Aurangabad

9 min ago

केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन समिति की हुई बैठक, विभिन्न आवश्यकताओं के विषय में हुई चर्चा

औरंगाबाद : आज शुक्रवार 3 मई को केंद्रीय विद्यालय औरंगाबाद में विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें एस डी सी श्वेता प्रियदर्शी ने बतौर विद्यालय प्रबंधन समिति नामित अध्यक्ष एवं जमील मिराज एस डी सी औरंगाबाद ने बतौर अल्पसंख्यक सदस्य के रूप में भाग लिया। 

प्रबंधन समिति के अन्य सदस्यों में केंद्रीय विद्यालय औरंगाबाद के प्राचार्य अशोक वास्तव जी, रविंद्र कुमार सिंह, मनोज कुमार, श्रवण कुमार सांस्कृतिक सदस्य के रूप में , अभिभावक सदस्य के रूप में मनोज पासवान उपस्थित रहे। 

बैठक के अंदर विद्यालय के विभिन्न उपलब्धियां का विवरण प्राचार्य महोदय द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात नामित अध्यक्ष के समक्ष विद्यालय की विभिन्न आवश्यकताओं के विषय में यथा विद्यालय को अमृत जलधारसे जोड़ना , शौचालय की समस्या, विद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकताओं को प्रस्तुत किया गया। इनमें से सभी समस्याओं को सुनते हुए अध्यक्ष द्वारा सभी के समाधानों के विषय में विद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य सदस्यों को विश्वास दिलवाया। तथा समस्याओं से संबंधित एक रिपोर्ट को बनाकर उचित माध्यम से शीघ्र ही समाधान करने का मार्ग प्रदर्शित किया गया। 

अध्यक्ष द्वारा यह दोहराया गया कि विद्यालय की सभी जरूरतों के पूरा होने पर ही विद्यार्थियों का पूर्ण विकास संभव है। अतः इन सभी समस्याओं का समाधान उनकी प्राथमिकता है। विद्यालय के छात्रों के स्वास्थ्य जांच के लिए शीघ्र ही एक स्वास्थ्य जांच शिविर विद्यालय में आयोजित किया जाएगा।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

Chhattisgarh

11 min ago

राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताई वजह, कहा- इसलिए दोबारा अमेठी जाने की हिम्मत नहीं

रायपुर-  राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस पार्टी की राजनीति रही है, यह परिवार से बाहर सोच नहीं सकती है. जनता को धोखा दिया है, इसलिए दोबारा अमेठी जाने की हिम्मत नहीं है. 

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अमेठी से भागे राहुल गांधी वायनाड गए, वहां की जनता ने भी भगाया, अब रायबरेली गए हैं, वहां की भी जनता तैयार बैठी है, उन्हें विदा करने के लिए.

कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा को न्याय नहीं मिलने पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस की इतनी बड़ी नेता न्याय के लिए तरस रही है. कांग्रेस भवन में बेटी सुरक्षित नहीं है. कांग्रेस न्याय का दिखावा कर रही है. कांग्रेस में एक ही बेटी है, वहां सिर्फ़ उनके लिए ही सोचा जाता है. राधिका खेड़ा को न्याय नहीं मिलेगा.

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29 min ago

राहुल गांधी के अमेठी छोड़कर रायबरेली सीट से लड़ने पर पीएम मोदी ने कसा तंज, बोले-'डरो मत, भागो मत'*
#pm_modiattacks_on_rahul_gandhi_and_mamata_banerjee

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर पहुंचे। इस रैली में पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए बताया कि वह जनता की सेवा करने के लिए पैदा हुए हैं। इस रैली में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी डर के कारण रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसद से कहा, 'डरो मत, भागो मत'। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान-दुर्गापुर में एक चुनावी रैली में कहा कि पहले सोनिया गांधी डरकर राजस्थान चली गई, अब राहुल गांधी हार के डर से भागकर रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने पहले ही ये भी बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूम कर सबको कहते हैं – डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा – डरो मत! भागो मत! बता दें कि इस बार गांधी परिवार अमेठी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी 2004 से लगातार जीतती रही हैं। रायबरेली में राहुल का मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह हैं। राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जहां दूसरे चरण में वोटिंग हुई थी। वायनाड में इस बार 2019 के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत कम रहा था। पिछले चुनाव में वहां करीब 72 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2024 में 63.9 प्रतिशत वोटिंग हुई है। पीएम ने आगे कहा कि मैंने कल टीवी पर देखा कि यहां बंगाल में टीएमसी के एक विधायक ने सरेआम धमकी दी। वो कह रहे थे कि “हिंदुओं को 2 घंटे में भागीरथी में बहा देंगे”। बंगाल में टीएमसी की सरकार ने यहां हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया है। ये कैसे लोग हैं कि जय श्रीराम के उदघोष से भी इन्हें आपत्ति है। इनको राम मंदिर के निर्माण से आपत्ति है, रामनवमी की शोभायात्रा से आपत्ति है। मैं टीएमसी सरकार से पूछना चाहता हूं कि यहां संदेशखाली में हमारी दलित बहनों के साथ इतना बड़ा अपराध हुआ। पूरा देश कार्रवाई की मांग करता रहा, लेकिन टीएमसी गुनहगार को बचाती रही। क्या सिर्फ इसलिए, क्योंकि उस गुनाहगार का नाम शाहजहां शेख था। इन वोट के भूखे लोगों की पहले 2 चरणों में लुटिया डूब चुकी है।अब ये खुलेआम एक नया खेल लेकर आए हैं। अब ये कहते हैं कि मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करो। जिहाद क्या होता है, ये हमारे देश के लोग भली-भांति जानते हैं।

Chhattisgarh

38 min ago

चुनाव बहिष्कार पर अड़े ग्रामीण करेंगे मतदान, फैक्ट्री ना खुलने देने की रखी थी शर्त

बलौदाबाजार- लोकसभा सभा के तीसरे चरण के मतदान से पहले लगातार कई मद्दे बाहर आ रहे हैं, जिन्हे लेकर प्रभावित जनता चुनाव बहिस्कार की बात कर रही हैं। कहीं पानी की समस्या, कही जंगल-जमीन की लड़ाई, तो कहीं प्रदूषण के खिलाफ लोगों ने आवाज़ उठाई है।

निर्माणाधीन फैक्ट्री के विरोध में किया था चुनाव बहिष्कार

प्रदेश में एक तरफ निर्वाचन आयोग सहित राजनितक पार्टियां और समुदाय वोटिंग के लिए लोगों में जागरुकता ला रहे हैं, उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बलौदाबाजार जिले के गांव खजरी के ग्रामिणों ने चुनाव बहिस्कार की बात कही है। कारण है, एक फैक्ट्री।

गांव में प्रदूषण का खतरा : ग्रामीण

दरअसल, खजरी गांव की जनता ने एकजुटता से वहां निर्माणाधीन स्पंज आयरन कंपनी का पुरजोर विरोध किया था। उनका कहना है कि, गांव में स्पंज आयरन कंपनी संचालित होने से गांव के जंगल, जल और जमीन प्रदूषित हो जाएंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बड़ा असर होगा। उन्होने इस फैक्ट्री का विरोध करते हुए चुनाव बहिस्कार की बात कही थी।

वोट देने के लिए रखी ये शर्त

बता दें, इस मामले में कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम अमित गुप्ता ग्राम खजरी पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा की। चर्चा के दौरान भी ग्रामीण स्पंज आयरन कंपनी नहीं लगने देने की बात पर अड़े रहे। हालांकि, ग्रामिणों ने शर्त रखते हुए लोकसभा चुनाव में शतप्रतिशत मतदान की बात कही। 

प्रशासन ने दिया आश्वासन

ग्रामिणों के इस शर्त पर एसडीएम ने सभी को आश्वस्त किया किया कि, कलेक्टर के निर्देश पर टीम गठित की गई है। कंपनी की जांच कराई जायेगी। जिसके बाद यदि ग्रामिणों की बात सही पाया गया, तो कार्यवाही की जायेगी। प्रशासन द्वारा मिले इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने शतप्रतिशत मतदान करने की बात कही है।

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40 min ago

मेरे पिता को विरासत में संपत्ति नहीं शहादत मिली थी, ये मोदी नहीं समझेंगे..', पीएम पर प्रियंका गांधी का बड़ा हमला

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपनी मां से संपत्ति नहीं, बल्कि शहादत विरासत में मिली थी। वंशवादी राजनीति और विरासत टैक्स पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि, "यह एक ऐसी भावना है जिसे नरेंद्र मोदी कभी नहीं समझ पाएंगे।" दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते एक जनसभा में बताया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत टैक्स को खत्म कर दिया था, ताकि उन्हें अपनी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स न लगे और पूरी संपत्ति उनके बच्चों को मिले। 

इस पर गुरुवार को, मध्य प्रदेश के मुरैना में एक रैली में बोलते हुए, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, "जब मोदी जी मंच पर खड़े होते हैं और मेरे पिता को गद्दार कहते हैं, जब वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां से विरासत लेने के लिए कानून बदल दिया। वह यह नहीं समझेंगे कि मेरे पिता को विरासत में कोई संपत्ति नहीं मिली, उन्हें केवल शहादत के विचार मिले। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एक ऐसी भावना है जिसे मोदी जी कभी नहीं समझेंगे।" 

प्रियंका गांधी ने कहा कि, "19 साल की उम्र में, जब मैं अपने पिता के क्षत-विक्षत अवशेषों को घर लाइ, तो मैं इस देश से परेशान हो गई थी। मैंने सोचा, 'मैंने अपने पिता को भेजा था। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना आपका काम था। मैंने उन्हें आपकी देखभाल में रखी थी, लेकिन आपने मुझे उनके अवशेष राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर लौटा दिए।' उन्होंने कहा कि जब 2019 में पुलवामा में 40 सैनिक मारे गए, तो वह उत्तर प्रदेश में उनके कुछ परिवारों से मिलने गई थीं। वहां शहीदों के बच्चों ने उनसे कहा कि वे सेना में भर्ती होना चाहते हैं। प्रियंका ने कहा कि, "एक लड़की थी जिसका भाई वायु सेना में था। उसने कहा, 'दीदी मैं वायु सेना में शामिल होना चाहती हूं और पायलट बनना चाहती हूं। यह शहादत की भावना है। मोदी जी इसे कभी नहीं समझेंगे। मोदी जी इंदिरा जी जैसी शहीद के बारे में जो चाहें कहते हैं। उन्हें केवल वंशवाद की राजनीति दिखती है, उन्हें देशभक्ति, देश सेवा कभी नहीं दिखती। वह कभी इसे नहीं समझेंगे।" 

बता दें कि, पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि पहले कानून के अनुसार, मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी। उन्होंने धन पुनर्वितरण और विरासत टैक्स के कांग्रेस के वादों पर हमला करते हुए कहा था कि, "तब ऐसी चर्चा थी कि इंदिरा जी ने अपनी संपत्ति अपने बेटे राजीव गांधी के नाम पर कर दी थी। इंदिरा जी की मृत्यु के बाद सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया था।" उन्होंने कहा, संपत्ति शुल्क समाप्त करने से लाभ के बाद, कांग्रेस अब उसे को वापस लाना चाहती है।

दरअसल, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बयान में कहा था कि भारत में विरासत टैक्स लगना चाहिए, जिसमे इंसान के मरने के बाद उसकी 55 फीसद संपत्ति सरकार के पास चली जाती है और उसके बच्चों को बस 45 फीसद ही मिलता है। इसके बाद कांग्रेस पर सवाल उठने लगे थे, लोग कहने लगे थे कि ऐसे तो लोग अपनी संपत्ति उजागर ही नहीं करेंगे, छिपाने लगेंगे, इंसान अपने बाल-बच्चों के लिए जीवनभर कमाकर जमापूंजी बनाता है, उसे अगर सरकार छीन लेगी, तो वो क्यों ही बचाएगा ? या अगर बचाएगा भी तो उसे छिपा देगा, सरकार की नज़र में नहीं आने देगा, इससे काला बाज़ारी भी बढ़ेगी।

क्या भारत में कभी लगा था विरासत टैक्स ?

बता दें कि, 'विरासत कर' भारत के लिए नया नहीं है। यह 40 साल पहले तक प्रभावी था, जब 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की संपत्ति को अपने पास ही रखने के लिए इस कानून को ख़त्म कर दिया था। पहले, संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर विरासत कर 85% तक जा सकता था। दरें तय की गईं थीं, 20 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर 85% टैक्स लगाया गया था। हालाँकि, ये कानून मंशा के अनुरूप काम नहीं कर सका। नागरिकों को दो बार संपत्ति कर देना पड़ता था, एक बार अपने जीवनकाल के दौरान (जिसे 2016 में मोदी सरकार ने रोक दिया था) और फिर उनकी मृत्यु के बाद। इसके अतिरिक्त, इस कर के माध्यम से धन जुटाने की कांग्रेस की योजना सफल नहीं रही, क्योंकि बेनामी संपत्ति और संपत्ति छुपाने के मामले बढ़ गए। लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपनी संपत्ति छुपाने लगे और काला धन बढ़ने लगा, जिससे गुंडागर्दी भी बढ़ी और रंगदारी भी। जिसने संपत्ति छुपाई है, उससे गुंडे खुलकर हफ्ता मांग सकते थे और वो पुलिस में शिकायत भी नहीं कर सकता था, वरना खुद फंसता।  

दिलचस्प बात यह है कि संपत्ति शुल्क अधिनियम को ठीक उसी समय निरस्त किया गया था, जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनके पोते-पोतियों को हस्तांतरित की जानी थी। राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की लगभग 21.5 लाख रुपये की संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों को हस्तांतरित करने से ठीक पहले अप्रैल 1985 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह संपत्ति, जिसकी कीमत अब लगभग 4.2 करोड़ रुपये है, 2 मई 1985 को स्थानांतरित कर दी गई थी।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) की 2 मई, 1985 की रिपोर्ट के अनुसार, 1981 में हस्ताक्षरित इंदिरा गांधी की वसीयत में उनके बेटे राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी को वसीयत के निष्पादक के रूप में नामित किया गया था। हालाँकि, बाद में उन्होंने उन्हें हटा दिया और अपनी बहू मेनका गांधी के लिए कुछ नहीं छोड़ा। पूरी संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों के लिए छोड़ दी गई थी। वसीयत में महरौली में निर्माणाधीन एक फार्म और एक फार्महाउस शामिल है, जिसकी कीमत 98,000 डॉलर (आज के संदर्भ में 81,72,171 रुपये), इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई पुस्तकों के कॉपीराइट, साथ ही नकदी, स्टॉक और बांड लगभग 75,000 डॉलर के हैं। इंदिरा गांधी की प्राचीन वस्तुएं और निजी आभूषण, जिनकी कीमत लगभग 2500 डॉलर थी, प्रियंका गांधी के लिए छोड़ दिए गए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे समय में जब 20 लाख रुपये से अधिक की 85% संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी, राजीव गांधी की सरकार के दौरान इस नियम को उलट दिया गया, जब उनके बच्चों को उनकी दादी की विरासत मिलनी थी। यानी, इंदिरा गांधी की संपत्ति पर वो कानून लागू नहीं हो सका, जो 40 सालों तक तमाम भारतीयों पर लागू होता रहा और उनकी सम्पत्तियाँ कब्जाई जाती रहीं।

Bihar

45 min ago

मधेपुरा में चार दिन कैंप करने के बाद पटना लौटे सीएम नीतीश कुमार, पहली बार लोकसभा चुनाव में किया तीन-तीन रोड शो

गया : : लोकसभा चुनाव के दो चरण समाप्त हो चुके है। वहीं नेताओं का अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार-प्रसार का तूफानी दौर चल रहा है। सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं द्वारा बाकी के बचे चरणों के चुनाव को लेकर चुनावी दौरा करने और जनसभा को संबोधित करने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में सीएम नीतीश कुमार पिछले चार दिनों से मधेपुरा में कैंप करने के बाद बीते गुरुवार को पटना लौट आए। 

पहली बार चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने किया रोड शो

29 अप्रैल से दो मई की शाम तक उन्होंने मधेपुरा में ही रहकर तीसरे चरण के पांचों लोकसभा क्षेत्र के एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में सभाएं और रोड-शो किया। चार दिनी इस चुनावी प्रचार में उन्होंने 12 सभाएं और तीन रोड-शो किया।

बताते चले कि यह ऐसा पहला चुनाव है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में रोड-शो भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गुरुवार की शाम को मधेपुरा से पटना लौटे। मुख्यमंत्री 29 अप्रैल को पटना से मधेपुरा के लिए रवाना हुए थे। पहले दिन मुख्यमंत्री ने तीन जनसभाएं की। इनमें खगड़िया, मधेपुरा और अररिया में एक-एक सभा हुई। 30 अप्रैल को झंझारपुर में एक तथा मधेपुरा में दो सभाएं कीं। 

इसके अलावा उन्होंने मधेपुरा और सुपौल लोकसभा क्षेत्र में रोड-शो भी किया। लगातर दूसरे दिन एक मई को मुख्यमंत्री ने झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में रोड-शो किया। साथ ही उस दिन तीन सभाएं भी की। इनमें झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में एक-एक सभा शामिल है।

दो मई को सुपौल, मधेपुरा व बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने एक-एक सभा की। इस तरह उन्होंने तीसरे चरण की पांच सीटों के अलावा एक सभा बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में की। बेगूसराय में चौथे चरण में मतदान है।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री दूसरे चरण की सीटों पर भी प्रचार के लिए पांच दिनों तक मधेपुरा में कैंप किये हुए थे। इस चरण में सभी पांच सीट पर एनडीए की ओर से जदयू के उम्मीदवार ही लड़ रहे हैं।

Chhattisgarh

57 min ago

विवाह मंडप में चल रही थी हल्दी रस्म डॉ. गौरव सिंह पहुंचे कलेक्टर की पाती लेकर

रायपुर- जोरा के नाला पारा की छोटी सी बस्ती के लिए आज खुशियों का दिन था। वहां रहने वाला भोई परिवार अपने बेटे कामेश की शादी के लिए उत्साह से जुटा था। दूल्हे कामेश को हल्दी लग रही थी। गौरतलब है कि आज घर-घर जाकर कलेक्टर की पाती वितरण का शुभारंभ हूआ और डॉ. गौरव सिहं के नेतृत्व में पूरी टीम लगी हुई थी। उसी समय संयोग ऐसा बना कि कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डा. गौरव सिंह अपने टीम सहित भोई परिवार के विवाह समारोह के पास से गुजरे।

कलेक्टर भोई परिवार से मिलने विवाह के मंडप में जा पहंचे जहां हल्दी रस्म चल रहा था। कलेक्टर का परिचय मिलते ही भोई परिवार खुशी से खिल उठा। डॉ. सिंह ने दुल्हे और परिवार को मतदान की अपील वाला आमंत्रण पत्र और पीला चावल भेंट किया।

कलेक्टर ने पाती भेंट करते हुए कामेश को शादी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 7 तारीख को मतदान है, पूरे परिवार के साथ मतदान करने आना है साथ ही अपनी धर्मपत्नी को वोट डलवाना है। साथ ही फोटो भी भेजनी है। कामेश ने कहा कि जरूर भेजेंगे, आप लोग हमारी शादी के मौके पर पहुंचे, हमारे पूरे परिवार को बहुत अच्छा लग रहा है।

उत्साह से भरे भोई परिवार के लिए यह क्षण और भी रोचक हो गया। कलेक्टर ने दूल्हे को कहा कि जिस तरह से विवाह के माध्यम से नये गठबंधन में जुड़ रहे हैं उसी तरह से आपका लोकतंत्र के साथ भी गठबंधन है और इसे मतदान से मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने परिवार से कहा कि आप सभी के लिए यह क्षण बहुत सुंदर है। ऐसा ही एक शुभ क्षण 7 मई को भी आने वाला है, आप मतदान करें और लोकतंत्र को मजबूत करें।

कामेश ने कहा कि मेरे घर में कलेक्टर आये, मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने मतदान करने हम सबसे आग्रह किया। हमने उन्हें कहा कि हम सब मतदान जरूर करते हैं और आपको आश्वस्त करते हैं कि पूरा परिवार मतदान जरूर करेगा। कलेक्टर डॉ. सिंह शादी का संगीत बजाने वाले बैंड पार्टी के पास पहुंचे और मतदान करने की अपील की इसके साथ ही बस्ती के अन्य घरों में कलेक्टर की पाती देने पहुंचे।

भोई परिवार के सदस्यों ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए दो तरह से खास बन गया, एक तो कामेश की शादी में खूब आनंद आ गया, दूसरी तरफ कलेक्टर स्वयं आये और कामेश को आशीर्वाद दिया, हम लोग बहुत खुश हैं और 7 मई को मतदान जरूर करेंगे।

India

1 hour and 20 min ago

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति

#why_did_rahul_gandhi_have_to_come_to_rae_bareli

इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है।

सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं।

राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया।

वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है।

यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।

India

1 hour and 21 min ago

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति*
#why_did_rahul_gandhi_have_to_come_to_rae_bareli
इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है। सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं। राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया। वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है। यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।

Gaya

1 hour and 43 min ago

गया जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में चलाया गया वाहन चेकिंग अभियान, वसूला गया 1 लाख 26 हजार का जुर्माना

गया : बिहार के गया में गया एसएसपी आशीष भारती के निर्देश पर अपराध नियंत्रण को लेकर गया जिले के सभी थाना क्षेत्रों में वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। इसकी जानकारी गया के एसएससी आशीष भारती ने शुक्रवार को प्रेस रिलीज जारी कर दी है।

गया के एसएसपी आशीष भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था बनाये रखने को लेकर वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। 

जिसमें यातायात नियमों का अनुपालन नहीं करने वाले वाहनों से कुल ₹1,26,500 रूपया का जुर्माना वसूला गया है।

गया से मनीष कुमार

Aurangabad

9 min ago

केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन समिति की हुई बैठक, विभिन्न आवश्यकताओं के विषय में हुई चर्चा

औरंगाबाद : आज शुक्रवार 3 मई को केंद्रीय विद्यालय औरंगाबाद में विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें एस डी सी श्वेता प्रियदर्शी ने बतौर विद्यालय प्रबंधन समिति नामित अध्यक्ष एवं जमील मिराज एस डी सी औरंगाबाद ने बतौर अल्पसंख्यक सदस्य के रूप में भाग लिया। 

प्रबंधन समिति के अन्य सदस्यों में केंद्रीय विद्यालय औरंगाबाद के प्राचार्य अशोक वास्तव जी, रविंद्र कुमार सिंह, मनोज कुमार, श्रवण कुमार सांस्कृतिक सदस्य के रूप में , अभिभावक सदस्य के रूप में मनोज पासवान उपस्थित रहे। 

बैठक के अंदर विद्यालय के विभिन्न उपलब्धियां का विवरण प्राचार्य महोदय द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात नामित अध्यक्ष के समक्ष विद्यालय की विभिन्न आवश्यकताओं के विषय में यथा विद्यालय को अमृत जलधारसे जोड़ना , शौचालय की समस्या, विद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकताओं को प्रस्तुत किया गया। इनमें से सभी समस्याओं को सुनते हुए अध्यक्ष द्वारा सभी के समाधानों के विषय में विद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य सदस्यों को विश्वास दिलवाया। तथा समस्याओं से संबंधित एक रिपोर्ट को बनाकर उचित माध्यम से शीघ्र ही समाधान करने का मार्ग प्रदर्शित किया गया। 

अध्यक्ष द्वारा यह दोहराया गया कि विद्यालय की सभी जरूरतों के पूरा होने पर ही विद्यार्थियों का पूर्ण विकास संभव है। अतः इन सभी समस्याओं का समाधान उनकी प्राथमिकता है। विद्यालय के छात्रों के स्वास्थ्य जांच के लिए शीघ्र ही एक स्वास्थ्य जांच शिविर विद्यालय में आयोजित किया जाएगा।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

Chhattisgarh

11 min ago

राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताई वजह, कहा- इसलिए दोबारा अमेठी जाने की हिम्मत नहीं

रायपुर-  राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस पार्टी की राजनीति रही है, यह परिवार से बाहर सोच नहीं सकती है. जनता को धोखा दिया है, इसलिए दोबारा अमेठी जाने की हिम्मत नहीं है. 

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अमेठी से भागे राहुल गांधी वायनाड गए, वहां की जनता ने भी भगाया, अब रायबरेली गए हैं, वहां की भी जनता तैयार बैठी है, उन्हें विदा करने के लिए.

कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा को न्याय नहीं मिलने पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस की इतनी बड़ी नेता न्याय के लिए तरस रही है. कांग्रेस भवन में बेटी सुरक्षित नहीं है. कांग्रेस न्याय का दिखावा कर रही है. कांग्रेस में एक ही बेटी है, वहां सिर्फ़ उनके लिए ही सोचा जाता है. राधिका खेड़ा को न्याय नहीं मिलेगा.

India

29 min ago

राहुल गांधी के अमेठी छोड़कर रायबरेली सीट से लड़ने पर पीएम मोदी ने कसा तंज, बोले-'डरो मत, भागो मत'*
#pm_modiattacks_on_rahul_gandhi_and_mamata_banerjee

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर पहुंचे। इस रैली में पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए बताया कि वह जनता की सेवा करने के लिए पैदा हुए हैं। इस रैली में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी डर के कारण रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसद से कहा, 'डरो मत, भागो मत'। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान-दुर्गापुर में एक चुनावी रैली में कहा कि पहले सोनिया गांधी डरकर राजस्थान चली गई, अब राहुल गांधी हार के डर से भागकर रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने पहले ही ये भी बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूम कर सबको कहते हैं – डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा – डरो मत! भागो मत! बता दें कि इस बार गांधी परिवार अमेठी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी 2004 से लगातार जीतती रही हैं। रायबरेली में राहुल का मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह हैं। राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जहां दूसरे चरण में वोटिंग हुई थी। वायनाड में इस बार 2019 के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत कम रहा था। पिछले चुनाव में वहां करीब 72 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2024 में 63.9 प्रतिशत वोटिंग हुई है। पीएम ने आगे कहा कि मैंने कल टीवी पर देखा कि यहां बंगाल में टीएमसी के एक विधायक ने सरेआम धमकी दी। वो कह रहे थे कि “हिंदुओं को 2 घंटे में भागीरथी में बहा देंगे”। बंगाल में टीएमसी की सरकार ने यहां हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया है। ये कैसे लोग हैं कि जय श्रीराम के उदघोष से भी इन्हें आपत्ति है। इनको राम मंदिर के निर्माण से आपत्ति है, रामनवमी की शोभायात्रा से आपत्ति है। मैं टीएमसी सरकार से पूछना चाहता हूं कि यहां संदेशखाली में हमारी दलित बहनों के साथ इतना बड़ा अपराध हुआ। पूरा देश कार्रवाई की मांग करता रहा, लेकिन टीएमसी गुनहगार को बचाती रही। क्या सिर्फ इसलिए, क्योंकि उस गुनाहगार का नाम शाहजहां शेख था। इन वोट के भूखे लोगों की पहले 2 चरणों में लुटिया डूब चुकी है।अब ये खुलेआम एक नया खेल लेकर आए हैं। अब ये कहते हैं कि मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करो। जिहाद क्या होता है, ये हमारे देश के लोग भली-भांति जानते हैं।

Chhattisgarh

38 min ago

चुनाव बहिष्कार पर अड़े ग्रामीण करेंगे मतदान, फैक्ट्री ना खुलने देने की रखी थी शर्त

बलौदाबाजार- लोकसभा सभा के तीसरे चरण के मतदान से पहले लगातार कई मद्दे बाहर आ रहे हैं, जिन्हे लेकर प्रभावित जनता चुनाव बहिस्कार की बात कर रही हैं। कहीं पानी की समस्या, कही जंगल-जमीन की लड़ाई, तो कहीं प्रदूषण के खिलाफ लोगों ने आवाज़ उठाई है।

निर्माणाधीन फैक्ट्री के विरोध में किया था चुनाव बहिष्कार

प्रदेश में एक तरफ निर्वाचन आयोग सहित राजनितक पार्टियां और समुदाय वोटिंग के लिए लोगों में जागरुकता ला रहे हैं, उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बलौदाबाजार जिले के गांव खजरी के ग्रामिणों ने चुनाव बहिस्कार की बात कही है। कारण है, एक फैक्ट्री।

गांव में प्रदूषण का खतरा : ग्रामीण

दरअसल, खजरी गांव की जनता ने एकजुटता से वहां निर्माणाधीन स्पंज आयरन कंपनी का पुरजोर विरोध किया था। उनका कहना है कि, गांव में स्पंज आयरन कंपनी संचालित होने से गांव के जंगल, जल और जमीन प्रदूषित हो जाएंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बड़ा असर होगा। उन्होने इस फैक्ट्री का विरोध करते हुए चुनाव बहिस्कार की बात कही थी।

वोट देने के लिए रखी ये शर्त

बता दें, इस मामले में कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम अमित गुप्ता ग्राम खजरी पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा की। चर्चा के दौरान भी ग्रामीण स्पंज आयरन कंपनी नहीं लगने देने की बात पर अड़े रहे। हालांकि, ग्रामिणों ने शर्त रखते हुए लोकसभा चुनाव में शतप्रतिशत मतदान की बात कही। 

प्रशासन ने दिया आश्वासन

ग्रामिणों के इस शर्त पर एसडीएम ने सभी को आश्वस्त किया किया कि, कलेक्टर के निर्देश पर टीम गठित की गई है। कंपनी की जांच कराई जायेगी। जिसके बाद यदि ग्रामिणों की बात सही पाया गया, तो कार्यवाही की जायेगी। प्रशासन द्वारा मिले इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने शतप्रतिशत मतदान करने की बात कही है।

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40 min ago

मेरे पिता को विरासत में संपत्ति नहीं शहादत मिली थी, ये मोदी नहीं समझेंगे..', पीएम पर प्रियंका गांधी का बड़ा हमला

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपनी मां से संपत्ति नहीं, बल्कि शहादत विरासत में मिली थी। वंशवादी राजनीति और विरासत टैक्स पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि, "यह एक ऐसी भावना है जिसे नरेंद्र मोदी कभी नहीं समझ पाएंगे।" दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते एक जनसभा में बताया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत टैक्स को खत्म कर दिया था, ताकि उन्हें अपनी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स न लगे और पूरी संपत्ति उनके बच्चों को मिले। 

इस पर गुरुवार को, मध्य प्रदेश के मुरैना में एक रैली में बोलते हुए, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, "जब मोदी जी मंच पर खड़े होते हैं और मेरे पिता को गद्दार कहते हैं, जब वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां से विरासत लेने के लिए कानून बदल दिया। वह यह नहीं समझेंगे कि मेरे पिता को विरासत में कोई संपत्ति नहीं मिली, उन्हें केवल शहादत के विचार मिले। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एक ऐसी भावना है जिसे मोदी जी कभी नहीं समझेंगे।" 

प्रियंका गांधी ने कहा कि, "19 साल की उम्र में, जब मैं अपने पिता के क्षत-विक्षत अवशेषों को घर लाइ, तो मैं इस देश से परेशान हो गई थी। मैंने सोचा, 'मैंने अपने पिता को भेजा था। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना आपका काम था। मैंने उन्हें आपकी देखभाल में रखी थी, लेकिन आपने मुझे उनके अवशेष राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर लौटा दिए।' उन्होंने कहा कि जब 2019 में पुलवामा में 40 सैनिक मारे गए, तो वह उत्तर प्रदेश में उनके कुछ परिवारों से मिलने गई थीं। वहां शहीदों के बच्चों ने उनसे कहा कि वे सेना में भर्ती होना चाहते हैं। प्रियंका ने कहा कि, "एक लड़की थी जिसका भाई वायु सेना में था। उसने कहा, 'दीदी मैं वायु सेना में शामिल होना चाहती हूं और पायलट बनना चाहती हूं। यह शहादत की भावना है। मोदी जी इसे कभी नहीं समझेंगे। मोदी जी इंदिरा जी जैसी शहीद के बारे में जो चाहें कहते हैं। उन्हें केवल वंशवाद की राजनीति दिखती है, उन्हें देशभक्ति, देश सेवा कभी नहीं दिखती। वह कभी इसे नहीं समझेंगे।" 

बता दें कि, पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि पहले कानून के अनुसार, मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी। उन्होंने धन पुनर्वितरण और विरासत टैक्स के कांग्रेस के वादों पर हमला करते हुए कहा था कि, "तब ऐसी चर्चा थी कि इंदिरा जी ने अपनी संपत्ति अपने बेटे राजीव गांधी के नाम पर कर दी थी। इंदिरा जी की मृत्यु के बाद सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया था।" उन्होंने कहा, संपत्ति शुल्क समाप्त करने से लाभ के बाद, कांग्रेस अब उसे को वापस लाना चाहती है।

दरअसल, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बयान में कहा था कि भारत में विरासत टैक्स लगना चाहिए, जिसमे इंसान के मरने के बाद उसकी 55 फीसद संपत्ति सरकार के पास चली जाती है और उसके बच्चों को बस 45 फीसद ही मिलता है। इसके बाद कांग्रेस पर सवाल उठने लगे थे, लोग कहने लगे थे कि ऐसे तो लोग अपनी संपत्ति उजागर ही नहीं करेंगे, छिपाने लगेंगे, इंसान अपने बाल-बच्चों के लिए जीवनभर कमाकर जमापूंजी बनाता है, उसे अगर सरकार छीन लेगी, तो वो क्यों ही बचाएगा ? या अगर बचाएगा भी तो उसे छिपा देगा, सरकार की नज़र में नहीं आने देगा, इससे काला बाज़ारी भी बढ़ेगी।

क्या भारत में कभी लगा था विरासत टैक्स ?

बता दें कि, 'विरासत कर' भारत के लिए नया नहीं है। यह 40 साल पहले तक प्रभावी था, जब 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की संपत्ति को अपने पास ही रखने के लिए इस कानून को ख़त्म कर दिया था। पहले, संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर विरासत कर 85% तक जा सकता था। दरें तय की गईं थीं, 20 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर 85% टैक्स लगाया गया था। हालाँकि, ये कानून मंशा के अनुरूप काम नहीं कर सका। नागरिकों को दो बार संपत्ति कर देना पड़ता था, एक बार अपने जीवनकाल के दौरान (जिसे 2016 में मोदी सरकार ने रोक दिया था) और फिर उनकी मृत्यु के बाद। इसके अतिरिक्त, इस कर के माध्यम से धन जुटाने की कांग्रेस की योजना सफल नहीं रही, क्योंकि बेनामी संपत्ति और संपत्ति छुपाने के मामले बढ़ गए। लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपनी संपत्ति छुपाने लगे और काला धन बढ़ने लगा, जिससे गुंडागर्दी भी बढ़ी और रंगदारी भी। जिसने संपत्ति छुपाई है, उससे गुंडे खुलकर हफ्ता मांग सकते थे और वो पुलिस में शिकायत भी नहीं कर सकता था, वरना खुद फंसता।  

दिलचस्प बात यह है कि संपत्ति शुल्क अधिनियम को ठीक उसी समय निरस्त किया गया था, जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनके पोते-पोतियों को हस्तांतरित की जानी थी। राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की लगभग 21.5 लाख रुपये की संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों को हस्तांतरित करने से ठीक पहले अप्रैल 1985 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह संपत्ति, जिसकी कीमत अब लगभग 4.2 करोड़ रुपये है, 2 मई 1985 को स्थानांतरित कर दी गई थी।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) की 2 मई, 1985 की रिपोर्ट के अनुसार, 1981 में हस्ताक्षरित इंदिरा गांधी की वसीयत में उनके बेटे राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी को वसीयत के निष्पादक के रूप में नामित किया गया था। हालाँकि, बाद में उन्होंने उन्हें हटा दिया और अपनी बहू मेनका गांधी के लिए कुछ नहीं छोड़ा। पूरी संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों के लिए छोड़ दी गई थी। वसीयत में महरौली में निर्माणाधीन एक फार्म और एक फार्महाउस शामिल है, जिसकी कीमत 98,000 डॉलर (आज के संदर्भ में 81,72,171 रुपये), इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई पुस्तकों के कॉपीराइट, साथ ही नकदी, स्टॉक और बांड लगभग 75,000 डॉलर के हैं। इंदिरा गांधी की प्राचीन वस्तुएं और निजी आभूषण, जिनकी कीमत लगभग 2500 डॉलर थी, प्रियंका गांधी के लिए छोड़ दिए गए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे समय में जब 20 लाख रुपये से अधिक की 85% संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी, राजीव गांधी की सरकार के दौरान इस नियम को उलट दिया गया, जब उनके बच्चों को उनकी दादी की विरासत मिलनी थी। यानी, इंदिरा गांधी की संपत्ति पर वो कानून लागू नहीं हो सका, जो 40 सालों तक तमाम भारतीयों पर लागू होता रहा और उनकी सम्पत्तियाँ कब्जाई जाती रहीं।

Bihar

45 min ago

मधेपुरा में चार दिन कैंप करने के बाद पटना लौटे सीएम नीतीश कुमार, पहली बार लोकसभा चुनाव में किया तीन-तीन रोड शो

गया : : लोकसभा चुनाव के दो चरण समाप्त हो चुके है। वहीं नेताओं का अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार-प्रसार का तूफानी दौर चल रहा है। सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं द्वारा बाकी के बचे चरणों के चुनाव को लेकर चुनावी दौरा करने और जनसभा को संबोधित करने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में सीएम नीतीश कुमार पिछले चार दिनों से मधेपुरा में कैंप करने के बाद बीते गुरुवार को पटना लौट आए। 

पहली बार चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने किया रोड शो

29 अप्रैल से दो मई की शाम तक उन्होंने मधेपुरा में ही रहकर तीसरे चरण के पांचों लोकसभा क्षेत्र के एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में सभाएं और रोड-शो किया। चार दिनी इस चुनावी प्रचार में उन्होंने 12 सभाएं और तीन रोड-शो किया।

बताते चले कि यह ऐसा पहला चुनाव है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में रोड-शो भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गुरुवार की शाम को मधेपुरा से पटना लौटे। मुख्यमंत्री 29 अप्रैल को पटना से मधेपुरा के लिए रवाना हुए थे। पहले दिन मुख्यमंत्री ने तीन जनसभाएं की। इनमें खगड़िया, मधेपुरा और अररिया में एक-एक सभा हुई। 30 अप्रैल को झंझारपुर में एक तथा मधेपुरा में दो सभाएं कीं। 

इसके अलावा उन्होंने मधेपुरा और सुपौल लोकसभा क्षेत्र में रोड-शो भी किया। लगातर दूसरे दिन एक मई को मुख्यमंत्री ने झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में रोड-शो किया। साथ ही उस दिन तीन सभाएं भी की। इनमें झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में एक-एक सभा शामिल है।

दो मई को सुपौल, मधेपुरा व बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने एक-एक सभा की। इस तरह उन्होंने तीसरे चरण की पांच सीटों के अलावा एक सभा बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में की। बेगूसराय में चौथे चरण में मतदान है।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री दूसरे चरण की सीटों पर भी प्रचार के लिए पांच दिनों तक मधेपुरा में कैंप किये हुए थे। इस चरण में सभी पांच सीट पर एनडीए की ओर से जदयू के उम्मीदवार ही लड़ रहे हैं।

Chhattisgarh

57 min ago

विवाह मंडप में चल रही थी हल्दी रस्म डॉ. गौरव सिंह पहुंचे कलेक्टर की पाती लेकर

रायपुर- जोरा के नाला पारा की छोटी सी बस्ती के लिए आज खुशियों का दिन था। वहां रहने वाला भोई परिवार अपने बेटे कामेश की शादी के लिए उत्साह से जुटा था। दूल्हे कामेश को हल्दी लग रही थी। गौरतलब है कि आज घर-घर जाकर कलेक्टर की पाती वितरण का शुभारंभ हूआ और डॉ. गौरव सिहं के नेतृत्व में पूरी टीम लगी हुई थी। उसी समय संयोग ऐसा बना कि कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डा. गौरव सिंह अपने टीम सहित भोई परिवार के विवाह समारोह के पास से गुजरे।

कलेक्टर भोई परिवार से मिलने विवाह के मंडप में जा पहंचे जहां हल्दी रस्म चल रहा था। कलेक्टर का परिचय मिलते ही भोई परिवार खुशी से खिल उठा। डॉ. सिंह ने दुल्हे और परिवार को मतदान की अपील वाला आमंत्रण पत्र और पीला चावल भेंट किया।

कलेक्टर ने पाती भेंट करते हुए कामेश को शादी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 7 तारीख को मतदान है, पूरे परिवार के साथ मतदान करने आना है साथ ही अपनी धर्मपत्नी को वोट डलवाना है। साथ ही फोटो भी भेजनी है। कामेश ने कहा कि जरूर भेजेंगे, आप लोग हमारी शादी के मौके पर पहुंचे, हमारे पूरे परिवार को बहुत अच्छा लग रहा है।

उत्साह से भरे भोई परिवार के लिए यह क्षण और भी रोचक हो गया। कलेक्टर ने दूल्हे को कहा कि जिस तरह से विवाह के माध्यम से नये गठबंधन में जुड़ रहे हैं उसी तरह से आपका लोकतंत्र के साथ भी गठबंधन है और इसे मतदान से मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने परिवार से कहा कि आप सभी के लिए यह क्षण बहुत सुंदर है। ऐसा ही एक शुभ क्षण 7 मई को भी आने वाला है, आप मतदान करें और लोकतंत्र को मजबूत करें।

कामेश ने कहा कि मेरे घर में कलेक्टर आये, मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने मतदान करने हम सबसे आग्रह किया। हमने उन्हें कहा कि हम सब मतदान जरूर करते हैं और आपको आश्वस्त करते हैं कि पूरा परिवार मतदान जरूर करेगा। कलेक्टर डॉ. सिंह शादी का संगीत बजाने वाले बैंड पार्टी के पास पहुंचे और मतदान करने की अपील की इसके साथ ही बस्ती के अन्य घरों में कलेक्टर की पाती देने पहुंचे।

भोई परिवार के सदस्यों ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए दो तरह से खास बन गया, एक तो कामेश की शादी में खूब आनंद आ गया, दूसरी तरफ कलेक्टर स्वयं आये और कामेश को आशीर्वाद दिया, हम लोग बहुत खुश हैं और 7 मई को मतदान जरूर करेंगे।

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1 hour and 20 min ago

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति

#why_did_rahul_gandhi_have_to_come_to_rae_bareli

इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है।

सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं।

राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया।

वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है।

यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।

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1 hour and 21 min ago

क्या हार के डर से राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से लड़ रहे चुनाव? जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति*
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इस बार के लोकसभा चुनाव में अगर किसी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वो है अमेठी और रायबरेली। इन दोनों सीटों की चर्चा पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से भी ज्यादा हो गई है। दरअसल, आज अमेठी औरह रायबरेली सीट पर नामांकन का आखिरी दिन है और नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। कांग्रेस ने अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस के “युवराज” ने ताल ठोंका है। राहुल गांधी के इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट देश के सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है। सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद से रायबरेली सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। दावा यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है। राहुल गांधी रायबरेली से अब अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं। राहुल गांधी अब अपनी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे। राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से उतारना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।राहुल गांधी का अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे चुनाव हारने का डर नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति को फेल करने की मंशा मानी जा रही है। 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है। ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी सीट से चुनावी मैदान में उतरते तो यह नैरेटिव बदलकर राहुल बनाम ईरानी हो जाता। कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव नहीं बनने देने के लिए ही राहुल गांधी को अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया। वहीं, यूपी में कांग्रेस की स्थिति पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस बार उन्हें इस सीट पर माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है। यही नहीं, राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनावी मैदान में उतरते तो फिर प्रियंका गांधी को मजबूरन रायबरेली सीट से प्रत्याशी बनना पड़ता। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के हाथों कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने का मौका मिल जाता। साथ ही कांग्रेस ने रणनीति के तहत राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है ताकि उन पर प्रदेश छोड़कर भागने के आरोप न लग सकें।

Gaya

1 hour and 43 min ago

गया जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में चलाया गया वाहन चेकिंग अभियान, वसूला गया 1 लाख 26 हजार का जुर्माना

गया : बिहार के गया में गया एसएसपी आशीष भारती के निर्देश पर अपराध नियंत्रण को लेकर गया जिले के सभी थाना क्षेत्रों में वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। इसकी जानकारी गया के एसएससी आशीष भारती ने शुक्रवार को प्रेस रिलीज जारी कर दी है।

गया के एसएसपी आशीष भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था बनाये रखने को लेकर वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। 

जिसमें यातायात नियमों का अनुपालन नहीं करने वाले वाहनों से कुल ₹1,26,500 रूपया का जुर्माना वसूला गया है।

गया से मनीष कुमार