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शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को चुनाव आयोग से बड़ी राहत, लड़ सकेगी चुनाव

#bangladesh_election_commission_give_nod_to_sheikh_hasina_awami_league

बांग्‍लादेश में बीते अगस्त माह में तख्तापलट हो गया। इसके बाद देश में मोहम्‍मद यूनुस की अंतरिम सरकार आई। शेख हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश की जनता के साथ-साथ पूरी दुनिया को बांग्लादेश के नई सरकार के लिए होने वाले चुनावों का इंतजार है। शेख हसीना के देश छोड़न के बाद ये कहा जा रहा है कि उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया है।मोहम्मद यूनुस के एक सलाहकार ने यह भी कह दिया था कि वो हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच शेख हसीना को चुनाव आयोग से बड़ी राहत मिली है। बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने कहा, ‘अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।

बांग्‍लादेश छोड़न के बाद शेख हसीना पर एक-एक कर हसीना पर 100 से ज्‍यादा मुकदमे ठोक दिए गए। यही नहीं, मोहम्‍मद यूनुस के एक सलाहाकार ने यह कह दिया कि वो हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने की तैयारी कर रहे हैं। एक के बाद एक याचिकाएं भी बांग्‍लादेश की कोर्ट में लगा दी गई ताकि कानूनी रूप से अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोका जा सके। हालांकि, अब शेख हसीना को बांग्‍लादेश के चुनाव आयोग ने बड़ी राहत दी है। चुनाव आयोग का कहना है कि आवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।

इससे पहले खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की तरफ से भी कहा गया था कि वो चाहते हैं कि अवामी लीग पर चुनाव लड़ने से रोक नहीं लगाई जाए। हालांकि वो शेख हसीना और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं पर एक्‍शन में पक्ष में जरूर हैं। बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने आवामी लीग की भागीदारी के बारे में चिंताओं पर बात करते हुए चटगांव में कहा, “यह मुख्य रूप से एक राजनीतिक मामला है। कुछ व्यक्तियों ने आवामी लीग को भाग लेने से रोकने के लिए अदालती आदेश की मांग करते हुए मुकदमे दायर किए हैं। अगर अदालत ऐसा कोई फैसला सुनाती है, तो हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे। अन्यथा, यह एक राजनीतिक निर्णय है।’

बता दें कि बांग्लादेश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस 2025 के अंत में या 2026 की पहली छमाही में संसदीय चुनाव कराने की योजना बना रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों के रोडमैप की जानकारी देते हुए, यूनुस ने कहा कि चुनावों की समयसीमा चुनाव सुधार आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करती है, लेकिन 2025 के अंत तक चुनाव कराना संभव हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में पाकिस्तान का दो साल का कार्यकाल शुरू

#pakistan_will_join_the_security_council

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कई सदस्य बुधवार (1 जनवरी) से बदलने जा रहे हैं। इसमें कुछ गैर-स्थायी सदस्यों की एंट्री हो रही है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है। आज यानी कि 1 जनवरी 2025 से पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो साल का कार्यकाल शुरू किया। जून में अस्थायी सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में एशिया-प्रशांत देशों के लिए दो सीटों में से एक पर जापान की जगह ली है और दो साल तक यह सीट पर रहेगा।

इस दौरान राजदूत मुनीर अकरम ने कहा किकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल दुनिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में ‘सक्रिय और रचनात्मक’ भूमिका निभाएगा।अकरम ने सरकारी समाचार एजेंसी एपीपी (एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान) से कहा कि सुरक्षा परिषद में हमारी उपस्थिति महसूस की जाएगी. पाकिस्तान 2025-26 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रहेगा.

अकरम ने कहा कि हम ऐसे समय में परिषद के सदस्य बन रहे हैं, जब वैश्विक राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य जगहों पर युद्ध चल रहे हैं और हथियारों की होड़ तेजी से बढ़ रही है. पाकिस्तान ने जापान का स्थान लिया है, जो वर्तमान में सुरक्षा परिषद में एशियाई सीट पर है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने और बनाए रखने के लिए एक प्राथमिक साधन है.

जून में मिली थी अस्थायी सदस्यता

पाकिस्तान को आठवीं बार 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता मिली है। जून में पाकिस्तान को बहुमत से अस्थायी सदस्य चुना गया था। 193 सदस्यीय महासभा में पाकिस्तान को 182 वोट मिले थे, जो आवश्यक 124 वोटों से कहीं अधिक थे।

पाकिस्तान इससे पहले 2012-13, 2003-04, 1993-94, 1983-84, 1976-77, 1968-69 और 1952-53 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है।

आगरा के एक व्यक्ति ने होटल में मां और 4 बहनों की हत्या, आरोपी ने वीडियो में बताई वजह

लखनऊ में बुधवार को एक भयावह घटना हुई, जिसमें 24 वर्षीय अरशद नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर एक होटल में अपनी मां और चार बहनों की हत्या कर दी। अपराध के बाद रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में, अरशद ने दावा किया कि उसने अपने परिवार को “बचाने” के लिए ऐसा किया, उसने आरोप लगाया कि आगरा में उनकी संपत्ति पर पड़ोसियों की नज़र थी, जिन्होंने हैदराबाद में उसकी बहनों को बेचने की भी योजना बनाई थी।

हमारे पड़ोसी हमारी संपत्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे थे और हैदराबाद में मेरी बहनों को बेचने की योजना बना रहे थे। मैं ऐसा नहीं होने दे सकता था,” अरशद ने वीडियो में कथित तौर पर कहा, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है। मूल रूप से आगरा का रहने वाला यह परिवार 30 दिसंबर से होटल में रह रहा था, और कथित तौर पर नए साल का जश्न मनाने के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी गया था। उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को, अरशद ने कथित तौर पर अपने परिवार को नशीले पदार्थों से युक्त भोजन और शराब परोसी। कुछ घंटों बाद, उसने कथित तौर पर उन्हें मार डाला - कुछ को गला घोंटकर, जबकि अन्य को ब्लेड से। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में उसकी मां अस्मा और उसकी बहनें शामिल हैं, जिनकी उम्र क्रमशः 9, 16, 18 और 19 साल है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रवीना त्यागी ने कहा, "आज, होटल शरण जीत के एक कमरे में पांच लोगों के शव मिले। स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आगरा निवासी लगभग 24 वर्षीय अरशद नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया।" प्रारंभिक पूछताछ में ही उसने बताया कि पारिवारिक विवाद के चलते उसने अपनी चार बहनों और मां की हत्या कर दी। आगे की पूछताछ की जा रही है", मिडियाकर्मियों से बात करते हुए, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध और मुख्यालय) बबलू कुमार ने कहा, "पांच लोगों के शव मिले हैं - चार लड़कियां और उनकी मां। होटल के कर्मचारियों ने कहा कि वे 30 दिसंबर को यहां आए थे, और उनके भाई और पिता भी वहां थे। मामले की आगे की जांच की जा रही है।"

उन्होंने कहा, "बरामद किए गए शवों में से कुछ पर चोटों के निशान हैं - एक की कलाई पर, दूसरे की गर्दन पर। इन निशानों, गवाहों के बयानों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर, हम मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं।" अरशद ने वीडियो रिकॉर्ड किया अपनी मां और बहनों की हत्या करने के बाद, अरशद ने अपराध का वीडियो बनाया और इसे ऑनलाइन साझा किया। वीडियो में, अरशद अपनी मां और बहनों के बेजान शवों को दिखाता है और बताता है कि उसने उन्हें कैसे मारा।

रिपोर्ट के अनुसार, अरशद अपने परिवार को अजमेर घुमाने ले गया और फिर लखनऊ लौटकर होटल में ठहरने लगा। उस रात देर से उसने कथित तौर पर अपनी मां का दुपट्टे से गला घोंट दिया और उसे चुप कराने के लिए उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। फिर उसने अपनी बहनों के साथ भी यही तरीका अपनाया, उनके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और ब्लेड से उनकी कलाई काट दी। अरशद ने दावा किया कि आगरा में उसके समुदाय के लोगों द्वारा लगातार दबाव और उत्पीड़न के कारण उसने यह जघन्य कृत्य किया। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके पिता बदर ने हत्या में उसकी मदद की। हत्याओं को अंजाम देने के बाद, अरशद ने कथित तौर पर अपने पिता को रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया और फिर पुलिस स्टेशन जाकर अपना अपराध कबूल कर लिया। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए ब्लेड और दुपट्टे सहित हत्या के हथियार बरामद किए। इस बीच, अरशद के पिता फरार हैं। पुलिस उनके ठिकाने का पता लगाने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने के लिए रेलवे स्टेशन से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच कर रही है।

मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू, केंद्र सरकार ने परिवार को दिए ये विकल्प

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हुआ था। अब उनके स्मारक को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर उनके परिवार को कुछ विकल्प दिए हैं। इन विकल्पों में राष्ट्रीय स्मृति स्थल समेत कुछ अन्य स्थानों का नाम शामिल है, जहां उनका स्मारक बनाए जाने की संभावना है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, परिवार की ओर से स्मारक की जगह चुनने के बाद, ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। यह ट्रस्ट स्मारक निर्माण की योजना और उसके बाद की सभी गतिविधियों की देखरेख करेगा। परिवार की तरफ से अभी तक किसी खास जगह को लेकर फैसला नहीं लिया गया है। स्मारक की जमीन के लिए ट्रस्ट आवेदन करेगा। जमीन आवंटन के बाद सीपीडब्ल्यूडी के साथ एमओयू पर दस्तखत होंगे। इसके बाद ही स्मारक बनाने का काम शुरू हो सकेगा।

इन जगहों पर बनाया जा सकता है स्मारक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था। इसके बाद उनके स्मारक को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार ने मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन दी जा सकती है।

शहरी विकास मंत्रालय ने किया दौरा

शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने स्मारक के लिए राजघाट और उसके आसपास के इलाके का दौरा किया है। यह भी संभावना है कि डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए नेहरू-गांधी परिवार के नेताओं की समाधि के पास जगह दी जाए। यहां पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी की समाधि है।

बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है। बीते दिनोंकांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढ पाना भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है। इस पर बीजेपी की ओर से जवाब भी दिया गया था। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि कोई अपमान नहीं किया गया।

ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के 26वें स्थापना दिवस पर शायरी के माध्यम से जताया अपना प्यार और समर्पण!

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में तमाम कार्यक्रमों के जरिए अपना 26वां स्थापना दिवस मना रही है. पार्टी की स्थापना एक जनवरी 1998 को हुई थी. इस बीच ममता बनर्जी ने एक शायरी ट्वीट करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई है. उन्होंने कहा, ‘रोशनी चांद से होती है सितारों से नहीं, मोहब्बत तृणमूल कांग्रेस से होती है, और किसी से नहीं.’

सीएम ममता बनर्जी ने आगे लिखा, ‘तृणमूल कांग्रेस के स्थापना दिवस पर मैं अपने परिवार के हर सदस्य का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं. पिछले दो दशकों में हर विरोध, हर जीत और यहां तक कि हर चुनौती ने हमारे मूल विश्वास की पुष्टि की है. ये विश्वास है- राजनीति सत्ता के बारे में नहीं बल्कि सेवा के बारे में है. जब हम इस मील के पत्थर का जश्न मना रहे हैं, तो मैं हर तृणमूल सिपाही से लोगों के लिए लड़ने की अपनी प्रतिज्ञा को नवीनीकृत करने का आग्रह करती हूं और याद रखें कि हमारी पार्टी की आत्मा मां, माटी, मानुष के लोकाचार में निहित है.

वहीं, उन्होंने नए साल की शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘जैसे-जैसे हम 2025 में कदम रख रहे हैं, मेरा दिल हमें मिले प्यार, साथ मिलकर सामना की गई चुनौतियों और इस दौरान सीखे गए अमूल्य सबक के लिए आभार से भर गया है. आइए यह नया साल हमें उद्देश्य की नई भावना, नकारात्मकता को दूर करने की बुद्धि और सामूहिक प्रगति की दिशा में काम करने के दृढ़ संकल्प से भर दे. आइए हम न्याय के लिए दृढ़ता से खड़े होने और कम भाग्यशाली लोगों के उत्थान के लिए अपना हाथ बढ़ाने का संकल्प लें. आपको और आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.’

2008 से टीएमसी ने दिखाई अपनी पावर

तृणमूल कांग्रेस की स्थापना 1998 में हुई थी. उस समय युवा कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने महसूस किया था कि कांग्रेस बंगाल से सीपीएम को हटाने के लिए कोई आंदोलन नहीं करेगी. तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम के खिलाफ लगातार आंदोलन चलाया. 2008 में पार्टी ने पंचायत चुनाव में दो जिला परिषदों यानी दक्षिण 24-परगना और पूर्वी मिदनापुर पर जीत हासिल की. ​​2009 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीटें जीतीं. 2010 में उसने कोलकाता नगर निगम चुनाव जीता और आखिरकार 2011 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और बंगाल में सीपीएम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के शासन को समाप्त कर दिया. तब से सीपीएम बंगाल की राजनीति में कोई सेंध लगाने में विफल रही है. 2021 के विधानसभा चुनाव में वह एक भी सीट जीतने में विफल रही.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में पाकिस्तान का दो साल का कार्यकाल शुरू

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कई सदस्य बुधवार (1 जनवरी) से बदलने जा रहे हैं। इसमें कुछ गैर-स्थायी सदस्यों की एंट्री हो रही है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है। आज यानी कि 1 जनवरी 2025 से पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो साल का कार्यकाल शुरू किया। जून में अस्थायी सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में एशिया-प्रशांत देशों के लिए दो सीटों में से एक पर जापान की जगह ली है और दो साल तक यह सीट पर रहेगा।

इस दौरान राजदूत मुनीर अकरम ने कहा किकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल दुनिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में ‘सक्रिय और रचनात्मक’ भूमिका निभाएगा।अकरम ने सरकारी समाचार एजेंसी एपीपी (एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान) से कहा कि सुरक्षा परिषद में हमारी उपस्थिति महसूस की जाएगी. पाकिस्तान 2025-26 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रहेगा.

अकरम ने कहा कि हम ऐसे समय में परिषद के सदस्य बन रहे हैं, जब वैश्विक राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य जगहों पर युद्ध चल रहे हैं और हथियारों की होड़ तेजी से बढ़ रही है. पाकिस्तान ने जापान का स्थान लिया है, जो वर्तमान में सुरक्षा परिषद में एशियाई सीट पर है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने और बनाए रखने के लिए एक प्राथमिक साधन है.

जून में मिली थी अस्थायी सदस्यता

पाकिस्तान को आठवीं बार 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता मिली है। जून में पाकिस्तान को बहुमत से अस्थायी सदस्य चुना गया था। 193 सदस्यीय महासभा में पाकिस्तान को 182 वोट मिले थे, जो आवश्यक 124 वोटों से कहीं अधिक थे।

पाकिस्तान इससे पहले 2012-13, 2003-04, 1993-94, 1983-84, 1976-77, 1968-69 और 1952-53 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है।

दिल्ली से लेकर तक अवैध बांग्लादेशियों पर कसा शिकंजा, गिरफ्तार कर भेजा जा रहा वापस

#illegal_bangladeshi_immigrants_deportation

अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। दिल्ली के बाद महाराष्ट्र में कई परिवारों से पूछताछ की गई है और कई लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही साथ उनको बांग्लादेश वापस भेजने की भी कार्रवाई की गई है। इधर देश की राजधानी दिल्ली में भी पुलिस अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। दिल्ली की साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने 7 बांग्लादेशियों को पकड़कर डिपोर्ट कर दिया है। पकड़े गए बांग्लादेशियों में 5 महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा साउथ वेस्ट जिला पुलिस ने भी 8 बांग्लादेश निवासियों को डिपोर्ट किया है। साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने झुग्गी झोपड़ी और संदिग्ध इलाकों में सर्च आपरेशन चलाया था।

महाराष्ट्र एटीएस ने सूबे के कई जिलों में रेड की और अवैध बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। महाराष्ट्र एटीएस ने 9 अवैध बंग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जिनके ऊपर 5 एफआईआर दर्ज की गई है। दिसंबर महीने में ही एटीएस ने कुल 19 एफआईआर अवैध बंगलादेशियों के खिलाफ दर्ज की हैं और 43 लोगों को गिरफ्तार किया है। नववर्ष की पूर्व संध्या पर बिना आधिकारिक पहचान पत्र के रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ स्पेशल ड्राइव में 9 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं।

दरसअल, एटीएस ने मुंबई के पूर्वी उपनगर विक्रोली सहित महाराष्ट्र के नाशिक,अकोला, नांदेड़ औरंगाबाद में चार दिन से सर्च ऑपरेशन चला रही थी, जिसमें उसे सफलता मिली है। गरिफ्तार आरोपियों पर अवैध रूप से भारत में दाखिल होने सहित फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के आरोप हैं। इनके पास पुलिस को फर्जी आधार कार्ड से लेकर मतदान पत्र तक मिले हैं।

वहीं, दिल्ली पुलिस राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। इसी ऑपरेशन के तहत सभी थाना इलाकों में घर-घर जाकर पुलिस वेरिफिकेशन कर रही है। वेरिफिकेशन कैंपेन में हर घर में जाकर पुलिस पड़ताल करती है। लोगों को वेरीफिकेशन फॉर्म, जिसे दिल्ली पुलिस की भाषा में पर्चा 12 कहा जाता है, दिया जाता है। यह उन लोगों को दिया जाता है जो पश्चिम बंगाल या दूसरे राज्यों से आकर यहां बसने की बात बताते हैं। पुलिस उनके पश्चिम बंगाल के एड्रेस को वेरीफाई करवा रही है ताकि अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाया जा सके।

दरअसल पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि अवैध बांग्लादेशी पहले पश्चिम बंगाल में दाखिल होते हैं और फिर वहां के फर्जी कागजात बनाकर दिल्ली आ जाते हैं। पुलिस जब पूछताछ करती है तब यह अवैध बांग्लादेशी अपने आप को पश्चिम बंगाल का रहने वाला बताते हैं। इसके चलते इन पर कार्रवाई करना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। इस वेरिफिकेशन के जरिए कई अवैध बांग्लादेशियों को पुलिस ने गिरफ्तार करके वापस बांग्लादेश भेजा है।

बता दें कि हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो इन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के फर्जी कागजातों की मदद से आधार कार्ड बनवा रहे थे। दिल्ली पुलिस को आशंका है कि एजेंटों की मदद से हजारों बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान भारतीय नागरिक बनकर दिल्ली में रह रहे हैं।

ताइवान को चीन में मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती” नए साल पर जिनपिंग की चेतावनी

#no_one_can_ever_stop_taiwan_s_reunification_with_china_says_president_xi

पिछले कुछ वर्षों में चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ गया है। चीन साफ तौर पर कहता रहा है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा। इस बीच टीन ने एक बार फिर अपनी बात दोहराई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने मंसूबे बताए हैं। राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने नए साल पर दिये गए अपने संदेश में कहा कि चीन के साथ ताइवान के पुन: एकीकरण को कोई कभी नहीं रोक सकता। उन्होंने अर्थव्यवस्था में जारी मंदी को लेकर देश में बढ़ती चिंताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बीच यह बात कही।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को नववर्ष 2025 की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा, हम चीनी लोग ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर एक ही परिवार के सदस्य हैं। कोई भी हमारे संबंधों को कभी तोड़ नहीं सकता। उनका यह संदेश चीन के सरकारी प्रसारक पर प्रसारित किया गया। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और एक चीन नीति को मजबूती से लागू करता है। जिनपिंग के शासन में ताइवान को चीन में मिलाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए। अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के तहत शासन कर रहे शी ने हाल के वर्षों में ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए इसे एक प्रमुख सैन्य और राजनयिक पहल बनाया।

बीजिंग की विदेश नीति को लेकर जिनपिंग ने कहा, चीन वैश्विक शासन सुधारों को बढ़ावा देने और विश्व शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा, आज बदलाव और उथल-पुथळ की दुनिया के बीच चीन एक जिम्मेदार देश के रूप में वैश्विक सुधारों को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकता और सहयोग को मजबूत कर रहा है।

शी के नए साल के संदेश का एक अन्य मुख्य ध्येय चीनी जनता को अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त करना था, जो कि कोविड-19 के बाद काफी धीमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप आकर्षक रियल एस्टेट क्षेत्र धराशायी हो गया है और देश भर में व्यवसायों के बंद होने के कारण लोगों की नौकरी चली गई है। शी ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और यह प्रगति के पथ पर है। उन्होंने कहा कि 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 130 ट्रिलियन-युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनाज उत्पादन 70 करोड़ टन से अधिक हो गया है। चीन ई-वाहनों के अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उससे आयात पर भारी शुल्क लगा दिया है।

मणिपुर में फिर तनाव, कुकी महिलाओं और सुरक्षाबलों के बीच झड़प

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मणिपुर में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन द्वारा राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर माफी मांगने के बीच कांगपोकपी जिले में मंगलवार को पुलिस और कुकी महिलाओं के बीच झड़प की खबर सामने आई है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में कुकी-जो समुदाय की महिलाओं की मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गयी, जिससे राज्य में नए साल से पहले फिर से तनाव बढ़ गया।

पुलिस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि यह घटना थम्नापोकपी के पास उयोकचिंग में उस समय हुई, जब भीड़ ने सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम की तैनाती में बाधा डालने की कोशिश की गई। पुलिस के मुताबिक, संयुक्त बलों ने हल्का बल प्रयोग के साथ भीड़ को तितर-बितर कर दिया और अब हालात शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों को इलाके पर नियंत्रण रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पहाड़ी पर तैनात किया गया था।

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि ट्विचिंग के सैबोल गांव में सुरक्षा बलों के बल प्रयोग में कई लोग घायल हो गए। ट्विचिंग कुकी-नियंत्रित पहाड़ियों और मैतेई प्रभुत्व वाली इंफाल घाटी के बीच तथाकथित बफर जोन में स्थित है।

आंसू गैस के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, कुकी समुदाय के एक नेता ने आरोप लगाया कि स्थिति तब बिगड़ गई जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर दिया। उसके बाद तो युद्ध के मैदान जैसा हाल हो गया। हम अपनी चिंताओं को व्यक्त करने आए थे कि युद्ध की रणनीति का सामना करने गए थे।

सीएम ने जातीय हिंसा पर मांगी थी माफी

झड़प की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ घंटे पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही हिंसा के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर कहा कि यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मैं राज्य के लोगों से पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ भी हुआ उसके लिए खेद व्यक्त करना चाहता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे दुख है। मैं माफी मांगता हूं। लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि पिछले तीन से चार महीनों में शांति की दिशा में प्रगति देखने के बाद, मुझे विश्वास है कि 2025 तक राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

सवालों के घेरे में है ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, बांग्लादेश से आई घुसपैठिया भारत में कैसे बन गई ग्राम प्रधान?

#who_is_lovely_khatun_she_came_from_bangladesh_became_the_gram_pradhan

पश्चिम बंगाल के रशीदाबाद की ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून की नागिरकता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उन पर बांग्लादेशी नागरिक होने का आरोप लगाया गया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि उन्होंने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके भारतीय नागरिकता प्राप्त की। आरोप है कि पंचायत प्रधान ने कथित तौर पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा था और तृणमूल के समर्थन से प्रधान पद पर काबिज हुई थी। यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई।

मालदा जिले में टीएमसी के नेतृत्व वाली रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून को लेकर कहा जा रहा है कि वो बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। इतना ही नहीं उनपर आरोप है कि वो बिना पासपोर्ट के अवैध रूप से भारत में घुसी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स में लवली खातून का असली नाम नासिया शेख बताया जा रहा है।इस संदर्भ में उनकी राजनीतिक पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भी सक्रिय हो गई है और मामले की जांच आरंभ कर दी है। इसी बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन आरोपों पर एक रिपोर्ट भी मांगी है।

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने पिता का नाम बदलकर शेख मुस्तफा रख लिया है, जो दस्तावेजों में दर्ज है। उन्हें वर्ष 2015 में मतदाता पहचान पत्र प्राप्त हुआ और वर्ष 2018 में जन्म प्रमाण पत्र मिला। रिपोर्ट के अनुसार, लवली के पिता का असली नाम जमील बिस्वास है।

लवली खातून के विरुद्ध उच्च न्यायालय में चंचल निवासी रेहाना सुल्ताना द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई थी। चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने 2024 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। रेहाना ने 2022 में ग्राम पंचायत चुनाव लड़ा था लेकिन वो लवली खातून से चुनाव हार गईं थीं। सुल्ताना के वकील अमलान भादुड़ी ने कहा,'याचिका दाखिल करने वाली रेहाना सुल्ताना ने टीएमसी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन लवली खातून से हार गईं, जिन्होंने कांग्रेस और वाम गठबंधन की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। खातून के चुनाव जीतने के बाद एक या दो महीने के भीतर वह टीएमसी में शामिल हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया है कि खातून बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। उनके अनुसार, खातून के नाम पर जारी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए हैं। उन्होंने आगे कहा, हम स्थानीय पुलिस स्टेशन और प्रशासन के पास गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस स्थिति में, हमने 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट का सहारा लिया।