स्थलों के विवादों से जुड़े मुद्दे राजनीति और समाज में गहरे प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा जैसे मामले आज भी अदालतों में चल रहे हैं, और इनसे जुड़े ताजातरीन प्रमाणों ने समाज में धार्मिक असहमति और तनाव को बढ़ाया है। इन विवादों को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं कि क्या पुराने धार्मिक स्थलों के मुद्दे को सुलझाने से धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा या इससे सांप्रदायिक हिंसा का खतरा पैदा होगा। इसके अलावा, ये प्रश्न भी उठते हैं कि सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण कैसे किया जाए और उन स्थानों पर शांति स्थापित की जाए, जो वर्षों से विवादों का केंद्र रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और समाधान की दिशा

इन मुद्दों के समाधान के लिए सरकारें और अदालतें विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य सांस्कृतिक संरक्षण संस्थाएं इन स्थानों का अध्ययन कर रही हैं, ताकि उन पर आधारित फैसले सटीक और निष्पक्ष हों। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इन विवादों का समाधान धार्मिक सहिष्णुता, संवाद और एकता के आधार पर किया जाए, ताकि समाज में सामूहिक रूप से शांति और समझ बढ़े।

मंदिरों को बंद कर मस्जिदों के निर्माण से जुड़े विवाद भारतीय इतिहास का एक संवेदनशील और विवादास्पद हिस्सा रहे हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि इन स्थलों का धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व था। आज के समय में, जब इन घटनाओं से जुड़े नए प्रमाण सामने आ रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम इन मुद्दों को शांति और समझदारी से सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाएं। यह भविष्य के लिए एक सकारात्मक मार्ग सुनिश्चित कर सकता है, जिससे सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा।

संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नए मंदिर और कुओं का किया अन्वेषण, ऐतिहासिक महत्व की खोज

#new_temples_and_artifacts_found_in_sambhal_during_archaeological_survey

ANI

उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम ने नए खोजे गए मंदिर, 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया, जिला मजिस्ट्रेट डॉ राजेंद्र पेंसिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया। डीएम पेंसिया ने कहा, "संभल में, एएसआई द्वारा 5 तीर्थ और 19 कुओं का निरीक्षण किया गया, जो नया मंदिर मिला था, उसका भी निरीक्षण किया गया। सर्वेक्षण 8-10 घंटे चला। कुल मिलाकर लगभग 24 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई अपने निष्कर्षों के आधार पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेगा। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि संभल जिला प्रशासन ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा था।

13 दिसंबर को, शाही जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों द्वारा खोजे जाने के बाद, 'प्राचीन' श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को प्रार्थना के लिए फिर से खोल दिया गया। कथित तौर पर 1978 में क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के बाद से मंदिर बंद था, जिसके कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। मंदिर की यह खोज शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर क्षेत्र में पुलिस और निवासियों के बीच झड़पों के तुरंत बाद हुई। 

24 नवंबर को हुई हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। तब से, साइट के चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया कि वे पूजा स्थल अधिनियम (1991) के अनुसार किसी भी पूजा स्थल के स्वामित्व या शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को न लें या विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश न दें।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

The 'Ektan Club' of Seattle, Washington celebrates the power of women

Desk : The word 'patriarchy' has become quite irrelevant in the world now. There is only one system outside of India, that is human system. Is it only men who have the right to serve God in temples? Nandini Bhowmik, Rohini Dharmapala gave that answer to the patriarchal society long ago. Following in their footsteps, the Oikyatan Club of Seattle, Washington celebrated the power of women by breaking through the darkness of gender inequality in the priesthood. Uma is worshiped here by women. Priyanka Gangopadhyay and Anvesha Chakraborty are the priests here. This time will not be an exception.

Far away in the United States there is no forest, Shiuli saw a fair load. However, with the arrival tune, Matwara is 'Eiktan' club. Far from Pujo's Tilottama, it's as if Umar's roots are closer to Seattle, Washington. Like Kolkata, the last-minute preparations are in full swing. Priyanka Gangopadhyay, founding member of 'Eiktan', said, "Our puja has entered four years. However, even though it is a new puja committee, the pomp of the arrangement is not less in any part.” From enjoying khichuri on Ashtami to eating kabji mutton on Navami, chatting, gathering in Nachegan, this Seattle club's puja. Three years ago, Uma Aradhana of Eiktan started as a home puja. Bengalis from that region and neighboring regions gathered together on those four days.

Pic Courtesy by:machinnamasta.in

कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स लगाएगी कांग्रेस सरकार, बीजेपी ने बोला जोरदार हमला, बताया हिंदू विरोधी

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कर्नाटक सरकार ने ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें। इस विधेयक में हिंदू मंदिरों के राजस्व पर 10 फीसदी टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है। इस पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है और कांग्रेस सरकार को हिंदू विरोधी बताया है। 

दरअसल, बुधवार को सिद्धारमैया सरकार ने ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित कर दिया। कर्नाटक सरकार की ओर से पारित विधेयक सरकार को उन मंदिरों से 10 प्रतिशत कर एकत्र करने का अधिकार देता है जिनका राजस्व 1 करोड़ रुपये से अधिक है और उन मंदिरों से 5 प्रतिशत कर एकत्र करने का अधिकार है जिनका राजस्व 10 लाख से 1 करोड़ के बीच है।

इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है। उन्होंने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा ‘कांग्रेस सरकार, जो राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है, ने अब हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर डाली है और अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है।’ उन्होंने कहा कि एकत्रित धन का उपयोग ‘कहीं और’ होगा। उन्होंने कहा कि ‘मंदिर के विकास के लिए भक्तों द्वारा समर्पित प्रसाद को मंदिर के जीर्णोद्धार और भक्तों की सुविधा के लिए आवंटित किया जाना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों की दैवीय मान्यताओं पर हिंसा और धोखाधड़ी है।

बीजेपी द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विजयेंद्र पर पलटवार किया। उन्होंने भाजपा पर धर्म को राजनीति में लाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा- हिंदुत्व की सच्ची समर्थक तो कांग्रेस है। लेकिन भाजपा हमेशा कांग्रेस को हिंदू विरोधी दिखाकर लाभ लेती है। पर, हिंदू धर्म के सच्चे समर्थक हम हैं, क्योंकि वर्षों से कांग्रेस ने मंदिर और हिंदू हितों की रक्षा की है।