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दिल्ली में 27 साल का सूखा खत्म कर पाएगी बीजेपी? आप का किला भेदने के लिए बनाई खास रणनीति
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* दिल्ली विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन स्टार्ट हो गया है कुछ ही दिनों में बहुत जल्द केंद्रीय निर्वाचन आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है लेकिन उससे पहले सभी राजनीतिक दल दिल्ली में अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए हर जोर-आजमाइश में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता को लोक लुभावन योजनाओं के जरिए साधने में लगी है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव की कमान अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल ली है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा दिल्ली में 27 साल से चला आ रहा सूखा खत्म कर पाएगी? *क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब बीजेपी* दिल्ली में बीजेपी क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब है। दिल्ली में बीजेपी ने पिछली बार साल 1993 में जीत हासिल की थी। उस वक़्त मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। 1993 में 49 सीटों पर मिली बड़ी जीत के बाद भी उस दौरान पांच साल में बीजेपी को तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बीजेपी ने पहले मदनलाल खुराना, फिर साहिब सिंह वर्मा और अंत में सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया। कहा जाता है कि उस वक़्त प्याज़ की बढ़ी कीमतों के आंसू बीजेपी को लंबे वक़्त तक रुलाते रहे। बीजेपी के लिए तीन मुख्यमंत्रियों का प्रयोग ऐसा रहा कि बीते क़रीब तीन दशक से उसे दिल्ली की सत्ता नहीं मिल पाई है। *लोकसभा में सफल लेकिन विधानसभा में फेल* उसके बाद जनता ने लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस को जीत दिलाई और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद दिल्ली में जनता ने आम आदमी पार्टी को पसंद कर लिया, लेकिन बीजेपी जैसी पुरानी पार्टी पर भरोसा नहीं जताया। दिल्ली में लगातार छह बार चुनाव हारने के बाद सातवीं बार उसे जीतने के इरादे से बीजेपी मैदान में उतर रही है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को बीते तीन लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सीटों पर जीत मिली है। लेकिन इस दौरान विधानसभा चुनावों में पार्टी सफल नहीं हो पाई है। 70 सीटों की दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को साल 2013 में 31 सीटों पर जीत मिली। उसके बाद साल 2015 के विधानसभा चुनावों में उसे महज 3 सीटें और साल 2020 में 8 सीटों से संतोष करना पड़ा। जबकि बीते तीनों लोकसभा चुनावों यानी साल 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी को दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत मिली ऐसे में बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी “साफ” करने के ले खास रणनीति अपनाई है। *पीएम मोदी ने खुद संभाली कमान* इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख़ों के ऐलान से पहले ही पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम नेता चुनावी मैदान में दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी पर 'आप-दा' कहकर हमला किया है। उन्होंने कहा है, दिल्ली में एक ही आवाज़ गूंज रही है, आप-दा नहीं सहेंगे, बदलकर रहेंगे। अब दिल्ली विकास की धारा चाहती है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने भी अरविंद केजरीवाल पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को 'शीशमहल' बनाने का आरोप लगाया है। *आप के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने की कोशिश* यही नहीं, बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने के इरादे से अपने दो पूर्व सांसदों को दांव पर लगाया है। इसके अलावा पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों में से भी चार पर फिर से भरोसा जताया है। पार्टी ने इस बार आप के दिग्गज नेताओं को घेरने पर अधिक फोकस रखा है। यही वजह है कि पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने पूर्व सांसद और जाट नेता प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित भी तगड़े दावेदार हैं। ऐसे में बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस व आप में बंट गए तो नई दिल्ली का किला बीजेपी जीत सकती है। इसी तरह से पार्टी ने वोटरों का प्रोफाइल देखकर जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि यहां मनीष सिसोदिया को मारवाह ही टक्कर दे सकते हैं। *स्थानीय मुद्दों पर आप का घेराव* वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी (आप) के एक दशक लंबे शासन के खिलाफ “सत्ता विरोधी भावना” का एहसास है। इस बार भाजपा का अभियान भी बहुत स्थानीय है, जिसमें प्रधानमंत्री सीवर और जल-जमाव वाली सड़कों और डीटीसी बेड़े के बारे में बोल रहे हैं। भाजपा दिल्ली में आप के शासन मॉडल को घेरने के लिए यमुना नदी की स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में लगातार वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी जोर दे रही है। भाजपा लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि आप सीवेज सिस्टम और पानी की कमी जैसे मुख्य शासन मुद्दों पर विफल रही है और हमेशा केंद्र के साथ टकराव की मुद्रा में रहती है, जिससे दिल्ली का विकास बाधित होता है। उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों का उदाहरण देकर बीजेपी दिल्ली की जनता के सामने ये पेश करने के प्रयास में लगी है कि,दिल्ली में भी अब भाजपा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार की जरुरत है। भाजपा ने आप की दो बड़ी मुफ्त बिजली योजना और पानी का बिल फ्री कराने का तोड़ निकाल लिया है। भाजपा ने दिल्ली में झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पीएम आवास की चाबी देकर इसकी शुरुआत भी कर दी है।
कैग रिपोर्ट में केजरीवाल के ‘काले कारनामों’, 'शीश महल' बनाने में उड़ाई नियमों की धज्जियां, खर्ज किए करोड़ों
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* दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घर फिर चर्चा में है। दिल्‍ली चुनाव से ठीक पहले सीएजी यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए। दावा किया गया कि सीएम हाउस पर तय लागत से 342 प्रतिशत ज्‍यादा रकम खर्च की गई। पहले ही अरविंद केजरीवाल के घर को 'शीशमहल' बता चुकी बीजेपी दिल्‍ली चुनाव के बीचे इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करने में लगी है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना इजाज़त लिए इमरजेंसी क्‍लॉज का इस्तेमाल करके बंगला बनाया है। साथ ही दावा किया कि एमसीडी की इजाजत लिये बिना बंगला बनाया गया। साल 2022 तक इस बंगले पर क़रीब 33 करोड़ रुपये खर्च किया गया। कैग रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल के बंगले को लेकर 139 सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी ने निजी संस्था के तौर पर काम किया, बिना इजाज़त करोड़ रुपये बंगला बनाने के लिए खर्च किए। पहले 7 करोड़ 91 लाख का बजट इमरजेंसी के तौर पर पास किया गया था। साल 2020 में पहला वर्क स्टीमेट बना जब दिल्ली कोविड की मार झेल रहा था। भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेवा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बंगले पर 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, कैग रिपोर्ट में 2023 और 2024 का खुलासा होना बाकी है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2020 में जब दिल्ली की जनता अपने लोगों को खो रही थी। उस समय अरविंद केजरीवाल अपना शीश महल बनवा रहे थे। किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई। इसके निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। पीडब्ल्यूडी विभाग ने 2024 में जो इन्वेंटरी घोषित की है और जो समान दिखाया है कि यह पीडब्ल्यूडी ने नहीं लगाया है, वह समान कहां से आया। वह किसका पैसा है? इसका जवाब अरविंद केजरीवाल को देना होगा।
भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी के बयान पर रो पड़ीं दिल्ली सीएम आतिशी, बोलीं-मेरे बीमार, बुजुर्ग पिता को दे रहे गाली
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* दिल्ली की सीएम आतिशी ने अपने पिता को लेकर हो रही बयानबाजी पर रो पड़ीं। सीएम आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मेरे बुजुर्ग पिता को गाली दी जा रही है। वो इतने बीमार रहते हैं कि बिना सहारे के चल तक नहीं पाते। रमेश बिधूड़ी अपने काम पर वोट मांगें। मेरे पिता को गाली देकर वोट नहीं मांगें। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव में बड़े घोटाले का दावा किया। आतिशी बोलीं- "मेरे पिता जिंदगी भर शिक्षक रहे, उन्होंने दिल्ली के हजारों मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग बच्चों को पढ़ाया है, आज वे 80 सालों के हो गए हैं। चुनाव के लिए बिधूड़ी ऐसी घटिया हरकत करेंगे कि बुजुर्ग व्यक्ति को गालियां देने पर उतर आएंगे। इस देश की राजनीति इतने निचले स्तर तक गिर सकती है यह मैं कभी नहीं सोच सकती थी। बिधूड़ी बताएं कि 10 साल में लोगों के लिए उन्होंने क्या किया? *बिधूड़ी ने कहा क्या था?* बीजेपी की की ‘परिवर्तन रैली’ को संबोधित करते हुए बिधूड़ी ने कहा था कि आतिशी ने अपना सरनेम बदलकर मार्लेना से ‘सिंह’ कर लिया है। उन्होंने कहा कि कालकाजी सीट से मौजूदा विधायक आतिशी ने कुछ समय पहले अपना सरनेम हटा दिया था। बिधूड़ी ने आरोप लगाया था कि वह मार्लेना से सिंह बन गईं, उन्होंने नाम बदल लिया। केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि भ्रष्ट कांग्रेस के साथ नहीं जाउंगा, (और अब) मार्लेना ने अपना बाप बदल लिया। पहले वह मार्लेना थीं, अब वह सिंह बन गई हैं। यह उनका चरित्र है। *बीजेपी राज्य में वोटर घोटाला कर रही-आतिशी* वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े घोटाले का दावा किया। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में घोटाला हो रहा है। नईदिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ा खेल हो रहा है। गलत तरीके से वोट काटने की साजिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी राज्य में वोटर घोटाला कर रही है। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने इसकी जांच नहीं की। आतिशी ने आरोप लगाया- चुनाव आयोग, डोर टू डोर सर्वे, बूथ लेवल अधिकारी यह पता नहीं लगा पाए कि लोग शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन इन बीजेपी लोगों ने पता लगा लिया है। जब समरी रिवीजन चल रहा था, तो मतदाताओं को क्यों नहीं शिफ्ट किया गया? आतिशी ने कहा- यह साफ है कि गलत तरीके से वोट काटने की साजिश चल रही है। 10% वोट जोड़े जाने हैं और 5% हटाए जाने हैं, यही साजिश चल रही है।
पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन”, नए जम्मू रेलवे डिवीजन के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नवगठित जम्मू रेलवे डिवीजन का उद्घाटन किया। साथ ही पीएम ने तेलंगाना में चरलापल्ली न्यू टर्मिनल स्टेशन का उद्घाटन किया और ईस्ट कोस्ट रेलवे के रायगढ़ रेलवे डिवीजन भवन की आधारशिला भी रखी। नए रेल डिवीजन के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने संबोधन भी दिया। उन्होंने कहा, साल 2025 की शुरुआत से ही भारत कनेक्टिविटी की तेज रफ्तार बनाए हुए है। प्रधानमंत्री ने कहा- पिछला एक दशक भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन का रहा है। रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में एक विजिबल चेंज आया है। इससे देश की छवि बदली है और देशवासियों का मनोबल भी बढ़ा है। उन्होंने कहा पिछले 10 वर्षों में रेल कनेक्टिविटी का अद्भुत विस्तार हुआ है। 2014 तक देश में सिर्फ 35% रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ था। आज हम रेल लाइनों के शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन के करीब हैं। बीते 10 वर्षों में 30 हजार किमी से ज्यादा नए रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं। साथ ही सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए हजारों ओवरपास और अंडरपास भी बनाए गए हैं। आज लोग कम समय में लंबी दूरी तय करना चाहते हैं। इसलिए हमने पूरे देश में हाई-स्पीड ट्रेनें चलाई हैं। आज 50 से अधिक रूटों पर वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। 136 वंदे भारत सेवाएं लोगों की यात्रा को आरामदायक बना रही हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा भारत में रेलवे के विकास को हम चार पैरामीटर्स पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर का मॉर्डनाइजेशन, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी और चौथा- रेलवे से रोजगार का निर्माण, उद्योगों को सपोर्ट। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा जम्मू-कश्मीर आज रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड बना रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन की चर्चा आज पूरे देश में है। ये परियोजना जम्मू-कश्मीर को देश के और हिस्सों के साथ और बेहतरी से जोड़ेगी। इसी परियोजना के तहत दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे केबल पुल चिनाब का काम भी पूरा हुआ है।
तमिलनाडु विधानसभा में हुआ राष्ट्रगान का अपमान! राज्यपाल ने सदन से किया वॉकआउट
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* तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि विधानसभा सत्र के दौरान राष्ट्रगान के कथित अपमान से नाराज हो गए और विधानसभा सत्र को बिना संबोधित किए ही सदन से चले गए। राज्यपाल के कार्यालय ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विधानसभा स्पीकर ने तमिल थाई वाज़्थु गाए जाने के बाद राष्ट्रगान बजाने से इनकार कर दिया। जबकि राज्यपाल ने उन से मानक के तहत राष्ट्रगान गाने के लिए कहा था। तमिलनाडु विधानसभा के साल 2025 के पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत हो रही है। नियमों के तहत विधानसभा सत्र की शुरुआत राज्यपाल आरएन रवि के संबोधन से होनी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा सत्र की शुरुआत में तमिलनाडु सरकार के राज्य गीत 'तमिल थाई वजथु' का गायन हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु के राज्य गीत के बाद राष्ट्रगान वादन की मांग की, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई। इस बात से राज्यपाल इस कदर नाराज हो गए कि विधानसभा सत्र को संबोधित किए बिना ही सदन से चले गए। राज्यपाल के आधिकारिक निवास, राजभवन ने कहा, राज्यपाल ने विधानसभा को बीच में इसीलिए छोड़ दिया और वो चले गए क्योंकि सदन ने मानक के तहत राष्ट्रगान बजाने से “इनकार” कर दिया था।तमिलनाडु के राजभवन ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, भारत के संविधान और राष्ट्रगान का एक बार फिर तमिलनाडु की असेंबली में अपमान हुआ। राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारा पहला मौलिक कर्तव्य है। इसे सभी राज्य विधानमंडलों में राज्यपाल के अभिभाषण के शुरू और आखिर में गाया जाता है। आज जब राज्यपाल हाउस में पहुंचे तो सिर्फ तमिल थाई वाज़्थु गाया गया। इसी के बाद जब राज्यपाल ने सभी को संवैधानिक ड्यूटी याद दिलाई और सीएम एम के स्टालिन और स्पीकर से राष्ट्रगान पढ़ने के लिए कहा तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा गया, यह गंभीर चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के इस तरह के बेशर्मी भरे अपमान में भागीदार नहीं बनना चाहते थे, इसलिए राज्यपाल गहरी पीड़ा में सदन से चले गए। बता दें कि बीते दो साल से विधानसभा सत्र में राज्यपाल के संबोधन के दौरान खासा विवाद देखने को मिला है। पिछली बार राज्यपाल ने संबोधन के दौरान सरकार के बयान की कुछ लाइनें पढ़ने से इनकार कर दिया था। जिस पर खूब विवाद हुआ था।
केजरीवाल की राह पर कांग्रेस, दिल्ली की महिलाओं के लिए किया 'प्यारी दीदी योजना' का ऐलान
#congress_announces_pyari_didi_yojana * दिल्ली चुनाव की तारीखों के एलान से पहले सियासी हलचल तेज है। पार्टियां जनता को अपने पाले में करने के लिए एक से बढ़कर एक दांव चल रही हैं। आम आदमी पार्टी ने पहले ही जनता के सामने अपान पिटारा खोल दिया है। महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक के लिए योजनाओं की घोषणा की है। अब आप की राह पर चलते हुए कांग्रेस ने भी बड़ी घोषणा की है। कांग्रेस ने 'प्यारी दीदी योजना' का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि मैं यहां प्यारी दीदी योजना को लॉन्च करने आया हूं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस दिल्ली में सरकार बनाएगी और हमारी पहली कैबिनेट में प्यारी दीदी योजना लागू की जाएगी और दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये दिए जाएंगे। यह उसी मॉडल पर है जो हमने कर्नाटक में लागू किया था। कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए कांग्रेस जरूरी है। *दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए देगी आप सरकार* इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली में हमारी सरकार फिर से सत्ता में आएगी तो हम इस सम्मान की राशि 1000 से बढ़ाकर 21 रुपये कर देंगे। केजरीवाल ने 2024 के बजट में इसका ऐलान किया था। 18 से 60 साल तक की महिलाओं को इस योजना का फायदा मिलेगा. लाभार्थियों की संख्या 38 लाख है।
*“मुझे वोट दिया, इसका मतलब यह नहीं कि मेरे बॉस हो” वोटर्स पर क्यों भड़के अजित पवार?
#angry_ajit_pawar_tells_baramati_voters_you_are_not_my_boss
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार बारामती में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान अपना आपा खो बैठे। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम अजित पवार एक वोटर पर भड़क गए। दरअसल, जब एक वोटर ने अपनी समस्या के बारे में उन्हें बताया, और समस्या के समाधान की बात कही। जिस पर पवार भड़क गए और बोले कि आपने वोट दिया इसका ये मतलब नहीं की आप मेरे मालिक हैं। अजित पवार रविवार को बारामती के दौरे पर थे। इस दौरे के दौरान उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों का उद्घाटन किया। उन्होंने बारामती के मेदाद में बारामती तालुका क्रय-विक्रय संघ परिसर में एक नए पेट्रोल पंप का उद्घाटन किया। पेट्रोल पंप के उद्घाटन के बाद अजीत वपार ने एक सभा की। जहां अलग अलग तहसीलों और गांवो से किसान अपनी समस्या लेकर पहुंचे थे। अजित पवार अधिकारियों को काम शुरू करने के निर्देश दे रहे थे। हालांकि, वहीं एक कार्यकर्ता ने कहा कि कई काम नहीं हुए। एक्टिविस्ट के बयान के बाद कुछ अन्य नागरिकों ने भी यही बात कही। इसके बाद अजित पवार थोड़ा नाराज हो गए और बोले, ‘अरे आपने मुझे वोट दिया इसका मतलब यह नहीं कि आप मेरे मालिक बन गए हो।’ अजित पवार का बचाव करते हुए कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट ने सफाई दी। उन्होंने कहा, 'कभी-कभी, जब निर्वाचित प्रतिनिधि काम कर रहे होते हैं, तो कुछ मतदाता कुछ मुद्दों पर जोर देते रहते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधि की टिप्पणियों को प्रमुखता दी जाती है, जबकि मतदाताओं के व्यवहार के बारे में कहीं बात नहीं की जाती है।'
ताइवान की सीमा में लगातार तीसरे दिन घुसे चीनी सेना, क्या है ड्रैगन का इरादा?
#china_pla_aircraft_and_vessels_enter_in_taiwan
* चीन आए दिन ताइवान को आंख दिखा रहा है। चीन लगातार ताइवान को डराने की हर कोशिश में लगा रहता है। चीन कई सालों से ताइवान की सीमा में घुसकर अपनी ताकत का अहसास करता रहता है। एक बार फिर ड्रैगन ने ताइवान को डराने की कोशिश की है। लगातार तीसरे दिन चीन के विमानों और पोत ने ताइवान की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने सोमवार को बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सात विमानों और पीएलए नौसेना (पीएलएएन) के सात जहाजों ने उनकी सीमा में प्रवेश किया।ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के छह विमान ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार कर ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश कर गए। सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने लिखा, 'ताइवान के आसपास 7 पीएलए विमान, 7 पीएलएएन जहाज और 1 आधिकारिक जहाज को सोमवार सुबह छह बजे देखा गया।' इससे पहले रविवार और शनिवार को भी चीनी विमानों और जहाजों ने ताइवान की सीमा का उल्लंघन किया था। चीन द्वारा बीते दिनों ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास भी किया गया था। इस युद्धाभ्यास को चीन की ताइवान को चेतावनी के रूप में देखा गया था। पीएलए के जवाब में ताइवान ने भी रणनीतिक स्थानों पर युद्ध की तैयारी का अभ्यास किया था बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने नव वर्ष पर दिये गए अपने संदेश में कहा कि चीन के साथ ताइवान के पुन: एकीकरण को कोई कभी नहीं रोक सकता। शी ने सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारित अपने नए साल-2025 के संबोधन में कहा था 'ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम चीनी एक ही परिवार के हैं। कोई भी हमारे बीच नातेदारी के बंधन को कभी भी खत्म नहीं कर सकता है।' चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा होने का दावा करता है और एक अनिवार्य राजनयिक नीति के रूप में ताइवान को अपने हिस्से के रूप में मान्यता देते हुए ‘एक चीन’ की बात करता है। अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के तहत शासन कर रहे शी ने हाल के वर्षों में ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए इसे एक प्रमुख सैन्य और राजनयिक पहल बनाया।
भारत पहुंचा चीन का खतरनाक वायरस, यहां मिला HMPV वायरस का पहला केस*
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चीन में एचएमपीवी वायरस तेजी से फैल रहा है। एचएमपीवी वायरस पड़ोसी देश में तबाही मचा रहा है। अब उस वायरस ने चीन से बाहर भी अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं। चीन के एचएमपीवी वायरस की अब इंडिया में भी एंट्री हो गई है। बेंगलुरु में एचएमपीवी का पहला केस मिला है। बेंगलुरु में 8 महीने के बच्चे में एचएमपीवी वायरस की पुष्टि हुई है। यह मामला बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में दर्ज किया गया। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में नमूने का परीक्षण नहीं किया है। अस्पताल की लैब में हुई जांच में एचएमपीवी वायरस की पुष्टि हुई है। कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दे दी है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। *है यह वायरस?* ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, जिसे एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है। एक प्रकार का सामान्य श्वसन वायरस है, जो सभी उम्र के लोगों में फैल सकता है। कहा जा रहा है कि एचएमपीवी वायरस पिछले कई दशकों से मौजूद है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, 2001 में पहली बार नीदरलैंड्स में इसकी पहचान हुई थी। सांस की बीमारी वाले बच्चों के सैंपल में वायरस की पुष्टि हुई थी। एचएमपीवी पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। वायरस सभी मौसम में हवा में मौजूद होता है। संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने से फैलता है। इसके सर्दियों में ज्यादा फैलने का खतरा है। इस वायरस का ज्यादा असर बुजुर्गों और छोटे बच्चों पर होने की आशंका है। वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में अगर आप आते हैं तो आप भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। *एचएमपीवी वायरस के लक्षण* • इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित ज्यादा बच्चों-बुजुर्गों हो सकते हैं। • इसमें सांस और फेफड़ों की नली में इन्फेक्शन हो जाता है, जिस वजह से खांसी होती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। • इसके अलावा गले में खराश, सिरदर्द, खांसी, बुखार, ठंड लगना और थकान भी रहती है।
भारत से पंगा लेने वाले जस्टिन ट्रूडो की जाने ही वाली है कुर्सी, दे सकते हैं इस्तीफा
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पिछले काफी समय से पार्टी अंदर पनपे असंतोष का सामना कर रहे हैं। अब खबर आ रही है कि जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कनाडा के समाचारपत्र द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को अपनी रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया है। द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ऐसा तब हो रहा है जब 53 साल के ट्रूडो कथित तौर पर अपनी पार्टी के भीतर समर्थन खो रहे हैं और कई सर्वों से संकेत मिल रहा है कि अगर आज चुनाव हुए तो पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी उन्हें और लिबरल पार्टी को सत्ता से बाहर कर देगी। *अगले एक या दो दिनों में छोड़ सकते हैं पद* रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो अगले एक या दो दिनों के भीतर पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी ये तय नहीं है कि ट्रूडो कब इस्तीफा देंगे, लेकिन माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ट्रूडो अपना पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस ट्रूडो को सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता के पद से भी हटाने पर विचार किया जा रहा है। *क्यों इस्तीफा देंगे ट्रूडो?* जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक, इस समय वह अपने मुख्य प्रतिद्वंदी कंजर्वेटिव पार्टी के पियरे पॉइलीवर से 20 पॉइंट पीछे चल रहे हैं। यही वजह है कि लिबरल सदस्यों की ओर से उन पर इस्तीफा देने का प्रेशर है। उनके विरोध में खुलकर सांसद आ चुके हैं। उन्हें हटाने के लिए तो सिग्नेचर कैंपेन भी चल चुका है। बंद कमरे में उन पर सवालों की बौछार भी हो चुकी है। अब क्योंकि लिबरल पार्टी को लगने लगा है कि ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा में उनकी हार निश्चित है। इसलिए अब ट्रूडो की पीएम वाली कुर्सी जाने का खतरा पूी तरह मंडरा गया है। *ट्रूडो से नाराज हैं कनाडा के लोग* कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार की लोकप्रियता में गिरावट की कई वजह हैं। इनमें प्रमुख वजहों में अर्थव्यवस्था, कनाडा में घरों की कीमतों में जबरदस्त उछाल, अप्रवासी मुद्दा आदि शामिल हैं। कोरोना महामारी के बाद कनाडा में महंगाई 8 फीसदी तक बढ़ गई थी। हालांकि फिलहाल यह दो प्रतिशत से नीचे है। कनाडा में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है, जो फिलहाल छह फीसदी के आसपास है। ट्रूडो सरकार के कार्बन टैक्स कार्यक्रम की भी विपक्ष द्वारा आलोचना की जा रही है। कनाडा में महंगे घर एक बड़ी समस्या है। कनाडा के अधिकतर बड़े शहरों में घर खरीदना आम लोगों के बजट के बाहर हो गया है। लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है और सरकार इसे नियंत्रित कर पाने में नाकाम रही है। ये भी एक बड़ी वजह है कि लोगों में ट्रूडो सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है। कनाडा में अप्रवासन भी बड़ा मुद्दा है। हालांकि ट्रूडो सरकार ने हाल के समय में अप्रवासन को लेकर नई नीतियां बनाई हैं, जिससे अप्रवासियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि अभी भी लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई है। अप्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से कनाडा की स्वास्थ्य व्यवस्था और अन्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ा है। कनाडा में खालिस्तानियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी कई कनाडाई नागरिक नाराज हैं। हाल ही में कनाडा की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद ट्रूडो पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा है।