सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें तो पत्नी ने उठाया बड़ा कदम, क्या प्लॉट सरेंडर करने से कम होगी मुश्किल?

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कर्नाटक के चर्चित मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज किया है। मुडा स्कैम में सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी की जांच शुरू कर दी है। इस बीच सिद्धारमैया की पत्नी ने बड़ा कदम उठाया है। पार्वती ने मुडा को पत्र लिखकर उन्हें आवंटित 14 प्लॉट वापस करने की बात कही है। अब सवाल उठता है कि जमीन लौटाने का दांव कारगर साबित होगा? 

सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण मुडा को पत्र लिखा है। पार्वती ने कहा है कि मुडा से मुझे जो प्लॉट मिले हैं, वो मैं वापस करना चाहती हूं। पार्वती ने मुडा से कहा है कि उनके लिए पति ज्यादा जरूरी है, इसलिए मैं उन 14 साइटों को वापस करना चाहती हूं, जो मुझे आवंटित की गई है। पार्वती के इस फैसले पर मुडा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं सिद्धारमैया ने पार्वती के इस पत्र पर कहा है कि ये उनका फैसला है, लेकिन मैं लंबी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हूं।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुडा भूमि मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पार्वती और अन्य पर मामला दर्ज किया है। एफआईआर में पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन स्वामी भी शामिल हैं। आरोप है कि उन्होंने जमीन खरीदी थी और बाद में उसे पार्वती को तोहफे में दे दिया था। यह मामला लोकायुक्त की एफआईआर के बाद दर्ज किया गया है। ईडी का मामला इस आरोप पर आधारित है कि पार्वती को मैसूरु के एक प्रमुख स्थान पर मुआवजे के 14 प्लॉट आवंटित किए गए थे। इस प्लॉट आवंटन में लेनदेन की वैधता पर सवाल उठे हैं। 

पिछले हफ्ते बेंगलुरु की एक विशेष अदालत द्वारा मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश देने के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार, सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए ईडी अधिकृत है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति भी कुर्क कर सकता है। पिछले हफ्ते एक बयान में, सिद्धारमैया ने आरोपों का जवाब देते हुए दावा किया कि राजनीतिक प्रतिशोध के परिणामस्वरूप मामले में उन्हें अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

साल 2020 में मुडा ने एक स्कीम की शुरुआत की। स्कीम में कहा गया कि जिन लोगों की जमीन विकास के काम के लिए लिया जाएगा, उन्हें 50-50 पॉलिसी के तहत मैसूर शहर में प्लॉट और मुआवजा दिया जाएगा। बीजेपी सरकार की तरफ से शुरू की गई इस स्कीम की खूब आलोचना हुई, जिसके बाद 2023 में इसे रद्द कर दिया गया। सिद्धारमैया परिवार पर फर्जी दस्तावेज और पावर का दुरुपयोग कर इस स्कीम का लाभ लेने का आरोप है। सिद्धारमैया की पत्नी पर करीब 55 करोड़ रुपए का लाभ लेने का आरोप है। हालांकि, सिद्धारमैया इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर, MUDA स्कैम मामले में बढ़ सकती हैं मुश्किलें

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले मामले में एफआईआर दर्ज की है। कर्नाटक के एक स्पेशल कोर्ट ने लोकायुक्त टीम को जांच का जिम्मा सौंपा है। याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए जन प्रतिनिधि कोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक लोकयुक्त से इस मामले की जांच कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद आज मैसूरु लोकयुक्त पुलिस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया।

लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम और भूमि कब्जा निवारण अधिनियम के तहत अदालत द्वारा निर्धारित आईपीसी धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की। सीएम सिद्धारमैया पर आरोप A 1 है, पत्नी पार्वती पर आरोप A 2 है। वहीं, मुख्यमंत्री के साले मल्लिकार्जुन स्वामी को आरोपी नम्बर 3 और देवराज को आरोपी नम्बर 4 बनाया गया है। मुख्यमंत्री पर अपने अधिकारों को दुरुपयोग करके उनकी पत्नी के नाम मैसुरु में MUDA साइट आवंटित करने का आरोप लगा है।

सिद्धरमैया ने बीजेपी पर साधा निशाना

वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को दावा किया कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन मामले में उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि विपक्ष उनसे डरता है। इसके साथ ही, सिद्धरमैया ने कहा कि यह उनके खिलाफ पहला राजनीतिक मामला है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि मामले में अदालत द्वारा उनके खिलाफ जांच का आदेश दिये जाने के बाद भी वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कानूनी रूप से लड़ाई लड़ेंगे।

केंद्र सरकार पर सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों और देश भर में विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन में राज्यपाल के ‘हस्तक्षेप’ के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस की जरूरत है।

खरगे ने क्या कहा?

इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि MUDA के लोग जो चाहें वे कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह जरूरी नहीं है कि सरकार उसके सभी सवालों का जवाब दें, क्योंकि वह एक स्वायत्त निकाय होने के कारण कार्रवाई कर ही सकता है।

खरगे ने सीएम सिद्धारमैया का समर्थन करते हुए कहा कि उनलोगों निजी तौर पर कोई भी अपराध यदि किया हो तो इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार हैं, लेकिन वह ऐसा मानते हैं कि उन्होंने ऐसा कोई भी अपराध नहीं किया है। उन्हें बदनाम किया जा रहा है। पार्टी को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता है।

क्या है MUDA केस, जिसमें सिद्धारमैया पर चलेगा मुकदमा; राज्यपाल ने दी मंजूरी

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मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुरी तरह फंस गए हैं। अब उनके खिलाफ केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बीते दिनों मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के कथित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। साथ ही मंत्रिपरिषद ने इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया। हालांकि राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से इस संबंध में राय ली। जिसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 

आरटीआई एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाया जाएगा। अब्राहम ने राज्यपाल से सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की मांग की थी क्योंकि उनकी मंजूरी के बिना सीएम के खिलाफ केस नहीं चल सकता। अपनी शिकायत में अब्राहम ने सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के कमिश्नर के खिलाफ केस चलाने की भी मांग की थी।

बीजेपी और जेडीएस का आरोप है कि साल 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया राज्य के प्रभावशाली और अहम पदों पर रहे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, सिद्धारमैया भले ही सीधे तौर पर इस लेनदेन से न जुड़े हों, लेकिन उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल न किया हो ऐसा नहीं हो सकता।

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता शोभा करनलाजे तो पहले ही कह चुके हैं कि जमीन के लेनदेन का मामला (MUDA Case) जब से शुरू हुआ तभी से सिद्धारमैया हमेशा अहम पदों पर रहे, इस मामले में उनके परिवार पर लाभार्थी होने का आरोप है। ऐसे में उनकी इसमें भूमिका ना हो ऐसा हो ही नही सकता।

क्या है MUDA केस?

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। उसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था। लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी। साल 1998 में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई ने साल 2004 में डेनोटिफाई 3 एकड़ 14 गुंटा ज़मीन के एक टुकड़े को खरीदा था। 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी. उस सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। इसी दौरान जमीन के विवादास्पद टुकड़े को दोबारा डेनोटिफाई कर कृषि की भूमि से अलग किया गया. लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक़ लेने सिद्धरमैया का परिवार गया तो पता चला कि वहां लेआउट विकसित हो चुका था. ऐसे में MUDA से हक़ की लड़ाई शुरू हुई।

साल 2013 से 2018 के बीच सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे। उनके परिवार की तरफ़ से जमीन की अर्जी उन तक पहुंचाया गया। लेकिन सीएम सिद्धारमैया ने इस अर्जी को ये कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि लाभार्थी उनका परिवार है, इसीलिए वह इस फाइल को आगे नहीं बढ़ाएंगे। 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पास जब फाइल पहुंची। तब सिद्धारमैया विपक्ष के नेता थे। बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने MUDA के 50-50 स्कीम के तहत 14 प्लॉट्स मैसूर के विजयनगर इलाके में देने का फैसला किया।

सिद्धारमैया ने ली सीएम पद की शपथ, डिप्टी सीएम बने शिवकुमार, इन विधायकों को भी मिला मंत्रीपद

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कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने कर्नाटक के 30वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। यह दूसरी बार है जब उनपर कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए उन्हें दूसरी बार राज्य की कमान संभालने का मौका दिया है। इसके अलावा डीके शिवकुमार ने नई सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।इन दोनों नेताओं के अलावा 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। 

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के अलावा जिन आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, इनमें परमेश्वर (एससी), केएच मुनियप्पा (एससी), प्रियांक खरगे (एससी), केजे जॉर्ज (अल्पसंख्यक-ईसाई), एमबी पाटिल (लिंगायत), सतीश जारकीहोली (एसटी-वाल्मीकि), रामलिंगा रेड्डी (रेड्डी), और मुस्लिम समुदाय से बीजेड ज़मीर अहमद खान शामिल हैं। 

शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन नेता पहुंचे हैं?

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जु खड़गे, कर्नाटक के मनोनित मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल हुए।कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों ने दिखाई अपनी एकजुटता। इस समारोह में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव, महबूबा मुफ्ती मंच पर पहुंचे। वहां पर कमल हासन, सीताराम येचुरी, फारूक अब्दुल्ला, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य, सीएम अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, सुखविंदर सिंह सुक्खू मंच पर मौजूद रहे। 

राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा

वहीं शपथ ग्रहण के बाद राहुल गांधी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि कर्नाटक की जनता ने बीजेपी के भ्रष्टाचार को हरा दिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ। हम जो कहते हैं वो करते हैं। उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया।

*खत्म हुआ कर्नाटक का 'नाटक', सीएम होंगे सिद्धारमैया, शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम, कांग्रेस का औपचारिक एलान

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कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर कांग्रेस में चल रही उठापठक खत्म हो गई है। कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व के फैसले के बारे में बताया।

दोनों मुख्यमंत्री बनने लायक- वेणुगोपाल

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबसे पहले कर्नाटक की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कई चमत्कारी नेता हैं। हम सहमति पर यकीन करते हैं। शिवकुमार शानदार संगठनकर्ता हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों नेताओं से कांग्रेस की जीत के लिए दिन-रात मेहतन की है। सिद्धारमैया ही कांग्रेस के नए सीएम होंगे और डीके शिवकुमार एकलौते डिप्टी सीएम होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार में सिर्फ 1 डिप्टी सीएम होगा। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होने के साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की समाप्ति तक इस पद पर रहेंगे।

कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती-वेणुगोपाल

वेणुगोपाल ने कहा, राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए सबने बहुत मेहनत की है।कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती। इस चुनाव को जीतने के लिए सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सबने बहुत मेहनत की है। आज शाम को बंगलुरु में विधायक दल की बैठक होगी। कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा विधानपरिषद सदस्य और सांसद इस बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हम कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के सभी नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

किसे मिलेगी कर्नाटक की कमान! सिद्धारमैया का बड़ा दावा, कहा-'मेरे पक्ष में हैं अधिकतर विधायक'

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कर्नाटक की जनता अपना फैसला दे चुकी है, मगर कांग्रेस राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं कर पा रही है। कर्नाटक का किला फतह कर चुकी कांग्रेस किसे राज्य की कमान सौंपेगी ये तय नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कांग्रेस में दो धड़े नजर आने लगे हैं। बात दिल्ली तक पहुंच चुकी है और गेंद मल्लिकार्जुन खड़गे के पाले में आ चुकी है। लिहाजा मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर अब दिल्ली से ही लगनी है।इस बीच कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने बड़ा दावा किया है। सिद्धारमैया ने कहा है कि अधिकतर विधायकों की राय मेरे पक्ष में है।

सिद्धारमैया का बयान मुश्किलें बढ़ाने वाला!

सीएम के चेहरे को लेकर जारी रार के बीच इसे सुलझाने के लिए पार्टी ने तीन सदस्यीय पर्यवेक्षकों की टीम बनाई है। ये टीम विधायकों से राय-विचार करके अपनी फिडबैक पार्टी के हाईकमान को सौंपेगी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वे सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात करके मुख्यमंत्री के चेहरे पर अंतिम निर्णय लेंगे। पर्यवेक्षक आज अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपने वाले हैं। आज सिद्धारमैया और कई बड़े नेता खरगे से मिलने दिल्ली पहुंचने वाले हैं। इस बीच दिल्ली रवाना होने से पहले सिद्धारमैया ने बड़ा बयान दिया, जिसने पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि विधायकों ने पर्यवेक्षकों के सामने मेरा ही नाम लिया है और अधिकतर मेरे ही पक्ष में हैं। सिद्धारमैया ने इसी के साथ कहा कि मेरे रिश्ते डीके शिवकुमार के साथ हमेशा अच्छे रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे।उन्होंने कहा कि हम पहले भी मिलकर चले हैं, अब भी चलेंगे।

खड़गे लेंगे अंतिम फैसला

खड़गे ही अगले मुख्यमंत्री के नाम का चुनाव करेंगे। हालांकि उनके लिए इतना भी आसान नहीं होने वाला है। खड़गे की चूक कर्नाटक में कांग्रेस का पूरा खेल तक बिगाड़ सकती है। ऐसा इसलिए कि मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के समर्थक खुलकर सामने आ चुके हैं और अपने अपने नेताओं के लिए कुर्सी मांग रहे हैं। यही नहीं, सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस में पोस्टर वार तक छिड़ चुका है। रविवार को दोनों के समर्थकों ने अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए पोस्टर जारी कर दिए। बताते चलें कि कर्नाटक में कांग्रेस ने बिना चेहरे की चुनाव लड़ा। अब जीत के बाद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों कुर्सी की दौड़ में आगे खड़े हुए हैं। दोनों की कर्नाटक के दिग्गज नेता हैं और उनका अपना अपना मजबूत वोटबैंक है। यहां तक कि दोनों के अपने अपने समर्थक विधायक भी हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सिद्धारमैया और शिवकुमार सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे हैं।।

कर्नाटक के मंत्री अश्वथ नारायण के बयान पर सिद्धारमैया का पलटवार, कहा- भड़काते क्यों हैं, खुद ही एक बंदूक उठा लो

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कर्नाटक के मंत्री डॉ. सी.एन.अश्वत्थ नारायण को बयान पर सियासत गर्म है। मंत्री अश्वथनारायण के 'खत्म करो' वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता सिद्दारमैया ने पलटवार किया है। 'सिद्धारमैया ने मंत्री पर ‘जान से मारने की धमकी’ देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह लोगों को उन्हें जान से मारने के लिए उकसा रहे हैं।उन्होंने सीएम बसवराज बोम्मई से मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बाहर करने की मांग की।

भड़काते क्यों हैं, इसके बजाय, एक बंदूक ले लो और मेरे पास आओ- सिद्धारमैया

सिद्धारमैया ने ट्वीट करते हुए लिखा, आप (मंत्री अश्वथ नारायण) भड़काते क्यों हैं। इसके बजाय, एक बंदूक ले लो और मेरे पास आओ। सिद्धारमैया ने कहा कि मंत्री अश्वथ नारायण ने लोगों को मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की तरह मुझे खत्म करने का आह्वान किया था। मैं उनकी हत्या के आह्वान से हैरान नहीं हूं। हम इनके नेताओं से प्यार, सहानुभूति, और दोस्ती की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। वह पार्टी जो महात्मा गांधी की हत्या करने वाले का सम्मान करती है।

अश्वथ नारायण को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग

सिद्धारमैया ने कहा कि इन्होंने ही महात्मा गांधी की हत्या की थी। मंत्री अश्वथनारायण ने वही कहा जो आरएसएस ने उन्हें कहने का निर्देश दिया था। मैं मांग करता हूं कि राज्यपाल को कैबिनेट से मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए। मैं शिकायत दर्ज नहीं करूंगा, पुलिस को खुद मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।

क्या कहा था अश्वथ नारायण ने?

बता दें कि कर्नाटक में मंत्री अश्वथनारायण ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था, टीपू के वंशज सिद्दारमैया आएंगे…. लेकिन आप टीपू को चाहते हैं या सावरकर को? हमें टीपू सूल्तान को कहां भेज देना चाहिए? उरी गौड़ा और नांजे गौड़ा ने क्या किया? ठीक उसी तरह से उन्हें (सिद्दारमैया) को भी वहां भेज देना चाहिए। 

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष ने भी दिया विवादित बयान

टीपू सुल्तान को लेकर कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष ने भी विवादित बयान दिए हैं। राज्य में पार्टी अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने उन लोगों को ‘जान से मारने’ की अपील की जो टीपू के समर्थक हैं। कोप्पल जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए बीजेपी अध्यक्ष कतील ने कहा कि ‘हम भगवान राम, भगवान हनुमान के भक्त हैं। हम उन्हीं की पूजा करते हैं, और हम टीपू के वंशज नहीं हैं। टीपू के वंशजों को वापस घर भेजना होगा। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि, जो लोग टीपू के कट्टर अनुयायी हैं, उन्हें इस धरती पर जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है।

सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें तो पत्नी ने उठाया बड़ा कदम, क्या प्लॉट सरेंडर करने से कम होगी मुश्किल?

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कर्नाटक के चर्चित मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज किया है। मुडा स्कैम में सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी की जांच शुरू कर दी है। इस बीच सिद्धारमैया की पत्नी ने बड़ा कदम उठाया है। पार्वती ने मुडा को पत्र लिखकर उन्हें आवंटित 14 प्लॉट वापस करने की बात कही है। अब सवाल उठता है कि जमीन लौटाने का दांव कारगर साबित होगा? 

सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण मुडा को पत्र लिखा है। पार्वती ने कहा है कि मुडा से मुझे जो प्लॉट मिले हैं, वो मैं वापस करना चाहती हूं। पार्वती ने मुडा से कहा है कि उनके लिए पति ज्यादा जरूरी है, इसलिए मैं उन 14 साइटों को वापस करना चाहती हूं, जो मुझे आवंटित की गई है। पार्वती के इस फैसले पर मुडा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं सिद्धारमैया ने पार्वती के इस पत्र पर कहा है कि ये उनका फैसला है, लेकिन मैं लंबी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हूं।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुडा भूमि मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पार्वती और अन्य पर मामला दर्ज किया है। एफआईआर में पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन स्वामी भी शामिल हैं। आरोप है कि उन्होंने जमीन खरीदी थी और बाद में उसे पार्वती को तोहफे में दे दिया था। यह मामला लोकायुक्त की एफआईआर के बाद दर्ज किया गया है। ईडी का मामला इस आरोप पर आधारित है कि पार्वती को मैसूरु के एक प्रमुख स्थान पर मुआवजे के 14 प्लॉट आवंटित किए गए थे। इस प्लॉट आवंटन में लेनदेन की वैधता पर सवाल उठे हैं। 

पिछले हफ्ते बेंगलुरु की एक विशेष अदालत द्वारा मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश देने के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार, सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए ईडी अधिकृत है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति भी कुर्क कर सकता है। पिछले हफ्ते एक बयान में, सिद्धारमैया ने आरोपों का जवाब देते हुए दावा किया कि राजनीतिक प्रतिशोध के परिणामस्वरूप मामले में उन्हें अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

साल 2020 में मुडा ने एक स्कीम की शुरुआत की। स्कीम में कहा गया कि जिन लोगों की जमीन विकास के काम के लिए लिया जाएगा, उन्हें 50-50 पॉलिसी के तहत मैसूर शहर में प्लॉट और मुआवजा दिया जाएगा। बीजेपी सरकार की तरफ से शुरू की गई इस स्कीम की खूब आलोचना हुई, जिसके बाद 2023 में इसे रद्द कर दिया गया। सिद्धारमैया परिवार पर फर्जी दस्तावेज और पावर का दुरुपयोग कर इस स्कीम का लाभ लेने का आरोप है। सिद्धारमैया की पत्नी पर करीब 55 करोड़ रुपए का लाभ लेने का आरोप है। हालांकि, सिद्धारमैया इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर, MUDA स्कैम मामले में बढ़ सकती हैं मुश्किलें

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले मामले में एफआईआर दर्ज की है। कर्नाटक के एक स्पेशल कोर्ट ने लोकायुक्त टीम को जांच का जिम्मा सौंपा है। याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए जन प्रतिनिधि कोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक लोकयुक्त से इस मामले की जांच कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद आज मैसूरु लोकयुक्त पुलिस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया।

लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम और भूमि कब्जा निवारण अधिनियम के तहत अदालत द्वारा निर्धारित आईपीसी धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की। सीएम सिद्धारमैया पर आरोप A 1 है, पत्नी पार्वती पर आरोप A 2 है। वहीं, मुख्यमंत्री के साले मल्लिकार्जुन स्वामी को आरोपी नम्बर 3 और देवराज को आरोपी नम्बर 4 बनाया गया है। मुख्यमंत्री पर अपने अधिकारों को दुरुपयोग करके उनकी पत्नी के नाम मैसुरु में MUDA साइट आवंटित करने का आरोप लगा है।

सिद्धरमैया ने बीजेपी पर साधा निशाना

वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को दावा किया कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन मामले में उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि विपक्ष उनसे डरता है। इसके साथ ही, सिद्धरमैया ने कहा कि यह उनके खिलाफ पहला राजनीतिक मामला है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि मामले में अदालत द्वारा उनके खिलाफ जांच का आदेश दिये जाने के बाद भी वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कानूनी रूप से लड़ाई लड़ेंगे।

केंद्र सरकार पर सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों और देश भर में विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन में राज्यपाल के ‘हस्तक्षेप’ के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस की जरूरत है।

खरगे ने क्या कहा?

इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि MUDA के लोग जो चाहें वे कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह जरूरी नहीं है कि सरकार उसके सभी सवालों का जवाब दें, क्योंकि वह एक स्वायत्त निकाय होने के कारण कार्रवाई कर ही सकता है।

खरगे ने सीएम सिद्धारमैया का समर्थन करते हुए कहा कि उनलोगों निजी तौर पर कोई भी अपराध यदि किया हो तो इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार हैं, लेकिन वह ऐसा मानते हैं कि उन्होंने ऐसा कोई भी अपराध नहीं किया है। उन्हें बदनाम किया जा रहा है। पार्टी को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता है।

क्या है MUDA केस, जिसमें सिद्धारमैया पर चलेगा मुकदमा; राज्यपाल ने दी मंजूरी

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मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुरी तरह फंस गए हैं। अब उनके खिलाफ केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बीते दिनों मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के कथित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। साथ ही मंत्रिपरिषद ने इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया। हालांकि राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से इस संबंध में राय ली। जिसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 

आरटीआई एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाया जाएगा। अब्राहम ने राज्यपाल से सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की मांग की थी क्योंकि उनकी मंजूरी के बिना सीएम के खिलाफ केस नहीं चल सकता। अपनी शिकायत में अब्राहम ने सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के कमिश्नर के खिलाफ केस चलाने की भी मांग की थी।

बीजेपी और जेडीएस का आरोप है कि साल 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया राज्य के प्रभावशाली और अहम पदों पर रहे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, सिद्धारमैया भले ही सीधे तौर पर इस लेनदेन से न जुड़े हों, लेकिन उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल न किया हो ऐसा नहीं हो सकता।

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता शोभा करनलाजे तो पहले ही कह चुके हैं कि जमीन के लेनदेन का मामला (MUDA Case) जब से शुरू हुआ तभी से सिद्धारमैया हमेशा अहम पदों पर रहे, इस मामले में उनके परिवार पर लाभार्थी होने का आरोप है। ऐसे में उनकी इसमें भूमिका ना हो ऐसा हो ही नही सकता।

क्या है MUDA केस?

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। उसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था। लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी। साल 1998 में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई ने साल 2004 में डेनोटिफाई 3 एकड़ 14 गुंटा ज़मीन के एक टुकड़े को खरीदा था। 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी. उस सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे। इसी दौरान जमीन के विवादास्पद टुकड़े को दोबारा डेनोटिफाई कर कृषि की भूमि से अलग किया गया. लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक़ लेने सिद्धरमैया का परिवार गया तो पता चला कि वहां लेआउट विकसित हो चुका था. ऐसे में MUDA से हक़ की लड़ाई शुरू हुई।

साल 2013 से 2018 के बीच सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे। उनके परिवार की तरफ़ से जमीन की अर्जी उन तक पहुंचाया गया। लेकिन सीएम सिद्धारमैया ने इस अर्जी को ये कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि लाभार्थी उनका परिवार है, इसीलिए वह इस फाइल को आगे नहीं बढ़ाएंगे। 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पास जब फाइल पहुंची। तब सिद्धारमैया विपक्ष के नेता थे। बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने MUDA के 50-50 स्कीम के तहत 14 प्लॉट्स मैसूर के विजयनगर इलाके में देने का फैसला किया।

सिद्धारमैया ने ली सीएम पद की शपथ, डिप्टी सीएम बने शिवकुमार, इन विधायकों को भी मिला मंत्रीपद

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कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने कर्नाटक के 30वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। यह दूसरी बार है जब उनपर कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए उन्हें दूसरी बार राज्य की कमान संभालने का मौका दिया है। इसके अलावा डीके शिवकुमार ने नई सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।इन दोनों नेताओं के अलावा 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। 

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के अलावा जिन आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, इनमें परमेश्वर (एससी), केएच मुनियप्पा (एससी), प्रियांक खरगे (एससी), केजे जॉर्ज (अल्पसंख्यक-ईसाई), एमबी पाटिल (लिंगायत), सतीश जारकीहोली (एसटी-वाल्मीकि), रामलिंगा रेड्डी (रेड्डी), और मुस्लिम समुदाय से बीजेड ज़मीर अहमद खान शामिल हैं। 

शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन नेता पहुंचे हैं?

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जु खड़गे, कर्नाटक के मनोनित मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल हुए।कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों ने दिखाई अपनी एकजुटता। इस समारोह में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव, महबूबा मुफ्ती मंच पर पहुंचे। वहां पर कमल हासन, सीताराम येचुरी, फारूक अब्दुल्ला, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य, सीएम अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, सुखविंदर सिंह सुक्खू मंच पर मौजूद रहे। 

राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा

वहीं शपथ ग्रहण के बाद राहुल गांधी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि कर्नाटक की जनता ने बीजेपी के भ्रष्टाचार को हरा दिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ। हम जो कहते हैं वो करते हैं। उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया।

*खत्म हुआ कर्नाटक का 'नाटक', सीएम होंगे सिद्धारमैया, शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम, कांग्रेस का औपचारिक एलान

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कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर कांग्रेस में चल रही उठापठक खत्म हो गई है। कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व के फैसले के बारे में बताया।

दोनों मुख्यमंत्री बनने लायक- वेणुगोपाल

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबसे पहले कर्नाटक की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कई चमत्कारी नेता हैं। हम सहमति पर यकीन करते हैं। शिवकुमार शानदार संगठनकर्ता हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों नेताओं से कांग्रेस की जीत के लिए दिन-रात मेहतन की है। सिद्धारमैया ही कांग्रेस के नए सीएम होंगे और डीके शिवकुमार एकलौते डिप्टी सीएम होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार में सिर्फ 1 डिप्टी सीएम होगा। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होने के साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की समाप्ति तक इस पद पर रहेंगे।

कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती-वेणुगोपाल

वेणुगोपाल ने कहा, राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए सबने बहुत मेहनत की है।कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती। इस चुनाव को जीतने के लिए सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सबने बहुत मेहनत की है। आज शाम को बंगलुरु में विधायक दल की बैठक होगी। कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा विधानपरिषद सदस्य और सांसद इस बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हम कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के सभी नेताओं को आमंत्रित करेंगे।