India

Nov 21 2023, 20:29

स्‍कूलों में पढ़ाई जाएगी रामायण और महाभारत! एनसीईआरटी पैनल ने की पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश

#ncertpanelrecommendstoincluderamayanaandmahabharatainschoolbooks

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एनसीईआरटी के सिलेबस में रामायण और महाभारत को शामिल किया जा सकता है। दरअसल, पिछले साल गठित 7 सदस्यीय समिति ने सोशल साइंस की किताबों में रामायण और महाभारत को शामिल करने की सिफारिश की है। कमेटी ने ये सिफारिश भी की है कि टेक्स्ट बुक में इंडिया की जगह भारत लिखा जाए।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रो. सीआई इसाक ने बताया कि पैनल ने टेक्स्ट बुक में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने और स्कूल में क्लासों की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश की है।स्कूलों के लिए सोशल साइंस के सिलेबस को संशोधित करने के लिए गठित की गई एनसीईआरटी की सोशल साइंस कमेटी ने किताबों में इंडियन नॉलेज सिस्टम, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव दिए हैं। प्रो. सीआई इसाक ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पैनल ने यह प्रस्ताव भी रखा कि स्कूल की हर क्लास में दीवार पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जाए। यह क्षेत्रीय भाषा में होनी चाहिए। इसाक इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं।

छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण

इसाक ने जोर देते हुए कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हमारा मानना है कि किशोरावस्था में छात्र को अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का एहसास होता है। इसाक ने कहा कि देशभक्ति की कमी के कारण हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता ले लेते हैं। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना, अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। अगर छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी।

इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश

इतिहास के एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने इसाक ने कहा, पैनल ने इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है: शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत। अब तक, भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत। उन्होंने आगे कहा,शास्त्रीय काल के तहत, हमने सिफारिश की है कि भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाए। हमने सिफारिश की है कि छात्रों को यह पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था।

सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानें छात्र

पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल एक या दो के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। इसाक ने बताया कि पैनल ने सुझाव दिया है कि किताब में सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों और उनकी विजयों के बारे में जानकारी हो। उन्होंने कहा,छात्रों को भारतीय नायकों, उनके संघर्षों और जीत के बारे में जानना चाहिए ताकि उनमें आत्मविश्वास आ सके।

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Nov 21 2023, 20:29

स्‍कूलों में पढ़ाई जाएगी रामायण और महाभारत! एनसीईआरटी पैनल ने की पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश

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नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एनसीईआरटी के सिलेबस में रामायण और महाभारत को शामिल किया जा सकता है। दरअसल, पिछले साल गठित 7 सदस्यीय समिति ने सोशल साइंस की किताबों में रामायण और महाभारत को शामिल करने की सिफारिश की है। कमेटी ने ये सिफारिश भी की है कि टेक्स्ट बुक में इंडिया की जगह भारत लिखा जाए।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रो. सीआई इसाक ने बताया कि पैनल ने टेक्स्ट बुक में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने और स्कूल में क्लासों की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश की है।स्कूलों के लिए सोशल साइंस के सिलेबस को संशोधित करने के लिए गठित की गई एनसीईआरटी की सोशल साइंस कमेटी ने किताबों में इंडियन नॉलेज सिस्टम, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव दिए हैं। प्रो. सीआई इसाक ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पैनल ने यह प्रस्ताव भी रखा कि स्कूल की हर क्लास में दीवार पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जाए। यह क्षेत्रीय भाषा में होनी चाहिए। इसाक इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं।

छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण

इसाक ने जोर देते हुए कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हमारा मानना है कि किशोरावस्था में छात्र को अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का एहसास होता है। इसाक ने कहा कि देशभक्ति की कमी के कारण हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता ले लेते हैं। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना, अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। अगर छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी।

इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश

इतिहास के एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने इसाक ने कहा, पैनल ने इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है: शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत। अब तक, भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत। उन्होंने आगे कहा,शास्त्रीय काल के तहत, हमने सिफारिश की है कि भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाए। हमने सिफारिश की है कि छात्रों को यह पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था।

सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानें छात्र

पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल एक या दो के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। इसाक ने बताया कि पैनल ने सुझाव दिया है कि किताब में सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों और उनकी विजयों के बारे में जानकारी हो। उन्होंने कहा,छात्रों को भारतीय नायकों, उनके संघर्षों और जीत के बारे में जानना चाहिए ताकि उनमें आत्मविश्वास आ सके।