पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

3 महिलाओं के बदले इजराइल ने छोड़े 90 फिलिस्तीनी, जानिए क्या है डील का गणित

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इजराइल और हमास के बीच जंग के 15 महीने बाद रविवार, 19 जनवरी को सीजफायर लागू हो गया है। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक हमास ने 471 दिन बाद 3 इजराइली महिला बंधकों रिहा कर दिया। ये तीनों रेड क्रॉस संगठन की मदद से इजराइल पहुंच गई हैं। दूसरी तरफ इजराइल ने इनके बदले 90 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया है। इजराइल के रामल्लाह स्थित ओफर जेल से फिलिस्तीनी कैदी रिहा किए गए। इसमें फिलिस्तीन के प्रमुख संगठन की कार्यकर्ता, महिलाएं और बच्चे शामिल रहे।

फिलिस्तीनी की रिहाई के वक्त जेल के बाहर बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी जमा हुए। उन्होंने जेल से रिहा होने वाले फिलिस्तीनी का स्वागत किया। साथ ही उनको सफेद बसों से ले जाते वक्त आतिशबाजी की। इजराइल ने इन सभी को पत्थरबाजी और हत्या के प्रयास समेत सुरक्षा संबंधी अपराधों के लिए हिरासत में लिया था। हालांकि फिलिस्तीनी कैदियों ने रिहाई में देरी के लिए इजराइल की आलोचना की।

हमास की तरफ से जिन बंधकों को रिहा किया गया उनके नाम रोमी गोनेन, एमिली दामारी और डोरोन स्टीनब्रेचर हैं। वहीं, इजराइल ने जिन फिलिस्तीनी को रिहा किया है, उसमें कई फिलिस्तीनी हस्तियां शामिल हैं। इसमें प्रमुख फिलिस्तीनी वामपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन की प्रमुख 62 वर्षीय खालिदा जर्रारा शामिल हैं। उनको दिसंबर 2023 में हिरासत में लिया गया था। इसके अलाव हमास अधिकारी सालेह अरोरी की बहन दलाल खासीब, नेता अहमद सआदत की पत्नी अबला अब्देल रसूल शामिल हैं।

सीजफायर डील 3 फेज में पूरी होगी। पहले फेज में हमास इजराइल से किडनैप किए गए 33 बंधकों को रिहा करेगा। साथ ही इजराइली सेना गाजा की सीमा से 700 मीटर पीछे लौटेगी। इजराइल में न्याय मंत्रालय ने भी 95 फिलिस्तीनी कैदियों की लिस्ट जारी की है, जिन्हें पहले फेज में रिहा किया जाएगा। इनमें 69 महिलाएं, 16 पुरुष और 10 नाबालिग शामिल हैं। इजराइल 700 से ज्यादा फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। इनके नाम की लिस्ट भी जारी की गई है। इस लिस्ट में शामिल कई लोग हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, जिनमें हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के सदस्य भी शामिल हैं।

हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल में घुसकर 1200 लोगों को मार डाला था और 251 को बंधक बना लिया था। इसके कुछ घंटे बाद इजराइली सेना ने गाजा पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद शुरू हुई जंग में हजारों जान चली गई। वहीं लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। इस संघर्ष के दौरान मिस्र, कतर, अमेरिका जैसे कई देशों ने दोनों देशों के बीच स्थिति समान्य करने का प्रयास किया। आखिरकार इस्राइल ने 15 जनवरी को युद्ध विराम समझौता और बंधको की रिहाई पर सहमति जताई। इससे पहले, नवंबर 2023 में एक सप्ताह के युद्ध विराम के दौरान भी 100 से ज्यादा बंधकों को रिहा किया गया था।

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

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इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

*हो चुका है हमास चीफ याह्या सिनवार का खात्मा, इजरायल ने डीएनए जांच के बाद की मारे जाने की पुष्टि

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गाजा में इजरायल के मिलिट्री ऑपरेशन में हमास चीफ याह्या सिनवार की मौत हो गई है। इजरायल ने याह्या सिनवार के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि कर दी है। डीएनए जांच से इसकी पुष्टि हुई है। गाजा में इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने गुरुवार को एक अभियान में हमास के तीन लड़ाके मार गिराए। आईडीएफ और इजराइल सिक्योरिटी एजेंसी (आईएसए) शुरुआत में यह जांच कर रहे थे कि क्या इनमें से याह्या सिनवार भी शामिल है या नहीं। बाद में आडीएफ ने पुष्टि की कि सिनवार मारा गया है। वहीं, इस्राइली विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सिनवार के मारे जाने की पुष्टि की है।

गुरुवार को इजराइली सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी है कि गाजा में एक ऑपरेशन के दौरान मारे गए तीन आतंकियों में से एक याह्या सिनवार हो सकता है। गाजा पर भीषण हवाई हमले के बाद ही इजरायली सेना ने सिनवार के मारे जाने की आशंका जाहिर की थी, मगर इसकी पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराने की बात कही थी। मगर तब दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई थी। अब इजरायल की ओर से आधिकारिक रूप से घोषणा में यह कहा गया है कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में 1200 लोगों का नरसंहार करने वाला हमास नेता याह्या सिनवार मारा गया है। वह इजरायल पर हमले की साजिश रचने और उसके लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।

सिनवार के शव को कथित तौर पर दिखाने वाली तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। अब खुद बेंजामिन नेतन्याहू की पुष्टि के बाद गाजा में आतंक का एक नाम हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया है। याह्या सिनवार की मौत आतंकी संगठन हमास के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

कुछ दिनों पहले सिनवार को लेकर दावा किया गया था कि वह इजराइली बंधकों के बीच छिपा हुआ है, जिससे इजराइल उसे आसानी से निशाना न बना सके, वहीं इससे पहले भी सिनवार के मारे जाने की खबर आई थी लेकिन इजराइली सेना उसकी पुष्टि नहीं कर पाई थी।

कौन है याह्या सिनवार?

याह्या सिनवार हमास का पॉलिटिकल चीफ है, उसे इस्माइल हानिया की मौत के बाद अगस्त में ही संगठन की कमान सौंपी गई थी। सिनवार का जन्म 1962 में गाजा पट्टी के शरणार्थी शिविर में हुआ था। इजराइल ने सिनवार को 3 बार गिरफ्तार किया था लेकिन 2011 में एक इजराइली सैनिक के बदले में इजराइल को 127 कैदियों के साथ सिनवार को भी रिहा करना पड़ा। वहीं, सितंबर 2015 में अमेरिका ने सिनवार का नाम इंटरनेशनल आतंकियों की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।

बाइडेन ने एक फोन पर नरम पड़े नेतन्याहू, छह महीने बाद गाजा के साथ क्रॉसिंग खोला

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हमास और इस्राइल के बीच कई माह से जंग जारी है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए कोशिशें जारी है, लेकिन फिर भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है।इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान अब तक की सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। पहले की तुलना में अब इजराइल के रुख में लचीलापन देखने को मिल रहा है। इजराइल की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वह गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठा रहा है। जिसमें बुरी तरह प्रभावित उत्तरी गाजा की एक सीमा को फिर से खोलना भी शामिल है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने योजनाओं की घोषणा की।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक-दूसरे से फोन पर बातचीत की। जिसके बाद नेतन्याहू के रूख में नर्मी देखी जा रही है।

इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद पहली बार इजरायल और उत्तरी गाजा के बीच इरेज़ क्रॉसिंग को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सीएनएन के मुताबिक एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

इज़रायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में अधिक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्रॉसिंग को खोला जाएगा। कैबिनेट ने गाजा में अधिक सहायता पहुंचाने में मदद के लिए इजरायली बंदरगाह अशदोद का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी। इरेज क्रॉसिंग, एक पैदल यात्री मार्ग है। यह उन बॉर्डर प्वाइंट्स में से एक है जिसका उल्लंघन 7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने के लिए किया था।

बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत

इजराइल की तरफ से यह घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद की गई है। इससे पहले फोन पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि गाजा में युद्ध के लिए भविष्य का अमेरिकी समर्थन नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए इजराइल की ओर से और अधिक कदम उठाए जाने पर निर्भर करेगा। 

बता दें कि मतभेदों के बावजूद, बाइडन प्रशासन ने हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के लिए इजराइल को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और राजनयिक समर्थन प्रदान करना जारी रखा है।

सात अक्तूबर को हमास ने किया था हमला

बता दें, इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। सात अक्तूबर से लेकर अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की इस संघर्ष में मौत हो चुकी है। वहीं, हमास के बाद इजराइली सेना भी कार्रवाई करते हुए बिना रुके हमले कर रही है। इजराइल ने गाजा में जमीन, हवाई, समुद्र समेत सभी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले लोगों की आवाजाही के लिए इरेज और माल के लिए केरेम शालोम बॉर्डर थे।

इस कारण इजराइल की हो रही आलोचना

गौरतलब है कि गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में ‘वर्ल्ड सेंट्रल किचन’ के 7 अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की मौत हो जाने के बाद इजरायल की दुनिया भर में आलोचना हो रही हैं। यह सभी लोग गाजा में फूड सप्लाई के काम में लगे थे। हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के वर्ल्ड सेंट्रल किचन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनका एक फिलिस्तीनी सहयोगी मारा गया। इजराइल का कहना है कि हमला एक गंभीर गलती थी और उसने माफी मांगी है। इसमें स्वतंत्र जांच का भी वादा किया गया है।

हमास के बंधक इजराइली महिलाओं से रेप और अत्याचार पर भड़के नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

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हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बनाई गईं इजरायली महिला सैनिकों के साथ क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया। आतंकियों ने महिला सैनिकों को टॉर्चर करने के लिए हर वो तरीका अपनाया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। कई इजरायली महिला सैनिकों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हमास की हैवानियत का खुलासा मृत इजरायली सैनिकों के शवों को दफनाने वाले डॉक्टरों और वॉलियंटर्स ने की है। उन्होंने जो भी बताया है, वह किसी भी इंसान को भावुक कर सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी साझा किया गया है, ताकि दुनिया को हमास की सच्चाई पता चल सके।हमास की इन दिल दहला देने वाली हरकतों पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों पर सवाल उठाए हैं। नेतन्याहू ने इजरायली महिलाओं के खिलाफ हमास द्वारा किए गए रेप और अन्य अत्याचारों के बारे में चुप्पी साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

नेतन्याहू ने अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट किया हौ। इसमें लिखा कि "मैं महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से कहता हूं कि 'आपने इजराइली महिलाओं के रेप, भयानक अत्याचार, यौन उत्पीड़न के बारे में सुना है- आप कहां हैं?' नेतन्याहू ने इजराइली महिलाओं पर हुए हमास के अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के चुप्पी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। 

अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं- नेतन्याहू

इजरायली पीएम ने कहा मैं सभी सभ्य नेताओं, सरकारों, देशों से इस अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं। उन्होंने तेल अवीव में रक्षामंत्री योव गैलेंट और मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। 

”आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?”

नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधकों और पहले भी बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उन्होंने बताया, 'मैंने उनकी दिल दहला देने वाली कहानियां सुनी। मुझे दुष्कर्म की दर्दनाक कहानियां बताई गई। नेतन्याहू ने आगे कहा कि लेकिन इन सब में महिला संगठन या अन्य संगठन की तरफ से एक शब्द भी नहीं कहा गया। उन्होंने इन संगठनों से सवाल किया, आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?

हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज

बता दें कि संघर्ष विराम के बाद इजरायल में हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायली सेना, आईडीएफ ने उत्तर के बाद दक्षिण गाजा पर हमले तेज किए हैं। गाजा के जल्दी पूरी तरह से आईडीएफ के नियंत्रण में जाने की संभावना के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध के लक्ष्यों को दोहराया है। नेतन्याहू ने एक बार फिर हमास की कमर तोड़ने और हमास के सभी कमांडरों को खत्म करने की बात दोहराई है। साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायली सेना गाजा पट्टी में एक विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिए काम करेगी।

हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह ने हमास के समर्थन का किया एलान, कहा- हमले के सिवा कोई विकल्प नहीं था

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इजराइल-हमास युद्ध को एक महीने होने को हैं, लेकिन जंग है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही है।इसी बीच हिज्बुल्ला ने इजराइल के लिए परेशानी बढ़ा रखी है। इस बीच ‘हिजबुल्लाह’ के नेता हसन नसरुल्लाह ने हमास का समर्थन करने का ऐलान कर इजराइल की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन में बड़ा युद्ध हो रहा है, जो जिंदा हैं, उन्हें मारा जा रहा है। इजराइल की सरकार जालिम है।

नसरल्लाह ने कहा कि इस जंग में जो देश हमारे साथ खड़ें हैं, मैं उनका शुक्रिया करता हूं।उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि फिलिस्तीनी लोग 75 साल से ज्यादा समय से परेशानी का सामना कर रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों ये परेशानी काफी बढ़ गई है।इजराजल का क्रूर शासन फिलिस्तीन पर लगातार हमले कर रहा है।बहुत सारे फिलिस्तीनियों को कैद किया गया है, जो इजरायल की जेलों में कैद हैं।

हमास के पास हमले के सिवा कोई विकल्प नहीं था- नसरुल्लाह

हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के बेरुत में बड़ी रैली की है।सभा में उन्होंने कहा कि अल अक्सा मस्जिद में शहीद हुए शहीदों के बारे में बात करेंगे। बात करना हमारा मकसद है। जंग में मारे गए लोगों के बारे में बात करूंगा। यह मारे गए लोगों के बारे में याद करने का समय है, जो मारे गए उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है। मारे गए लोगों पर बड़ा अत्यचार हुआ है। उन्होंने कहा कि हमास के पास हमले के सिवा कोई विकल्प नहीं था।

फिलिस्तीन में सबसे बड़ा युद्ध चल रहा है- नसरुल्लाह

हसन नसरुल्लाह ने कहा कि कोई भी युद्ध इसे बड़ा युद्ध नहीं है, जो इस वक्त फिलिस्तीन में चल रहा है। फिलिस्तीन में सबसे बड़ा युद्ध चल रहा है।उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन में जो हो रहा है कि वह बहुत की गलत हो रहा है। जो हो रहा है कि उस नफरत को बताने के लिए शब्द नहीं है।

कौन हैं नसरुल्लाह?

हसन नसरुल्लाह लेबनानी शिया इस्लामवादी समूह 'हिजबुल्लाह' के नेता हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1960 में एक शिया परिवार में हुआ था। 1975 में जब लेबनीज सिविल वॉर छिड़ा तो उनके परिवार को Bazourieh में जाकर बसना पड़ा। उस वक्त नसरुल्लाह 15 साल के थे। उन्होंने सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ही अमल मूवमेंट नाम का एक ग्रुप ज्वाइन किया जो एक लेबनानी शिया राजनीतिक समूह था। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वह शुक्रवार को अपने अनुयायियों को संबोधित कर सकते हैं, जो इज़राइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद उनका पहला पब्लिक कमेंट होगा।

हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे भारत, इजरायल की मोदी सरकार से बड़ी अपील

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इस्राइल और हमास के बीच बीते दो सप्ताह से ज्यादा समय से युद्ध जारी है।हमास-इजरायल जंग ने दुनियाभर के देशों के दो खेमे में बांट दिया है।अमेरिका और ब्रिटेन जहां इजरायल का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। वहीं ईरान औऱ तुर्की हमास के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।तुर्की ने तो यहां तक कह दिया कि हमास आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक मुक्ति समूह है।इस बीच, इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत सरकार से बड़ी अपील की है।भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा है कि भारत के लिए समय आ गया है कि वह अन्य कई देशों की तरह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। इजरायली राजदूत ने पत्रकारों से बातचीत में हमास के खिलाफ आतकंवाद-रोधी अभियानों में इजरायल का समर्थन करने के लिए भारत के प्रति आभार भी प्रकट किया।

इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बुधवार को कहा कि भारत हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करे, जैसा कि कई अन्य देशों ने किया है। गिलोन ने कहा कि सात अक्तूबर को क्रूर हमले के बाद इस्राइल ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए संबंधित भारतीय अधिकारियों से अवगत करा दिया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि इस मामले को पहले भी उठाया गया था। 

पीएम मोदी की तारीफ

गिलोन ने कहा, हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं। ये दुनिया के लोकतंत्र हैं। ऐसा कहने के बाद...मुझे लगता है कि भारत द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित करने का समय आ गया है।इजरायली राजदूत ने कहा कि अमेरिका, कनाडा सहित कई देश और यूरोपीय संघ पहले ही हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। गिलोन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन शुरुआती वैश्विक नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने आतंकवादी हमले की निंदा की। भारत दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नैतिक पहचान वाला देश है और हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं।

यही सही समय है

उन्होंने आगे कहा, भारत के लिए यही समय है कि वह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। गिलोन ने कहा, इजरायल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है।उन्होंने दोहराया कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। गिलोन का मानना है कि इस संघर्ष का इजरायल की आर्थिक संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध

बता दें कि सात अक्टूबर को गाजा से हमास के चरमपंथियों ने इजराइल के खिलाफ जबरदस्त और विभिन्न मोर्चों से हमला कर दिया था, जिसके बाद से संघर्ष जारी है. इजराइल ने भी बदला लेने के इरादे से गाजा पर भीषण जवाबी हमला किया है। गिलोन ने कहा कि इजराइल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है। उन्होंने कहा कि इजराइल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने किया इजराइल का समर्थन, फिलिस्तीनियों के लिए भी मानवीय सहायता जारी रखने का जताया भरोसा

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने इजराइल और हमास की जंग पर बड़ा बयान दिया है।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीनी सहित मिडिल ईस्ट की स्थिति पर खुली बहस में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रवींद्र ने इजरायल का खुले तौर पर समर्थन किया और फिलिस्तीनियों के प्रति चिंता भी जाहिर की।संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर. रवींद्र ने बुधवार को कहा कि भारत इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और बड़े पैमाने पर आम लोगों की मौत को लेकर काफी चिंतित हैं।हम इस्राइल पर हुए हमले की निंदा करते हैं।इस दौरान युद्ध के दौरान गाजा पट्टी में नागरिकों को मानवीय सहायता भेजने के नई दिल्ली के प्रयासों को रेखांकित किया। 

भारत इस्राइल के साथ खड़ा

आर रविंद्र ने आगे बताया कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले वैश्विक नेताओं में से एक थे, जिन्होंने निर्दोष लोगों के जीवन को लेकर चिंता जाहिर की और संवेदनाएं व्यक्त कीं। भारत संकट के इस काल में इस्राइल के साथ खड़ा है। आतंकियों का सामना करने वाले लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। हम घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं। दोनों पक्षों के नागरिकों के बारे में चिंतित होना चाहिए। हमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के बारे में तो सोचना ही चाहिए। 

फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन जारी रखने का भरोसा

आर रवींद्र ने अपने भाषण में इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच गाजा-पट्टी में नागरिकों को मानवीय सहायता भेजने के भारत के प्रयासों को भी रेखांकित किया और कहा कि इस क्षेत्र में 38 टन भोजन और महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण भेजे हैं। भारत ने हमेशा इजरायल-फलस्तीन मुद्दे का बातचीत से समाधान की बात कही है। हम अपनी द्विपक्षीय विकास साझेदारी के माध्यम से फलस्तीनी लोगों का समर्थन करना जारी रख रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, उद्यमिता और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजना जारी रखेगा। दोनों देशों के बीच वार्ताओं को फिर से शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। भारत इजरायल-फलस्तीन संघर्ष का उचित, शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हर तरह के आतंकवाद की निंदा की जाए: अमेरिका

इससे पहले इजराइल हमास संघर्ष पर यूएनएससी में अमेरिका ने भी अपना पक्ष रखा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आंतकवाद को मदद करने वाले देशों की कड़ी निंदा की। ब्लिंकन ने कहा, 'आतंकवाद के सभी कृत्य गैरकानूनी और अनुचित हैं चाहे वे नैरोबी या बाली में, मुंबई, न्यूयॉर्क या किबुत्ज़ बेरी में लोगों को निशाना बनाते हों। सभी तरह का आतंकवाद गैरकानूनी और अनुचित है, चाहे वे आईएसआईएस द्वारा किए गए हों, बोको हराम द्वारा, लश्कर ए तैयबा द्वारा, या हमास द्वारा किए गए हों। चाहे पीड़ितों को उनकी आस्था, जातीयता, राष्ट्रीयता या किसी अन्य कारण से निशाना बनाया गया हो, वे गैरकानूनी और अनुचित हैं। ब्लिंकन ने कहा कि इस परिषद की जिम्मेदारी है कि हमास या ऐसे भयानक कृत्यों को अंजाम देने वाले किसी भी अन्य आतंकवादी समूह को हथियार, धन और प्रशिक्षण देने वाले सदस्य देशों की निंदा करें।

इजरायल पहुंचे ब्रिटेन के पीएम सुनक का हमास को बड़ा संदेश, नेतन्याहू से मुलाकात के बाद बोले- आज और हमेशा आपके साथ खड़ा हूं

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ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक गुरुवार को इजरायल पहुंचे हैं। ऋषि सुनक ने इजरायल पहुंचने के बाद कहा कि मैं यहां आया हूं क्योंकि इस देश ने एक बड़े हमले का सामना किया है। यहां के लोग शोक में हैं। मैं इजरायल के लोगों को बताना चाहता हूं कि दुख की इस घड़ी में आपके साथ हूं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आपके साथ खड़ा हूं। इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध से दुनिया के अलग-अलग देश भी चिंतित है। यही वजह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को इजरायल पहुंचे थे। अब आज यानी गुरुवार को यूके के पीएम ऋषि सुनक भी इजरायल पहुंचे। जो बाइडेन के बाद ऋषि सुनक की इस इजरायल यात्रा का बेहद खास माना जा रहा है।

इजराइल और हमास का भीषण युद्ध जारी है। हजारों जिंदगियां तबाह हो चुकी हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इजराइल के तेल अवीव पहुंचे और उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की है। इस दौरान दोनों नेताओं ने साझा बयान जारी किया है। इस दौरान ऋषि सुनक ने कहा, पिछले दो हफ़्तों में यह(इज़रायल) देश कुछ ऐसे दौर से गुज़रा है, जिसे किसी भी देश नहीं सहना चाहिए। ऋषि सुनक ने नेतन्याहू से कहा कि मुझे पता है कि हमास के आतंकवादियों के बिल्कुल विपरीत आप नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए हर सावधानी बरत रहे हैं। मैं आपको उस समर्थन के लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं जो आपकी सरकार ने इस भयावहता में फंसे ब्रिटिश नागरिकों के परिवारों को दिया है, जिसमें बंधकों को रिहा करने, उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के आपके प्रयास भी शामिल हैं। मैं यह भी कह सकता हूं कि हमने पिछले दिनों ऐसे दृश्य देखे हैं, जिन्होंने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है, खासकर अस्पताल में मारे गए लोग और उसके अलावा मारे गए हर निर्दोष व्यक्ति, हर धर्म के नागरिकों, हर राष्ट्रीयता के नागरिकों की मौत पर हम संवेदना व्यक्त करते हैं।

फ़िलिस्तीनी लोग भी हमास के पीड़ित-सुनक

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यह मानते हैं कि सिर्फ इजरायल ही नहीं, बल्कि फ़िलिस्तीनी लोग भी हमास के पीड़ित हैं। इसीलिए मैं कल आपके उस फैसले का स्वागत करता हूं जो आपने यह सुनिश्चित करने के लिए लिया कि गाजा में मानवीय सहायता के प्रवेश के लिए रास्ते खोले जाएंगे। सुनक ने कहा कि मुझे इज़रायल के सबसे बुरे समय में आपके साथ यहां खड़े होने पर गर्व है। हम आपके लोगों के साथ खड़े रहेंगे और हम यह भी चाहते हैं कि आप जीतें।

बाइडेन भी गए थे इजरायल

बता दें कि इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार को इजरायल पहुंचे थे। उनके स्वागत के लिए पीएम नेतन्याहू खुद एयरपोर्ट पर मौजूद थे। जो बाइडेन ने पीएम नेतन्याहू के साथ बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने हमास को एक क्रूर आतंकी संगठन बताया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि हमास इजरायल पर जिस तरह से हमला किया वो मानवता के खिलाफ है।

पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

3 महिलाओं के बदले इजराइल ने छोड़े 90 फिलिस्तीनी, जानिए क्या है डील का गणित

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इजराइल और हमास के बीच जंग के 15 महीने बाद रविवार, 19 जनवरी को सीजफायर लागू हो गया है। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक हमास ने 471 दिन बाद 3 इजराइली महिला बंधकों रिहा कर दिया। ये तीनों रेड क्रॉस संगठन की मदद से इजराइल पहुंच गई हैं। दूसरी तरफ इजराइल ने इनके बदले 90 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया है। इजराइल के रामल्लाह स्थित ओफर जेल से फिलिस्तीनी कैदी रिहा किए गए। इसमें फिलिस्तीन के प्रमुख संगठन की कार्यकर्ता, महिलाएं और बच्चे शामिल रहे।

फिलिस्तीनी की रिहाई के वक्त जेल के बाहर बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी जमा हुए। उन्होंने जेल से रिहा होने वाले फिलिस्तीनी का स्वागत किया। साथ ही उनको सफेद बसों से ले जाते वक्त आतिशबाजी की। इजराइल ने इन सभी को पत्थरबाजी और हत्या के प्रयास समेत सुरक्षा संबंधी अपराधों के लिए हिरासत में लिया था। हालांकि फिलिस्तीनी कैदियों ने रिहाई में देरी के लिए इजराइल की आलोचना की।

हमास की तरफ से जिन बंधकों को रिहा किया गया उनके नाम रोमी गोनेन, एमिली दामारी और डोरोन स्टीनब्रेचर हैं। वहीं, इजराइल ने जिन फिलिस्तीनी को रिहा किया है, उसमें कई फिलिस्तीनी हस्तियां शामिल हैं। इसमें प्रमुख फिलिस्तीनी वामपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन की प्रमुख 62 वर्षीय खालिदा जर्रारा शामिल हैं। उनको दिसंबर 2023 में हिरासत में लिया गया था। इसके अलाव हमास अधिकारी सालेह अरोरी की बहन दलाल खासीब, नेता अहमद सआदत की पत्नी अबला अब्देल रसूल शामिल हैं।

सीजफायर डील 3 फेज में पूरी होगी। पहले फेज में हमास इजराइल से किडनैप किए गए 33 बंधकों को रिहा करेगा। साथ ही इजराइली सेना गाजा की सीमा से 700 मीटर पीछे लौटेगी। इजराइल में न्याय मंत्रालय ने भी 95 फिलिस्तीनी कैदियों की लिस्ट जारी की है, जिन्हें पहले फेज में रिहा किया जाएगा। इनमें 69 महिलाएं, 16 पुरुष और 10 नाबालिग शामिल हैं। इजराइल 700 से ज्यादा फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। इनके नाम की लिस्ट भी जारी की गई है। इस लिस्ट में शामिल कई लोग हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, जिनमें हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के सदस्य भी शामिल हैं।

हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल में घुसकर 1200 लोगों को मार डाला था और 251 को बंधक बना लिया था। इसके कुछ घंटे बाद इजराइली सेना ने गाजा पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद शुरू हुई जंग में हजारों जान चली गई। वहीं लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। इस संघर्ष के दौरान मिस्र, कतर, अमेरिका जैसे कई देशों ने दोनों देशों के बीच स्थिति समान्य करने का प्रयास किया। आखिरकार इस्राइल ने 15 जनवरी को युद्ध विराम समझौता और बंधको की रिहाई पर सहमति जताई। इससे पहले, नवंबर 2023 में एक सप्ताह के युद्ध विराम के दौरान भी 100 से ज्यादा बंधकों को रिहा किया गया था।