कर्नाटक कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश समिति के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक बात से फिर पार्टी की नाराजगी सामने आई है। दरअसल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पहले प्रयागराज महाकुंभ में स्नान किया और फिर यूपी की योगी सरकार की तारीफ की। इसके बाद बुधवार को महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। ऑल इंडिया कांग्रेस समिति के सचिव पीवी मोहन ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
पीवी मोहन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने शिवकुमार के महाशिवरात्रि के मौक पर ईशा फाउंडेशन के समारोह में शामिल होने और इसके लिए सद्गुरु को धन्यवाद करने पर उनकी आलोचना की। अपने पोस्ट में पीवी मोहन ने डीके शिवकुमार को टैग करते हुए लिखा, वह एक सेक्यूलर पार्टी के अध्यक्ष होकर राहुल गांधी का मजाक उड़ाने वाले शख्स का कैसे धन्यवाद कर सकते हैं।
पीवी मोहन ने कहा कि वह आलोचना नहीं कर रहे बल्कि अपने विचार साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जग्गी वसुदेव और ईशा फाउंडेशन की विचारधारा भाजपा और आरएसएस से मिलती है। हम इस विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हैं। राहुल गांधी ने भी कई बार कहा है कि जो आरएसएस की विचारधारा को फॉलो करता है वह पार्टी छोड़ सकता है आरएसएस उन्होंने कहा कि उन्हें डीके शिवकुमार के वहां जाने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनके एक्शन में पार्टी की वैल्यू झलकनी चाहिए।
दरअसल डीके शिवकुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में महाशिवरात्रि के मौके पर कोयंबटूर के ईशा योगा सेंटर में उन्हें आमंत्रित करने पर सद्गुरु का आभार जताया। उन्होंने इस दौरान वहां अपना अनुभव शेयर किया और इन्विटेशन लेटर का एक फोटो पोस्ट किया।
वहीं, शिवकुमार महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि डीके शिवकुमार भी अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, डीके शिवकुमार ने मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया। डीके शिवकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ईशा फाउंडेशन आने के लिए मेरी पहले ही आलोचना हो चुकी है। मुझे सद्गुरु ने आमंत्रित किया था, इसलिए मैं यहां आया। मैं जन्म से हिंदू हूं, जो सभी धर्मों से प्यार करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं बीजेपी के करीब आ रहा हूं।
बता दें कि पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के भीतर इस समय शिवकुमार और सिद्धारमैया गुटों में जबरदस्त खींचतान चल रही है। कर्नाटक कांग्रेस में जारी पावर स्ट्रगल के बीच कई मंत्री शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। इनमें गणेश परमेश्वर, केएन राजन्ना और सतीश जारकीहोली जैसे मंत्री शामिल हैं, जो हाल ही में दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलेइन मंत्रियों की मांग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलकर कोई नया चेहरा लाया जाए, क्योंकि शिवकुमार की कार्यशैली से कई नेता नाराज़ हैं। ये सभी सीएम सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं और पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं।
आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव की संस्था के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद 150 कर्मियों की एक पुलिस टीम ने थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के केंद्र का दौरा किया। उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
कामराज ने आरोप लगाया कि उनकी दो बेटियों का दिमाग खराब करके उन्हें तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र में रहने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन उन्हें अपने परिवार के संपर्क में रहने की अनुमति नहीं दे रहा है। ईशा फाउंडेशन ने आरोप से इनकार किया है। इसने कहा कि यह लोगों से संन्यासी बनने के लिए नहीं कहता है। "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है," फाउंडेशन ने एक बयान में कहा।
ईशा फाउंडेशन ने कहा कि व्यक्ति की बेटियों ने कहा था कि वे अपनी मर्जी से रह रही हैं।
बयान में कहा गया है कि "उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में रह रही हैं। अब जबकि मामला अदालत में पहुंच गया है, हमें उम्मीद है कि सच्चाई सामने आएगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।" फाउंडेशन ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में पूछताछ करने के लिए एक तथ्य-खोजी समिति होने के झूठे बहाने के तहत परिसर में घुसने की कोशिश की।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 150 सदस्यीय टीम में तीन डीएसपी शामिल थे।
योग केंद्र ने अखबार को बताया कि पुलिस निवासियों और स्वयंसेवकों के बारे में सामान्य पूछताछ करने आई थी। उन्होंने केंद्र में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को समझने की भी कोशिश की।
मद्रास उच्च न्यायालय ने इस बात पर गौर किया था कि सद्गुरु की बेटी विवाहित और खुशहाल जीवन जी रही है, जबकि वह अन्य महिलाओं को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
मद्रास हाईकोर्ट का सद्गुरु से सवालः आपकी बेटी तो शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को संन्यासी बनने के लिए क्यों कह रहे*
#madras_high_court_vs_isha_foundation_sadhguru
मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव से कड़े सवाल पूछे हैं। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एसएम सुब्रह्मण्यम और जस्टिस वी शिवागणनम ने एक सुनवाई के दौरान उनसे पूछा कि वो युवतियों को संन्यास के तौर-तरीके अपनाने को क्यों कह रहे हैं? कोर्ट ने पूछा कि जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगनम की बेंच ने जग्गी वासुदेव से यह सवाल एक रिटायर्ड प्रोफेसर की याचिका पर पूछा है। दरअसल, कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ मां माथी (42 साल) और लता कामराज उर्फ मां मायू (39 साल) को ईशा योग सेंटर में कैद में रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। कोयंबटूर की तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले एस कामराज ने हाइ कोर्ट में बेटियों की सशरीर पेशी की गुहार लगाई। दोनों ने अदालत में पेश होकर कहां कि वे अपनी मर्जी से कोयंबटूर स्थित सेंटर में रहती हैं। उन्हें कैद में नहीं रखा गया है। ईशा फाउंडेशन ने भी दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रही हैं। फाउंडेशन की दलील थी कि जब दो स्वतंत्र वयस्क जीवन में अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, तो उसे अदालत की चिंता समझ नहीं आती। हालांकि, जजों ने मामले की आगे जांच करने का फैसला किया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सुब्रमण्यम ने जवाब दिया, आप नहीं समझेंगे क्योंकि आप एक विशेष पक्ष के लिए पेश हो रहे हैं। लेकिन यह अदालत न तो किसी के पक्ष में है और न ही किसी के खिलाफ है। हम केवल वादियों के साथ न्याय करना चाहते हैं।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की हुई ब्रेन सर्जरी, जानिए क्या है वजह और अब कैसी है हालत
#sadhguru_jaggi_vasudev_brain_surgery
आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव पिछले कुछ दिनों से सिर दर्द से पीड़ित थे। जिसके बाद 17 मार्च को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई है। उन्हें सिर में खून का थक्का जमने की समस्या थी जो जानलेवा साबित हो सकती थी। ऑपरेशन के बाद उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।
अपोलो दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया, 'सद्गुरु के ब्रेन के एक हिस्से में सूजन और ब्लड क्लॉटिंग थी। यह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती थी। उनका ऑपरेशन 17 मार्च को दिल्ली में हुआ। उनकी हालत में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।'
पिछले 4 हफ्ते से सिरदर्द की शिकायत थी
सद्गुरू को कई हफ्तों से तेज सिरदर्द की शिकायत थी। 14 मार्च को एमआरआई जांच में उनके दिमाग में "भारी मात्रा में खून का थक्का" पाया गया। 17 मार्च को उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ी, उनके "बाएं पैर में कमजोरी और उल्टी के साथ सिरदर्द" होने लगा। एक और सीटी स्कैन में पता चला कि "दिमाग में सूजन बढ़ गई है और दिमाग एक तरफ खतरनाक ढंग से खिसक रहा है।
ईशा फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि सद्गुरु को पिछले 3-4 सप्ताह से सिरदर्द की शिकायत थी। फिर भी वे लगातार काम कर रहे थे। 14 मार्च को उन्होंने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी से परामर्श किया। एमआरआई में पता चला कि उनके सिर के एक हिस्से में खून जमा है। सूजन भी है। इसके बावजूद भी वे मीटिंग करते रहे। 17 मार्च को उनकी तकलीफ काफी बढ़ गई, जिसके बाद उन्हें अपोलो दिल्ली में भर्ती किया गया।
सर्जरी के बाद सद्गुरू का मजाकिया अंदाज
खुद सदगुरु ने भी एक वीडियो जारी कर अपनी सेहत के बारे में बताया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'डॉक्टर्स ने मेरा सिर खोल कर कुछ खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। सिर पूरी तरह खाली था तो उन्होंने फिर से उसे सिल दिया। अब मैं ठीक हूं।
पीएम मोदी ने की सद्गुरु से फोन पर बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मस्तिष्क की सर्जरी कराने वाले आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव से बुधवार को बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सद्गुरू जग्गी वासुदेव से बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की हुई ब्रेन सर्जरी, जानिए क्या है वजह और अब कैसी है हालत
#sadhgurujaggivasudevbrainsurgery
आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव पिछले कुछ दिनों से सिर दर्द से पीड़ित थे। जिसके बाद 17 मार्च को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई है। उन्हें सिर में खून का थक्का जमने की समस्या थी जो जानलेवा साबित हो सकती थी। ऑपरेशन के बाद उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।
अपोलो दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया, 'सद्गुरु के ब्रेन के एक हिस्से में सूजन और ब्लड क्लॉटिंग थी। यह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती थी। उनका ऑपरेशन 17 मार्च को दिल्ली में हुआ। उनकी हालत में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।'
पिछले 4 हफ्ते से सिरदर्द की शिकायत थी
सद्गुरू को कई हफ्तों से तेज सिरदर्द की शिकायत थी। 14 मार्च को एमआरआई जांच में उनके दिमाग में "भारी मात्रा में खून का थक्का" पाया गया। 17 मार्च को उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ी, उनके "बाएं पैर में कमजोरी और उल्टी के साथ सिरदर्द" होने लगा। एक और सीटी स्कैन में पता चला कि "दिमाग में सूजन बढ़ गई है और दिमाग एक तरफ खतरनाक ढंग से खिसक रहा है।
ईशा फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि सद्गुरु को पिछले 3-4 सप्ताह से सिरदर्द की शिकायत थी। फिर भी वे लगातार काम कर रहे थे। 14 मार्च को उन्होंने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी से परामर्श किया। एमआरआई में पता चला कि उनके सिर के एक हिस्से में खून जमा है। सूजन भी है। इसके बावजूद भी वे मीटिंग करते रहे। 17 मार्च को उनकी तकलीफ काफी बढ़ गई, जिसके बाद उन्हें अपोलो दिल्ली में भर्ती किया गया।
सर्जरी के बाद सद्गुरू का मजाकिया अंदाज
खुद सदगुरु ने भी एक वीडियो जारी कर अपनी सेहत के बारे में बताया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'डॉक्टर्स ने मेरा सिर खोल कर कुछ खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। सिर पूरी तरह खाली था तो उन्होंने फिर से उसे सिल दिया। अब मैं ठीक हूं।
पीएम मोदी ने की सद्गुरु से फोन पर बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मस्तिष्क की सर्जरी कराने वाले आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव से बुधवार को बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सद्गुरू जग्गी वासुदेव से बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
कर्नाटक कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश समिति के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक बात से फिर पार्टी की नाराजगी सामने आई है। दरअसल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पहले प्रयागराज महाकुंभ में स्नान किया और फिर यूपी की योगी सरकार की तारीफ की। इसके बाद बुधवार को महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। ऑल इंडिया कांग्रेस समिति के सचिव पीवी मोहन ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
पीवी मोहन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने शिवकुमार के महाशिवरात्रि के मौक पर ईशा फाउंडेशन के समारोह में शामिल होने और इसके लिए सद्गुरु को धन्यवाद करने पर उनकी आलोचना की। अपने पोस्ट में पीवी मोहन ने डीके शिवकुमार को टैग करते हुए लिखा, वह एक सेक्यूलर पार्टी के अध्यक्ष होकर राहुल गांधी का मजाक उड़ाने वाले शख्स का कैसे धन्यवाद कर सकते हैं।
पीवी मोहन ने कहा कि वह आलोचना नहीं कर रहे बल्कि अपने विचार साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जग्गी वसुदेव और ईशा फाउंडेशन की विचारधारा भाजपा और आरएसएस से मिलती है। हम इस विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हैं। राहुल गांधी ने भी कई बार कहा है कि जो आरएसएस की विचारधारा को फॉलो करता है वह पार्टी छोड़ सकता है आरएसएस उन्होंने कहा कि उन्हें डीके शिवकुमार के वहां जाने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनके एक्शन में पार्टी की वैल्यू झलकनी चाहिए।
दरअसल डीके शिवकुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में महाशिवरात्रि के मौके पर कोयंबटूर के ईशा योगा सेंटर में उन्हें आमंत्रित करने पर सद्गुरु का आभार जताया। उन्होंने इस दौरान वहां अपना अनुभव शेयर किया और इन्विटेशन लेटर का एक फोटो पोस्ट किया।
वहीं, शिवकुमार महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि डीके शिवकुमार भी अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, डीके शिवकुमार ने मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया। डीके शिवकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ईशा फाउंडेशन आने के लिए मेरी पहले ही आलोचना हो चुकी है। मुझे सद्गुरु ने आमंत्रित किया था, इसलिए मैं यहां आया। मैं जन्म से हिंदू हूं, जो सभी धर्मों से प्यार करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं बीजेपी के करीब आ रहा हूं।
बता दें कि पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के भीतर इस समय शिवकुमार और सिद्धारमैया गुटों में जबरदस्त खींचतान चल रही है। कर्नाटक कांग्रेस में जारी पावर स्ट्रगल के बीच कई मंत्री शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। इनमें गणेश परमेश्वर, केएन राजन्ना और सतीश जारकीहोली जैसे मंत्री शामिल हैं, जो हाल ही में दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलेइन मंत्रियों की मांग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलकर कोई नया चेहरा लाया जाए, क्योंकि शिवकुमार की कार्यशैली से कई नेता नाराज़ हैं। ये सभी सीएम सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं और पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं।
आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव की संस्था के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद 150 कर्मियों की एक पुलिस टीम ने थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के केंद्र का दौरा किया। उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
कामराज ने आरोप लगाया कि उनकी दो बेटियों का दिमाग खराब करके उन्हें तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र में रहने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन उन्हें अपने परिवार के संपर्क में रहने की अनुमति नहीं दे रहा है। ईशा फाउंडेशन ने आरोप से इनकार किया है। इसने कहा कि यह लोगों से संन्यासी बनने के लिए नहीं कहता है। "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है," फाउंडेशन ने एक बयान में कहा।
ईशा फाउंडेशन ने कहा कि व्यक्ति की बेटियों ने कहा था कि वे अपनी मर्जी से रह रही हैं।
बयान में कहा गया है कि "उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में रह रही हैं। अब जबकि मामला अदालत में पहुंच गया है, हमें उम्मीद है कि सच्चाई सामने आएगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।" फाउंडेशन ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में पूछताछ करने के लिए एक तथ्य-खोजी समिति होने के झूठे बहाने के तहत परिसर में घुसने की कोशिश की।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 150 सदस्यीय टीम में तीन डीएसपी शामिल थे।
योग केंद्र ने अखबार को बताया कि पुलिस निवासियों और स्वयंसेवकों के बारे में सामान्य पूछताछ करने आई थी। उन्होंने केंद्र में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को समझने की भी कोशिश की।
मद्रास उच्च न्यायालय ने इस बात पर गौर किया था कि सद्गुरु की बेटी विवाहित और खुशहाल जीवन जी रही है, जबकि वह अन्य महिलाओं को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
मद्रास हाईकोर्ट का सद्गुरु से सवालः आपकी बेटी तो शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को संन्यासी बनने के लिए क्यों कह रहे*
#madras_high_court_vs_isha_foundation_sadhguru
मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव से कड़े सवाल पूछे हैं। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एसएम सुब्रह्मण्यम और जस्टिस वी शिवागणनम ने एक सुनवाई के दौरान उनसे पूछा कि वो युवतियों को संन्यास के तौर-तरीके अपनाने को क्यों कह रहे हैं? कोर्ट ने पूछा कि जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगनम की बेंच ने जग्गी वासुदेव से यह सवाल एक रिटायर्ड प्रोफेसर की याचिका पर पूछा है। दरअसल, कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ मां माथी (42 साल) और लता कामराज उर्फ मां मायू (39 साल) को ईशा योग सेंटर में कैद में रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। कोयंबटूर की तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले एस कामराज ने हाइ कोर्ट में बेटियों की सशरीर पेशी की गुहार लगाई। दोनों ने अदालत में पेश होकर कहां कि वे अपनी मर्जी से कोयंबटूर स्थित सेंटर में रहती हैं। उन्हें कैद में नहीं रखा गया है। ईशा फाउंडेशन ने भी दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रही हैं। फाउंडेशन की दलील थी कि जब दो स्वतंत्र वयस्क जीवन में अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, तो उसे अदालत की चिंता समझ नहीं आती। हालांकि, जजों ने मामले की आगे जांच करने का फैसला किया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सुब्रमण्यम ने जवाब दिया, आप नहीं समझेंगे क्योंकि आप एक विशेष पक्ष के लिए पेश हो रहे हैं। लेकिन यह अदालत न तो किसी के पक्ष में है और न ही किसी के खिलाफ है। हम केवल वादियों के साथ न्याय करना चाहते हैं।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की हुई ब्रेन सर्जरी, जानिए क्या है वजह और अब कैसी है हालत
#sadhguru_jaggi_vasudev_brain_surgery
आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव पिछले कुछ दिनों से सिर दर्द से पीड़ित थे। जिसके बाद 17 मार्च को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई है। उन्हें सिर में खून का थक्का जमने की समस्या थी जो जानलेवा साबित हो सकती थी। ऑपरेशन के बाद उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।
अपोलो दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया, 'सद्गुरु के ब्रेन के एक हिस्से में सूजन और ब्लड क्लॉटिंग थी। यह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती थी। उनका ऑपरेशन 17 मार्च को दिल्ली में हुआ। उनकी हालत में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।'
पिछले 4 हफ्ते से सिरदर्द की शिकायत थी
सद्गुरू को कई हफ्तों से तेज सिरदर्द की शिकायत थी। 14 मार्च को एमआरआई जांच में उनके दिमाग में "भारी मात्रा में खून का थक्का" पाया गया। 17 मार्च को उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ी, उनके "बाएं पैर में कमजोरी और उल्टी के साथ सिरदर्द" होने लगा। एक और सीटी स्कैन में पता चला कि "दिमाग में सूजन बढ़ गई है और दिमाग एक तरफ खतरनाक ढंग से खिसक रहा है।
ईशा फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि सद्गुरु को पिछले 3-4 सप्ताह से सिरदर्द की शिकायत थी। फिर भी वे लगातार काम कर रहे थे। 14 मार्च को उन्होंने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी से परामर्श किया। एमआरआई में पता चला कि उनके सिर के एक हिस्से में खून जमा है। सूजन भी है। इसके बावजूद भी वे मीटिंग करते रहे। 17 मार्च को उनकी तकलीफ काफी बढ़ गई, जिसके बाद उन्हें अपोलो दिल्ली में भर्ती किया गया।
सर्जरी के बाद सद्गुरू का मजाकिया अंदाज
खुद सदगुरु ने भी एक वीडियो जारी कर अपनी सेहत के बारे में बताया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'डॉक्टर्स ने मेरा सिर खोल कर कुछ खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। सिर पूरी तरह खाली था तो उन्होंने फिर से उसे सिल दिया। अब मैं ठीक हूं।
पीएम मोदी ने की सद्गुरु से फोन पर बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मस्तिष्क की सर्जरी कराने वाले आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव से बुधवार को बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सद्गुरू जग्गी वासुदेव से बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की हुई ब्रेन सर्जरी, जानिए क्या है वजह और अब कैसी है हालत
#sadhgurujaggivasudevbrainsurgery
आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव पिछले कुछ दिनों से सिर दर्द से पीड़ित थे। जिसके बाद 17 मार्च को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई है। उन्हें सिर में खून का थक्का जमने की समस्या थी जो जानलेवा साबित हो सकती थी। ऑपरेशन के बाद उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।
अपोलो दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी ने गुरुवार को हेल्थ बुलेटिन में बताया, 'सद्गुरु के ब्रेन के एक हिस्से में सूजन और ब्लड क्लॉटिंग थी। यह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती थी। उनका ऑपरेशन 17 मार्च को दिल्ली में हुआ। उनकी हालत में काफी तेजी से सुधार हो रहा है।'
पिछले 4 हफ्ते से सिरदर्द की शिकायत थी
सद्गुरू को कई हफ्तों से तेज सिरदर्द की शिकायत थी। 14 मार्च को एमआरआई जांच में उनके दिमाग में "भारी मात्रा में खून का थक्का" पाया गया। 17 मार्च को उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ी, उनके "बाएं पैर में कमजोरी और उल्टी के साथ सिरदर्द" होने लगा। एक और सीटी स्कैन में पता चला कि "दिमाग में सूजन बढ़ गई है और दिमाग एक तरफ खतरनाक ढंग से खिसक रहा है।
ईशा फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि सद्गुरु को पिछले 3-4 सप्ताह से सिरदर्द की शिकायत थी। फिर भी वे लगातार काम कर रहे थे। 14 मार्च को उन्होंने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. विनीत सूरी से परामर्श किया। एमआरआई में पता चला कि उनके सिर के एक हिस्से में खून जमा है। सूजन भी है। इसके बावजूद भी वे मीटिंग करते रहे। 17 मार्च को उनकी तकलीफ काफी बढ़ गई, जिसके बाद उन्हें अपोलो दिल्ली में भर्ती किया गया।
सर्जरी के बाद सद्गुरू का मजाकिया अंदाज
खुद सदगुरु ने भी एक वीडियो जारी कर अपनी सेहत के बारे में बताया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'डॉक्टर्स ने मेरा सिर खोल कर कुछ खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। सिर पूरी तरह खाली था तो उन्होंने फिर से उसे सिल दिया। अब मैं ठीक हूं।
पीएम मोदी ने की सद्गुरु से फोन पर बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मस्तिष्क की सर्जरी कराने वाले आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव से बुधवार को बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सद्गुरू जग्गी वासुदेव से बात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
Feb 27 2025, 16:18