/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz सवालों के घेरे में है ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, बांग्लादेश से आई घुसपैठिया भारत में कैसे बन गई ग्राम प्रधान? India
सवालों के घेरे में है ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, बांग्लादेश से आई घुसपैठिया भारत में कैसे बन गई ग्राम प्रधान?

#who_is_lovely_khatun_she_came_from_bangladesh_became_the_gram_pradhan

पश्चिम बंगाल के रशीदाबाद की ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून की नागिरकता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उन पर बांग्लादेशी नागरिक होने का आरोप लगाया गया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि उन्होंने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके भारतीय नागरिकता प्राप्त की। आरोप है कि पंचायत प्रधान ने कथित तौर पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा था और तृणमूल के समर्थन से प्रधान पद पर काबिज हुई थी। यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई।

मालदा जिले में टीएमसी के नेतृत्व वाली रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून को लेकर कहा जा रहा है कि वो बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। इतना ही नहीं उनपर आरोप है कि वो बिना पासपोर्ट के अवैध रूप से भारत में घुसी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स में लवली खातून का असली नाम नासिया शेख बताया जा रहा है।इस संदर्भ में उनकी राजनीतिक पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भी सक्रिय हो गई है और मामले की जांच आरंभ कर दी है। इसी बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन आरोपों पर एक रिपोर्ट भी मांगी है।

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने पिता का नाम बदलकर शेख मुस्तफा रख लिया है, जो दस्तावेजों में दर्ज है। उन्हें वर्ष 2015 में मतदाता पहचान पत्र प्राप्त हुआ और वर्ष 2018 में जन्म प्रमाण पत्र मिला। रिपोर्ट के अनुसार, लवली के पिता का असली नाम जमील बिस्वास है।

लवली खातून के विरुद्ध उच्च न्यायालय में चंचल निवासी रेहाना सुल्ताना द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई थी। चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने 2024 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। रेहाना ने 2022 में ग्राम पंचायत चुनाव लड़ा था लेकिन वो लवली खातून से चुनाव हार गईं थीं। सुल्ताना के वकील अमलान भादुड़ी ने कहा,'याचिका दाखिल करने वाली रेहाना सुल्ताना ने टीएमसी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन लवली खातून से हार गईं, जिन्होंने कांग्रेस और वाम गठबंधन की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। खातून के चुनाव जीतने के बाद एक या दो महीने के भीतर वह टीएमसी में शामिल हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया है कि खातून बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। उनके अनुसार, खातून के नाम पर जारी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए हैं। उन्होंने आगे कहा, हम स्थानीय पुलिस स्टेशन और प्रशासन के पास गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस स्थिति में, हमने 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट का सहारा लिया।

अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल
#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat
* दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है? अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है। चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है? इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।
अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल

#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat 

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है?

अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है।

चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है?

इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।

मालदीव में विपक्ष ने लगाया मुइज्जू को हटाने की साजिश का आरोप, जोड़ा भारत का नाम

#indianameaddedconspiracytoremovemuizzubytheoppositionin_maldives

करीब एक साल पहले भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्‍ता परिवर्तन। जिसके बाद मोहम्‍मद मुइज्जू की सरकार सत्‍ता में आई। सरकार गठन के बाद ही मुइज्जू के मंत्रियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलना भी शुरू कर दिया। हालांकि मुइज्जू को जल्द पता चल गया की भारत से पंगा लेना उनके लिए आसान नहीं है। मुइज्जू की भाषा बदली, जिसको बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर आने लगे। इस बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला दावा किया है। जिसमें दावा किया गया कि भारत ने मुइज्‍जू की सरकार को गिराने की साजिश रची

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को हटाने की साजिश के लिए भारत से सहायता मांगी। रिपोर्ट के मुताबिक कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का एक एजेंट मालदीव के विपक्षी नेताओं के संपर्क में था, ताकि जनवरी में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें सत्ता से हटाया जा सके।

साजिश में भारत की खुफिया एजेंसी की कथित संलिप्तता

डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नामक इस योजना का विवरण देने वाले आंतरिक दस्तावेज में वरिष्ठ सैन्य और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने तथा तीन प्रभावशाली आपराधिक गिरोहों से संपर्क करने की योजना का खुलासा है। कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से जुड़े व्यक्तियों के साथ जनवरी 2024 में चर्चा शुरू हुई। हालांकि, महीनों की गुप्त वार्ता के बाद अपर्याप्त समर्थन से महाभियोग की साजिश विफल हो गई।

द वाशिंगटन पोस्ट के दावे के मुताबिक अमेरिका में भारतीय दूतावास में रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी शिरीष थोरेट और पत्रकार-राजनेता सवियो रोड्रिग्स के साथ मिलकर मुइज्जू को हटाने की चर्चा की। रिपोर्ट के मुताबिक थोरेट और रोड्रिग्स ने योजना के अस्तित्व की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि वे भारत सरकार की ओर से काम कर रहे थे या नहीं। भारत ने अभी तक इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है।

साजिश के तहत भारत से मांगे गए 6 मिलियन डॉलर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मालदीव में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने की साजिश रची थी। इस साजिश में सांसदों को रिश्वत देना और आपराधिक गिरोहों की भर्ती करना शामिल था। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि इस साजिश के लिए भारत से 6 मिलियन डॉलर (करीब 50.40 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी। हालांकि, साजिश सफल नहीं हुई।

पूर्व राष्ट्रपति ने किया भारत का समर्थन

अब इस मामले में विपक्षी नेता मोहम्‍मद नशीद का बयान सामने आया है। मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अब इस रिपोर्ट को कोरी बकवास करार दिया है। इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्‍होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत कभी इस तरह से सत्‍ता परिवर्तन में सहायता करने के लिए तैयार होगा। मेरे साथ कभी भी ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई। वाशिंगटन पोस्‍ट ने डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नाम के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि मालदीव के विपक्ष ने मुइज्‍जू के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए वोट देने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मुइज़ू की अपनी पार्टी के सांसद भी शामिल हैं।

चीनी हैकर्स ने अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट में लगाई सेंध, कई वर्कस्टेशन और दस्तावेजों को खंगाला*
#us_treasury_department_china_hack

चीनी हैकर्स के अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट को हैक करने का मामला सामने आया है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट पर हाल ही में चीनी स्टेट-स्पॉन्सर्ड हैकर्स की ओर से किए गए साइबर हमले का खुलासा हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकर ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट के थर्ड-पार्टी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर के सिस्टम में सेंध मारकर कई इम्पलॉयी वर्कस्टेशन और कुछ अनक्लासीफाइड डॉक्यूमेंट हासिल किए हैं। यह सेंधमारी दिसंबर की शुरुआत में हुई थी। यह साइबर हमला 8 दिसंबर को हुआ था। इस दौरान एक थर्ड-पार्टी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर बियॉन्ड ट्रस्ट ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट को सूचना दी कि हैकर्स ने उनकी सिक्योरिटी को बायपास करके कई वर्कस्टेशन का रिमोट एक्सेस हासिल कर लिया है। इस दौरान हैकर्स ने सर्विस की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाली चाबियों में से एक को चुरा लिया था डिपार्टमेंट ने सांसदों को एक लेटर लिखकर इसके बारे में बताया है। डिपार्टमेंट ने इस सेंधमारी को ‘बड़ी घटना’ बताते हुए जानकारी दी है कि एफबीआई और बाकी एजेंसियां मिलकर जांच कर रही हैं कि इसका क्या नतीजा हो सकता है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि कितने वर्कस्टेशन प्रभावित हुए हैं। किस प्रकार के दस्तावेज़ या डेटा को एक्सेस किया गया है। हालांकि, डिपार्टमेंट ने बताया है कि अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि हैकर्स के पास ट्रेजरी की जानकारी का निरंतर एक्सेस है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने इस सर्विस को ऑफलाइन कर दिया है। उनका दावा है कि हैकर्स के पास अब डिपार्टमेंट की किसी भी जानकारी का नियंत्रण नहीं है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट के एक स्पोक्सपर्सन ने अलग बयान में कहा कि ट्रेजरी अपने सिस्टम्स के खिलाफ सभी खतरों को बहुत गंभीरता से लेती है। पिछले चार साल में ट्रेजरी ने अपना साइबर डिफेंस को बेहतर बनाया है। हम अपने फाइनेंशियल सिस्टम को ऐसे हैक से बचाने के लिए प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर के पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करेंगे। इस घटना ने अमेरिका और चीन के बीच साइबर हमलों से संबंधित विवादों को और गहरा दिया है। हाल ही में सॉल्ट टाइफून नाम के साइबर हमले में चीनी जासूसों ने कई अमेरिकी टेलिकम्युनिकेशन कंपनियों के नेटवर्क को हैक किया। इन हमलों के तहत लोगों के कॉल रिकॉर्ड और निजी संवाद को चीन सरकार के अधिकारियों तक पहुंचाया गया। शुक्रवार को व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने खुलासा किया कि इस साइबर जासूसी से प्रभावित कंपनियों की संख्या 9 तक पहुंच गई है।
पाकिस्तान में सुलझेंगे राजनीतिक मतभेद! सरकार एवं इमरान खान की पार्टी के बीच होगी बैठक
#imran_khan_pti_pakistan_govt_to_meet_on_jan_2
* पाकिस्तान सरकार और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सियासी मदभेदों को सुलझाने की पहल की है। राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान सरकार और इमरान खान की पीटीआई के बीच महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। यह बैठक गुरुवार को संसद भवन में सुबह 11 बजे होने वाली है, जिसे नेशनल असेंबली स्पीकर सरदार अयाज सादिक ने बुलाया है। वह दोनों पक्षों के बीच बातचीत करवाना चाह रहे हैं, जिससे मतभेद सुलझाए जा सकें। यह बैठक 23 दिसंबर को शुरू हुई बातचीत पर आधारित होगी और इसका उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक कदम बढ़ाना है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई आंतरिक विचार-विमर्श के बाद आगामी सत्र के दौरान लिखित रूप में दो प्रमुख मांगें पेश करने की तैयारी कर रही है। इन मांगों में नौ मई, 2023 की हिंसक घटनाओं और इस्लामाबाद में 26 नवंबर को पीटीआई कार्यकर्ताओं पर की गई कार्रवाई की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन और 72 वर्षीय खान सहित सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई शामिल है। नेशनल असेंबली के पूर्व स्पीकर और पीटीआई नेता असद कैसर ने इन मांगों को दोहराते हुए कहा कि पार्टी नौ मई और 26 नवंबर की घटनाओं की जांच के लिए आयोग के गठन की मांग पर अडिग है। उन्होंने खान की रिहाई की जरूरत पर भी जोर दिया। दोनों पक्षों के बीच 23 दिसंबर को हुई पहली वार्ता को सकारात्मक बताया गया था और इस दौरान उन्होंने वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई थी। सरकारी पक्ष का नेतृत्व करने वाली नौ सदस्यीय समिति में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार राणा सनाउल्लाह, सेनटर इरफान सिद्दीकी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के राजा परवेज अशरफ और नवीद कमर, इत्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) के नेता अलीम खान, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्वैद (पीएमएल-क्यू) के नेता चौधरी सलीक हुसैन, बलूचिस्तान अवामी पार्टी के सरदार खालिद माग्सी और मुताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान के नेता डॉ. खालिद मकबूल सिद्धिकी शामिल हैं।
पिता प्रणब मुखर्जी को लेकर भाई-बहन आमने-सामने, जानें क्या है पूरा मामला
#brother_abhijeet_response_to_sister_sharmishtha_congress_behaviour
कांग्रेस में कथित आंतरिक कलह और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी को लेकर शर्मिष्ठा मुखर्जी का बयान चर्चा में है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा का कहना है कि कांग्रेस में दरार आ चुकी है। उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद भी कांग्रेस की आलोचना करते हुए टिप्पणी की थी। अब पूरे प्रकरण में प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने बयान दिया है।

*प्रणब मुखर्जी को सबकुछ कांग्रेस की वजह से मिला*
अभिजीत मुखर्जी ने अपनी बहन शर्मिष्ठा मुखर्जी के दावों को खारिज कर दिया है। अभिजीत ने कहा कि उनके पिता को सार्वजनिक जीवन में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद समेत जो कुछ भी हासिल हुआ है वो कांग्रेस की बदौलत हुआ है। पूर्व सांसद ने कहा कि उनके पिता का निधन कोविड काल में हुआ था। उस समय कई पाबंदियां भी थी, इसलिए सीडब्ल्यूसी की बैठक को बुलाकर श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी थी। हालांकि, बाद में सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई तो उसमें श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी।

*मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति की मृत्यु पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए*
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति की मृत्यु पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। वह एक अर्थशास्त्री और ऐसे व्यक्तित्व थे जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। अभिजीत मुखर्जी ने आगे कहा कि मेरे पिता की भाषा में,एक सच्चे सज्जन,मैंने मनमोहन सिंह को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। जब भी मैं उनसे मिला,वह मुस्कुराते ही मिले,एक शांत व्यक्तित्व और एक पिता तुल्य व्यक्ति। पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उस समय स्थिर किया जब वह डांवाडोल थी, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव रखी। डॉ. मनमोहन सिंह जैसा सुधारक शायद फिर कभी नहीं आएगा।

*अभिजीत मुखर्जी ने कोविड-19 के प्रतिबंध का दिया हवाला*
अपनी बहन के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि 2020 में प्रणब मुखर्जी के निधन के दौरान कोविड-19 के प्रतिबंध लागू थे। प्रणब मुखर्जी का 84 वर्ष की आयु में कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद निधन हो गया था। समाचार एजेंसी से बात करते हुए,अभिजीत मुखर्जी ने कांग्रेस का बचाव करते हुए कहा कि जब मेरे पिता का निधन हुआ,तब कोविड-19 का समय था। कई प्रतिबंध थे,जिस कारण लोग इकट्ठा नहीं हो सके। यहां तक कि तत्कालीन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रशासन ने परिवार के सदस्यों को भी आने की अनुमति नहीं दी थी। केवल 20 परिवार और दोस्त ही वहां मौजूद थे।

*शर्मिष्ठा ने जताई थी नाराजगी*
इससे, पहले प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद सिंह के सम्मान में कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किए जाने का हवाला देते हुए कहा था कि उनके पिता के निधन पर कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी को बुलाने और श्रद्धांजलि अर्पित करने की भी जहमत नहीं उठाई थी। शर्मिष्ठा ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद 27 दिसंबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा था ‘जब मेरे बाबा का निधन हुआ तो कांग्रेस ने शोक सभा के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई। एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा था कि राष्ट्रपतियों के लिए ऐसा नहीं किया जाता। यह पूरी तरह से बकवास है, क्योंकि बाद में मुझे बाबा की डायरी से पता चला कि के. आर. नारायणन के निधन पर सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश खुद बाबा ने ही तैयार किया था।
अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर भी छिड़ा विवाद,भारत पर भी होगा खासा असर, बढ़ी केन्द्र की चिंता
#us_h_1b_visa_controversy


अमेरिका में टेक वर्कर्स को नौकरी पर रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले H-1B वीजा को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। ट्रंप की सरकार के होने वाले मंत्री एलन मस्‍क ने हाल ही में जो कहा उसने भारतीय सहित विदेशों से काम की तलाश में अमेरिका पहुंचने वाले लोगों के कान खड़े कर दिए हैं। दरअसल, टेस्‍ला कंपनी और सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के मालिक मस्‍क ने एच-1बी वीजा पॉलिसी को खामियों से भरा करार दिया। उनका मानना है कि इस सिस्‍टम में बड़े सुधार की जरूरत है। खासबात यह है कि कुछ दिनों पहले उन्होंने इस सिस्‍टम को बचाने के लिए युद्ध करने की कसम खाई थी। अब वो इसमें खामिया ढूढ़ते नजर आ रहे हैं।

*मस्‍क की चाहत से भारतीयों पर क्‍या पड़ेगा असर?*
अब सवाल यह उठता है कि इससे भारतीयों पर क्‍या असर पड़ेगा। इसके लिए हमें मस्‍क का पूरा बयान जानना होगा। दरअसल, मस्‍क ने कहा कि वीजा प्राप्त करने के लिए मिनिमम वेतन आवश्यकता को काफी हद तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि जॉब देने वालों के लिए घरेलू स्तर की तुलना में विदेशों से काम पर रखना अधिक महंगा हो जाए। मस्क ने पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, “न्यूनतम वेतन में जरूरी वृद्धि करके और H1B को बनाए रखने के लिए सालाना लागत जोड़कर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। जिससे घरेलू स्तर की तुलना में विदेशों से काम पर रखना अधिक महंगा हो जाता है। मैं इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हूं कि यह कार्यक्रम टूटा हुआ है और इसमें बड़े सुधार की आवश्यकता है।

*70% से ज्यादा H-1B वीजा धारक भारतीय*
दरअसल, अमेरिका में टेक इंडस्ट्री जैसे सेक्टर्स में नौकरी करने के लिए H-1B वीजा दिया जाता है। ये वीजा भारतीयों के बीच काफी ज्यादा पॉपुलर है, क्योंकि वे इस वीजा के लिए अमेरिका में काम करने जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्र भी इस वीजा को आसानी से हासिल कर लेते हैं। टेक्नोलॉजी, साइंस और इंजीनियरिंग जैसे डोमेन में डिग्री होने पर भारतीय छात्रों को आसानी से H-1B वीजा मिल जाता है। मगर ट्रंप का H-1B वीजा पर रुख बदल रहा है। 70% से ज्यादा H-1B वीजा धारक भारतीय हैं, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में भारतीय प्रोफेशनल्स की अहमियत को दर्शाता है।

*H1B वीजा को लेकर केंद्र सरकार चिंतित*
अमेरिका में भारतीय एच-1बी वीजा होल्डर के खिलाफ हो रहे विरोध को लेकर केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय, IT मंत्रालय और कॉमर्स डिपार्टमेंट अमेरिका में वैध रूप से काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स की स्थिति पर नजर रख रही है। सरकार के एक सूत्र ने बताया कि ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए, जहां हमारे भारतीय प्रोफेशनल्स को अमेरिका में रहने की दिक्कत हो। सरकार इस बारे में चिंतित है। IT मंत्रालय भी स्थिति को समझने के लिए बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों से फीडबैक ले रहा है। IT मंत्रालय ने कंपनियों से पूछा है कि ग्राउंड पर इस वीजा को लेकर क्या हालात हैं। सरकार के सूत्र ने कहा कि हम नहीं चाहते की भारत-अमेरिका के बीच कानूनी ढांचे में कोई बाहरी कारण की चलते दिक्कतें आएं। अमेरिका की ओर से भी यह नहीं होना चाहिए।
नए साल के जश्न की तैयारी: दिल्ली पुलिस तैनात करेगी 20 हजार कर्मी

दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में व्यापक यातायात व्यवस्था और प्रतिबंध लागू किए हैं, जिसमें कॉनॉट प्लेस पर विशेष ध्यान दिया गया है। नए साल की पूर्व संध्या पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब 20,000 पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है। ग्लूकोमीटर से लैस करीब 50 टीमें प्रमुख स्थानों पर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर नजर रखेंगी। अतिरिक्त पिकेट स्टाफ के पास आगे की जांच के लिए एल्कोमीटर भी होंगे।


कॉनॉट प्लेस, हौज खास और इंडिया गेट जैसे लोकप्रिय जश्न स्थलों पर बड़ी संख्या में ट्रैफिक कर्मी तैनात रहेंगे। रात 8 बजे के बाद कॉनॉट प्लेस के पास यातायात प्रतिबंध लगाए जाएंगे। पुलिस ने रात 8 बजे के बाद कॉनॉट प्लेस में प्रवेश करने वाले वाहनों के लिए स्टिकर वितरित किए हैं। अधिकारी ने कहा कि कॉनॉट प्लेस में दस स्थानों की पहचान की गई है, जहां लोग अपने वाहनों के साथ नहीं जा सकते। इंडिया गेट के आसपास 14 स्थानों पर कर्मचारी तैनात रहेंगे, जहां भीड़भाड़ को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं।


नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) देवेश कुमार महला ने कहा, "हमने आगामी नए साल की पूर्व संध्या पर सभी निवासियों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक व्यवस्था तैयार की है।" डीसीपी ने कहा कि क्लब, होटल, रेस्तरां, पब, मॉल, पार्क और अन्य स्थानों पर बड़ी भीड़ होने की उम्मीद है। विशेष व्यवस्था कॉनॉट प्लेस, खान मार्केट, द ललित, इंपीरियल, पार्क, रॉयल प्लाजा, शांगरी-ला, ली मेरिडियन, ताज महल, ताज विवांता, मेट्रोपॉलिटन, क्लेरिज, अशोका, सम्राट, आईटीसी मौर्य और ताज पैलेस जैसे पांच सितारा होटलों के साथ-साथ इंडिया गेट, 'सी' हेक्सागन, कर्तव्य पथ, मंदिरों और गुरुद्वारों पर केंद्रित होगी।


*मुंबई:* कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए नए साल की पूर्व संध्या पर मुंबई में 14,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। गेटवे ऑफ इंडिया, मरीन ड्राइव, गिरगांव चौपाटी, बांद्रा बैंडस्टैंड और जुहू तथा वर्सोवा बीच सहित प्रमुख स्थानों पर भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। होटल, रेस्तरां और मॉल में जश्न बुधवार की सुबह तक चलने की उम्मीद है। सुरक्षा बल में 12,000 कांस्टेबल, 2,184 अधिकारी, 53 सहायक आयुक्त, 29 डिप्टी कमिश्नर और आठ अतिरिक्त आयुक्त शामिल हैं, जो कड़ी निगरानी रखेंगे और अप्रिय घटनाओं को रोकेंगे।


*बेंगलुरू:* बेंगलुरू में 7,500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और पुलिस की मौजूदगी बढ़ाई गई है। विशेष चौकियों की व्यवस्था की गई है और पुलिस नए साल और क्रिसमस के जश्न की तैयारी में सक्रिय रूप से नशा विरोधी अभियान चला रही है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने आश्वासन दिया कि सुरक्षित और घटना-मुक्त नए साल का जश्न सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं।
केजरीवाल ने शुरू की पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना,हर महीने दिये जाएंगे 18 हजार रुपये
#arvind_kejriwal_pujari_granthi_samman_yojana
* दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को राजधानी में पुजारी-ग्रंथी योजना लॉन्च की। केजरीवाल ने कश्मीरी गेट के मरघट वाले बाबा के मंदिर में पत्नी के साथ दर्शन किए और वहां के पुजारी का पहला रजिस्ट्रेशन कराया। योजना के तहत पुजारियों-ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपए सैलरी देने का वादा किया गया है। इस दौरान केजरीवाल ने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने रजिस्ट्रेशन रोकने की कोशिश की। लेकिन भक्त को भगवान से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। केजरीवाल को इस योजना की शुरुआत दिल्‍ली के कनॉट प्‍लेस स्थित हनुमान मंदिर के पुजारियों का रजिस्‍ट्रेशन करके करनी थी, लेकिन वहां बीजेपी के विरोध प्रर्दशन के कारण कार्यक्रम में बदलाव किया गया। इस योजना के अनुसार, दिल्ली में आप की सरकार पुजारी और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये की सैलरी देगी। दिल्‍ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले केजरीवाल आम लोगों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं। इसी क्रम में सोमवार को ही अरविंद केजरीवाल ने इस योजना का एलान किया था। अरविंद केजरीवाल ने पुजारी ग्रंथी योजना की शुरुआत करने के बाद कहा, 'आज मरघट वाले बाबा के मंदिर में दर्शन किए और पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का शुभारंभ किया। यहां के महंत जी का आज जन्मदिन है। उनके साथ जन्मदिन भी मनाया। बीजेपी ने आज रजिस्ट्रेशन रोकने की पूरी कोशिश की। लेकिन भक्त को अपने भगवान से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। *योजना पर भाजपा ने बोला हमला* वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने केजरीवाल द्वारा मंदिर और गुरुद्वारा पुजारियों को 18,000 रुपये मासिक मानदेय देने की घोषणा को आप का एक और "झूठा वादा" करार दिया। उन्होंने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जानते हैं कि उनका राजनीतिक जीवन खत्म होने वाला है। उन्होंने कहा कि हाल ही तक उनकी सरकार धार्मिक स्थलों के बाहर शराब की दुकानें खोल रही थी। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आप सरकार ने इमामों को भी इतनी ही राशि देने का वादा किया था, लेकिन 17 महीने से उन्हें भुगतान नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया, भारत में उनसे बड़ा धोखेबाज कोई नहीं हुआ। *बीजेपी बोली- केजरीवाल चुनावी हिंदू* वहीं, भाजपा ने एक्स पर पोस्ट कर अरविंद केजरीवाल को चुनावी हिंदू बताया है। भाजपा ने लिखा- जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा। जो खुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे। जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले। जिसकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही, उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई? *सभी धार्मिक लोग बहुत खुश-केजरीवाल* केजरीवाल ने इस योजना को लेकर 30 दिसंबर को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, आज पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना के ऐलान के बाद देश भर से फोन और मैसेज आ रहे हैं। सभी धार्मिक लोग बहुत खुश हैं। दिल्ली के कई पुजारी और ग्रंथी मुझसे मिलने आए और उन्होंने आशीर्वाद दिया। केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी के जीतने पर दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को 18,000 रुपये प्रति माह की सम्मान राशि दी जाएगी। ये योजना समाज में उनके आध्यात्मिक योगदान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के उनके प्रयासों का सम्मान है। भाजपा वालों इसे रोकने की कोशिश मत करना, बहुत पाप लगेगा।