दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना: जेजू एयर विमान दुर्घटना के कारणों विश्लेषण

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दक्षिण कोरिया का एक यात्री विमान के देश के मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 181 यात्रियों में से 179 की मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब बैंकॉक से उड़ान भरने वाले 175 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर जेजू एयर की उड़ान 7C2216 सुबह 9 बजे (स्थानीय समयानुसार) उतर रही थी।

स्थानीय मीडिया द्वारा साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि दो इंजन वाला विमान बिना किसी लैंडिंग गियर के रनवे से फिसलकर दीवार से टकरा गया और आग का गोला बन गया। दुर्घटनास्थल से प्राप्त दृश्यों में विमान के कुछ हिस्सों में धुआँ और आग दिखाई दे रही थी। दो लोग - एक पुरुष और एक महिला - जीवित पाए गए और उनका इलाज चल रहा है।

दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय अग्निशमन एजेंसी ने कहा कि उसने आग पर काबू पाने के लिए 32 दमकल गाड़ियों और कई हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। घटना के बाद मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी उड़ान संचालन निलंबित कर दिए गए हैं। परिवहन मंत्रालय के अनुसार, यात्रियों में दो थाई नागरिक शामिल थे और बाकी दक्षिण कोरियाई नागरिक माने जा रहे हैं।

विमान दुर्घटना का कारण क्या था?

दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप ने अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि दुर्घटना के पीछे लैंडिंग गियर की खराबी होने की संभावना है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि विमान लैंडिंग गियर में खराबी के कारण क्रैश लैंडिंग का प्रयास कर रहा था, तभी दुर्घटना हुई। इसका पहला लैंडिंग प्रयास पहले विफल हो गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, विमान रनवे के अंत तक पहुंचने तक अपनी गति कम करने में विफल रहा और हवाई अड्डे के बाहरी किनारे पर दीवार से टकरा गया, जिससे आग का गोला बन गया।

हालांकि, स्थानीय अग्निशमन प्रमुख ने कहा कि पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम घातक दुर्घटना का कारण हो सकता है। रॉयटर्स के अनुसार, मुआन फायर स्टेशन के प्रमुख ली जियोंग-ह्यून ने एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, "दुर्घटना का कारण पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम की स्थिति माना जाता है। हालांकि, संयुक्त जांच के बाद सटीक कारण की घोषणा की जाएगी।" हालांकि, विमान दुर्घटना के कारणों पर आधिकारिक बयान का इंतजार है। यह घटना पिछले सप्ताह कजाकिस्तान के अक्तौ के पास अजरबैजान एयरलाइन के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें विमान में सवार 67 लोगों में से 38 की मौत हो गई थी और अन्य सभी घायल हो गए थे।

मुंबई नाव हादसा: 13 लोगों की मौत, जानें क्या हैं वो 4 बड़े कारण जिनसे हुआ यह दर्दनाक हादसा।

महाराष्ट्र में गेटवे ऑफ इंडिया के पास बुधवार शाम को हुए दर्दनाक नाव हादसे (Mumbai Boat Accident Update) में 13 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बचा लिया गया है. इस पूरी घटना में कहां और क्या लापरवाही हुई, इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. अब तक हुई जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक 4 कारणों से यह हादसा हुआ है. तो चलिए जानते हैं क्या हैं वो 4 कारण (Boat Accident Reasons) जिससे यह दर्दनाक हादसा हो गया.

हर दिन हजारों की संख्या में लोग मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया को देखने के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान इनमें से ज्यादातर एलिफेंटा आईलैंड को भी देखने के लिए जाते हैं. एलिफेंटा आईलैंड के लिए नाव से जाना होता है. बुधवार दोपहर को भी लोग आईलैंड को देखने के लिए एक नीलकमल नाम की बड़ी नाव से जा रहे थे, लेकिन लापरवाही की वजह से यहां दर्दनाक हादसा हो गया. तेज रफ्तार नेवी की बोट यात्रियों से भरी नाव से टकरा गई और फिर 13 लोगों की मौत हो गई.

हादसे के पीछे ये 4 कारण सामने आए हैं-

नाव में क्षमता से अधिक यात्रियों का होना

गलत जगह पर नेवी बोट की टेस्टिंग

सेफ्टी गैजेट की कमी

नौसेना नाव के चालकों का स्टंट करना

कैपेसिटी से ज्यादा लोग

बताया जा रहा है जिस समय यह हादसा हुआ उस समय नीलकमल नाव में करीब 120 से ज्यादा लोग सवार थे. हालांकि, नाव की केपेसिटी केवल 80 लोगों की ही थी. प्रशासन की लापरवाही के कारण धड़ल्ले से यहां केपेसिटी से ज्यादा लोगों को बैठाकर नाव चलाई जा रही है, जो बीते बुधवार को 13 लोगों की मौत का कारण बनी हैं. हादसे को लेकर पीड़ित परिवार जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है.

सुरक्षित जगह पर टेस्टिंग

नाव हादसे को लेकर नेवी का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि नेवी की स्पीड बोट इंजन टेस्टिंग चल रही थी. इसी दौरान इंजन ने अपना नियंत्रण खो दिया और एक बड़ा हादसा हो गया. हादसे को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि जब सभी को पता है कि यह रास्ता यात्री बोट के लिए है, तो यहां टेस्टिंग की क्या जरूरती थी. टेस्टिंग हमेशा ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहां कोई यात्री बोट आती-जाती ना हो.

नीलकमल बोट में सेफ्टी गैजेटकी कमी

नेवी की तेज रफ्तार वोट के टकराते ही नीलकमल बोट में एक छेद हो गया था. यात्रियों के देखते ही देखते ही नाव समुद्र में डूबने लगी थी. सभी लोगों ने बचने की कोशिश की, लेकिन बोट पर सुरक्षा के पूरे उपकरण ही नहीं थे, जो थे भी वह बहुत कम थे. इस कारण से यह हादसा और भी ज्यादा बड़ा होता चला गया. लोग पानी में डूब रहे थे, लेकिन उनके पास सेफ्टी गैजेट नहीं थे. हादसे से पहले अगर सुरक्षा बिंदुओं की जांच की जाती तो, शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता.

नौसेना नाव चालकों का स्टंट

हादसे को लेकर प्रत्यश्रदर्थियों का कहना है कि नौसेना नाव के चालक बहुत ही तेजी से नाव पर स्टंट कर रहे थे. उनकी स्पीड लगभग 100 किलोमीटर घंटा थी. वह हवा में खुब तेजी से नाव गोल-गोल लहरा रहे थे. साथ ही नाव को हवा में उड़ा के खतरनाक स्टंट कर रहे थे. इसी दौरान नौसेना के नाव चालकों की लापरवाही के कारण उनकी नाव यात्रियों से भरी नाव में टकरा गई थी.

भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहा बीएनपी, बांग्लादेश के लिए “Boycott India” कितना मुश्किल
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* शेख हसीना के तख्तापलट और नई अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश ने एक अलग ही राह पकड़ ली है। वो राह जो भारत से दूर करता है। बीते कुछ दिनों से लगातार भारत के खिलाफ मुखर बांग्लादेश अब हदों को पार करता हुआ नजर आ रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़े अत्याचार के बीच अब राजनीतिक दलों ने बॉयकाट इंडिया का नारा बुलंद करना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव ने अपनी पत्नी का भारतीय साड़ी जलाने के साथ ऐलान किया कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स का बायकाट किया जाएगा। बांग्लादेश, भारत से आने वाली किसी भी सामान का बहिष्कार करेगा। हालांकि, ये तकनीकि रूप से असंभव सा है। बांग्लादेश की जैसी भौगोलिक स्थिति है, उसमें भारत के साथ उसके संबंध काफ़ी अहम हो जाते हैं। बांग्लादेश को 'इंडिया लॉक्ड' मुल्क कहा जाता है। दरसअल, बांग्लादेश की 94 प्रतिशत सीमा भारत से लगती है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4,367 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और यह उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा का 94 फ़ीसदी है। यानी बांग्लादेश लगभग चारों तरफ़ से भारत से घिरा हुआ है। ऐसे में बांग्लादेश सुरक्षा और व्यापार के मामले में भारत पर निर्भर है। हाल ही में बीएनपी के महासचिव ने रूहुल कबीर रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से ली हुई साड़ी जलाते हुए भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। रिज़वी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारतीय प्रोडक्ट्स का समर्थन करने के बजाय हमें अपनी अर्थव्यवस्था में निवेश करना चाहिए। वहीं उनका ये भी मानना है कि भारतीय प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट शांतिपूर्वक लेकिन सबसे ताकतवर जवाब है। रिजवी के मुताबिक चाहे हम (बांग्लादेशी आवाम)दिन में एक ही बार खाना खा पाएं लेकिन उसके बाद भी हम गर्व से खड़े होंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे। *किस हद तक निर्भरता?* बीएनपी का ये “बायकाट इंडिया” का आह्वान बड़ा ही हास्यास्पद है।बांग्लादेश चावल, गेहूं, प्याज, लहसुन, चीनी, कॉटन, अनाज, रिफाइंड पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिक उपकरण, प्लास्टिक और इस्पात के लिए भारत पर निर्भर है। बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग भारत से जाने वाले कच्चे माल पर निर्भर है। अगर भारत से बांग्लादेश का संबंध और बिगड़ता है तो उसका निर्यात प्रभावित होगा। इसका असर जीडीपी पर पड़ेगा और फिर महंगाई के साथ बेरोज़गारी बढ़ेगी। बांग्लादेश के लिए भारत से संबंध खराब होने की कीमत चुकाना आसान नहीं होगा। *एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार* बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। बांग्लादेश एशिया में सबसे ज़्यादा निर्यात भारत में करता है। बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में दो अरब डॉलर का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर का था। 2021 में बांग्लादेश में भारत का निर्यात 14 अरब डॉलर का था जो कि 2022 में 13.8 अरब डॉलर था। 2023 में यह घटकर 11.3 अरब डॉलर हो गया। बांग्लादेश में भारत के निर्यात कम होने के पीछे की मुख्य वजह मांगों में आई कमी थी। जानकार बताते हैं कि मांग में ये कमी रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से सप्लाई चेन में आई बाधा के कारण हुई। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के पहले वाले दौर में अब भी नहीं आ पाई है। इसी बीच शेख़ हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा। भारत के साथ ख़राब होते संबंधों के कारण बांग्लादेश को आर्थिक मोर्चे पर एक और चोट लग सकती है। *पाक-चीन के करीब आ रहा बांग्लादेश* पिछले महीने ही पाकिस्तान का एक मालवाहक पोत कराची से बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित चटगांव बंदरगाह पर पहुँचा था। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क हुआ था। इससे पहले दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार सिंगापुर या कोलंबो के जरिए होता था। यह पाकिस्तान के साथ करीबी बढ़ने की ठोस शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में निवेश का चीन सबसे बड़ा स्रोत है। बांग्लादेश चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। चीन ने बांग्लादेश में सात अरब डॉलर का निवेश किया है और 2023 में चीन ने बांग्लादेश में 22 अरब डॉलर का निर्यात किया था। *क्या भारत की जगह कोई और ले सकता है?* हालांकि, पिछले डेढ़ दशक में बांग्लादेश ने आर्थिक प्रगति की जो राह पकड़ी थी, वो राह भारत से ख़राब होते संबंधों के कारण अड़चनों से भरती दिख रही है। भारत एक बड़ा मुल्क है। किसी छोटे देश से संबंध बिगड़ता है तो बड़े पर असर कम पड़ता है। पाकिस्तान से पिछले सात सालों से भारत के राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन इसका असर भारत पर नहीं पड़ा। पाकिस्तान पर ज़रूर पड़ा है। भारत से जो सामान जिस क़ीमत में बांग्लादेश पहुँचता है, उस क़ीमत में कोई भी देश नहीं दे सकता है। भारत से बांग्लादेश सामान जाने में परिवहन का खर्च कम होता है लेकिन वही सामान चीन से आएगा या दूसरे देशों से तो ज़्यादा महंगा हो जाएगा। अगर बांग्लादेश को ये बर्दाश्त है तो ठीक है। बांग्लादेश के लिए भारत जो मायने रखता है, उसकी भरपाई चीन नहीं कर सकता है
महाराष्ट्र चुनाव: महायुति गठबंधन ने 6 महीने में किया कमाल, लोकसभा चुनाव के झटकों से ऐसे उबरी
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* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘महायुति’ गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीट, कांग्रेस ने 16 और एनसीपी (शरद पवार) ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था। जिसके बाद से सवाल उठ रहे थे कि क्या महायुति विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकेगी? आम चुनाव में कांग्रेस 13 सीटें जीतक सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना(यूबीटी) ने 9 और शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। उस वक्त अजीत पवार की एनसीपी ने महज एक, शिवसेना(शिंदे) ने सात और बीजेपी ने महज 9 सीटें मिली थी। अब विधानसभा चुनाव में महायुति ने महाविकास अघाड़ी को करारा झटका दिया है। महाज 6 महीने के अंतराल में हुए चुनाव में बीजपी ने हार को बड़ी जीत में बदल दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन 6 महीनों में महायुति की इतनी बड़ी सफलता की वजह क्या रही? महायुति को इतनी बड़ी विजय मिलने की वजहें ये हैः- *लाडली बहन योजना साबित हुई ‘गेमचेंजर’* महायुति की जीत में सबसे बड़ा योगदान 'मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना' (मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना) का माना जा रहा है। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को सीधे डेढ़ हज़ार रुपये की आर्थिक मदद हर महीने दी जा रही है। चुनाव शुरू होने से पहले ही, लगभग 30 लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना का फ़ायदा मिल गया था। उनके बैंक खातों में तीन हज़ार रुपये जमा हो चुके थे। इसके अलावा, चुनाव के दौरान महायुति ने इस योजना के विस्तार की घोषणा की। इसने भी उसके पक्ष में एक मज़बूत लहर बनाई। गठबंधन ने वादा किया कि सरकार बनने पर इस राशि को बढ़ा कर हर महीने दो हज़ार एक सौ रुपये कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार, इस बार महिला वोटरों की संख्या में 5.95 फ़ीसदी का इजाफा हुआ। महिला वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी को इस योजना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। *आरएसएस की मेहनत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार भाजपा के लिए पूरी ताक़त झोंक दी थी। लोकसभा चुनाव में संघ की सक्रियता अपेक्षाकृत कम थी। हालाँकि, विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहरी मतदाताओं को जोड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया। संघ के कार्यकर्ताओं ने नागपुर और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर भाजपा के लिए प्रचार किया। आरएसेस के हजारों स्वयंसेवकों ने सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे का वक्त दिया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर कह कि शतप्रतिशत मतदान करना है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर “स्थिरता और विकास” के मुद्दे की बात की और अपने संदेश को फैलाया। *हिंदु वोटों को एकजुट करने में कामयाबी* लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर बीजेपी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी ने हर कदम रणनीति के तहत बढ़ाया। योजनाबद्ध रूप से धार्मिक ध्रुवीकरण को अंजाम दिया गया। लोकसभा चुनाव में आघाडी को मिले मुस्लिम वोटों को बीजेपी ने वोट जिहाद कहना शुरू किया। उसके बाद बीजेपी ने 'ऐलान' की जगह 'शंखनाद' कहना शुरू किया। आगे का काम योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' और मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' ने किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए नारों ने चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत किया। “बँटेंगे तो कटेंगे या एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे” जैसे नारों ने भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को और धार दी। *स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा* इसके अलावा भाजपा ने महाराष्ट्र के इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा। महायुति अपने ढाई साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को जनता को बताने में सफल रही। शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद से 24×7 काम करते नजर आए। उनकी सरकार ने फैसले लेने तेजी दिखाई। महायुति के भीतर के राजनीतिक अंतर्कलह को मुख्यमंत्री ने सरकार के कामकाज पर हावी नहीं होने दिया। *मराठों का गुस्सा कम करने में रही कामयाब* लोकसभा चुनाव में भाजपा को मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने विश्वस्त साथियों के जरिए मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के साथ अच्छा तालमेल स्थापित किया, तो दूसरी तरफ भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के अपने प्रतिबद्ध मतदाताओं को जोड़ने पर ध्यान दिया। इससे महायुति मराठों का गुस्सा कम करने के साथ-साथ ओबीसी का वोट पाने में सफल रही।
Dr. Rakesh B. Singh: Renowned Orthopedic Surgeon at BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care in Varanasi

 

When it comes to advanced orthopedic care in Varanasi, Dr. Rakesh B. Singh stands out as one of the most experienced and skilled orthopedic surgeons in the region. With a rich career that spans decades, Dr. Singh has successfully performed numerous complex surgeries, establishing himself as a trusted expert in joint replacement, arthroscopy, and sports injury treatment. At the BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care, he offers cutting-edge solutions to a wide range of orthopedic conditions, helping patients regain mobility and improve their quality of life.An Expert in Complex Orthopedic Surgeries

Dr. Rakesh B. Singh has built a distinguished reputation for his expertise in handling the most challenging orthopedic cases. He specializes in performing complicated surgeries that require precision, deep knowledge, and advanced surgical techniques. His vast experience includes treating severe trauma cases, performing complex joint replacements, managing multiple fractures, and addressing critical sports injuries. Patients with difficult conditions that may have been deemed inoperable by others often find relief under Dr. Singh’s care.

Some of the complex surgeries Dr. Singh is renowned for include:

Revision Joint Replacement: Correcting failed or problematic joint replacements with highly specialized techniques.

Complex Fracture Repairs: Treating multi-fracture injuries and severe bone damage through advanced surgical methods.

Arthroscopic Surgeries for Ligament Repairs: Using minimally invasive arthroscopy techniques for delicate ligament reconstruction, particularly in knees and shoulders.

Spine Surgery: Offering solutions for degenerative spinal disorders, disc herniation, and complex trauma cases involving the spine.

Unmatched Global Expertise and Credentials

Dr. Rakesh B. Singh is not only recognized in India but also internationally, thanks to his advanced training and fellowships from prestigious global institutions. His qualifications include an MBBS and MS (Orthopedics), which laid the foundation for his expertise in orthopedic surgery. Dr. Singh further sharpened his skills by completing:

A Fellowship in Arthroscopy and Joint Replacement in South Korea, where he trained under some of the world’s top orthopedic surgeons.

A Fellowship in Sports Injury in Singapore, allowing him to offer state-of-the-art treatments for sports-related conditions that require precise, minimally invasive surgeries.

BSG HOSPITAL: A Leader in Orthopedic & Critical Care in Varanasi

Dr. Rakesh Singh’s practice is based at the BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care in Varanasi, a leading facility renowned for providing comprehensive orthopedic services. Equipped with the latest medical technologies and a highly trained staff, BSG HOSPITAL is at the forefront of delivering modern orthopedic treatments. Whether it’s joint replacement surgery, arthroscopy, or fracture management, the hospital offers everything under one roof, ensuring that patients receive the highest standard of care.

Key Orthopedic Services at BSG HOSPITAL

Advanced Joint Replacement Surgery: Dr. Singh specializes in knee, hip, and shoulder replacements, providing long-lasting relief from joint pain and immobility. He utilizes the latest prosthetics and minimally invasive techniques to ensure quicker recovery times and better outcomes for patients.

Arthroscopy and Minimally Invasive Surgery: For patients with ligament tears, sports injuries, or early-stage joint problems, Dr. Singh offers arthroscopy, a minimally invasive procedure that reduces recovery time and postoperative discomfort. This technique is especially beneficial for athletes and active individuals.

Complex Trauma & Fracture Treatment: Dr. Singh is highly skilled in treating severe fractures and trauma cases, utilizing both traditional and advanced methods to repair bone damage and restore function.

Sports Injury Treatment: As a fellowship-trained sports injury specialist, Dr. Singh treats athletes and individuals with sports-related injuries using innovative, minimally invasive procedures, ensuring they can return to their sports as soon as possible.

Rehabilitation & Post-Surgery Care: At BSG HOSPITAL, the care doesn’t end after surgery. Dr. Singh’s team works closely with patients on post-surgery rehabilitation, offering personalized physiotherapy and recovery plans to ensure long-term success and improved mobility.

Why Choose Dr. Rakesh B. Singh for Your Orthopedic Care?

Patients from across Varanasi and beyond seek out Dr. Rakesh B. Singh not only for his technical expertise but also for his compassionate approach to care. His meticulous attention to detail and patient-centered philosophy ensure that each patient receives a thorough diagnosis and a customized treatment plan. His ability to perform complex surgeries with a high success rate has made him a leading name in the field of orthopedics.

Here are a few reasons why Dr. Singh is widely considered one of the best orthopedic surgeons in Varanasi:

Extensive International Training: His fellowships in South Korea and Singapore have equipped him with cutting-edge techniques that only a few surgeons in the region can offer.

Experience in Complicated Cases: From high-risk joint replacements to severe trauma repairs, Dr. Singh has a proven track record of handling the most difficult cases.

Minimally Invasive Techniques: Whenever possible, Dr. Singh employs minimally invasive techniques like arthroscopy, which lead to quicker recovery and less postoperative pain.

Patient-Centered Approach: Dr. Singh and his team at BSG HOSPITAL work closely with patients to ensure they are comfortable, informed, and confident throughout their treatment journey.

Visit BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care Today

For anyone in need of expert orthopedic care in Varanasi, BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care, under the leadership of Dr. Rakesh B. Singh, offers unparalleled service and treatment. Whether you’re dealing with chronic joint pain, require a complicated joint replacement, or are recovering from a sports injury, BSG HOSPITAL is equipped to provide the best possible outcomes.

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ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में “तकरार”, पार्टी के ही नेता खड़े कर रहे सवाल

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐसी हार का सामना करना पड़ा है कि वो इस जख्म को भूल नहीं सकेही। वो पार्टी जिसे एग्जिट पोल में हाथों हाथ लिया जाता है, जो रूझानों में बहुमत पार कर लेती है लेकिन रिजल्ट उसके विपरित आता है। इस हार को लेकर कांग्रेस में सिर फुटव्वल जारी है। खुद राहुल गांधी भी ये मान चुके हैं कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया। राहुल गांधी के बाद कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी कांग्रेस की हार को लेकर गुटबाजी और मिस मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया है।

लालू यादव के समधी और हुड्डा के कट्टर विरोधी कैप्टन अजय यादव ने एक एक करके हार के कारण भी गिनाए हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर तो हुड्डा का नाम नहीं लिया, लेकिन सीएम पोस्ट के बहाने उन्हें घेरा। अजय सिंह यादव ने कह कि जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा गोल जीत होती है। लेकिन इस दौरान सीएम की पोस्ट के लेकर लगातार खींचतान होती रही। जो कि मीडिया में लगातार सुर्खियां बनी रही और यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं था। वह कहते है कि पहले जीत हासिल करनी चाहिए थे और फिर सीएम के पद पर दावा ठोका जा सकता था। यह अकेले तय नहीं होता है और विधायक तय करते हैं।

ओबीसी समाज का वोट बैंक भाजपा को जाने पर अजय यादव ने कहा, कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति या हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति में अहीरवाल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पार्टी ने मुझे ओबीसी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिसका कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यह शक्तिहीन है। हम चुनाव हार गए, क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ कोई समन्वय नहीं था। उन्होंने कहा कि ओबीसी के नाम पर हमें झुनझुना पकड़ाया हुआ है। कांग्रेस में ओबीसी समाज की कोई वैल्यू नहीं है। जब कोई वैल्यू नहीं है तो वह कांग्रेस को वोट क्यों देगा। यादव ने कहा कि पंजाबी समाज, वैश्य समाज, ब्राह्मण समाज इनकी भी अनदेखी हुई। इनके नेताओं के फोटो तक पोस्टरों पर नहीं लगाए गए। पार्टी केवल चार लोगों के नाम से नहीं चलेगी।

अजय यादव ने पार्टी नेतृत्व पर भी विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, जब पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया अस्पताल में भर्ती थे, तो उनका कार्यभार किसी दूसरे नेता को क्यों नहीं सौंपी गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान खुद चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए वे उचित फीडबैक लेने और रणनीति को अंतिम रूप देने में उम्मीदवारों की मदद करने में विफल रहे। अजय यादव ने आगे कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे राहुल गांधी के रोड शो की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन नेता कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए।

बता दें कि कैप्टन अजय यादव रेवाड़ी से लगातार विधायक बनते रहे हैं और वह मंत्री भी रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में उनका बेटा चिरंजीवी राव भी हार गया। लालू यादव के दामाद चिरंजीवी बीते 2019 के चुनाव में यहां से जीते थे।

हरियाणा में हार के बाद राहुल गांधी का बड़ा बयान, बोले- पार्टी की जगह अपना इंटरेस्ट ऊपर रखा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई। इसके साथ कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हरियार में हार का मुंह देखना पड़ा है। कांग्रेस राज्य में केवल 37 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के ने आज समीक्षा बैठक की। गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान राहुल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा का नाम लिए बिना बड़ी बात कही। उन्होंने साफतौर पर कहा कि नेताओं ने पार्टी की जगह अपना हित देखा।

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राहुल गांधी हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार की वजह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं बताया। हालांकि उन्‍होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्‍होंने जो बयान दिया, उससे उनकी नाराजगी साफ जाहिर हुई। उन्‍होंने कहा कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया।

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति बनाएगी। कमेटी ये पता करेगी कि उसे चुनाव में क्यों और कैसे हार मिली. समिति में कौन-कौन होगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

हरियाणा में हैट्रिकः क्या है बीजेपी के तीसरे बार जीत की वजह?

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी। चुनाव प्रचार और एग्जिट पोल में कांग्रेस की आंधी दिखी, लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आए।कांग्रेस, हरियाणा में लगातार तीसरी बार हार गई है।

हरियाणा में बीजेपी के जीत निश्चित रूप से अप्रत्याशित है। अप्रत्याशित इसलिए कि 10 साल सत्ता में रहने के बाद पार्टी के सामने टिकट बंटवारे के बाद पार्टी के कई नेताओं की बगावत चुनौती बनकर सामने आई। एग्जिट पोल में भी बीजेपी की हार की संभावना जताई गई। इन सबके बावजूद बीजेपी की जीत निश्चित रूप से बहुत खास है।हरियाणा में बीजेपी की जीत के पीछे क्या कुछ फैक्टर हो सकते हैं देखते हैः-

गैर जाट जातियों को जोड़ने का फार्मूला हिट

बीजेपी 2014 में पहली बार हरियाणा की सत्ता पर काबिज हुई।लोगों को उम्मीद थी कि किसी जाट को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी, क्योंकि पिछले कई दशक से हरियाणा का मुख्यमंत्री जाट ही बन रहा था, भले ही वो किसी भी दल का हो। लेकिन बीजेपी ने पंजाबी समाज के मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। पहली बार विधायक बने खट्टर को पीएम नरेंद्र मोदी की पसंद बताया गया। खट्टर को सीएम बनाने के बाद ही यह चर्चा चल उठी कि बीजेपी जाट राजनीति को खत्म करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी से जाटों की नाराजगी यहीं से शुरू हुई। बीजेपी कभी जाटों को मनाने की कोशिश करती हुई नजर नहीं आई। उसने पंजाबी, ओबीसी और दलित वोटों को एकजुट रखने की कोशिशें जारी रखीं। 

चुनाव से पहले खट्टर की जगह सैनी को सीएम बनाने का दांव

भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपने सीएम को बदल दिया था। मनोहर लाल खट्टर को लेकर लोगों में नाराजगी नजर को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। सैनी की माली जाति हरियाणा की बड़ी और ताकतवर ओबीसी जाति है। यानी कि बीजेपी की गैर जाट जातियों को जोड़ने का फार्मूला एक बार फिर काम कर गया है। हरियाणा में गैर जाट जातियां आज भी बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी नजर आ रही हैं।

जाटों ने बीजेपी का समर्थन किया है

ऐसा नहीं है कि जाट बीजेपी से नाराज ही हैं। हम यह इसलिए कह रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी ने जाट बहुल सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में 30 फीसद जाट बहुल सीटें जीत ली थीं। वहीं 2024 के चुनाव में उसने 51 फीसदी जाट बहुल सीटों पर बढ़त बनाई है। इसका मतलब यह हुआ कि जाट बीजेपी से बहुत नाराज नहीं हैं। हालांकि हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। 

कुमारी सैलजा की नाराजगी

दलितों में कुमारी सैलजा को सबसे बड़ा जाटव नेता माना जाता है। कुमारी सैलजा की नाराजगी के कारण यह वोट बैंक कांग्रेस से खिसका। इसके अलावा इसमें टर्निंग पॉइंट अशोक तंवर की वापसी से आया। इससे सैलजा की जाति में मैसेज गया कि हुड्डा ने उनका कद कम करने के लिए तंवर की वापसी कराई है।

राहुल गांधी के आरक्षण विरोधी बयान

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरक्षण विरोधी बयानों को भी बीजेपी ने चुनावी सभा में खूब भुनाया। इस मैसेज को दलितों की बस्ती में घर घर तक ले जाने का काम संघ के स्वयं सेवकों ने किया। कुछ सीटों पर आप के कैंडिडेट ने भी कांग्रेस के वोट काटने का काम किया।

Confidence of Mr. Vishal Choksi - "The Metal Master"

If there’s one thing that can make or break a business, it’s confidence. Confidence in the services offered, in the products sold, and in the company, itself can make a huge difference in how the public views the business and how successful it ultimately becomes. That’s why building and maintaining confidence is so important for any entrepreneur.

Mr. Vishal Choksi, founder and CEO of the DVN Group, knows this well. He has been in the Jewelry industry for decades and has made a name for himself as someone who can be trusted. Mr. Vishal Choksi, the master of metals, and is known for his extensive knowledge of metals and his dedication to providing the best possible service. One of the key ways that Mr. Choksi builds confidence is by providing high-quality products and services. His company, DVN Group specializes in providing a wide range of Jewelries to clients all over the world.  And because Mr. Choksi is committed to quality, clients know that they can trust that they are getting the best products possible. 

Another way that Mr. Choksi maintains confidence in his company is by being transparent about his business practices. He believes in the importance of ethical guidelines, and has implemented strict policies to ensure that his company operates with integrity. By being open and honest about his methods, Mr. Choksi has earned the respect and trust of his clients and the broader public.

Mr. Choksi also believes in fostering trust and confidence through his philanthropic efforts. As someone who has been blessed with success, he believes that it’s important to give back to the community. He is particularly interested in supporting charities that help to advance education and improve health care.

In conclusion, Mr. Vishal Choksi is known as "The Metal Master" for a reason. He is a successful businessman who has built his reputation on providing high-quality services and products. He is committed to ethical guidelines and has earned the confidence of his clients through his transparent business practices. With a dedication to giving back to the community, he is a true leader in the metals industry. And with his strong sense of self-confidence, he is poised to continue achieving great things in the years to come. As he often says, "With a strong sense of confidence, you can conquer any challenge that comes your way." It’s no wonder that he is known as “The Metal Master.” His dedication to building and maintaining confidence has been instrumental in his success. And for that, he should be commended. Indeed, Mr. Vishal Choksi’s commitment to confidence has helped him become a true legend in his field. With his strong work ethic, ethical practices, and dedication to giving back, he is someone who we can all look up to as a role model. And that is something that will make a lasting impact on the business world. So, here’s to Mr. Choksi and his unwavering confidence in himself, his company, and the future. With people like him leading the way, there is nothing that we cannot accomplish. As Mr. Choksi would say, “The future is bright. Trust in yourself and believe in your dreams. And above all else, be confident.” These are wise words of wisdom from a man who truly knows what he’s talking about.

DVNGroup site: https://www.dvngroup.org/

DVNJewelry site:  https://www.dvnjewelry.com/

Official site: https://www.vishalchoksi.com/ 

 

दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना: जेजू एयर विमान दुर्घटना के कारणों विश्लेषण

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दक्षिण कोरिया का एक यात्री विमान के देश के मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 181 यात्रियों में से 179 की मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब बैंकॉक से उड़ान भरने वाले 175 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर जेजू एयर की उड़ान 7C2216 सुबह 9 बजे (स्थानीय समयानुसार) उतर रही थी।

स्थानीय मीडिया द्वारा साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि दो इंजन वाला विमान बिना किसी लैंडिंग गियर के रनवे से फिसलकर दीवार से टकरा गया और आग का गोला बन गया। दुर्घटनास्थल से प्राप्त दृश्यों में विमान के कुछ हिस्सों में धुआँ और आग दिखाई दे रही थी। दो लोग - एक पुरुष और एक महिला - जीवित पाए गए और उनका इलाज चल रहा है।

दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय अग्निशमन एजेंसी ने कहा कि उसने आग पर काबू पाने के लिए 32 दमकल गाड़ियों और कई हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। घटना के बाद मुआन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी उड़ान संचालन निलंबित कर दिए गए हैं। परिवहन मंत्रालय के अनुसार, यात्रियों में दो थाई नागरिक शामिल थे और बाकी दक्षिण कोरियाई नागरिक माने जा रहे हैं।

विमान दुर्घटना का कारण क्या था?

दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी योनहाप ने अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि दुर्घटना के पीछे लैंडिंग गियर की खराबी होने की संभावना है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि विमान लैंडिंग गियर में खराबी के कारण क्रैश लैंडिंग का प्रयास कर रहा था, तभी दुर्घटना हुई। इसका पहला लैंडिंग प्रयास पहले विफल हो गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, विमान रनवे के अंत तक पहुंचने तक अपनी गति कम करने में विफल रहा और हवाई अड्डे के बाहरी किनारे पर दीवार से टकरा गया, जिससे आग का गोला बन गया।

हालांकि, स्थानीय अग्निशमन प्रमुख ने कहा कि पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम घातक दुर्घटना का कारण हो सकता है। रॉयटर्स के अनुसार, मुआन फायर स्टेशन के प्रमुख ली जियोंग-ह्यून ने एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, "दुर्घटना का कारण पक्षी का टकराना और प्रतिकूल मौसम की स्थिति माना जाता है। हालांकि, संयुक्त जांच के बाद सटीक कारण की घोषणा की जाएगी।" हालांकि, विमान दुर्घटना के कारणों पर आधिकारिक बयान का इंतजार है। यह घटना पिछले सप्ताह कजाकिस्तान के अक्तौ के पास अजरबैजान एयरलाइन के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें विमान में सवार 67 लोगों में से 38 की मौत हो गई थी और अन्य सभी घायल हो गए थे।

मुंबई नाव हादसा: 13 लोगों की मौत, जानें क्या हैं वो 4 बड़े कारण जिनसे हुआ यह दर्दनाक हादसा।

महाराष्ट्र में गेटवे ऑफ इंडिया के पास बुधवार शाम को हुए दर्दनाक नाव हादसे (Mumbai Boat Accident Update) में 13 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बचा लिया गया है. इस पूरी घटना में कहां और क्या लापरवाही हुई, इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. अब तक हुई जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक 4 कारणों से यह हादसा हुआ है. तो चलिए जानते हैं क्या हैं वो 4 कारण (Boat Accident Reasons) जिससे यह दर्दनाक हादसा हो गया.

हर दिन हजारों की संख्या में लोग मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया को देखने के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान इनमें से ज्यादातर एलिफेंटा आईलैंड को भी देखने के लिए जाते हैं. एलिफेंटा आईलैंड के लिए नाव से जाना होता है. बुधवार दोपहर को भी लोग आईलैंड को देखने के लिए एक नीलकमल नाम की बड़ी नाव से जा रहे थे, लेकिन लापरवाही की वजह से यहां दर्दनाक हादसा हो गया. तेज रफ्तार नेवी की बोट यात्रियों से भरी नाव से टकरा गई और फिर 13 लोगों की मौत हो गई.

हादसे के पीछे ये 4 कारण सामने आए हैं-

नाव में क्षमता से अधिक यात्रियों का होना

गलत जगह पर नेवी बोट की टेस्टिंग

सेफ्टी गैजेट की कमी

नौसेना नाव के चालकों का स्टंट करना

कैपेसिटी से ज्यादा लोग

बताया जा रहा है जिस समय यह हादसा हुआ उस समय नीलकमल नाव में करीब 120 से ज्यादा लोग सवार थे. हालांकि, नाव की केपेसिटी केवल 80 लोगों की ही थी. प्रशासन की लापरवाही के कारण धड़ल्ले से यहां केपेसिटी से ज्यादा लोगों को बैठाकर नाव चलाई जा रही है, जो बीते बुधवार को 13 लोगों की मौत का कारण बनी हैं. हादसे को लेकर पीड़ित परिवार जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है.

सुरक्षित जगह पर टेस्टिंग

नाव हादसे को लेकर नेवी का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि नेवी की स्पीड बोट इंजन टेस्टिंग चल रही थी. इसी दौरान इंजन ने अपना नियंत्रण खो दिया और एक बड़ा हादसा हो गया. हादसे को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि जब सभी को पता है कि यह रास्ता यात्री बोट के लिए है, तो यहां टेस्टिंग की क्या जरूरती थी. टेस्टिंग हमेशा ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहां कोई यात्री बोट आती-जाती ना हो.

नीलकमल बोट में सेफ्टी गैजेटकी कमी

नेवी की तेज रफ्तार वोट के टकराते ही नीलकमल बोट में एक छेद हो गया था. यात्रियों के देखते ही देखते ही नाव समुद्र में डूबने लगी थी. सभी लोगों ने बचने की कोशिश की, लेकिन बोट पर सुरक्षा के पूरे उपकरण ही नहीं थे, जो थे भी वह बहुत कम थे. इस कारण से यह हादसा और भी ज्यादा बड़ा होता चला गया. लोग पानी में डूब रहे थे, लेकिन उनके पास सेफ्टी गैजेट नहीं थे. हादसे से पहले अगर सुरक्षा बिंदुओं की जांच की जाती तो, शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता.

नौसेना नाव चालकों का स्टंट

हादसे को लेकर प्रत्यश्रदर्थियों का कहना है कि नौसेना नाव के चालक बहुत ही तेजी से नाव पर स्टंट कर रहे थे. उनकी स्पीड लगभग 100 किलोमीटर घंटा थी. वह हवा में खुब तेजी से नाव गोल-गोल लहरा रहे थे. साथ ही नाव को हवा में उड़ा के खतरनाक स्टंट कर रहे थे. इसी दौरान नौसेना के नाव चालकों की लापरवाही के कारण उनकी नाव यात्रियों से भरी नाव में टकरा गई थी.

भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहा बीएनपी, बांग्लादेश के लिए “Boycott India” कितना मुश्किल
#boycott_india_reason_why_it_is_not_possible_for_bangladesh
* शेख हसीना के तख्तापलट और नई अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश ने एक अलग ही राह पकड़ ली है। वो राह जो भारत से दूर करता है। बीते कुछ दिनों से लगातार भारत के खिलाफ मुखर बांग्लादेश अब हदों को पार करता हुआ नजर आ रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़े अत्याचार के बीच अब राजनीतिक दलों ने बॉयकाट इंडिया का नारा बुलंद करना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव ने अपनी पत्नी का भारतीय साड़ी जलाने के साथ ऐलान किया कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स का बायकाट किया जाएगा। बांग्लादेश, भारत से आने वाली किसी भी सामान का बहिष्कार करेगा। हालांकि, ये तकनीकि रूप से असंभव सा है। बांग्लादेश की जैसी भौगोलिक स्थिति है, उसमें भारत के साथ उसके संबंध काफ़ी अहम हो जाते हैं। बांग्लादेश को 'इंडिया लॉक्ड' मुल्क कहा जाता है। दरसअल, बांग्लादेश की 94 प्रतिशत सीमा भारत से लगती है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4,367 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और यह उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा का 94 फ़ीसदी है। यानी बांग्लादेश लगभग चारों तरफ़ से भारत से घिरा हुआ है। ऐसे में बांग्लादेश सुरक्षा और व्यापार के मामले में भारत पर निर्भर है। हाल ही में बीएनपी के महासचिव ने रूहुल कबीर रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से ली हुई साड़ी जलाते हुए भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। रिज़वी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारतीय प्रोडक्ट्स का समर्थन करने के बजाय हमें अपनी अर्थव्यवस्था में निवेश करना चाहिए। वहीं उनका ये भी मानना है कि भारतीय प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट शांतिपूर्वक लेकिन सबसे ताकतवर जवाब है। रिजवी के मुताबिक चाहे हम (बांग्लादेशी आवाम)दिन में एक ही बार खाना खा पाएं लेकिन उसके बाद भी हम गर्व से खड़े होंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे। *किस हद तक निर्भरता?* बीएनपी का ये “बायकाट इंडिया” का आह्वान बड़ा ही हास्यास्पद है।बांग्लादेश चावल, गेहूं, प्याज, लहसुन, चीनी, कॉटन, अनाज, रिफाइंड पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिक उपकरण, प्लास्टिक और इस्पात के लिए भारत पर निर्भर है। बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग भारत से जाने वाले कच्चे माल पर निर्भर है। अगर भारत से बांग्लादेश का संबंध और बिगड़ता है तो उसका निर्यात प्रभावित होगा। इसका असर जीडीपी पर पड़ेगा और फिर महंगाई के साथ बेरोज़गारी बढ़ेगी। बांग्लादेश के लिए भारत से संबंध खराब होने की कीमत चुकाना आसान नहीं होगा। *एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार* बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। बांग्लादेश एशिया में सबसे ज़्यादा निर्यात भारत में करता है। बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में दो अरब डॉलर का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर का था। 2021 में बांग्लादेश में भारत का निर्यात 14 अरब डॉलर का था जो कि 2022 में 13.8 अरब डॉलर था। 2023 में यह घटकर 11.3 अरब डॉलर हो गया। बांग्लादेश में भारत के निर्यात कम होने के पीछे की मुख्य वजह मांगों में आई कमी थी। जानकार बताते हैं कि मांग में ये कमी रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से सप्लाई चेन में आई बाधा के कारण हुई। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के पहले वाले दौर में अब भी नहीं आ पाई है। इसी बीच शेख़ हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा। भारत के साथ ख़राब होते संबंधों के कारण बांग्लादेश को आर्थिक मोर्चे पर एक और चोट लग सकती है। *पाक-चीन के करीब आ रहा बांग्लादेश* पिछले महीने ही पाकिस्तान का एक मालवाहक पोत कराची से बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित चटगांव बंदरगाह पर पहुँचा था। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क हुआ था। इससे पहले दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार सिंगापुर या कोलंबो के जरिए होता था। यह पाकिस्तान के साथ करीबी बढ़ने की ठोस शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में निवेश का चीन सबसे बड़ा स्रोत है। बांग्लादेश चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। चीन ने बांग्लादेश में सात अरब डॉलर का निवेश किया है और 2023 में चीन ने बांग्लादेश में 22 अरब डॉलर का निर्यात किया था। *क्या भारत की जगह कोई और ले सकता है?* हालांकि, पिछले डेढ़ दशक में बांग्लादेश ने आर्थिक प्रगति की जो राह पकड़ी थी, वो राह भारत से ख़राब होते संबंधों के कारण अड़चनों से भरती दिख रही है। भारत एक बड़ा मुल्क है। किसी छोटे देश से संबंध बिगड़ता है तो बड़े पर असर कम पड़ता है। पाकिस्तान से पिछले सात सालों से भारत के राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन इसका असर भारत पर नहीं पड़ा। पाकिस्तान पर ज़रूर पड़ा है। भारत से जो सामान जिस क़ीमत में बांग्लादेश पहुँचता है, उस क़ीमत में कोई भी देश नहीं दे सकता है। भारत से बांग्लादेश सामान जाने में परिवहन का खर्च कम होता है लेकिन वही सामान चीन से आएगा या दूसरे देशों से तो ज़्यादा महंगा हो जाएगा। अगर बांग्लादेश को ये बर्दाश्त है तो ठीक है। बांग्लादेश के लिए भारत जो मायने रखता है, उसकी भरपाई चीन नहीं कर सकता है
महाराष्ट्र चुनाव: महायुति गठबंधन ने 6 महीने में किया कमाल, लोकसभा चुनाव के झटकों से ऐसे उबरी
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* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘महायुति’ गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीट, कांग्रेस ने 16 और एनसीपी (शरद पवार) ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था। जिसके बाद से सवाल उठ रहे थे कि क्या महायुति विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकेगी? आम चुनाव में कांग्रेस 13 सीटें जीतक सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना(यूबीटी) ने 9 और शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। उस वक्त अजीत पवार की एनसीपी ने महज एक, शिवसेना(शिंदे) ने सात और बीजेपी ने महज 9 सीटें मिली थी। अब विधानसभा चुनाव में महायुति ने महाविकास अघाड़ी को करारा झटका दिया है। महाज 6 महीने के अंतराल में हुए चुनाव में बीजपी ने हार को बड़ी जीत में बदल दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन 6 महीनों में महायुति की इतनी बड़ी सफलता की वजह क्या रही? महायुति को इतनी बड़ी विजय मिलने की वजहें ये हैः- *लाडली बहन योजना साबित हुई ‘गेमचेंजर’* महायुति की जीत में सबसे बड़ा योगदान 'मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना' (मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना) का माना जा रहा है। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को सीधे डेढ़ हज़ार रुपये की आर्थिक मदद हर महीने दी जा रही है। चुनाव शुरू होने से पहले ही, लगभग 30 लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना का फ़ायदा मिल गया था। उनके बैंक खातों में तीन हज़ार रुपये जमा हो चुके थे। इसके अलावा, चुनाव के दौरान महायुति ने इस योजना के विस्तार की घोषणा की। इसने भी उसके पक्ष में एक मज़बूत लहर बनाई। गठबंधन ने वादा किया कि सरकार बनने पर इस राशि को बढ़ा कर हर महीने दो हज़ार एक सौ रुपये कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार, इस बार महिला वोटरों की संख्या में 5.95 फ़ीसदी का इजाफा हुआ। महिला वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी को इस योजना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। *आरएसएस की मेहनत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार भाजपा के लिए पूरी ताक़त झोंक दी थी। लोकसभा चुनाव में संघ की सक्रियता अपेक्षाकृत कम थी। हालाँकि, विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहरी मतदाताओं को जोड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया। संघ के कार्यकर्ताओं ने नागपुर और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर भाजपा के लिए प्रचार किया। आरएसेस के हजारों स्वयंसेवकों ने सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे का वक्त दिया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर कह कि शतप्रतिशत मतदान करना है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर “स्थिरता और विकास” के मुद्दे की बात की और अपने संदेश को फैलाया। *हिंदु वोटों को एकजुट करने में कामयाबी* लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर बीजेपी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी ने हर कदम रणनीति के तहत बढ़ाया। योजनाबद्ध रूप से धार्मिक ध्रुवीकरण को अंजाम दिया गया। लोकसभा चुनाव में आघाडी को मिले मुस्लिम वोटों को बीजेपी ने वोट जिहाद कहना शुरू किया। उसके बाद बीजेपी ने 'ऐलान' की जगह 'शंखनाद' कहना शुरू किया। आगे का काम योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' और मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' ने किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए नारों ने चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत किया। “बँटेंगे तो कटेंगे या एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे” जैसे नारों ने भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को और धार दी। *स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा* इसके अलावा भाजपा ने महाराष्ट्र के इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा। महायुति अपने ढाई साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को जनता को बताने में सफल रही। शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद से 24×7 काम करते नजर आए। उनकी सरकार ने फैसले लेने तेजी दिखाई। महायुति के भीतर के राजनीतिक अंतर्कलह को मुख्यमंत्री ने सरकार के कामकाज पर हावी नहीं होने दिया। *मराठों का गुस्सा कम करने में रही कामयाब* लोकसभा चुनाव में भाजपा को मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने विश्वस्त साथियों के जरिए मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के साथ अच्छा तालमेल स्थापित किया, तो दूसरी तरफ भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के अपने प्रतिबद्ध मतदाताओं को जोड़ने पर ध्यान दिया। इससे महायुति मराठों का गुस्सा कम करने के साथ-साथ ओबीसी का वोट पाने में सफल रही।
Dr. Rakesh B. Singh: Renowned Orthopedic Surgeon at BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care in Varanasi

 

When it comes to advanced orthopedic care in Varanasi, Dr. Rakesh B. Singh stands out as one of the most experienced and skilled orthopedic surgeons in the region. With a rich career that spans decades, Dr. Singh has successfully performed numerous complex surgeries, establishing himself as a trusted expert in joint replacement, arthroscopy, and sports injury treatment. At the BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care, he offers cutting-edge solutions to a wide range of orthopedic conditions, helping patients regain mobility and improve their quality of life.An Expert in Complex Orthopedic Surgeries

Dr. Rakesh B. Singh has built a distinguished reputation for his expertise in handling the most challenging orthopedic cases. He specializes in performing complicated surgeries that require precision, deep knowledge, and advanced surgical techniques. His vast experience includes treating severe trauma cases, performing complex joint replacements, managing multiple fractures, and addressing critical sports injuries. Patients with difficult conditions that may have been deemed inoperable by others often find relief under Dr. Singh’s care.

Some of the complex surgeries Dr. Singh is renowned for include:

Revision Joint Replacement: Correcting failed or problematic joint replacements with highly specialized techniques.

Complex Fracture Repairs: Treating multi-fracture injuries and severe bone damage through advanced surgical methods.

Arthroscopic Surgeries for Ligament Repairs: Using minimally invasive arthroscopy techniques for delicate ligament reconstruction, particularly in knees and shoulders.

Spine Surgery: Offering solutions for degenerative spinal disorders, disc herniation, and complex trauma cases involving the spine.

Unmatched Global Expertise and Credentials

Dr. Rakesh B. Singh is not only recognized in India but also internationally, thanks to his advanced training and fellowships from prestigious global institutions. His qualifications include an MBBS and MS (Orthopedics), which laid the foundation for his expertise in orthopedic surgery. Dr. Singh further sharpened his skills by completing:

A Fellowship in Arthroscopy and Joint Replacement in South Korea, where he trained under some of the world’s top orthopedic surgeons.

A Fellowship in Sports Injury in Singapore, allowing him to offer state-of-the-art treatments for sports-related conditions that require precise, minimally invasive surgeries.

BSG HOSPITAL: A Leader in Orthopedic & Critical Care in Varanasi

Dr. Rakesh Singh’s practice is based at the BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care in Varanasi, a leading facility renowned for providing comprehensive orthopedic services. Equipped with the latest medical technologies and a highly trained staff, BSG HOSPITAL is at the forefront of delivering modern orthopedic treatments. Whether it’s joint replacement surgery, arthroscopy, or fracture management, the hospital offers everything under one roof, ensuring that patients receive the highest standard of care.

Key Orthopedic Services at BSG HOSPITAL

Advanced Joint Replacement Surgery: Dr. Singh specializes in knee, hip, and shoulder replacements, providing long-lasting relief from joint pain and immobility. He utilizes the latest prosthetics and minimally invasive techniques to ensure quicker recovery times and better outcomes for patients.

Arthroscopy and Minimally Invasive Surgery: For patients with ligament tears, sports injuries, or early-stage joint problems, Dr. Singh offers arthroscopy, a minimally invasive procedure that reduces recovery time and postoperative discomfort. This technique is especially beneficial for athletes and active individuals.

Complex Trauma & Fracture Treatment: Dr. Singh is highly skilled in treating severe fractures and trauma cases, utilizing both traditional and advanced methods to repair bone damage and restore function.

Sports Injury Treatment: As a fellowship-trained sports injury specialist, Dr. Singh treats athletes and individuals with sports-related injuries using innovative, minimally invasive procedures, ensuring they can return to their sports as soon as possible.

Rehabilitation & Post-Surgery Care: At BSG HOSPITAL, the care doesn’t end after surgery. Dr. Singh’s team works closely with patients on post-surgery rehabilitation, offering personalized physiotherapy and recovery plans to ensure long-term success and improved mobility.

Why Choose Dr. Rakesh B. Singh for Your Orthopedic Care?

Patients from across Varanasi and beyond seek out Dr. Rakesh B. Singh not only for his technical expertise but also for his compassionate approach to care. His meticulous attention to detail and patient-centered philosophy ensure that each patient receives a thorough diagnosis and a customized treatment plan. His ability to perform complex surgeries with a high success rate has made him a leading name in the field of orthopedics.

Here are a few reasons why Dr. Singh is widely considered one of the best orthopedic surgeons in Varanasi:

Extensive International Training: His fellowships in South Korea and Singapore have equipped him with cutting-edge techniques that only a few surgeons in the region can offer.

Experience in Complicated Cases: From high-risk joint replacements to severe trauma repairs, Dr. Singh has a proven track record of handling the most difficult cases.

Minimally Invasive Techniques: Whenever possible, Dr. Singh employs minimally invasive techniques like arthroscopy, which lead to quicker recovery and less postoperative pain.

Patient-Centered Approach: Dr. Singh and his team at BSG HOSPITAL work closely with patients to ensure they are comfortable, informed, and confident throughout their treatment journey.

Visit BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care Today

For anyone in need of expert orthopedic care in Varanasi, BSG HOSPITAL Centre for Advance Orthopedics & Critical Care, under the leadership of Dr. Rakesh B. Singh, offers unparalleled service and treatment. Whether you’re dealing with chronic joint pain, require a complicated joint replacement, or are recovering from a sports injury, BSG HOSPITAL is equipped to provide the best possible outcomes.

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ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में “तकरार”, पार्टी के ही नेता खड़े कर रहे सवाल

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐसी हार का सामना करना पड़ा है कि वो इस जख्म को भूल नहीं सकेही। वो पार्टी जिसे एग्जिट पोल में हाथों हाथ लिया जाता है, जो रूझानों में बहुमत पार कर लेती है लेकिन रिजल्ट उसके विपरित आता है। इस हार को लेकर कांग्रेस में सिर फुटव्वल जारी है। खुद राहुल गांधी भी ये मान चुके हैं कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया। राहुल गांधी के बाद कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी कांग्रेस की हार को लेकर गुटबाजी और मिस मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया है।

लालू यादव के समधी और हुड्डा के कट्टर विरोधी कैप्टन अजय यादव ने एक एक करके हार के कारण भी गिनाए हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर तो हुड्डा का नाम नहीं लिया, लेकिन सीएम पोस्ट के बहाने उन्हें घेरा। अजय सिंह यादव ने कह कि जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा गोल जीत होती है। लेकिन इस दौरान सीएम की पोस्ट के लेकर लगातार खींचतान होती रही। जो कि मीडिया में लगातार सुर्खियां बनी रही और यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं था। वह कहते है कि पहले जीत हासिल करनी चाहिए थे और फिर सीएम के पद पर दावा ठोका जा सकता था। यह अकेले तय नहीं होता है और विधायक तय करते हैं।

ओबीसी समाज का वोट बैंक भाजपा को जाने पर अजय यादव ने कहा, कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति या हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति में अहीरवाल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पार्टी ने मुझे ओबीसी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिसका कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यह शक्तिहीन है। हम चुनाव हार गए, क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ कोई समन्वय नहीं था। उन्होंने कहा कि ओबीसी के नाम पर हमें झुनझुना पकड़ाया हुआ है। कांग्रेस में ओबीसी समाज की कोई वैल्यू नहीं है। जब कोई वैल्यू नहीं है तो वह कांग्रेस को वोट क्यों देगा। यादव ने कहा कि पंजाबी समाज, वैश्य समाज, ब्राह्मण समाज इनकी भी अनदेखी हुई। इनके नेताओं के फोटो तक पोस्टरों पर नहीं लगाए गए। पार्टी केवल चार लोगों के नाम से नहीं चलेगी।

अजय यादव ने पार्टी नेतृत्व पर भी विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, जब पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया अस्पताल में भर्ती थे, तो उनका कार्यभार किसी दूसरे नेता को क्यों नहीं सौंपी गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान खुद चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए वे उचित फीडबैक लेने और रणनीति को अंतिम रूप देने में उम्मीदवारों की मदद करने में विफल रहे। अजय यादव ने आगे कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे राहुल गांधी के रोड शो की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन नेता कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए।

बता दें कि कैप्टन अजय यादव रेवाड़ी से लगातार विधायक बनते रहे हैं और वह मंत्री भी रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में उनका बेटा चिरंजीवी राव भी हार गया। लालू यादव के दामाद चिरंजीवी बीते 2019 के चुनाव में यहां से जीते थे।

हरियाणा में हार के बाद राहुल गांधी का बड़ा बयान, बोले- पार्टी की जगह अपना इंटरेस्ट ऊपर रखा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई। इसके साथ कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हरियार में हार का मुंह देखना पड़ा है। कांग्रेस राज्य में केवल 37 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के ने आज समीक्षा बैठक की। गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान राहुल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा का नाम लिए बिना बड़ी बात कही। उन्होंने साफतौर पर कहा कि नेताओं ने पार्टी की जगह अपना हित देखा।

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राहुल गांधी हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार की वजह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं बताया। हालांकि उन्‍होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्‍होंने जो बयान दिया, उससे उनकी नाराजगी साफ जाहिर हुई। उन्‍होंने कहा कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया।

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति बनाएगी। कमेटी ये पता करेगी कि उसे चुनाव में क्यों और कैसे हार मिली. समिति में कौन-कौन होगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

हरियाणा में हैट्रिकः क्या है बीजेपी के तीसरे बार जीत की वजह?

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी। चुनाव प्रचार और एग्जिट पोल में कांग्रेस की आंधी दिखी, लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आए।कांग्रेस, हरियाणा में लगातार तीसरी बार हार गई है।

हरियाणा में बीजेपी के जीत निश्चित रूप से अप्रत्याशित है। अप्रत्याशित इसलिए कि 10 साल सत्ता में रहने के बाद पार्टी के सामने टिकट बंटवारे के बाद पार्टी के कई नेताओं की बगावत चुनौती बनकर सामने आई। एग्जिट पोल में भी बीजेपी की हार की संभावना जताई गई। इन सबके बावजूद बीजेपी की जीत निश्चित रूप से बहुत खास है।हरियाणा में बीजेपी की जीत के पीछे क्या कुछ फैक्टर हो सकते हैं देखते हैः-

गैर जाट जातियों को जोड़ने का फार्मूला हिट

बीजेपी 2014 में पहली बार हरियाणा की सत्ता पर काबिज हुई।लोगों को उम्मीद थी कि किसी जाट को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी, क्योंकि पिछले कई दशक से हरियाणा का मुख्यमंत्री जाट ही बन रहा था, भले ही वो किसी भी दल का हो। लेकिन बीजेपी ने पंजाबी समाज के मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। पहली बार विधायक बने खट्टर को पीएम नरेंद्र मोदी की पसंद बताया गया। खट्टर को सीएम बनाने के बाद ही यह चर्चा चल उठी कि बीजेपी जाट राजनीति को खत्म करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी से जाटों की नाराजगी यहीं से शुरू हुई। बीजेपी कभी जाटों को मनाने की कोशिश करती हुई नजर नहीं आई। उसने पंजाबी, ओबीसी और दलित वोटों को एकजुट रखने की कोशिशें जारी रखीं। 

चुनाव से पहले खट्टर की जगह सैनी को सीएम बनाने का दांव

भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपने सीएम को बदल दिया था। मनोहर लाल खट्टर को लेकर लोगों में नाराजगी नजर को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। सैनी की माली जाति हरियाणा की बड़ी और ताकतवर ओबीसी जाति है। यानी कि बीजेपी की गैर जाट जातियों को जोड़ने का फार्मूला एक बार फिर काम कर गया है। हरियाणा में गैर जाट जातियां आज भी बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी नजर आ रही हैं।

जाटों ने बीजेपी का समर्थन किया है

ऐसा नहीं है कि जाट बीजेपी से नाराज ही हैं। हम यह इसलिए कह रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी ने जाट बहुल सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में 30 फीसद जाट बहुल सीटें जीत ली थीं। वहीं 2024 के चुनाव में उसने 51 फीसदी जाट बहुल सीटों पर बढ़त बनाई है। इसका मतलब यह हुआ कि जाट बीजेपी से बहुत नाराज नहीं हैं। हालांकि हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। 

कुमारी सैलजा की नाराजगी

दलितों में कुमारी सैलजा को सबसे बड़ा जाटव नेता माना जाता है। कुमारी सैलजा की नाराजगी के कारण यह वोट बैंक कांग्रेस से खिसका। इसके अलावा इसमें टर्निंग पॉइंट अशोक तंवर की वापसी से आया। इससे सैलजा की जाति में मैसेज गया कि हुड्डा ने उनका कद कम करने के लिए तंवर की वापसी कराई है।

राहुल गांधी के आरक्षण विरोधी बयान

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरक्षण विरोधी बयानों को भी बीजेपी ने चुनावी सभा में खूब भुनाया। इस मैसेज को दलितों की बस्ती में घर घर तक ले जाने का काम संघ के स्वयं सेवकों ने किया। कुछ सीटों पर आप के कैंडिडेट ने भी कांग्रेस के वोट काटने का काम किया।

Confidence of Mr. Vishal Choksi - "The Metal Master"

If there’s one thing that can make or break a business, it’s confidence. Confidence in the services offered, in the products sold, and in the company, itself can make a huge difference in how the public views the business and how successful it ultimately becomes. That’s why building and maintaining confidence is so important for any entrepreneur.

Mr. Vishal Choksi, founder and CEO of the DVN Group, knows this well. He has been in the Jewelry industry for decades and has made a name for himself as someone who can be trusted. Mr. Vishal Choksi, the master of metals, and is known for his extensive knowledge of metals and his dedication to providing the best possible service. One of the key ways that Mr. Choksi builds confidence is by providing high-quality products and services. His company, DVN Group specializes in providing a wide range of Jewelries to clients all over the world.  And because Mr. Choksi is committed to quality, clients know that they can trust that they are getting the best products possible. 

Another way that Mr. Choksi maintains confidence in his company is by being transparent about his business practices. He believes in the importance of ethical guidelines, and has implemented strict policies to ensure that his company operates with integrity. By being open and honest about his methods, Mr. Choksi has earned the respect and trust of his clients and the broader public.

Mr. Choksi also believes in fostering trust and confidence through his philanthropic efforts. As someone who has been blessed with success, he believes that it’s important to give back to the community. He is particularly interested in supporting charities that help to advance education and improve health care.

In conclusion, Mr. Vishal Choksi is known as "The Metal Master" for a reason. He is a successful businessman who has built his reputation on providing high-quality services and products. He is committed to ethical guidelines and has earned the confidence of his clients through his transparent business practices. With a dedication to giving back to the community, he is a true leader in the metals industry. And with his strong sense of self-confidence, he is poised to continue achieving great things in the years to come. As he often says, "With a strong sense of confidence, you can conquer any challenge that comes your way." It’s no wonder that he is known as “The Metal Master.” His dedication to building and maintaining confidence has been instrumental in his success. And for that, he should be commended. Indeed, Mr. Vishal Choksi’s commitment to confidence has helped him become a true legend in his field. With his strong work ethic, ethical practices, and dedication to giving back, he is someone who we can all look up to as a role model. And that is something that will make a lasting impact on the business world. So, here’s to Mr. Choksi and his unwavering confidence in himself, his company, and the future. With people like him leading the way, there is nothing that we cannot accomplish. As Mr. Choksi would say, “The future is bright. Trust in yourself and believe in your dreams. And above all else, be confident.” These are wise words of wisdom from a man who truly knows what he’s talking about.

DVNGroup site: https://www.dvngroup.org/

DVNJewelry site:  https://www.dvnjewelry.com/

Official site: https://www.vishalchoksi.com/