स्वरोजगार और उद्यमिता के नए आयामों की ओर कदम
अयोध्या।स्वदेशी जागरण मंच के तत्वावधान में चलाए जा रहे "स्वदेशी जागरण मंच स्वावलंबी भारत अभियान" के अंतर्गत एम.आई.एस इंटरनेशनल स्कूल में आज एक भव्य और प्रेरणादायक उद्यमिता प्रोत्साहन परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस परिसंवाद का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को पारंपरिक नौकरियों के सीमित दायरे से बाहर निकालकर उद्यमिता और स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम का विचार था कि छात्र केवल नौकरी करने की आकांक्षा न रखें, बल्कि समाज और राष्ट्र के आर्थिक विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए स्वरोजगार और उद्यमिता को अपनाएं।
इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित मुख्य अतिथि उपस्थित थे, जिनमें गोपाल (सह मंत्री, विश्व हिंदू परिषद, राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र, अयोध्या) और सुनील पार्चा (प्रमुख उद्योगपति) शामिल थे। दोनों ने अपने प्रेरणादायक विचारों के माध्यम से विद्यार्थियों को उद्यमिता के विभिन्न आयामों और स्वरोजगार के महत्त्व से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैसे युवा अपने नवाचारों के बल पर न केवल अपना, बल्कि समाज का भी आर्थिक और सामाजिक उत्थान कर सकते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सतीश कुमार जी (संगठन मंत्री, स्वदेशी जागरण मंच) ने विद्यार्थियों को उद्यमिता और स्वदेशी आंदोलन की महत्ता पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने स्वदेशी जागरण मंच के उद्देश्यों को सामने रखते हुए कहा कि "स्वरोजगार और उद्यमिता न केवल रोजगार का साधन है, बल्कि यह राष्ट्र को आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाने का सबसे प्रभावी मार्ग है।" अपने विशेष संबोधन में, उन्होंने एम.आई.एस. इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक श्री सलिल अग्रवाल जी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा, स्वदेशी जागरण मंच के विभाग संपर्क प्रमुख अयोध्या
स्वदेशी जागरण मंच
विभाग समन्वयक अयोध्या
स्वावलंबी भारत अभियान के पद से सम्मानित किया और उनके शिक्षा और उद्यमिता के क्षेत्र में योगदान की सराहना की।कार्यक्रम की अध्यक्षता एम.आई.एस इंटरनेशनल स्कूल के अध्यक्ष श्री सलिल अग्रवाल ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए 'अर्जन करते हुए अध्ययन' की विचारधारा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "आज का युवा केवल नौकरी पाने तक सीमित नहीं रह सकता। उसे बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ना चाहिए और स्वरोजगार तथा उद्यमिता को अपनाकर समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। उद्यमिता के माध्यम से हम न केवल अपने जीवन को सुधार सकते हैं, बल्कि देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।"
इस भव्य आयोजन में विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया और विभिन्न प्रेरणादायक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में स्वरोजगार के महत्त्व को प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नाट्य मंचन, कविताएँ, और लघु कथाएँ विशेष रूप से सराहनीय रहीं। नाटक "स्वावलंबन से समृद्धि" में दिखाया गया कि किस प्रकार छोटे नवाचार और उद्यमिता के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन और समाज को सुधार सकता है। इसी प्रकार, कविता और लघु कथाओं के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि युवा पीढ़ी को स्वरोजगार की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए, ताकि समाज और देश का भविष्य उज्ज्वल हो सके।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों को प्रेरित करना नहीं था, बल्कि समाज में स्वरोजगार और उद्यमिता के प्रति जागरूकता फैलाना भी था। इस परिसंवाद ने न केवल विद्यार्थियों के भीतर नए विचारों का संचार किया, बल्कि उन्हें उद्यमिता के माध्यम से अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखा, जिसमें पूंजी निवेश, नवाचार, और बाज़ार की मांग को समझने के विषयों पर विशेष जोर दिया गया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सहभागिता की। इस आयोजन ने विद्यार्थियों को स्वरोजगार और उद्यमिता के मार्ग पर चलने के लिए एक नई दिशा दी। यह परिसंवाद उन सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत साबित हुआ जो अपने नवाचारों और सृजनशीलता के माध्यम से समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान देना चाहते हैं।
Oct 04 2024, 17:20